जहाँ पहिया है पाठ का सार
जहाँ पहिया है पाठ का सारांश
jahan pahiya hai summary
जहां पहिया है पाठ में जमीला बीवी नामक एक युवती, जिसने साइकिल चलाना शुरू किया था, उससे लेखक की बात हुई तो उसने कहा-“यह मेरा अधिकार है, अब हम कहीं भी जा सकती हैं। अब हमें बस का इंतजार नहीं करना पड़ता। मुझे पता है कि जब मैंने साइकिल चलाना शुरू किया तो लोग फ़ब्तियों कसते थे, लेकिन मैंने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया।” फातिमा एक विद्यालय में अध्यापिका है। वह शाम को आधे घंटे के लिए किराए पर साइकिल लेकर चलाती है। इस विषय में फातिमा ने बताया-“साइकिल चलाने में एक खास तरह की आज़ादी हैं। हमें किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। मैं कभी इसे नहीं छोड़ेगी।” इस प्रकार की बातों से स्पष्ट होता है कि पुडुकोट्टई की स्त्रियों में साइकिल के प्रति कितना गहरा प्रेम है और समाज के प्रति कितना रोष।
पुडुकोट्टई जिले में साइकिल की पूरी तरह से धूम मची हुई है अर्थात् जिले में चारो तरफ साइकिल की ही चर्चा हो रही है। अब हर क्षेत्र एवं व्यवसाय से जुड़ी महिलाएँ इसका खूब प्रयोग कर रही हैं; फिर चाहे वे खदानों, स्कूलों, होटलों, आँगनबाड़ी आदि क्षेत्रों में ही क्यों न काम कर रही हों। दोपहर का खाना पहुँचाने वाली औरतें इसका भरपूर प्रयोग कर रही हैं। इसी संदर्भ में साइकिल आंदोलन की एक नेता का कहना है-“मुख्य बात यह है कि इस आंदोलन ने महिलाओं को बहुत आत्मविश्वास प्रदान किया। महत्त्वपूर्ण यह है कि इसने पुरुषों पर उनकी निर्भरता कम कर दी है।” अब साइकिल एक संपूर्ण सवारी बन चुकी है। सड़क पर माँ, उसका बच्चा और पीछे ढेर-सा सामान लादे हुए साइकिल चलाती महिला का दृश्य देखा जा सकता है।