Short Summary
The two great men exchange thoughts on what it means to live life in a wheelchair, and on how the so-called ‘normal’ people react to the disabled. This is the story of a travelogue, both of them ‘disabled’, or ‘differently-abled’ as we now say.
Stephen Hawking is one of the greatest scientists of our time. He suffers from a form of paralysis that confines him to a wheelchair and allows him to ‘speak’ only by punching buttons on a computer, which speaks for him in a machine-like voice.
Firdaus Kanga is a writer and journalist who lives and works in Mumbai. Kanga was born with “brittle bones’ that tended to break easily when he was a child. Like Hawking, Kanga moves around in a wheelchair
A Visit to Cambridge Summary in English
This chapter is an experience of the author in England. Cambridge University always had a great appeal for him. But, after an interview with Stephen Hawking, it became more appealing to him. During a walking tour there he met Stephen Hawking. Stephen William Hawking was an astrophysicist and was a disabled person. He was the successor of Isaac Newton’s chair in the Physics Department at Cambridge University. He was the author of the book, ‘A Brief History of Time’, the biggest best-seller of his times.
After the walking tour was over, he called at Steven Hawking’s house. His assistant answered the call. The author told him that he has come all the way from India and that he was in a wheelchair. He also indicated that he wished to write a book based on his travels in England and also his desire to meet Stephen Hawking. The assistant fixed the time from 3:30 to 4 for the meeting. The author was surprised to see that a machine was supporting his body. However, he composed himself to ask questions.
On being asked about his courage, Hawking replied that he had no other option than to be brave and accept his situation. He said that he was amused to see that people patronize him. When the author asked him that did he feels annoyed when people like him disturb him. He replied yes with a smile. During the interview, Hawking appears to be the most beautiful man in the world to the author.
The author also questioned him that is it that due to the disability, Hawking is not able to see humility and kindness in the world. Hawking agreed to this with the author. The interview came to the end with a piece of advice for the disabled or handicapped people. He said that they need to focus on the good in them and not their disability. They should not become over-enthusiastic and should do only in which they are good. After this, Hawking went into his garden. The author felt that his journey is inspiring as well as successful.
Moral of A Visit to Cambridge
The physical handicap cannot be our limitation to achieve something great. It’s the ability of the mind that is more important. Thus, we shall focus on that.
A Visit to Cambridge Summary in Hindi
यह पाठ दो विकलांग व्यक्तियों के मिलने का विवरण देता है। दोनों ही अपने-अपने क्षेत्र में असाधारण थे। स्टीफेन हाकिंग एक महान वैज्ञानिक हैं यद्यपि वह पक्षाघात से प्रभावित हैं। वह अपनी पहियों वाली गाड़ी में ही आ-जा पाते हैं। वह एक कम्प्यूटर की मदद से ही अपनी बात कह सकते हैं। फिरदौस कंग मुम्बई स्थित लेखक और पत्रकार हैं। वह जन्म से ही कमजोर तथा भंगुर हडिड्यों वाले हैं। वह भी व्हील कुर्सी पर चल-फिर पाते है। उनकी हाकिंग से भेंट इंग्लैण्ड में होती है। ये दो महान हस्तियाँ विचार विमर्श करते हैं कि सामान्य लोगों का विकलांगों के प्रति क्या दृष्टिकोण होता है।
फिरदोस कैम्ब्रिज होते हुए इंग्लैण्ड का सैर करने गये थे। उनके गाइड ने उन्हें स्टीफन हाकिंग के बारे में बताया जो विश्वविद्यालय में न्यूटन की जगह पर काम कर रहे थे। परन्तु, हाकिंग विक्लांग व्यक्ति थे। उन्होंने ‘समय का इतिहास’ नामक पुस्तक लिखी थी जो सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तकों में एक थी।
फिरदोस ने हाकिंग को फोन करके बताया कि वह भारत से आएं हैं और उनसे मिलना चाहते हैं एवं इंग्लैण्ड यात्रा पर पुस्तक लिखना चाहते हैं। हाकिंग ने उन्हें आधा घंटे का समय वार्तालाप के लिये दिया। उस जैसे व्हील चेहर पर बैठे व्यक्ति से मिलने के विचार से फिरदोस का हौसला बढ़ गया। दोनों ही असहाय थे। उनके शरीर का दिनोंदिन क्षय हो रहा था। हाकिंग के हाथ में एक छोटा-सा स्विच था। वह अपनी अंगुली चलाकर कम्प्यूटर पर उपयुक्त शब्द खोज लेते थे। अक्सर ही वह थक जाते थे। पर उनका मस्तिष्क प्रतिभावान तथा विचारों से भरपूर था।
फिरदोस ने कहा कि लोग अक्सर यह सोचते हैं कि विकलांग व्यक्ति दुखी रहते हैं। हाकिंग ने इसे हास्यास्पद धारणा कहा। उन्होंने स्वीकार किया कि उनसे मिलने जब कोई दूसरा विकलांग आता है तथा उनके काम में विघ्न डालता है, तो यह उन्हें नागवार लगता है। उनके लिये शरीर तो एक डब्बा है जिसमें उनका तेज दिमाग तथा आत्मा बसती है। विकलांग होने में उन्हें कोई अच्छी बात नहीं लगती थी।
इस वैज्ञानिक की ऐसी खराब स्थिति देखकर फिरदोस को बहुत राहत मिली यद्यपि वह स्वयं भी न चल सकता था, न खड़ा हो सकता था। होकिंग को विकलांगों की खेल प्रतियोगिता का विचार भी पसंद नहीं आया। विकलांगों को उनकी यही सलाह थी कि अपने उस काम पर ध्यान दो जिसमें तुम कुशल हो।
हाकिंग ने फिरदोस को आधा घंटे के बजाय एक घंटे तक रोके रखा। उन्हें चाय पिलायी तथा अपना बगीचा दिखाया। अपनी स्वचलित तिपहिया कुर्सी पर बैठ कर वह घूमें। एक घंटा बीत गया। फिरदौस उनसे विदा लेने उठ खड़े हुए। वह हाकिंग को न तो चूम सकते थे, न ही अपना दुख व्यक्त कर सकते थे। पर उन्हें यह विश्वास हो गया था कि वह पक्षाघातग्रस्त व्यक्ति वीरता का प्रतीक है।
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