सार
‘लाख की चूड़ियाँ’ कहानी को लिखा है कामतानाथ जी ने, जिसमें लेखक ने मशीनों द्वारा छिनते कारीगरों रोजगार को तो दर्शाया ही हैं साथ ही एक कुशल कारीगर के स्वाभिमान को भी दिखाया है|
लेखक बचपन में गर्मियों की छुट्टियों में अपने ननिहाल अपने मामा के पास जाया करते थे और एक-डेढ़ महीना रहकर आते थे। वहाँ पर उसे बदलू नाम का व्यक्ति सबसे अच्छा लगता था चूँकि वह लेखक को लाख की गोलियाँ देता था। वह पेशे से मनिहार यानी चूड़ियाँ बनाने वाला था। वह लाख की सुन्दर-सुन्दर चूड़ियाँ बनाया करता था। बदलू का मकान गाँव में कुछ ऊँचाई पर था, जिसके सामने नीम का पेड़ था। उसी की बगल में बनी भट्ठी पर बदलू लाख पिघलाया करता था। लाख को मुंगेरिओ पर चढ़ाकर वह उन्हें चूडिय़ों का आकार देता था|
लेखक अन्य बच्चों की तरह उसे बदलू काका कहते थे| आसपास की औरतें भी चूड़ियाँ बदलू काका से ही ले जाती थीं। हालांकि वह चूड़ियों के बदले पैसे ना लेकर अनाज लिया करता था| परन्तु शादी-ब्याह के मौकों पर वह चूड़ियों का मुँह माँगा दाम लेता था। वह स्वभाव से बहुत सीधा सादा था।
बदलू को काँच की चूडिय़ों से बहुत चिढ़ थी। वह किसी महिला की कलाई पर काँच की चूडिय़ाँ देखकर गुस्सा हो जाता था। वह बचपन में लेखक से उसकी पढ़ाई के बारे में पूछता। लेखक उसे बताता कि शहर में सभी औरतें काँच की चूडिय़ाँ पहनती हैं। वह लेखक को रंग-बिरंगी लाख की गोलियों के अलावा गाय के दूध की मलाई तथा आम की फसल के समय खाने को आम दिया करता था।
पिता की बदली दूर शहर में होने के कारण लेखक आठ-दस वर्षों तक गाँव न जा सका| वह लगभग आठ दस साल के बाद गाँव गया। अब बड़ा होने पर उसे इसमें कोई रुचि नहीं थी। लेखक ने देखा कि गाँव की सभी स्त्रियाँ अब काँच की चूड़ियाँ पहनने लगी थीं।
एक दिन उसके मामा की लड़की फिसलकर गिर गई और काँच की चूडिय़ों के चुभने से उसकी कलाई में घाव हो गया, जिसकी पटटी लेखक को कराने जाना पड़ा। इस घटना से लेखक को बदलू का ध्यान आ गया। वह बदलू से मिलने उसके घर गया। आज भी वह उसी नीम के पेड़ के नीचे चारपाई बिछा लेटा था। बदलू काका का शरीर बुढा हो चुका था उसे खाँसी भी थीं। बदलू ने लेखक को पहचाना नहीं। तब लेखक ने उसे अपना परिचय दिया जिससे लेखक ने उसे पहचाना|
बदलू की लाख की चूड़ियों का काम बर्बाद हो गया था। उसकी गाय भी बिक चुकी थी| बदलू काका ने लेखक को बताया कि आजकल सभी काम मशीन से होते हैं। मशीनी काँच की चूड़ियाँ लाख की चूड़ियों से अधिक सुन्दर होती हैं।
इसी बीच बदलू की बेटी, रज्जो डलिया में आम ले आई। लेखक की दृष्टि रज्जो की कलाई पर सुंदर लग रही लाख की चूडिय़ों पर गई। यह देख बदलू ने लेखक को बताया यही उसके द्वारा बनाया गया आखिरी जोड़ा है, जिसे उसने जमींदार की लड़की के विवाह के लिए बनाया था। जमींदार इस जोड़े के दस आने दे रहा था। इस दाम पर बदलू ने उसे चूडिय़ों का जोड़ा नहीं दिया और शहर से लाने को कह दिया। बदलू की इस बात में लेखक ने उसका स्वाभिमान देखा|
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