NCERT Solutions For Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 3 – सिंधु घाटी सभ्यता
पाठ संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. सिंधु घाटी सभ्यता के चिह्न कहाँ-कहाँ विद्यमान हैं?
उत्तर- सिंधु घाटी सभ्यता के चिह्न सिंधु में मोहनजोदड़ो तथा पश्चिमी पंजाब में हड़प्पा में विद्यमान हैं।
प्रश्न 2. पठित पाठ में सिंधु घाटी सभ्यता की कौन-कौन सी विशेषताएँ बताई गई हैं?
उत्तर- सिंधु घाटी की सभ्यता की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई गई हैं-
(1) सिंधु घाटी की सभ्यता भारत की प्राचीन सभ्यता है।
(2) यह सभ्यता धर्मनिरपेक्ष सभ्यता थी।
(3) सिंधु घाटी के व्यापारी लोग धनी थे।
(4) सिंधु घाटी सभ्यता फ़ारस, मैसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यताओं से बेहतर थी।
(5) इस सभ्यता के नगर अत्यंत सुनियोजित थे।
प्रश्न 3. ‘सिंधु घाटी’ की सभ्यता में उन्नत तकनीकी भी थी-पठित पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए।
उत्तर- सिंधु घाटी की खुदाई से जिन हमामों एवं नालियों की जानकारी प्राप्त हुई है, वे नाली तंत्र आज भी उपयोगी सिद्ध होते हैं। ये तथ्य यह सिद्ध करते हैं कि सिंधु घाटी सभ्यता में उन्नत तकनीकी भी थी।
प्रश्न 4. सिंधु घाटी’ की सभ्यता का अंत कैसे हुआ होगा? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर- सिंधु नदी में बहुत भयंकर बातें आती थीं जो अपने साथ गाँव-के-गाँव बहा ले जाती थीं। सिंधु घाटी भी इस नदी के । प्रकोप का शिकार बनी होगी।
प्रश्न 5. आर्य कौन थे और वे कहाँ से आए थे?
उत्तर- आर्य कौन थे और वे कहाँ से आए थे? इस प्रश्न का उत्तर ठोस रूप में उपलब्ध नहीं है। इस बारे में विद्वानों ने केवल अनुमान ही लगाए हैं। कुछ विद्वान मानते हैं कि वे दक्षिण भारत से आए थे, क्योंकि आर्यों एवं दक्षिण भारत की द्रविड़ जातियों के बीच कुछ समानताएँ पाई जाती हैं। यह भी कहा जा सकता है कि ये मोहनजोदड़ो से कई हज़ार वर्ष पूर्व आए होंगे। पश्चिमोत्तर दिशा से भी भारत में कई कबीले और जातियाँ आती रहीं और यहाँ समाती गईं। अतः स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता कि आर्य कौन थे और कहाँ से आए थे? यही माना जाता है कि वे भारत की ही संतान थे।
प्रश्न 6. भारतीय संस्कृति का सबसे पुराना इतिहास कौन-सा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- भारतीय संस्कृति का सबसे पुराना इतिहास ‘वेद’ है। भारतीय विद्वान इसे अति प्राचीन मानते हैं, जबकि यूरोप के विद्वान इसे बहुत बाद का इतिहास मानते हैं। बहुत-से यूरोपीय विद्वानों का मत है कि वेदों का काल ईसा पूर्व 1500 है। किंतु मोहनजोदड़ो की खुदाई के बाद से इन प्रारंभिक भारतीय धार्मिक ग्रंथों को अधिक पुराना माना जाने लगा है। मैक्समूलर ने वेदों को ‘आर्य-मानव के द्वारा कहा गया पहला शब्द’ कहा है।
प्रश्न 7. वेदों और अवेस्ता में क्या समानता है?
उत्तर- वेदों की रचना भारत की भूमि पर हुई, जबकि अवेस्ता की रचना ईरान में हुई। ‘वेदों’ और ‘अवेस्ता’ की भाषा में अद्भुत समानता है। भारत की भूमि पर प्रवेश करने से पहले आर्य अपने साथ उसी कुल के विचारों को लेकर आए थे, जिससे अवेस्ता की रचना हुई थी। ‘वेद’ भारत के अपने महाकाव्यों की संस्कृति की अपेक्षा अवेस्ता के अधिक निकट प्रतीत होते हैं।
प्रश्न 8. ‘वेद’ शब्द का अर्थ बताकर उनकी प्रमुख विशेषताएँ भी बताइए।
उत्तर- ‘वेद’ शब्द की व्युत्पत्ति ‘विद्’ धातु से मानी जाती है, जिसका अर्थ है-जानना। वेद का सामान्य अर्थ है-ज्ञान का संग्रह। . वेदों की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं
(1) वेदों में मूर्ति-पूजा या किसी देव-मंदिर की आराधना का वर्णन नहीं है।
(2) वेदों में आत्मा की अपेक्षा जीवन पर बल दिया गया है।
(3) वेदों में मृत्यु के पश्चात् किसी प्रकार के अस्तित्व का स्पष्ट संकेत या विश्वास नहीं है।
(4) वेदों में प्रकृति के सौंदर्य और रहस्य का वर्णन उपलब्ध है।
(5) वेदों में काव्य-संग्रह है।
(6) वेद मनुष्य के उन साहसिक कार्यों का संग्रह हैं जो प्राचीनकाल में किए गए थे।
प्रश्न 9. भारतीयों के परलोक-परायणता पर नेहरू जी ने क्या कहा था?
उत्तर- नेहरू जी ने परलोक-परायणता में विश्वास रखने वाले लोगों के विषय में कहा था कि किसी देश में गरीब एवं अभागे लोग परलोक में विश्वास करने लगते हैं जब तक वे क्रांतिकारी नहीं हो जाते। यही बात गुलाम देश के लोगों पर लागू होती है। यही हाल भारतीय जनता का भी था।
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प्रश्न 10. भारत में जाति-व्यवस्था के क्या दुष्परिणाम सामने आए?
उत्तर- भारत में जाति-व्यवस्था का आरंभ समाज को सुदृढ़ करने के लिए किया गया था। किंतु आगे चलकर जाति-व्यवस्था ने गलत रूप धारण कर लिया। समाज में जातिगत भेदभाव बढ़ गए। इससे समाज की एकता को भारी हानि पहुँची। समाज कई वर्गों में बँट गया जिससे समाज का सही विकास नहीं हो सका।
प्रश्न 11. उपनिषदों की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- (1) उपनिषद् वेदों के बाद की रचनाएँ हैं। इनका समय ईसा पूर्व 800 के आस-पास का बताया जाता है।
(2) उपनिषदों में जाँच-पड़ताल की चेतना और सत्य की खोज पर बल दिया गया है।
(3) उपनिषदों में विचार के लिए वैज्ञानिक पद्धति अपनाई गई है।
(4) उपनिषदों में आत्मबोध पर बल दिया गया है।
(5) इनमें जादू-टोने एवं पाठ-पूजा को व्यर्थ कहा गया है।
(6) इनका सामान्य झुकाव अद्वैतवाद की ओर है।
(7) इनमें सामंजस्य के मार्ग को अपनाया गया है, ताकि समाज में व्याप्त मतभेदों को दूर किया जा सके।
प्रश्न 12. उपनिषदों की प्रार्थना किस हेतु की गई है?
उत्तर- उपनिषदों में प्रार्थना का प्रमुख लक्ष्य मानव-जीवन की बेहतरी है। उनकी प्रार्थना में कहा गया है कि हे ईश्वर! मुझे असत् से सत् अर्थात् अज्ञान से ज्ञान की ओर ले चल। अंधकार से मुझे प्रकाश की ओर ले चल। मृत्यु से मुझे अमरत्व की ओर ले चल। अतः स्पष्ट है कि उपनिषदों की प्रार्थना में निराकार ईश्वर को संबोधित किया गया है कि मनुष्य को जीवन के सही मार्ग पर ले चल।
प्रश्न 13. उपनिषदों में अभिव्यक्त व्यक्तिवादी दर्शन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- व्यक्तिवाद का अभिप्राय है कि व्यक्ति को केंद्र में रखकर किया गया विचार। उपनिषदों में इस बात पर बल दिया गया है कि मनुष्य द्वारा हर क्षेत्र में उन्नति करने के लिए उसका शरीर स्वस्थ हो, मन स्वच्छ हो, तन और मन दोनों अनुशासन में हों। किसी प्रकार का ज्ञान प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है कि मनुष्य में संयम, आत्मपीड़न और आत्मत्याग की भावना हो।
प्रश्न 14. भारतीय आर्यों पर व्यक्तिवाद का क्या प्रभाव पड़ा? .
उत्तर- भारतीय आर्यों पर व्यक्तिवाद का यह प्रभाव पड़ा कि लोग आत्मकेंद्रित हो गए। वे अपने ही बारे में सोचने लगे थे। उन्हें समाज की कोई चिंता नहीं थी। उन्होंने समाज के प्रति अपने कर्त्तव्य का पालन ही नहीं किया। अलगाववाद और ऊँच-नीच की भावना पर बल दिया जाता रहा। जाति-व्यवस्था को बढ़ावा देने के कारण लोगों में जड़ता का विकास हुआ और रचनात्मक शक्ति कमज़ोर पड़ गई।
प्रश्न 15. भौतिकवादी विचारधारा पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- भौतिकवादी विचारधारा एक ऐसी विचारधारा है, जिसमें कर्म पर विश्वास किया जाता है। वे परमात्मा के अस्तित्व में विश्वास नहीं रखते। उनके अनुसार वास्तविक अस्तित्व तो विभिन्न रूपों में विद्यमान पदार्थों और इस दृश्यमान संसार का है। इसके अतिरिक्त न कोई स्वर्ग है, न नरक और न ही शरीर से अलग आत्मा। इस विचारधारा में जादू-टोनों, अंधविश्वास, धर्म और यहाँ तक कि ब्रह्मविज्ञान का भी विरोध किया गया है। इसके अनुसार मनुष्य को बंधन-रहित व्यावहारिक जीवन जीना चाहिए।
प्रश्न 16. कौटिल्य का अर्थशास्त्र कब लिखा गया था और उसमें किन विषयों का वर्णन किया गया है?
उत्तर- कौटिल्य का अर्थशास्त्र ई०पू० चौथी शताब्दी में लिखा गया था। इस ग्रंथ में उस समय की राजनीतिक, आर्थिक व्यवस्था तथा भौतिकवादी दर्शन के सिद्धांतों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है।
प्रश्न 17. भारत के प्राचीन प्रमुख दो महाकाव्य कौन-से हैं?
उत्तर- भारत के प्राचीन प्रमुख काव्य हैं(क) रामायण, (ख) महाभारत।
प्रश्न 18. ‘रामायण’ एवं ‘महाभारत’ दोनों महाकाव्यों का क्या महत्त्व है?
उत्तर- ‘रामायण’ एवं ‘महाभारत’ दोनों महाकाव्यों में भारतीय आर्यों के आरंभ के समय का वर्णन है। इसके अतिरिक्त प्राचीन युग में रचे जाने के बावजूद भारतीयों के जीवन पर आज भी इन महाकाव्यों का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। आज के जीवन में भी ये मार्गदर्शक बने हुए हैं। इन्हीं कारणों से इन दोनों महाकाव्यों का अत्यधिक महत्त्व है।
प्रश्न 19. पुराकथाओं एवं प्रचलित कहानियों की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर- भारतीय पुराकथाएँ महाकाव्यों तक सीमित नहीं हैं। इनका इतिहास वैदिक काल तक जाता है। ये संस्कृत साहित्य में भी विभिन्न रूपों में प्रकट हुई हैं। ये कथाएँ वीरगाथात्मक हैं। इन कथाओं में सत्य का पालन करने और अपने प्रण को पूरा करने का उपदेश दिया गया है। इन कथाओं की अन्य प्रमुख विशेषता-जीवन-पर्यंत और मरणोपरांत भी वफ़ादारी, साहस और लोक-हित के लिए सदाचार और बलिदान की शिक्षा देना है। इन पुराकथाओं में कल्पना और तथ्यों का सुंदर मिश्रण हुआ है। ये कथाएँ दैनिक जीवन को एकरसता और कुरूपता से खींचकर उच्चतर क्षेत्रों तक ले जाती हैं।
प्रश्न 20. प्राचीन भारतीय इतिहास की ठीक-ठीक जानकारी प्राप्त क्यों नहीं हो पाती? इसकी जानकारी के लिए किन साधनों का सहारा लिया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- भारतीय इतिहासकार चीनियों, यूनानियों एवं अरब देशों के इतिहासकारों की भाँति नहीं थे। इन देशों के इतिहासकारों ने घटनाओं को कालक्रमानुसार एवं विभिन्न तिथियों के संदर्भ में वर्णन किया है, जबकि भारतीय इतिहासकारों ने कालक्रम एवं तिथियों के संदर्भ में घटनाओं का वर्णन नहीं किया। इसलिए प्राचीनकाल के इतिहास की सही-सही जानकारी नहीं मिलती। आज तिथियों को सुनिश्चित करना अत्यंत कठिन कार्य है। इनकी स्पष्टता के लिए इतिहास के समकालीन अभिलेखों, शिलालेखों, कलाकृतियों, इमारतों के अवशेषों, सिक्कों, संस्कृत साहित्य एवं विदेशी यात्रियों के सफ़रनामों आदि साधनों का सहारा लेना पड़ता है।
प्रश्न 21. प्राचीन भारत का पहला इतिहास ग्रंथ किसने, कौन-सा और कब लिखा था?
उत्तर- प्राचीन भारत का पहला इतिहास ग्रंथ कल्हण द्वारा लिखा गया, जिसका नाम ‘राजतरंगिनी’ है। इसकी रचना ईसा की . बारहवीं शताब्दी में की गई थी।
प्रश्न 22. भारत के प्राचीन महाकाव्य महाभारत के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- महाभारत विश्व की प्रमुख रचनाओं में से एक है। यह भारतीय परंपराओं, दंतकथाओं तथा प्राचीन भारत की राजनीतिक तथा सामाजिक संस्थाओं का विश्वकोश माना जाता है। इसमें विरोधी विचारों एवं परंपराओं का अद्भुत मिश्रण है। यद्यपि आर्यों में स्त्रियों के अनेक विवाह की परंपरा नहीं थी तथापि महाभारत में एक नारी के पाँच पतियों को दिखाया गया है। महाभारत में नई परिस्थितियों के अनुसार वैदिक धर्म का संशोधन किया गया। इसके परिणामस्वरूप ही हिंदू धर्म का आरंभ हुआ। महाभारत में समाज की मूलभूत एकता पर बल दिया गया है। महाभारत का युद्ध एकाधिकार स्थापित करने की लड़ाई थी, जिससे एक अखंड भारत की अवधारणा का आरंभ हो सका। महाभारत का एक अंश भगवद्गीता भी है, जिसमें दर्शन के साथ-साथ शासन कला तथा नैतिक सिद्धांतों का भी विवेचन हुआ है। महाभारत में स्पष्ट किया गया है कि धर्म की मज़बूत नींव के बिना सच्चा सुख प्राप्त नहीं हो सकता तथा न ही समाज में एकता की स्थापना की जा सकती है। धर्म का रूप बदलता रहता है। अहिंसा और अच्छे उद्देश्य के लिए किए गए संघर्ष का प्रत्यक्ष रूप में विरोध नहीं किया गया। इस प्रकार महाभारत एक विशद् महाकाव्य है, जिसमें . अनेक विषयों का विस्तृत उल्लेख किया गया है।
प्रश्न 23. महाभारत से प्राप्त प्रमुख शिक्षाओं का सार रूप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर- महाभारत एक महान महाकाव्य है, जिसमें जीवन से संबंधित अनेक शिक्षाएँ हैं। उनमें से प्रमुख शिक्षाएँ निम्नलिखित हैं
(1) दूसरों के साथ ऐसा व्यवहार न करें, जिसे हम स्वयं के लिए स्वीकार नहीं करते।
(2)जो कार्य लोक -हित में नहीं है या जिसे करते हुए लज्जा अनुभव हो, उसे कभी न करें।
(3) असंतोष ही प्रगति का प्रेरक है।
(4) सच्चे सुख या आनंद की अनुभूति दुख या कष्ट के बाद ही होती है।
(5) सत्य, आत्म-संयम, अहिंसा, उदारता, धर्म का पालन आदि जीवन में सफलता के मार्ग हैं।
(6) जाति या कुल के बड़ा होने से कोई बड़ा नहीं होता, बल्कि व्यक्ति अपने कर्म से बड़ा होता है।
(7) धन का लालच नहीं करना चाहिए, रेशम का कीड़ा अपने धन के कारण ही मरता है।
प्रश्न 24. ‘भगवद्गीता’ किस ग्रंथ का अंश है और उसकी प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर- ‘भगवद्गीता’ महाभारत का महत्त्वपूर्ण अंश है। इसमें सात सौ श्लोक हैं। यह ग्रंथ भी अपने-आप में पूरा है। यह काव्य रूप में है। भगवद्गीता को हर धर्म एवं संप्रदाय आदर की दृष्टि से देखता है तथा अपने ढंग से इसकी व्याख्या करता है। यह एक ऐसी रचना है जो संकटकाल में मानव का मार्गदर्शन करती है। गीता में धर्म की रक्षा के लिए युद्ध को उचित बताया गया है। जब भी धर्म की हानि होती है तो उसे दूर करने के लिए संघर्ष जरूरी होता है। संपूर्ण भगवद्गीता अर्जुन और श्रीकृष्ण के बीच होने वाले संवाद के रूप में है। इसमें व्यक्ति के कर्त्तव्य, सामाजिक आचरण एवं मानव-जीवन में सदाचार के महत्त्व को दर्शाया गया है। साथ ही भक्ति पर भी बल दिया गया है। गीता में शरीर को नश्वर और आत्मा को अमर बताया गया है।
प्रश्न 25. जातक-कथाओं का उल्लेख कीजिए। ..
उत्तर- जातक-कथाएँ महात्मा बुद्ध के युग से पहले के युग का वर्णन करने वाली कथाएँ हैं। ये कथाएँ उस काल की कथाएँ हैं, जब द्रविड़ और आर्य जातियों का परस्पर मेल हो रहा था। जातक-कथाएँ पुरोहित अथवा ब्राह्मण परंपरा तथा क्षत्रिय या शासक परंपरा के विरोध में लोक-परंपरा का प्रतिनिधित्व करती हैं।
प्रश्न 26. ‘प्राचीन भारत में जीवन और कर्म’ उपशीर्षक में लेखक ने किस विषय का उल्लेख किया है?
उत्तर- लेखक ने ‘प्राचीन भारत में जीवन और कर्म’ उपशीर्षक के अंतर्गत बताया है कि पुरानी कथाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि भारत ने जब भी उन्नति की ओर बढ़ना आरंभ किया तो कोई भी क्षेत्र इससे अछूता न रहा। उसने जीवन के सभी पक्षों में भरपूर उन्नति की है। इसलिए प्राचीन भारत संसार का सर्वश्रेष्ठ देश माना जाता रहा है। भारत ने दस्तकारी उद्योगों, व्यापारी, समुद्री यातायात, विभिन्न लिपियों एवं लिखित स्वरूप, औषध-विज्ञान तथा शल्य-विज्ञान, शिक्षा आदि क्षेत्र में अपार प्रगति की।
प्रश्न 27. प्राचीन भारत के गाँवों के जीवन एवं दशा का वर्णन पठित पाठ के आधार पर कीजिए।
उत्तर- लेखक के अनुसार, प्राचीन भारत में गाँवों ने खूब उन्नति की थी। लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। पूरे उत्पादन का छठा भाग राजा को लगान के रूप में दिया जाता था। वहाँ की सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था गाँव के अनुकूल की जाती थी। सबसे उल्लेखनीय बात है कि ग्राम सभाएँ एक सीमा तक स्वतंत्र थीं। गाँवों को दस-दस या सौ-सौ के समूह में बाँटा जाता था। दस्तकारी उद्योगों के आधार पर गाँवों का विभाजन किया जाता था। यथा बढ़ई एक ही गाँव में या फिर लोहार एक ही गाँव में रहते थे। ये लोग संगठित या सामूहिक रूप से भी कार्य करते थे। पेशेवर लोगों के गाँव बड़े-बड़े नगरों के समीप ही बसे हुए थे।
प्रश्न 28. प्राचीन भारत में समुद्री यातायात पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- प्राचीन भारत में विदेशों से व्यापार समुद्र के मार्ग से ही किया जाता था। समुद्री यात्री रेगिस्तान को पार करके भड़ौच की पश्चिमी बंदरगाह, उत्तर में गांधार एवं मध्य एशिया तथा फ़ारस की खाड़ी तक जाते थे। नदियों के मार्ग से भी यातायात पूर्णतः विकसित था। बनारस, पटना, चंपा आदि से बेड़े समुद्र की ओर जाते थे। वहाँ से व्यापारी एवं अन्य लोग दक्षिणी बंदरगाहों, लंका और मलय टापू तक सौदागर यात्रा करते थे। इन यात्राओं के अनेक उदाहरण हैं।
प्रश्न 29. देवनागरी लिपि का विकास किस लिपि से माना गया है?
उत्तर- देवनागरी लिपि का विकास ब्राह्मी लिपि से माना जाता है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि देवनागरी लिपि की जननी ब्राह्मी लिपि है। ..
प्रश्न 30. पाणिनी कौन था? उसने किस प्रसिद्ध ग्रंथ की रचना किस भाषा में की थी?
उत्तर- पाणिनी संस्कृत का महान विद्वान था। उन्होंने संस्कृत भाषा के प्रसिद्ध व्याकरण ग्रंथ ‘अष्टाध्यायी’ की रचना की थी।
प्रश्न 31. धन्वंतरी किस विज्ञान के जनक माने जाते हैं?
उत्तर- धन्वंतरी भारतीय औषध-विज्ञान के जनक माने जाते हैं।
प्रश्न 32. चरक कौन था? उसकी पुस्तकें किस विषय में रचित हैं?
उत्तर-चरक राजा कनिष्क के दरबार में राजवैद्य थे जिनकी राजधानी पश्चिमोत्तर दिशा में थी। उनकी पाठ्य-पुस्तकों में बहुत-सी बीमारियों का वर्णन है तथा उनकी पहचान और उपाय (इलाज) के तरीके भी बताए गए हैं। इनमें शल्य-चिकित्सा, प्रसूति-विज्ञान, स्नान, पथ्य, सफ़ाई, बच्चों को खिलाने और चिकित्सा की जानकारी दी गई है।
प्रश्न 33. सुश्रुत कौन था? उनके द्वारा रचित पुस्तकों में किन-किन विषयों का उल्लेख किया गया है?
उत्तर- सुश्रुत महान शल्य-चिकित्सक था। उन्होंने चिकित्सा विज्ञान संबंधी पुस्तकों की रचना की। उनकी पुस्तकों में शल्य-क्रिया के औज़ारों के वर्णन के साथ-साथ ऑपरेशन, अंगों को काटना, पेट काटना, ऑपरेशन से बच्चे को जन्म देना, मोतियाबिंद का ऑपरेशन आदि विधियों का उल्लेख किया गया है। इनमें घावों के जीवाणुओं को धुआँ देकर मारने का उल्लेख भी किया गया है।
प्रश्न 34. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने वनों में स्थापित विश्वविद्यालयों के विषय में क्या कहा है?
उत्तर- प्राचीन भारत में अकसर वनों में विश्वविद्यालयों की स्थापना की जाती थी। इन विश्वविद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने हेतु दूर-दूर से लोग आते थे। यहाँ विद्यार्थियों को संयमित एवं ब्रह्मचर्य का जीवन बिताना होता था। यहाँ से प्रशिक्षण प्राप्त करके विद्यार्थी गृहस्थ जीवन बिताने के लिए लौट जाते थे। यहाँ सैनिक-प्रशिक्षण भी दिया जाता था। इन वन शिक्षालयों में अध्यापकों की · अहम भूमिका रहती थी।
प्रश्न 35. तक्षशिला विश्वविद्यालय के विषय में क्या बताया गया है?
उत्तर- तक्षशिला प्राचीन भारत का महान शिक्षा का केंद्र था। यह पुराने पंजाब में पेशावर के पास स्थित था। इसमें विशेष रूप से विज्ञान, चिकित्सा-शास्त्र और विभिन्न कलाओं की शिक्षा दी जाती थी। यहाँ विद्यार्थियों का बहुत सम्मान किया जाता था। महान वैयाकरण पाणिनी ने भी यहीं शिक्षा प्राप्त की थी। किंतु बौद्धकाल में यह बौद्ध-ज्ञान का केंद्र बन गया था। भारत और बाहर के बौद्ध विद्यार्थी यहाँ खिंचे चले आते थे।
प्रश्न 36. प्राचीनकाल के भारतीयों का जीवन कैसा था?
उत्तर- प्राचीनकाल के भारतीय उदार-हृदयीं, आत्मविश्वासी और अपनी परंपराओं पर गर्व करने वाले थे। वे प्रकृति में छुपे रहस्यों को जानने का प्रयास करने में लगे रहते थे। वे अपनी बनाई हुई मर्यादाओं और जीवन-मूल्यों का आदर करते थे। उनका जीवन सरल, सहज और आनंद से परिपूर्ण था। वे सदा कर्म में लीन रहते थे तथा मृत्यु का सामना करने में सक्षम थे।
प्रश्न 37. जैन धर्म, बौद्ध धर्म और वैदिक धर्म में क्या अंतर था?
उत्तर- जैन धर्म और बौद्ध धर्म दोनों वैदिक धर्म से अलग हुए धर्म थे। ये धर्म वेदों को प्रमाण-स्वरूप स्वीकार नहीं करते थे। जैन धर्म और बौद्ध धर्म दोनों ही अहिंसा पर बल देने वाले थे। दोनों ने ब्रह्मचारियों और भिक्षुओं एवं पुरोहितों के संघ बनाए हुए थे। दोनों धर्म यथार्थवादी थे। उनका दृष्टिकोण कुछ सीमा तक बुद्धिवादी था। जैन धर्म का एक मूलाधार सिद्धांत यह था कि सत्य हमारे दृष्टिकोण की सापेक्षता में होता है। जैन धर्म जीवन में तपस्या पर बल देता है। बौद्ध धर्म आध्यात्मिकवाद और अलौकिक चमत्कारों का वर्णन करता था। जैन धर्म जाति-व्यवस्था के प्रति सहिष्ण था, जबकि बौद्ध धर्म जाति-व्यवस्था का खंडन करता था।
प्रश्न 38. महात्मा बुद्ध की प्रमुख शिक्षाओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- महात्मा बुद्ध की प्रमुख शिक्षाएँ निम्नलिखित हैं
(1) महात्मा बुद्ध ने अंधविश्वास और कर्मकांड का खंडन किया था।
(2) उन्होंने अपने शिष्यों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए कहा था।
(3) उनका विश्वास कल्पना की अपेक्षा अनुभव और विवेक पर आधारित था।
(4) उन्होंने जाति-व्यवस्था को स्वीकार नहीं किया था।
(5) वे घृणा को प्रेम से, क्रोध को दया से और शत्रुता को क्षमा से समाप्त करना चाहते थे।
(6) उन्होंने मन के भीतर के सत्य को खोजने पर बल दिया।
(7) उनकी शिक्षाओं में वेदना और दुख का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
(8) उन्होंने साधना के लिए मध्य मार्ग अपनाया था।
प्रश्न 39. चाणक्य कौन था? उसका दूसरा नाम क्या था?
उत्तर- चाणक्य मूल रूप से मगध का रहने वाला था। उसे वहाँ के तत्कालीन सम्राट ने अपने राज्य से निकाल दिया था। वह चंद्रगुप्त मौर्य का मित्र एवं मंत्री था। उसका दूसरा नाम कौटिल्य था।
प्रश्न 40. कौटिल्य के अर्थशास्त्र में किन-किन विषयों का वर्णन किया गया है? सार रूप में लिखिए।
उत्तर- कौटिल्य का अर्थशास्त्र उस समय का महान ग्रंथ है। इस ग्रंथ में शासन के सिद्धांत, व्यवहार, चंद्रगुप्त की सेना, व्यापार और वाणिज्य, कानून और न्यायालय, नगर-व्यवस्था, लगान, विवाह और तलाक, स्त्रियों के अधिकार, कर, विभिन्न उद्योग-धंधे, जहाज़ और जहाज़रानी, निगमें, जन-गणना, जेल, विधवा-विवाह आदि का वर्णन हुआ है।
प्रश्न 41. कलिंग के युद्ध के पश्चात् सम्राट अशोक का मन क्यों बदल गया था?
उत्तर- कलिंग के युद्ध में सम्राट अशोक विजयी हुआ था। युद्ध में घोर कत्लेआम हुआ था। अनेक निर्दोष लोगों की मौत से , अशोक के मन में बहुत पछतावा हुआ। इस युद्ध से उनके मन में युद्ध के प्रति विरक्ति हो गई। उन्होंने कभी भी युद्ध न लड़ने की प्रतिज्ञा की। उन पर बुद्ध की शिक्षाओं का गहरा असर पड़ा। उन्होंने अपने मन में धारणा बना ली थी कि वे दया और कर्त्तव्य की भावना से ही लोगों के मन को जीतेंगे। इस प्रकार सम्राट अशोक का मन बदल गया था।
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