Class 11 NCERT Solutions for Hindi Antra provides you an idea of the language and helps you understand the subject better. We have explained NCERT Solutions for Class 11th Hindi Antra.
Class 11 Hindi Antra textbook has 19 chapters in which first 9 chapters are prose while other 10 are poems. These pieces are very useful in the development of language and communication skills of students
Table of Contents
ToggleNCERT Solutions for Class 11th -पाठ 8 - उसकी माँ -अंतरा भाग-1 हिंदी
प्रश्न-अभ्यास
उत्तर
लाल देशभक्त, क्रांतिकारी युवक था। वह अपने देश को ब्रिटिश सरकार की गुलामी से आज़ाद कराना चाहता था। इसलिए अंग्रेज़ी सरकार उसे राजद्रोही कह सकती है। उसने कभी सरकार के विरुद्ध षड्यंत्र नहीं किया था। क्रांतिकारी होने के कारण सरकार उस पर संदेह करती थी। उसके बढ़ते कदमों को रोकने के लिए अंग्रेज़ी सरकार ने उसे षड्यंत्र करके फंसा दिया था। अतः हम उसे षड्यंत्रकारी नहीं कह सकते हैं।
2. पूरी कहानी में जानकी न तो शासन-तंत्र के समर्थन में है न विरोध में, किंतु लेखक ने उसे केंद्र में ही नहीं रखा बल्कि कहानी का शीर्षक बना दिया। क्यों?
2. पूरी कहानी में जानकी न तो शासन-तंत्र के समर्थन में है न विरोध में, किंतु लेखक ने उसे केंद्र में ही नहीं रखा बल्कि कहानी का शीर्षक बना दिया। क्यों?
उत्तर
शीर्षक की सार्थकता के लिए यह जरूरी नहीं है कि कहानी उसके बारे में हो बल्कि उसके मूल भाव, उद्देश्य प्रमुख घटना अथवा प्रमुख पात्र से जुड़ा हुआ हो। स कहानी के क्रांतिकारी युवक लाल की माँ की ममता, सरलता, दृढ़ता, सेवा और त्याग का वर्णन है। कहानी की घटनाओं में माँ का बार-बार उल्लेख हुआ है। वह सिर्फ माँ है। माँ का संबंध शासन तंत्र और उसकी व्यवस्था से नहीं होता है। उसके लिए उसकी संतान महत्वपूर्ण होती है। वह सब का कल्याण चाहती है। लाल तथा उसके साथियों को फाँसी होते ही वह भी प्राण त्याग देती है।
3. चाचा जानकी तथा लाल के प्रति सहानुभूति तो रखता है किंतु वह डरता है। यह डर किस प्रकार का है और क्यों है?
3. चाचा जानकी तथा लाल के प्रति सहानुभूति तो रखता है किंतु वह डरता है। यह डर किस प्रकार का है और क्यों है?
उत्तर
लाल के चाचा एक ज़मींदार हैं। उन्हें ब्रिटिश सरकार से बहुत सहायता मिलती है। वह भी उनकी चापलूसी करते हैं। जब पुलिस सुपरिटेंडेंट उससे लाल के बारे में पूछताछ करने आता है तो जाते हुए उसे चेतावनी दे जाता है कि वह लाल और उसके परिवार से दूर ही रहे। इससे वह डर जाता है कि कहीं उसे भी ब्रिटिश सरकार के गुस्से का सामना न करना पड़े। इसी डर से वह चाहते हुए भी लाल तथा उसके परिवार की कोई सहायता नहीं कर पाता।
4. इस कहानी में दो तरह की मानसिकताओं का संघर्ष है, एक का प्रतिनिधित्व लाल करता है और दूसरे का उसका चाचा। आपकी नज़र में कौन सही है? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
4. इस कहानी में दो तरह की मानसिकताओं का संघर्ष है, एक का प्रतिनिधित्व लाल करता है और दूसरे का उसका चाचा। आपकी नज़र में कौन सही है? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
उत्तर
मेरी नज़र में लाल की सोच बिलकुल सही है। वह गुलामी की जंजीरों में जकड़े हुए अपने देश को आजाद कराना चाहता है। उसका मानना है कि जो व्यक्ति समाज या राष्ट्र के नाश पर जीता हो, उसका सर्वनाश हो जाना चाहिए। लाल के मन में देश के लिए प्रेम कूट-कूट भरा था| लाल के चाचा के कारण इस देश को आजादी नहीं मिली है बल्कि हज़ारों लाल के कुर्बान होने से आज हमारा देश आज़ाद हुआ है|
5. उन लड़कों ने कैसे सिद्ध किया कि जानकी सिर्फ़ माँ नहीं भारतमाता है? कहानी के आधार पर उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
5. उन लड़कों ने कैसे सिद्ध किया कि जानकी सिर्फ़ माँ नहीं भारतमाता है? कहानी के आधार पर उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर
वे लड़के जानकी के शारीरिक रूप तथा स्वभाव के आधार पर उसे भारतमाता कहते हैं। जानकी वृद्धा है। उसके बाल सफ़ेद है। लड़के उसके सफ़ेद बालों को हिमालय की संज्ञा देते हैं। जानकी के माथे पर पड़ते बल में उन्हें नदियों का भान होता है। ठोढ़ी के आकार को कन्याकुमारी और लहराते बालों को बर्मा कहते हैं।
जानकी का चरित्र-चित्रण:
(क) जानकी सीधी-साधी स्त्री है। उसे किसी बात से कोई मतलब नहीं है। बस उसे अपने बच्चों की चिंता है और वही उसके लिए सबकुछ हैं।(ख) जानकी वात्सल्य से युक्त है। उसका प्रेम मात्र अपने बेटे लाल के लिए नहीं है। उसके मित्रों को भी वह अपने बच्चों के समान वात्सल्य लुटाती है। बच्चों की मृत्य़ु का सामाचार पाकर स्वयं भी प्राण त्याग देती है।
(ग) जानकी त्यागमयी है। वह अपने बेटे तथा उसके मित्रों के भोजन-पानी की व्यवस्था के लिए अपनी सभी पूंजी प्रसन्नतापूर्वक खर्च देती है।
(घ) जानकी स्वाभिमानी स्त्री है। वह किसी से भी सहायता नहीं माँगती है। अपने बच्चों के लिए वह स्वयं प्रयास करती है। किसी से भी दया की अपेक्षा नहीं रखती है। वह सबकुछ बेच देती है लेकिन उफ नहीं करती है।
6. विद्रोही की माँ से संबंध रखकर कौन अपनी गरदन मुसीबत में डालता? इस कथन के आधार पर उस शासन-तंत्र और समाज-व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
उस समय देश ब्रिटिश सरकार का गुलाम था। शासन-तंत्र बहुत ही क्रूर तथा तानाशाही था। लोगों में उसका भय था। शासन के डर से क्रांतिकारियों की सहायता करने को मुसीबत को न्योता देने के समान माना जाता था| अदालत बिना उचित सुनवाई किए मनमाना दंड दे देती थी। समाज अपने लिए सोचता था। लोगों में एकता नहीं थी। सबको अपने से मतलब था। वे इतने भयभीत रहते थे कि चाहकर भी किसी स्वतंत्रता प्रेमी की सहायता नहीं करते थे।
7. चाचा ने लाल का पेंसिल-खचित नाम पुस्तक की छाती पर से क्यों मिटा डालना चाहा?
उत्तर
चाचा लाल का पेंसिल से पुस्तक के पहले पन्ने पर लिखा नाम इसलिए मिटा डालना चाहते थे क्योंकि उन्हें डर था की कहीं पुलिसवाले तलाशी लेने आएँ तो उन्हें यह किताब न मिल जाए। लाल ने देश के लिए स्वयं को अर्पित कर दिया था। उसकी बूढ़ी माँ बेसहारा थी। लाल के नाम से उसका संबंध भी लाल तथा अन्य क्रांतिकारियों के साथ जोड़कर उसे भी ब्रिटिश सरकार का विरोधी जानकर दंड मिल सकता है।
8. भारत माता की छवि या धारणा आपके मन में किस प्रकार की है?
उत्तर
भारत माता सिंह पर सवार हैं और कमल के पत्ते पर खड़ी हैं| उन्होंने सोने के आभूषण धारण कर रखे हैं जो बताता है की भारत सोने की चिड़िया है| उनके सिर पर मुकुट है और बाल लम्बे हैं| उन्होंने एक हाथ में तिरंगा पकड़े रखा है|
उत्तर
हमें बेटियों की पढ़ाई के लिए उचित व्यवस्था करनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से ना सिर्फ एक व्यक्ति बल्कि पूरा परिवार और समाज हो सकेगा| ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ इस दिशा में एक बहुत अच्छा कदम है| इसके द्वारा वे स्वावलंबी बन सकती हैं|
10. निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए –
10. निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) पुलिसवाले केवल.. धीरे-धीरे घुलाना-मिटाना है।
उत्तर
ब्रिटिश सरकार को पुलिस भारतीयों के अच्छे घर के बच्चों को मात्र संदेह के आधार पर दंड देती थी। इसलिए इस प्रकार की अत्याचारी शासन-प्रणाली को स्वीकार करना क्रांतिकारी देश-भक्त अपने धर्म, कर्म, आत्मा और परमात्मा के विरुद्ध मानकर उनका विरोध करते थे।
(ख) चाचा जी, नष्ट हो जाना “सहस्र भुजाओं की सखियाँ हैं।
उत्तर
लाल इस बात को स्वीकार करता है कि अंग्रेज़ों को शक्ति को तुलना में भारत को स्वतंत्र करानेवालों की शक्ति बहुत कम है पर वह देश को स्वतंत्र करवाने में जी जान से जुटा है| उसे विश्वास था कि जब कोई मनुष्य दृढ़ निश्चयपूर्वक किसी कार्य को संपन्न करने में जुट जाता है तो उसमें कार्य करने की अपार क्षमता आ जाती है। कर्म में लीन व्यक्ति को परमात्मा भी पूरी सहायता देते हैं। कर्मशील व्यक्ति को ऐसा प्रतीत होता है मानो वह अकेला नहीं है अपितु भगवान के सहस्रों के हाथ भी उसकी सहायता कर रहे हैं। भाव यह है कि शारीरिक दृष्टि से कमजोर व्यक्ति भी निष्ठा और लगन से कठिन से कठिन कार्य भी सफलतापूर्वक कर लेता है।
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