Class 11 NCERT Solutions for Hindi Antra provides you an idea of the language and helps you understand the subject better. We have explained NCERT Solutions for Class 11th Hindi Antra.
Class 11 Hindi Antra textbook has 19 chapters in which first 9 chapters are prose while other 10 are poems. These pieces are very useful in the development of language and communication skills of students
Table of Contents
ToggleNCERT Solutions for Class 11th - पाठ 11 - सूरदास -अंतरा भाग-2 हिंदी
प्रश्न-अभ्यास
उत्तर
कृष्ण और सुदामा के खेल-खेल में रूठने और फिर खुद मान जाने के स्वाभाविक प्रसंग का वर्णन किया गया है। श्रीकृष्ण खेल में हार गए थे और श्रीदामा जीत गए थे, पर श्रीकृष्ण अपनी हार मानने को तैयार नहीं थे। खेल रुक गया। श्रीकृष्ण अभी और खेलना चाहते थे, इसलिए उन्होंने नंद बाबा की दुहाई देते हुए अपनी हार मान ली।
2. खेल में रूठनेवाले साथी के साथ सब क्यों नहीं खेलना चाहते?
2. खेल में रूठनेवाले साथी के साथ सब क्यों नहीं खेलना चाहते?
उत्तर
खेल में रूठनेवाले साथी से सभी परेशान हो जाते हैं। खेल में सभी बराबर होते हैं। अतः जो हारता है, उसे दूसरों को बारी देनी होती है। जो अपनी बारी नहीं देता है और रूठा रहता है, उसे कोई पसंद नहीं करता है। सभी खेलना चाहते हैं। अतः ऐसे साथी से सभी दूर रहते हैं।
3. खेल में कृष्ण के रूठने पर उनके साथियों ने उन्हें डाँटते हुए क्या-क्या तर्क दिए?
उत्तर
खेल में कृष्ण के रूठने पर उनके साथियों ने डाँटते हुए ये तर्क दिए-
• तुम्हारी हार हुई है और तुम नाराज़ हो रहे हो। यह गलत है।
• तुम्हारी और हमारी जाति सबकी समान है। खेल में सभी समान होते हैं।
• तुम हमारे पालक नहीं हो। इसलिए तुम्हें हमें यह अकड़ नहीं दिखानी चाहिए।
• तुम यदि खेलते समय बेईमानी करोगे, तो कोई तुम्हारे साथ नहीं खेलेगा।
• तुम्हारी हार हुई है और तुम नाराज़ हो रहे हो। यह गलत है।
• तुम्हारी और हमारी जाति सबकी समान है। खेल में सभी समान होते हैं।
• तुम हमारे पालक नहीं हो। इसलिए तुम्हें हमें यह अकड़ नहीं दिखानी चाहिए।
• तुम यदि खेलते समय बेईमानी करोगे, तो कोई तुम्हारे साथ नहीं खेलेगा।
4. कृष्ण ने नंद बाबा की दुहाई देकर दाँव क्यों दिया?
उत्तर
कृष्ण ने नंद बाबी की दुहाई देकर यह निश्चित किया कि वह अपनी बारी देंगे और सबको हारकर ही रहेंगे। नंद उनके पिता है। इसलिए पिता का नाम लेकर वह झूठ नहीं बोलेंगे और सब उनकी बात मान जाएँगे। इसलिए उन्होंने नंद बाबा की दुहाई दी।
5. इस पद से बाल-मनोविज्ञान पर क्या प्रकाश पड़ता है?
उत्तर
इस पद से बाल-मनोविज्ञान पर प्रकाश पड़ता है कि बच्चे हमेशा जीतना चाहते हैं| उनके अनुसार हमेशा जीत जरूरी होती है| वे हर बात का सूक्ष्म अध्ययन करते हैं। वह ऊँच-नीच, बड़ा-छोटा, अच्छा-बुरा सब समझते है। हालांकि उनके बीच के मनमुटाव क्षणिक होते हैं| थोड़ी देर में वह फिर एक हो जाते हैं।
6. ‘गिरिधर नार नवावति’ से सखी का क्या आशय है?
6. ‘गिरिधर नार नवावति’ से सखी का क्या आशय है?
उत्तर
ऐसा कहकर गोपियाँ कृष्ण पर व्यंग्य कसती हैं। वे कहती हैं कि कृष्ण प्रेम के वशीभूत होकर एक साधारण बाँसुरी को बजाते समय अपनी गर्दन झुका देते हैं। चूँकि गोपियाँ चूंकि बाँसुरी से सौत के समान ईर्ष्या रखती हैं। इसलिए वे बाँसुरी को औरत के रूप में देखते हुए उन पर व्यंग्य कसती हैं। वे नहीं चाहती कि कृष्ण बाँसुरी को इस प्रकार अपने होटों से लगाए।
7. कृष्ण के अधरों की तुलना सेज से क्यों की गई है?
7. कृष्ण के अधरों की तुलना सेज से क्यों की गई है?
उत्तर
कृष्ण के अधरों की तुलना निम्नलिखित कारणों से की गई हैं।-
• कृष्ण के अधर सेज के समान कोमल हैं।
• जिस प्रकार सेज सोने के काम आती है, वैसे ही कृष्ण बाँसुरी को बजाने के लिए अपने अधर रूपी सेज में रखते हैं। ऐसा लगता है मानो बाँसुरी सो रही है।
8. पठित पदों के आधार पर सूरदास के काव्य की विशेषताएँ बताइए।
• कृष्ण के अधर सेज के समान कोमल हैं।
• जिस प्रकार सेज सोने के काम आती है, वैसे ही कृष्ण बाँसुरी को बजाने के लिए अपने अधर रूपी सेज में रखते हैं। ऐसा लगता है मानो बाँसुरी सो रही है।
8. पठित पदों के आधार पर सूरदास के काव्य की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर
सूरदास श्रीकृष्ण भक्त हैं जिन्होनें अपनी पदों में श्रीकृष्ण के प्रति अपनी अगाध भक्तिभावना को प्रकट किया है। उन्होंने पहले पद में बाल-लीलाओं का सुंदर चित्रण किया है। बालकों के बीच अक्सर होते मनमुटाव और फिर कुछ देर में सुलह का बड़ा ही मनोहारी चित्रण किया है| इससे पता लगता है की सूरदास बाल मनोविज्ञान को अच्छी तरह से समझते हैं| दूसरे पद में उन्होंने स्त्रियों की मनोदशा को बहुत अच्छी तरह से दिखाया है| किस तरह उनका कोमल हृदय अपने प्रिय से मिलने को तरसता है इसलिए वे बाँसुरी को भला-बुरा कहती हैं क्योंकि वह श्रीकृष्ण और उनके बीच की एक बाधा बन रही थी| वात्सल्य और श्रृंगार रसों का पूर्ण रूप से प्रयोग किया है| पदों में उत्प्रेक्षा, उपमा तथा अनुप्रास अलंकार का सुंदर चित्रण है। ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है। पदों में गेयता का गुण विद्यमान है।
9. निम्नलिखित पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
9. निम्नलिखित पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
(क) जाति-पाँति…”तुम्हारै गैयाँ।
उत्तर
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्ति सूरदास द्वारा लिखित ग्रंथ सूरसागर से ली गई हैं। इस पंक्ति में कृष्ण द्वारा बारी न दिए जाने पर ग्वाले कृष्ण को नाना प्रकार से समझाते हुए अपनी बारी देने के लिए विवश करते हैं।
व्याख्या- ‘कृष्ण’ गोपियों से हारने पर नाराज़ होकर बैठ जाते हैं। उनके मित्र उन्हें उदाहरण देकर समझाते हैं। वे कहते हैं कि तुम जाति-पाति में हमसे बड़े नहीं हो, तुम हमारा पालन-पोषण भी नहीं करते हो। अर्थात तुम हमारे समान ही हो। इसके अतिरिक्त यदि तुम्हारे पास हमसे अधिक गाएँ हैं और तुम इस अधिकार से हम पर अपनी चला रहे हो, तो यह उचित नहीं कहा जाएगा। अर्थात खेल में सभी समान होते हैं। जाति, धन आदि के कारण किसी को खेल में विशेष अधिकार नहीं मिलता है। खेलभावना को इन सब बातों से अलग रखकर खेलना चाहिए।
व्याख्या- ‘कृष्ण’ गोपियों से हारने पर नाराज़ होकर बैठ जाते हैं। उनके मित्र उन्हें उदाहरण देकर समझाते हैं। वे कहते हैं कि तुम जाति-पाति में हमसे बड़े नहीं हो, तुम हमारा पालन-पोषण भी नहीं करते हो। अर्थात तुम हमारे समान ही हो। इसके अतिरिक्त यदि तुम्हारे पास हमसे अधिक गाएँ हैं और तुम इस अधिकार से हम पर अपनी चला रहे हो, तो यह उचित नहीं कहा जाएगा। अर्थात खेल में सभी समान होते हैं। जाति, धन आदि के कारण किसी को खेल में विशेष अधिकार नहीं मिलता है। खेलभावना को इन सब बातों से अलग रखकर खेलना चाहिए।
(ख) सुनि री”.”नवावति।
उत्तर
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्ति सूरदास द्वारा लिखित ग्रंथ सूरसागर से ली गई हैं। इस पंक्ति में गोपियों की जलन का पता चलता है। वह कृष्ण द्वारा बजाई जाने वाली बाँसुरी से सौत की सी ईर्ष्या रखती हैं।
व्याख्या- एक गोपी अन्य गोपी से कहती है कि हे सखी! सुन यह बाँसुरी तो श्रीकृष्ण से अत्यंत अपमानजनक व्यवहार करती है, फिर भी वह उन्हें अच्छी लगती है। यह नंदलाल को अनेक भाँति से नचाती है। उन्हें एक ही पाँव पर खड़ा करके रखती है और अपना बहुत अधिक अधिकार जताती है। कृष्ण का शरीर कोमल है ही, वह उनसे अपनी आज्ञा का पालन करवाती है और इसी कारण से उनकी कमर टेढ़ी हो जाती है| यह बाँसुरी ऐसे कृष्ण को अपना कृतज्ञ बना देती है, जो स्वयं चतुर हैं। इसने गोर्वधन पर्वत उठाने वाले कृष्ण तक को अपने सम्मुख झुक जाने पर विवश कर दिया है। असल में बाँसुरी बजाते समय के साड़ी मुद्राओं को देखकर गोपियों को लगता है कि कृष्ण हमारी कुछ नहीं सुनते हैं। जब बाँसुरी बजाने की बारी आती है, तो कृष्ण इसके कारण हमें भूल जाते हैं।
Related
Discover more from EduGrown School
Subscribe to get the latest posts sent to your email.