Class 11 NCERT Solutions for Hindi Antra provides you an idea of the language and helps you understand the subject better. We have explained NCERT Solutions for Class 11th Hindi Antra.
Class 11 Hindi Antra textbook has 19 chapters in which first 9 chapters are prose while other 10 are poems. These pieces are very useful in the development of language and communication skills of students
Table of Contents
ToggleNCERT Solutions for Class 11th: पाठ 1 - ईदगाह - अंतरा भाग-1 हिंदी
पृष्ठ संख्या: 20
1. ‘ईदगाह’ कहानी के उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे ईद के अवसर पर ग्रामीण परिवेश का उल्लास प्रकट होता है|
उत्तर
ईद आने से गाँव में हर तरफ उल्लास और चहल-पहल दिखाई दे रहा है| लोग ईदगाह जाने की तैयारी कर रहे हैं| किसी का कुरते में बटन लगाने के लिए पड़ोस के घर से सुई-तागा माँगना, कड़े जूतों में तेल डालने के लिए तेली के घर जाना, बैलों को सानी-पानी देना जैसे कामों में व्यस्त दिख रहे हैं| सबसे अधिक ख़ुशी बच्चों के चेहरे पर झलक रही है| वे ईदगाह पर लगने वाले ईद के मेले में जाने के लिए उत्सुक हैं| वे मेले में मिठाई तथा खिलौने खरीदने के लिए जमा किए पैसे गिन रहे हैं| इस प्रकार गाँव में सभी ईद के आने की ख़ुशी मना रहे हैं|
2. ‘उसके अंदर प्रकाश है, बाहर आशा| विपत्ति अपना सारा दलबल लेकर आए, हामिद की आनंद भरी चितवन उसका विध्वंश कर देगी|’– इस कथन के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि आशा का प्रकाश मनुष्य को विपरीत परिस्थितियों में भी निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है|
उत्तर
यदि मनुष्य के अंदर आशा, उत्साह और साहस हो तो वह कठिन परिस्थितियों में भी निरंतर आगे बढ़ता रहता है| हामिद के माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं| उसकी बूढ़ी दादी को इस बात की चिंता थी कि इतने कम पैसे में ईद का त्यौहार कैसे मनाएगी| लेकिन हामिद इन बातों से अनजान खुश है क्योंकि उसके मन में आशा की एक किरण है कि उसके माता-पिता एक दिन जरूर आएँगे और उसके लिए अच्छी-अच्छी चीजें लाएँगे| उसके पास मेले में जाने के लिए मात्र तीन ही पैसे हैं, फिर भी वह अपने दोस्तों के साथ बहुत प्रसन्न है| इस प्रकार आशा का प्रकाश मनुष्य को विपरीत परिस्थितियों में भी निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है|
3. ‘उन्हें क्या खबर कि चौधरी आज आँखें बदल लें, तो यह सारी ईद मुहर्रम हो जाए|’- इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए|
उत्तर
ईद के अवसर पर बच्चों में ईदगाह जाने की ख़ुशी झलक रही है| उन्हें इस बात की कोई चिंता नहीं है कि ईद पर खर्च करने के लिए पैसे कहाँ से आएँगे| त्यौहार पर खर्च करने के लिए उनके अब्बा चौधरी के पास पैसे लेने भागे जा रहे हैं| यदि चौधरी पैसे देने से मना कर दे तो ईद की सारी खुशियाँ मुहर्रम के मातम में बदल जाएगी|
4. ‘मानो भ्रातृत्व का एक सूत्र इन समस्त आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है|’ इस कथन के सन्दर्भ में स्पष्ट कीजिए कि ‘धर्म तोड़ता नहीं जोड़ता है|’
उत्तर
प्रस्तुत कहानी ‘ईदगाह’ में ईद के अवसर सभी लोग एक साथ मिलकर ईदगाह जा रहे हैं| यहाँ धन और पद कोई नहीं देखता| इस्लाम की निगाह में सभी एक बराबर हैं| रोजेदारों की पंक्तियाँ एक के पीछे एक न जाने तक कहाँ तक चली गई हैं और जो भी नया आता है कतार में आकर खड़ा हो जाता है| सभी एक साथ मिलकर नमाज पढ़ते हैं और आपस में एक दूसरे के गले मिलते हैं| यहाँ गरीबी-अमीरी, ऊँच-नीच का कोई भेद नहीं है| ईद के इस पावन त्यौहार पर लोग एकसाथ मिलकर खुशियाँ मना रहे हैं| ऐसा लग रह है मानो भ्रातृत्व का एक सूत्र इन समस्त आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है| इस प्रकार धर्म तोड़ता नहीं जोड़ता है|
5. ‘ईदगाह’ कहानी के शीर्षक का औचित्य सिद्ध कीजिए| क्या इस कहानी को कोई अन्य शीर्षक दिया जा सकता है?
उत्तर
‘ईदगाह’ कहानी में ईद के अवसर पर ईदगाह में हो रही चहल-पहल को दर्शाया गया है| इस त्यौहार में बच्चे से लेकर बड़े सभी के मन में उत्साह और उमंग झलक रही है| सभी आपस में मिलजुलकर एक साथ ईद के मेले में घूमते हैं और नई-नई चीजें खरीदते हैं| इस प्रकार ईद पर्व को ध्यान में रखते हुए कहानी का शीर्षक ‘ईदगाह’ दिया गया है|
इस कहानी का मुख्य नायक हामिद है| उसके पास मात्र तीन पैसे हैं और वह उससे खिलौने खरीदने के बजाय अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदता है| वह बड़ी चतुराई से अपने मित्रों को चिमटे के गुणों के बारे में बताकर उन्हें निरूत्तर का देता है| इस प्रकार हामिद को ध्यान रखकर कहानी का शीर्षक ‘हामिद का बड़प्पन’ दिया जा सकता है|
6. निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
(क) कई बार यही क्रिया होती है………………..आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है|
उत्तर
प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रेमचन्द द्वारा रचित ‘ईदगाह’ कहानी से ली गई हैं, जिसमें ईद पर्व के अवसर पर नमाज पढ़ने वाले सभी रोजेदारों की पंक्तिबद्धता और सामूहिकता का सजीव वर्णन किया गया है|
लोग ईदगाह के मैदान में एक साथ पंक्तिबद्ध होकर नमाज पढ़ने की रस्म अदा कर रहे हैं| उनके चेहरे पर ख़ुशी और मन में श्रद्धा और भक्ति के भाव हैं| नमाज पढ़ते समय जब वे एक साथ झुकते और उठते थे तब ऐसा प्रतीत होता है मानो बिजली की लाखों बत्तियाँ एक साथ जल बुझ रही हों| उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था जैसे ये सभी लोग भ्रातृत्व के एक सूत्र में बँधे हुए हैं|
भाषागत विशेषताएँ
• सरल, सहज और प्रवाहपूर्ण खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है|
• उर्दू शब्दावली का प्रयोग किया गया है|
(ख) बुढ़िया का क्रोध……………….स्वाद से भरा हुआ|
उत्तर
प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘ईदगाह’ कहानी से ली गई हैं| इन पंक्तियों में हामिद द्वारा खरीदकर लाए गए चिमटे को देखकर उसकी बूढ़ी दादी के भावविह्वल होने का सजीव चित्रण किया गया है|
जब हामिद मेले से तीन पैसे में चिमटा खरीदकर लाया तो उसे देखकर दादी को पहले गुस्सा आ गया| हामिद ने बताया कि रोटी सेंकते पर उसकी उँगलियाँ जल जाती थीं इसलिए उसने मेले से चिमटा खरीदा| यह सुनकर दादी का सारा गुस्सा स्नेह में बदल गया और जिसे केवल अनुभव किया जा सकता है| वह शब्दों के माध्यम से हामिद के लिए अपना स्नेह और प्यार व्यक्त नहीं कर पा रही थीं| उनका यह स्नेह खामोशी, गंभीरता तथा भावनाओं से परिपूर्ण था|
भाषागत विशेषताएँ
• सरल, सहज और प्रवाहपूर्ण खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है|
• उर्दू शब्दावली का प्रयोग किया गया है|
7. हामिद ने चिमटे की उपयोगिता को सिद्ध करते हुए क्या-क्या तर्क दिए?
उत्तर
प्रश्न – अभ्यास
1. ‘ईदगाह’ कहानी के उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे ईद के अवसर पर ग्रामीण परिवेश का उल्लास प्रकट होता है|
उत्तर
ईद आने से गाँव में हर तरफ उल्लास और चहल-पहल दिखाई दे रहा है| लोग ईदगाह जाने की तैयारी कर रहे हैं| किसी का कुरते में बटन लगाने के लिए पड़ोस के घर से सुई-तागा माँगना, कड़े जूतों में तेल डालने के लिए तेली के घर जाना, बैलों को सानी-पानी देना जैसे कामों में व्यस्त दिख रहे हैं| सबसे अधिक ख़ुशी बच्चों के चेहरे पर झलक रही है| वे ईदगाह पर लगने वाले ईद के मेले में जाने के लिए उत्सुक हैं| वे मेले में मिठाई तथा खिलौने खरीदने के लिए जमा किए पैसे गिन रहे हैं| इस प्रकार गाँव में सभी ईद के आने की ख़ुशी मना रहे हैं|
2. ‘उसके अंदर प्रकाश है, बाहर आशा| विपत्ति अपना सारा दलबल लेकर आए, हामिद की आनंद भरी चितवन उसका विध्वंश कर देगी|’– इस कथन के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि आशा का प्रकाश मनुष्य को विपरीत परिस्थितियों में भी निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है|
उत्तर
यदि मनुष्य के अंदर आशा, उत्साह और साहस हो तो वह कठिन परिस्थितियों में भी निरंतर आगे बढ़ता रहता है| हामिद के माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं| उसकी बूढ़ी दादी को इस बात की चिंता थी कि इतने कम पैसे में ईद का त्यौहार कैसे मनाएगी| लेकिन हामिद इन बातों से अनजान खुश है क्योंकि उसके मन में आशा की एक किरण है कि उसके माता-पिता एक दिन जरूर आएँगे और उसके लिए अच्छी-अच्छी चीजें लाएँगे| उसके पास मेले में जाने के लिए मात्र तीन ही पैसे हैं, फिर भी वह अपने दोस्तों के साथ बहुत प्रसन्न है| इस प्रकार आशा का प्रकाश मनुष्य को विपरीत परिस्थितियों में भी निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है|
3. ‘उन्हें क्या खबर कि चौधरी आज आँखें बदल लें, तो यह सारी ईद मुहर्रम हो जाए|’- इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए|
उत्तर
ईद के अवसर पर बच्चों में ईदगाह जाने की ख़ुशी झलक रही है| उन्हें इस बात की कोई चिंता नहीं है कि ईद पर खर्च करने के लिए पैसे कहाँ से आएँगे| त्यौहार पर खर्च करने के लिए उनके अब्बा चौधरी के पास पैसे लेने भागे जा रहे हैं| यदि चौधरी पैसे देने से मना कर दे तो ईद की सारी खुशियाँ मुहर्रम के मातम में बदल जाएगी|
4. ‘मानो भ्रातृत्व का एक सूत्र इन समस्त आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है|’ इस कथन के सन्दर्भ में स्पष्ट कीजिए कि ‘धर्म तोड़ता नहीं जोड़ता है|’
उत्तर
प्रस्तुत कहानी ‘ईदगाह’ में ईद के अवसर सभी लोग एक साथ मिलकर ईदगाह जा रहे हैं| यहाँ धन और पद कोई नहीं देखता| इस्लाम की निगाह में सभी एक बराबर हैं| रोजेदारों की पंक्तियाँ एक के पीछे एक न जाने तक कहाँ तक चली गई हैं और जो भी नया आता है कतार में आकर खड़ा हो जाता है| सभी एक साथ मिलकर नमाज पढ़ते हैं और आपस में एक दूसरे के गले मिलते हैं| यहाँ गरीबी-अमीरी, ऊँच-नीच का कोई भेद नहीं है| ईद के इस पावन त्यौहार पर लोग एकसाथ मिलकर खुशियाँ मना रहे हैं| ऐसा लग रह है मानो भ्रातृत्व का एक सूत्र इन समस्त आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है| इस प्रकार धर्म तोड़ता नहीं जोड़ता है|
5. ‘ईदगाह’ कहानी के शीर्षक का औचित्य सिद्ध कीजिए| क्या इस कहानी को कोई अन्य शीर्षक दिया जा सकता है?
उत्तर
‘ईदगाह’ कहानी में ईद के अवसर पर ईदगाह में हो रही चहल-पहल को दर्शाया गया है| इस त्यौहार में बच्चे से लेकर बड़े सभी के मन में उत्साह और उमंग झलक रही है| सभी आपस में मिलजुलकर एक साथ ईद के मेले में घूमते हैं और नई-नई चीजें खरीदते हैं| इस प्रकार ईद पर्व को ध्यान में रखते हुए कहानी का शीर्षक ‘ईदगाह’ दिया गया है|
इस कहानी का मुख्य नायक हामिद है| उसके पास मात्र तीन पैसे हैं और वह उससे खिलौने खरीदने के बजाय अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदता है| वह बड़ी चतुराई से अपने मित्रों को चिमटे के गुणों के बारे में बताकर उन्हें निरूत्तर का देता है| इस प्रकार हामिद को ध्यान रखकर कहानी का शीर्षक ‘हामिद का बड़प्पन’ दिया जा सकता है|
6. निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
(क) कई बार यही क्रिया होती है………………..आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है|
उत्तर
प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रेमचन्द द्वारा रचित ‘ईदगाह’ कहानी से ली गई हैं, जिसमें ईद पर्व के अवसर पर नमाज पढ़ने वाले सभी रोजेदारों की पंक्तिबद्धता और सामूहिकता का सजीव वर्णन किया गया है|
लोग ईदगाह के मैदान में एक साथ पंक्तिबद्ध होकर नमाज पढ़ने की रस्म अदा कर रहे हैं| उनके चेहरे पर ख़ुशी और मन में श्रद्धा और भक्ति के भाव हैं| नमाज पढ़ते समय जब वे एक साथ झुकते और उठते थे तब ऐसा प्रतीत होता है मानो बिजली की लाखों बत्तियाँ एक साथ जल बुझ रही हों| उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था जैसे ये सभी लोग भ्रातृत्व के एक सूत्र में बँधे हुए हैं|
भाषागत विशेषताएँ
• सरल, सहज और प्रवाहपूर्ण खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है|
• उर्दू शब्दावली का प्रयोग किया गया है|
(ख) बुढ़िया का क्रोध……………….स्वाद से भरा हुआ|
उत्तर
प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘ईदगाह’ कहानी से ली गई हैं| इन पंक्तियों में हामिद द्वारा खरीदकर लाए गए चिमटे को देखकर उसकी बूढ़ी दादी के भावविह्वल होने का सजीव चित्रण किया गया है|
जब हामिद मेले से तीन पैसे में चिमटा खरीदकर लाया तो उसे देखकर दादी को पहले गुस्सा आ गया| हामिद ने बताया कि रोटी सेंकते पर उसकी उँगलियाँ जल जाती थीं इसलिए उसने मेले से चिमटा खरीदा| यह सुनकर दादी का सारा गुस्सा स्नेह में बदल गया और जिसे केवल अनुभव किया जा सकता है| वह शब्दों के माध्यम से हामिद के लिए अपना स्नेह और प्यार व्यक्त नहीं कर पा रही थीं| उनका यह स्नेह खामोशी, गंभीरता तथा भावनाओं से परिपूर्ण था|
भाषागत विशेषताएँ
• सरल, सहज और प्रवाहपूर्ण खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है|
• उर्दू शब्दावली का प्रयोग किया गया है|
7. हामिद ने चिमटे की उपयोगिता को सिद्ध करते हुए क्या-क्या तर्क दिए?
उत्तर
हामिद के चिमटा खरीदने पर उसके दोस्तों ने उसकी हँसी उड़ाई, लेकिन उसने तर्क के बल पर चिमटे की उपयोगिता सिद्ध कर अपने दोस्तों को चुप करा दिया| उसका चिमटा इतना मजबूत है कि जमीन पर पटकने पर भी इसका कुछ नहीं बिगड़ेगा| कंधे पर रखा तो बंदूक हो गई| हाथ में ले लिया तो फकीरों का चिमटा हो गया और चाहे तो मजीरे का भी काम ले सकते हैं| चिमटा चाहे तो खँजरी का पेट फाड़ सकता है| उसका बहादुर चिमटा आग, पानी, आँधी या तूफ़ान में बराबर डटा रहेगा|
8. गाँव से शहर जाने वाले रास्ते के मध्य पड़ने वाले स्थलों का ऐसा वर्णन लेखक ने किया है मानो आँखों के सामने चित्र उपस्थित हो रहा हो| अपने घर और विद्यालय के मध्य पड़ने वाले स्थानों का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए|
उत्तर
मेरे घर से विद्यालय जाने के रास्ते में पहले एक तालाब आता है जिसमें कमल के फूल खिले हुए हैं| थोड़ा आगे बढ़ने पर शहर का मुख्य बाजार है जहाँ लोगों की भीड़-भाड़ दिखाई देती है| कुछ ही दूरी पर एक पार्क है, जिसमें बच्चे खेलते रहते हैं| मेरे विद्यालय से थोड़ा पीछे एक सार्वजनिक अस्पताल है| मेरे विद्यालय के आस-पास पेड़ लगे हुए हैं, जिसके कारण चारों तरफ हरियाली है|
9. ‘बच्चे हामिद ने बूढ़े हामिद का पार्ट खेला था| बुढ़िया अमीना बालिका अमीना बन गई|’ इस कथन में ‘बूढ़े हामिद’ और ‘बालिका अमीना’ से लेखक का क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए|
उत्तर
अमीना को पता चलता है कि हामिद ने चिमटा इसलिए खरीदा क्योंकि उसकी उँगलियाँ रोटी पकाते समय जल जाती थीं| वह हामिद के इस त्याग और अपने प्रति प्यार को देखकर भावुक हो उठती है और रोने लगती है| परिस्थितिवश बूढ़ी अमीना बच्ची की तरह फूट-फूट कर रो रही थी और हामिद बूढ़ों की तरह चुपचाप खड़ा देख रहा था| इसलिए लेखक ने ऐसा कहा है|
10. ‘दामन फैलाकर हामिद को दुआएँ देती जाती थी और आँसू की बड़ी-बड़ी बूँदें गिराती जाती थी| हामिद इसका रहस्य क्या समझता!’- लेखक के अनुसार हामिद अमीना की दुआओं और आँसुओं के रहस्य को क्यों नहीं समझ पाया? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए|
उत्तर
ईद के मेले में जाने के लिए हामिद की दादी ने उसे तीन पैसे दिए थे जिनसे उसने उनके लिए चिमटा खरीद लिया| उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि रोटी बनाते समय उसकी दादी की उँगलियाँ जल जाती थीं| यही देखकर अमीना दामन फैलाकर हामिद को दुआएँ देती जाती थी और आँसू की बड़ी-बड़ी बूँदें गिराती जाती थी| हामिद इस रहस्य को इसलिए नहीं समझ पाया क्योंकि वह एक छोटा और नादान बालक था|
11. हामिद के चरित्र की कोई तीन विशेषताएँ बताइए|
उत्तर
हामिद के चरित्र की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
• साहसी- ईद के अवसर पर गाँव के सभी बच्चे अपने पिता के साथ मेला घूमने जा रहे हैं| हामिद अकेले ही मेले में जाने के लिए तैयार हो जाता है| उसकी दादी उसे अकेले जाते देख बहुत चिंतित हो जाती है लेकिन वह अपनी दादी को समझाते हुए कहता है- ‘तुम डरना नहीं अम्मा, मैं सबसे पहले आऊँगा|’ इससे उसकी निडरता का पता चलता है|
• स्वाभिमानी- हामिद एक स्वाभिमानी लड़का है| अपने दोस्तों को मिठाई और खिलौने खरीदते देखकर भी वह उनसे मिठाई या खिलौने नहीं माँगता| उसके दोस्त मिठाई देना भी चाहते हैं तो वह मना कर देता है|
• समझदार- हामिद देखने में तो एक छोटा बच्चा है लेकिन वह बड़ों की तरह समझदार है| मेले में सभी बच्चे खिलौने खरीदते हैं लेकिन वह अपनी दादी के बारे में सोचकर चिमटा खरीदता है ताकि उनकी उँगलियाँ रोटी पकाते समय जलने से बच सके|
12. हामिद के अतिरिक्त इस कहानी के किस पात्र ने आपको सर्वाधिक प्रभावित किया और क्यों?
उत्तर
इस कहानी का मुख्य पात्र हामिद है जिसने सर्वाधिक प्रभावित किया है| इसके अतिरिक्त कहानी में हामिद की दादी अमीना भी हमें प्रभावित करती है| हामिद के माता-पिता न होते हुए भी उसकी परवरिश में कोई कमी नहीं की| उसे हर समय हामिद की चिंता लगी रहती है| गरीबी होते हुए भी मेले में जाते समय उसने हामिद को तीन पैसे खर्च करने के लिए दिए| जब वह हामिद के हाथ में चिमटा देखती है तो बहुत नाराज हो जाती है क्योंकि उसने मेले में दिन-भर कुछ नहीं खाया-पीया था| चिमटा लाने का कारण जानकर वह हामिद को दुआएँ देने लगती हैं और उस पर न्योछावर हो जाती है| इस प्रकार हामिद की दादी अमीना की भूमिका भी प्रभावशाली है|
13. बच्चों में लालच एवं एक-दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ के साथ-साथ निश्छलता भी मौजूद होती है| कहानी से कोई दो प्रसंग चुनकर इस मत की पुष्टि कीजिए|
उत्तर
बच्चों में लालच एवं एक-दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ के साथ-साथ निश्छलता भी मौजूद होती है| कहानी में ऐसे दो प्रसंग निम्नलिखित हैं-
मेले में हामिद के दोस्त मिठाई खरीदते हैं और हामिद कुछ नहीं खरीदता| मोहसिन हामिद को रेवड़ी देने का दिखावा करके स्वयं खा लेता है और सब हामिद का मजाक उड़ाते हैं| लेकिन अगले ही पल मोहसिन को गलती का एहसास होते ही वह अल्लाह कसम खा कर दोबारा हामिद को रेवड़ी देता है| दूसरे भी अपनी मिठाई हामिद को देना चाहते हैं|
हामिद मेले में चिमटा खरीदता है और अपने दोस्तों के खिलौनों से अच्छा बताते हुए कई तरह के तर्क प्रस्तुत करता है| वह अपने चिमटे को मजबूत, आग, पानी, आँधी, तूफ़ान में खड़ा करने पर आराम से डटा रहने वाला बताता है| कुछ देर बाद जब सभी अपने खिलौने से मायूस हो जाते हैं तब हामिद उन्हें खुश करने के लिए कहता है- मैं तुम्हें चिढ़ा रहा था, सच! यह चिमटा भला इन खिलौनों की क्या बराबरी करेगा| इस प्रकार बच्चों में लालच एवं एक-दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ के साथ-साथ निश्छलता भी मौजूद होती है|
14. ‘प्रेमचंद की भाषा बहुत सजीव, मुहावरेदार और बोलचाल के निकट है|’ कहानी के आधार पर इस कथन की सार्थकता स्पष्ट कीजिए|
उत्तर
प्रेमचंद की कहानियों में सजीवता, मुहावरों तथा बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया गया है| उनकी भाषा व्यावहारिक तथा प्रवाहमयी है|
‘ईदगाह’ कहानी में सरल एवं सजीव भाषा का प्रयोग किया गया है| कहानी में ‘सभी ईदगाह जाने की तैयारी कर रहे हैं| ईदगाह से लौटते-लौटते दोपहर हो जाएगी| बार-बार जेब से अपना खजाना निकालकर गिनते हैं और खुश होकर फिर रख लेते हैं| हामिद कहता है- तुम डरना नहीं अम्मा, मैं सबसे पहले आऊँगा| बिलकुल न डरना|’
कहानी में मुहावरों का भी प्रयोग किया गया है| सारी ईद मुहर्रम होना, कुबेर का धन भरा होना, अरमान निकालना, दिल कचोटना, मुँह चुराना, काम से जी चुराना, तूफ़ान में डटे रहना, ऐड़ी-चोटी का जोर लगाना, मुँह ताकना, मैदान मारना, रंग जमाना, छाती पीटना जैसे मुहावरों का प्रयोग किया गया है|
प्रेमचंद ने ‘ईदगाह’ में बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है| जैसे- हामिद का मेले में दुकानदार के साथ वार्तालाप| हामिद ने दुकानदार से पूछा- यह चिमटा कितने का है? दुकानदार ने उसकी ओर देखा और कोई आदमी साथ न देखकर कहा- तुम्हारे काम का नहीं है जी! ‘बिकाऊ है कि नहीं?’
‘बिकाऊ क्यों नहीं है| और यहाँ क्यों लाद लाए हैं?
‘तो बताते क्यों नहीं, कै पैसे का है?’
‘छह पैसे लगेंगे|’
हामिद का दिल बैठ गया|
‘ठीक-ठीक बताओ!’
‘ठीक-ठीक पाँच पैसे लगेंगे, लेना हो तो लो, नहीं चलते बनो|’
हामिद ने कलेजा मजबूत करके कहा- ‘तीन पैसे लोगे|’
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