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जामुन का पेड़ Class 11 Aroh Chapter 8 Question Answer
पाठ के साथ
प्रश्न 1: बेचारा जामुन का पेड़ा कितना फलदार था। और इसकी जामुनें कितनी रसीली होती थीं।
(क) ये सवाद कहानी के किस प्रसग में आए हैं?
(ख) इससे लोगों की कैसी मानसिकता का पता चलता है?
उत्तर-
(क) एक रात तेज़ आँधी से सेक्रेटरियेट के अहाते में जामुन का एक पेड़ गिर जाता है और उसके नीचे एक आदमी दब जाता है। सुबह लोगों की भीड़ जमा हो जाती है, उस समय यह संवाद कहा गया है।
(ख) इससे लोगों की संवेदनहीनता व स्वार्थपरता का ज्ञान होता है। आम व्यक्ति को दबे हुए व्यक्ति की चिंता नहीं है, उन्हें सिर्फ फल न मिलने की चिंता है। वे पेड़ गिरने पर दुख व्यक्त करते हैं।
प्रश्न 2: दबा हुआ आदमी एक कवि है, यह बात कैसे पता चली और इस जानकारी का फाइल की यात्रा पर क्या असर पड़ा?
उत्तर-सेक्रेटेरियट के लॉन में खड़ा जामुन का पेड़ रात की आँधी में गिर गया। इसके नीचे एक आदमी दब गया। उसे बचाने के लिए एक सरकारी फाइल बनी। वह एक विभाग से दूसरे विभाग में जाने लगी। माली ने उस आदमी को हौसला देते हुए उसे खिचड़ी खिलाई और कहा कि उसका मामला ऊपर तक पहुँच गया है। तब उस व्यक्ति ने आह भरते हुए गालिब का शेर कहा-
“ये तो माना कि तगापुल न करोगे लेकिन
खाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक!”
माली उसे पूछता है कि क्या आप शायर हैं? उसने ‘हाँ’ में सिर हिलाया। फिर माली ने यह बात क्लकों को बताई। इस प्रकार यह बात सारे शहर में फैल गई। सेक्रेटेरियट में शहर-भर के कवि व शायर इकट्ठे हो गए। फाइल कल्चर डिपार्टमेंट को भेजी गई। वहाँ का सचिव उस व्यक्ति का इंटरव्यू लेने आया और उसे अकादमी का सदस्य बना दिया किंतु यह कहकर कि पेड़ से नीचे से निकालने का काम उसके विभाग का नहीं है वह फाइल वन विभाग को भेज या देता है। इससे पेड़ हटाने या काटने की अनुमति मिलने का रास्ता और लंबा हो गया है।
प्रश्न 3:कृषि-विभाग वालों ने मामले को हॉटीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे क्या तर्क दिया?
उत्तर-कृषि-विभाग ने मामला हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट को ही सौंपते हुए लिखा-“क्योंकि यह एक फलदार पेड़ का मामला है और एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट अनाज और खेती-बाड़ी के मामलों में फैसला करने का हकदार है। जामुन का पेड़ चूँकि एक फलदार पेड़ है। इसलिए यह पेड़ हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट के अंतर्गत आता है।”
प्रश्न 4: इस पाठ में सरकार के किन-किन विभागों की चर्चा की गई है और पाठ से उनके कार्य के बारे में क्या अंदाजा मिलता है?
उत्तर-इस पाठ में सरकार के निम्नलिखित विभागों की चर्चा की गई है-
(क) व्यापार-विभाग-इसका काम देश में होने वाले व्यापार से संबंधित है।
(ख) एग्रीकल्चर विभाग-इसका कार्य खेती-बाड़ी से संबंधित है।
(ग) हॉटीकल्चर विभाग-यह विभाग उद्यानों का रखरखाव करता है।
(घ) मेडिकल विभाग-इसका संबंध शल्य चिकित्सा, दवाई आदि से है।
(ड) कल्चरल विभाग-इसका संबंध कला व साहित्य से है।
(च) फॉरेस्ट विभाग-इसका संबंध जंगल के पेड़ों व वनस्पति से है।
(छ) विदेश-विभाग-इसका कार्य विदेशी राज्यों से संबंध बनाना है।
पाठ के पता चलता है कि किसी भी विभाग में संवेदना नहीं है। हरेक विभाग अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहता ह ।
पाठ के आस-पास
प्रश्न 1: कहानी में दो प्रसंग ऐसे हैं, जहाँ लोग पेड़ के नीचे दबे आदमी को निकालने के लिए कटिबद्ध होते हैं। ऐसा कब-कब होता है और लोगों का यह संकल्प दोनों बार किस-किस वजह से भग होता है?
उत्तर-एक बार तो शुरुआती पहले दिन ही माली के कहने पर जमा हुई भीड़ तैयार थी कि सब मिलकर जोर लगाते हैं। उसी समय सुपरिंटेंडेंट बोला कि ‘ठहरो! मैं अंडर सेक्रेटरी से पूछ लें।’ और बस यह मामला ठप्प हो गया। दूसरा प्रसंग दोपहर के भोजन के समय आता है। दबे हुए व्यक्ति को बाहर निकालने के लिए फाइल कार्यालय में घूम रही थी तो कुछ मनचले किस्म के क्लर्क सरकारी फैसले के इंतजार के बिना इस पेड़ को स्वयं हटा देना चाहते थे कि उसी समय सुपरिटेंडेंट फाइल लेकर भागा-भागा आया और कहा कि कृषि विभाग के अधीन आने वाले इस पेड़ को हम नहीं काट सकते। इस प्रकार संकल्प भी भंग हो जाता है।
प्रश्न 2: यह कहना कहाँ तक युक्तिसंगत है कि इस कहानी में हास्य के साथ-साथ करुणा की भी अंतर्धारा है। अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर-यह कहना बिल्कुल सही है कि यह कहानी हास्य के साथ-साथ करुणा की भी अंतर्धारा है। व्यक्ति पेड़ के नीचे दबा हुआ है। चारों तरफ भीड़ जमा है। वे जामुन के पेड़ तथा रसीले जामुनों की चर्चा कर रहे हैं, परंतु दबे व्यक्ति को बचाने का प्रयास नहीं होता। क्लकीं, अधिकारियों तथा विभागों की फूहड़ हरकतें हास्य के साथ करुणा को जाग्रत करती हैं। फाइल चलती रहती है। माली ही दया करके उसे खाना खिला देता है। कुछ लोग आदमी को काटकर उसे प्लास्टिक सर्जरी से जोड़ने की बात कहते हैं। यह संवेदनहीनता का चरम रूप है। कल्चर विभाग का सचिव उसे अकादमी का सदस्य बना देता है, उससे मिठाई माँगता है, परंतु उसे बचाने का प्रयास नहीं करता। देशों के संबंध के नाम पर आम आदमी की बलि चढ़ाई जा सकती है। ये सभी घटनाएँ करुणा की गहनता को व्यक्त करती हैं।
प्रश्न 3: यदि आप माली की जगह पर होते, तो हुकूमत के फैसले का इंतजार करते या नहीं? अगर हाँ, तो क्यों? और नहीं, तो क्यों?
उत्तर-यदि हम माली के स्थान पर होते तो हुकूमत के फैसले का जरा भी इंतजार न करते और बिना किसी की परवाह किए दबे हुए आदमी को निकाल लेते, क्योंकि किसी भी विभाग, कानून और हुकूमत के फैसले से ज्यादा आवश्यक है किसी की जान बचाना। अतः सबसे पहले वही किया जाना चाहिए। इतने सारे लोगों के बीच महज औपचारिकता के चलते एक व्यक्ति की जान चली जाना मनुष्यता के नाम पर धब्बा है।
बोधात्मक प्रशन
प्रश्न 1: ‘जामुन का पेड़’ पाठ का प्रतिपाद्य बताइए।
उत्तर-जामुन का पेड़ कृश्नचंदर की प्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कथा है। हास्य-व्यंग्य के लिए चीजों को अनुपात से ज्यादा फैला-फुलाकर दिखलाने की परिपाटी पुरानी है और यह कहानी भी उसका अनुपालन करती है। इसलिए इसकी घटनाएँ अतिशयोक्तिपूर्ण और अविश्वसनीय लगने लगती हैं। विश्वसनीयता ऐसी रचनाओं के मूल्यांकन की कसौटी नहीं हो सकती। यह पाठ यह स्पष्ट करता है कि कार्यालयी तौर-तरीकों में पाया जाने वाला विस्तार कितना निरर्थक और पदानुक्रम कितना हास्यस्पद है। यह व्यवस्था के संवेदनशून्य व अमानवीयता के रूप को भी बताता है।
प्रश्न 2: माली को दबे हुए आदमी से सहानुभूति होने का क्या कारण था?
उत्तर-माली का काम लॉन में लगे पेड़-पौधों की देखभाल करना था। रात की आँधी में सचिवालय के लॉन में खड़ा पेड़ गिर गया तथा उसके नीचे एक आदमी दब गया। माली ने विभाग को इसकी सूचना दे दी: जब तक पेड़ नहीं हटता, तब तक माली की ड्यूटी उसकी देखभाल की थी। इसलिए उसे पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति से सहानुभूति हो गई। वह जल्द-से-जल्द इस समस्या से भी छुटकारा पाना चाहता था।
प्रश्न 3: जामुन का पेड़ गिरा देखकर क्लर्क ने क्या प्रतिक्रिया की?
उत्तर-लॉन में जामुन का पेड़ गिर गया। उसे देखकर क्लर्क को दुख हुआ, क्योंकि अब उसे उसके मीठे फल खाने को नहीं मिलेंगे। उसे पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति की कोई चिंता नहीं थी।
प्रश्न 4: माली ने दबे हुए आदमी को बाहर निकालने के लिए क्या शर्त लगाई?
उत्तर-माली सरकारी कर्मचारी था। अगर वह स्वयं उस व्यक्ति को निकालने का निर्णय लेता तो ऊपर के अधिकारी उसे परेशान करते। अत: उसने अपनी परेशानी को देखते हुए सुपरिंटेंडेंट साहब से इजाजत लेने की बात कही। उसने कहा कि अगर सुपरिंटेंडेंट साहब हुक्म दें तो अभी पंद्रह-बीस माली, चपरासी और क्लर्क लगाकर पेड़ के नीचे से दबे हुए आदमी को निकाला जा सकता है।
प्रश्न 5: हॉर्टीकल्चर विभाग का जवाब व्यंग्यपूर्ण क्यों था?
उत्तर-हॉर्टीकल्चर विभाग के सचिव ने जवाब दिया कि उनका विभाग ‘पेड़ लगाओ’ अभियान में जोर-शोर से जुटा हुआ है। ऐसे में किसी भी अधिकारी को पेड़ काटने की बात नहीं सोचनी चाहिए। जामुन फलदार पेड़ है। अत: फलदार पेड़ को काटने की अनुमति कदापि नहीं दे सकते। लेखक व्यंग्य करता है कि ऐसे अफसरों को अपनी नीतियों, फलों की अधिक चिंता रहती है, व्यक्ति की जान की नहीं।
प्रश्न 6: पेड़ के बजाय आदमी को काटने की सलाह पर टिप्पणी करें।
उत्तर-एक मनचले क्लर्क ने सलाह दी कि यदि जामुन के फलदार पेड़ को बचाने की जरूरत है तो उसके नीचे दबे आदमी को काटकर निकाल लो, फिर उसे प्लास्टिक सर्जरी से जोड़ दिया जाएगा। इस तरीके से पेड़ भी बच जाएगा। यह सुझाव सरकारी बाबुओं की संवेदनशून्यता पर चोट करती है। ये ऊट-पटांग सुझाव देते हैं ताकि अफसर खुश रह सके।
प्रश्न 7: साहित्य अकादमी के सचिव ने शायर को क्या बताया?
उत्तर-उसने शायर को बताया कि तुम्हें केंद्रीय शाखा का सदस्य चुन लिया गया है और तुम्हारे मरणोपरांत तुम्हारी बीवी को वजीफा दिया जाएगा। परंतु हमारा विभाग पेड़ के नीचे से तुम्हें नहीं निकाल सकता। यह काम साहित्य अकादमी का नहीं है। हालाँकि हमने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को लिख दिया है और अर्जेंट लिखा है।
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