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बादल राग
(अभ्यास-प्रश्न)
प्रश्न 1. ‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया’ पंक्ति में दुख की छाया किसे कहा गया और क्यों?
‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया’ पंक्ति में दुख की छाया क्रांति अथवा विनाश का प्रतीक है। सुविधा भोगी लोगों के पास सुख के अनेक साधन होते हैं। इसलिए वे क्रांति से हमेशा डरे रहते हैं। क्रांति से पूँजीपतियों को हानि होगी, गरीबों को नहीं। इसलिए कवि ने अमीर लोगों के सुख को अस्थिर कहा है। क्रांति की संभावना ही दुख की वह छाया है जिससे वे हमेशा डरे रहते हैं। यही कारण है कि दुख की छाया का प्रयोग किया गया है।
प्रश्न 2. अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर- पंक्ति में किसकी ओर संकेत किया गया है?
‘अशनि पात से शापित उन्नत शत शत वीर’ पंक्ति में क्रांति विरोधी अभिमानी पूँजीपतियों की ओर संकेत किया गया है जो क्रांति को दबाने का भरसक प्रयास करते हैं। परंतु क्रांति के वज्र के प्रहार से घायल होकर वे क्षत विक्षत हो जाते हैं। जिस प्रकार बादलों के द्वारा किए गए अशनि पात से पर्वतों की ऊँची-ऊँची चोटियाँ क्षत विक्षत हो जाती है उसी प्रकार क्रांति की मारकाट से बड़े बड़े पूँजीपति तथा वीर लोग की धरती चाटने लगते हैं।
प्रश्न 3. विप्लव रव से छोटे ही शोभा पाते -पंक्ति में विप्लव-रव से क्या तात्पर्य है? छोटे ही शोभा पाते ऐसा क्यों कहा गया है?
‘विप्लव-रव’ से तात्पर्य है- क्रांति की गर्जना। क्रांति से समाज के सामान्य जन को ही लाभ प्राप्त होता है। उससे सर्वहारा वर्ग का विकास होता है क्योंकि क्रांति शोषकों और पूँजीपतियों के विरुद्ध होती है। संसार में जहाँ कहीं क्रांति हुई है, वहाँ पूँजीपतियों का विनाश हुआ है और गरीब तथा अभावग्रस्त लोगों की आर्थिक हालत सुधरी है। इसलिए कवि ने इस भाव के लिए ‘छोटे ही है शोभा पाते’ आदि शब्दों का प्रयोग किया है।
प्रश्न 4. बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को कविता रेखांकित करती है?
बादलों के आगमन से प्रकृति में असंख्य परिवर्तन होते हैं। पहले तो तेज हवा चलने लगती है और बादल गरजने लगते हैं। उसके बाद मूसलाधार बरसात होती है। बिजली के गिरने से ऊँचे ऊँचे पर्वतों की चोटियों क्षत विक्षत हो जाती है परंतु छोटे-छोटे पौधे वर्षा का पानी पाकर प्रसन्नता से खिल उठते हैं।
प्रश्न 5.1 व्याख्या कीजिए
तिरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया-
जग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया-
उत्तर:- कवि बादल को संबोधित करते हुए कहता है कि हे क्रांति दूत रूपी बादल। तुम आकाश में ऐसे मंडराते रहते हो जैसे पवन रूपी सागर पर नौका तैर रही हो। छाया ‘उसी प्रकार पूंजीपतियों के वैभव पर क्रांति की छाया मंडरा रही है इसीलिए कहा गया है ‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया’।
कवि ने बादलों को विप्लवकारी योद्धा, उसके विशाल रूप को रण-नौका तथा गर्जन-तर्जन को रणभेरी के रूप में दिखाया है। कवि कहते है कि हे बादल! तेरी भारी-भरकम गर्जना से धरती के गर्भ में सोए हुए अंकुर सजग हो जाते हैं अर्थात् कमजोर व् निष्क्रिय व्यक्ति भी संघर्ष के लिए तैयार हो जाते हैं।
प्रश्न 5.2 व्याख्या कीजिए
अट्टालिका नहीं है रे
आतंक-भवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लव-प्लावन
उत्तर:- कवि कहते है कि पूँजीपतियों के ऊँचे-ऊँचे भवन मात्र भवन नहीं हैं अपितु ये गरीबों को आतंकित करने वाले भवन हैं। इसमें रहनेवाले लोग महान नहीं हैं। ये तो भयग्रस्त हैं। जल की विनाशलीला तो सदा पंक को ही डुबोती है, कीचड़ को कोई फ़र्क नहीं पड़ता। उसी प्रकार क्रांति की ज्वाला में धनी लोग ही जलते है, गरीबों को कुछ खोने का डर ही नहीं।
बादल राग
(अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)
1. बादल राग’ कविता में कवि ने बादलों के बहाने क्रांत का आहवान किया है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
उत्तर –
‘विप्लव-रव’ से तात्पर्य है-क्रांति का स्वर। क्रांति का सर्वाधिक लाभ शोषित वर्ग को ही मिलता है क्योंकि उसी के अधिकार छीने गए होते हैं। क्रांति शोषक वर्ग के विशेषाधिकार खत्म होते हैं। आम व्यक्ति को जीने के अधिकार मिलते हैं। उनकी दरिद्रता दूर होती है। अतः क्रांति की गर्जना से शोषित वर्ग प्रसन्न होता है।
2. क्रांति की गर्जना का शोषक वर्ग पर क्या प्रभाव पड़ता है? उनका मुख ढंकना किस मानसिकता का द्योतक है?”बादल राग कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर –
शोषक वर्ग ने आर्थिक साधनों पर एकाधिकार जमा लिया है, परंतु क्रांति की गर्जना सुनकर वह अपनी सत्ता को खत्म होते देखता है। वह बुरी तरह भयभीत हो जाता है। उसकी शांति समाप्त हो जाती है। शोषक वर्ग का मुख ढाँकना उसकी कमजोर स्थिति को दर्शाता है। क्रांति के परिणामों से शोषक वर्ग भयभीत है।
3, “बादल राग ‘जीवन-निर्माण के नए राग का सूचक है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –
‘बादल राग’ कविता में कवि ने लघु-मानव की खुशहाली का राग गाया है। वह आम व्यक्ति के लिए बादल का आहवान क्रांति के रूप में । करता है। किसानों तथा मजदूरों की आकांक्षाएँ बादल को नवनिर्माण के राग के रूप में पुकार रही हैं। क्रांति हमेशा वंचितों का प्रतिनिधित्व करती है। बादलों के अंग-अंग में बिजलियाँ सोई हैं, वज्रपात से शरीर आहत होने पर भी वे हिम्मत नहीं हारते। गरमी से हर तरफ सब कुछ रूखा सूखा और मुरझाया सा है। धरती के भीतर सोए अंकुर नवजीवन की आशा में सिर ऊँचा करके बादल की ओर देख रहे हैं। क्रांति जो हरियाली लाएगी, उससे सबसे अधिक उत्फुल्ल नए पौधे, छोटे बच्चे ही होंगे।
4, बादल राग ‘कविता में ऐ विप्लव के वीर/किसे कहा गया हैं और क्यों?
उत्तर –
‘बादल राग’ कविता में ‘ऐ विप्लव के वीर!बादल को कहा गया है। बादल घनघोर वर्षा करता है तथा बिजलियाँ गिराता है। इससे सारा जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। बादल क्रांति का प्रतीक है। क्रांति आने से बुराई रूपी कीचड़ समाप्त हो जाता है तथा आम व्यक्ति को जीने योग्य स्थिति मिलती है।
5. बादल राग’ शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
उत्तर –
‘बादल राग’ क्रांति की आवाज का परिचायक है। यह कविता जनक्रांति की प्रेरणा देती है। कविता में बादलों के आने से नए पौधे हर्षित होते हैं, उसी प्रकार क्रांति होने से आम आदमी को विकास के नए अवसर मिलते हैं। कवि बादलों का बारिश करने या क्रांति करने के लिए करता है। यह शीर्षक उद्देश्य के अनुरूप है। अतः यह शीर्षक सर्वथा उचित है।
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