भगवान के डाकिए कविता का सारांश – Bhagwan Ke Dakiye Poem Meaning in Hindi : भगवान के डाकिए कविता में कवि रामधारी सिंह दिनकर जी ने पक्षी और बादलों को भगवान के डाकिए कहा है। उनके अनुसार ये एक देश के संदेशों को दूसरे देश तक पहुंचाते हैं। भले ही हम उनके पत्रों को ना समझ पाएं, लेकिन पर्वत, पेड़-पौधे और पानी आदि इनकी चिट्ठियां आसानी से पढ़ लेते हैं। कवि के अनुसार, हवाओं में तैरते बादल और बादलों पर उड़ते पक्षी एक देश की खुशबू और भाप को दूसरे देश तक ले जाते हैं।
भगवान के डाकिए का भावार्थ – Bhagwan Ke Dakiye Class 8 Summary
पक्षी और बादल,
ये भगवान के डाकिए हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं।
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड़, पौधे, पानी और पहाड
बाँचते हैं।
भगवान के डाकिए भावार्थ: भगवान के डाकिए कविता की इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि आसमान में तैरते बादल और पक्षी भगवान के डाकिए हैं। ये एक देश से उड़कर दूसरे देश तक जाते हैं और ख़ास संदेशों का आदान-प्रदान करते हैं। ये संदेश हम समझ नहीं पाते, लेकिन भगवान के संदेश को पर्वत, जल, पेड़-पौधे आदि बख़ूबी समझ लेते हैं।
हम तो केवल यह आँकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की पाँखों पर तिरता है।
और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है।
भगवान के डाकिए भावार्थ: रामधारी सिंह दिनकर जी ने यहां हमें प्रकृति की महानता के बारे में बताया है। हम तो धरती को सीमाओं में बांट लेते हैं, लेकिन प्रकृति के लिए सब एक-समान हैं। इसीलिए एक देश की धरती अपनी सुगंध दूसरे देश को भेजती है। ये सुगंध पक्षियों के पंखों पर बैठकर यहां-वहां फैलती है और एक देश की भाप, दूसरे देश में पानी बनकर बरस जाती है।
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