Diye Jal Uthe Important Question Answers
प्रश्न 1 – किस कारण से प्रेरित हो स्थानीय कलेक्टर ने पटेल को गिरफ्तार करने का आदेश दिया?
उत्तर – सरदार वल्लभभाई पटेल ने अपने पिछले आंदोलन में स्थानीय कलेक्टर शिलिडी को अहमदाबाद से भगा दिया था। जहाँ कलेक्टर शिलिडी सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा किए जा रहे आंदोलन को दबाने के लिए आया था। वहाँ से भगाये जाने को वह अपमान के रूप में देख रहा था और इसी अपमान का बदला लेने के लिए कलेक्टर शिलिडी ने सरदार वल्लभभाई पटेल को मनाही के आदेश को भंग करने के आरोप में गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया।
प्रश्न 2 – जज को पटेल की सज़ा के लिए आठ लाइन के फैसले को लिखने में डेढ़ घंटा क्यों लगा?
उत्तर – सरदार वल्लभभाई पटेल ने रास में भाषण की शुरुआत करके कोई अपराध नहीं किया था यह जज भी अच्छी तरह जानते थे। सरदार वल्लभभाई पटेल को कलेक्टर ने ईर्ष्या व रंजिश के कारण और अपने अपमान का बदला लेने के लिए गिरफ्तार करवाया था। सरदार वल्लभभाई पटेल के पीछे देशवासियों का पूरा समर्थन था। बिना अपराध के कारण सरदार वल्लभभाई पटेल को किस धारा के अंतर्गत कितनी सजा दें, यही सोच-विचार करने के कारण जज को डेढ़ घंटे का समय लगा।
प्रश्न 3 – “मैं चलता हूँ! अब आपकी बारी है।”- यहाँ पटेल के कथन का आशय उधृत पाठ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – सरदार वल्लभभाई पटेल को मनाही के आदेश का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। यद्यपि मनाही के आदेश को उसी समय लागू किया गया था और सरदार वल्लभभाई पटेल अपने भाषण की शुरुआत पहले ही कर चुके थे। अतः उनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी थी। अंग्रेज़ सरकार को कोई-न-कोई बहाना बनाकर कांग्रेस के नेताओं को पकड़ना था। इसी सत्य को बतलाने के इरादे से सरदार वल्लभभाई पटेल ने गाँधी जी को कहा कि अब वे तो अंग्रेजी सरकार के षडयन्त्र के कारण जेल जा रहे है उन्हें भी सावधानी से काम करना होगा। नहीं तो अंग्रेजी सरकार कोई न कोई बहाना बना कर उन्हें भी गिरफ्तार कर सकती है। अतः उन्हें आगे के सफर की और अच्छे से तैयारियाँ करनी चाहिए।
प्रश्न 4 – “इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखें”-गांधी जी ने यह किसके लिए और किस संदर्भ में कहा?
उत्तर – सरदार वल्लभभाई पटेल की गिरफ्तारी के बाद जब गांधी जी रास पहुँचे तो दरबार समुदाय के लोगों के द्वारा उनका बहुत ही सुंदर स्वागत किया गया। ये दरबार लोग रियासतदार होते थे, जो अपना ऐशो-आराम छोड़कर रास में बस गए थे। केवल गांधी जी को उनके कूच में सहायता प्रदान करने के लिए, जबकि उन्हें भी पता था कि गांधी जी का साथ देने के कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है। गांधी जी ने “इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखें” ये शब्द इन्हीं दरबार लोगों के त्याग और ऐसे फैसले लेने के साहस के कारण कहे थे।
प्रश्न 5 – पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध होता है कि-‘कैसी भी कठिन परिस्थिति हो उसका सामना तात्कालिक सूझबूझ और आपसी मेलजोल से किया जा सकता है। अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – इस पाठ से सिद्ध होता है कि हर कठिन परिस्थिति को आपसी सूझबूझ और सहयोग से निपटा जा सकता है। सरदार वल्लभभाई पटेल की गिरफ्तारी से एक चुनौती सामने आई। गुजरात का सत्याग्रह आंदोलन असफल होता जान पड़ा। किंतु स्वयं गाँधी जी ने आंदोलन की कमान सँभाल ली। यदि वे भी गिरफ्तार कर लिए जाते तो उसके लिए भी उपाय सोचा गया। अब्बास तैयबजी नेतृत्व करने के लिए तैयार थे। गाँधी जी को रास से कनकापुर की सभा में जाना था। वहाँ से नदी पार करनी थी। इसके लिए गाँववासियों ने पूरी योजना बनाई। रात ही रात में नदी पार की गई। इसके लिए झोंपड़ी, तंबू, नाव, दिए आदि का प्रबंध किया गया। सारा कठिन काम चुटकियों में संपन्न हो गया। इस पाठ में सभी के आपसी सहयोग के कारण ही सभी कार्य आराम से बिना किसी कठिनाई के संपन्न होते चले गए।
प्रश्न 6 – महिसागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर – गांधी जी और सत्याग्रही सायं छह बजे चलकर आठ बजे कनकापुरा पहुँचे। वहीं आधी रात में महिसागर नदी पार करने का निर्णय लिया गया। फैसला लिया गया कि नदी को आधी रात के समय जब नदी में समुद्र का पानी चढ़ जाता है उस समय नदी को पार किया जाएगा ताकि लोगों को कीचड़ और दलदल में कम-से-कम चलना पड़े। रात के समय जब समुद्र का पानी चढ़ना शुरू हुआ तब तक अँधेरा इतना घना हो गया था कि छोटे-मोटे दिये उसे भेद नहीं पा रहे थे।
थोड़ी ही देर में कई हजार लोग नदी तट पर पहुँच गए। उन सबके हाथों में दिये थे। इसी तरह का दृश्य नदी के दूसरी ओर भी था। नदी के दूसरी ओर भी पूरा गाँव और आस-पास से आए लोग दिये की रोशनी लिए गांधी जी और उनके सत्याग्रहियों का इंतजार कर रहे थे। रात के लगभग बारह बजे महिसागर नदी का किनारा पानी से भर गया। समुद्र का पानी चढ़ आया था। पानी चढ़ने की खबर सुन कर गांधी जी झोपड़ी से बाहर निकले और घुटनों तक पानी में चलकर नाव तक पहुँचे। गांधी जी के वहाँ से चलते ही ‘महात्मा गांधी की जय’, ‘सरदार पटेल की जय’ और ‘जवाहरलाल नेहरू की जय’ के नारे सुनाई देने लगे और उन्हीं नारों के बीच नाव रवाना हुई जिसे रघुनाथ काका चला रहे थे।
कुछ ही देर में नारों की आवाज नदी के दूसरे तट से भी आने लगी। उन आवाजों को सुन कर ऐसा लग रहा था जैसे वह नदी का किनारा नहीं बल्कि पहाड़ की घाटी हो, जहाँ जब कोई शब्द जोर से पुकारा जाता है तो उस शब्द के उपरान्त उसी से उत्पान्न शब्द सुनाई देता है। क्योंकि नदी के दूसरी ओर जमा हुए लोग भी उसी तरह से ‘महात्मा गांधी की जय’, ‘सरदार पटेल की जय’ और ‘जवाहरलाल नेहरू की जय’ के नारे लगा रहे थे। नदी के दोनों तटों पर मेले जैसा दृश्य हो रहा था।
प्रश्न 7 – “यह धर्मयात्रा है। चलकर पूरी करूंगा”-गांधीजी के इस कथन द्वारा उनके किस चारित्रिक गुण का परिचय प्राप्त होता है?
उत्तर – इस कथन द्वारा गांधी जी की दृढ़ आस्था, सच्ची निष्ठा और वास्तविक कर्तव्य भावना के दर्शन होते हैं। वे किसी भी आंदोलन को धर्म के समान पूज्य मानते थे और उसमें पूरे समर्पण के साथ लगते थे। वे औरों को कष्ट और बलिदान के लिए प्रेरित करके स्वयं सुख-सुविधा भोगने वाले ढोंगी नेता नहीं थे। वे हर जगह त्याग और बलिदान का उदाहरण स्वयं अपने जीवन से देते थे।
प्रश्न 8 – गांधी को समझने वाले वरिष्ठ अधिकारी इस बात से सहमत नहीं थे कि गांधी कोई काम अचानक और चुपके से करेंगे। फिर भी उन्होंने किस डर से और क्या एहतियाती कदम उठाए?
उत्तर – अंग्रेज अधिकारी भी गांधी जी की स्वाभाविक विशेषताओं से परिचित थे। वे जानते थे कि गांधी जी छल और असत्य से कोई काम नहीं करेंगे। फिर भी उन्होंने इस डर से एहतियाती कदम उठाए कि गांधी जी ने कहा था कि मही नदी के तट पर भी नमक बनाया जा सकता है, इसलिए नदी के तट से सारे नमक के भंडार नष्ट करवा दिए गए ताकि गांधी जी नदी के तट पर ही नमक बना कर कानून न तोड़ सकें।
प्रश्न 9 – गांधी जी के पार उतरने पर भी लोग नदी तट पर क्यों खड़े रहे?
उत्तर – जब गांधी जी महिसागर नदी के पार उतर गए। फिर भी लोग नदी तट पर इसलिए खड़े रहे ताकि गाँधी जी के पीछे आ रहे सत्याग्रही भी तट तक पहुँच जाएँ और उन्हें दियों का प्रकाश मिल सके। शायद उन्हें पता था कि रात में कुछ और लोग आएँगे जिन्हें नदी पार करानी होगी। उन लोगों को पता था कि उनके सत्यग्रह में अभी और भी लोग जुड़ने वाले हैं, उन लोगों को भी नदी पार करवाना जरुरी था ताकि उन्हें भी सही रास्ते का पता चले और उनके सत्यग्रह में लोगों की संख्या बड़े ताकि अंग्रेज सरकार उनके कूच को न दबा सके और वे नमक बना कर कानून को तोड़ सकें।
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