मिठाईवाला वसंत भाग – 1 (Summary of Mithaiwala Vasant)
यह कहानी भगवतीप्रसाद वाजपेयी जिसमें कहानीकार ने एक पिता का बच्चों के प्रति प्रेमभाव को दर्शाया है| किस तरह से एक पिता अपने बच्चों को खोने के बाद अन्य बच्चों में उस ख़ुशी की तलाश करता है|
एक आदमी पहले एक खिलौनेवाले के रूप में आता है। वह मधुर स्वर में बच्चों को बहलाने वाला, खिलौनेवाला’ गाकर सुनाता है। सभी बच्चे उसके खिलौनों पर रीझकर अपनी तोतली आवाज़ में भाव पूछते हैं। नन्हे-नन्हे बच्चों से पैसे लेकर तथा उन्हें खिलौने दे वह फिर वहाँ से गीत गाता हुआ चल पड़ता है| राम विजय बहादुर के बच्चे चुन्नू-मुन्नू भी एक दिन खिलौने लेकर आए। उनकी माँ रोहिणी इतने सुंदर और सस्ते खिलौने देखकर सोचने लगी कि वह इतने सस्ते खिलौने कैसे दे कर गया।
इसके छह महीने बाद नगर में किसी मधुर मुरली बजाकर बेचने वाले का समाचार शहर फैल गया। वह बहुत सस्ती मुरली बेचता था। रोहिणी उसकी आवाज़ सुनकर पहचान गयी ये वही खिलौनेवाला है| रोहिणी ने अपने पति के द्वारा इस मुरलीवाले को बुलाया तथा अपने बच्चों के लिए मुरली खरीद ली। फिर उसे देख बच्चों का समूह खुश होकर उसके चारों तरफ़ इकट्ठा हो गए। मुरली वाले ने सभी बच्चों को देने के बाद उस बच्चे को भी मुफ्त में मुरली दी जिसके पास पैसे भी नहीं थे।
इसके आठ मास बाद सर्दियों में एक मिठाई बेचने वाला गीत गाता हुआ आया। रोहिणी को इसका स्वर भी कुछ सुना हुआ-सा लगा। वह अपनी छत से तुरंत नीचे आई। उसने मिठाईवाले को बुलाया। रोहिणी के पूछने पर उसने बताया कि वह इससे पहले खिलौने और मुरली बेचने आया था। रोहिणी ने उससे पूछा कि वह इतनी सस्ती चीज़ें क्यों बेचता है| मिठाईवाले ने बताया कि वह एक नगर का अमीर आदमी था। उसके दो बच्चे और एक सुंदर पत्नी थी लेकिन अब कुछ भी नहीं रहा। वह अपनी पुरानी बातें याद करके फूट-फूटकर रोने लगा। उसने बताया कि वह इन्हीं बच्चों में अपने बच्चों की झलक देखने के लिए यह सामान बेचता फिरता है। वह रोहिणी के बच्चों चुन्नू-मुन्नू को कागज़ की पुड़िया में मिठाई बिना पैसे लिए ही देकर गीत गाता चल दिया।
कठिन शब्दों के अर्थ –
• मेला – मेरा
• घोला – घोड़ा
• मादक – मस्त
• केछा – कैसा
• छंदल – सुंदर
• अस्थिर – जो स्थिर न हो
• स्नेहाभिषिक्त – प्रेम में डूबा हुआ
• कंठ – गला
• उस्ताद – कुशल
• साफ़ा – पगड़ी
• मृदुल – कोमल
• चिक – घूँघट
• स्मरण – याद
• छज्जा – छत का आगे वाला भाग
• सोथनी – पाजामा
• अंतर्व्यापी – बीच में फैला हुआ
• अम – हम
• लेंदे – लेंगे
• इछका – इसका
• मुल्ली – मुरली
• औल – और
• दुअन्नी – दो आने
• स्नेहसिक्त – प्रेम में डूबा हुआ
• क्षीण – नष्ट
• आजानुलंबित – घुटनों तक लंबे
• केश-राशि – बालों का समूह
• पोपला मुँह – जिसमें दाँत न हों
• चेष्टा – कोशिश
• विस्मयादि भावों में – हैरानी से युक्त भावों में
• अतिशय – बहुत अधिक
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