सार
‘चिट्ठियों की दुनिया’ लेख अरविन्द कुमार सिंह द्वारा लिखित है जो पत्रों के उपयोगिता को दर्शाती है| इस आधुनिक समाज में जब विभिन्न त्वरित संचारों ने मनुष्य के जीवन को घेर रखा है उसमें लेखक ने पत्रों से होने वाले लाभ को बड़े ही सहज रूप में उकेरा है|
संसार में फ़ोन या एसएमएस आ जाने के बाद भी पत्र का महत्व बना है| राजनीति, साहित्य और कला के क्षेत्रों के तमाम विवाद और घटनाओं की शुरुआत पत्र से ही होती है| पत्रों को विभिन्न जगहों पर विभिन्न नामों से जाना जाता है। इन्हें उर्दू में ‘खत’, संस्कृत में ‘पत्र’, कन्नड़ में ‘कागद’, तेलगू में ‘उत्तरम’, ‘जाबू’ व और ‘लेख’ तथा तमिल में ‘कडिद’ कहा जाता है। भारत में प्रतिदिन लगभग चार करोड़ पत्र डाक में डाले जाते हैं जो इसकी लोकप्रियता को बताती है|
पत्र लेखन अब एक कला है| पत्र संस्कृति विकसित करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रमों में पत्र लेखन के विषय को भी शामिल किया गया है| विश्व डाक संघ भी पत्र लेखन को बढ़ावा देने के लिए प्रतियोगिताएँ आयोजित करवाता है जिसकी शुरुआत 1972 में हुई|
पत्रों का इंतज़ार सभी को होता है। हमारे सैनिक पत्रों का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं| आज देश में ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं है, जो अपने पुरखों की चिट्ठियों को सहेज कर रखे हुए हैं। बड़े-बड़े लेखक, पत्रकार, उद्यमी, कवि, प्रशासक, संन्यासी या किसान – इनकी पत्र रचनाएँ अपने आप में अनुसंधान का विषय हैं। पंडित नेहरू द्वारा इंदिरा गाँधी को लिखे गए, पत्र करोड़ों लोगों को प्रेरणा देते हैं। एसoएमoएसo संदेश सँजोकर नहीं रखे जा सकते, पर पत्र यादगार के रुप से सहेजकर रखे जा सकते है। दुनिया के अनेक संग्रहालयों में महान हस्तियों के पत्र देखे जा सकते हैं।
महात्मा गांधी के पास दुनिया भर से ढेर सारे पत्र केवल महात्मा गांधी-इंडिया नाम से लिखे आते थे। अपने पास आए तमाम पत्रों का जवाब वे स्वयं दिया करते थे। पत्रों के आधार पर अनेक किताबें लिखी गई हैं। निराला के पत्र ‘हमको लिख्यौ है कहा’, पंत के दो सौ पत्र बच्चन के नाम’ आदि इसके प्रमाण हैं। पत्र दस्तावेज जैसा ही महत्व रखते हैं। प्रेमचंद नए लेखकों को पत्र के माध्यम से प्रेरित करने का काम करते थे। नेहरू, गाँधी- रवींद्रनाथ टैगोर के पत्र प्रेरणा स्रोत हैं|
पत्रों का चलन भारत में बहुत पुराना है| परन्तु आजादी के बाद इसके विकास में बहुत तेजी आई है| डाक विभाग लोगों को जोडऩे का काम करता है। जन-जन तक इसकी पहुँच है। शहर के आलीशान महल में जी रहे लोग, बर्फबारी के बीच रह रहे पहाड़ी लोग, मछुआरे या रेगिस्तान में रह रहे लोग सबको पत्रों का इंतजार बेसब्री से रहता है। दूरदराज के क्षेत्रों मे डाक विभाग द्वारा मनीऑर्डर पहुँचने पर ही वहाँ चूल्हा जलता है। गरीब बस्तियों में डाकिये को देवदूत के रुप में देखा जाता है, क्योंकि उसी के आने से उन्हें पैसा तथा खुशियाँ मिल पाती हैं।
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