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आलो आँधारि (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)
प्रश्न 1:
‘आलो-आँधारि’ पाठ के आधार पर तातुश का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर –
तातुश सज्जन प्रवृत्ति के अधेड़ अवस्था के शिक्षक हैं, वे दयालु हैं तथा करुण भाव से युक्त हैं। जब बेबी उनके घर काम करने आई तो उन्होंने उसके काम की प्रशंसा की। वे उसे अपनी बेटी के समान समझते थे। वे उसे कदम-कदम पर प्रोत्साहित करते थे। बेबी की पढ़ने के प्रति रुचि देखकर वे कॉपी व पेन देते हैं तथा उसे लिखने के लिए प्रेरित करते हैं। वे उसके बच्चों को स्कूल में भेजने की व्यवस्था करते हैं। उसका घर टूट जाने के बाद उसे अपने घर में जगह देते हैं। वे उसके बड़े लड़के को ढूँढ़कर उससे मिलवाते हैं तथा बाद में अच्छी जगह पर उसे काम दिलवाते हैं। जब कभी बेबी के बच्चे बीमार होते हैं तो उनका इलाज भी करवाते थे। तातुश बेबी के लेखन को अपने मित्रों के पास भेजते थे। वे कोई ऐसी बात नहीं करते थे जिससे बेबी को ठेस लगे। ऐसे चरित्र समाज में दुर्लभ होते हैं तथा आदर्श रूप प्रस्तुत करते हैं।
प्रश्न 2:
बेबी के चरित्र की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर –
‘आलो-आँधारि’ रचना की प्रमुख पात्र बेबी है। यह उसकी आत्मकथा है उसके चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
(क) परित्यक्ता-बेबी की शादी अपने से दुगुनी उम्र के व्यक्ति के साथ हुई। उसे ससुराल में सदा प्रताड़ना मिली। वह किसी दूसरी महिला के साथ रहने लगा था। अंत में वह अपने पति को छोड़कर अलग रहने लगी और घरेलू कामकाज करके निर्वाह करने लगी। उसे अनेक तरह की सामाजिक कठिनाइयों का सामना करना पडा।
(ख) साहसी व परिश्रमी-बेबी पति के अत्याचारों को सहन न करके उससे अलग किराए के मकान में रहने लगी। वह लोगों के घरों में काम करके गुजारा करने लगी। वह दिन-रात काम करती थी। तातुश के घर का अत्यधिक काम वह शीघ्रता से कर लेती थी। वह हर स्थिति का सामना करती है। घर तोड़े जाने के बाद वह रात खुले आसमान के नीचे गुजारती है।
(ग) अध्ययनशील-बेबी को पढ़ने-लिखने का चाव था। तातुश की पुस्तकों की अलमारियाँ साफ करते समय वह उन पुस्तकों को खोलकर देखती थी। तातुश ने उसे ‘आमार मेये बेला’ पुस्तक पढ़ने के लिए दी तथा बाद में कॉपी व पेन भी लिखने के लिए दिया। तातुश की प्रेरणा से उसने लिखना शुरू किया।
(घ) स्नेहमयी माता-बेबी अपने बच्चों के भविष्य की बहुत चिंता करती है। वह उन्हें पढ़ाना-लिखाना चाहती है। तातुश की मदद से वह दो बच्चों को स्कूल भेजती है। वह बड़े लड़के के लिए भी व्याकुल रहती है जो किसी के घर काम करता है। तातुश उसे घर लाते हैं। निष्कर्षत: बेबी साहसी, परिश्रमी, अध्ययनशील व स्नेहमयी चरित्र की है।
प्रश्न 3:
सजने-सँवरने के बारे में बेबी की क्या राय थी?
उत्तर –
कोलकाता की शर्मिला दीदी ने लेखिका को अपने घर आने का निमंत्रण दिया तथा सजने-सँवरने आदि की बात कही। सजने-सँवरने की बात पर लेखिका को हैरानी होती है। बचपन से ही उसे सजने का शौक नहीं था। उसे ये काम फालतू के लगते थे। उसने देखा कि लड़कियाँ व बहुएँ घंटों शीशे के सामने खड़ी होकर श्रृंगार करती हैं। वे नयी साड़ी पहनती हैं ताकि पति उनकी तारीफ करे। वे दूसरों से प्रशंसा भी चाहती हैं। कई प्रकार के गहने पहनकर वे घूमने जाती हैं। लेखिका स्वयं को औरों से अलग मानती है। वह तो शादी के बाद भी इन चीजों से दूर रही। उसने सीधी तरह कंघी करके माँग से सिंदूर लगाना ही सीखा था।
प्रश्न 4:
शर्मिला दी और बेबी के संबंधों के बारे में बताइए।
उत्तर –
शर्मिला दी कोलकाता में रहती थीं। वह बेबी को हिंदी में चिट्ठियाँ लिखती थीं। उनकी चिट्ठियों में अलग तरह की ही बात होती थी। बेबी सोचती थी कि वे भी तो घर के काम के लिए कोई लड़की रखी होंगी। क्या वह उसके साथ भी वैसा ही व्यवहार करती होंगी जैसा मेरे साथ। उसे तो वह किसी के घर काम करने वाली लड़की की तरह नहीं देखतीं और चिट्ठियाँ भी अपनी बाँधवी की तरह लिखती हैं। तातुश उसकी चिट्ठयों को पढ़कर सुनाते तो वह अपनी टूटी-फूटी बांग्ला में उन्हें लिख लेती थी। उदास होने पर वह इन्हें पढ़ती तथा प्रसन्न होती थी।
प्रश्न 5:
‘बेबी के लिए तातुश के हृदय में माया है।’-स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –
तातुश ने बेबी को काम पर रखा। वे उसके बच्चों के बारे में पूछते हैं तथा उन्हें स्कूल में भेजने के लिए उसे प्रेरित करते हैं। वे बच्चों के स्कूल में प्रवेश के लिए बेबी की मदद करते हैं। जब बेबी उन्हें दूसरे घर में काम तलाशने के लिए कहती तो वे उसे दूसरी कोठी में काम न करने की सलाह देते थे। वे कहते तो कुछ न थे, परंतु कुछ ऐसा सोचा करते थे कि बेबी को महसूस होता था कि वे बेबी के प्रति माया रखते हैं, कभी-कभी वे बरतन पोंछ रहे होते थे तो कभी जाले ढूँढ़ रहे होते थे।
प्रश्न 6:
सुनील ने बेबी की सहायता कैसे की?
उत्तर –
सुनील तीस-बत्तीस साल का युवक था जो एक कोठी में ड्राइवर का काम करता था। बेबी ने उसे कहीं काम दिलवाने के लिए कह रखा था, जब सुनील को पता चला कि बेबी को डेढ़ सप्ताह से कोई काम नहीं मिला तो वह उसे तातुश के घर ले गया। उनसे बातचीत करके उसने बेबी को उनके घर का काम दिलवा दिया।
प्रश्न 7: तातुश ने बेबी को क्या दिया? उस पर बेबी की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर –
तातुश ने बेबी की पढ़ने-लिखने में रुचि देखी तो उसने उसे पेन व कॉपी दी तथा लिखने को कहा। उसने कहा कि होश सँभालने के बाद से अब तक की जितनी भी बातें तुम्हें याद आएँ, सब इस कॉपी में रोज थोड़ा-थोड़ा लिखना। पेन-कॉपी लेकर बेबी सोचने लगी कि इसका तो कोई ठिकाना नहीं कि जो लिखेंगी, वह कितना गलत या सही होगा। तातुश ने पूछा तो वह चौंक पड़ी। उसने कहा कि सोच रही थी कि लिख सकूंगी या नहीं।
प्रश्न 8:
लेखिका को लेखन के लिए किन-किन लोगों ने उत्साहित किया?
उत्तर –
लेखिका को लेखन के लिए सबसे पहले तातुश ने प्रेरित किया। उन्होंने ही उसका परिचय कोलकाता और दिल्ली के लोगों से करवाया। इसके अतिरिक्त कोलकाता के जेठू आनंद, अध्यापिका शर्मिला आदि पत्र लिखकर उसे प्रोत्साहित करते थे। दिल्ली के रमेश बाबू उनसे फोन पर बातें करते थे।
प्रश्न 9:
तातुश के घर बेबी सुखी थी, फिर भी उदास हो जाती थी। क्यों?
उत्तर –
तातुश के घर पर बेबी को बहुत सुविधाएँ व सहायता मिली, परंतु उसे अपने बड़े लड़के की याद आती थी। उसकी सूचना दो महीने से नहीं आई थी। जो लोग उसके लड़के को लेकर गए थे, उनके दिए पते पर वह लड़का नहीं रहता था। उसने कुछ दूसरे लोगों से पूछा तो किसी ने संतोषजनक उत्तर नहीं दिया। इसलिए वह कभी-कभी उदास हो जाती थी।
प्रश्न 10:
मोहल्लेवासियों का लेखिका के प्रति कैसा रवैया था?
उत्तर –
लेखिका अकेली रहती थी, इस कारण मोहल्लेवासियों का रवैया अच्छा नहीं था। वे उसे हर समय परेशान करते थे। महिलाएँ उससे तरह-तरह के सवाल करती थीं। कुछ पुरुष उसके साथ बात करने की कोशिश करते थे तो कुछ उसे ताने देते थे। औरतें उसके अकेले रहने का कारण पूछती थीं। लोग पानी के बहाने उसके घर के अंदर तक आ जाते थे। वे उससे अजीबो-गरीब सवाल पूछते जिनके जवाब लोकलिहाज से परे थे। दुखी होकर उसने मकान बदलने का फैसला किया।
प्रश्न 11: बेबी को अपनी माँ की मृत्यु का समाचार कैसे मिला?
उत्तर –
एक दिन बेबी के पिता उससे मिलने आए। उसने अपनी माँ के बारे में पूछा तो उन्होंने इधर-उधर की बातें करनी आरंभ कर दीं, फिर बताया कि उसकी माँ तो छह-सात महीने पहले ही दुनिया छोड़ गई है। उसके भाइयों ने उसे नहीं बताया। बेबी सिसक-सिसक कर रोने लगी।
प्रश्न 12:
बेबी ने पार्क में घूमना क्यों छोड़ दिया?
उत्तर –
तातुश के कहने पर बेबी बच्चों को पार्क में घुमाने ले जाती थी। वहाँ अनेक बंगाली औरतें भी थीं। वे उससे उसके पति के बारे में तथा यहाँ अकेली रहने के बारे में तरह-तरह के सवाल पूछती थीं। बेबी को इन बातों का जबाव देना तथा पुरानी बातों को फिर से दोहराना अच्छा नहीं लगता था। पार्क में आने वाले बंगाली लड़के भी उद्दंडतापूर्ण व्यवहार करते थे। इन सब कारणों से उसने पार्क में घूमना छोड़ दिया।
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