Class 8 Sankshipt Budhcharit Chapter 2 Abhinishkraman solution Answer
प्रश्न-1 सिद्धार्थ को निर्वाण के विषय में पहली प्रेरणा किस प्रकार मिली ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, वन भ्रमण के लिए जा रहे राजकुमार सिद्धार्थ ने जब रास्ते में जुते हुए खेत, खेतों में हल से उखड़ी हुई घास, अन्य खरपतवार और हल की जुताई से मरे हुए कीड़े-मकोड़े को देखा तो उसका हृदय द्रवित हो उठा. उसका मन शोक से भर गया. वह घोड़े की पीठ से उतर गया और ज़मीन पर इधर-उधर घुमने लगा. राजकुमार सिद्धार्थ का मन जन्म और मृत्यु के बारे में सोचते-सोचते बहुत ही व्याकुल हो गया. तत्पश्चात् जब सिद्धार्थ एक स्थान पर ध्यानमग्न थे तो उन्हें एक भिक्षुक दिखाई दिया। उस भिक्षुक की बातों को सुनकर सिद्धार्थ को निर्वाण के विषय में पहली प्रेरणा मिली |
प्रश्न-2 राजकुमार ने तपोवन न जाने के लिए राजा के समक्ष क्या-क्या शर्तें रखीं ?
उत्तर- राजकुमार ने तपोवन न जाने के लिए राजा के समक्ष निम्नलिखित शर्तें रखीं —
• मेरी मृत्यु न हो |
• मैं सदा रोगमुक्त रहूँ |
• मुझे कभी बुढ़ापा न आए |
• मेरी संपत्ति सदा बनी रहे |
प्रश्न-3 छंदक कौन था ? सिद्धार्थ ने उसे नींद से क्यों जगाया ?
उत्तर: प्रस्तुत पाठ के अनुसार, छंदक अस्तबल में घोड़ों की देखभाल किया करता था | सिद्धार्थ को एक उत्तम घोड़े की जरूरत थी, जिसके बारे में छंदक को ही पता था | इसलिए सिद्धार्थ जब सबकुछ त्याग कर महल से जाना चाहते थे तो उसने छंदक को जगाया |
प्रश्न-4 सिद्धार्थ से अलग होने पर छंदक और कंथक की दशा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, सिद्धार्थ से अलग होने पर छंदक और कंथक की दशा अत्यंत दयनीय हो गई थी | दोनों अपने स्वामी की पीड़ा महसूस करते हुए निरन्तर रोए जा रहे थे | दोनों की आँखों से आँसू की धार जारी थी | आते समय जिस दूरी को तय करने में उन्हें एक ही रात का समय लगा था, वापस जाते समय उसी दूरी को तय करने में उन्हें लगभग आठ दिन का समय लग गया था |
प्रश्न-5 तपोवन में सिद्धार्थ ने तपस्वियों को क्या करने के लिए कहा ?
उत्तर: प्रस्तुत पाठ के अनुसार, तपोवन में सिद्धार्थ ने तपस्वियों से कहा कि स्वर्ग में सुख की चाह में इस लोक में अपने आप को अत्यधिक कष्ट देना धर्म का सही या उचित मार्ग नहीं हो सकता है | अत: सिद्धार्थ ने तपस्वियों को संबोधित करते हुए कहा कि धर्म का लक्ष्य स्वर्ग न होकर मोक्ष होना चाहिए |
प्रश्न-6 वन से लौटने के संबंध में राजमंत्री के तर्क सुनकर सिद्धार्थ ने क्या कहा ?
उत्तर- वन से लौटने के संबंध में राजमंत्री के तर्क सुनकर सिद्धार्थ ने कहा कि उन्हें अपने पिता को दुःख पहुँचाने का अफसोस तो है, परन्तु अब वे अपने मार्ग पर पूरी दृढ़ता से अडिग हैं और आगे बढ़ने की चाह रखते हैं | मोह और माया किसी स्वप्न की तरह क्षणभंगुर होते हैं | इसलिए वह मोक्ष की तलाश में घर से निकल हैं |
प्रश्न-7 बिंबसार ने सिद्धार्थ की सहायता के लिए क्या प्रस्ताव रखा ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, महाराज बिंबसार ने सिद्धार्थ की सहायता के लिए पूरा राज संसाधन देने का प्रस्ताव रखा ताकि सिद्धार्थ अपने पुरुषार्थ को ज़िंदा रखते हुए राजधर्म के मार्ग पर चल सके | राजकुमार सिद्धार्थ के पिता बिंबसार का मानना था कि हर आश्रम के लिए निर्धारित आयु बनी होती है, इसलिए राजकुमार सिद्धार्थ को भी अपनी आयु के अनुसार पहले गृहस्थाश्रम का पालन करना चाहिए, तत्पश्चात् उचित समय आने पर सन्यास लेना चाहिए |
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