NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 18 – श्रीकांत वर्मा
1. मगध के माध्यम से ‘हस्तक्षेप’ कविता किस व्यवस्था की ओर इशारा कर रही है?
उत्तर
हस्तक्षेप कविता मगध के बहाने आज के जनतांत्रिक प्रणाली में सत्तासीन लोगों की निरंकुशता की ओर इशारा कर रही है|
2. व्यवस्था को ‘निरंकुश’ प्रवृत्ति से बचाए रखने के लिए उसमें ‘हस्तक्षेप’ जरूरी है – कविता को दृष्टि में रखते हुए अपना मत दीजिए।
उत्तर
व्यवस्था को ‘निरंकुश’ प्रवृत्ति से बचाए रखने तथा व्यवस्था को लोकप्रिय एवं न्यायपूर्ण बनाने के लिए ‘हस्तक्षेप’ जरूरी है क्योंकि यदि व्यवस्था एक बार निरंकुश हो गई तो नागरिक अपने अधिकारों की रक्षा नहीं कर सकेंगें| जनता के हस्तक्षेप से शासन पर अंकुश लगाया जा सकता है|
3. मगध निवासी किसी भी प्रकार से शासन व्यवस्था में हस्तक्षेप करने से क्यों कतराते हैं?
उत्तर
मगध निवासी हस्तक्षेप से इसलिए कतराते हैं क्योंकि उन्हें यह डर रहता है कि कहीं इस व्यवस्था के खिलाफ आवाज़ उठाने में वह अकेला न रह जाए और सत्तासीन लोगों की नज़र में ना आ जाए और उसके साथ बुरा व्यवहार न हो|
4. ‘मगध अब कहने को मगध है, रहने को नहीं’ – के आधार पर मगध की स्थिति का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर
मगध में निरंकुशता लगातार बढ़ती जा रही है जिसके कारण जनता परेशान है। लोगो की आवाजों को दबा दिया जाता है। अत्याचारों को सहते-सहते उनकी सहनशीलता जवाब दे गई है। लोग अब निरंकुश शासन व्यवस्था के विरुद्ध दबी जुबान में बोलने भी लगे हैं। यही कारण है कि अब कहा जाने लगा है ‘मगध अब कहने को मगध है, रहने को नहीं।’
5. मुर्दे का हस्तक्षेप क्या प्रश्न खड़ा करता है? प्रश्न की सार्थकता को कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
मगध में निरंकुशता लगातार बढ़ती जा रही है। लोग अपनी बात कहने से डरते हैं। वे अत्याचार सहने को मजबूर हैं| मुर्दे का हस्तक्षेप यह बताता है कि व्यक्ति इतना प्रताड़ित हो चुका है की उसे अब किसी बात का डर नहीं रहा है| वह औरों से पूछना चाहता है कि मनुष्य क्यों डर रहा है|
6. ‘मगध को बनाए रखना है, तो, मगध में शांति रहनी ही चाहिए’ – भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
कवि कहते हैं राजनेता आम आदमी को गुमराह करते हैं कि वह शांति बनाए रखने के लिए वे सत्तासीन लोगों के विरोध में एक शब्द भी न कहे। यदि कहीं से भी कोई आवाज़ आई, तो यह जनतांत्रिक व्यवस्था के लिए अशांति का कारण बन जाएगी।
7. ‘हस्तक्षेप’ कविता सत्ता की क्रूरता और उसके कारण पैदा होनेवाले प्रतिरोध की कविता है – स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
मगध को इस कविता में निरंकुशता का प्रतीक दिखाया गया है| सत्तासीन लोगों के अत्याचारों और क्रूरता के कारण आम आदमी दुखी और पीड़ित है परन्तु किसी भी व्यक्ति में सत्तासीन लोगों के विरोध का साहस नहीं है| वे आँख मूँदकर इस अन्यायपूर्ण व्यवस्था को ही सच समझ कर जी रहे हैं|
8. निम्नलिखित लाक्षणिक प्रयोगों को स्पष्ट कीजिए-
(क) कोई छींकता तक नहीं
उत्तर
लोग शासन व्यवस्था के अत्याचारों से परेशान हैं लेकिन फिर भी किसी में इतना साहस नहीं है कि वे सत्तासीन लोगों के खिलाफ आवाज़ उठाएँ|
(ख) कोई चीखता तक नहीं
उत्तर
इस पंक्ति के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि निरंकुश शासन में लोग अत्याचार के विरुद्ध अपनी जुबान तक नहीं खोलना चाहते हैं।
(ग) कोई टोकता तक नहीं
उत्तर
निरंकुश शासन में लोगों पर अत्याचार होते हैं परन्तु कोई सत्ता से सवाल नहीं पूछता है, जबकि लोकतंत्र के लिए हस्तक्षेप आवश्यक है।
9. निम्नलिखित पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए –
(क) मगध को बनाए रखना है, तो ………… मगध है, तो शांति है
उत्तर
संदर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीकांत वर्मा द्वारा रचित कविता ‘हस्तक्षेप’ से ली गई है। इसमें कवि मगध की शासन व्यवस्था का व्यवहार दर्शाता है।
व्याख्या – लोकतान्त्रिक अव्यवस्था पर कवि व्यंग्य करते हुए कहते हैं कि सत्ताधारियों की अत्याचारों से आम लोग इतने भयभीत है कि वह इनके सामने आवाज़ उठाने का साहस नहीं जुटा पाती है। आम लोग को राजनेता गुमराह करते हैं वह शांति बनाए रखने के लिए वे सत्तासीन लोगों के विरोध में एक शब्द भी न कहे यानी जनतांत्रिक व्यवस्था के विरोध में कुछ भी नहीं कहना है।
(ख) मगध में व्यवस्था रहनी ही चाहिए ………… क्या कहेंगे लोग?
उत्तर
संदर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीकांत वर्मा द्वारा रचित कविता ‘हस्तक्षेप’ से ली गई है। इसमें कवि मगध की शासन व्यवस्था का फैलाया हुआ डर दिखाता है।
व्याख्या –
शासन व्यवस्था कहती है कि मगध में शांति बनाए रखने के लिए व्यवस्था का होना आवश्यक है। निरंकुश राष्ट्र में किसी के ऊपर कितना भी अत्याचार क्यों न हो, वह चीख नहीं सकता क्योंकि इससे वहाँ की शांति व्यवस्था खतरे में पड़ जाएगी। मगध जैसे शक्तिशाली राष्ट्र में यदि व्यवस्था नहीं रही तो बदनामी होगी।
(ग) जब कोई नहीं करता ………… मनुष्य क्यों मरता है?
उत्तर
संदर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीकांत वर्मा द्वारा रचित कविता ‘हस्तक्षेप’ से ली गई है। इस पंक्ति पर कवि मुर्दे के माध्यम से लोगों को चेताता है कि हस्तक्षेप करना आवश्यक होता है।
व्याख्या – मगध के लोग शासन व्यवस्था के अन्याय तथा अत्याचार से परेशान हैं। एक साधारण एवं सबसे कमजोर यानी मरे हुए के समान व्यक्ति उसका विरोध करता है। से अब किसी बात का डर नहीं रहा है| वह औरों से पूछना चाहता है कि मनुष्य क्यों डर रहा है|
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