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NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 15 – महादेवी वर्मा
प्रश्न-अभ्यास
जाग तुझको दूर जाना
1. ‘जाग तुझको दूर जाना’ कविता में कवयित्री मानव को किन विपरीत स्थितियों में आगे बढ़ने के लिए उत्साहित कर रही है?
उत्तर
इस कविता में कवयित्री मानव को आँधी, तूफ़ान, भूकंप की चिंता न करते हुए सांसारिक माया-मोह के बंधनों को त्यागकर, समस्त सुखों, भोग-विलासों को छोड़कर, समस्त कष्टों को भूलकर और कठिनाइयों का सामना करते हुए निरंतर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दे रही हैं।
2 कवयित्री किस मोहपूर्ण बंधन से मुक्त होकर मानव को जागृति का संदेश दे रही है?
उत्तर
कवयित्री मानव का सांसारिक मायामोह, सुख-सुविधाओं, भोग-विलास, नाते-रिश्ते आदि के बंधनों से मुक्त होकर निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहने के लिए मानव को जागृति का संदेश दे रही है।
3. ‘जाग तुझको दूर जाना’ स्वाधीनता आंदोलन की प्रेरणा से रचित एक जागरण गीत है। इस कथन के आधार पर कविता की मूल संवेदना को लिखिए।
उत्तर
महादेवी वर्मा द्वारा रचित कविता ‘जाग तुझको दूर जाना’ में स्वतंत्रता आंदोलन की परिस्थितियों का वर्णन किया गया है। इस कविता में कवयित्री ने देश के लोगों से कहा कि वह कठिन परिस्थितियों में भी आगे बढ़कर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लें| इसके लिए उन्हें सांसारिक मोह-माया को त्यागना होगा इस लिए वे इसकी चिंता ना करें| वे मंज़िल की ओर चलते रहें यानी स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए कदम उठाते रहे|
4. निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) विश्व का क्रंदन” …………………………अपने लिए कारा बनाना!
उत्तर
कवयित्री भारतीयों को स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए जागृति करते हुए कहती है कि जब देश पराधीनता की पीड़ा को झेल रहा है तो ऐसे में व्यक्तिगत सुखों को भोगने की इच्छा नहीं करनी चाहिए क्योंकि व्यक्तिगत सुख तभी अच्छे लगते हैं जब हमारे आसपास कोई दुखी न हो। यहाँ देश प्रेम की भावना प्रकट होती है। संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली का प्रयोग है। अनुप्रास, पुनरुक्तिप्रकाश तथा स्वरमैत्री अलंकार विद्यमान हैं।वीर रस और ओज गुण विद्यमान हैं।
(ख) कह न ठंडी साँस …………………………सजेगा आज पानी।
उत्तर
कवयित्री भारतीयों को स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए जागृति करते हुए कहती है कि स्वतंत्रता के मार्ग में आने वाली निराशा भरी कहानी को भूल जाना चाहिए| योद्धा की आँखों में आँसू तभी अच्छे लगते हैं जब पराजय के बाद भी मन में युद्ध करने का जोश हो। हारे हुए योद्धा के आँसू आँखों की शोभा नहीं बढ़ाते। संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली का प्रयोग है। दूसरी पंक्ति में विरोधाभास अलंकार है। करुण रस एवं प्रसाद गुण विद्यमान हैं।
(ग) है तुझे अंगार-शय्या ………………………… कलियाँ बिछाना!
उत्तर
कवयित्री ने कठिन-से-कठिन परिस्थितियों में भी आगे बढ़ते रहने तथा परेशानियों, कष्टों से न घबराने की प्रेरणा दी गई है। संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली का प्रयोग है। ‘अंगार शैय्या’ में प्रतीकात्मक प्रयोग है।
5. कवयित्री ने स्वाधीनता के मार्ग में आनेवाली कठिनाइयों को इंगित कर मुनष्य के भीतर किन गुणों का विस्तार करना चाहा है? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
इस कविता में कवयित्री ने साहस, धैर्य जैसे गुणों का विस्तार करना चाहा है| उन्होंने कहा कि कठिन परिस्थतियों में भी मनुष्य को अपना साहस नहीं छोड़ना चाहिए और मजबूती से उसका सामना करना चाहिए| साथ ही मनुष्यों को सांसारिक सुखों का त्याग कर मंज़िल की ओर अग्रसर रहना चाहिए| कवयित्री ने मनुष्य के भीतर के आलस्य त्यागकर और मन को शांत और स्थिर रखकर अपने उद्देश्य की पूर्ति में लग जाने को कहा है|
सब आँखों के आँसू उजले
6. महादेवी वर्मा ने ‘आँसू’ के लिए ‘उजले’ विशेषण का प्रयोग किस संदर्भ में किया है और क्यों?
उत्तर
कवयित्री ने ‘आँसू’ के लिए ‘उजले’ विशेषण का प्रयोग स्वप्न अर्थात् आशा और सत्य के संदर्भ में किया है क्योंकि सभी आँखों के सपने उजले होते हैं और सभी में सत्य पलता है अर्थात् आशापूर्ण भविष्य के सपनों में ही सत्य पलता है, जो हमेशा उज्ज्वल होता है।
7. सपनों को सत्य रूप में ढालने के लिए कवयित्री ने किन यथार्थपूर्ण स्थितियों का सामना करने को कहा है?
उत्तर
कवयित्री का मानना है कि सपनों को सत्य रूप में ढालने के लिए मनुष्य को जीवन में आनेवाली कठिनाइयों, सुख-दुखों आदि का साहसपूर्वक सामना करना चाहिए और किसी भी स्थिति में घबराना नहीं चाहिए।
8. निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) आलोक लुटाता वह ………………………… कब फूल जला?
उत्तर
कवयित्री का मानना है कि परमात्मा ही इस संसार के प्राणियों को सुख दुख देता है। कभी वह संसार को सूर्य के प्रकाश से तो कभी फूलों को सुगंध से भर देता है। दोनों ही संसार में आनंद बिखेरते हैं परंतु ये सब कब और कैसे होगा यह उस परमात्मा पर ही निर्भर करता है।
(ख) नभ तारक-सा……………..हीरक पिघला?
उत्तर
कवयित्री कहती है कि सूर्य के अस्त होते ही वातावरण अंधकारमय हो जाता है फलस्वरूप दिन का सूर्य रूपी सत्य रात को चाँद-सितारे बनकर आकाश को चूमता प्रतीत होता है। यानी हर मनुष्य अपने हिसाब से जी रहे हैं| हीरा तराशे जाने की अनेक कठिनाइयाँ सहने से भी नहीं डरता। सोना आग में तपकर और अधिक चमकीला बन जाता है। फिर भी सोने ने न तो कभी हीरे की तरह अनमोल बनने के लिए टूटना या छुरे से तराशा जाना स्वीकार किया और न कभी हीरे ने सोने की-सी चमक प्राप्त करने के लिए आग में तपना स्वीकार किया।
9. काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए। संसृति के प्रति पग में मेरी एकाकी प्राण चला!
उत्तर
इन पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि इस दुखी संसार में सुख-दुख एकाकार होकर मेरे प्राण अकेले चले जा रहे हैं अर्थात मेरे जीवन का अंत होनेवाला है और मैंने यह जान लिया है कि जीवन के प्रत्येक स्वप्न में सत्य समाहित होता है। ‘प्रति पग’ तथा ‘जलते खिलते बढ़ते’ में अन्त्यानुप्रास अलंकार है। भाषा तत्सम प्रधान, लाक्षणिक एवं प्रतीकात्मक है। उद्बोधनात्मक शैली है। गेयता का गुण विद्यमान है।
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