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चार्ली चैप्लिन यानी हम सब (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)
प्रश्न 1:
चार्ली चैप्लिन की जिंदगी ने उन्हें कैसा बना दिया? ‘चार्ली चैप्लिन यानी हम सब’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर =
चार्ली एक परित्यक्ता, दूसरे दर्जे की स्टेज अभिनेत्री के बेटे थे। उन्होंने भयंकर गरीबी और माँ के पागलपन से संघर्ष करना सीखा। साम्राज्यवाद, औद्योगिक क्रांति पूँजीवाद तथा सामंतशाही से मगरूर एक समाज का तिरस्कार उन्होंने सहन किया। इसी कारण मासूम चैप्लिन को जो जीवन मूल्य मिले, वे करोड़पति हो जाने के बाद भी अंत तक रहे। इन परिस्थितियों ने चैप्लिन में मूल्यों को सदा जीवित रखा, जो इशारे से बतला देता है कि राजा भी उतना ही नंगा है, जितना मैं हूँ और हँस देता है। यही यह कलाकार है, जिसने विषम परिस्थितियों में भी हिम्मत से काम लिया।
प्रश्न 2:
चार्ली चैप्लिन ने दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को कैसे तोडा हैं?
उत्तर =
चार्ली की फिल्में बच्चे-बूढे, जवान, वयस्कों सभी में समान रूप से लोकप्रिय हैं। यह चैप्लिन का चमत्कार ही है कि उनकी फिल्मों को पागलखाने के मरीजों, विकल मस्तिष्क लोगों से लेकर आइंस्टाइन जैसे महान प्रतिभावाले व्यक्ति तक एक स्तर पर कहीं अधिक सूक्ष्म रसास्वाद के साथ देख सकते हैं। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि हर वर्ग में लोकप्रिय इस कलाकार ने फिल्म-कला को लोकतांत्रिक बनाया और दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण व्यवस्था को तोड़ा। कहीं-कहीं तो भौगोलिक सीमा, भाषा आदि के बंधनों को भी पार करने के कारण इन्हें सार्वभौमिक कलाकार कहा गया है।
प्रश्न 3:
चैप्लिन के व्यक्तित्व की तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए जिनके कारण उन्हें भुलाना कठिन हैं?
अथवा
चार्ली के व्यक्तित्व की तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर =
चैप्लिन के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं जिनके कारण उन्हें भुलाना कठिन है-
1, चाली चैप्लिन सदैव खुद पर हँसते थे।
2. वे सदैव युवा या बच्चों जैसा दिखते थे।
3. कोई भी व्यक्ति उन्हें बाहरी नहीं समझता था।
4. उनकी फिल्मों में हास्य कब करुणा के भाव में परिवर्तित हो जाता था, पता नहीं चलता था।
प्रश्न 4:
चार्ली चैप्लिन कौन था? उसके भारतीयकरण से लेखक का क्या आशय हैं?
उत्तर –
चार्ली चैप्लिन पश्चिम का महान कलाकार था जिसने हास्य मूक फ़िल्में बनाई। उसकी फिल्मों में हास्य करुणा में बदल जाता था। भारतीय रस पद्धति में इस तरह का परिवर्तन नहीं पाया जाता। यहाँ फ़िल्म का अभिनेता स्वयं पर नहीं हँसता। राजकपूर ने ‘आवारा’ फिल्म को ‘द ट्रैम्प’ के आधार पर बनाया। इसके बाद श्री 420′ व कई अन्य फिल्म के कलाकारों ने चार्ली का अनुकरण किया।
प्रश्न 5:
भारतीय जनता ने चार्ली के किस ‘फिनोमेनन’ को स्वीकार किया? उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिए।
उत्तर =
भारतीय जनता ने चार्ली के उस फिनोमेनन को स्वीकार किया जिसमें नायक स्वयं पर हँसता है। यहाँ उसे इस प्रकार स्वीकार किया गया जैसे बत्तख पानी को स्वीकारती है। भारत में राजकपूर, जानी वाकर, अमिताभ बच्चन, शम्मी कपूर, देवानंद आदि कलाकारों ने ऐसे चरित्र के अभिनय किए। लेखक ने चार्ली का भारतीयकरण राजकपूर को कहा। उनकी फिल्म अवारा सिर्फ ‘द ट्रैप’ का शब्दानुवाद ही नहीं थी, बल्कि चार्ली का भारतीयकरण ही था।
प्रश्न 6:
पश्चिम में बार-बार चार्ली का पुनर्जीवन होता हैं।-कैसे?
उत्तर =
लेखक बताता है कि पश्चिम में चार्ली द्वारा निभाए गए चरित्रों की नकल बार-बार की जाती है। अनेक अभिनेता उसकी तरह नकल करके उसकी कला को नए रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश करते हैं। इस प्रकार चार्ली नए रूप में जन्म लेता रहता है।
प्रश्न 7:
चार्ली के जीवन पर प्रभाव डालने वाली घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
अथवा
बचपन की किन दो घटनाओं ने चार्ली के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला?
उत्तर =
चार्ली के जीवन पर दो घटनाओं का प्रमुख प्रभाव पड़ा, जो निम्नलिखित हैं।
1. एक बार चार्ली बीमार हो गया। उस समय उसकी माँ ने बाइबिल से ईसा मसीह का जीवन चरित्र पढ़कर सुनाया। ईसा के सूली पर पढ़ने के प्रसंग पर माँ बेटे दोनों रोने लगे। इस कथा से उसने करुणा, स्नेह व मानवता का पाठ पढ़ा।
2. दूसरी घटना चार्ली के घर के पास की है। पास के कसाईखाने से एक बार एक भेड़ किसी प्रकार जान बचाकर भाग निकली। उसको पकड़ने के लिए उसके पीछे भागने वाले कई बार फिसलकर सड़क पर गिरे जिसे देखकर दर्शकों ने ठहाके लगाए। इसके बाद भेड़ पकड़ी गई। चाली ने भेड़ के साथ होने वाले व्यवहार का अनुमान लगा लिया। उसका हृदय करुणा से भर गया। करुणा का यही भाव उसकी भावी फ़िल्मों का आधार बना।
प्रश्न 8:
चार्ली की फ़िल्मों की कौन-कौन सी विशेषताएँ हैं?
उत्तर –
लेखक ने चार्ली की फिल्मों की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई हैं।
1. इनमें भाषा का प्रयोग बहुत कम है।
2. इनमें मानवीय स्वरूप अधिक है।
3, चार्ली में सार्वभौमिकता है।
4. वह सदैव चिर युवा या बच्चे जैसा दिखता है।
5. वह किसी भी संस्कृति को विदेशी नहीं लगता।
6. वह सबको अपना स्वरूप लगता है।
प्रश्न 9:
अपने जीवन के अधिकांश हिस्सों में हम क्या होते हैं?
उत्तर –
अपने जीवन के अधिकांश हिस्सों में हम चार्ली के टिली ही होते हैं जिसके रोमांस हमेशा पंक्चर होते रहते हैं। हमारे महानतम क्षणों में कोई भी हमें चिढ़ाकर या लात मारकर भाग सकता है और अपने चरमतम शूरवीर क्षणों में हम क्लैब्य और पलायन के शिकार हो सकते हैं। कभी- कभार लाचार होते हुए जीत भी सकते हैं। मूलतः हम सब चार्ली हैं क्योंकि हम सुपरमैन नहीं हो सकते। सत्ता, शक्ति, बुद्धिमत्ता, प्रेम और पैसे के चरमोत्कर्षों में जब हम आईना देखते हैं तो चेहरा चार्ली-चार्ली हो जाता है।
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