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पथिक Class 11 Aroh Chapter 13 Question Answer
कविता के साथ
प्रश्न 1: पथिक का मन कहाँ विचरना चाहता है?
उत्तर-पथिक का मन बादल पर बैठकर नीलगगन में घूमना चाहता है और समुद्र की लहरों पर बैठकर सागर का कोना-कोना देखना चाहता है।
प्रश्न 2: सूर्योदय वर्णन के लिए किस तरह के बिंबों का प्रयोग हुआ है?
उत्तर-सूर्योदय वर्णन के लिए कवि ने निम्नलिखित बिंबों का प्रयोग किया है-
(क) समुद्र तल से उगते हुए सूर्य का अधूरा बिंब अर्थात् गोला अपनी प्रात:कालीन लाल आभा के कारण बहुत ही मनोहर दिखता है।
(ख) वह सूर्योदय के तट पर दिखने वाले आधे सूर्य को कमला के स्वर्ण-मंदिर का कैंगूरा बताता है।
(ग) दूसरे बिंब में वह इसे लक्ष्मी की सवारी के लिए समुद्र द्वारा बनाई स्वर्ण-सड़क बताता है।
प्रश्न 3: आशय स्पष्ट करें-
(क) सस्मित-वदन जगत का स्वामी मृदु गति से आता है। तट पर खड़ा गगन-गगा के मधुर गीत गाता है।
(ख) कैसी मधुर मनोहर उज्ज्वल हैं यह प्रेम कहानी। जी में हैं अक्षर बन इसके बनूँ विश्व की बानी।
उत्तर-
(क) इन पंक्तियों में कवि रात्रि के सौंदर्य का वर्णन करता है। वह बताता है कि संसार का स्वामी मुस्कराते हुए धीमी गति से आता है तथा तट पर खड़ा होकर आकाश-गंगा के मधुर गीत गाता है।
(ख) कवि कहता है कि प्रकृति के सौंदर्य की प्रेम-कहानी को लहर, तट, तिनके, पेड़, पर्वत, आकाश, और किरण पर लिखा हुआ अनुभव किया जा सकता है। कवि की इच्छा है कि वह मन को हरने वाली उज्ज्वल प्रेम कहानी का अक्षर बने और संसार की वाणी बने। वह प्रकृति का अभिन्न हिस्सा बनना चाहता है।
प्रश्न 4: कविता में कई स्थानों पर प्रकृति को मनुष्य के रूप में देखा गया है। ऐसे उदाहरणों का भाव स्पष्ट करते हुए लिखें।
उत्तर-कवि ने अनेक स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण किया है जो निम्नलिखित हैं-
(क) प्रतिक्षण नूतन वेश बनाकर रंग-बिरंग निराला।
रवि के सम्मुख थिरक रही है। नभ में वारिद-माला।
भाव-यहाँ कवि ने सूर्य के सामने बादलों को रंग-बिरंगी वेशभूषा में थिरकती नर्तकी रूप में दर्शाया है।
वे सूर्य को प्रसन्न करने के लिए नए-नए रूप बनाते हैं।
(ख) रत्नाकर गर्जन करता है-
भाव-समुद्र के गर्जन की बात कही है। वह गर्जना ऐसी प्रतीत होती है मानो कोई वीरं अपनी वीरता का हुकार भर रहा हो।
(ग) लाने को निज पुण्य भूमि पर लक्ष्मी की असवारी।
रत्नाकर ने निमित कर दी स्वण-सड़क अति प्यारी।
भाव-कवि को सूर्य की किरणों की लालिमा समुद्र पर सोने की सड़क के समान दिखाई देती है, जिसे समुद्र ने लक्ष्मी जी के स्वागत के लिए तैयार किया है। यह आतिथ्य भाव को दर्शाता है।
(घ) जब गभीर तम अद्ध-निशा में जग को ढक लता हैं।
अंतरिक्ष की छत पर तारों को छिटका देता है।
भाव-इस अंश में अंधकार द्वारा सारे संसार को ढकने तथा आकाश में तारे छिटकाने का वर्णन है। इसमें प्रकृति को चित्रकार के रूप में दर्शाया गया है।
(ड) सस्मित-वदन जगत का स्वामी मृदु गति से आता है।
तट पर खड़ा गगन-गगा के मधुर गीत गाता है।
भाव-इस अंश में ईश्वर को मानवीय रूप में दर्शाया है। वह मुस्कराते हुए आकाश-गंगा के गीत गाता है।
(च) उससे ही विमुग्ध हो नभ में चद्र विहस देता है।
वृक्ष विविध पत्तों-पुष्पों से तन को सज लेता है।
फूल साँस लेकर सुख की सनद महक उठते हैं—
भाव-इसमें चंद्रमा को प्रकृति की प्रेम-लीला पर हँसते हुए दिखाया गया है। मधुर संगीत व अद्भुत सौंदर्य पर मुग्ध होकर चंद्रमा भी मानव की तरह हँसने लगता है। वृक्ष भी मानव की तरह स्वयं को सजाते हैं तथा प्रसन्नता प्रकट करते हैं। फूल द्वारा सुख की साँस लेने की प्रक्रिया मानव की तरह मिलती है।
कविता के आस-पास
प्रश्न 1: समुद्र को देखकर आपके मन में क्या भाव उठते हैं? लगभग 200 शब्दों में लिखें।
उत्तर-समुद्र अथाह जलराशि का स्रोत है। उसमें तरह-तरह के जीव-जंतु पाए जाते हैं। वह स्वयं में रहस्य है तथा इसी कारण आकर्षण का बिंदु है। मेरे मन में बचपन से ही उत्कंठा रही है कि सागर को समीप से देखें। उसके पास जाकर देखें कि पानी की विशाल मात्रा को यह कैसे नियत्रित करता है? इसमें किस-किस तरह की वनस्पतियाँ तथा जीव हैं? लहरें किस तरह आती-जाती हैं?
समुद्र पर सूर्योदय व सूर्यास्त का दृश्य सबसे अद्भुत होता है। सुबह लाल सूर्य धीरे-धीरे ऊपर उठता है और समुद्र के पानी का रंग धीरे-धीरे बदलता रहता है। पहले वह लाल होता है फिर वह नीले रंग में बदल जाता है। शाम के समय समुद्र की लहरों का अपना आकर्षण है। लहरें एक के बाद एक आती हैं। ये जीवन की परिचायक हैं। समुद्र की गर्जना भी सुनाई देती है। शांत समुद्र मन को भाता है। चाँदनी रात में लहरें मादक सौंदर्य प्रस्तुत करती हैं।
प्रश्न 2: प्रेम सत्य है, सुंदर है-प्रेम के विभिन्न रूपों को ध्यान में रखते हुए इस विषय पर परिचर्चा करें।
उत्तर-यह सही है कि प्रेम सत्य है और सुंदर है। यह अनुभूति हमें ईश्वर का बोध कराती है। प्रेम के अनेक रूप होते हैं-
● मौ का प्रेम
● देश–प्रेम
● प्रेयसी-प्रेम
● मानव-प्रेम
● सहचरणी-प्रेम
● प्रकृति–प्रेम
● बाल-प्रेम
उपर्युक्त बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थी स्वयं परिचर्चा आयोजित करें।
प्रश्न 3: वर्तमान समय में हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं इस पर चर्चा करें और लिखें कि प्रकृति से जुड़े रहने के लिए क्या कर सकते हैं?
उत्तर-यह सही है कि वर्तमान समय में हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं। आज अपनी सुविधाओं के लिए हम जंगलों को काटकर कंक्रीट के नगर-महानगर बसाते जा रहे हैं। रोजगार के लिए चारों तरफ से लोग यहाँ आकर छोटे-छोटे घरों में रहते हैं। यहाँ रहने वाला व्यक्ति कभी प्रकृति के संपर्क में नहीं रह सकता। उन्हें धूप, छाया, वर्षा, ठंड आदि का आनंद नहीं मिलता। वे लोग गमलों में प्रकृति-प्रेम को दर्शा लेते हैं। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। प्रकृति से जुड़े रहने के लिए हम निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं
हम कोशिश करें कि मनुष्यों के आवास स्थान पर खुला पार्क हो।
सार्वजनिक कार्यक्रम प्राकृतिक स्थलों के समीप आयोजित किए जाएँ।
हर घर में वृक्ष अवश्य हों।
स्कूलों एवं अन्य संस्थाओं में पौधे लगवाने चाहिए।
सड़क के दोनों किनारों पर काफी संख्या में वृक्ष लगाएँ।
महीने में कम-से-कम एक बार नजदीक जगल, नदी, पर्वत या पठार पर जाना चाहिए।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1: ‘पथिक” कविता का प्रतिपादय लिखें।
उत्तर-‘पथिक’ कविता में दुनिया के दुखों से विरक्त काव्य नायक पथिक की प्रकृति के सौंदर्य पर मुग्ध होकर वहीं बसने की इच्छा का वर्णन किया है। यहाँ वह किसी साधु द्वारा संदेश ग्रहण करके देशसेवा का व्रत लेता है। राजा उसे मृत्युदंड देता है, परंतु उसकी कीर्ति समाज में बनी रहती है।
सागर के किनारे खड़ा पथिक, उसके सौंदर्य पर मुग्ध है। प्रकृति के इस अद्भुत सौंदर्य को वह मधुर मनोहर उज्ज्वल प्रेम कहानी की तरह पाना चाहता है। प्रकृति के प्रति पथिक का यह प्रेम उसे अपनी पत्नी के प्रेम से दूर ले जाता है। इस रचना में प्रेम, भाषा व कल्पना का अद्भुत संयोग मिलता है।
प्रश्न 2:किन-किन पर मधुर प्रेम-कहानी लिखी प्रतीत होती है?
उत्तर-समुद्र के तटों, पर्ततों, पेड़ों, तिनकों, किरणों, लहरों आदि पर यह मधुर प्रेम-कहानी लिखी प्रतीत होती है।
प्रश्न 3: ‘अहा! प्रेम का राज परम सुंदर, अतिशय सुंदर है।’-भाव स्पष्ट करें।
उत्तर-कवि प्रकृति के सुंदर रूप पर मोहित है। उसके सौंदर्य से अभिभूत होकर उसे सबसे अधिक सुंदर राज्य कहकर अपने आनंद को अभिव्यक्त कर रहा है।
प्रश्न 4: सूर्योदय के समय समुद्र के दृश्य का कवि ने किस प्रकार वर्णन किया है?
उत्तर-पथिक के माध्यम से सूर्योदय का वर्णन करते हुए कवि कहते हैं कि इस समय समुद्र की सतह से सूर्य का बिंब अधूरा निकल रहा है अर्थात् आधा सूर्य जल के अंदर है तथा आधा बाहर। ऐसा लगता है मानो यह लक्ष्मी देवी के स्वर्ण-मंदिर का चमकता हुआ कैंगूरा हो। पथिक को लगता है कि समुद्र ने अपनी पुण्य-भूमि पर लक्ष्मी की सवारी लाने के लिए अति प्यारी सोने की सड़क बना दी हो। सुबह सूर्य का प्रकाश समुद्र तल पर सुनहरी सड़क का दृश्य प्रस्तुत करता है।
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