CBSE Class 8 English Ancient Education System of India Summary
Short Summary
The lesson explains the ancient education system in India. It discusses that the source of information and its evidence are scattered throughout the nation in the form of inscriptions on stones, metals, palm leaf records. It discusses the cultural heritage and educational institutions. The education system was focused on the all-round development of a student and skill-based learning.
Ancient Education System of India Summary in English
Various travelers have recorded their visit to different places, climates, and cultures in India. They have discussed the rich culture and education system in India in detail.
The salient feature of the Indian education system was the holistic development of a child with emphasis upon moral values as well. It also emphasized on harmony between humans and nature.
Vedas and Upanishads teach about fulfilling duties towards self and society. The ancient education system has evolved from Vedas, Brahmanas, Upanishads, and Dharmasutras.
Medical treatises of Charaka and Sushruta teachings were the sources of learning.
The branches of various disciplines display the rich and wide range of subjects taught in the ancient times. Shastras, Kavyas, Itihas, Anviksiki, Mimamsa, Shilpashastra, Arthashatra, Varta, Dhanurvidiya, Krida, yoga sadhana were some of the few disciplines taught with integrity and dedication.
Debates were organized for assessment. In addition to it, peer learning and group teachings were an integral parts of education.
Various institutions imparted education in a formal and informal way. Temples, schools and pathshalas, were the premier institutions. Universities were also there for higher knowledge. Gurukuls were the residential schools in the surroundings.
There were women Vedic scholars in that era. The focus was laid on personality development and oral learning.
During the times of Buddha, Viharas were set up for monks and nuns. The educational centers were set up for higher learning having students of various countries.
Kings and society used to promote education as scholars and stories (as in Jatak tales) reveal. Universities like Takshashila, Nalanda, etc. evolved during that period. Debates, discussions were an integral part of higher learning.
Kings used to organise meets, debates and exchange of views amongst various scholars. UNESCO has declared such universities as heritage sites. Takshashila a religious Buddhist center of learning had attracted students from various countries.
Scriptures, law, medicines, astronomy, military, science, arts, etc were part of its curriculum. The legendary Panini, Jivaka, Chanakya, the expert of their fields were also educated from there.
Teachers assisted by advanced students in framing curriculum and could take the autonomous decisions regarding the strength of their students. The prime focus was on oral learning.
Nalanda was one of the prestigious institutions in higher learning. Chinese scholars -I-Qing and Xuan Zang gave vivid accounts of it. It had a wide range of syllabus including Vedas fine arts, medicine, mathematics, astronomy, etc.
A financial support given to the institutions was primarily on donations from such merchants, parents, and society. In the south of India, Agra has served as a bigger educational institution that Ghatika and Brahmapuri.
During medieval period mastabas-madrassas served as educational institutions. Educational institutions were funded by society. Teachers were given the privilege of selecting the method of teaching and syllabus. The main concern of education was on the holistic development of the child.
Ancient Education System of India Summary in Hindi
विभिन्न यात्रियों ने भारत में विभिन्न स्थानों, जलवायु और संस्कृतियों की अपनी यात्रा दर्ज की है। उन्होंने भारत में समृद्ध संस्कृति और शिक्षा प्रणाली पर विस्तार से चर्चा की है।
भारतीय शिक्षा प्रणाली की मुख्य विशेषता नैतिक मूल्यों पर जोर देने के साथ-साथ बच्चे का समग्र विकास था। इसने मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य पर भी जोर दिया।
वेद और उपनिषद स्वयं और समाज के प्रति कर्तव्यों को पूरा करने की शिक्षा देते हैं। प्राचीन शिक्षा प्रणाली वेदों, ब्राह्मणों, उपनिषदों और धर्मसूत्रों से विकसित हुई है।
चरक और सुश्रुत शिक्षाओं के चिकित्सा ग्रंथ सीखने के स्रोत थे।
विभिन्न विषयों की शाखाएँ प्राचीन काल में पढ़ाए जाने वाले विषयों की समृद्ध और विस्तृत श्रृंखला को प्रदर्शित करती हैं। शास्त्र, काव्य, इतिहास, अन्विकिकी, मीमांसा, शिल्पशास्त्र, अर्थशास्त्र, वार्ता, धनुर्विद्या, क्रीड़ा, योग साधना कुछ ऐसे कुछ विषय थे जिन्हें ईमानदारी और समर्पण के साथ पढ़ाया जाता था।
मूल्यांकन के लिए वाद-विवाद का आयोजन किया गया। इसके अलावा, सहकर्मी शिक्षा और समूह शिक्षा शिक्षा के अभिन्न अंग थे।
विभिन्न संस्थानों ने औपचारिक और अनौपचारिक तरीके से शिक्षा प्रदान की। मंदिर, स्कूल और पाठशाला प्रमुख संस्थान थे। उच्च ज्ञान के लिए विश्वविद्यालय भी थे। गुरुकुल आसपास के आवासीय विद्यालय थे।
उस युग में महिला वैदिक विद्वान थीं। व्यक्तित्व विकास और मौखिक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
बुद्ध के समय में, भिक्षुओं और ननों के लिए विहार स्थापित किए गए थे। विभिन्न देशों के छात्रों वाले उच्च शिक्षा के लिए शैक्षिक केंद्र स्थापित किए गए थे।
राजाओं और समाज शिक्षा को बढ़ावा देते थे जैसा कि विद्वानों और कहानियों (जैसा कि जातक कथाओं में) से पता चलता है। उस काल में तक्षशिला, नालंदा आदि विश्वविद्यालयों का विकास हुआ। वाद-विवाद, विचार-विमर्श उच्च शिक्षा का अभिन्न अंग थे।
राजा विभिन्न विद्वानों के बीच बैठकें, वाद-विवाद और विचारों के आदान-प्रदान का आयोजन करते थे। यूनेस्को ने ऐसे विश्वविद्यालयों को विरासत स्थल घोषित किया है। तक्षशिला एक धार्मिक बौद्ध शिक्षा केंद्र था जिसने विभिन्न देशों के छात्रों को आकर्षित किया था।
शास्त्र, कानून, दवाएं, खगोल विज्ञान, सेना, विज्ञान, कला आदि इसके पाठ्यक्रम का हिस्सा थे। पौराणिक पाणिनि, जीवक, चाणक्य, उनके क्षेत्र के विशेषज्ञ भी वहीं से शिक्षित हुए थे।
पाठ्यक्रम तैयार करने में उन्नत छात्रों द्वारा सहायता प्राप्त शिक्षक और अपने छात्रों की ताकत के संबंध में स्वायत्त निर्णय ले सकते थे। मुख्य फोकस मौखिक शिक्षा पर था।
नालंदा उच्च शिक्षा में प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक था। चीनी विद्वानों-आई-किंग और जुआन जांग ने इसका विशद विवरण दिया। इसमें वेद ललित कला, चिकित्सा, गणित, खगोल विज्ञान आदि सहित पाठ्यक्रम की एक विस्तृत श्रृंखला थी।
संस्थानों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता मुख्य रूप से ऐसे व्यापारियों, माता-पिता और समाज के दान पर थी। भारत के दक्षिण में, आगरा ने घाटिका और ब्रह्मपुरी जैसे बड़े शैक्षणिक संस्थान के रूप में कार्य किया है।
मध्ययुगीन काल के दौरान मस्तबास-मदरसों ने शैक्षणिक संस्थानों के रूप में कार्य किया। शैक्षिक संस्थानों को समाज द्वारा वित्त पोषित किया गया था। शिक्षकों को शिक्षण की पद्धति और पाठ्यक्रम के चयन का विशेषाधिकार दिया गया था। शिक्षा का मुख्य सरोकार बच्चे के समग्र विकास पर था।
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