Table of Contents
MCQ Questions for Class 8 Hindi: Ch 11 जब सिनेमा ने बोलना सीखा Vasant
1. ‘आलम आरा’ नामक फ़िल्म ‘मैजेस्टिक’ सिनेमा में प्रदर्शित हुई। यह कहाँ स्थित है?
(क) दिल्ली में
(ख) कोलकाता में
(ग) चेन्नई में
(घ) मुंबई में
► (घ) मुंबई में
2. पहली बोलती फ़िल्म के नायक कौन थे?
(क) मोहम्मद अली जिन्ना
(ख) विट्ठल
(ग) अर्देशिर एम. ईरानी
(घ) सोहराब मोदी
► (ख) विट्ठल
3. तीसरा वाद्य- यंत्र निम्नलिखित में से कौन-सा था?
(क) सितार
(ख) वायलिन
(ग) गिटार
(घ) पियानो
► (ख) वायलिन
4. फ़िल्म के संबंध में पुलिस के सामने क्या समस्या थी?
(क) भीड़ जुटाना
(ख) भीड़ भगाना
(ग) भीड़ पर नियंत्राण करना
(घ) भीड़ से अपना बचाव करना
► (ग) भीड़ पर नियंत्राण करना
5. सवाक् फ़िल्मो के युग में किस भाषा का महत्व बढ़ा?
(क) हिंदी का
(ख) अंग्रेजी का
(ग) उर्दू का
(घ) क और ग दोनों
► (घ) क और ग दोनों
6. पहली सवाक् फ़िल्म में कितने कलाकारों ने काम किया था?
(क) अठत्तर
(ख) बहत्तर
(ग) उनहत्तर
(घ) सतहत्तर
► (क) अठत्तर
7. जब सिनेमा ने बोलना सीखा’ पाठ के लेखक निम्नलिखित में से कौन है?
(क) रामचंद्र तिवारी
(ख) प्रदीप तिवारी
(ग) हरिशंकर परसाई
(घ) इस्मत चुगताई
► (ख) प्रदीप तिवारी
8. ‘जब सिनेमा ने बोलना सीखा’ पाठ के अनुसार पहली सवाक् फ़िल्म निम्नलिखित में से कौन-सी थी?
(क) जहाँ आरा
(ख) एक बेचारा
(ग) आलम आरा
(घ) मुगल-ए-आज्जम
► (ग) आलम आरा
9. अर्देशिर 1956 में ही सम्मानित करने का निर्णय क्यों लिया गया?
(क) सरकार को तब याद आई
(ख) तब वे बूढ़े हो चुके थे
(ग) सवाक् फ़िल्म के प्रदर्शन को पच्चीस साल पूरे हुए थे
(घ) तब उनकी उम्र पच्चीस साल थी
► (ग) सवाक् पि़फल्म के प्रदर्शन को पच्चीस साल पूरे हुए थे
10. इस युग में किन कलाकारों का महत्व बढ़ गया?
(क) जो नृत्य कर सकते थे
(ख) जो वाद्य बजा सकते थे
(ग) जो संवाद बोल सकते थे
(घ) जो गीत गा सकते थे
► (घ) जो गीत गा सकते थे
11. पहली सवाक् फ़िल्म बनानेवाले फ़िल्मकार निम्नलिखित में से कौन थे?
(क) दादा साहब फाल्के
(ख) पृथ्वीराज कपूर
(ग) सत्यजित रे
(घ) अर्देशिर एम.ईरानी
► (घ) अर्देशिर एम.ईरानी
12. नए दौर की शुरुआत करनेवाले ने कौन-सी फ़िल्म बनाकर इस युग की शुरुआत की?
(क) आलम सारा
(ख) जहाँ आरा
(ग) सारा जहाँ हमारा
(घ) आलम आरा
► (घ) आलम आरा
13. भारतीय सिनेमा के इतिहास में 14 मार्च, 1931 की प्रसिद्ध् का कारण क्या है?
(क) पहली फ़िल्म का निर्माण
(ख) पहली रंगीन फ़िल्म का निर्माण
(ग) पहली बोलती फ़िल्म का प्रदर्शन
(घ) पहली बार किसी फ़िल्म का प्रदर्शन
► (ग) पहली बोलती फ़िल्म का प्रदर्शन
14. उस समय सर्वाधिक पारिश्रमक पाने वाले विट्ठल का चयन नायक के लिए होने के बाद भी क्यों हटाया गया? (क) उनको गाना नहीं आता था
(ख) वे अपने स्टंट के लिए डुप्लीकेट से काम कराते थे
(ग) वे हकलाकर बोलते थे
(घ) उन्हें उर्दू बोलने में मुश्किल होती थी
► (घ) उन्हें उर्दू बोलने में मुश्किल होती थी
जब सिनेमा ने बोलना सीखा प्रश्न-अभ्यास (महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर )
प्रश्न-1 जब पहली बोलती फिल्म प्रदर्शित हुई तो उसके पोस्टरों पर कौन-से वाक्य छापे गए? उस फिल्म में कितने चेहरे थे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- देश की पहली बोलती फिल्म के विज्ञापन के लिए छापे गए वाक्य इस प्रकार थे- ‘वे सभी सजीव हैं, साँस ले रहे हैं, शत-प्रतिशत बोल रहे हैं, अठहत्तर मुर्दा इंसान ज़िंदा हो गए, उनको बोलते, बातें करते देखो।’
पाठ के आधार पर आलम आरा में कुल मिलाकर 78 चेहरे थे। परन्तु इसमें कुछ मुख्य कलाकार नायिका जुबैदा नायक विट्ठल सोहरा मोदी, पृथ्वीराज कपूर, याकूब और जगदीश सेठी जैसे लोग भी मौजूद थे।
प्रश्न-2 पहला बोलता सिनेमा बनाने के लिए फिल्मकार अर्देशिर एम ईरानी को प्रेरणा कहाँ से मिली? उन्होंने आलम आरा फिल्म के लिए आधार कहाँ से लिया विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर- फिल्मकार अर्देशिर एम ईरानी ने 1929 में हॉलीवुड की एक बोलती फिल्म ‘शो बोट’ देखी और तभी उनके मन में बोलती फिल्म बनाने की इच्छा जगी। उन्होंने पारसी रंगमंच के एक लोकप्रिय नाटक को फिल्म ‘आलम आरा’ के लिए आधार बनाकर अपनी फिल्म की पटकथा बनाई।
प्रश्न-3 विट्ठल का चयन आलम आरा फिल्म के नायक के रूप हुआ लेकिन उन्हें हटाया क्यों गया? विट्ठल ने पुनः नायक होने के लिए क्या किया? विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर- उर्दू ठीक से न बोलने के कारण विट्ठल को फ़िल्म आलम आरा के नायक के पद से हटा दिया गया। पुनः अपना हक पाने के लिए उन्होंने मुकदमा कर दिया। विट्ठल मुकदमा जीत गए और भारत की पहली बोलती फिल्म के नायक बनें।
प्रश्न-4 पहली सवाक् फिल्म के निर्माता-निदेशक अर्देशिर को जब सम्मानित किया गया तब सम्मानकर्ताओं ने उनके लिए क्या कहा था? अर्देशिर ने क्या कहा? और इस प्रसंग में लेखक ने क्या टिप्पणी की है? लिखिए।
उत्तर- पहली सवाक् फिल्म के निर्माता-निर्देशक अर्देशिर को प्रदर्शन के पच्चीस वर्ष पूरे होने पर सम्मानित किया गया और उन्हें “भारतीय सवाक् फिल्मों का पिता” कहा गया तो उन्होंने उस मौके पर कहा था- “मुझे इतना बड़ा खिताब देने की जरूरत नहीं है। मैंने तो देश के लिए अपने हिस्से का जरूरी योगदान दिया है।” वे विनम्र स्वभाव के व्यक्ति थे। उनसे एक नया युग शुरू हो गया।
Discover more from EduGrown School
Subscribe to get the latest posts sent to your email.