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छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख Summary Notes Class 12 Hindi Aroh Chapter 10
छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख कविता का सारांश
‘छोटा मेरा खेत’ कविता उमाशंकर जोशी द्वारा रचित उनके काव्य-संग्रह ‘निशीथ’ से संकलित है। प्रस्तुत कविता में कवि ने कवि-कर्म को खेती के रूप में प्रस्तुत किया है। कागज़ का चौकोर पन्ना कवि को एक चौकोर खेत के समान प्रतीत होता है। इस खेत में किसी अंधड़ अर्थात भावनात्मक आँधी के आने से किसी क्षण एक बीज बोया जाता है। यह बीज रचना, विचार और अभिव्यंजना का हो सकता है जो मूलरूप कल्पना का सहारा लेकर विकसित होता है और इस प्रक्रिया में स्वयं गल जाता है।
उससे शब्दों के अंकुर निकलते हैं और अंतत: कृति एक । पूर्ण स्वरूप ग्रहण करती है। साहित्यिक कृति से जो अलौकिक रस-धारा प्रस्फुटित होती है, वह उस क्षण में होने वाली रोपाई का परिणाम है लेकिन उससे प्रस्फुटित रस-धारा अनंतकाल तक चलने वाली कटाई से कम नहीं होती है। कवि स्पष्ट कहता है कि खेत में पैदा अन्न तो । कुछ समय पश्चात समाप्त हो सकता है, लेकिन साहित्य से जिस रस-धारा की प्राप्ति होती है, वह अनंतकाल तक समाप्त नहीं होती।
बगुलों के पंख कविता का सारांश
‘बगुलों के पंख’ कविता ‘उमाशंकर जोशी’ द्वारा रचित उनके सुप्रसिद्ध काव्य-संग्रह ‘निशीथ’ से संग्रहित है। यह प्रकृति-सौंदर्य से परिपूर्ण कविता है। इस कविता में कवि ने सौंदर्य का अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न करने के लिए एक युक्ति का सहारा लिया है और सौंदर्य के चित्रात्मक वर्णन के साथ-साथ अपने मन पर पड़ने वाले उसके प्रभाव का भी सुंदर चित्रण किया है। कवि आकाश में छाए काले-काले बादलों में पंक्ति बनाकर उड़ते हुए सुंदर-सुंदर बगुलों के पंखों को देखता है। वे कजरारे बादलों के ऊपर तैरती संध्या की उज्ज्वल सफ़ेद काया के समान प्रतीत होते हैं। कवि का मन इस अत्यंत सुंदर तथा नयनाभिराम दृश्य को देखकर उसी में डूब जाता है। वह इस माया से अपने को बचाने की सिफारिश करता है। लेकिन वह दृश्य इतना सुंदर है कि उसकी आत्मा तक को अपने अंदर समेट लेता है। कवि उससे चाहकर भी बच नहीं पाता।
छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख कवि परिचय
जीवन परिचय-उमाशंकर जोशी बीसवीं सदी के गुजराती काव्य के प्रमुख कवि एवं निबंधकार माने जाते हैं। इनका जन्म सन 1911 ई० में गुजरात में हुआ था। 1988 में इनका निधन हो गया। रचनाएँ-जोशी जी बहुमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार माने जाते हैं। उन्होंने कविता, निबंध, कहानी आदि अनेक विधाओं पर सफल लेखनी चलाई है। उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं
(i) एकांकी-विश्व-शांति, गंगोत्री, निशीथ, प्राचीना, आतिथ्य, वसंत वर्षा, महाप्रस्थान, अभिज्ञा।
(ii) कहानी-सापनाभारा, शहीद।
(iii) उपन्यास-श्रावणी मेणो, विसामो।
(iv) निबंध-पारकांजण्या।
(v) संपादन-गोष्ठी, उघाड़ीबारी, क्लांत कवि, म्हारासॉनेट, स्वजप्रयाण।
(vi) अनुवाद-अभिज्ञानशाकुंतलम्,
उत्तररामचरितम्। साहित्यिक विशेषताएँ-जोशी जी ने बीसवीं शताब्दी की गुजराती कविता को नई दिशा प्रदान की है। उनकी कविता में नया स्वर है। और नई यंत्रियाँ हैं। वे परंपरा से जुड़कर भारतीय जीवन-मूल्यों की स्थापना करना चाहते हैं। वे भारतीय रंगों से पूरी तरह रंगे हुए हैं। कवि ने अपनी कविताओं के माध्यम से पाठक को प्रकृति के विभिन्न रंगों से परिचित कराया है। उन्होंने प्रकृति को नई शैली के माध्यम से व्यक्त किया है।
उन्होंने साहित्य की अन्य विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई है और उन्हें विकसित होने में सहायता दी है। इनका संबंध भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई से भी रहा है, इसलिए उनके विचारों की छाप इनकी कविता पर स्पष्ट रूप से है। उन्होंने आजादी की लड़ाई के दौरान कई बार जेल-यात्रा भी की थी। जोशी छायावादी काव्यधारा से गहरे प्रभावित हैं। गुजराती होने के कारण इन्होंने प्रादेशिकता के प्रभाव को अपनी कविता में प्रस्तुत किया है।
इन्होंने मानवतावाद, सौंदर्य और प्रकृति चित्रण पर विशेष रूप से लेखनी चलाई है। अपनी भावना-प्रधान कविता में इन्होंने कल्पना को इस प्रकार संयोजित किया है कि विचार मानव-जीवन के लिए ठोस आधार के रूप में प्रस्तुत हो पाने में समर्थ सिद्ध हुए हैं-कल्पना के | रसायनों को पी बीज गल गया नि:शेष, शब्द के अंकुर फूटे, पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष। इनकी कविता में प्रगतिवादी काव्यधारा का सीधा प्रभाव नहीं है पर मानवी जीवन की पीड़ा से ये निश्चित रूप से प्रभावित हुए हैं। इन्हें समाज ने प्रभावित कर कविता लिखने की प्रेरणा दी थी।
छोटा मेरा खेत चौकोना
कागज़ का एक पन्ना,
कोई अंधड़ कहीं से आया
क्षण का बीज वहाँ बोया गया।
इनकी कविता में खड़ी बोली की प्रधानता है जिसमें तत्पस और तद्भव शब्दों का सहज समन्वित प्रयोग किया गया है। अलंकारों की योजना आयास है।
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