Gillu Important Question Answers Class 9 Hindi Chapter 1
Short Types Question Answers – 25 to 30 Words
प्रश्न 1- लेखिका को अकस्मात किस छोटे जीव का स्मरण हो आया?
उत्तर – लेखिका ने देखा कि सोनजुही में पीली कली आ गई है। उस कली को देखकर लेखिका को उस छोटे से जीव की याद आ गई जो उस जूही के पौधे की हरियाली में छिपकर बैठा रहता था और जब लेखिका उसके नजदीक पहुँचती तो वह लेखिका का कंधे पर कूदकर लेखिका को चौंका देता था। यहाँ लेखिका अपनी पालतू गिलहरी के बारे बात कर रही है। गिल्लू के निधन के उपरान्त लेखिका ने उसके शरीर को उसी सोनजुही के पौधे के निचे दफना दिया था।
प्रश्न 2 – कौए अपना सुलभ आहार कहाँ खोज रहे थे और कैसे?
उत्तर – लेखिका ने देखा कि गमले और दीवार की संधि में गिलहरी का छोटा-सा बच्चा है जो संभवत: घोंसले से गिर पड़ा होगा। इसी गिलहरी के छोटे बच्चे में कौए अपना आसान आहार खोज रहे थे और कौए उसे उठाने के प्रयास में उसे चोंच मार रहे थे, जिससे वह काफी जख्मी भी हो गया था।
प्रश्न 3 – लेखिका की अनुपस्थिति में गिल्लू प्रकृति के सान्निध्य में अपना जीवन किस प्रकार बिताता था?
उत्तर – लेखिका जब कॉलेज जाने के लिए कमरे से बाहर जाती थी गिल्लू भी खिड़की की खुली जाली रास्ते से बाहर चला जाता था और दिन भर गिलहरियों के झुंड का नेता बना हर एक डाल से दूसरी डाल पर उछलता-कूदता रहता और ठीक चार बजे वह खिड़की से भीतर आकर अपने झूले में झूलने लगता।
प्रश्न 4 – गिल्लू का सबसे मनपसंद खाद्य क्या था? और अपना मनपसंद खाना न मिलने पर वह क्या करता था?
उत्तर – काजू गिल्लू का सबसे मनपसंद भोजन था। इसे वह अपने दाँतों से पकड़कर कुतर-कुतरकर खाता रहता था और यदि कई दिन तक उसे काजू नहीं दिया जाता था तो वह अन्य खाने की चीजें या तो लेना बंद कर देता था या झूले से नीचे फेंक देता था।
प्रश्न 5 – लेखिका को कैसे पता चला कि जब वह अस्पताल में थी तो गिल्लू उसकी अनुपस्थिति में दुखी था?
उत्तर – लेखिका एक मोटर दुर्घटना में घायल हो गई थी। इससे उसे कुछ समय अस्पताल में रहना पड़ा था। उन दिनों लेखिका ने गिल्लू की देखभाल की जिम्मेदारी किसी और को दे रखी थी परन्तु जब लेखिका के कमरे का दरवाजा खोला जाता तो गिल्लू झूले से नीचे आता परंतु किसी और को देखकर तेजी से भागकर झुले में चला जाता था।
सब उसे काजू दे आते थे क्योंकि काजू उसका मनपसंद खाना था, परंतु जब लेखिका ने अस्पताल से आकर झूले की सफ़ाई की तो उसे झूले में काजू मिले जिन्हें गिल्लू ने नहीं खाया था। इससे लेखिका ने जान लिया कि उसकी अनुपस्थिति में गिल्लू दुखी था क्योंकि उसने खाना भी न के बराबर खाया था।
प्रश्न 6 – भोजन के संबंध में लेखिका को अन्य पालतू जानवरों और गिल्लू में क्या अंतर नज़र आया?
उत्तर – लेखिका के पास बहुत से पशु-पक्षी थे जो लेखिका के पालतू भी थे और उनका लेखिका से लगाव भी कम नहीं था, परंतु उनमें से किसी भी लेखिका के साथ उसकी थाली में खाने की हिम्मत हुई हो। इसका अर्थ यह है की गिल्लू लेखिका की थाली में से ही भोजन खा लिया करता था।
गिल्लू लेखिका के पाले हुए सभी पशु-पक्षियों में सबसे अलग था क्योंकि वह लेखिका के द्वारा बनाए गए सामान्य नियमों का पालन नहीं करता था। लखिका जैसे ही खाने के कमरे में पहुँचती, वह भी खिड़की से निकलकर आँगन की दीवार और बरामदा पार करके मेज पर पहुँच जाता था और लेखिका की थाली में बैठ जाना चाहता था। बड़ी कठिनाई से लेखिका ने उसे थाली के पास बैठना सिखाया जहाँ बैठकर वह लेखिका की थाली में से एक-एक चावल उठाकर बड़ी सफ़ाई से खाता रहता था।
प्रश्न 7 – लेखिका की सोच में रुकावट का क्या कारण था?
उत्तर – लेखिका जब कौवो के बारे में सोच रही थी तभी अचानक से उसकी उस सोच में कुछ रुकावट आ गई क्योंकि उसकी नजर गमले और दीवार को जोड़ने वाले भाग में छिपे एक छोटे-से जीव पर पड़ी। जब लेखिका ने निकट जाकर देखा तो पाया कि वह छोटा सा जीव एक गिलहरी का छोटा-सा बच्चा है जो अवश्य ही अपने घोंसले से निचे गिर पड़ा है और अब कौवे उसमें अपना आसान भोजन खोजते हुए उसे चोट पहुँचा रहे हैं। उस छोटे से जीव के लिए उन दो कौवों की चोंचों के दो घाव ही बहुत थे, इसलिए वह बिना किसी हरकत के गमले से लिपटा पड़ा था।
प्रश्न 8 – लेखिका को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या-क्या करता था?
उत्तर – लेखिका जब लिखने बैठती थी तब अपनी ओर लेखिका का ध्यान आकर्षित करने की गिल्लू की इतनी तेज इच्छा होती थी कि उसने एक बहुत ही अच्छा उपाय खोज निकाला था। वह लेखिका के पैर तक आता था और तेज़ी से परदे पर चढ़ जाता था और फिर उसी तेज़ी से उतर जाता था। उसका यह इस तरह परदे पर चढ़ना और उतरने का क्रम तब तक चलता रहता था जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए नहीं उठती थी।
प्रश्न 9 – गर्मियों में लेखिका के नजदीक रहने का गिल्लू ने क्या उपाय निकाल दिया था?
उत्तर – गर्मियों में जब वह दोपहर में लेखिका अपना काम करती रहती तो गिल्लू न बाहर जाता था और न ही अपने झूले में बैठता था। गिल्लू ने लेखिका के नजदीक रहने के साथ-साथ गर्मी से बचने का एक सबसे नया उपाय खोज निकाला था। वह लेखिका पास रखी हुई सुराही पर लेट जाता था, जिससे वह लेखिका के नजदीक भी बना रहता और ठंडक में भी रहता। इस तरह उसने दो काम एक साथ करना सीख लिया था।
प्रश्न 10 – लेखिका ने गिल्लू को सोनजुही की लता के निचे क्यों दफनाया?
उत्तर – लेखिका ने सोनजुही की लता के नीचे ही गिल्लू की समाधि बनाई थी अर्थात लेखिका ने गिल्लू को उस जूही के पौधे के निचे दफनाया था क्योंकि गिल्लू को वह लता सबसे अधिक प्रिय थी। लेखिका ने ऐसा इसलिए भी किया था क्योंकि लेखिका को उस छोटे से जीव का, किसी बसंत में जुही के पीले रंग के छोटे फूल में खिल जाने का विश्वास, लेखिका को एक अलग तरह का संतोष देता था।
Gillu Long Type Question Answers 60-70 Words
प्रश्न 1 – लेखिका ने लघु जीव की जान किस तरह बचाई?
उत्तर – उस गिलहरी के बच्चे की खराब हालत देख कर सबने कहा, कौवे की चोंच का घाव लगने के बाद यह नहीं बच सकता, इसलिए इसे ऐसे ही रहने दिया जाए। परंतु लेखिका का मन नहीं माना लेखिका ने उसे धीरे से उठाया और अपने कमरे में ले गई, फिर रुई से उसका खून साफ़ किया और उसके जख्मों पर पेंसिलिन नामक दवा का मरहम लगाया।
फिर लेखिका ने रुई की पतली बत्ती बनाई और उसे दूध से भिगोकर जैसे-जैसे उसके छोटे से मुँह में दूध पिलाने के लिए लगाई तो लेखिका ने देखा कि वह मुँह नहीं खुल पा रहा था और दूध की बूँदें मुँह के दोनों ओर ढुलक कर गिर गईं। कई घंटे तक इलाज करने के बाद उसके मुँह में एक बूँद पानी टपकाया जा सका। तीसरे दिन वह इतना अच्छा और निश्चिन्त हो गया कि वह लेखिका की उँगली अपने दो नन्हे पंजों से पकड़कर और अपनी नीले काँच के मोतियों जैसी आँखों से इधर-उधर देखने लगा। लेखिका ने उसका अच्छे से ध्यान रखा जिसके परिणाम स्वरूप तीन-चार महीनों में उसके चिकने रोएँ, झब्बेदार पूँछ और चंचल चमकीली आँखें सबको हैरान करने लगी थी। अर्थात वह बहुत आकर्षक बन गया था।
प्रश्न 2 – ‘गिल्लू’ पाठ के आधार पर बताइए कि कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है?
उत्तर – कौए को समादरित और अनादरित प्राणी इसलिए कहा गया है, क्योंकि यह एक विचित्र प्राणी है। विचित्र इसलिए क्योंकि एक साथ ही दो तरह का व्यवहार सहता है, कभी तो इसे बहुत आदर मिलता है और कभी बहुत ज्यादा अपमान सहन करना पड़ता है। जैसे हमारे बेचारे पुरखे न गरुड़ के रूप में आ सकते हैं, न मयूर के, न हंस के। श्राद्ध पक्ष में लोग कौए को आदर सहित बुलाते हैं।
पितरों को पितरपक्ष में हमसे कुछ पाने के लिए कौवा बनकर ही प्रकट होना पड़ता है। इतना ही नहीं हमारे दूर रहने वाले रिश्तेदारों को भी अपने आने का सुखद संदेश इनके कानों को न भाने वाली आवाज में ही देना पड़ता है। वही जहाँ एक ओर कौवे को इतना आदर मिलता है वहीं दूसरी ओर हम कौवा और काँव-काँव करने को अपशगुन के अर्थ में भी प्रयोग करते हैं। और कौवे को अपने आँगन से भगा कर उसका अपमान भी करते है एवं यह गंदगी भी ख़ाता है, जिस कारण लोग इसे भगा देते हैं यही वजह है कि यह अनादरित भी हो जाता है।
प्रश्न 3 – लेखिका महादेवी वर्मा गिल्लू को अत्यधिक स्नेह करने के बावजूद लिफाफे में बंद क्यों कर देती थी?
उत्तर – जब वह लिखने बैठती थी तब अपनी ओर लेखिका का ध्यान आकर्षित करने की गिल्लू की इतनी तेज इच्छा होती थी कि उसने एक बहुत ही अच्छा उपाय खोज निकाला था। वह लेखिका के पैर तक आता था और तेज़ी से परदे पर चढ़ जाता था और फिर उसी तेज़ी से उतर जाता था। उसका यह इस तरह परदे पर चढ़ना और उतरने का क्रम तब तक चलता रहता था जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए नहीं उठती थी। लेखिका गिल्लू को पकड़कर एक लंबे लिफ़ाफ़े में इस तरह से रख देती थी कि उसके अगले दो पंजों और सिर के अलावा उसका छोटा सा पूरा शरीर लिफ़ाफ़े के अंदर बंद रहता था। इस तरह बंद रहने के कारण वह फिर से उछाल-कूद करके लेखिका को परेशान नहीं कर पाता था। इस अनोखी स्थिति में भी कभी-कभी घंटों मेज पर दीवार के सहारे खड़ा रहकर गिल्लू अपनी चमकीली आँखों से लेखिका को देखता रहता था कि लेखिका क्या-क्या काम कर रही है। जब गिल्लू को उस लिफ़ाफ़े में बंद पड़े-पड़े भूख लगने लगती तो वह चिक-चिक की आवाज करके मानो लेखिका को सूचना दे रहा होता कि उसे भूख लग गई है और लेखिका के द्वारा उसे काजू या बिस्कुट मिल जाने पर वह उसी स्थिति में लिफ़ाफ़े से बाहर वाले पंजों से काजू या बिस्कुट पकड़कर उसे कुतरता।
प्रश्न 4 – गिल्लू को मुक्त कराने की आवश्यकता क्यों समझी गयी और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किए।
उत्तर – जब गिल्लू के जीवन का पहला बंसत आया तब बाहर की गिलहरियाँ खिड़की की जाली के पास आकर चिक-चिक की आवाज़ करके मानो कुछ कहने लगीं। उन्हें ऐसा करता देख गिल्लू भी जाली के पास बैठकर अपनेपन से बाहर झाँकता रहता था। गिल्लू को खिड़की से बाहर देखते हुए देखकर उसने खिड़की पर लगी जाली की कीलें निकालकर जाली का एक कोना खोल दिया और इस रास्ते से गिल्लू जब बाहर गया तो उसे देखकर ऐसा लगा जैसे बाहर जाने पर सचमुच ही उसने आजादी की साँस ली हो।
पाठ के इस भाग से लेखिका के हृदय में जीवों के प्रति दया की भावना का भी ज्ञान होता है। वह उनकी इच्छाओं का सम्मान करती थी। वह पशु-पक्षियों को किसी बंधन या कैद में नहीं रखना चाहती थी। जब उन्हें महसूस हुआ कि गिल्लू भी अन्य गिलहरियों की तरह बाहर जाना चाहता है तो उन्होंने उसे बाहर जाने के लिए स्वयं रास्ता दे दिया।
प्रश्न 5 – ‘पितर पक्ष में हमसे कुछ पाने के लिए काक बनकर अवतीर्ण होना पड़ता है।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर – हिन्दू धर्म की मान्यताओं व परम्पराओं के अनुसार अश्विन के महीने में श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों व पितरों को भोजन खिलाने के प्रथा है। इस प्रथा के तहत ब्राह्मणों को भोजन खिलाया जाता है। परन्तु पहले कौओं को भोजन कराया जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति मर कर सबसे पहले कौए का जन्म लेता है और ऐसी मान्यता है कि कौओं को खाना खिलाने से पितरों को खाना मिलता है।
इसी कारण श्राद्ध पक्ष में कौओं का विशेष महत्त्व है और प्रत्येक श्राद्ध के दौरान पितरों को खाना खिलाने के तौर पर सबसे पहले कौओं को खाना खिलाया जाता है। इसी कारण लेखिका ने भी प्रस्तुत पाठ में कहा है कि ‘हमारे पितरों को हमसे कुछ पाने के लिए काक बनकर अवतीर्ण होना पड़ता है।
प्रश्न 6 – अस्वस्थ लेखिका का ध्यान गिल्लू किस तरह रखता है? इस कार्य से गिल्लू की कौन सी विशेषता का पता चलता है?
उत्तर – लेखिका को एक मोटर दुर्घटना में आहत होकर कुछ दिन अस्पताल में रहना पड़ा था। लेखिका की अनुपस्थिति में गिल्लू का किसी काम में भी मन नहीं लगता था। यहाँ तक कि उसने अपना मनपसंद भोजन काजू खाना भी कम कर दिया था। वह हमेशा लेखिका का इंतजार करता रहता और किसी के भी आने की आहट सुनकर लेखिका के अस्पताल से लौट आने की उसकी उम्मीदें बढ़ जाती थी।
लेखिका के घर वापस आने के बाद गिल्लू तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हें-नन्हें पंजों से लेखिका का सिर एवं बाल धीरे-धीरे सहलाता रहता था। लेखिका को उसकी उपस्थिति किसी परिचारिका की उपस्थिति की तरह महसूस होती थी, क्योंकि उसने लेखिका का ध्यान किसी सेविका की ही तरह रखा था। इन्हीं कारणों से लेखिका ने गिल्लू के लिए परिचारिका शब्द का प्रयोग किया है।
प्रश्न 7 – लेखिका को गिल्लू की किन चेष्टाओं से आभास मिलने लगा कि अब उसका समय समीप है?
उत्तर – सामान्यतः गिलहरी का जीवनकाल दो वर्ष का माना जाता है। जब गिल्लू की जीवन यात्रा का अंत आया तो उसने दिन भर न कुछ खाया न बाहर गया। रात में अपने जीवन के अंतिम क्षण में भी वह अपने झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर आया और अपने ठंडे पंजों से लेखिका की वही उँगली पकड़कर हाथ से चिपक गया,
जिसे उसने अपने बचपन में पकड़ा था जब वह मृत्यु के समीप पहुँच गया था। गिल्लू के पंजे इतने ठंडे हो रहे थे कि लेखिका ने जागकर हीटर जलाया और उसके पंजों को गर्मी देने का प्रयास किया। परंतु सुबह की पहली किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया। अर्थात उसकी मृत्यु हो गई।
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