माटी वाली कहानी का सारांश | Mati Wali summary class 9 Chapter-4 | Kritika Hindi class 9| EduGrown

माटी वाली कहानी का सारांश  | Mati Wali summary class 9 Chapter-4 | Kritika Hindi class 9| EduGrown

माटी वाली कहानी का सारांश ( Very Short Summary ) class 9 Kritika

माटी वाली’ कहानी टिहरी शहर की कहानी है। पुराने टिहरी शहर को बाँध के रास्ते में आने के कारण डूबो दिया गया था। यह उन लोगों की कहानी है, जिन्हें अपने पुरखों की धरोहर को त्यागना पड़ा। यह विस्थापन का वह दर्द है, जिसे हर टिहरीवासियों ने सहा था। लेखक ने इस दर्द को माटी वाली के द्वारा दर्शाया है। पूरे टिहरी में वह एकमात्र ऐसी स्त्री थी, जो घर-घर में माटी पहुँचाती थी। उसकी जीविका का साधन ही माटी खाना था। उससे भी उसका जीवन बड़ी मुश्किल से चलता था। परन्तु वह इसमें भी खुश थी। माटी वाली के पास कहने को कुछ नहीं था। उसका वृद्ध बीमार पति, उसकी टूटी हुई झोपड़ी और वह स्थान जहाँ से वह माटी लाती थी। ये सब उसके जीवन की अमुल्य धरोहरें थीं। पति की बीमारी और बुढ़ापे के कारण साथ छूट गया, उसका घर और माटीखाना टिहरी बाँध के कारण उससे छूट गया। पति के बाद वे ही उसके जीवन का आधार थे। उसके पास रोने के सिवाए अब कुछ नहीं बचा था। उसके दर्द को बाटने और समझने वाला भी कोई नहीं था। सिर्फ वह दर्द था, जो कभी न खत्म होने वाला था।

माटी वाली कहानी का सारांश  | Mati Wali summary class 9 Chapter-4 | Kritika Hindi class 9| EduGrown

माटी वाली कहानी का सारांश ( Detailed Summary ) class 9 Kritika

टिहरी में भागीरथी नदी पर बहुत बड़ा बाँध बना है जिसमें पूरा टिहरी शहर और उसके पास के अनेक गाँव डूब गए। पहले जो लोग अपने घरो, व्यापारियों से जुड़े थे उनके सामने अचानक विस्थापित होने का संकट उपस्थित हो गया ।’ माटी वाली ‘ ( Maati Wali ) कहानी भी इसी विस्थापन की समस्या से जुड़ी है। 

          बूढ़ी ‘माटी वाली ‘ पूरे टिहरी शहर में घर-घर लाल मिट्टी बाँट रही होती है और उसी से उसका जीवन चलता है [घरो में लिपाई-पुताई में लाल मिट्टी काम आती है। एक पुराने कपड़े की गोल गद्दी सिर पर रखकर उस पर मिट्टी का कनस्तर रखे हुए वह घर-घर जाकर मिट्टी बेचती है ,उसे सारे शहर के लोग माटी वाली के नाम से ही जानते हैं। एक दिन माटी वाली मिट्टी बेचकर एक घर में पहुँचती है तो मकान मालकिन ने उसे दो रोटियां दी । माटी वाली ने उसमें से एक रोटी अपने सिर पर रखे गंदे कपड़े से बाँध ली | तब तक मालकिन चाय लेकर आ गई। पीतल के पुराने गिलास में माटी वाली फूंक -फूंक कर चाय सुड़कने लगी। माटी वाली ने कहा कहा कि पूरे बाज़ार में अब किसी के पास ऐसी पुरानी चीजें नहीं रह गई हैं जिस पर मालकिन ने कहा की यह पुरखो की चीज़े हैं। न जाने किन कष्टों के साथ इन्हे खरीदा गया होगा | अब लोग इनका कदर नहीं करते। अपनी चीज़ का मोह बहुत बुरा होता है और टिहरी का मोह भी ऐसा ही है। 

          माटी वाली ने कहा कि जिनके पास ज़मीन या कोई संपत्ति है उन्हें कोई ठिकाना मिल ही जाता है लेकिन माटी वाली जैसे बेघर –बाल मजदूरों का क्या होगा ? माटी वाली उस दिन दो-तीन घरों में मिट्टी पहुँचाकर तीन रोटी बांधकर अपने बुड्ढे पति के लिए लायी थीं। वह रोज़ इसी आस में बैठा रहता है। आज वह उसके लिए प्याज भी खरीद लायी थीं कि कूटकर रोटी के साथ दे देगी | घर पहुंची तो पाया की बूढा मर चूका है। 

           टिहरी बाँध से उखड़े लोगों को बसाने वाले साहेब ने माटी वाली से पूछा की वह जहाँ रहती है वहां का प्रमाण -पत्र ले आये पर उसके पास ऐसा कोई भी प्रमाण – पत्र नहीं था । वह तो सारी ज़िन्दगी माटाखान से खोदकर मिट्टी बेचती रही । माटाखान का भी उसके नाम कोई कागज़ नहीं था। ऐसे में उसे सरकारी मदद नहीं मिली। टिहरी बाँध भरने लगा | लोग अफरातफरी में घर छोड़कर भागने लगे , निचले भाग में बने शमशान पहले डूबने लगे | मानसिक रूप से विक्षिप्त हो चुकी माटी वाली अपनी झोपड़ी के बाहर लोगों से कह रही थीं – “गरीब आदमी का शमशान नहीं उजाड़ना चाहिए।” 

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NCERT Solution – माटी वाली Mati Wali

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रीढ़ की हड्डी एकांकी का सारांश | Reedh Ki Haddi Class 9 Summary summary class 9 Chapter-2 | Kritika Hindi class 9| Edugrown

रीढ़ की हड्डी एकांकी का सारांश | Reedh Ki Haddi Class 9 Summary  summary class 9 Chapter-2 | Kritika Hindi class 9| Edugrown

रीढ़ की हड्डी एकांकी का सारांश ( Very Short Summary ) class 9 Kritika

रीढ़ की हड्डी पाठ जगदीशचन्द्र माथुर द्वारा लिखी गई है| पाठ में लड़कियों को शादी के लिए भेड़ बकरियों की तरह उन्हें पहले परखा जाता है| लड़कों के दोषों को न देखकर लड़की के गुण पर दोषों की छानबीन की जाती है|

कहानी में उमा के विवाह के लिए गोपाल और उनके पुत्र शंकर देखने घर आते है| उमा एक पढ़ी लिखी हुई लड़की थी| उमा के पिता रामस्वरूप अपनी पुत्री की उच्च शिक्षा को छिपाते है| जब उमा सब के सामने आई तब , गोपाल हैरान हो जाते है| उमा लड़कियों को भेड़-बकरी की तरह मानने वाले गोपाल को बहुत सुनती है| उमा उनके बेटे शंकर का लड़कियों के छात्रावास के चक्कर काटने की आदत के बारे में सब को बता देती है| वह कहती है शंकर छात्रावास के चक्कर लगाने के कारण वह बुरी तरह पिट चुके है , जिसके कारण उनकी रीढ़ की हड्डी की टूट गई है| वह बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचा सके थे| गोपाल यह सब सुन कर अपना संतुलन खो बैठता है| शंकर की यह सुनकर हैरान रह जाता है| इस प्रकार यह नाटक खत्म हो जाता है|

रीढ़ की हड्डी एकांकी का सारांश ( Detailed Summary ) class 9 Kritika

“रीड की हड्डी” कहानी की शुरुआत कुछ इस तरह से होती हैं। उमा एक पढ़ीलिखी शादी के योग्य लड़की हैं जिसके पिता रामस्वरूप उसकी शादी के लिए चिंतित हैं। और आज उनके घर लड़के वाले (यानि बाबू गोपाल प्रसाद जो पेशे से वकील हैं और उनका लड़का शंकर जो बीएससी करने के बाद मेडिकल की पढाई कर रहा हैं।)  उमा को देखने आ रहे हैं।

चूंकि रामस्वरूप की बेटी उमा को देखने के लिए आज लड़के वाले आ रहे हैं। इसीलिए रामस्वरूप अपने नौकर रतन के साथ अपने घर के बैठक वाले कमरे को सजा रहे हैं। उन्होंने बैठक में एक तख्त (चारपाई) रख कर उसमें एक नया चादर बिछाया। फिर उमा के कमरे से हारमोनियम और सितार ला कर उसके ऊपर सजा दिया।

रामस्वरूप जमीन में एक नई दरी और टेबल में नया मेजपोश बिछाकर उसके ऊपर गुलदस्ते सजाकर कमरे को आकर्षक रूप देने की कोशिश करते हैं। 

तभी रामस्वरूप की पत्नी प्रेमा आकर कहती है कि उमा मुंह फुला कर (नाराज होना) बैठी है। इस पर रामस्वरूप अपनी पत्नी प्रेमा से कहते हैं कि वह उमा को समझाएं क्योंकि बड़ी मुश्किल से उन्हें एक रिश्ता मिला है। इसलिए वह अच्छे से तैयार होकर लड़के वालों के सामने आए।

दरअसल उमा के पिता किसी भी कीमत पर इस रिश्ते को हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं। लेकिन प्रेमा कहती है कि उसने उमा को बहुत समझाया है लेकिन वह मान नहीं रही हैं।

उसके बाद वह रामस्वरूप पर दोषरोपण करते हुए कहती हैं कि यह सब तुम्हारे ज्यादा पढ़ाने लिखाने का नतीजा है। अगर उमा को सिर्फ बारहवीं तक ही पढ़ाया होता तो , आज वह कंट्रोल में रहती । रामस्वरूप अपनी पत्नी प्रेमा से कहते हैं कि वह उमा की शिक्षा की सच्चाई लड़के वालों को न बताये। 

दरअसल उमा B.A पास है।और लड़के वालों को ज्यादा पढ़ी लिखी लड़की नहीं चाहिए। इसीलिए रामस्वरूप ने लड़के वालों से झूठ बोला हैं कि लड़की सिर्फ दसवीं पास है।

प्रेमा की बातें सुनकर रामस्वरूप थोड़ा चिंतित होते हैं क्योंकि वो जानते हैं कि आजकल शादी ब्याह के वक्त लड़की के साज श्रृंगार का क्या महत्व है। लेकिन वह अपनी पत्नी से कहते हैं कि कोई बात नहीं , वह वैसे ही सुंदर हैं। 

लड़के वालों के नाश्ते के लिए मिठाई , नमकीन , फल , चाय , टोस्ट का प्रबंध किया गया है। लेकिन टोस्ट में लगाने के लिए मक्खन खत्म हो चुका है। इसीलिए रामस्वरूप अपने नौकर को मक्खन लेने के लिए बाजार भेजते हैं। बाजार जाते वक्त नौकर को घर की तरफ आते मेहमान दिख जाते हैं जिनकी खबर वह अपने मालिक को देता हैं।

ठीक उसी समय बाबू गोपाल प्रसाद अपने लड़के शंकर के साथ रामस्वरूप के घर में दाखिल होते हैं। लेकिन गोपाल प्रसाद की आंखों में चतुराई साफ झलकती हैं।और आवाज से ही वो , बेहद अनुभवी और फितरती इंसान दिखाई देते हैं। उनके लड़के शंकर की आवाज एकदम पतली और खिसियाहट भरी हैं जबकि उसकी कमर झुकी हुई हैं।

रामस्वरूप ने मेहमानों का स्वागत किया और औपचारिक बातें शुरू कर दी । बातों-बातों में दोनों नये जमाने और अपने जमाने (समय) की तुलना करने लगते हैं। 

थोड़ी देर बाद रामस्वरूप चाय नाश्ता लेने अंदर जाते हैं। रामस्वरूप के अंदर जाते ही गोपाल बाबू रामस्वरूप की हैसियत आंकने की कोशिश करने लगते हैं। वह अपने बेटे को भी डांटते हैं जो इधर- उधर झाँक रहा था। वह उससे सीधी कमर कर बैठने को कहते हैं। 

इतने में रामस्वरूप दोनों के लिए चाय नाश्ता ले कर आते हैं। थोड़ी देर बात करने के बाद बाबू गोपाल प्रसाद असल मुद्दे यानि शादी विवाह के बारे में बात करना शुरू कर देते हैं।

जन्मपत्रिका मिलाने की बात पर गोपाल प्रसाद कहते हैं कि उन्होंने दोनों जन्मपत्रिकाओं को भगवान के चरणों में रख दिया। बातों-बातों में वो अपनी संकीर्ण मानसिकता का परिचय देते हुए कहते हैं कि लोग उनसे कहते हैं कि उन्होंने लड़कों को उच्च शिक्षा दी हैं। इसीलिए उन्हें बहुएं भी ग्रेजुएट लानी चाहिए।

लेकिन मैं उनको कहता हूँ कि लड़कों का पढ़ -लिख कर काबिल होना तो ठीक है लेकिन लड़कियां अगर ज्यादा पढ़ लिख जाए और अंग्रेजी अखबार पढ़कर पॉलिटिक्स करने लग जाए तो , घर गृहस्थी कैसे चलेगी। वो आगे कहते हैं कि मुझे बहुओं से नौकरी नहीं करानी है। 

फिर वो रामस्वरूप से लड़की (उमा) की सुंदरता व अन्य चीजों के बारे में पूछते हैं। रामस्वरूप कहते हैं कि आप खुद ही देख लीजिए।

 इसके बाद रामस्वरूप उमा को बुलाते है। उमा एक प्लेट में पान लेकर आती है। उमा की आँख पर लगे चश्मे को देखकर गोपाल प्रसाद और शंकर दोनों एक साथ चश्मे के बारे में पूछते हैं। लेकिन रामस्वरूप झूठा कारण बता कर उन्हें संतुष्ट कर देते हैं।

गोपाल प्रसाद उमा से गाने बजाने के संबंध में पूछते हैं तो उमा मीरा का एक सुंदर गीत गाती है। उसके बाद वो पेंटिग , सिलाई , कढ़ाई आदि के बारे में भी पूछते हैं। उमा को यह सब अच्छा नहीं लगता है। इसलिए वह कोई उत्तर नहीं देती है। यह बात गोपाल प्रसाद को खटकती हैं। वो उमा से प्रश्नों के जवाब देने को कहते हैं। रामस्वरूप भी उमा से जवाब देने के लिए कहते हैं।

तब उमा अपनी धीमी मगर मजबूत आवाज में कहती है कि क्या दुकान में मेज-कुर्सी बेचते वक्त उनकी पसंद-नापसंद पूछी जाती है । दुकानदार ग्राहक को सीधे कुर्सी मेज दिखा देता है और मोल भाव तय करने लग जाता है। ठीक उसी तरह ये महाशय भी , किसी खरीददार के जैसे मुझे एक सामान की तरह देख-परख रहे हैं। रामस्वरूप उसे टोकते हैं और गोपाल प्रसाद नाराज होने लगते हैं।

लेकिन उमा अपनी बात जारी रखते हुए कहती हैं कि पिताजी आप मुझे कहने दीजिए। ये जो सज्जन मुझे खरीदने आये हैं जरा उनसे पूछिए क्या लड़कियां के दिल नहीं होते हैं , क्या उन्हें चोट नहीं लगती है। गोपाल प्रसाद गुस्से में आ जाते हैं और कहते हैं कि क्या उन्हें यहाँ बेइज्जती करने के लिए बुलाया हैं।

उमा जवाब देते हुए कहती हैं कि आप इतनी देर से मेरे बारे में इतनी जांच पड़ताल कर रहे हैं। क्या यह हमारी बेइज्जती नहीं हैं। साथ में ही वह लड़कियों की तुलना बेबस भेड़ बकरियों से करते हुए कहती है कि उन्हें शादी से पहले ऐसे जांचा परखा जाता हैं जैसे कोई कसाई भेड़-बकरियों खरीदने से पहले उन्हें अच्छी तरह से जाँचता परखता हैं।

वह उनके लड़के शंकर के बारे में बताती हैं कि किस तरह पिछली फरवरी में उसे लड़कियों के हॉस्टल से बेइज्जत कर भगाया गया था। तब गोपाल प्रसाद आश्चर्य से पूछते हैं क्या तुम कॉलेज में पढ़ी हो। उमा जवाब देते हुए कहती हैं कि उसने बी.ए पास किया है। ऐसा कर उसने कोई चोरी नहीं की। उसने पढ़ाई करते हुए अपनी मर्यादा का पूरा ध्यान रखा। उनके पुत्र की तरह कोई आवारागर्दी नहीं की।

अब शंकर व उसके पिता दोनों गुस्से में खड़े हो जाते हैं और रामस्वरूप को भला बुरा कहते हुए दरवाजे की ओर बढ़ते हैं। उमा पीछे से कहती है। जाइए…..जाइए , मगर घर जाकर यह पता अवश्य कर लेना कि आपके पुत्र की रीढ़ की हड्डी है भी कि नहीं।

गोपाल प्रसाद और शंकर वहां से चले जाते हैं।उनको जाता देख रामस्वरूप निराश हो जाते हैं।पिता को निराश-हताश देख उमा अपने कमरे में जाकर रोने लग जाती हैं। तभी नौकर मक्खन लेकर आता हैं। और कहानी खत्म हो जाती हैं।

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मेरे संग की औरतें का सारांश | IMere sang ki aorate summary class 9 Chapter-2 | Kritika Hindi class 9| Edugrown –

मेरे संग की औरतें का सारांश | IMere sang ki aorate summary class 9 Chapter-2 | Kritika Hindi class 9| Edugrown -

मेरे संग की औरतें का सारांश ( Very Short Summary ) class 9 Kritika

मेरे संग की औरतें’, में लेखिका बताती हैं कि उनके घर में कुछ लोग अंग्रेजों का समर्थन करते थे तो कुछ लोग भारतीय नेताओं का पक्ष लेते थे। पर बहुमति होने के बाद भी घर में किसी तरह की संकीर्णता नहीं थी। सब लोग अपने निज विचारों को बनाये रख सकते थे।

लेखिका के नाना अंग्रेजों के पक्ष में थे। परन्तु उनकी नानी जिनको लेखिका ने कभी नहीं देखा था अपने जीवन के अंतिम दिनों में प्रसिद्ध क्रांतिकारी प्यारेलाल शर्मा से मिली थीं। उसके उपरांत उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह किसी क्रांतिकारी से करने की इच्छा प्रकट करी थी। इस प्रकार लेखिका की नानी जो जीवन भर परदे में रहीं थीं, हिम्मत करके एक अनजान व्यक्ति से मिलीं। उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए पवित्र भावना प्रकट करी। उनके साहसी व्यक्तित्व और स्वतंत्रता की भावना से लेखिका प्रभावित हुईं।

लेखिका की दादी के मन में लड़का और लडकी में भेद नहीं था। उनके परिवार में कई पीढ़ियों से किसी कन्या का जन्म नहीं हुआ था। संभव है कि इसी कारण परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लडकी पैदा होने की मन्नत माँगी थी।

लेखिका की माँ नाज़ुक और सुंदर थीं। वे स्वतंत्र विचारों की महिला थीं। ईमानदारी, निष्पक्षता और सचाई उनके गुण थे। उन्होंने अन्य माताओं के समान अपनी बेटी को अच्छे बुरे की सीख नहीं दी और न खाना पकाकर खिलाया। वे अपना अधिकांश समय अध्यन और संगीत को समर्पित करती थीं। वे झूठ नहीं बोलती थीं और इधर की बात उधर नहीं करती थीं। लोग हर काम में उनकी राय लेते और उसका पालन करते थे।

लेखिका और उनकी बहन एकांत प्रिय स्वभाव की थीं। वे जिद्दी थीं पर सही बात के लिए जिद करती थीं। उनकी जिद के फलस्वरूप लोगों को कर्नाटक में स्कूल खोलने की प्रेरणा मिली।

मेरे संग की औरतें का सारांश ( Detailed Summary ) class 9 Kritika

मेरे संग की औरतें का सारांश ( Detailed Summary ) class 9 Kritika

प्रस्तुत संस्मरण लेखिका मृदुला गर्ग द्वारा लिखा गया है। इसमें लेखिका ने अपने परिवार की औरतों के व्यक्तित्व और स्वभाव पर प्रकाश डाला है। लेखिका ने अपनी नानी के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था। लेखिका की नानी अनपढ़, परंपरावादी और पर्दा-प्रथा वाली औरत थीं। उनके नाना ने तो विवाह के बाद कैंब्रिज विश्वविद्यालय से बैरिस्ट्री पास की और विदेशी शान-शौकत से जिंदगी बिताने लगे, परंतु नानी पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। अत: नानी ने अपनी पुत्री की शादी की ज़िम्मेदारी अपने पति के एक मित्र स्वतंत्रता सेनानी प्यारे लाल शर्मा को सौंप दी कि वे अपनी बेटी की शादी आज़ादी के सिपाही से करवाना चाहती हैं। अत: लेखिका की माँ की शादी एक स्वतंत्रता सेनानी से हुई। वे अब खादी की साड़ी पहना करती थीं, जो उनके लिए असहनीय थी। लेखिका ने अपनी माँ को कभी भारतीय माँ जैसा नहीं देखा था। वे घर-परिवार और बच्चों के खान-पान आदि में ध्यान नहीं देती थीं। उन्हें पुस्तकें पढ़ने और संगीत सुनने का शौक था। उनमें दो गुण मुख्य थे-पहला, कभी झूठ न बोलना और दूसरा, वे एक की गोपनीय बात को दूसरे पर जाहिर नहीं होने देती थीं। इसी कारण उन्हें घर में आदर तथा बाहरवालों से दोस्ती मिलती थी।

          लेखिका की परदादी को लीक से हटकर चलने का शौक था। उन्होंने मंदिर में जाकर विनती की कि उनकी पतोहू का पहला बच्चा लड़की हो। उनकी यह बात सुनकर लोग हक्के-बक्के से रह गए थे। ईश्वर ने उनके घर में पूरी पाँच कन्याएँ भेज दीं।

          एक बार घर के सभी लोग घर से बाहर एक बरात में गए हुए थे और घर में जागरण था। अत: लेखिका की दादी शोर मचने की वजह से दूसरे कमरे में जाकर सोई हुई थीं। तभी चोर ने सेंध लगाई और उसी कमरे में घुस आया। परदादी की नींद खुल गई। उन्होंने चोर से एक लोटा पानी माँगा। बूढ़ी दादी के हठ के आगे चोर को झुकना पड़ा और वह कुएँ से पानी ले आया। परदादी ने आधा लोटा पानी खुद पिया और आधा लोटा पानी चोर को पिला दिया और कहा कि अब हम माँ-बेटे हो गए। अब तुम चाहे चोरी करो या खेती करो। उनकी बात मानकर चोर चोरी छोड़कर खेती करने लगा।

          लेखिका की बहनों में कभी इस हीन-भावना की बात नहीं आई कि वे एक लड़की हैं। पहली लड़की जिसके लिए परदादी ने मन्नत माँगी  थी वह मंजुला भगत थीं। दूसरे नंबर की लड़की खुद लेखिका मृदुला गर्ग  (घर का नाम उमा) थीं। तीसरी बहन का नाम चित्रा और उसके बाद  रेणु और अचला नाम की बहनें थीं। इन पाँच बहनों के बाद एक भाई  राजीव था।

          लेखिका का भाई राजीव हिंदी में और अचला अंग्रेजी में लिखने  लगी और रेणु विचित्र स्वभाव की थी। वह स्कूल से वापसी के समय गाड़ी में बैठने से इनकार कर देती थी और पैदल चलकर ही पसीने से तर होकर घर आती थी। उसके विचार सामंतवादी व्यवस्था के खिलाफ़ थे। वह बी०ए० पास करना भी उचित नहीं मानती थी। लेखिका की तीसरी बहन चित्रा को पढ़ने में कम तथा पढ़ाने में अधिक रुचि थी। इस कारण उसके शिष्यों से उसके कम अंक आते थे। उसने अपनी शादी के लिए एक नज़र में लड़का पसंद करके ऐलान किया कि वह शादी करेगी तो उसी से और उसी के साथ उसकी शादी हुई।

          अचला, सबसे छोटी बहन, पत्रकारिता और अर्थशास्त्र की छात्रा थी। उसने पिता की पसंद से शादी कर ली थी और उसे भी लिखने का रोग था। सभी ने शादी का निर्वाह भली-भाँति किया। लेखिका शादी के बाद बिहार के एक कस्बे, डालमिया नगर में रहने लगीं। वहीं पर वहाँ की औरतों के साथ उन्होंने नाटक भी किए। इसके बाद मैसूर राज्य के कस्बे, बागलकोट में रहीं। वहाँ लेखिका ने अपने बलबूते पर प्राइमरी स्कूल खोला, जिसमें उनके और अन्य अफसरों के बच्चों ने अपनी पढ़ाई की तथा भिन्न-भिन्न शहरों के अलग-अलग विद्यालयों में दाखिला लिया। विद्यालय खोलकर लेखिका ने दिखा दिया कि वे अपने प्रयास में कभी असफल नहीं हो सकतीं। परंतु लेखिका स्वयं को अपनी छोटी बहन रेणु से कमतर आँकती थीं। वे एक अन्य घटना का स्मरण करते हुए लिखती हैं कि दिल्ली में 1950 के अंतिम दौर में नौ इंच तेज बारिश हुई तथा चारों तरफ़ पानी भर गया था। रेणु की स्कूल-बस नहीं आई थी। सबने कहा कि स्कूल बंद होगा, अतः वह स्कूल न जाए किंतु वह नहीं मानी। अपनी धुन की पक्की वह दो मील पैदल चलकर स्कूल गई और स्कूल बंद होने पर वापस लौटकर आई। लेखिका मानती हैं कि अपनी धुन में मंजिल की ओर चलते जाने का और अकेलेपन का कुछ और ही मज़ा होता है।

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NCERT Solution – मेरे संग की औरतें का सारांश

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इस जल प्रलय में का सारांश | Is jal paralye me summary class 9 Chapter-1 | Kritika Hindi class 9| Edugrown

इस जल प्रलय में का सारांश | Is jal paralye me summary class 9 Chapter-1 | Kritika Hindi class 9| Edugrown

इस जल प्रलय में का सारांश  Very Short Summary

इस जल प्रलय में’ लेखक ने बाढ़ के कारण हुई त्रासदी का वर्णन किया है। बाढ़ की स्थिति में लोगों को किस तरह की समस्याओं और कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है। यह कहानी उसका वर्णन करती है। लेखक ने बड़ी सावधानीपूर्वक बाढ़ से उत्पन्न समस्यों का चित्रण किया है। उसने हर उस छोटे-बड़े क्षण का वर्णन किया है जो हमें उस त्रासदी की सटीक अनुभूति करवा सके। यह घटना पटना शहर की है। सन् 1967 में अट्ठारह घंटे लगातार वर्षा के बाद पुनपुन का पानी निचले हिस्सों में घुस गया था। इसके कारण उन क्षेत्रों को बाढ़ की स्थिति से गुजरना पड़ा था। इस घटना के लेखक स्वयं भुक्तभोगी थे। उन्होंने स्वयं इस त्रासदी को नज़दीक से देखा था। लेखक ने इस घटना से बाढ़ का वास्तविक चित्र प्रस्तुत किया है। बाढ़ की स्थिति से गुज़रते समय किस प्रकार की सावधानी रखनी चाहिए और किस प्रकार की तैयारियाँ करनी चाहिए, लेखक ने इसकी जानकारी दी है। यह पाठ प्रकृति आपदा के समय मनुष्य की विवशता और झेली जाने वाली यातनाओं का बड़ा मार्मिक चित्र प्रस्तुत करता है। अपने इस प्रयास में लेखक बहुत हद तक सफल भी हुए हैं।

इस जल प्रलय में Class 9 Kritika Notes Detailed Summary

इस जल प्रलय में Class 9 Kritika Notes Detailed Summary

‘इस जल प्रलय में’ फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित रिपोर्ताज है, जिसमें उन्होंने सन 1975 ई० में पटना में आई प्रलयंकारी बाढ़ का आँखों देखे हाल का वर्णन किया है।

लेखक का गाँव एक ऐसे क्षेत्र में था, जहाँ की विशाल और परती ज़मीन पर सावन-भादों के महीनों में पश्चिम, पूर्व और दक्षिण में बहने वाली कोसी, पनार, महानंदा और गंगा की बाढ़ से पीड़ित मानव व पशुओं का समूह शरण लेता था। सन 1967 में भयंकर बाढ़ आई थी, तब पूरे शहर और मुख्यमंत्री निवास तक के डूबने की खबरें सुनाई देती रहीं। लेखक बाढ़ के प्रभाव व प्रकोप को देखने के लिए अपने एक कवि मित्र के साथ निकले। तभी आते-जाते लोगों द्वारा आपस में जिज्ञासावश एक-दूसरे को बाढ़ की सूचना से अवगत कराते देख लेखक गांधी मैदान के पास खड़े लोगों के पास गए।

शाम को साढ़े सात बजे पटना के आकाशवाणी केंद्र ने घोषणा की कि पानी आकाशवाणी के स्टूडियो की सीढ़ियों तक पहुँच गया है। बाढ़ का पानी देखकर आ रहे लोग पान की दुकानों पर खड़े हँस-बोलकर समाचार सुन रहे थे, परंतु लेखक और उनके मित्र के चेहरों पर उदासी थी। कुछ लोग ताश खेलने की तैयारी कर रहे थे। राजेंद्रनगर चौराहे पर मैगज़ीन कॉर्नर पर पूर्ववत पत्र-पत्रिकाएँ बिक रही थीं। लेखक कुछ पत्रिकाएँ लेकर तथा अपने मित्र से विदा लेकर अपने फ़्लैट में आ गए।
वहाँ उन्हें जनसंपर्क विभाग की गाड़ी से लाउडस्पीकर पर की गई बाढ़ से संबंधित घोषणाएँ सुनाई दीं। उसमें सबको सावधान रहने के लिए कहा गया। रात में देर तक जगने के बाद लेखक सोना चाहते हैं, पर नींद नहीं आती। वे कुछ लिखना चाहते हैं और तभी उनके दिमाग में कुछ पुरानी यादें तरोताजा हो जाती हैं। सन 1947 में मनिहारी शिले में बाढ़ आई थी। लेखक गुरु जी के साथ नाव पर दवा, किरोसन तेल, ‘पकाही घाव’ की दवा और दियासलाई आदि लेकर सहायता करने के लिए वहाँ गए थे।

इसके बाद 1949 में महानंदा नदी ने भी बाढ़ का कहर बरपाया था। लेखक वापसी थाना के एक गाँव में बीमारों को नाव पर चढ़ाकर कैंप ले जा रहे थे, तभी एक बीमार के साथ उसका कुत्ता भी नाव पर चढ़ गया। जब लेखक अपने साथियों के साथ एक टीले के पास पहुँचे तो वहाँ एक ऊँची स्टेश बनाकर ‘बलवाही’ का नाच हो रहा था और लोग मछली भूनकर खा रहे थे। एक काला-कलूटा ‘नटुआ’ लाल साड़ी में दुलहन के हाव-भाव को दिखा रहा था।

फिर एक बार सन 1967 ई० में जब पुनपुन का पानी राजेंद्रनगर में घुस गया, तो कुछ सजे-धजे युवक-युवतियों की टोली नाव पर स्टोव, केतली, बिस्कुट आदि लेकर जल-विहार करने निकले। उनके ट्रांजिस्टर पर ‘हवा में उड़ता जाए’ गाना बज रहा था। जैसे ही उनकी नाव गोलंबर पहुंची और ब्लॉकों की छतों पर खड़े लड़कों ने उनकी खिल्ली उड़ानी शुरू कर दी, तो वे दुम दबाकर हवा हो गए।

रात के ढाई बजे का समय थापर पानी अभी तक वहाँ नहीं आया था। लेखक को लगा कि शायद इंजीनियरों ने तटबंध ठीक कर दिया हो। लेखक को नींद आ गई। सुबह साढ़े पाँच बजे जब लोगों ने उन्हें जगाया तो लेखक ने देखा कि सभी जागे हुए थे और पानी मोहल्ले में दस्तक दे चुका था। चारों ओर शोर-कोलाहल-कलरव, चीख-पुकार और पानी की लहरों का नृत्य दिखाई दे रहा था। चारों ओर पानी ही पानी दिखाई दे रहा था। पानी बहुत तेजी से चढ़ रहा था। लेखक ने बाढ़ का दृश्य तो अपने बचपन में भी देखा था, परंतु इस तरह अचानक पानी का चढ़ आना उन्होंने पहली बार देखा था।

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NCERT Solution – इस जल प्रलय में

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The Beggar Quick revision Notes | Class 9th Chapter 10 Moments | English | The Beggar Summary in English & Hindi Language

The Beggar Quick revision Notes | Class 9th Chapter 10 Moments | English | The Beggar Summary in English & Hindi Language

The Beggar Summary in English

Advocate Sergei was detained by a beggar one day. The beggar was crying for pity and told him he had been a school teacher but had lost his position.

The beggar was in rags. He had dull, sunken cheeks and red spots on either cheek. He wore one high shoe and one low shoe.

Sergei recognised the beggar and told him he had met him in Sadovya Street. Then he had called himself a student. Sergei warned that he would inform the police.

The beggar admitted the truth and asked for work. Sergei asked him to chop wood. The beggar agreed, though unwillingly. The beggar was taken by Sergei’s servant Olga to the shed where he had to chop the wood.

Olga gave the beggar the axe. Sergei seeing a drunken and a spoiled man at work in the cold, felt sorry for him and went away.

The beggar would cut wood on the first of every month. He would also shovel snow, beat the dust out of the rugs and mattresses and put the wood-shed in order. When Sergei moved into another house, the beggar packed and carried the furniture.

Lushkoff, the beggar was now offered other work. Sergei asked him to go to his friends. They gave him some copying work as he could write. Sergei was happy he had put the man on the right track.

Two years went by. One evening standing at a ticket window of a theatre Sergei saw the man again. Lushkoff told him that he was a notary and was paid thirty-five roubles a month. He thanked Sergei for what he had done for him. He said that if he had not helped him he would still have been telling lies.

He asked Sergei to thank Olga, the cook. Lushkoff told Sergei that Olga would rebuke, call him names then she would sit opposite him and weep. Then she would chop the wood for him. Due to Olga’s actions, he had a change of heart. He was set right by Olga and would never forget her.

The Beggar Quick revision Notes | Class 9th Chapter 10 Moments | English | The Beggar Summary in English & Hindi Language

The Beggar Summary in Hindi

भिखारी सारांश हिंदी में

एंटोन चेखव की कहानी ‘The Begger’ एक भिखारी की मानसिकता के परिवर्तन के बारे में है। कहानी एक भिखारी के साथ शुरू होती है जिसका नाम लुश्कोफ़ था और वह एक दयालु आदमी सर्गेई से पैसे मांग रहा था। वह पिछले तीन दिनों से  भूखा होने का नाटक कर रहा था। वह खुद को एक स्कूल शिक्षक के रूप में भी दिखा रहा था, जिसने एक साजिश में अपनी नौकरी खो दी। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास एक नई नौकरी थी लेकिन उन्हें उस जगह तक पहुंचने के लिए पैसे की जरूरत थी जहां उन्हें अपनी नई नौकरी में शामिल होना था। सर्गेई उसकी ओर देख रहा था और आखिरकार उसने देखा कि उस भिखारी के पास एक ऊँचा और दूसरा कम ऊँचा जूते हैं और फिर उसने पहचान लिया कि वही भिखारी कुछ दिन पहले ही भिक्षा माँग रहा था जो स्कूल से निकाले जाने का नाटक कर रहा था। भिखारी ने सब कुछ मानने से इनकार कर दिया लेकिन जब गुस्से में, सर्गेई ने उसे पुलिस में ले जाने की धमकी दी, तो उसने स्वीकार किया कि वह झूठ बोल रहा था।

फिर, सर्गेई ने उससे पूछा कि क्या वह उसके घर में नौकरी करेगा। जब भिखारी सहमत हो गया, सर्गेई उसे लकड़ी चॉपर के रूप में काम करने के लिए अपने घर ले गया। जब वे उसके घर पहुँचे, तो उस घर की महिला रसोइया जिसका नाम ओल्गा था, पहले तो क्रोधित हुई लेकिन सर्गेई के निर्देशों के अनुसार, भिखारी को लकड़ी काटने के लिए ले गई। रसोइया ने भिखारी को डांटना शुरू कर दिया, लेकिन उसने लकड़ी काट ली और आधा रूबल कमाया। उस दिन से, भिखारी महीने के पहले या कभी-कभी या तो अक्सर उसके घर जाता था और या तो लकड़ी काटने का काम करता था या फिर पैकिंग में सर्गेई की मदद करता था, फर्नीचर की व्यवस्था करता था और अन्य घरेलू काम करता था। उसने वहाँ से पैसा कमाया। एक दिन, सर्गेई ने उसे एक पत्र दिया और उससे कहा कि वह पत्र उसके एक मित्र के पास ले जाए जहाँ उसे लिखने की नौकरी की पेशकश की जाएगी।

सर्गेई ने उन्हें कड़ी मेहनत करने और शराब न पीने का सुझाव दिया। उस दिन से सर्गेई लंबे समय तक लुश्कोफ से नहीं मिले और जब, लगभग दो वर्षों के बाद, सर्गेई भिखारी से मिले, उन्होंने पाया कि भिखारी नोटरी बन गया था और अब वह अच्छी रकम कमा रहा था। भिखारी ने उससे कहा कि वो ही  अकेला था जिसने उसके जीवन को नरक से स्वर्ग में बदल दिया, लेकिन लुश्कोफ ने सर्गेई को एक और रहस्य भी बताया कि वास्तविक में, उसका रसोइया ओल्गा, हालांकि उसे डांटता था और उसे गाली देता था, लेकिन  वह ही थी जो उसका इस्तेमाल करती थी उसके लिए हर बार लकड़ी काटने का काम करो और उसके इस तरह के व्यवहार के कारण ही उसने आगे भी कड़ी मेहनत करने की प्रतिबद्धता जताई।

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NCERT Solution – The Beggar

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The Accidental Tourist Quick revision Notes | Class 9th Chapter 9 Moments | English | The Accidental Tourist Summary in English & Hindi Language

The Accidental Tourist Quick revision Notes | Class 9th Chapter 9 Moments | English | The Accidental Tourist Summary in English & Hindi Language

The Accidental Tourist Summary in English

The Accidental Tourist by Bill Bryson is a short story that highlights the importance of having suave and elegant manners at the time of travelling. In this story, we see that the narrator almost flies over 100,000 miles every year because of his job’s nature. So, we can say that the narrator is an accidental tourist, though he doesn’t enjoy travelling but still he has to because of his job. However in his own words he says that he is sort of a confused man who often forgets the roads and gets into wrong alleys or gets trapped into self-locking doors. In this story, he takes us to some of his awry travel experiences where he did some crazy things, though unwittingly.

Most of his experiences are based around airports or inside the flights. On one instant, while flying to England from Boston with family for Christmas, he forcibly opened the zip of his bag, as a result it broke down and all the stuff littered on the ground. This made him embarrassed and the people around him.
One day in the flight, he got up to tie his shoelace, but then suddenly the person on the next seat pulled up the full recliner, he got crushed into his seat and with great difficulty he managed to get himself freed. This indicates that he was absentminded when tying shoelace.
On other day, he repeatedly spilled drink on a lady’s lap sitting beside him. Because of this habit, one day his wife let herself opened the lid of the food container. In another funny instance the narrator was busy noting something with a pen, but at the same time he was sucking the one side of his pen and speaking to a young lady. When he visited the lavatory, he found blue stains on his chin, color, hands and so on. There are some instances when the narrator, owing to his poor memory, forgot some or other thing and landed himself up in trouble.
The message from this story is that travelling is not everyone’s cup of tea. One needs to be alert and graciously presentable to avoid getting into blunders or causing inconvenience to others. You need to have good manners and immaculate presence of mind while travelling to far-off distance. Imagine what will you do if you lost your documents and money and gadgets?

The Accidental Tourist Quick revision Notes | Class 9th Chapter 9 Moments | English | The Accidental Tourist Summary in English & Hindi Language

The Accidental Tourist Summary In Hindi

बिल ब्रायसन द्वारा द एक्सीडेंटल टूरिस्ट एक छोटी कहानी है जो यात्रा के समय सुसाइड और सुरुचिपूर्ण शिष्टाचार के महत्व पर प्रकाश डालती है। इस कहानी में, हम देखते हैं कि कथाकार अपनी नौकरी की प्रकृति के कारण हर साल लगभग 100,000 मील से अधिक उड़ान भरता है। इसलिए, हम कह सकते हैं कि कथा एक आकस्मिक पर्यटक है, हालांकि वह यात्रा का आनंद नहीं लेता है, लेकिन फिर भी उसे अपनी नौकरी की वजह से है। हालाँकि अपने शब्दों में वह कहता है कि वह एक भ्रमित आदमी की तरह है जो अक्सर सड़कों को भूल जाता है और गलत गलियों में घुस जाता है या फिर सेल्फ-लॉकिंग दरवाजों में फंस जाता है। इस कहानी में, वह हमें अपनी कुछ अजीब यात्रा के अनुभवों के लिए ले जाता है जहाँ उसने कुछ पागल चीजें कीं, हालांकि अनजाने में।

उनके अधिकांश अनुभव हवाई अड्डों के आसपास या उड़ानों के अंदर होते हैं। एक पल में, क्रिसमस के लिए परिवार के साथ बोस्टन से इंग्लैंड के लिए उड़ान भरने के दौरान, उसने जबरन अपने बैग की ज़िप खोल दी, परिणामस्वरूप यह टूट गया और सभी सामान जमीन पर लिपट गया। इससे वह शर्मिंदा हो गया और आस-पास के लोग।

उड़ान में एक दिन, वह अपने फावड़े को बाँधने के लिए उठा, लेकिन तभी अचानक अगली सीट पर मौजूद व्यक्ति ने पूरी तरह से झुककर उसे खींच लिया, वह अपनी सीट से टकरा गया और बड़ी मुश्किल से वह खुद को मुक्त कर पाया। यह इंगित करता है कि फावड़ा बांधते समय वह अनुपस्थित था।

दूसरे दिन, वह बार-बार अपने पास बैठी एक महिला की गोद में बैठकर ड्रिंक पीता था। इस आदत के कारण, एक दिन उनकी पत्नी ने खुद को फूड कंटेनर का ढक्कन खोलने दिया। एक और मज़ेदार उदाहरण में कथाकार एक कलम के साथ कुछ नोट करने में व्यस्त था, लेकिन साथ ही वह अपनी कलम के एक किनारे को चूस रहा था और एक युवा महिला से बात कर रहा था। जब उन्होंने लवेटरी का दौरा किया, तो उनकी ठुड्डी, रंग, हाथ वगैरह पर नीले दाग मिले। ऐसे कुछ उदाहरण हैं जब कथावाचक, अपनी खराब याददाश्त के कारण, किसी-न-किसी बात को भूल गए और खुद को मुसीबत में डाल लिया।

इस कहानी का संदेश यह है कि यात्रा हर किसी के लिए चाय का प्याला नहीं है। एक को सचेत करने और गंभीर रूप से प्रस्तुत करने की आवश्यकता है ताकि ब्लंडर में जाने या दूसरों को असुविधा न हो। आपको दूर की यात्रा करते समय अच्छे शिष्टाचार और मन की बेदाग उपस्थिति की आवश्यकता है। सोचिए अगर आपने अपने दस्तावेज और पैसे और गैजेट्स खो दिए तो आप क्या करेंगे?

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NCERT Solution – The Accidental Tourist

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A House is not a Home Quick revision Notes | Class 9th Chapter 8 Moments | English | A House is not a Home Summary in English & Hindi Language

A House is not a Home Quick revision Notes | Class 9th Chapter 8 Moments | English | A House is not a Home Summary in English & Hindi Language
https://www.youtube.com/watch?v=6J_rddjWoU4&list=PLelAq9xzEDXAEtSXe9OzJIUuCBrQr923o&index=8

A House is not a Home Summary in English

The chapter, ” A House is not a Home” by Zan Gaudioso is all about the challenges one has to face when he or she converts into a teenager. The author, during his childhood, gets admission in high school and remembers his experiences, friends, teachers and all his activities in the previous school. One afternoon on Sunday, the author was doing his homework and his mother was stoking the fire in the fireplace. As usual his red tabby cat was lying on the top of the papers and was engaged in disturbing him. Suddenly he smelled something strange and found that there was fire In the house.

He and his mother ran out of the house and called the fire department. But his mother ran  back to the house twice to collect some important documents and other things. The firefighters started their work and somehow brought his mother out. The house was destroyed and the author noticed that his cat was also not there. He broke down into years and was missing his cat a lot. He also had lost all his school materials and went to his grandparents’ house.

In his school, the teachers as well as the students knew very well about his situation. They all collected the amount mutually and bought for him all the stuff like books, copies, different dresses and all other required things.

For his surprise, they all at first forcefully sent him to the gym where he found all the things as a surprise. It was a very emotional situation for him and suddenly he had many friends. After one month he was watching, his house was starting to rebuild, but he was missing his cat so much and imagined that his cat might have been burnt in the fire. But this time he was not alone but some new friends were with him to support. Suddenly a lady came to him with his cat and he became very happy watching his own cat. He understood that in the fear of fire, his cat had run from the house to save it’s own life but now somehow has returned back.

A House is not a Home Quick revision Notes | Class 9th Chapter 8 Moments | English | A House is not a Home Summary in English & Hindi Language

A House is not a Home Summary in Hindi

हिंदी में समझें सारांश:-

                  Zan Gaudioso द्वारा अध्याय “A House is not a Home”, उन सभी चुनौतियों के बारे में है जिनका सामना उस समय करना होता है जब कोई एक‌ किशोर या किशोरी  में परिवर्तित हो जाते हैं। लेखक, अपने बचपन के दौरान, हाई स्कूल में प्रवेश पाता है और अपने अनुभवों, दोस्तों, शिक्षकों और पिछले स्कूल में उसकी सभी गतिविधियों को याद करता है। रविवार की दोपहर एक, लेखक अपना होमवर्क कर रहा था और उसकी माँ चिमनी में आग लगा रही थी। हमेशा की तरह उसकी लाल टैबी बिल्ली कागजों के ऊपर लेटी हुई थी और उसे परेशान करने में लगी हुई थी। अचानक उसे कुछ अजीब सी गंध आई और उसने पाया कि घर में आग लगी हुई है। वह और उसकी मां घर से बाहर भागे और दमकल विभाग को फोन किया। लेकिन उनकी मां कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज और अन्य चीजें इकट्ठा करने के लिए दोबारा घर वापस चली गईं। दमकलकर्मियों ने अपना काम शुरू किया और किसी तरह उसकी मां को बाहर निकाला। घर को नष्ट कर दिया गया था और लेखक ने देखा कि उसकी बिल्ली भी वहां नहीं थी। वह कुछ वर्षों में टूट गया था और अपनी बिल्ली को बहुत याद कर रहा था। उन्होंने अपने स्कूल के सभी सामग्रियों को भी खो दिया था और अपने दादा दादी के घर गए थे। उनके स्कूल में, शिक्षकों के साथ-साथ छात्रों को उनकी स्थिति के बारे में अच्छी तरह से पता था। उन सभी ने राशि को परस्पर एकत्र किया और उसके लिए सभी सामान जैसे किताबें, प्रतियां, अलग-अलग कपड़े और अन्य सभी आवश्यक चीजें खरीदीं। उसे surprise देने के लिए, उन्होंने सभी को पहले जबरदस्ती जिम में भेजा, जहाँ उस ने सभी चीजों को surprise के रूप में पाया। यह उसके लिए बहुत ही भावनात्मक स्थिति थी और अचानक उसके कई दोस्त बन गए थे। एक महीने के बाद वह देख रहा था, उसका घर फिर से बनना शुरू हो गया था, लेकिन वह अपनी बिल्ली को बहुत याद कर रहा था और उसने कल्पना की कि उसकी बिल्ली आग में जल गई होगी। लेकिन इस बार वह अकेले नहीं थे बल्कि कुछ नए दोस्त उनके साथ थे। अचानक एक महिला अपनी बिल्ली के साथ उसके पास आई और वह अपनी बिल्ली को देखकर बहुत खुश हो गया। वह समझ गया कि आग के डर से, उसकी बिल्ली घर से भाग गई थी ताकि वह खुद की जान बचा सके लेकिन अब किसी तरह वापस लौट आयी है।

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NCERT Solution – A House is not a Home

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The Last Leaf Quick revision Notes | Class 9th Chapter 7 Moments | English | The Last Leaf Summary in English & Hindi Language

The Last Leaf Quick revision Notes | Class 9th Chapter 7 Moments | English | The Last Leaf Summary in English & Hindi Language
https://www.youtube.com/watch?v=gYNFvLVmtXM&list=PLelAq9xzEDXAEtSXe9OzJIUuCBrQr923o&index=7

The Last Leaf Summary In English

Story Last Leaf by O Henry is a beautiful story depicting the virtue of human sacrifice and love. This story is about Sue, Johnsy, and Mr. Behrman; Sue and Johnsy live in an apartment in Greenwich Village, a favorite place for aspiring painters to live at. Sue and Johnsy had met at a restaurant and became soul-mate friends.

In the winter pneumonia epidemic affected many people in that area; Johnsy also fell prey to it. Her condition became worse from bad with each passing day. The doctor confided to Sue one day that Johnsy was losing hope and desire to get well under the painful influence of the disease. She began to harbor a belief that she would die the moment the last leaf fell from the ivy climber on the wall opposite her window. She also shares her belief with her friend, Sue.  

Sue discussed it with Mr. Behrman, an extremely talented painter living in obscurity in their neighborhood. Mr. Behrman decided to save Johnsy’s life. He believed in the power of believing. One night when it was extremely cold and raining, he painted a leaf on the ivy climber in such a manner that it looked like a real leaf.  When Johnsy saw that the last leaf on the ivy climber on the opposite wall had not fallen, she was somehow filled with the desire to heal and get well. This desire helped her recuperate fast. And she recovered.

However, Mr. Behrman who had worked in the cold, was affected by pneumonia and died. Thus he laid his life to save Johnsy’s life.  

The Last Leaf Quick revision Notes | Class 9th Chapter 7 Moments | English | The Last Leaf Summary in English & Hindi Language

The Last Leaf Summary in Hindi

द लास्ट लीफ सारांश हिंदी में

द लास्ट लीफ एक छोटी कहानी थी जो ओ हेनरी द्वारा लिखी गई थी। कहानी की शुरुआत जॉनी और सू से होती है जो एक छोटे से फ्लैट में एक साथ रहने वाले युवा कलाकार और दोस्त थे। एक बार, नवंबर के महीने में जॉनसी गंभीर रूप से बीमार पड़ गए। डॉक्टर ने निदान किया कि वह निमोनिया से पीड़ित थी। उसका दोस्त, सू वास्तव में चिंतित था और उसने उसे खुश करने की कोशिश की ताकि वह जल्द ही ठीक हो जाए। लेकिन जॉनसी ने बचने की उम्मीद छोड़ दी थी। उसने किसी तरह अपना मन बना लिया था कि वह कभी उबर नहीं पाएगी और जल्द ही मर जाएगी। उसकी हालत बिगड़ती देख, डॉक्टर ने सू को जॉनसी को सभी चिंताओं से राहत देने के लिए कहा, अन्यथा उसकी दवाएं उसकी बीमारी का जवाब नहीं देतीं।

सू ने जॉनसी को खुश करने की पूरी कोशिश की, लेकिन उसने आसपास के माहौल में कोई दिलचस्पी नहीं ली। वह सू के किसी भी प्रयास के लिए गैर-उत्तरदायी था। एक दिन, जब जॉनी अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था, उसने खिड़की के माध्यम से एक आइवी प्लांट देखा, जो धीरे-धीरे अपने सभी पत्ते खो रहा था। पेड़ की नंगी हालत को देखकर, जॉनी ने कहा कि वह उस दिन मर जाएगा जब आखिरी पत्ती पौधे से गिर जाएगी। हालाँकि आइवी प्लांट का उसकी बीमारी से कोई लेना-देना नहीं था, फिर भी जॉनसी खुद की रिकवरी के बारे में सकारात्मक सोचने के लिए बहुत उदास था।

इस बीच, सू ने जॉनसी को आश्वस्त करना जारी रखा कि वह जल्द ही अपनी बीमारी से उबर जाएगी और उसे आइवी प्लांट के अंतिम पत्ते पर जीवित रहने की अपनी यात्रा को पिन नहीं करना चाहिए। जैसे-जैसे दिन बीतते गए, जॉनसी हर दिन पौधे के बचे हुए पत्तों को गिनता रहा। अपने प्रिय मित्र की पीड़ा को सहन करने में असमर्थ, मुकदमा ने वृद्ध कलाकार से संपर्क किया, जो एक वृद्ध कलाकार था, जो नीचे की ओर रहता था और उसने जॉनसी की मानसिक स्थिति के बारे में बताया था। उसने उसे बताया कि कैसे उसके दोस्त ने आइवी प्लांट के आखिरी पत्ते पर अपना अस्तित्व बचा लिया था।

जल्द ही, बेहरामन जॉनसी से मिलने आया, लेकिन वह सो गया। सू ने उसके कमरे की खिड़की के पर्दे खींचे और वे दूसरे कमरे में बैठने चले गए। उस दिन, एक तूफान के साथ भारी बारिश हो रही थी और उसे लगा कि आइवी पौधे की पत्तियां जल्द ही बह जाएंगी। उसने झिझकते हुए खिड़की से बाहर झाँका और देखा कि लता पर केवल एक पत्ता है जो पौधे से कभी भी गिर सकता है। हालाँकि, बेहरामन ने कोई शब्द नहीं कहा और अपने कमरे में लौट आया। उस रात, पुराने कलाकार ने जॉनसी के लिए कुछ करने का फैसला किया। उन्होंने आइवी प्लांट के एक समान पत्ते को चित्रित किया और इसे क्रीपर पर बांधा, जबकि जॉनसी सो रहे थे। लेकिन ठंड के मौसम और बाहर भारी बारिश के संपर्क में आने के कारण वह बीमार पड़ गया। दो दिनों के बाद, वह निमोनिया से मर गया।

अगली सुबह, जॉनसी ने पिछली रात एक भयंकर तूफान के बाद खिड़की से बाहर देखा और देखा कि एक आखिरी पत्ता था जो अभी भी आइवी पौधे से चिपके हुए थे। इससे उसे जीने की उम्मीद जगी। उसने महसूस किया कि वह एक पौधे के अंतिम पत्ते पर अपना अस्तित्व बचाने के लिए मूर्ख थी। वह समझती थी कि एक निश्चित कारण होना चाहिए कि आखिरी पत्ती लता में क्यों रहती है और इतनी छोटी उम्र में मरना चाहती थी। जल्द ही, जॉनी अपनी बीमारी से उबर गया।

बाद में, जब जॉनसी पूरी तरह से बीमारी से उबर गए, तो सू ने उन्हें सूचित किया कि बेहरामन की निमोनिया से मृत्यु हो गई है। उन्होंने ठंड और गीले मौसम में बाहर रहने के दौरान इस बीमारी का अनुबंध किया था और उन्होंने जॉनसी को जीवित रहने की उम्मीद देने के लिए आखिरी पत्ती को चित्रित किया था। अंत में, बेहरमैन ने अपनी कृति को सफलतापूर्वक चित्रित किया – वह पत्ता जिसने जॉनसी के जीवन को बचाया और उसे लंबे समय तक जीने की आशा दी, जबकि उसने इस प्रक्रिया में अपना जीवन बलिदान कर दिया।

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NCERT Solution – The Last Leaf

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weathering the storm in ersama Quick revision Notes | Class 9th Chapter 6 Moments | English | weathering the storm in ersamanSummary in English & Hindi Language

weathering the storm in ersama Quick revision Notes | Class 9th Chapter 6 Moments | English |  weathering the storm in ersamanSummary in English & Hindi Language
https://www.youtube.com/watch?v=Uq7zVcIGVBA&list=PLelAq9xzEDXAEtSXe9OzJIUuCBrQr923o&index=6

Weathering The Storm in Ersama Summary In English

The chapter “Weathering the storm in Ersama” by Harsh Mander is all about a cyclone that hit Orissa in October 1999 and killed thousands of people and destroyed hundreds of villages. One 19 years old boy Prashant, who used to live in a small village named kalikuda, had gone to a small town in coastal Orissa almost 18 kilometres from his village.

He had gone to his friend’s house  but suddenly in the evening, a dark and menacing storm started quickly and very soon converted into velocity of 350 km per hour. Many of the trees got uprooted and two among them fell on the roof of the house of Prashant’s friend. By the night, it rained as heavier as the water filled the ground up to almost the roof. They all had to spend a full night above the roof and could keep themselves alive by eating the coconuts whose trees had fallen on the roof.

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After two days, Prashant decided to return back to his village so as to know about the condition of his village as well as aboutball the family members of his house. He started his journey of 18 kilometres, but on the way, he observed lots of destruction and saw dead bodies of animals and human beings as well. After a long time, he finally reached  his village but began to cry by watching all the 96 houses of the village had been destroyed. He went to the shelter camp and met his grandmother and then all his family members. He noticed that the condition of the people there was so miserable.

Prashant organised some of the sports competitions for the children so that they would be entertained. He, with some other people, arranged the grains for the hungry people by collecting from the houses of the rich. The government couldn’t establish any institution for the orphans and for the widows for almost six months after the storm. Prashant didn’t have the time to become sad for himself but instead he made himself engaged in helping others continuously.

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Weathering The Storm in Ersama Summary In Hindi

हिंदी में समझें सारांश

                हर्ष मंडेर द्वारा “इरसम में तूफान का मौसम” अध्याय सभी चक्रवात के बारे में है, जो कि अक्टूबर 1999 में उड़ीसा से टकराया और हजारों लोगों को मार डाला और सैकड़ों गांवों को नष्ट कर दिया। एक 19 साल का लड़का प्रशांत, जो कलिकुडा नाम के एक छोटे से गाँव में रहा करता था, अपने गाँव से लगभग 18 किलोमीटर दूर तटीय उड़ीसा के एक छोटे से शहर में गया था। वह अपने दोस्त के घर गया था, लेकिन शाम को अचानक एक अंधेरा और भयानक तूफान शुरू हो गया और बहुत जल्द 350 किमी प्रति घंटे के वेग में परिवर्तित हो गया। कई पेड़ उखड़ गए और उनमें से दो प्रशांत के दोस्त के घर की छत पर गिर गए। रात तक, भारी बारिश हुई, क्योंकि पानी ने लगभग छत तक जमीन को भर दिया था। उन सभी को छत के ऊपर पूरी रात गुजारनी पड़ी और उस पेड़ के नारियल को खाकर वे खुद को जीवित रख सके थे जो पेड़ उनके छत पर गिरे थे। दो दिनों के बाद, प्रशांत ने अपने गाँव वापस जाने का फैसला किया ताकि अपने गाँव की स्थिति के बारे में जानने के साथ-साथ अपने घर के परिवार के सदस्यों के बारे में भी जान सकें। उन्होंने 18 किलोमीटर की अपनी यात्रा शुरू की, लेकिन रास्ते में, उन्होंने बहुत सारे विनाश देखे और जानवरों और मनुष्यों के शवों को भी देखा। लंबे समय के बाद, वह आखिरकार अपने गाँव पहुँच गया, लेकिन गाँव के सभी 96 घरों को तबाह देखकर रोने लगा। वह आश्रय शिविर में गया और अपनी दादी और फिर अपने परिवार के सभी सदस्यों से मिला। उसने देखा कि वहाँ के लोगों की हालत कितनी दयनीय थी। प्रशांत ने बच्चों के लिए कुछ खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया ताकि उनका मनोरंजन हो सके। उन्होंने कुछ अन्य लोगों के साथ, अमीरों के घरों से अनाज इकट्ठा करके भूखे लोगों के लिए अनाज की व्यवस्था की। सरकार तूफान के बाद लगभग छह महीने तक अनाथों और विधवाओं के लिए कोई संस्था स्थापित नहीं कर सकी। प्रशांत के पास खुद के लिए दुखी होने का समय नहीं था, बल्कि उन्होंने खुद को लगातार दूसरों की मदद करने में व्यस्त कर दिया।

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NCERT Solution – Weathering the Storm in Ersama

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The Happy Prince Quick revision Notes | Class 9th Chapter 5 Moments | English | The Happy Prince Summary in English & Hindi Language

The Happy Prince  Quick revision Notes | Class 9th Chapter 5 Moments | English |  The Happy Prince Summary in English & Hindi Language
https://www.youtube.com/watch?v=3z5-lD3GZDE&list=PLelAq9xzEDXAEtSXe9OzJIUuCBrQr923o&index=5

The Happy Prince Oscar Wilde Summary In English

The Happy Prince Summary Introduction
The Happy Prince is a story by Oscar Wilde. It is about the story of a statue, the Happy Prince, covered with gold and many fine jewels. It sits overlooking the city. One day a swallow bird seeks shelter under the statue and discovers the prince not happy, but sad.

The bird becomes friendly with the prince and tries to make him happy by assisting him in his desire to ease the suffering of others. It plucks out the ruby, the sapphire and other fine jewels from the statue and delivers them to those who are poor and needy.

The Happy Prince was a beautiful statue. One day a little swallow stayed between the feet of the Happy Prince. A large drop of water fell on the swallow when he got ready to go to sleep. The swallow learnt that these were the tears falling from the Happy Prince’s eyes. The Happy Prince told him about the misery around him. The swallow made up his mind to stay there.
The Happy Prince gave a ruby for a poor seamstress. He gave a sapphire for a playwright and another sapphire for a match girl. The swallow carried out the prince’s wishes. He also plucked out the gold leaves from the statue and gave it to the poor. He decided to go to Egypt as desired by the Happy Prince. The bird said that he was leaving for the House of Death. And he fell down dead at the Prince’s feet. Just then Prince’s leaden heart cracked into two parts because of hard frost. The next morning, the Mayor ordered it to be taken down and melted in a furnace. The broken lead heart, however, did not melt. So it was thrown on a heap of dust. The dead bird was also lying there. In Heaven, God asked one of the Angels, to bring him two most precious things from the city. The Angel carried away the broken heart and the dead bird.

The Happy Prince Oscar Wilde Summary In Hindi

The Happy Prince Oscar Wilde Summary In Hindi

हिंदी में हैप्पी प्रिंस ऑस्कर वाइल्ड सारांश

द हैप्पी प्रिंस ऑस्कर वाइल्ड द्वारा लिखी गई एक खूबसूरत कहानी है। यह हैप्पी प्रिंस की एक मूर्ति की कहानी है जो सोने की पत्तियों और कीमती रत्नों से ढकी हुई थी। प्रतिमा को इतनी ऊँचाई पर रखा गया था कि यह ऊपर से शहर की अनदेखी करती थी। एक ठीक दिन, एक निगल पक्षी ने मूर्तिकला के तहत आश्रय लिया क्योंकि वह मिस्र के लिए उड़ान भर रहा था। उन्होंने पाया कि हैप्पी प्रिंस वास्तव में खुश नहीं थे, बल्कि दुखी थे। तो, पक्षी ने राजकुमार से उसकी नाखुशी का कारण पूछा। राजकुमार ने उसे बताया कि जब वह जीवित था, तो वह अपने महल में खुश रहता था। वह अपने जीवनकाल में अपने लोगों से बेख़बर रहे। जब उनकी मृत्यु हुई, तो उनकी प्रतिमा को शहर के एक ऊंचे स्तंभ पर ऊंचा बनाया गया था। वह दुखी हो गया जब उसने शहर के जरूरतमंद लोगों के दुख और कष्टों को देखना शुरू कर दिया।

राजकुमार की मूर्ति सोने और कई कीमती रत्नों से ढकी थी। उसका शरीर सोने की पत्तियों से ढंका था, उसकी आँखों में दो शानदार नीलम थे और एक लाल रंग का बहुत बड़ा माणिक था जो उसकी तलवार के हैंडल पर चमक रहा था। हैप्पी प्रिंस की मूर्ति अद्भुत दिखी और सभी ने मूर्ति की सुंदरता की प्रशंसा की। जब पक्षी ने लोगों के दुख को देखते हुए राजकुमार की आंखों में आंसू भर दिए, तो उन्होंने उसे फिर से खुश करने के लिए राजकुमार का दूत बनने का फैसला किया। इससे राजकुमार को खुशी हुई कि वह पक्षी की मदद से गरीब लोगों की मदद कर सकता है। सबसे पहले, राजकुमार ने निगल को अपनी तलवार से माणिक को लेने और जरूरतमंद सीमस्ट्रेस को देने को कहा, जिसके पास अपने बीमार बेटे की देखभाल करने के लिए पैसे नहीं थे। पक्षी ने आज्ञा के अनुसार किया। राजकुमार ने छोटी चिड़िया को रहने और उसकी मदद करने को कहा क्योंकि वह उस जगह से नहीं जा सकती थी। एक अन्य अवसर पर, राजकुमार ने पक्षी को अपनी आंख से एक नीलम निकालने के लिए कहा और उसे गरीब नाटककार को पेश किया, जो अपनी रचना के साथ आगे बढ़ने के लिए सर्दियों के दौरान आग लगाने का जोखिम नहीं उठा सकता था। नाटककार बहुत कमजोर और भूखा महसूस कर रहा था, ताकि वह समय पर निर्माता को देने के लिए अपना नाटक समाप्त न कर सके। पक्षी ने राजकुमार के निर्देशों का पालन किया।

एक दिन, राजकुमार ने एक मैच लड़की को देखा, जिसे उसके पिता ने नहर में गिरने की अनुमति देने के लिए उसके पिता द्वारा बेरहमी से पीटा था। राजकुमार का दिल दर्द से भर गया और उसने तुरंत निगल को अपनी दूसरी आँख बाहर निकालने और युवती की मदद करने को कहा। हालांकि, निगल ऐसा करने के लिए तैयार नहीं था क्योंकि इससे राजकुमार पूरी तरह से दृष्टिहीन हो जाएगा। लेकिन राजकुमार ने जोर दिया और निगल ने उसे लूट लिया और मैच वाली लड़की को डुबो दिया और मणि को उसके हाथ की हथेली में दबा दिया। इसके बाद, दयालु पक्षी ने राजकुमार को छोड़ना नहीं चुना जो इस बिंदु पर पूरी तरह से अंधा था।

इस तथ्य के बावजूद कि राजकुमार लोगों के संकट या पीड़ा को नहीं देख सकते थे, पक्षी राजकुमार के साथ रहे। राजकुमार के निर्देश पर, निगल ने अपने शरीर से सोने की अच्छी पत्तियों को हटा दिया और इसे गरीब लोगों को पेश किया। पक्षी ने आज्ञाकारी रूप से राजकुमार के शब्दों का पालन किया और सोने की पत्ती के बाद पत्ती निकाल ली, जब तक हैप्पी प्रिंस बहुत सुस्त और सोबर नहीं दिखे। जल्द ही, सर्दी आ गई और हर जगह बर्फ थी और पक्षी ठंडा और ठंडा हो गया। थके हुए और ठंडे होने के बावजूद, उन्होंने राजकुमार को नहीं छोड़ा। आखिरकार, वह कमजोर हो गया और थकावट से मर गया। तभी, अचानक एक गहरी दरार आई जो मूर्तिकला के अंदर से आई थी, जैसे कि कुछ टूट गया था।

यह वास्तव में, राजकुमार का मुख्य दिल था जो मिठाई और दयालु निगल के अचानक निधन पर सीधे दो टुकड़ों में बोया था। मूर्तिकला इसलिए पहले की तरह अधिक मूल्यवान और सुंदर नहीं था। इसे छोड़ दिया गया। जब मेयर और नगर पार्षदों ने राजकुमार की सुस्त प्रतिमा को देखा, तो उन्होंने इसे नीचे खींच लिया। इसके तुरंत बाद, उन्होंने एक भट्ठी में मूर्तिकला को पिघलाया, फिर भी टूटे हुए दिल को पिघला नहीं। इस प्रकार, यह उनके लिए बेकार हो गया था, इसलिए उन्होंने इसे त्याग दिया जहां मृत निगल पड़ा था।

जल्द ही, भगवान ने शहर में दो सबसे मूल्यवान चीजों को लाने के लिए अपने एन्जिल्स में से एक का अनुरोध किया। एन्जिल राजकुमार के मुख्य दिल और मृत निगल लाया। परमेश्वर ने स्वर्ग के अपने बगीचे में दो प्राणियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्हें उनकी आकर्षक रचनाओं के रूप में माना।

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NCERT Solution – The Happy Prince

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