पाठ 1 दो बैलों की कथा | Class 9th hindi Kshitiz Most Important Questions

Important Questions for Class 9th:दो बैलों की कथा Kshitiz Hindi| Extra Questions

1 जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है। हम जब किसी आदमी को परले दरजे का बेवकूफ़ कहना चाहते हैं, तो उसे गधा कहते हैं। गधा सचमुच बेवकूफ़ है, या उसके सीधेपन, उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी है, इसका निश्चय नहीं किया जा सकता। गायें सींग मारती हैं, ब्याई हुई गाय तो । अनायास ही सिंहनी का रूप धारण कर लेती है। कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर है, लेकिन कभी-कभी उसे भी क्रोध आ ही जाता है; किंतु गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना, न देखा। जितना चाहो गरीब को मारो, चाहे जैसी खराब, सड़ी हुई घास सामने डाल दो, उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छाया भी न दिखाई देगी। वैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता हो; पर हमने तो उसे कभी खुश होते नहीं देखा। उसके चेहरे पर एक विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है। सुख-दुख, हानि-लाभ, किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा। ऋषियों-मुनियों के जितने गुण हैं वे सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुँच गए हैं; पर आदमी उसे बेवकूफ़ कहता है।

(क) ऋषि-मुनियों तथा गधे में क्या समानता देखी गई है?

(ख) किसी आदमी को गधा कहने का क्या अर्थ है?

(ग) गधे को बुद्धिहीन क्यों माना जाता है?

उत्तर

(क) ऋषि-मुनियों तथा गधे में यही समानता होती है कि दोनों का स्वभाव सरल और सहनशील होता है|

(ख) जानवरों में गधा अपनी मूर्खता के लिए प्रसिद्ध है| किसी आदमी को गधा कहने का अर्थ है कि वह पहले दरजे का बेवक़ूफ़ है|

(ग) गधे को बुद्धिहीन जानवर माना जाता है क्योंकि वह कभी किसी बात पर प्रतिक्रिया नहीं करता| उसे चाहे मारो या सड़ी हुई खराब घास खिलाओ कभी क्रोध नहीं करता|

2. देखिए न, भारतवासियों की अफ्रीका में क्या दुर्दशा हो रही है? क्यों अमरीका में उन्हें घुसने नहीं दिया जाता? बेचारे शराब नहीं पीते, चार पैसे कुसमय के लिए बचाकर रखते हैं, जी तोड़कर काम करते हैं, किसी से लड़ाई-झगड़ा नहीं करते, चार बातें सुनकर गम खा जाते हैं फिर भी बदनाम हैं। कहा जाता है, वे जीवन के आदर्श | को नीचा करते हैं। अगर वे भी ईंट का जवाब पत्थर से देना सीख जाते तो शायद  गधे से नीचा है| सभ्य कहलाने लगते। जापान की मिसाल सामने है। एक ही विजय ने उसे संसार की सभ्य जातियों में गण्य बना दिया।
लेकिन गधे का एक छोटा भाई और भी है, जो उससे कम ही गधा है, और वह | है ‘बैल’। जिस अर्थ में हम गधे का प्रयोग करते हैं, कुछ उसी से मिलते-जुलते अर्थ में ‘बछिया के ताऊ’ का भी प्रयोग करते हैं। कुछ लोग बैल को शायद बेवकूफों में सर्वश्रेष्ठ कहेंगे; मगर हमारा विचार ऐसा नहीं है। बैल कभी-कभी मारता भी है, कभी-कभी अड़ियल बैल भी देखने में आता है। और भी कई रीतियों से अपना असंतोष प्रकट कर देता है; अतएव उसका स्थान गधे से नीचा है।

(क) ‘बछिया का ताऊ’ किसे कहा जाता है?

(ख) बैल को गधे का छोटा भाई क्यों कहा गया है?

(ग) भारतवासियों को अमेरिका में क्यों घुसने नहीं दिया जाता है?

उत्तर

(क) ‘बछिया का ताऊ’ बैल को कहा जाता है|

(ख) बैल को गधे का छोटा भाई कहा गया है क्योंकि मूर्खता और सरल-सहनशीलता का गुण उसमें गधे से कम है| बैल भी गधे की तरह ही सीधा और सहनशील होता है लेकिन कभी-कभी असंतुष्ट होने पर क्रोधित होकर रोष व्यक्त करता है तथा हमला भी कर देता है|

(ग) भारतवासियों के अत्यधिक सरल स्वभाव के कारण उनके साथ गलत व्यवहार किया जाता है| उन्हें यह कहकर अमेरिका में घुसने नहीं दिया जाता है कि उनके निम्न रहन-सहन के कारण वे जीवन के आदर्श को नीचे गिराते हैं|

3. झूरी काछी के दोनों बैलों के नाम थे हीरा और मोती। दोनों पछाईं जाति के थे-देखने में सुंदर, काम में चौकस, डील में ऊँचे। बहुत दिनों साथ रहते-रहते दोनों में भाईचारा हो गया था। दोनों आमने-सामने या आस-पास बैठे हुए एक-दूसरे से मूक-भाषा में विचार-विनिमय करते थे। एक, दूसरे के मन की बात कैसे समझ जाता था, हम नहीं कह सकते। अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है। दोनों एक-दूसरे को चाटकर और सँघकर अपना प्रेम प्रकट करते, कभी-कभी दोनों सींग भी मिला लिया करते। थे-विग्रह के नाते से नहीं, केवल विनोद के भाव से, आत्मीयता के भाव से, जैसे दोस्तों में घनिष्ठता होते ही धौल-धप्पा होने लगता है। इसके बिना दोस्ती कुछ फुसफुसी, कुछ हलकी-सी रहती है, जिस पर ज्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता। जिस वक्त ये दोनों बैल हल या गाड़ी में जोत दिए जाते और गरदन हिला-हिलाकर चलते, उस वक्त हर एक की यही चेष्टा होती थी कि ज्यादा-से-ज्यादा बोझ मेरी ही गरदन पर रहे। दिन-भर के बाद दोपहर या संध्या को दोनों खुलते, तो एक-दूसरे को चाट-चूटकर अपनी थकान मिटा लिया करते। नाँद में खली-भूसा पड़ जाने के बाद दोनों साथ उठते, साथ नाँद में मुँह डालते और साथ ही बैठते थे। एक मुँह हटा लेता, तो दूसरा भी हटा लेता था।

(क) हीरा और मोती बैल आपस में किस प्रकार बात करते थे?

(ख) हीरा और मोती में ऐसी कौन-सी गुप्त शक्ति थी, जो मनुष्य में नहीं होती?

(ग) प्रस्तुत गद्यांश में सच्ची मित्रता के कौन-से लक्षण प्रकट हुए हैं?

उत्तर

(क) हीरा और मोती बैल आमने-सामने या आस-पास बैठकर एक-दूसरे से मूक-भाषा में विचार-विनिमय करते थे|

(ख) हीरा और मोती दो बैल थे, जो आपस में बिना बोले एक दूसरे के प्रति प्रेम प्रकट करते थे| मनुष्य इस भावना को प्रकट करने के लिए भाषा का प्रयोग करता है लेकिन पशु होने के बावजूद इनमें ऐसी कोई गुप्त शक्ति थी, जिसके माध्यम से वे एक-दूसरे के मन की बात जान लेते थे|

(ग) लेखक ने दो बैलों के माध्यम से सच्ची मित्रता के असल मायने प्रकट किए हैं कि एक-दूसरे के प्रति प्रेम व्यक्त करने के लिए भाषा की आवश्यकता नहीं होती| दोनों आपस में शरारत, मौज-मस्ती, धौल-धप्पा करते हैं, जो सच्ची मित्रता के विश्वसनीय पहलू हैं|

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर –

1. लेखक ने गधे का छोटा भाई किसे और क्यों कहा है?

उत्तर

लेखक ने गधे का छोटा भाई बैल को कहा है क्योंकि मूर्खता और सरल-सहनशीलता का गुण उसमें गधे से कम है| बैल भी गधे की तरह ही सीधा और सहनशील होता है लेकिन कभी-कभी असंतुष्ट होने पर क्रोधित होकर रोष व्यक्त करता है तथा हमला भी कर देता है|

2. प्रस्तुत पाठ में दिए गए उदाहरण के साथ हीर-मोती की सच्ची मित्रता का वर्णन करें|

उत्तर

हीरा और मोती दो बैल थे, जो आपस में बिना बोले एक दूसरे के प्रति प्रेम प्रकट करते थे| दोनों एक-दूसरे को चाटकर और सूँघकर अपना प्रेम प्रकट करते, कभी-कभी दोनों सींग भी मिला लिया करते थे| जिस वक्त वे दोनों बैल हल या गाड़ी में जोत दिए जाते तो हर वक्त उनकी यही कोशिश होती थी ज्यादा-से-ज्यादा बोझ उनकी गर्दन पर रहे| दोनों एक साथ खाते थे और एक ही साथ बैठते थे|

3. झूरी के ससुराल से भागने पर बैलों के साथ उसने कैसा व्यवहार किया?

उत्तर

जब दोनों बैल झूरी के ससुराल से भागकर वापस अपने मालिक के पास आए तो उसने बहुत ही प्यार से उन्हें गले लगा लिया| उसके मन में अपने बैलों के प्रति बहुत स्नेह भरा था| वह बैलों को देखकर स्नेह से गदगद हो गया और उनका प्रेमालिंगन किया| 

4. दोनों बैल कसाई की कैद से कैसे मुक्त हुए? 

उत्तर

नीलामी के बाद जैसे ही दोनों बैल कसाई के साथ खेत के रास्ते से आगे बढ़े, उन्हें वह जगह जानी-पहचानी लगी| वही खेत, वही बाग़, वही गाँव सब परिचित-से लगने लगे| यह अनुभव होते ही उनकी चाल प्रतिक्षण तेज क्यों होने लगी| दोनों दौड़कर अपने स्थान पर आ गए| कसाई भी उनके पीछे दौड़कर आया और उन पर अपना हक़ जमाने लगा| झूरी ने अपने बैलों को देखकर उन्हें गले से लगा लिया और कहा कि वे उसके बैल हैं| जैसे ही कसाई जबरदस्ती बैलों को ले जाने के लिए आगे बढ़ा, मोती ने सींग चलाया| मोती ने फिर पीछा किया तो कसाई भाग गया| इस प्रकार दोनों उसके कैद से आजाद हुए| 

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पाठ 15 नए इलाके में …खुशबू रचते हैं हाथ | Class 9th hindi Sparsh Most Important Questions

NCERT important questions for Class 9th: पाठ 15 – नए इलाके में …  खुशबू  रचते हैं हाथ स्पर्श भाग-1 हिंदी 

NCERT important questions for Class 9th: पाठ 15 – नए इलाके में …  खुशबू  रचते हैं हाथ

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

(क) नए बसते इलाके में कवि रास्ता क्यों भूल जाता है?

उत्तर 

नए बसते इलाके में प्रतिदिन नए मकान बनते चले जा रहे हैं। इन मकानों के बनने से पुराने पेड़, खाली ज़मीन, टूटे-फूटे घर सब कुछ खत्म हो गए हैं।  कवि अपने ठिकाने पर पहुँचने के लिए निशानियाँ बनाता है, वे जल्दी मिट जाती हैं। इसीलिए कवि रास्ता भूल जाता है।

(ख) कविता में कौन-कौन से पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है?

उत्तर

इस कविता में पीपल का पेड़, ढहा हुआ घर, ज़मीन का खाली टुकड़ा, बिना रंग वाले लोहे के फाटक वाला मकान आदि पुराने निशानों का उल्लेख है। 

(ग) कवि एक घर पीछे या दो घर आगे क्यों चल देता है?

उत्तर

कवि एक घर पीछे या दो घर आगे इसलिए चल देता है क्योंकि नए इलाके में प्रतिदिन परिवर्तन आ रहे हैं। उसकी पुरानी पहचान करने की निशानियाँ मिट जाती हैं।

(घ) ‘वसंत का गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से क्या अभिप्राय है?

उत्तर

कवि ने इस पंक्तियों में तेजी से बदलते दुनिया की ओर इशारा किया है। वे बताते हैं कि जब वो नए बसते इलाके में कुछ दिनों बाद आते हैं तो उन्हें हर चीज़ नयी मालूम पड़ती है। उन्हें लगता है वो सालों बाद आये हैं।

(ड़) कवि ने इस कविता में ‘समय की कमी’ ओर क्यों इशारा किया है?

उत्तर

कवि ने समय की कमी की ओर इशारा किया है क्योंकि उसने अपना काफी समय अपने घर को ढूँढने में बर्बाद कर दिया। प्रगति के इस दौर में लोग हरदम कुछ करने और बनाने में लगे हैं। इस दौर में कवि की पहचान की खो गयी है। समय के इस अभाव के कारण वह किसी के भी साथ आत्मीय सम्बंध नहीं बना पाता है।

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(च) इस कविता में कवि ने शहरों को किस विडंबना की ओर संकेत किया है?

उत्तर

इस कविता में कवि ने शहरों की इस विडंबना की ओर संकेत किया है कि जीवन की सहजता समाप्त होती जा रही है, बनावटी चीज़ों के प्रति लोगों का लगाव बढ़ता जा रहा है। सब आगे निकलना चाहते हैं, आपसी प्रेम, आत्मियता घटती जा रही है। लोगों की और रहने के स्थान की पहचान खोती जा रही है। स्वार्थ केन्द्रित लोगों के पास दूसरे के लिए समय ही नहीं है। आज की चीज़ कल पुरानी पड़ जाती है, कुछ भी स्थाई नहीं है।

2. व्याख्या कीजिए −

(क) यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया

उत्तर

प्रस्तुत पंक्तियों में कवि यह कहना चाहते हैं कि नए इलाके में उसकी स्मृति भी उसका साथ छोड़ देती है। यहाँ नित नई-नई इमारतें बन रही हैं। इस कारण से वह इस नए इलाके का जो रेखाचित्र बनाकर उसे याद रखता है, वह हर रोज़ बदल जाता है। इसलिए कवि को अब अपनी स्मृति पर भी भरोसा नहीं है।

(ख) समय बहुत कम है तुम्हारे पास आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर

उत्तर

प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने समय की कमी की ओर इशारा किया है क्योंकि उसने अपना काफी समय अपने घर को ढूँढने में बर्बाद कर दिया। आज के इस प्रगतिशील समय में हर इंसान प्रगति की सीढ़ियों को पार करने में लगा हुआ है परन्तु कवि अपनी पहचान भी भूल गया है। समय के इस अभाव के कारण वह किसी के भी साथ आत्मीय सम्बंध नहीं बना पाता है।

योग्यता विस्तार

3. पाठ में हिंदी महीनों के कुछ नाम आए हैं। आप सभी हिंदी महीनों के नाम क्रम से लिखिए।

उत्तर

चैत्र, बैशाख, जेठ, अषाढ़, सावन, भादो, क्वार, कार्तिक, अगहन, पूस, माघ, फागुन।

खुशबु रचते हैं हाथ 

(क) ‘खुशबु रचनेवाले हाथ’ कैसी परिस्थितियों में तथा कहाँ-कहाँ रहते हैं?

उत्तर

खुशबु रचने वाले हाथ दूर दराज के सबसे गंदे और बदबूदार इलाकों में रहते हैं। इनके घर नालों के पास और गलियों के बीच होते हैं। इनके घरों के आस-पास कूड़े-करकट का ढेर होता है। यहाँ इतनी बदबू होती है कि सिर फट जाता है। ये सारी दुनिया की गंदगी के बीच रहते हैं जो अत्यन्त दयनीय है।

(ख) कविता में कितने तरह के हाथों की चर्चा हुई है?

उत्तर

कविता में उभरी नसों वाले हाथ, पीपल के पत्ते से नए-नए हाथ, गंदे कटे-पिटे हाथ, घिसे नाखुनों वाले हाथ, जूही की डाल से खूशबूदार हाथ, जख्म से फटे हाथ जैसे हाथों की चर्चा हुई है।

(ग) कवि ने यह क्यों कहा है कि ‘खुशबू रचते हैं हाथ’?
उत्तर

कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि अगरबत्ती जिसका प्रयोग सुंगध फैलाने के लिए किया जाता है का निर्माण हाथों द्वारा किया जाता है।

(घ) जहाँ अगरबत्तियाँ बनती हैं, वहाँ का माहौल कैसा होता है?
उत्तर

जहाँ अगरबत्तियाँ बनती है, वहाँ का माहौल बड़ा ही गन्दा होता है। अगरबत्तियाँ गंदी बस्तियों में बनाई जाती हैं। ये बस्तियाँ अधिकतर गंदे नालों के किनारे पर स्थित होती हैं। यहाँ जगह-जगह कूड़े के ढेर व गन्दगी का राज होता है। चारों तरफ़ बदबू फैली होती है।

(ङ) इस कविता को लिखने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर

इस कविता को लिखने का मुख्य उद्देश्य गरीब मज़दूरों की दयनीय दशा की ओर ध्यान आकर्षित करना है। इस प्रकार कवि उनके उद्धार के प्रति चेतना जाग्रत करना चाहता है। वह चाहता है कि इन श्रमिकों की दयनीय दशा को सुधारा जाए, इनके रहने की दशा को स्वास्थ्यप्रद बनाया जाए।

2.  व्याख्या कीजिए −

(क) (i) पीपल के पत्ते-से नए-नए हाथ जूही की डाल से खुशबूदार हाथ
उत्तर

इन पंक्तियों में बच्चों की ओर कि इशारा किया गया है जिनके हाथ पीपल के पत्तों की तरह कोमल, नए हैं, जिनमें जूही की डाल जैसी खुशबू आती है परन्तु अगरबत्ती बनाते बनाते उनके कोमल हाथ खुरदरे हो गए हैं। उनकी कोमलता और सुगंध गायब हो जाती है।

(ii) दुनिया की सारी गंदगी के बीच दुनिया की सारी खुशबू
रचते रहते हैं हाथ

उत्तर

कवि कहता है कि खुशबु रहने वाले हाथ अर्थात अगरबत्ती बनाने वाले लोग स्वयं कितने गंदे वातावरण में रहते हैं, इसकी कल्पना करना भी कठिन है। इस गंदगी में रहकर भी इनके हाथ में कमाल का जादू है ये खुशबूदार अगरबत्तियों को बनाते हैं।

(ख) कवि ने इस कविता में ‘बहुवचन’ का प्रयोग अधिक किया है। इसका क्या कारण है?

उत्तर

कवि ने इस कविता में किसी ख़ास एक व्यक्ति का वर्णन नही किया है बल्कि एक समाज का वर्णन किया है इस कारण इस कविता में ‘बहुवचन’ का प्रयोग अधिक किया है।

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पाठ 14 अग्नि पथ | Class 9th hindi Sparsh Most Important Questions

NCERT important question for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 14 अग्नि पथ

प्रश्न 1.
कवि ‘एक पत्र छाँह’ भी माँगने से मना करता है, ऐसा क्यों?

उत्तर-
कवि एक पत्र छाँह भी माँगने से इसिलए मना करता है, क्योंकि संघर्षरत व्यक्ति को जब एक बार रास्ते में सुख मिलता है, तब उसका ध्यान संघर्ष के मार्ग से हट जाता है। ऐसा व्यक्ति संघर्ष से विमुख होकर सुखों का आदी बनकर रह जाता है।

प्रश्न 2.
कवि किस दृश्य को महान बता रहा है, और क्यों?

उत्तर-
जीवन पथ पर बहुत-सी परेशानियाँ और कठिनाइयाँ हैं, जो मनुष्य को आगे बढ़ने से रोकती हैं। मनुष्य इन कठिनाइयों से संघर्ष कर आगे बढ़ते जा रहे हैं। कवि को यह दृश्य महान लग रहा है। इसका कारण है कि संघर्ष करते लोग आँसू, पसीने और रक्त से तर हैं, फिर भी वे हार माने बिना आगे बढ़ते जा रहे हैं।

प्रश्न 3.
कवि मनुष्य से किस बात की शपथ लेने को कह रहा है?

उत्तर-
कवि जानता है कि जीवनपथ दुख और कठिनाइयों से भरा है। व्यक्ति इन कठिनाइयों से जूझते हुए थक जाता है। वह निराश होकर संघर्ष करना बंद कर देता है। अधिक निराश होने पर वह आगे बढ़ने का विचार त्यागकर वापस लौटना चाहता है। कवि संघर्ष करते लोगों से कभी न थकने, कभी न रुकने और कभी वापस न लौटने की शपथ को कह रहा है।

प्रश्न 4.
‘अग्नि पथ’ कविता को आप अपने जीवन के लिए कितनी उपयोगी मानते हैं?

उत्तर-
मैं ‘अग्नि पथ’ कविता को जीवन के लिए बहुत जरूरी एवं उपयोगी मानता हूँ। इस कविता के माध्यम से हमें कठिनाइयों से घबराए बिना उनसे संघर्ष करने की प्रेरणा मिलती है। जीवन पथ पर निरंतर चलते हुए कभी न थकने, थककर निराश होकर न रुकने तथा निरंतर आगे बढ़ने की सीख मिलती है, जो सफलता के लिए बहुत ही आवश्यक है।

प्रश्न 5.
कवि मनुष्य से क्या अपेक्षा करता है? ‘अग्नि पथ’ कविता के आधार पर लिखिए।

उत्तर-
कवि मनुष्य से यह अपेक्षा करता है कि वह अपना लक्ष्य पाने के लिए सतत प्रयास करे और लक्ष्य पाए बिना रुकने का नाम न ले। लक्ष्य के पथ पर चलते हुए वह न थके और न रुके। इस पथ पर वह छाया या अन्य आरामदायी वस्तुओं की उपेक्षा करे तथा विघ्न-बाधाओं को देखकर साहस न खोए।

प्रश्न 6.
‘अग्नि पथ’ का प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-
मानव को जीवन पथ पर चलते हुए अनेक विघ्न-बाधाओं का सामना करना पड़ता है। मनुष्य की राह में अनेक अवरोध उसका रास्ता रोकते हैं जिनसे संघर्ष करते हुए, अदम्य साहस बनाए रखते हुए मनुष्य को अपनी मंजिल की ओर बढ़ना पड़ता है। संघर्ष भरे इसी जीवन को अग्नि पथ कहा गया है।

प्रश्न 7.
‘अग्नि पथ’ कविता में निहित संदेश अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-
अग्नि पथ कविता में निहित संदेश यह है कि मनुष्य को जीवन पथ पर निरंतर बढ़ते रहना चाहिए। इस जीवन पथ पर जहाँ भी विघ्न-बाधाएँ आती हैं, मनुष्य को उनसे हार नहीं माननी चाहिए। उसे थककर हार नहीं माननी चाहिए और लक्ष्य पाए बिना न रुकने की शपथ लेनी चाहिए।

प्रश्न 8.
जीवन पथ पर चलते मनुष्य के कदम यदि रुक जाते है तो उसे क्या हानि हानि उठानी पड़ती है?

उत्तर-
जीवन पथ पर चलता मनुष्य यदि राह की कठिनाइयों के सामने समर्पण कर देता है या थोड़ी-सी छाया देखकर आराम करने लगता है और लक्ष्य के प्रति उदासीन हो जाता है तो मनुष्य सफलता से वंचित हो जाता है। ऐसे व्यक्ति की जीवन यात्रा अधूरी रह जाती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अग्नि पथ’ कविता थके-हारे निराश मन को उत्साह एवं प्रेरणा से भर देती है। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-
मनुष्य का जीवन संघर्षों से भरा है। उसके जीवन पथ को कठिनाइयाँ एवं विघ्न-बाधाएँ और भी कठिन बना देते हैं। मनुष्य इनसे संघर्ष करते-करते थककर निराश हो जाता है। ऐसे थके-हारे और निराश मन को प्रेरणा और नई ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह कविता मनुष्य को संघर्ष करने की प्रेरणा ही नहीं देती है, वरन् जीवन पथ में मिलने वाली छाया देखकर न रुकने, सुख की कामना न करने तथा कठिनाइयों से हार न मानने का संदेश देती है। इसके अलावा इस कविता से हमें पसीने से लथपथ होने पर भी बढ़ते जाने के लिए प्रेरणा मिलती है। इससे स्पष्ट है कि अग्नि पथ कविता थके-हारे मन को उत्साह एवं प्रेरणा से भर देती है।

प्रश्न 2.
एक पत्र छाँह भी माँग मत’ कवि ने ऐसा क्यों कहा है?

उत्तर-
‘एक पत्र छाँह’ अर्थात् एक पत्ते की छाया जीवन पथ पर संघर्षपूर्वक बढ़ रहे व्यक्ति के पथ में आने वाले कुछ सुखमय पल है। इनका सहारा पाकर मनुष्य कुछ देर और आराम करने का मन बना लेता है। इससे वह गतिहीन हो जाता है। यह गतिहीनता उसकी सफलता प्राप्ति के लिए बाधक सिद्ध हो जाती है। इस गतिहीन अवस्था से उठकर पसीने से लथपथ होकर संघर्ष करना, कठिनाइयों से जूझना कठिन हो जाता है। इससे व्यक्ति सफलता से दूर होता जाता है। इसलिए कवि एक पत्र छाँह भी माँगने से मना करता है।

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पाठ 13 गीत – अगीत | Class 9th hindi Sparsh Most Important Questions

NCERT important questions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 13 गीत – अगीत

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘गीत-अगीत’ कविता का कथ्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-
‘गीत-अगीत’ कविता का कथ्य है-प्राकृतिक सौंदर्य और मानवीय प्रेम के मुखरित और मौन रूपों को चित्रित करना। इस कविता में एक ओर नदी, तोते और प्रेमी के माध्यम से प्रेम का मुखर रूप गीत और उसका प्रभाव बताया गया है तो दूसरी ओर गुलाब, शुकी और प्रेमिका के माध्यम से मौन रूप, जो अगीत बनकर रह गया है। इसके अलावा प्राकृतिक सौंदर्य का सुंदर चित्रण है।

प्रश्न 2.
गीत-अगीत कविता में नदी को किस रूप में चित्रित किया गया है? इसका ज्ञान कैसे होता है?

उत्तर-
कविता में नदी को विरहिणी नायिका के रूप में चित्रित किया गया है। इसका ज्ञान हमें उसके विरह भरे गीतों से होती है, जो वह किनारों को सुनाकर अपना जी हल्का करने के प्रयास में दिखती है। इसके अलावा वह तेज़ वेग से सागर से मिलने जाती हुई प्रतीत होती है।

प्रश्न 3.
प्रेमी और उसकी राधा के माध्यम से गीत-अगीत की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-
साँझ होते ही प्रेमी जोश भरे स्वर में आल्हा का गायन कर अपने प्रेम की अभिव्यक्ति करता है। उसका यह प्रेम गीत बन जाता है। वहीं उस गीत को सुनकर उसकी राधा उसकी ओर खिंची चली आती है और भाव-विभोर हो उस गीत को सुनती है। उसके मन में भी प्रेम भरे गीत उमड़ते हैं, परंतु वह उन्हें स्वर नहीं दे पाती है। उसका प्रेम अगीत बनकर रह जाता है।

प्रश्न 4.
तोते का गीत सुनकर शुकी की क्या दशा हुई ?

उत्तर-
पेड़ की सघन डाल पर बैठा तोता वसंती किरणों के स्पर्श से पुलकित होकर गाने लगा। उसी पेड़ पर घोंसले में बैठी तोती (शुकी) अंडे से रही थी। तोते का गीत सुनकर तोती का हृदय प्रसन्न हो गया। उसके पंख फूल गए। शुकी के मन में भी प्रेम भरे गीत उमड़ने लगे, परंतु वह उन गीतों को मुखरित न कर सकी। ऐसे में उल्लसित शुकी के गीत अगीत बनकर रह गए।

प्रश्न 5.
तोते और शुकी के गीत का अंतर पठित कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-
पठित कविता ‘गीत-अगीत’ से ज्ञात होता है कि पेड़ की डाल पर बैठा तोता वसंती किरणों का स्पर्श पाकर पुलकित हो जाता है और गाने लगता है जिसे सुनकर शुकी प्रसन्न हो जाती है, परंतु शुकी के मन में उभरने वाले गीत मुखरित नहीं हो पाते हैं। ये गीत उसके मन में दबे रहकर अगीत बने रह जाते हैं।

प्रश्न 6.
गीत-अगीत कविता का शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-
कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ विरचित कविता ‘गीत-अगीत’ में प्राकृतिक और मानवीय राग का सुंदर चित्रण है। कविता में तत्सम शब्दोंयुक्त खड़ी बोली का प्रयोग है जिसमें सरसता और लयात्मकता है। कविता में आए अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश और मानवीकरण अलंकार इसके सौंदर्य में वृद्धि करते हैं। भाषा इतनी चित्रात्मक है कि सारा दृश्य हमारी आँखों के सामने साकार हो उठता है। जगह-जगह वियोग एवं संयोग श्रृंगार रस घनीभूत हो उठा है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
प्रकृति अपने विभिन्न क्रिया-कलापों से मनुष्य को प्रभावित करती है। ‘गीत-अगीत’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-
प्रकृति और मनुष्य का अत्यंत घनिष्ठ संबंध है। वह अपने विभिन्न क्रियाओं से मनुष्य को आंदोलित करती है। बहती नदी को देखकर लगता है कि वह गीत गा रही है और गीत के माध्यम से अपनी व्यथा किनारे स्थित पेड़-पौधों को बताना चाहती है। तोता पेड की हरी डाल पर गीत गाता है, जो शुकी को उल्लसित कर देता है। आल्हा गाता ग्वाल-बाल अपनी धुन में मस्त है उसे सुनने वाली नीम की ओट में खड़ी नायिका रोमांचित हो उठती है। प्रकृति में होने वाले गीत-अगीत का गायन मनुष्य को अत्यंत गहराई से प्रभावित करता है।

प्रश्न 2.
‘गीत-अगीत’ कविता में अगीत का चित्रण कवि द्वारा किस तरह किया गया है, स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-
‘गीत-अगीत’ में कवि द्वारा गीत और अगीत दोनों का चित्रण साथ-साथ किया गया है। सबसे पहले गुलाब के माध्यम से दर्शाया गया है कि गुलाब सोचता है कि यदि विधाता उसे भी स्वर देते तो वह अपने सपनों का गीत सबको सुनाता। इसी प्रकार शुक का गीत सुनकर शुकी के मन में अनेक भाव उमड़ते हैं, पर वह उन्हें अभिव्यक्त नहीं कर पाती। इस तरह उसका गीत अगीत बनकर रह जाता है। अंत में ग्वाल-बाल का आल्हा सुनने उसकी प्रेमिका आती है, पर पेड़ की ओट में छिपकर सुनती रह जाती है। उसके मन के भाव मन में ही रह जाते हैं। इस तरह कविता में कई स्थानों पर अगीत का चित्रण हुआ है।

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पाठ 12 एक फूल की चाह| Class 9th hindi Sparsh Most Important Questions

NCERT important questions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 12 एक फूल की चाह

प्रश्न 1.
महामारी अपना प्रचंड रूप किस प्रकार दिखा रही थी?

उत्तर-
बस्ती में महामारी दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी। यहाँ कई बच्चे इसका शिकार हो चुके थे। जिन माताओं के बच्चे अभी इसका शिकार हुए थे, उनका रो-रोकर बुरा हाल था। उनके गले से क्षीण आवाज़ निकल रही थी। उस क्षीण आवाज़ में हाहाकार मचाता उनका अपार दुख था। महामारी के इस प्रचंड रूप में चारों ओर करुण क्रंदन सुनाई दे रहा था।

प्रश्न 2.
पिता सुखिया को कहाँ जाने से रोकता था और क्यों?

उत्तर-
पिता सुखिया को बाहर जाकर खेलने से मना करता था क्योंकि उसकी बस्ती में महामारी अपने प्रचंड रूप में हाहाकार मचा रही थी। इस महामारी की चपेट में कई बच्चे आ चुके थे। सुखिया अपनी बच्ची से बहुत प्यार करता था। उसे डर था कि कहीं सुखिया महामारी की चपेट में न आ जाए।

प्रश्न 3.
सुखिया ने अपने पिता से देवी के प्रसाद का फूल क्यों माँगा?

उत्तर-
सुखिया महामारी की चपेट में आ चुकी थी। महामारी के कारण उसकी आवाज कमजोर हो गई और शरीर के अंग शिथिल पड़ गए थे। उसे लग गया होगा कि उसकी मृत्यु निकट है। उसे आशा रही होगी कि वह शायद देवी के प्रसाद से ठीक हो जाए। बीमारी की दशा में वह स्वयं तो जा नहीं सकती थी, इसलिए उसने देवी के प्रसाद का फूल माँगा।

प्रश्न 4.
मंदिर की भव्यता और सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर-
देवी का विशाल मंदिर ऊँचे पर्वत की चोटी पर स्थित था। यह मंदिर बहुत बड़ा था। मंदिर की चोटी पर सुंदर सुनहरा कलश था जो सूर्य की किरणें पड़ने से कमल की तरह खिल उठता था। वहाँ का वातावरण धूप-दीप के कारण सुगंधित था। अंदर भक्तगण मधुर स्वर में देवी का गुणगान कर रहे थे।

प्रश्न 5.
न्यायालय द्वारा सुखिया के पिता को क्यों दंडित किया गया?

उत्तर-
न्यायालय द्वारा सुखिया के पिता को इसलिए दंडित किया गया, क्योंकि वह अछूत होकर भी देवी के मंदिर में प्रवेश कर गया था। मंदिर को अपवित्र तथा देवी का अपमान करने के कारण सुखिया के पिता को न्यायालय ने सात दिन के कारावास का दंड देकर दंडित किया।

प्रश्न 6.
भक्तों द्वारा सुखिया के पिता के साथ किए गए इस व्यवहार को आप किस तरह देखते हैं?
उत्तर-
भक्तों द्वारा सुखिया के पिता का अपमान और मारपीट करना उसकी संकीर्ण मानसिकता और अमानवीय व्यवहार का प्रतीक है। उनका ऐसा कार्य समाज की समरसता और सौहार्द नष्ट करने वाला है। इससे लोगों में तनाव उत्पन्न होता है। ऐसा व्यवहार सदैव निंदनीय होता है।

प्रश्न 7.
माता के भक्नों ने सुखिया के पिता के साथ कैसा व्यवहार किया?

उत्तर-
माता के भक्त जो माता के गुणगान में लीन थे, उनमें से एक की दृष्टि माता के प्रसाद का फूल लेकर जाते हुए सुखिया के पिता पर पड़ी। उसने आवाज़ दी कि यह अछूत कैसे अंदर आ गया। इसको पकड़ लो। फिर क्या था, माता के अन्य भक्तगण पूजा-वंदना छोड़कर उसके पास आए और कोई बात सुने बिना जमीन पर गिराकर मारने लगे।

प्रश्न 8.
पिता अपनी बच्ची को माता के प्रसाद का फूल क्यों न दे सका?

उत्तर-
पिता जब मंदिर से देवी के प्रसाद का फूल लेकर बाहर आने वाला था, तभी कुछ सवर्ण भक्तों की दृष्टि उस पर पड़ गई। उन्होंने अछूत कहकर उसे मारा-पीटा और न्यायालय तक ले आए। यहाँ उसे सात दिन का कारावास मिला। इस बीच उसकी बेटी इस दुनिया से जा चुकी थी और वह अपनी बेटी को माँ के प्रसाद का फूल न दे सका।

प्रश्न 9.
सुखिया का पिता किस सामाजिक बुराई का शिकार हुआ?

उत्तर-
सुखिया का पिता उस वर्ग से संबंधित था, जिसे समाज के कुछ लोग अछूत कहते हैं, इस कारण वह छुआछूत जैसी सामाजिक बुराई का शिकार हो गया था। अछूत होने के कारण उसे मंदिर को अपवित्र करने और देवी का अपमान करने का आरोप लगाकर पीटा गया तथा उसे सात दिन की जेल मिली।

प्रश्न 10.
‘एक फूल की चाह’ कविता की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-
प्राचीन समय से ही भारतीय समाज वर्गों में बँटा है। यहाँ समाज के एक वर्ग द्वारा स्वयं को उच्च तथा दूसरे को निम्न और अछूत समझा जाता है। इस वर्ग का देवालयों में प्रवेश आदि वर्जित है, जो सरासर गलत है। सुखिया का पिता भी जाति-पाति का बुराई का शिकार हुआ था। यह कविता हम सभी को समान समझने, ऊँच-नीच, छुआछूत आदि सामाजिक बुराइयों को नष्ट करने की प्रेरणा देती है। अत: यह कविता पूर्णतया प्रासंगिक है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आपके विचार से मंदिर की पवित्रता और देवी की गरिमा को कौन ठेस पहुँचा रहा था और कैसे?

उत्तर-
मेरे विचार से तथाकथित उच्च जाति के भक्तगण मंदिर की पवित्रता और देवी की गरिमा को ठेस पहुँचा रहे थे, सुखिया का पिता नहीं, क्योंकि वे जातीय आधार पर सुखिया के पिता को अपमानित करते हुए देवी के सामने ही मार-पीट रहे थे। वे जिस देवी की गरिमा नष्ट होने की बात कर रहे थे, वह तो स्वयं पतित पाविनी हैं तो एक पतित के आने से न तो देवी की गरिमा नष्ट हो रही थी और न मंदिर की पवित्रता। ऐसा सोचना उन तथाकथित उच्च जाति के भक्तों की संकीर्ण सोच और अमानवीयता थी।

प्रश्न 2.
‘एक फूल की चाह’ कविता में देवी के भक्तों की दोहरी मानसिकता उजागर होती हैं। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-
‘एक फूल की चाह’ कविता में देवी के उच्च जाति के भक्तगण जोर-ज़ोर से गला फाड़कर चिल्ला रहे थे, “पतित-तारिणी पाप-हारिणी माता तेरी जय-जय-जय!” वे माता को भक्तों का उद्धार करने वाली, पापों को नष्ट करने वाली, पापियों का नाश करने वाली मानकर जय-जयकार कर रहे थे। उसी बीच एक अछूत भक्त के मंदिर में आ जाने से वे उस पर मंदिर की पवित्रता और देवी की गरिमा नष्ट होने का आरोप लगा रहे थे। जब देवी पापियों का नाश करने वाली हैं तो एक पापी या अछूत उनकी गरिमा कैसे कम कर रहा था। भक्तों की ऐसी सोच से उनकी दोहरी मानसिकता उजागर होती है।

प्रश्न 3.
महामारी से सुखिया पर क्या प्रभाव पड़ा? इससे उसके पिता की दशा कैसी हो गई?

उत्तर-
महामारी की चपेट में आने से सुखिया को बुखार हो आया। उसका शरीर तेज़ बुखार से तपने लगा। तेज बुखार के कारण वह बहुत बेचैन हो रही थी। इस बेचैनी में उसका उछलना-कूदना न जाने कहाँ खो गया। वह भयभीत हो गई और देवी के प्रसाद का एक फूल पाने में अपना कल्याण समझने लगी। उसके बोलने की शक्ति कम होती जा रही थी। धीरे-धीरे उसके अंग शक्तिहीन हो गए। उसकी यह दशा देखकर सुखिया का पिता चिंतित हो उठा। उसे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। सुखिया के पास चिंतातुर बैठे हुए उसे यह भी पता नहीं चल सका कि कब सूर्य उगा, कब दोपहर बीतकर शाम हो गई।

प्रश्न 4.
सुखिया को बाहर खेलते जाता देख उसके पिता की क्या दशा होती थी और क्यों?

उत्तर-
सुखिया को बाहर खेलते जाता देखकर सुखिया के पिता का हृदय काँप उठता था। उसके मन को एक अनहोनी-सी आशंका भयभीत कर रही थी, क्योंकि उसकी बस्ती के आसपास महामारी फैल रही थी। उसे बार-बार डर सता रहा था कि कहीं उसकी पुत्री सुखिया भी महामारी की चपेट में न आ जाए। वह इस महामारी से अपनी पुत्री को बचाए रखना चाहता था। उसे महामारी का परिणाम पता था, इसलिए अपनी पुत्री की रक्षा के प्रति चिंतित और आशंकित हो रहा था।

प्रश्न 5.
(क) सुखिया के पिता को मंदिर में देखकर भक्तों ने क्या-क्या कहना शुरू कर दिया?
(ख) सुखिया के पिता के अनुसार, भक्तगण देवी की गरिमा को किस तरह चोट पहुँचा रहे थे?
(ग) “मनुष्य होने की गरिमा’ किस तरह नष्ट की जा रहीं थी?

उत्तर
(क) अपनी बेटी की इच्छा को पूरी करने के लिए देवी को प्रसाद स्वरूप फूल लेने सुखिया के पिता को मंदिर में देखकर भक्तों ने कहा कि इस अछूत ने मंदिर में घुसकर भारी पाप कर दिया है। उसने मंदिर की चिरकालिक पवित्रता को नष्ट कर दिया है।

(ख) सुखिया के पिता का कहना था कि देवी तो पापियों का उद्धार करने वाली हैं। यह बात भक्त जन भी मानते हैं। फिर एक पापी के मंदिर में आने से देवी की गरिमा और पवित्रता किस तरह खंडित हो सकती है।

(ग) भक्तगण मनुष्य होकर भी एक मनुष्य सुखिया के पिता को जाति के आधार पर पापी मान रहे थे, उसे अछूत मान रहे थे। इस तरह वे मनुष्य होने की गरिमा नष्ट कर रहे थे।

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पाठ 11 आदमी नामा | Class 9th hindi Sparsh Most Important Questions

पाठ 11 आदमी नामा important questions

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘आदमी नामा’ कविता का मूल कथ्य/प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-
‘आदमी नामा’ कविता का मूलकथ्य/प्रतिपाद्य है- आदमी को उसकी वास्तविकता का आइना दिखाना तथा विभिन्न प्रवृत्तियों और स्वभाव वाले व्यक्तियों के कार्य व्यवहार को अभिव्यक्त करना। आदमी ही है जो अच्छा या बुरा काम करता है और अपने कर्म के अनुसार पीर अथवा शैतान का दर्जा प्राप्त करता है।

प्रश्न 2.
आदमी किन स्थितियों में पीर बन जाता है?

उत्तर-
जब आदमी अच्छा कार्य करता है, दूसरों पर अपनी जान न्योछावर करता है, दूसरों को संकट में फँसा देखकर उसकी मदद के लिए दौड़ा जाता है तथा धर्मगुरु बनकर दूसरों को मानवता की सेवा करने का उपदेश देता है तो इन परिस्थितियों में आदमी पीर बन जाता है।

प्रश्न 3.
‘आदमी नामा’ कविता व्यक्ति के स्वभाव के बारे में क्या अभिव्यक्त करती है?

उत्तर-
‘आदमी नामा’ कविता किसी व्यक्ति के अच्छे स्वभाव का उल्लेख करती है, उसके कर्म और विशेषता को अभिव्यक्ति करती है तो दूसरों की जान लेने, बेइज्जती करने तथा जूतियाँ चुराने जैसे निकृष्ट कार्यों को भी अभिव्यक्त करती है। इस प्रकार यह कविता व्यक्ति के स्वभाव की विविधता का ज्ञान कराती है।

प्रश्न 4.
‘सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी’ के माध्यम से नज्मकार ने क्या कहना चाहा है?

उत्तर-
सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी के माध्यम से नज्मकार ने आदमी के मानवीय गुणों; जैसे- दयालुता, सहृदयता, संवेदनशीलता और उपकारी प्रवृत्ति का उल्लेख करना है। इन मानवीय गुणों के कारण व्यक्ति किसी की याचना भरी पुकार को अनसुना नहीं कर पाता है और मदद के लिए भाग जाता है।

प्रश्न 5.
मसज़िद का उल्लेख करके नज्मकार ने किस पर व्यंग्य किया है? इसका उद्देश्य क्या है?

उत्तर-
मसजिद का उल्लेख करके नज्मकार ने उस आदमी पर व्यंग्य किया है जो मसजिद में नमाज और कुरान पढ़ने आए लोगों की जूतियाँ चुराता है। ऐसे आदमी पर व्यंग्य करने का उद्देश्य यह बताना है कि आदमी अलग-अलग स्वभाव वाले होते हैं जो अच्छे या बुरे कर्म करते हैं।

प्रश्न 6.
‘आदमी नामा’ कविता में आदमी की किन-किन अनुकरणीय एवं मानवीय प्रवृत्तियों का उल्लेख किया गया है?

उत्तर-
‘आदमी नामा’ कविता में मनुष्य की जिन मानवीय और अनुकरणीय प्रवृत्तियों का उल्लेख किया गया है, उनमें मुख्य हैं-

  • आदमी धार्मिक स्थानों का निर्माण करवाता है।
  • आदमी दूसरों को धार्मिक ज्ञान देता है।
  • आदमी दूसरों से प्रेम करता है।
  • आदमी दूसरों की करुण पुकार सुनकर उसकी मदद के लिए दौड़ा जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
नज़ीर अकबराबादी ने आदमी के चरित्र की विविधता को किस तरह उभारा है?’आदमी नामा’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-
कवि नज़ीर अकबराबादी ने ‘आदमी नामा’ कविता में आदमी के चरित्र को उसके स्वभाव और कार्य के आधार पर उभारा है। उनका कहना है कि दुनिया में लोगों पर शासन करने वाला आदमी है, तो गरीब, दीन-दुखी और दरिद्र भी आदमी है। धनी और मालदार लोग आदमी हैं तो कमजोर व्यक्ति भी आदमी है। स्वादिष्ट पदार्थ खाने वाला आदमी है तो दूसरों के सूखे टुकड़े चबाने वाला भी आदमी है। इसी प्रकार दूसरों पर अपनी जान न्योछावर करनेवाला आदमी है तो किसी पर तलवार उठाने वाला भी आदमी है। एक आदमी अपने कार्यों से पीर बन जाता है तो दूसरा शैतान बन जाता है। इस तरह कवि ने आदमी के चरित्र की विविधता को उभारा है।

प्रश्न 2.
नज्मकार ने मसजिद का उल्लेख किस संदर्भ में किया है और क्यों?

उत्तर-
नज्मकार नज़ीर ने मसजिद का उल्लेख स्थान एवं आदमी की विविधता बताने के संदर्भ में किया है। मसजिद वह पवित्र स्थान है जहाँ व्यक्ति कुरान और नमाज़ पढ़ता है परंतु उसके दरवाजे पर चोरी भी की जाती है। इसके अलावा उसी मस्जिद को आदमी ने बनवाई, उसके अंदर इमाम कुरान और नमाज़ पढ़ाता है, जो अलग-अलग कोटि के आदमी है। वहीं जूतियाँ चुराने वाला अपना काम करने का प्रयास कर रहा है तो उनका रखवाला भी आदमी ही है। इस पवित्र स्थान पर भी मनुष्य अपने-अपने स्वभाव के अनुसार कार्य कर रहे हैं। उनकी प्रवृत्ति उनमें भिन्नता प्रकट कर रही है।

प्रश्न 3.
‘आदमी नामा’ पाठ के आधार पर आदमी के उस रूप का वर्णन कीजिए जिसने आपको सर्वाधिक प्रभावित किया?

उत्तर-
‘आदमी नामा’ कविता में आदमी के जिस रूप ने मुझे सर्वाधिक प्रभावित किया वह है उसका उच्च मानवीय वाला रूप। ऐसा आदमी ऊँच-नीच का भेद-भाव किए बिना मनुष्य पर जान न्योछावर करता है। वह सबको समान मानकर उनसे प्रेम करता है। वह मनुष्य की भलाई के लिए सदा परोपकार करता है और किसी संकटग्रस्त आदमी की पुकार सुनते ही उसकी मदद करने के लिए चल पड़ता है और उसे संकटमुक्त करने का हर संभव प्रयास करता है।

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पाठ 10 दोहे | Class 9th hindi Sparsh Most Important Questions

NCERT important questions for Class 9th: पाठ 10 – दोहे स्पर्श हिंदी 

रहीम

पृष्ठ संख्या: 94

प्रश्न अभ्यास 

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये – 

(क) प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भांति क्यों नही हो पाता?

उत्तर 

प्रेम का धागा एक बार टूटने के बाद उसे दुबारा जोड़ा जाए तो उसमे गाँठ पड़ जाती है। वह पहले की भाँती नही जुड़ पाती, इसमें अविश्वास और संदेह की दरार पड़ जाती है। 

(ख) हमें अपना दुख दूसरों पर क्यों नहीं प्रकट करना चाहिए? अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार कैसा हो जाता है?

उत्तर

हमें अपना दुख दूसरों पर इसलिए प्रकट नही करना चाहिए क्योंकि इससे कोई लाभ नही है। अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर वे उसका मजाक उड़ाते हैं।

(ग) रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है?

उत्तर

रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य इसलिए कहा है क्योंकि छोटा होने के वावजूद भी वो लोगों और जीव-जंतुओं की प्यास को तृप्त करता है। सागर विशाल होने के बाद भी किसी की प्यास नही बुझा पाता।

(घ) एक को साधने से सब कैसे सध जाता है?

उत्तर

कवि की मान्यता है कि ईश्वर एक है। उसकी ही साधना करनी चाहिए। वह मूल है। उसे ही सींचना चाहिए। जैसे जड़ को सीचने से फल फूल मिल जाते हैं उसी तरह एक ईश्वर को पूजने से सभी काम सफल हो जाते हैं। केवल एक ईश्वर की साधना पर ध्यान लगाना चाहिए।

(ड़) जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नही कर पाता?

उत्तर 

जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी इसलिए नही कर पाता क्योंकि उसके पास अपना कोई सामर्थ्य नही होता। कोई भी उसी की मदद करता है जिसके पास आंतरिक बल होता है नही तो कोई मदद करने नही आता। 

(च) अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा?

उत्तर 

अपने पिता के वचन को निभाने के लिए अवध नरेश को चित्रकूट जाना पड़ा। 

(छ) ‘नट’ किस कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है?

उत्तर

‘नट’  कुंडली मारने की कला में सिद्ध कारण ऊपर चढ़ जाता है।


(ज)’मोती, मानुष, चून’ के संदर्भ में पानी के महत्व को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

मोती’ के संदर्भ में अर्थ है चमक या आब इसके बिना मोती का कोई मूल्य नहीं है। ‘मानुष’ के संदर्भ में पानी का अर्थ मान सम्मान है मनुष्य का पानी अर्थात सम्मान समाप्त हो जाए तो उसका जीवन व्यर्थ है। ‘चून’ के संदर्भ में पानी का अर्थ अस्तित्व से है। पानी के बिना आटा नहीं गूँथा जा सकता। आटे और चूना दोनों में पानी की आवश्यकता होती है।

2. निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए −

(क) टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।

उत्तर

कवि इस पंक्ति द्वारा बता रहा है की प्रेम का धागा एक बार टूट जाने पर फिर से जुड़ना कठिन होता है। अगर जुड़ भी जाए तो पहले जैसा प्रेम नही रह जाता। एक-दूसरे के प्रति अविश्वास और शंका होती रहती है।

(ख) सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।

उत्तर

कवि का कहना है कि अपने दुखों को किसी को बताना नही चाहिए। दूसरे लोग सहायता नही करेंगे और उसका मजाक भी उड़ायेंगे।

(ग) रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।

उत्तर

इन पंक्तियों द्वारा कवि एक ईश्वर की आराधना पर ज़ोर देते हैं। इसके समर्थन में कवि वृक्ष की जड़ का उदाहरण देते हैं कि जड़ को सींचने से पूरे पेड़ पर पर्याप्त प्रभाव हो जाता है। अलग-अलग फल, फूल, पत्ते सींचने की आवश्यकता नहीं होती।

(घ) दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।

उत्तर

दोहा एक ऐसा छंद है जिसमें अक्षर कम होते हैं पर उनमें बहुत गहरा अर्थ छिपा होता है।
(ङ) नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।

उत्तर

जिस तरह संगीत की मोहनी तान पर रीझकर हिरण अपने प्राण तक त्याग देता है। इसी प्रकार मनुष्य धन कला पर मुग्ध होकर धन अर्जित करने को अपना उद्देश्य बना लेता है और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वो सब कुछ त्यागने को भी तैयार हो जाता है।

(च)  जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।

उत्तर

हरेक छोटी वस्तु का अपना अलग महत्व होता है। कपडा सिलने का कार्य तलवार नही कर सकता वहां सुई ही काम आती है। इसलिए छोटी वस्तु की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।

(च) पानी गए न उबरै, मोती, मानुष, चून।

उत्तर

जीवन में पानी के बिना सब कुछ बेकार है। इसे बनाकर रखना चाहिए, जैसे चमक या आब के बिना मोती बेकार है, पानी अर्थात सम्मान के बिना मनुष्य का जीवन बेकार है और बिना पानी के आटा या चूना को गुंथा नही जा सकता। इस पंक्ति में पानी की महत्ता को स्पष्ट किया गया है।

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पाठ 9 रैदास | Class 9th hindi Sparsh Most Important Questions

NCERT important questions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9 अब कैसे छूटे राम नाम … ऐसी लाल तुझ बिनु …

रैदास

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1.
रैदास को किसके नाम की रट लगी है? वह उस आदत को क्यों नहीं छोड़ पा रहे हैं?

उत्तर-
रैदास को राम के नाम की रट लगी है। वह इस आदत को इसलिए नहीं छोड़ पा रहे हैं, क्योंकि वे अपने आराध्ये प्रभु के साथ मिलकर उसी तरह एकाकार हो गए हैं; जैसे-चंदन और पानी मिलकर एक-दूसरे के पूरक हो जाते हैं।

प्रश्न 2.
जाकी अंग-अंग वास समानी’ में जाकी’ किसके लिए प्रयुक्त है? इससे कवि को क्या अभिप्राय है?

उत्तर-
‘जाकी अंग-अंग वास समानी’ में ‘जाकी’ शब्द चंदन के लिए प्रयुक्त है। इससे कवि का अभिप्राय है जिस प्रकार चंदन में पानी मिलाने पर इसकी महक फैल जाती है, उसी प्रकार प्रभु की भक्ति का आनंद कवि के अंग-अंग में समाया हुआ है।

प्रश्न 3.
‘तुम घन बन हम मोरा’-ऐसी कवि ने क्यों कहा है
?
उत्तर-
रैदास अपने प्रभु के अनन्य भक्त हैं, जिन्हें अपने आराध्य को देखने से असीम खुशी मिलती है। कवि ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि जिस प्रकार वन में रहने वाला मोर आसमान में घिरे बादलों को देख प्रसन्न हो जाता है, उसी प्रकार कवि भी अपने आराध्य को देखकर प्रसन्न होता है।

प्रश्न 4.
जैसे चितवत चंद चकोरा’ के माध्यम से रैदास ने क्या कहना चाहा है?

उत्तर-
‘जैसे चितवत चंद चकोरा’ के माध्यम से रैदास ने यह कहना चाहा है कि जिस प्रकार रात भर चाँद को देखने के बाद भी चकोर के नेत्र अतृप्त रह जाते हैं, उसी प्रकार कवि रैदास के नैन भी निरंतर प्रभु को देखने के बाद भी प्यासे रह जाते हैं।

प्रश्न 5.
रैदास द्वारा रचित ‘अब कैसे छूटे राम नाम रट लागी’ को प्रतिपाद्य लिखिए।

उत्तर-
रैदास द्वारा रचित ‘अब कैसे छूटे राम नाम रट लागी’ में अपने आराध्य के नाम की रट की आदत न छोड़ पाने के माध्यम से कवि ने अपनी अटूट एवं अनन्य भक्ति भावना प्रकट की है। इसके अलावा उसने चंदन-पानी, दीपक-बाती आदि अनेक उदाहरणों द्वारा उनका सान्निध्य पाने तथा अपने स्वामी के प्रति दास्य भक्ति की स्वीकारोक्ति की है।

प्रश्न 6.
रैदास ने अपने ‘लाल’ की किन-किन विशेषताओं का उत्लेख किया है?

उत्तर-
रैदास ने अपने ‘लाल’ की विशेषता बताते हुए उन्हें गरीब नवाजु दीन-दयालु और गरीबों का उद्धारक बताया है। कवि के लाल नीची जातिवालों पर कृपाकर उन्हें ऊँचा स्थान देते हैं तथा अछूत समझे जाने वालों का उद्धार करते हैं।

प्रश्न 7.
कवि रैदास ने किन-किन संतों का उल्लेख अपने काव्य में किया है और क्यों?

उत्तर-
कवि रैदास ने नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना और सैन का उल्लेख अपने काव्य में किया है। इसके उल्लेख के माध्यम से कवि यह बताना चाहता है कि उसके प्रभु गरीबों के उद्धारक हैं। उन्होंने गरीबों और कमज़ोर लोगों पर कृपा करके समाज में ऊँचा स्थान दिलाया है।

प्रश्न 8.
कवि ने गरीब निवाजु किसे कहा है और क्यों ?

उत्तर-
कवि ने गरीब निवाजु’ अपने आराध्य प्रभु को कहा है, क्योंकि उन्होंने गरीबों और कमज़ोर समझे जानेवाले और अछूत कहलाने वालों का उद्धार किया है। इससे इन लोगों को समाज में मान-सम्मान और ऊँचा स्थान मिल सकी है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पठित पद के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि रैदास की उनके प्रभु के साथ अटूट संबंध हैं।

उत्तर-
पठित पद से ज्ञात होता है कि रैदास को अपने प्रभु के नाम की रट लग गई है जो अब छुट नहीं सकती है। इसके अलावा कवि ने अपने प्रभु को चंदन, बादल, चाँद, मोती और सोने के समान बताते हुए स्वयं को पानी, मोर, चकोर धाग और सुहागे के समान बताया है। इन रूपों में वह अपने प्रभु के साथ एकाकार हो गया है। इसके साथ कवि रैदास अपने प्रभु को स्वामी मानकर उनकी भक्ति करते हैं। इस तरह उनका अपने प्रभु के साथ अटूट संबंध है।

प्रश्न 2.
कवि रैदास ने ‘हरिजीउ’ किसे कहा है? काव्यांश के आधार पर ‘हरिजीउ’ की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर-
कवि रैदास ने ‘हरिजीउ’ कहकर अपने आराध्य प्रभु को संबोधित किया है। कवि का मानना है कि उनके हरिजीउ के बिना माज के कमजोर समझे जाने को कृपा, स्नेह और प्यार कर ही नहीं सकता है। ऐसी कृपा करने वाला कोई और नहीं हो । सकता। समाज के अछूत समझे जाने वाले, नीच कहलाने वालों को ऊँचा स्थान और मान-सम्मान दिलाने का काम कवि के ‘हरिजीउ’ ही कर सकते हैं। उसके ‘हरजीउ’ की कृपा से सारे कार्य पूरे हो जाते हैं।

प्रश्न 3.
रैदास द्वारा रचित दूसरे पद ‘ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै’ को प्रतिपाद्य लिखिए।

उत्तर-
कवि रैदास द्वारा रचित इस पद्य में उनके आराध्य की दयालुता और दीन-दुखियों के प्रति विशेष प्रेम का वर्णन है। कवि का प्रभु गरीबों से जैसा प्रेम करता है, वैसा कोई और नहीं। वह गरीबों के माथे पर राजाओं-सा छत्र धराता है तो अछूत समझे जाने वाले वर्ग पर भी कृपा करता है। वह नीच समझे जाने वालों पर कृपा कर ऊँचा बनाता है। उसने अनेक गरीबों का उद्धार कर यह दर्शा दिया है कि उसकी कृपा से सभी कार्य सफल हो जाते हैं।

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पाठ 8 शक्र तारे के समान | Class 9th hindi Sparsh Most Important Questions

NCERT important questions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 8 शक्र तारे के समान

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास


निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
महादेव भाई अपना परिचय किस रूप में देते थे?

उत्तर-
महादेव भाई अपना परिचय गाँधी जी के ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देते थे।

प्रश्न 2.
‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक में लेखों की कमी क्यों रहने लगी थी?

उत्तर-
अंग्रेजी संपादक हार्नीमैन ‘यंग इंडिया’ के लिए लिखते थे, जिन्हें देश निकाले की सजा देकर इंग्लैंड भेज दिया था। इस कारण ‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक में लेखों की कमी रहने लगी।

प्रश्न 3.
गांधी जी ने ‘यंग इंडिया’ प्रकाशित करने के विषय में क्या निश्चय किया?

उत्तर-
गाँधी जी ने ‘यंग इंडिया’ को सप्ताह में दो बार प्रकाशित करने का निश्चय किया।

प्रश्न 4.
गांधी जी से मिलने से पहले महादेव भाई कहाँ नौकरी करते थे?

उत्तर-
गांधी जी से मिलने से पहले महादेव भाई भारत सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी करते थे।

प्रश्न 5.
महादेव भाई के झोलों में क्या भरा रहता था?

उत्तर-
महादेव भाई के झोलों में ताजी राजनीतिक घटनाओं, जानकारियों, चर्चाओं से संबंधित पुस्तकें, समाचार पत्र, मासिक पत्र आदि भरे रहते थे।

प्रश्न 6.
महादेव भाई ने गांधी जी की कौन-सी प्रसिद्ध पुस्तक का अनुवाद किया था
?
उत्तर-
महादेव भाई ने गांधी जी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेजी अनुवाद किया।

प्रश्न 7.
अहमदाबाद से कौन-से दो साप्ताहिक निकलते थे?
उत्तर-

अहमदाबाद से निकलने वाले साप्ताहिक पत्र थे-‘यंग इंडिया’ तथा ‘नव जीवन’।

प्रश्न 8.
महादेव भाई दिन में कितनी देर काम करते थे?

उत्तर-
महादेव भाई लगातार चलने वाली यात्राओं, मुलाकातों, चर्चाओं और बातीचत में अपना समय बिताते थे। इस प्रकार वे 18-20 घंटे तक काम करते थे।

प्रश्न 9.
महादेव भाई से गांधी जी की निकटता किस वाक्य से सिद्ध होती है?

उत्तर-
महादेव भाई से गाँधी जी की निकटता इस बात से सिद्ध होती है कि वे बाद के सालों में प्यारेलाल को बुलाते हुए ‘महादेव’ पुकार बैठते थे।

लिखित
(क) 
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
गांधी जी ने महादेव को अपना वारिस कब कहा था?

उत्तर-
महादेव भाई 1917 में गांधी के पास पहुँचे। गांधी जी ने उनको पहचानकर उन्हें उत्तराधिकारी का पद सौंपा था। 1919 में जलियाँबाग कांड के समय जब गांधी जी पंजाब जा रहे थे तब उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने उसी समय महादेव भाई। को अपना वारिस कहा था।

प्रश्न 2.
गांधी जी से मिलने आनेवालों के लिए महादेव भाई क्या करते थे?

उत्तर-
महादेव भाई पहले उनकी समस्याओं को सुनते थे। उनकी संक्षिप्त टिप्पणी तैयार करके गाँधी जी के सामने पेश । करते थे तथा उनसे लोगों की मुलाकात करवाते थे।

प्रश्न 3.
महादेव भाई की साहित्यिक देन क्या है?

उत्तर-
महादेव भाई ने गांधी जी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी के अलावा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेजी अनुवाद किया। इसके अलावा ‘चित्रांगदा’, ‘विदाई का अभिशाप’, ‘शरद बाबू की कहानियाँ’ आदि का अनुवाद उनकी साहित्यिक देन है।

प्रश्न 4.
महादेव, भाई की अकाल मृत्यु को कारण क्या था?

उत्तर-
महादेव भाई की अकाल मृत्यु को कारण उनकी व्यस्तता तथा विवशता थी। सुबह से शाम तक काम करना और गरमी की ऋतु में ग्यारह मील पैदल चलना ही उनकी मौत का कारण बने।

प्रश्न 5.
महादेव भाई के लिखे नोट के विषय में गांधी जी क्या कहते थे?

उत्तर-
महादेव भाई के द्वारा लिखित नोट बहुत ही सुंदर और इतने शुद्ध होते थे कि उनमें कॉमी और मात्रा की भूल और छोटी गलती भी नहीं होती थी। गांधी जी दूसरों से कहते कि अपने नोट महादेव भाई के लिखे नोट से ज़रूर मिला लेना।

प्रश्न 1.
पंजाब में फ़ौजी शासन ने क्या कहर बरसाया?

उत्तर-
पंजाब में फ़ौजी शासन ने काफी आतंक मचाया। पंजाब के अधिकतर नेताओं को गिरफ्तार किया गया। उन्हें उम्र कैद की सज़ा देकर काला पानी भेज दिया गया। 1919 में जलियाँवाला बाग में सैकड़ों निर्दोष लोगों को गोलियों से भून दिया गया। ‘ट्रिब्यून’ के संपादक श्री कालीनाथ राय को 10 साल की जेल की सज़ा दी गई।

प्रश्न 2.
महादेव जी के किन गुणों ने उन्हें सबका लाडला बना दिया था?

उत्तर-
महादेव भाई गांधी जी के लिए पुत्र के समान थे। वे गांधी का हर काम करने में रुचि लेते थे। गांधी जी के साथ देश भ्रमण तथा विभिन्न गतिविधियों में हिस्सा लेते थे। वे गांधी जी की गतिविधियों पर टिप्पणी करते थे। महादेव जी की लिखावट बहुत सुंदर, स्पष्ट थी। वे इतना शुद्ध लिखते थे कि उसमें मात्रा और कॉमा की भी अशुधि नहीं होती थी। वे पत्रों का जवाब जितनी शिष्टता से देते थे, उतनी ही विनम्रता से लोगों से मिलते थे। वे विरोधियों के साथ भी उदार व्यवहार करते थे। उनके इन्हीं गुणों ने उन्हें सभी का लाडला बना दिया।

प्रश्न 3.
महादेव जी की लिखावट की क्या विशेषताएँ थीं?

उत्तर-
पूर्णत: शुद्ध और सुंदर लेख लिखने में महादेव भाई का भारत भर में कोई सानी नहीं था। वे तेज़ गति से लंबी लिखाई कर सकते थे। उनकी लिखावट में कोई भी गलती नहीं होती थी। लोग टाइप करके लाई ‘रचनाओं को महादेव की रचनाओं से मिलाकर देखते थे। उनके लिखे लेख, टिप्पणियाँ, पत्र और गाँधीजी के व्याख्यान सबके सब ज्यों-के-ज्यों प्रकाशित । होते थे।

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पाठ 7 धर्म की आड़ | Class 9th hindi Sparsh Most Important Questions

NCERT important questions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7 धर्म की आड़

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास


निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
आज धर्म के नाम पर क्या-क्या हो रहा है?

उत्तर-
आज धर्म के नाम पर उत्पात किए जाते हैं, जिद् की जाती है और आपसी झगड़े करवाए जाते हैं।

प्रश्न 2.
धर्म के व्यापार को रोकने के लिए क्या उद्योग होने चाहिए?

उत्तर-
धर्म के व्यापार को रोकने के लिए हमें कुछ स्वार्थी लोगों के बहकावे में नहीं आना चाहिए। हमें अपने विवेक से काम लेते हुए धार्मिक उन्माद का विरोध करना चाहिए।

प्रश्न 3.
लेखक के अनुसार, स्वाधीनता आंदोलन का कौन-सा दिन सबसे बुरा था?

उत्तर-
आज़ादी के आंदोलन के दौरान सबसे बुरा दिन वह था जब स्वाधीनता के लिए खिलाफ़त, मुँल्ला-मौलवियों और धर्माचार्यों को आवश्यकता से अधिक महत्त्व दिया गया।

प्रश्न 4.
साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में क्या बात अच्छी तरह घर कर बैठी है?

उत्तर-
अति साधारण आदमी तक के दिल में यह बात घर कर बैठी है कि धर्म और ईमान की रक्षा में जान देना उचित है।

प्रश्न 5.
धर्म के स्पष्ट चिह्न क्या हैं?

उत्तर-
धर्म के स्पष्ट चिह्न हैं-शुद्ध आचरण और सदाचार।

प्रश्न 1.
चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं?

उत्तर-
चलते-पुरज़े लोग अपनी स्वार्थ की पूर्ति एवं अपनी महत्ता बनाए रखने के लिए भोले-भाले लोगों की शक्तियों और उत्साह का दुरुपयोग करते हैं। वे धार्मिक उन्माद फैलाकर अपना काम निकालते हैं।

प्रश्न 2.
चालाक लोग साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते हैं?

उत्तर-
चालाक आदमी साधारण आदमी की धर्म के प्रति अटूट आस्था का लाभ उठाते हैं। वे अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए ऐसे आस्थावान धार्मिक लोगों को मरने-मारने के लिए छोड़ देते हैं।

प्रश्न 3.
आनेवाला समय किस प्रकार के धर्म को नहीं टिकने देगा?
उत्तर-

कुछ लोग यह सोचते हैं कि दो घंटे का पूजा-पाठ और पाँचों वक्त की नमाज पढ़कर हर तरह का अनैतिक काम करने के लिए स्वतंत्र हैं तो आने वाला समय ऐसे धर्म को टिकने नहीं देगा।

प्रश्न 4.
कौन-सा कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा?

उत्तर-
देश की आजादी के लिए किए जा रहे प्रयासों में मुल्ला, मौलवी और धर्माचार्यों की सहभागिता को देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा। लेखक के अनुसार, धार्मिक व्यवहार से स्वतंत्रता की भावना पर चोट पहुँचती है।

प्रश्न 5.
पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन लोगों में क्या अंतर है
?
उत्तर-
पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धनों के बीच घोर विषमता है। वहाँ धन का लालच दिखाकर गरीबों का शोषण किया जाता। है। गरीबों की कमाई के शोषण से अमीर और अमीर, तथा गरीब अधिक गरीब होते जा रहे हैं।

प्रश्न 6.
कौन-से लोग धार्मिक लोगों से अधिक अच्छे हैं?

उत्तर-
नास्तिक लोग, जो किसी धर्म को नहीं मानते, वे धार्मिक लोगों से अच्छे हैं। उनका आचरण अच्छा है। वे सदा सुख-दुख में एक दूसरे का साथ देते हैं। दूसरी ओर धार्मिक लोग एक दूसरे को धर्म के नाम पर लड़वाते हैं।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में ) लिखिए-

प्रश्न 1.
धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को कैसे रोका जा सकता है?

उत्तर-
धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को रोकने के लिए दृढ़-निश्चय के साथ साहसपूर्ण कदम उठाना होगा। हमें साधारण और सीधे-साधे लोगों को उनकी असलियत बताना होगा जो धर्म के नाम पर दंगे-फसाद करवाते हैं। लोगों को धर्म के नाम पर उबल पड़ने के बजाए बुद्धि से काम लेने के लिए प्रेरित करना होगा। इसके अलावा धार्मिक ढोंग एवं आडंबरों से भी लोगों को बचाना होगा।

प्रश्न 2.
‘बुधि पर मार’ के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं?

उत्तर-
बुद्धि की मार से लेखक का अर्थ है कि लोगों की बुद्धि में ऐसे विचार भरना कि वे उनके अनुसार काम करें। धर्म के नाम पर, ईमान के नाम पर लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काया जाता है। लोगों की बुद्धि पर परदा डाल दिया जाता है। उनके मन में दूसरे धर्म के विरुद्ध जहर भरा जाता है। इसका उद्देश्य खुद का प्रभुत्व बढ़ाना होता है।

प्रश्न 3.
लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?

उत्तर-
लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना ऐसी होनी चाहिए, जिसमें दूसरों का कल्याण निहित हो। यह भावना पवित्र आचरण और मनुष्यता से भरपूर होनी चाहिए। इसके अलावा प्रत्येक व्यक्ति को अपना धर्म चुनने, पूजा-पाठ की विधि अपनाने की छूट होनी चाहिए। इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। धार्मिक भावना पशुता को समाप्त करने के साथ मनुष्यता बढ़ाने वाली होनी चाहिए।

प्रश्न 4.
महात्मा गांधी के धर्म-संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर-
महात्मा गाँधी अपने जीवन में धर्म को महत्त्वपूर्ण स्थान देते थे। वे एक कदम भी धर्म विरुद्ध नहीं चलते थे। परंतु उनके लिए धर्म का अर्थ था-ऊँचे विचार तथा मन की उदारता। वे ‘कर्तव्य’ पक्ष पर जोर देते थे। वे धर्म के नाम पर हिंदू-मुसलमान की कट्टरता के फेर में नहीं पड़ते थे। एक प्रकार से कर्तव्य ही उनके लिए धर्म था।

प्रश्न 5.
सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना क्यों आवश्यक है?

उत्तर-
सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारनी इसलिए ज़रूरी है कि पूजा-पाठ करके, नमाज़ पढ़कर हम दूसरों का अहित करने, बेईमानी करने के लिए आज़ाद नहीं हो सकते। आने वाला समय ऐसे धर्म को बिल्कुल भी नहीं टिकने देगा। ऐसे में आवश्यक है कि हम अपना स्वार्थपूर्ण आचरण त्यागकर दूसरों का कल्याण करने वाला पवित्र एवं शुद्धाचरण अपनाएँ। आचरण में शुद्धता के बिना धर्म के नाम पर हम कुछ भी करें, सब व्यर्थ है।

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