Chapter 6 अंतिम दौर – एक ncet solution hindi | class 8th

NCERT Solutions For Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 6 – अंतिम दौर – एक

अंतिम दौर एक पाठ संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. ब्रिटिश शासन का भारत में आना कैसी घटना थी? सार रूप में उत्तर लिखिए।

उत्तर- विदेशी शासकों का भारत में आना कोई नई घटना नहीं थी, किंतु ब्रिटिश शासकों से पहले के शासक भारत का ही हिस्सा बन गए थे। वे भारत को अपना देश मानने लगे थे। ब्रिटिश शासन का भारत में आना ऐसी पहली घटना थी कि ब्रिटिश शासक भारत में नहीं अपितु भारत से सुदूर रहते थे। भारत ऐसे शासन-संचालन में बँध गया था कि जिसका संचालन केंद्र भारत की धरती पर नहीं था। कहने का भाव है कि भारत के लिए कानून-व्यवस्था इंग्लैंड में बिना भारतीयों के परामर्श से बनती थी। इसलिए भारत के लिए यह एक अनोखी घटना थी।

प्रश्न 2. अंग्रेजों ने अपने लाभ के लिए किस वर्ग को उत्पन्न किया?

उत्तर- अंग्रेज़ शासक बहुत चुस्त एवं चालाक थे। उन्होंने अपने लाभ के लिए भारतवर्ष में भारतीय आम जनता और शासक वर्ग के बीच एक ऐसे वर्ग को जन्म दिया जो उनके कहे अनुसार चल सके। उनमें ज़मींदार, राजा, पटवारी, गाँव के मुखिया व ऊपर के कर्मचारी आदि थे। ये सरकार के पिछलग्गू थे। ये साधारण जनता से धन बटोरकर अंग्रेज़ों को लाभ पहुँचाते थे।

प्रश्न 3. अंग्रेज़ी शासन में हर जिलों के प्रमुख पद पर किसे नियुक्त किया जाता था?

उत्तर- अंग्रेज़ी शासनकाल में अंग्रेजी स्वार्थों की सुरक्षा के लिए जिले के प्रमुख पद पर जिला मजिस्ट्रेट या डिप्टी कलेक्टर को नियुक्त किया जाता था।

प्रश्न 4. मालगुजारी किसे कहते थे?

उत्तर- मालगुजारी एक प्रकार से चुंगी कर होता था जो गाँवों से शहर में लाए जाने वाले माल पर लगाया जाता था। उस कर को देने के पश्चात् ही माल नगर या शहर में ब्रिकी हेतु लाया जा सकता था।

प्रश्न 5. भारतवर्ष अमीर एवं साधन संपन्न होते हुए भी भारत की जनता अपने ही देश में गरीब क्यों थी?

उत्तर- भारतवर्ष में प्राकृतिक संपदा व साधनों की कमी नहीं थी। किंतु अंग्रेज़ी शासन ने आर्थिक नीतियाँ इस प्रकार बनाई हुई थी जिससे भारत का अधिक-से-अधिक धन ब्रिटेन में पहुँच जाए, इसलिए यहाँ के प्राकृतिक साधनों का लाभ आम जनता की अपेक्षा अंग्रेज़ सरकार को ही होता था। यही कारण है कि भारतवर्ष अमीर एवं साधन संपन्न होने पर भी भारत की आम जनता गरीब थी।

प्रश्न 6. भारतीय जनता में चेतना जागृत करने का श्रेय अंग्रेजों को क्यों दिया जाता है?

उत्तर- भारतीय जनता में चेतना जागृत करने का श्रेय अंग्रेजों को दिया जाता है क्योंकि अंग्रेज़ों ने यहाँ पाश्चात्य संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने के लिए लोगों को शिक्षित करना ही उचित समझा। इस उद्देश्य के लिए उन्होंने शिक्षा का प्रसार किया। भारतीय जनता ने शिक्षित होने पर ही आधुनिक युग को समझा और दासता के बंधन से मुक्त होने का प्रयास किया।

प्रश्न 7. “अंग्रेज़ भारतीयों को वास्तव में शिक्षित नहीं करना चाहते थे, अपितु वे उन्हें केवल क्लर्क बनाना चाहते थे।” स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- जब भारत में अंग्रेज़ी शासन कायम हुआ तो उन्हें विभिन्न विभागों में कार्य करने के लिए छोटे कर्मचारियों की ज़रूरत पड़ी। यदि इन छोटे पदों पर अंग्रेज़ों को रखा जाता है तो उन्हें अधिक वेतन देना पड़ता। इस कठिनाई को देखते हुए भारतीयों को शिक्षित किया गया ताकि उन्हें कम वेतन पर कार्यालयों में काम करने हेतु क्लर्क मिल सकें। अतः स्पष्ट है कि अंग्रेज़ों का भारतीयों को शिक्षित करने के पीछे बहुत बड़ा स्वार्थ निहित था।

प्रश्न 8. अंग्रेज़ी शासनकाल में भारत ने किन-किन क्षेत्रों में उन्नति की? सार रूप में उत्तर लिखिए।

उत्तर- अंग्रेजी सरकार ने अपने सरकारी कार्यों को सुचारु रूप से चलाने के लिए भारत में अनेक क्षेत्रों को उन्नत करने के प्रयास किए। उनमें से प्रमुख हैं-नई तकनीक, रेलगाड़ी, छापाखाना, डाकतार विभाग आदि।

प्रश्न 9. 18वीं शताब्दी में बंगाल में किस प्रभावशाली व्यक्तित्व का उदय हुआ?

उत्तर- 18वीं शताब्दी में बंगाल में जिस प्रभावशाली व्यक्तित्व का उदय हुआ, वे थे-राजा राममोहन राय। वे नई विचारधारा वाले व्यक्ति थे। उन्हें भारतीय संस्कृति और विचारधारा की गहन जानकारी थी। उन्होंने अनेक भाषाएँ सीखी थीं। वे भारतीय जनता को पुरानी पंडिताऊ पद्धति से बाहर निकालना चाहते थे। वे अपने समय के महान समाज-सुधारक भी थे। उन्हीं के प्रयास से सती-प्रथा पर रोक लगी थी। वे भारतीय जनता को आधुनिक विचारधारा से जोड़कर उसमें नवीन चेतना का संचार करना चाहते थे। राजा राममोहन राय दिल्ली के सम्राट की ओर से इंग्लैंड भी गए थे।

प्रश्न 10. सन् 1857 में भारत में कौन-सी महान घटना घटी थी?

उत्तर- सन् 1857 में भारत में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की घटना घटी थी। बंगाल और पश्चिम भारत तथा बंबई में अंग्रेज़ी । शासन की नीतियों के कारण किसान आर्थिक बोझ के नीचे पिस रहा था। नया बुद्धिजीवी वर्ग अंग्रेज़ों की उदारता द्वारा प्रगति की उम्मीद लगाए बैठा था किंतु उत्तरी भारत में ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ। यहाँ के सूबों के राजाओं और सामंतों में विद्रोह की भावना बढ़ रही थी। सन् 1857 में मेरठ की सेना ने बगावत कर दी। विद्रोह की योजना खुफ़िया ढंग से बनाई गई थी। किंतु समय से पहले विद्रोह होने से योजना बिगड़ गई। यह सैनिक-विद्रोह न रहकर बाद में जन-आंदोलन और भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई के रूप में परिवर्तित हो गया। इस संघर्ष की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि इसमें हिंदुओं और मुसलमानों ने मिलकर भाग लिया था। यद्यपि इस जन-क्रांति ने ब्रिटिश शासन पर पूरा दबाव डाला तथापि अंत में संगठन एवं दूरदर्शिता के अभाव के कारण असफल रहा। इस क्रांति में तात्या टोपे, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई आदि ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। वह बीस वर्ष की आयु में ही लड़ते-लड़ते शहीद हो गई। अंग्रेज़ सेनानायकों ने भी उसकी बहादुरी की प्रशंसा की थी। इस महान क्रांति ने ब्रिटिश शासन को झकझोर कर रख दिया था। फलस्वरूप ब्रिटिश सरकार को अपने शासन का पुनर्गठन करना पड़ा।

प्रश्न 11. स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर ने कौन-सी पुस्तक लिखी थी और उसे अंग्रेज़ सरकार ने क्यों ज़ब्त कर लिया था?

उत्तर- स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर ने ‘द हिस्ट्री ऑफ़ द वॉर ऑफ़ इंडिपेंडेंस’ नामक पुस्तक लिखी थी। उन्होंने इस पुस्तक में सन् 1857 की महान क्रांति और प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन की घटनाओं का सच्चा और यथार्थ वर्णन किया था। साथ ही अंग्रेज़ों की अन्यायपूर्ण नीतियों और उनके अत्याचारों का भी उल्लेख किया था। इसीलिए अंग्रेज़ सरकार ने इस पुस्तक को प्रकाशित होते ही ज़ब्त कर लिया था। .

प्रश्न 12. स्वामी विवेकानंद के जीवन और महान कार्यों पर सार रूप में प्रकाश डालिए।

उत्तर- स्वामी विवेकानंद श्री रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख शिष्य थे। उन्हें भारत की विरासत पर गर्व था। वे प्राचीन एवं नवीन विचारधारा को जोड़ने वाली महान कड़ी थे। वे अत्यंत शालीन एवं गरिमामय व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने भारतीय जनता को जगाने का महान प्रयास किया था, जिसमें उन्हें काफी हद तक सफलता भी मिली थी। उन्होंने भारत की ओर से अंतर्राष्ट्रीय धर्म-सम्मेलन में भाग लेकर भारत के धार्मिक दृष्टिकोण से विश्व को अवगत करवाया था। वे जातिगत भेदभाव के विरुद्ध थे। वे मानव की दुर्बलता को पाप समझते थे। उन्होंने निडर बनने का संदेश दिया था। वे अंधविश्वासों में विश्वास नहीं रखते थे। उन्होंने उस हर बात का विरोध किया जो हमें कमजोर बनाती है तथा उसे तुरंत त्यागने पर भी बल दिया। वे मानते थे कि अंधविश्वासी होने से तो नास्तिक होना अच्छा है। आज उनके विचार हिमालय से कन्याकुमारी तक प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 13. राजा राममोहन राय ने धर्म के आधार पर क्या परिवर्तन किए और क्यों? केशवचंद्र ने उसे क्या मोड़ दिया?

उत्तर- भारतीय धर्म में रूढ़िवादी रीति-रिवाजों के होने के कारण राजा राममोहन राय ने समाज सुधारवादी आधार पर अनेक परिवर्तन किए। उन्होंने इस उद्देश्य से ब्रह्म-समाज की स्थापना की। उनके शिष्य केशवचंद्र ने इस धर्म को ईसाई धर्म का रूप ही दे डाला अर्थात् उसमें ईसाई धर्म के नियमों को स्वीकृति दे दी। फलस्वरूप यह कुछ ही भारतीयों तक सीमित रह गया।

प्रश्न 14. 19वीं शताब्दी में कौन-कौन से समाज सुधारक हुए?

उत्तर- उन्नीसवीं शताब्दी में स्वामी दयानंद सरस्वती, रामकृष्ण परमहंस, विवेकानंद, रवींद्रनाथ टैगोर, महात्मा गांधी, ऐनी बेसेंट, सर सैयद अहमद खाँ, अबुल कलाम आज़ाद, गोपाल कृष्ण गोखले एवं बाल गंगाधर तिलक मुख्य समाज सुधारक हुए। इन्होंने अंग्रेज़ी शासन के प्रभाव के होते हुए भी लोगों की विचारधारा को बदलना चाहा। उनमें राष्ट्रीयता की भावना भरकर उन्हें धार्मिक कर्म-कांडों से हटाना चाहा।

प्रश्न 15. स्वामी दयानंद सरस्वती का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनके प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- स्वामी दयानंद उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम भाग में हुए। वे एक महान समाज सुधारक थे। उन्होंने भारतीय धार्मिक विचारों को वेदों की ओर मोड़ दिया था। वे वेदों को भारतीय धर्म का आधार बताते थे। उनका नारा था-वेदों की ओर लौटो। उन्होंने आर्य समाज की स्थापना की जिसके माध्यम से अपने विचारों को जनता तक पहुँचाया। दयानंद सरस्वती के विचारों का प्रसार मुख्य । रूप से पंजाब और संयुक्त प्रदेश में हुआ। इनके विचारों ने मध्य वर्ग के हिंदुओं को विशेष रूप से प्रभावित किया। सरस्वती जी ने लड़कों और लड़कियों में कोई भेद नहीं माना। उन्होंने नारी शिक्षा पर भी बल दिया। जातिगत भेदभाव का खंडन करते हुए दलित वर्ग को ऊपर उठाने का महान प्रयास किया। उन्होंने समाज में व्याप्त अंधविश्वासों तथा धार्मिक रूढ़ियों का जोरदार शब्दों में खंडन. किया।

प्रश्न 16. रवींद्रनाथ टैगोर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए तथा उनके जीवन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- रवींद्रनाथ टैगोर महान साहित्यकार एवं संवेदनशील व्यक्ति थे। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन देश-हित के लिए अर्पित किया। उन्होंने साहित्य रचना के साथ-साथ स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। स्वदेशी आंदोलन में तो उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। वे ब्रिटिश सरकार के विरोधी थे। जलियाँवाला बाग के हत्याकांड के बाद उन्होंने अपनी ‘सर’ की उपाधि भी लौटा दी थी। वे भारत को आधुनिक विचारों से जोड़ने के पक्ष में थे। वे विदेशों के ज्ञान को भारत में और भारत के ज्ञान का प्रचार विदेशों में करने में सफल रहे। उनकी विचारधारा उपनिषदों से प्रभावित थी। उन्होंने लोगों को संकीर्ण भावना को त्यागने और मानवीय भावनाओं को अपनाने का महान संदेश दिया।

प्रश्न 17. सन 1857 के स्वतंत्रता के संघर्ष के बाद मुसलमानों में असमंजस की भावना क्यों आ गई थी? उसका क्या परिणाम निकला?

उत्तर- सन् 1857 की क्रांति के बाद भारत के मुसलमान असमंजस में थे क्योंकि वे निर्णय नहीं ले पा रहे थे कि वे ब्रिटिश सरकार के साथ थे या फिर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में हिंदुओं के साथ। इसका परिणाम यह हुआ कि एक नए वर्ग का जन्म हुआ, जिसका लाभ उठाकर अंग्रेज़ सरकार ने अपना स्वार्थ सिद्ध किया।

प्रश्न 18. ‘आर्य समाज’ किस प्रकार का आंदोलन था? अंग्रेज़ सरकार पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर- ‘आर्य समाज’ एक सामाजिक आंदोलन था। इसका जन्म इस्लाम और ईसाई धर्मों की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप हुआ था, विशेषकर इस्लाम की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप। यह सुधारवादी आंदोलन का रूप धारण करके आगे बढ़ा था। इसने धर्म परिवर्तन करके हिंदू धर्म में पुनः प्रवेश करने की प्रथा का आरंभ किया। इसमें जातिगत भेदभाव का खंडन किया गया तथा लड़के-लड़की के भेद को भी समाप्त किया गया। नारी शिक्षा पर भी बल दिया गया। दलितों की स्थिति को सुधारने का बेड़ा भी आर्य समाज ने उठाया था। अंग्रेज़ सरकार आर्य समाज के आंदोलन से प्रभावित हुए बिना न रह सकी। इसलिए उसने इस आंदोलन को राजनीतिक एवं क्रांतिकारी आंदोलन माना।

प्रश्न 19. सर सैयद अहमद खाँ का परिचय दीजिए।

उत्तर- सर सैयद अहमद खाँ एक उत्साही समाज सुधारक थे। उन्होंने मुसलमानों की ब्रिटिश विरोधी भावना को कम करने की कोशिश की। उन्होंने अलीगढ़ कॉलेज की स्थापना की। उनका घोषित उद्देश्य था-‘भारत के मुसलमानों को ब्रिटिश ताज की योग्य और उपयोगी प्रजा बनाना।’ सर सैयद अहमद खाँ का प्रभाव मुसलमानों में उच्च वर्ग के कुछ लोगों तक ही सीमित था।

प्रश्न 20. अबुल कलाम आज़ाद के जीवन पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- अबुल कलाम आज़ाद सुप्रसिद्ध भारतीय मुस्लिम नेता थे। उन्होंने मुसलमानों में नई विचारधारा का विकास किया। सन् 1912 में मुसलमानों के दो साप्ताहिक पत्र निकले। उर्दू में ‘अल-हिलाल’ और अंग्रेज़ी में ‘द कॉमरेड’ । अल-हिलाल का आरंभ अबुल कलाम आज़ाद ने किया। उस समय वे कांग्रेस के वर्तमान सभापति के पद पर थे। वे पुराने नेताओं के सामंती, संकीर्ण धार्मिकता और अलगाववादी दृष्टिकोण से दूर थे। अपने इसी स्वभाव के कारण वे भारतीय राष्ट्रवादी माने गए। उन्होंने अपने विचारों की प्रस्तुति हेतु बोलचाल की उर्दू भाषा का प्रयोग किया ताकि आम जनता भी प्रभावित हो सके। अलीगढ़ कॉलेज की युवा शक्ति राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से रूढ़िवादी थी। उनका लक्ष्य निचले दर्जे की सरकारी नौकरी में प्रवेश पाना था लेकिन इसी कॉलेज में नए मुसलमान बुद्धिजीवियों का वर्ग भी पनपा जिन्होंने मुख्य रूप से ‘मुस्लिम लीग’ की नींव रखी। अबुल कलाम आज़ाद ने अपने प्रयत्नों से इसी मुस्लिम बुद्धिजीवियों के दिमाग में सनसनी पैदा की और उन्हें स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु उत्तेजित किया।

प्रश्न 21. रवींद्रनाथ टैगोर का शांति-निकेतन क्या था?

उत्तर- रवींद्रनाथ टैगोर महान शिक्षाविद् थे। इसलिए उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में नया प्रयोग करने के लिए एक विशेष प्रकार के शिक्षा केंद्र की स्थापना की थी, जिसे उन्होंने ‘शांति-निकेतन’ नाम दिया। यहाँ विद्यार्थियों को शिक्षा पूर्ण सुविधाओं एवं प्राकृतिक संसाधनों द्वारा दी जाती थी। विद्यार्थियों के व्यक्तित्व के चहुंमुखी विकास के लिए सभी संभव अवसर प्रदान किए जाते थे।

प्रश्न 22. सर सैयद अहमद खाँ के विचार दूसरे राष्ट्रीय नेताओं से कैसे भिन्न थे?

उत्तर- सर सैयद अहमद खाँ एक ऐसे नेता थे जो अंग्रेज़ों की सहायता से मुसलमानों को ऊपर उठाना चाहते थे। वे चाहते थे कि मुसलमान अंग्रेज़ी शिक्षा को ग्रहण करें। वे पूर्णतया अंग्रेज़ी सभ्यता से प्रभावित थे। उन्होंने ब्रिटिश सरकार से शैक्षिक सहायता प्राप्त करने हेतु मुसलमानों में ब्रिटिश विरोधी भावना को कम करने का प्रयास किया था। उन्हें नेशनल कांग्रेस से दूर रहने का परामर्श भी दिया गया था।

प्रश्न 23. सर सैयद अहमद खाँ की हिंदुओं के प्रति क्या विचारधारा थी?

उत्तर- सर सैयद अहमद खाँ मुस्लिम लोगों के विकास के लिए अंग्रेज़ों का विरोध नहीं करते थे। किंतु वे हिंदुओं के विरोधी या सांप्रदायिक दृष्टि से अलगाववादी नहीं थे। उनका मत था कि ‘हिंदू’ और ‘मुसलमान’ दो शब्द केवल धार्मिक अंतर स्पष्ट करने
के लिए हैं। वरन् सब लोग चाहे वे हिंदू हों या मुसलमान यहाँ तक कि ईसाई भी जो इस देश में रहते हैं, एक ही राष्ट्र के लोग . हैं। वे सब भारतीय हैं।

प्रश्न 24. ‘मुस्लिम लीग’ की स्थापना किसने और क्यों की थी?

उत्तर- ‘मुस्लिम लीग’ की स्थापना अलीगढ़ कॉलेज के उस वर्ग ने की थी, जो नए मुसलमान बुद्धिजीवियों का नेतृत्व कर रहा था। उन्होंने इसकी स्थापना मुसलमानों के हितों की रक्षा हेतु की थी।

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Chapter 5 नयी समस्याएँ ncert solution hindi | class 8th

NCERT Solutions For Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 5 – नयी समस्याएँ

NCERT Solutions For Class 8 Hindi (Bharat Ki Khoj ) Chapter 3. नयी समस्याएँ – आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों जो अपनी क्लास में सबसे अच्छे अंक पाना चाहता है उसके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 8th हिंदी भारत की खोज अध्याय 5 (नयी समस्याएँ) के लिए समाधान दिया गया है. इस NCERT Solutions For Class 8 Hindi Chapter 5. Nayi Samasyayen की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. अगर आपको यह समाधान फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों को शेयर जरुर करे . हमारी वेबसाइट पर सभी कक्षाओं के सलूशन दिए गए है .

पाठ संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. हर्ष किस राज्य का शासक था? उसके शासनकाल में हुई घटनाओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर- हर्ष उत्तर भारत के एक विशाल एवं शक्तिशाली राज्य कन्नौज का शासक था। उसके काल में विभिन्न क्षेत्र खूब विकास हुआ था। उसके शासनकाल में चीनी यात्री हुआन त्सांग नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन करने के लिए आया था। इसी युग में इस्लाम धर्म अपना स्वरूप ग्रहण कर रहा था। हर्ष के समय में उत्तर से होने वाले विदेशी हमलों का मुँहतोड़ जवाब दिया जा रहा था। अरब और भारत के बीच संपर्क बढ़े थे। दोनों ओर से यात्रियों का आना जाना हुआ एवं राजदूतावासों की अदला-बदली हुई। भारतीय पुस्तकों का बगदाद में अरबी में अनुवाद हुआ। बहुत-से भारतीय चिकित्सक बगदाद गए। यह व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध उत्तर भारत तक ही सीमित नहीं थे, बल्कि भारत के दक्षिण राज्यों ने भी इसमें भाग लिया था।

प्रश्न 2. भारत में इस्लाम का आगमन कैसे हुआ?

उत्तर- अरब से भारत के संबंध अच्छे होने पर धीरे-धीरे इस्लाम के धर्म प्रचारक भी भारत आए। यहाँ उनका खूब स्वागत हुआ। यहाँ बिना किसी बाधा के कई मस्जिदों का निर्माण हुआ। इसका यहाँ के शासन ने विरोध नहीं किया। अतः स्पष्ट है कि भारत में मुस्लिम राजनीति से पहले भारत में इस्लाम धर्म की शुरूआत हुई थी।

प्रश्न 3. महमद गजनवी कहाँ का शासक था? उसके आक्रमणों से भारत पर क्या प्रभाव पडा?

उत्तर- महमूद गज़नवी अफगानिस्तान का शासक था। उसने 1000 ई० के लगभग भारत पर आक्रमण किए। वह तुर्क जाति का था। उसने भारत पर निर्ममतापूर्ण आक्रमण करके लूटमार की थी। उसने भारत का बहुत सारा धन लूटा था। उसने हिंदुओं को धूल के कणों की भाँति बिखेर दिया। उसके घृणित कार्यों के कारण भारतीयों के मन में मुसलमानों के प्रति घृणा उत्पन्न हो गई थी।

प्रश्न 4. शाहबुद्दीन गौरी कौन था? वह शक्ति में कैसे आया?

उत्तर- महमूद गज़नवी की मृत्यु के पश्चात् शाहबुद्दीन गौरी ने अपनी शक्ति को बढ़ाया। उसने गज़नी पर हमला करके उसे अपने साम्राज्य में मिला लिया। इसके पश्चात् उसने लाहौर और दिल्ली पर आक्रमण किया। दिल्ली में पृथ्वीराज चौहान के हाथों उसने प्रथम बार बुरी तरह से हार खाई थी। किंतु उसने 1192 ई० में पुनः शक्ति बटोरकर आक्रमण किया और दिल्ली की सत्ता का स्वामी बन बैठा।

प्रश्न 5. भारत के दक्षिण में चोल शासकों के प्रभुत्व का सार रूप में उल्लेख कीजिए।

उत्तर- शाहबुद्दीन गौरी उत्तर में तो सफलता पा गया था, किंतु दक्षिण में चोल शासकों के सामने पराजित हुआ। अफ़गानों को दक्षिण भारत पर कब्जा करने के लिए लगभग 150 वर्ष लग गए। अतः स्पष्ट है कि दक्षिण में चोल वंश के शासकों का ही प्रभुत्व रहा।

प्रश्न 6. महमूद गज़नवी ने भारत के किन दो राज्यों को अपने राज्य में मिला लिया था और किस प्रांत में उसे करारी हार का मुँह देखना पड़ा था?

उत्तर- महमूद गज़नवी ने पंजाब और सिंध को अपने राज्य में मिला लिया था। वह प्रत्येक लूट के बाद वापिस गज़नी लौट जाता था। उसने कश्मीर पर विजय प्राप्त करने का भरसक प्रयत्न किया, किंतु वह विजय प्राप्त नहीं कर सका। यह पहाड़ी देश महमूद गज़नवी को हराने और मार भगाने में पूरी तरह सफल रहा। काठियावाड़ में सोमनाथ से लौटते हुए राजस्थान के रेगिस्तानी भारी हार का सामना करना पड़ा। इस अंतिम आक्रमण के बाद वह वापिस कभी भी भारत नहीं आया।

प्रश्न 7. शाहबुद्दीन गौरी का पूरे भारत पर शासन करने का सपना कैसे चूर हो गया?

उत्तर- शाहबुद्दीन एक शक्तिशाली सेनानायक था। उसने अपनी शक्ति के बल पर दिल्ली के शासक पृथ्वीराज चौहान जैसे शक्तिशाली राजा को हरा दिया। किंतु इसका अभिप्राय यह नहीं कि पृथ्वीराज चौहान को हराने पर वह सारे भारत के राजाओं को हरा देगा। उस समय दक्षिण भारत में चोल शासक बहुत शक्तिशाली थे। शाहबुद्दीन गौरी ने जब दक्षिणं के राज्यों पर आक्रमण किया तो उसे बुरी तरह हार देखनी पड़ी। इसलिए उसका संपूर्ण भारत पर शासन करने का सपना टूट गया और वह दिल्ली तक ही सीमित रहा।

प्रश्न 8. अफगानिस्तान भारत का हिस्सा कैसे बना?

उत्तर- बारहवीं शताब्दी में जो अफ़गान भारत में आए, वे हिंद-आर्य जाति के थे। भारत की जनता से उनका निकट का संबंध था। इसलिए भारतीय उनसे जल्दी ही घुल-मिल गए और इस प्रकार अफगानिस्तान भारत का हिस्सा बन गया।

प्रश्न 9. चौदहवीं शताब्दी में किस बर्बर शासक ने भारत पर आक्रमण किया और इसका क्या परिणाम निकला? ..

उत्तर- चौदहवीं शताब्दी में बर्बर शासक तैमूर ने भारत पर उत्तर की ओर से आक्रमण किया। उसने इतनी निर्दयता से आक्रमण किया था कि दिल्ली पूरी तरह से ध्वंस हो गई। दिल्ली मुर्दो का शहर बनकर रह गई थी। इसके पश्चात् दिल्ली भारतीय साम्राज्य की राजधानी न रही। इसका परिणाम यह निकला कि उत्तर भारत की शक्ति क्षीण होती गई तथा दक्षिण के राज्य शक्तिशाली हो गए। बहमनी और विजयनगर जैसे शक्तिशाली राज्यों का उदय इसी काल में हुआ।

प्रश्न 10. भारत में मुगल साम्राज्य की नींव कैसे, कब और किसने रखी?

उत्तर- दक्षिण में विजयनगर अपनी पूर्ण शक्ति में था। तब उत्तर की पहाड़ियों से होकर एक हमलावर दिल्ली के पास पानीपत के मैदान में आया। उसने दिल्ली के सिंहासन को जीत लिया। मध्य एशिया के तैमूर वंश का यह तुर्क-मंगोल बाबर ही था। 1526 ई० में उसने भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखी। किंतु चार वर्ष पश्चात् ही इसकी मृत्यु हो गई। आगे चलकर इसके उत्तराधिकारियों ने भारत में विशाल मुगल साम्राज्य का विकास किया।

प्रश्न 11. इस्लाम धर्म के भारत में प्रवेश करने के बाद कैसी स्थिति उत्पन्न हुई थी? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- छह सौ वर्षों के पश्चात् जब इस्लाम धर्म भारत में राजनीतिक विजय के साथ आया, तो वह बहुत कुछ बदल चुका था। अब इसके नेता दूसरे लोग बन चुके थे। अरब के लोग भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग तक ही पहुँच पाए थे। वे आगे नहीं बढ़ सके थे। अरब सभ्यता का क्रमशः पतन हो गया था। मध्य एवं पश्चिमी एशिया में तुर्क जातियाँ ही आगे आईं। भारत के सीमावर्ती प्रदेश से यही तुर्क और अफ़गान इस्लाम को राजनीतिक शक्ति के रूप में भारत लाए, जो निरंतर आगे बढ़ता रहा।

प्रश्न 12. अफगानों एवं मुगलों के विषय में भारतीय साहित्यकारों के विचार प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर- साहित्यकारों ने अफ़गानों को सीमावर्ती समुदाय बताया है। ये भारत के लिए पूर्ण रूप से अजनबी नहीं थे। उनके राजनीतिक शासनकाल को हिंद-अफ़गान युग कहा जा सकता है। दूसरी तरफ मुगल भारत के लिए बाहर के और अजनबी थे। किंतु वे भारतीय जीवन-शैली में बड़ी तीव्रता से ढल गए। उनका शासनकाल हिंद-मुगलकाल कहलाया।

प्रश्न 13. अफगान शासकों और उनके साथ आए हुए लोगों का भारतीयकरण कैसे हुआ?

उत्तर- अफ़गान शासकों और उनके साथ आए हुए लोग. सभी भारतीय जीवन-शैली से प्रभावित हुए और धीरे-धीरे उसी में समां गए। वे भारत को अपना घर समझने लगे तथा शेष दुनिया को विदेश समझने लगे। वे इसी भाव से भारत में रहने लगे थे। यहाँ के कई राजपूत राजाओं ने भी उन्हें यहाँ का शासक स्वीकार कर लिया था।

प्रश्न 14. लेखक ने अफगानों में सबसे शक्तिशाली एवं योग्य शासक किसे और क्यों माना? उसके द्वारा किए गए कार्यों का सार रूप में उल्लेख कीजिए।

उत्तर- लेखक ने अफ़गानों में सबसे शक्तिशाली एवं योग्य शासक शेरशाह सूरी को माना है। वह योग्य एवं कुशल सेनानायक था। उसको दृढ़-व्यवस्था का पूर्ण ज्ञान था। उसे भूमि-प्रबंधन की भी पूरी जानकारी थी। उसने निम्नलिखित प्रमुख कार्य किए

(1) उसने मालगुजारी व्यवस्था की नींव डाली। इससे राज्य की आय बढ़ी। आगे चलकर अकबर ने इसे सुव्यवस्थित किया।
(2) अकबर के सुप्रसिद्ध राजस्व मंत्री टोडरमल की नियुक्ति आरंभ में शेरशाह सूरी ने ही की थी।
(3) सैनिक शक्ति एवं राज्य-व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए शेरशाह सूरी ने सड़कों की व्यवस्था की। भारत की सुप्रसिद्ध जी०टी० रोड़ का निर्माण भी शेरशाह सूरी ने ही किया था।

प्रश्न 15. किन तथ्यों से पता चलता है कि हिंदू-मुस्लिम एक होकर रहे?

उत्तर- आरंभ में भले ही मुसलमान भारतीयों के लिए अज़नबी रहे हों, किंतु वे भारत में आकर यहाँ के हो गए। वे भारत को अपना घर समझने लगे। उन्होंने यहाँ की जीवन-शैली को पूर्ण रूप से अपना लिया। उन्होंने यहाँ के लोगों के साथ वैवाहिक संबंध भी जोड़ लिए। सुल्तान फिरोजशाह और गयासुद्दीन तुगलक की माँ हिंदू थी।

प्रश्न 16. भारत का दक्षिण भाग हिंदू रूढ़िवादिता का गढ़ क्यों बना?

उत्तर- भारत पर जितने भी आक्रमण हुए, वे उत्तर की ओर से हुए। इसलिए उत्तर भारत सदा ही विचलित रहा। यहाँ नई-नई विचारधाराओं के लोग आते रहे। किंतु इन विचारधाराओं का प्रभाव केवल उत्तरी भारत तक ही सीमित रहा। दक्षिण भारत इन विचारधाराओं से अछूता रहा। जो लोग पुरानी आर्य संस्कृति को मानने वाले थे, वे दक्षिण भारत में जाकर बस गए। इसी कारण दक्षिण भारत हिंदू रूढ़िवादिता का केंद्र बना।

प्रश्न 17. पंद्रहवीं शताब्दी के समाज-सुधारकों का सार रूप में उल्लेख कीजिए।

उत्तर- पंद्रहवीं शताब्दी में दक्षिण में रामानंद एवं उनके शिष्य कबीर हुए, जिन्होंने अपने पदों एवं साखियों के द्वारा लोगों को धार्मिक बंधनों एवं रूढ़िवादिता से दूर करने का प्रयत्न किया। उनके काव्य की भाषा आम बोलचाल की भाषा थी जिसे आम आदमी भी आसानी से समझ सके। उत्तर में गुरु नानक ने अपने विचारों से लोगों को सही मार्ग पर लाने का प्रयास किया। आज भी कबीर एवं नानक के उपदेश मनुष्य के जीवन में सार्थक सिद्ध होते हैं।

प्रश्न 18. अमीर खुसरो कौन था? उसकी प्रसिद्धि का क्या कारण था?

उत्तर- अमीर खुसरो फारसी, संस्कृत एवं हिंदी के विद्वान थे। वे मूलतः तुर्क थे। उनका परिवार दो-तीन पीढ़ियों से संयुक्त राज्य में बसा हुआ था। वे चौदहवीं शताब्दी के कई राजाओं के साथ रहे। वे फ़ारसी भाषा के उच्च कोटि के कवि थे। उन्हें संस्कृत का भी ज्ञान था। उन्हें भाषा के साथ-साथ संगीत का भी अच्छा ज्ञान था। उन्होंने भारतीय संगीत की कई नई उभावनाओं को भी आरंभ किया। उन्होंने सितार वाद्य-यंत्र का आविष्कार भी किया था।

प्रश्न 19. अमीर खुसरो का भारतीय साहित्य को क्या योगदान रहा है?

उत्तर- अमीर खुसरो न केवल फ़ारसी के, अपितु संस्कृत एवं लोकभाषा हिंदी के भी विद्वान थे। भारत में उनकी प्रसिद्धि का कारण उनके द्वारा रचित लोकगीत थे। उन्होंने आम बोलचाल की भाषा हिंदी में गीत लिखे थे। उन्हें केवल लोक जीवन या ग्रामीण जीवन की भाषा का ही ज्ञान नहीं था, अपितु उन्होंने रहन-सहन, रीति-रिवाज़ों का भी अपने गीतों के माध्यम से वर्णन किया। उन्होंने विभिन्न ऋतुओं और त्योहारों पर भी गीत लिखे हैं। उनके गीत आज भी उत्तर एवं मध्य भारत में गाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने लोकभाषा में पहेलियाँ लिखी हैं। उन्होंने हिंदी में गजलें एवं मुकरियाँ भी लिखी हैं।

प्रश्न 20. ‘बाबर मुगल शासन का संस्थापक था, सिद्ध कीजिए।

उत्तर- बाबर ने 1526 ई० में भारत पर विजय प्राप्त करके मुगल शासन की नींव रखी थी। वह नई जागृति का शहज़ादा था। उसने केवल चार वर्षों तक ही भारत में शासन किया। उसका यह चार वर्षों का समय केवल युद्ध करने एवं आगरा को राजधानी बनाने में ही बीता। वह जहाँ एक वीर सैनिक था, वहीं कला और साहित्य का पारखी भी था। वह अच्छे रहन-सहन का शौकीन था।

प्रश्न 21. अकबर का संक्षिप्त जीवन-परिचय दीजिए।

उत्तर- अकबर भारत में मुगलवंश का तीसरा शासक था। अकबर अपने दादा से भी अधिक शक्तिशाली और गणवान था। वह अत्यंत साहसी और पराक्रमी था। वह एक योग्य सेनानायक था। इन सबके साथ-साथ वह विनम्र और दयालु था। आदर्शवादिता और स्वप्नदर्शिता उसमें कूट-कूटकर भरी हुई थी। वह जनता के दिलों में अपने लिए विशेष स्थान बनाना चाहता था। वह अपने नेत्रों में अखंड भारत का सपना देखता था। यह कहना गलत न होगा कि मुगल साम्राज्य की नींव उसी ने पक्की की थी।

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Chapter 4 युगों का दौर ncert solution hindi | class 8th

Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 4 Question Answers solution युगों का दौर

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 4 Question and Answers

पाठाधारित प्रश्न

बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद कौन से शासक आए?

(i) कुषाण
(ii) शुंगवंश
(iii) हूण
(iv) शक
उत्तर:
(ii) शुंगवंश

प्रश्न 2.
कुषाणों का लोकप्रिय राजा कौन था
?
(i) अशोक
(ii) जरथुष्ट्र
(iii) कनिष्क
(iv) नागार्जुन
उत्तर:
(iii) कनिष्क

प्रश्न 3.
चंद्रगुप्त ने किस साम्राज्य की नींव रखी?

(i) गुप्त साम्राज्य
(ii) मौर्य साम्राज्य
(iii) कुषाण साम्राज्य
(iv) अन्य
उत्तर:
(i) गुप्त साम्राज्य

प्रश्न 4.
हर्षवर्धन ने अपनी राजधानी कहाँ बनाया
?
(i) कर्नाटक
(ii) जयपुर
(iii) इंद्रप्रस्थ
(iv) उज्जयिनी
उत्तर:
(iv) उज्जयिनी

प्रश्न 5.
दक्षिणी भारत की लोकप्रियता का कारण था

(i) अपनी अच्छी जलवायु
(ii) दस्तकारी व समुद्री व्यापार
(iii) अपनी सुदृढ़ शासन सत्ता
(iv) आपसी एकता
उत्तर:
(ii) दस्तकारी व समुद्री व्यापार

प्रश्न 6.
जब अंग्रेज़ भारत आए उस समय देश की स्थिति क्या थी?

(i) संपन्न
(ii) धार्मिकता से ग्रस्त
(iii) जातीयता से ग्रस्त
(iv) अवनति की ओर
उत्तर:
(iv) अवनति की ओर

प्रश्न 7.
भारतीय सभ्यता के विकास का क्या कारण था?

(i) स्थिरता
(ii) सुरक्षा
(iii) संपन्नता
(iv) कठोर शासक
उत्तर:
(i) स्थिरता

प्रश्न 8.
भारतीय रंगमंच का उद्गम कहाँ हुआ?

(i) सामवेद में
(ii) यजुर्वेद में
(iii) ऋगवेद में
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(iii) ऋगवेद में

प्रश्न 9.
कालिदास की प्रमुख रचना कौन-सी थी?

(i) मेघदूत
(ii) शकुंतला
(iii) मृच्छकटिकम्
(iv) मुद्राराक्षस
उत्तर:
(ii) शकुंतला

प्रश्न 10.
प्राचीन नाटकों की भाषा कैसी थी?
(i) हिंदी
(ii) संस्कृत
(iii) उर्दू
(iv) परसियन
उत्तर:
(ii) संस्कृत

प्रश्न 11.
संस्कृत भाषा को नियमों में किसने बाँधा?
(i) पाणिनी
(ii) भास
(iii) कालिदास
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(i) पाणिनी

प्रश्न 12.
संस्कृत को व्याकरणिक नियमों में कब बाँधा गया?

(i) 2000 वर्ष पूर्व
(ii) 3000 वर्ष पूर्व
(iii) 2600 वर्ष पूर्व
(iv) 1600 वर्ष पूर्व
उत्तर:
(iii) 2600 वर्ष पूर्व

प्रश्न 13.
भारत का व्यापार व धर्म का प्रचार-प्रसार विदेशों में कैसे हुआ?

(i) अपना उपनिवेश कायम करके
(ii) शासन सत्ता बढ़ाकर
(iii) युद्ध करके
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(i) अपना उपनिवेश कायम करके0

प्रश्न 14.
जावा में किस भारतीय कला को विशेष प्रसिद्धि मिली?
(i) नृत्य
(ii) साहित्य
(iii) भवन-निर्माण
(iv) धर्म
उत्तर:
(i) नृत्य

प्रश्न 15.
फिलीपाइन देश की लेखन कला किस देश की देन है?
(i) भारत
(ii) श्रीलंका
(iii) अफगानिस्तान
(iv) मध्य एशिया
उत्तर:
(i) भारत

प्रश्न 16.
गुप्तकाल में सबसे अधिक विकास किस दिशा में हुआ?
(i) शासनसत्ता
(ii) वास्तुकला
(iii) राजनीति
(iv) धर्म
उत्तर:
(ii) वास्तुकला

प्रश्न 17.
गणित शास्त्र की शुरुआत भारत में कब हुई?

(i) प्राचीन काल
(ii) वैदिक काल
(iii) आदि काल
(iv) मध्य काल
उत्तर:
(iii) आदि काल

प्रश्न 18.
भारत के पतन के क्या कारण थे?

(i) बूढ़ा होना
(ii) आपस में विखंडित होना
(iii) एक के बाद एक विदेशी शासक का भारत पर शासन करना और राजनीति का टूटना
(iv) योग्य शासक का आभाव
उत्तर:
(iii) एक के बाद एक विदेशी शासक का भारत पर शासन करना और राजनीति का टूटना

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मौर्य साम्राज्य के बाद सत्ता किसने सँभाली? इसके बाद भारत को किन-किन परिस्थितियों से गुज़रना पड़ा?

उत्तर:
मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद शासन सत्ता शुंग वंश ने संभाली। इनका शासन क्षेत्र काफ़ी सीमित हो गया था। दक्षिण में बड़े राज्य उभर रहे थे। उत्तर में काबुल से पंजाब तक यूनानियों का साम्राज्य था।

प्रश्न 2.
कुषाणों ने क्या काम किया?

उत्तर:
कुषाणों ने शकों को पराजित करके दक्षिण की ओर खदेड़ दिया। कुषाणों ने पूरे उत्तर भारत में और मध्य एशिया के बहुत बड़े भाग पर अपना साम्राज्य स्थापित किया।

प्रश्न 3.
कुषाण काल में बौद्ध-धर्म किस प्रकार प्रभावित हुआ?

उत्तर:
कुषाण साम्राज्य की स्थापना के बाद बौद्ध धर्म दो भागों में विभक्त हो गया। – हीनयान और महायान। इन दोनों के मतभेद काफ़ी बढ़ गए। बड़ी-बड़ी सभाओं में इनके आपसी विवाद उठने लगे।

प्रश्न 4.
जरथुष्ट्र धर्म से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर:
यह धर्म पारसी धर्म के नाम से जाना जाता है। ईरान में इस धर्म की उत्पत्ति हुई थी। इस धर्म के संस्थापक जरथुष्ट्र थे।

प्रश्न 5.
भारत में चीनी राजदूत कब आए?

उत्तर:
भारत में चीनी राजदूत 64 ई. में आए।

प्रश्न 6.
नागार्जुन कौन थे? इन्होंने कौन-सा विशेष कार्य किया?

उत्तर:
नागार्जुन बौद्ध शास्त्रों और भारतीय दर्शन के महान विद्वान थे। नागार्जुन ईसा की पहली शताब्दी में हुए।

प्रश्न 7.
कौन से फल भारत को चीन की देन है?

उत्तर:
आइ और नाशपाती ऐसे फल हैं जो भारत में नहीं उगते थे। ये चीनियों की देन हैं।

प्रश्न 8.
मौर्य साम्राज्य का पतन होने के बाद दक्षिण भारत की शासन व्यवस्था कैसी थी?

उत्तर:
मौर्य साम्राज्य का अंत होने पर दक्षिण के राज्य एकांकी रूप में फलने-फूलने लगे।

प्रश्न 9.
विदेशी शासकों की क्या विशेषता थी?

उत्तर:
विदेशी शासकों ने अपने आपको भारतीय परंपरा, सभ्यता व संस्कृति के अनुरूप जल्दी ही ढाल लिया। इसलिए सफल शासक रहे।

प्रश्न 10.
भारत का नेपोलियन किसे कहा जाता है? और क्यों?
उत्तर:
गुप्त साम्राज्य के शासक ‘समुद्र गुप्त’ को भारत का नेपोलियन कहा जाता है। उसके शासन काल में साम्राज्य काफ़ी समृद्ध और शक्तिशाली था। इस काल में साहित्य और कला के क्षेत्र में भारत ने अभूतपूर्व उन्नति की।

प्रश्न 11.
भारतीय सभ्यता की विशेषता क्या
थी?
उत्तर:
भारतीय सभ्यता की विशेषता यह थी कि यह व्यक्तिवादी होते हुए भी सामुदायिक रूप रखती थी।

प्रश्न 12.
भवभूति कौन थे
?
उत्तर:
भवभूति संस्कृत भाषा के प्रसिद्ध नाटककार थे। वे सातवीं शताब्दी में नाटक के क्षेत्र में चमकते सितारे थे। कालिदास के बाद इनका ही स्थान है। भारत में भवभूति बहुत लोकप्रिय रहे।

प्रश्न 13.
सर्वप्रथम किस नाटककार का नाम इतिहास में मिलता है?

उत्तर:
प्राचीन नाटककारों में सर्वप्रथम नाम भारत में ‘भास’ का मिलता है। उन्होंने 13 नाटकों की रचनाएँ की।

प्रश्न 14.
कालिदास कौन थे? उनकी प्रसिद्ध रचनाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कालिदास गुप्तवंश के चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के नौ रत्नों में से एक थे। उन्होंने अपनी रचनाओं में प्रेम व प्रकृति का वर्णन बड़े अनुपम ढंग से किया है। उनकी प्रमुख रचना है – ‘शकुंतला’ जिसका जर्मन, फ्रेंच, डेनिश और इटालियन में अनुवाद भी हुआ। इनकी एक अन्य प्रमुख रचना है ‘मेघदूत’ जिसमें एक प्रेमी अपनी प्रेयसी को बादल द्वारा संदेश भेजता है।

प्रश्न 15.
चंद्रगुप्त मौर्य के शासन काल के रचित नाटक ‘मुद्राराक्षस’ की क्या विशेषता है?

उत्तर:
नाटक ‘मुद्राराक्षस’ उस समय की पूर्ण राजनीतिक गतिविधियों से अवगत करवाता है।

प्रश्न 16.
संस्कृत भाषा को व्याकरणिक नियमों में किसने बाँधा?

उत्तर:
संस्कृत को व्याकरण के नियमों में महान ‘वैयाकरण’ ‘पाणिनी’ ने बाँधा।

प्रश्न 17.
उपनिवेश कायम करने का क्या लाभ हुआ?

उत्तर:
उपनिवेश कायम करने से भारत का व्यापार व धर्म बाहर के देशों तक पहुँचा। इसके अलावा समुद्री जहाज़ों का चलन बढ़ा।

प्रश्न 18.
भारतीय उपनिवेशों के इतिहास में भारत और चीन का प्रभाव कहाँ-कहाँ पड़ा?

उत्तर:
उपनिवेशों के इतिहास में चीन का प्रभाव महाद्वीप के देशों, वर्मा, स्याम और हिंद चीन पर तथा भारत का प्रभाव टापुओं और मलय प्रायद्वीप पर अधिक था। यहाँ भारतीय धर्म और कला का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

प्रश्न 19.
भारतीय उपनिवेशों का काल कब से कब तक माना जाता है?
उत्तर:
भारतीय उपनिवेशों का काल ईसा की पहली या दूसरी शताब्दी से शुरू होकर पंद्रहवीं शताब्दी के अंत तक माना जाता है। यानी यह काल लगभग तेरह सौ साल या इससे कुछ अधिक रहा।

प्रश्न 20.
किन-किन देशों पर भारतीय कला की छाप दिखाई पड़ती है?
उत्तर:
इंडोनेशिया, जावा, बाली व फिलिपाइन व दक्षिण-पूर्वी एशिया के और भी देशों में भारतीय कला की झलक मिलती है।

प्रश्न 21.
हूणों के आक्रमण का प्राचीन भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
उत्तर पश्चिम दिशा में होने वाले हूणों के आक्रमण से भारत राजनैतिक एवं सैन्य एवं दोनों दृष्टियों से कमज़ोर हो गया। उनके यहाँ बसने से लोगों में अंदरूनी परिवर्तन हुए। उनका बर्बरतापूर्ण व्यवहार भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं था।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
राजा मिलिंद कौन था?
उत्तर:
प्राचीन भारत के उत्तर में उस समय काबुल से पंजाब तक भारतीय यूनानी फैले थे। मेनांडर ने राजधानी पर आक्रमण किया, जहाँ वह पराजित हो हुआ। यहाँ मेनांडर पर भारतीय चेतना और वातावरण का काफ़ी प्रभाव पड़ा जिसके परिणामस्वरूप उसने बौद्ध धर्म अपना लिया। बाद में वह राजा मिलिंद के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

प्रश्न 2.
ब्राह्मणवाद और हिंदूवाद की उत्पत्ति कैसे हुई।

उत्तर:
विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा लगातार आक्रमण से भारतीय ब्राह्मण वर्ग काफ़ी चिंतित हो उठे। इन विदेशी आक्रमणकारियों का रस्मरिवाज और संस्कृति बिलकुल भिन्न थे। उनकी संस्कृति से भारतीय संस्कृति और सामाजिक ढाँचा के लिए खतरा उत्पन्न हो रहा था। अत: लोगों में राष्ट्रीय भावना को जगाना ही राष्ट्रीय धर्म था। इनके विरुद्ध लोगों की जो प्रतिक्रिया थी, उसे ब्राह्मणवाद या हिंदूवाद कहा गया।

प्रश्न 3.
प्राचीन भारत में गणितशास्त्र की क्या स्थिति थी?

उत्तर:
आधुनिक अंक गणित और बीजगणित का आधार भारत में ही पड़ी। भारत में ज्यामिति का भी विकास हुआ। शून्य की विधि खोजी गई।

प्रश्न 4.
शकों का प्रसिद्ध शासक कौन था? शकों ने कौन-सा धर्म अपना लिया?

उत्तर:
शकों का प्रसिद्ध शासक कनिष्क हुआ। शकों में कुछ ने हिंदू धर्म अपना लिया लेकिन अधिकांश लोग बौद्ध धर्म को ही अपना लिए।

प्रश्न 5.
हर्ष कौन था? भारतीय इतिहास में वह लोकप्रिय क्यों हुआ?

उत्तर:
हर्ष सातवीं शताब्दी का सबसे शक्तिशाली राजा था, उसने भारत से हूणों का साम्राज्य समाप्त किया। उसने उत्तर भारत से लेकर मध्य भारत तक एक बहुत शक्तिशाली राज्य की स्थापना की। हर्ष ने हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मों का प्रचार एवं प्रसार किया। उसने अपने राजदरबार में कवियों और नाटककारों को संरक्षण दिया। अपनी राजधानी उज्जयिनी को सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। वह बहुत दानी था। उसके राज्य में प्रजा सुखी थी।

प्रश्न 6.
भारत में विदेशी तत्व किस प्रकार आत्ससात होते गए?
उत्तर:
भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति सामुदायिक था। यहाँ पर सामाजिक नियमों का पालन कठोरता से कराया जाता था। इसके अलावे सामाजिक नियमों का समुदायों को लेकर नज़रिया लचीलापन था। सामाजिक नियमों को रीति-रिवाजों में बदला जा सकता था। आने वाले नए लोग तथा विदेशी तत्व अपने रीति-रिवाजों और आस्था को अपने जीवन में व्यवहार का रूप देकर समाज के अंग बने रहे। इसी लचीलेपन के कारण यहाँ आने वाले विदेशी लोग आत्मसात होते गए।

प्रश्न 7.
रवींद्रनाथ ठाकुर ने भारत के विषय में क्या लिखा?

उत्तर:
रवींद्रनाथ ठाकुर ने लिखा कि हमारे देश की वास्तविकता को यदि जानना चाहते हैं तो हमें उस काल को समझना होगा जब यह अपने आप में पूर्ण था और इसने बाहर के देशों में अपने उपनिवेश कायम कर व्यापार और धर्म का प्रचार-प्रसार किया।

प्रश्न 8.
किन-किन आधारों से मालूम होता है कि भारत ने दक्षिण-पूर्वी एशिया तक उपनिवेश कायम किए?

उत्तर:
भारतीय प्राचीन पुस्तकों, अरब यात्रियों की रचना के द्वारा चीन से प्राप्त ऐतिहासिक विवरण, पुराने शिलालेख, ताम्र-पत्र, जावा बाली का साहित्य, भारतीय महाकाव्य व पुराणकथाओं, यूनानी और लातिनी स्रोतों, एवं अंगकोर और बोरोबुदुर के प्राचीन खंडहरों से यह जानकारी मिलती है कि भारत ने विदेशों में अपने उपनिवेश कायम किए।

प्रश्न 9.
अजंता की गुफाओं की सुंदरता का वर्णन कीजिए।

उत्तर:
अजंता की गुफाएँ हमें संसार की वास्तविकताओं का ज्ञान कराती हैं। इनके भित्ति चित्रों को बौद्ध भिक्षुओं ने बनाया था। इन भित्ति चित्रों पर सुंदर स्त्रियाँ, राजकुमारियाँ, गायिकाएँ, नर्तकियाँ, बैठी और खड़ी, शृंगार करती हुई या सभा में जाती हुई चित्रित है। इन चित्रों में जीवन के गतिशील नाटक को अनुपम ढंग से दिखाया गया है।

प्रश्न 10.
भारत में गणित की विभिन्न शाखाओं का प्रयोग कैसे होता था? इसमें भास्कर द्वितीय का गणित के क्षेत्र में क या-क्या योगदान रहा? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
भारत में ज्यामिति, अंकगणित और बीजगणित का उद्भव बहुत प्राचीन काल में हुआ था। वैदिक वेदियों पर आकृतियाँ बनाने के लिए ज्यामितीय बीजगणित का प्रयोग किया जाता था। अंकगणित और बीजगणित में भारत आगे बना रहा। शून्यांक और स्थान मूल्य वाली दशमलव विधि को स्वीकार किया गया। भास्कर द्वितीय ने खगोलशास्त्र, बीजगणित और अंकगणित पर तीन पुस्तकों की रचना की। अंकगणित पर लिखी उनकी पुस्तक लीलावती सरल एवं स्पष्ट शैली में है। यह छोटी उम्र वालों के लिए बहुत उपयोगी है। कुछ संस्कृत विद्यालयों में आज भी पठन-पाठन के लिए इनकी शैली का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 11.
प्राचीन भारत के प्रमुख विश्वविद्यालयों के नाम लिखिए

उत्तर:

  1. नालंदा विश्वविद्यालय
  2. भागलपुर के पास विक्रमशिला विश्वविद्यालय
  3. काठियावाड़ में बल्लभ विश्वविद्यालय
  4. दक्षिण में अमरावती विश्वविद्यालय।

प्रश्न 12.
भारतीय पतन के समय सामाजिक दशा कैसी थी?

उत्तर:
भारत के पतन के समय समाज विखंडित हो चुका था, जाति बंधनों में बँट चुका था। वह अपनी अखंडता न बनाए रख सका। समाज में क्षेत्रीयता, सामंतवाद तथा गुटबाजी की भावना का उत्थान हो गया था। अर्थव्यवस्था काफ़ी कमज़ोर हो गई थी। समाज में जातिवादी प्रथा का प्रचलन काफ़ी ज़ोरों पर थी। ऊँची जाति के लोग नीची जाति के लोगों को दबाकर रखना चाहते थे। ऊँची जाति के लोग नीची जाति के लोगों को शिक्षा से वंचित कर उनका शोषण करते थे।

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Chapter 3 सिंधु घाटी सभ्यता ncert solution hindi | class8th

NCERT Solutions For Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 3 – सिंधु घाटी सभ्यता

पाठ संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. सिंधु घाटी सभ्यता के चिह्न कहाँ-कहाँ विद्यमान हैं?

उत्तर- सिंधु घाटी सभ्यता के चिह्न सिंधु में मोहनजोदड़ो तथा पश्चिमी पंजाब में हड़प्पा में विद्यमान हैं।

प्रश्न 2. पठित पाठ में सिंधु घाटी सभ्यता की कौन-कौन सी विशेषताएँ बताई गई हैं?

उत्तर- सिंधु घाटी की सभ्यता की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई गई हैं-

(1) सिंधु घाटी की सभ्यता भारत की प्राचीन सभ्यता है।
(2) यह सभ्यता धर्मनिरपेक्ष सभ्यता थी।
(3) सिंधु घाटी के व्यापारी लोग धनी थे।
(4) सिंधु घाटी सभ्यता फ़ारस, मैसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यताओं से बेहतर थी।
(5) इस सभ्यता के नगर अत्यंत सुनियोजित थे।

प्रश्न 3. ‘सिंधु घाटी’ की सभ्यता में उन्नत तकनीकी भी थी-पठित पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए।

उत्तर- सिंधु घाटी की खुदाई से जिन हमामों एवं नालियों की जानकारी प्राप्त हुई है, वे नाली तंत्र आज भी उपयोगी सिद्ध होते हैं। ये तथ्य यह सिद्ध करते हैं कि सिंधु घाटी सभ्यता में उन्नत तकनीकी भी थी।

प्रश्न 4. सिंधु घाटी’ की सभ्यता का अंत कैसे हुआ होगा? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।

उत्तर- सिंधु नदी में बहुत भयंकर बातें आती थीं जो अपने साथ गाँव-के-गाँव बहा ले जाती थीं। सिंधु घाटी भी इस नदी के । प्रकोप का शिकार बनी होगी।

प्रश्न 5. आर्य कौन थे और वे कहाँ से आए थे?

उत्तर- आर्य कौन थे और वे कहाँ से आए थे? इस प्रश्न का उत्तर ठोस रूप में उपलब्ध नहीं है। इस बारे में विद्वानों ने केवल अनुमान ही लगाए हैं। कुछ विद्वान मानते हैं कि वे दक्षिण भारत से आए थे, क्योंकि आर्यों एवं दक्षिण भारत की द्रविड़ जातियों के बीच कुछ समानताएँ पाई जाती हैं। यह भी कहा जा सकता है कि ये मोहनजोदड़ो से कई हज़ार वर्ष पूर्व आए होंगे। पश्चिमोत्तर दिशा से भी भारत में कई कबीले और जातियाँ आती रहीं और यहाँ समाती गईं। अतः स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता कि आर्य कौन थे और कहाँ से आए थे? यही माना जाता है कि वे भारत की ही संतान थे।

प्रश्न 6. भारतीय संस्कृति का सबसे पुराना इतिहास कौन-सा है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- भारतीय संस्कृति का सबसे पुराना इतिहास ‘वेद’ है। भारतीय विद्वान इसे अति प्राचीन मानते हैं, जबकि यूरोप के विद्वान इसे बहुत बाद का इतिहास मानते हैं। बहुत-से यूरोपीय विद्वानों का मत है कि वेदों का काल ईसा पूर्व 1500 है। किंतु मोहनजोदड़ो की खुदाई के बाद से इन प्रारंभिक भारतीय धार्मिक ग्रंथों को अधिक पुराना माना जाने लगा है। मैक्समूलर ने वेदों को ‘आर्य-मानव के द्वारा कहा गया पहला शब्द’ कहा है।

प्रश्न 7. वेदों और अवेस्ता में क्या समानता है?

उत्तर- वेदों की रचना भारत की भूमि पर हुई, जबकि अवेस्ता की रचना ईरान में हुई। ‘वेदों’ और ‘अवेस्ता’ की भाषा में अद्भुत समानता है। भारत की भूमि पर प्रवेश करने से पहले आर्य अपने साथ उसी कुल के विचारों को लेकर आए थे, जिससे अवेस्ता की रचना हुई थी। ‘वेद’ भारत के अपने महाकाव्यों की संस्कृति की अपेक्षा अवेस्ता के अधिक निकट प्रतीत होते हैं।

प्रश्न 8. ‘वेद’ शब्द का अर्थ बताकर उनकी प्रमुख विशेषताएँ भी बताइए।

उत्तर- ‘वेद’ शब्द की व्युत्पत्ति ‘विद्’ धातु से मानी जाती है, जिसका अर्थ है-जानना। वेद का सामान्य अर्थ है-ज्ञान का संग्रह। . वेदों की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

(1) वेदों में मूर्ति-पूजा या किसी देव-मंदिर की आराधना का वर्णन नहीं है।
(2) वेदों में आत्मा की अपेक्षा जीवन पर बल दिया गया है।
(3) वेदों में मृत्यु के पश्चात् किसी प्रकार के अस्तित्व का स्पष्ट संकेत या विश्वास नहीं है।
(4) वेदों में प्रकृति के सौंदर्य और रहस्य का वर्णन उपलब्ध है।
(5) वेदों में काव्य-संग्रह है।
(6) वेद मनुष्य के उन साहसिक कार्यों का संग्रह हैं जो प्राचीनकाल में किए गए थे।

प्रश्न 9. भारतीयों के परलोक-परायणता पर नेहरू जी ने क्या कहा था?

उत्तर- नेहरू जी ने परलोक-परायणता में विश्वास रखने वाले लोगों के विषय में कहा था कि किसी देश में गरीब एवं अभागे लोग परलोक में विश्वास करने लगते हैं जब तक वे क्रांतिकारी नहीं हो जाते। यही बात गुलाम देश के लोगों पर लागू होती है। यही हाल भारतीय जनता का भी था।

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प्रश्न 10. भारत में जाति-व्यवस्था के क्या दुष्परिणाम सामने आए?

उत्तर- भारत में जाति-व्यवस्था का आरंभ समाज को सुदृढ़ करने के लिए किया गया था। किंतु आगे चलकर जाति-व्यवस्था ने गलत रूप धारण कर लिया। समाज में जातिगत भेदभाव बढ़ गए। इससे समाज की एकता को भारी हानि पहुँची। समाज कई वर्गों में बँट गया जिससे समाज का सही विकास नहीं हो सका।

प्रश्न 11. उपनिषदों की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- (1) उपनिषद् वेदों के बाद की रचनाएँ हैं। इनका समय ईसा पूर्व 800 के आस-पास का बताया जाता है।
(2) उपनिषदों में जाँच-पड़ताल की चेतना और सत्य की खोज पर बल दिया गया है।
(3) उपनिषदों में विचार के लिए वैज्ञानिक पद्धति अपनाई गई है।
(4) उपनिषदों में आत्मबोध पर बल दिया गया है।
(5) इनमें जादू-टोने एवं पाठ-पूजा को व्यर्थ कहा गया है।
(6) इनका सामान्य झुकाव अद्वैतवाद की ओर है।
(7) इनमें सामंजस्य के मार्ग को अपनाया गया है, ताकि समाज में व्याप्त मतभेदों को दूर किया जा सके।

प्रश्न 12. उपनिषदों की प्रार्थना किस हेतु की गई है?

उत्तर- उपनिषदों में प्रार्थना का प्रमुख लक्ष्य मानव-जीवन की बेहतरी है। उनकी प्रार्थना में कहा गया है कि हे ईश्वर! मुझे असत् से सत् अर्थात् अज्ञान से ज्ञान की ओर ले चल। अंधकार से मुझे प्रकाश की ओर ले चल। मृत्यु से मुझे अमरत्व की ओर ले चल। अतः स्पष्ट है कि उपनिषदों की प्रार्थना में निराकार ईश्वर को संबोधित किया गया है कि मनुष्य को जीवन के सही मार्ग पर ले चल।

प्रश्न 13. उपनिषदों में अभिव्यक्त व्यक्तिवादी दर्शन पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- व्यक्तिवाद का अभिप्राय है कि व्यक्ति को केंद्र में रखकर किया गया विचार। उपनिषदों में इस बात पर बल दिया गया है कि मनुष्य द्वारा हर क्षेत्र में उन्नति करने के लिए उसका शरीर स्वस्थ हो, मन स्वच्छ हो, तन और मन दोनों अनुशासन में हों। किसी प्रकार का ज्ञान प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है कि मनुष्य में संयम, आत्मपीड़न और आत्मत्याग की भावना हो।

प्रश्न 14. भारतीय आर्यों पर व्यक्तिवाद का क्या प्रभाव पड़ा? .

उत्तर- भारतीय आर्यों पर व्यक्तिवाद का यह प्रभाव पड़ा कि लोग आत्मकेंद्रित हो गए। वे अपने ही बारे में सोचने लगे थे। उन्हें समाज की कोई चिंता नहीं थी। उन्होंने समाज के प्रति अपने कर्त्तव्य का पालन ही नहीं किया। अलगाववाद और ऊँच-नीच की भावना पर बल दिया जाता रहा। जाति-व्यवस्था को बढ़ावा देने के कारण लोगों में जड़ता का विकास हुआ और रचनात्मक शक्ति कमज़ोर पड़ गई।

प्रश्न 15. भौतिकवादी विचारधारा पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- भौतिकवादी विचारधारा एक ऐसी विचारधारा है, जिसमें कर्म पर विश्वास किया जाता है। वे परमात्मा के अस्तित्व में विश्वास नहीं रखते। उनके अनुसार वास्तविक अस्तित्व तो विभिन्न रूपों में विद्यमान पदार्थों और इस दृश्यमान संसार का है। इसके अतिरिक्त न कोई स्वर्ग है, न नरक और न ही शरीर से अलग आत्मा। इस विचारधारा में जादू-टोनों, अंधविश्वास, धर्म और यहाँ तक कि ब्रह्मविज्ञान का भी विरोध किया गया है। इसके अनुसार मनुष्य को बंधन-रहित व्यावहारिक जीवन जीना चाहिए।

प्रश्न 16. कौटिल्य का अर्थशास्त्र कब लिखा गया था और उसमें किन विषयों का वर्णन किया गया है?

उत्तर- कौटिल्य का अर्थशास्त्र ई०पू० चौथी शताब्दी में लिखा गया था। इस ग्रंथ में उस समय की राजनीतिक, आर्थिक व्यवस्था तथा भौतिकवादी दर्शन के सिद्धांतों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है।

प्रश्न 17. भारत के प्राचीन प्रमुख दो महाकाव्य कौन-से हैं?

उत्तर- भारत के प्राचीन प्रमुख काव्य हैं(क) रामायण, (ख) महाभारत।

प्रश्न 18. ‘रामायण’ एवं ‘महाभारत’ दोनों महाकाव्यों का क्या महत्त्व है?

उत्तर- ‘रामायण’ एवं ‘महाभारत’ दोनों महाकाव्यों में भारतीय आर्यों के आरंभ के समय का वर्णन है। इसके अतिरिक्त प्राचीन युग में रचे जाने के बावजूद भारतीयों के जीवन पर आज भी इन महाकाव्यों का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। आज के जीवन में भी ये मार्गदर्शक बने हुए हैं। इन्हीं कारणों से इन दोनों महाकाव्यों का अत्यधिक महत्त्व है।

प्रश्न 19. पुराकथाओं एवं प्रचलित कहानियों की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।

उत्तर- भारतीय पुराकथाएँ महाकाव्यों तक सीमित नहीं हैं। इनका इतिहास वैदिक काल तक जाता है। ये संस्कृत साहित्य में भी विभिन्न रूपों में प्रकट हुई हैं। ये कथाएँ वीरगाथात्मक हैं। इन कथाओं में सत्य का पालन करने और अपने प्रण को पूरा करने का उपदेश दिया गया है। इन कथाओं की अन्य प्रमुख विशेषता-जीवन-पर्यंत और मरणोपरांत भी वफ़ादारी, साहस और लोक-हित के लिए सदाचार और बलिदान की शिक्षा देना है। इन पुराकथाओं में कल्पना और तथ्यों का सुंदर मिश्रण हुआ है। ये कथाएँ दैनिक जीवन को एकरसता और कुरूपता से खींचकर उच्चतर क्षेत्रों तक ले जाती हैं।

प्रश्न 20. प्राचीन भारतीय इतिहास की ठीक-ठीक जानकारी प्राप्त क्यों नहीं हो पाती? इसकी जानकारी के लिए किन साधनों का सहारा लिया जाता है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- भारतीय इतिहासकार चीनियों, यूनानियों एवं अरब देशों के इतिहासकारों की भाँति नहीं थे। इन देशों के इतिहासकारों ने घटनाओं को कालक्रमानुसार एवं विभिन्न तिथियों के संदर्भ में वर्णन किया है, जबकि भारतीय इतिहासकारों ने कालक्रम एवं तिथियों के संदर्भ में घटनाओं का वर्णन नहीं किया। इसलिए प्राचीनकाल के इतिहास की सही-सही जानकारी नहीं मिलती। आज तिथियों को सुनिश्चित करना अत्यंत कठिन कार्य है। इनकी स्पष्टता के लिए इतिहास के समकालीन अभिलेखों, शिलालेखों, कलाकृतियों, इमारतों के अवशेषों, सिक्कों, संस्कृत साहित्य एवं विदेशी यात्रियों के सफ़रनामों आदि साधनों का सहारा लेना पड़ता है।

प्रश्न 21. प्राचीन भारत का पहला इतिहास ग्रंथ किसने, कौन-सा और कब लिखा था?

उत्तर- प्राचीन भारत का पहला इतिहास ग्रंथ कल्हण द्वारा लिखा गया, जिसका नाम ‘राजतरंगिनी’ है। इसकी रचना ईसा की . बारहवीं शताब्दी में की गई थी।

प्रश्न 22. भारत के प्राचीन महाकाव्य महाभारत के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- महाभारत विश्व की प्रमुख रचनाओं में से एक है। यह भारतीय परंपराओं, दंतकथाओं तथा प्राचीन भारत की राजनीतिक तथा सामाजिक संस्थाओं का विश्वकोश माना जाता है। इसमें विरोधी विचारों एवं परंपराओं का अद्भुत मिश्रण है। यद्यपि आर्यों में स्त्रियों के अनेक विवाह की परंपरा नहीं थी तथापि महाभारत में एक नारी के पाँच पतियों को दिखाया गया है। महाभारत में नई परिस्थितियों के अनुसार वैदिक धर्म का संशोधन किया गया। इसके परिणामस्वरूप ही हिंदू धर्म का आरंभ हुआ। महाभारत में समाज की मूलभूत एकता पर बल दिया गया है। महाभारत का युद्ध एकाधिकार स्थापित करने की लड़ाई थी, जिससे एक अखंड भारत की अवधारणा का आरंभ हो सका। महाभारत का एक अंश भगवद्गीता भी है, जिसमें दर्शन के साथ-साथ शासन कला तथा नैतिक सिद्धांतों का भी विवेचन हुआ है। महाभारत में स्पष्ट किया गया है कि धर्म की मज़बूत नींव के बिना सच्चा सुख प्राप्त नहीं हो सकता तथा न ही समाज में एकता की स्थापना की जा सकती है। धर्म का रूप बदलता रहता है। अहिंसा और अच्छे उद्देश्य के लिए किए गए संघर्ष का प्रत्यक्ष रूप में विरोध नहीं किया गया। इस प्रकार महाभारत एक विशद् महाकाव्य है, जिसमें . अनेक विषयों का विस्तृत उल्लेख किया गया है।

प्रश्न 23. महाभारत से प्राप्त प्रमुख शिक्षाओं का सार रूप में उल्लेख कीजिए।

उत्तर- महाभारत एक महान महाकाव्य है, जिसमें जीवन से संबंधित अनेक शिक्षाएँ हैं। उनमें से प्रमुख शिक्षाएँ निम्नलिखित हैं

(1) दूसरों के साथ ऐसा व्यवहार न करें, जिसे हम स्वयं के लिए स्वीकार नहीं करते।
(2)जो कार्य लोक -हित में नहीं है या जिसे करते हुए लज्जा अनुभव हो, उसे कभी न करें।
(3) असंतोष ही प्रगति का प्रेरक है।
(4) सच्चे सुख या आनंद की अनुभूति दुख या कष्ट के बाद ही होती है।
(5) सत्य, आत्म-संयम, अहिंसा, उदारता, धर्म का पालन आदि जीवन में सफलता के मार्ग हैं।
(6) जाति या कुल के बड़ा होने से कोई बड़ा नहीं होता, बल्कि व्यक्ति अपने कर्म से बड़ा होता है।
(7) धन का लालच नहीं करना चाहिए, रेशम का कीड़ा अपने धन के कारण ही मरता है।

प्रश्न 24. ‘भगवद्गीता’ किस ग्रंथ का अंश है और उसकी प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर- ‘भगवद्गीता’ महाभारत का महत्त्वपूर्ण अंश है। इसमें सात सौ श्लोक हैं। यह ग्रंथ भी अपने-आप में पूरा है। यह काव्य रूप में है। भगवद्गीता को हर धर्म एवं संप्रदाय आदर की दृष्टि से देखता है तथा अपने ढंग से इसकी व्याख्या करता है। यह एक ऐसी रचना है जो संकटकाल में मानव का मार्गदर्शन करती है। गीता में धर्म की रक्षा के लिए युद्ध को उचित बताया गया है। जब भी धर्म की हानि होती है तो उसे दूर करने के लिए संघर्ष जरूरी होता है। संपूर्ण भगवद्गीता अर्जुन और श्रीकृष्ण के बीच होने वाले संवाद के रूप में है। इसमें व्यक्ति के कर्त्तव्य, सामाजिक आचरण एवं मानव-जीवन में सदाचार के महत्त्व को दर्शाया गया है। साथ ही भक्ति पर भी बल दिया गया है। गीता में शरीर को नश्वर और आत्मा को अमर बताया गया है।

प्रश्न 25. जातक-कथाओं का उल्लेख कीजिए। ..

उत्तर- जातक-कथाएँ महात्मा बुद्ध के युग से पहले के युग का वर्णन करने वाली कथाएँ हैं। ये कथाएँ उस काल की कथाएँ हैं, जब द्रविड़ और आर्य जातियों का परस्पर मेल हो रहा था। जातक-कथाएँ पुरोहित अथवा ब्राह्मण परंपरा तथा क्षत्रिय या शासक परंपरा के विरोध में लोक-परंपरा का प्रतिनिधित्व करती हैं।

प्रश्न 26. ‘प्राचीन भारत में जीवन और कर्म’ उपशीर्षक में लेखक ने किस विषय का उल्लेख किया है?

उत्तर- लेखक ने ‘प्राचीन भारत में जीवन और कर्म’ उपशीर्षक के अंतर्गत बताया है कि पुरानी कथाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि भारत ने जब भी उन्नति की ओर बढ़ना आरंभ किया तो कोई भी क्षेत्र इससे अछूता न रहा। उसने जीवन के सभी पक्षों में भरपूर उन्नति की है। इसलिए प्राचीन भारत संसार का सर्वश्रेष्ठ देश माना जाता रहा है। भारत ने दस्तकारी उद्योगों, व्यापारी, समुद्री यातायात, विभिन्न लिपियों एवं लिखित स्वरूप, औषध-विज्ञान तथा शल्य-विज्ञान, शिक्षा आदि क्षेत्र में अपार प्रगति की।

प्रश्न 27. प्राचीन भारत के गाँवों के जीवन एवं दशा का वर्णन पठित पाठ के आधार पर कीजिए।

उत्तर- लेखक के अनुसार, प्राचीन भारत में गाँवों ने खूब उन्नति की थी। लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। पूरे उत्पादन का छठा भाग राजा को लगान के रूप में दिया जाता था। वहाँ की सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था गाँव के अनुकूल की जाती थी। सबसे उल्लेखनीय बात है कि ग्राम सभाएँ एक सीमा तक स्वतंत्र थीं। गाँवों को दस-दस या सौ-सौ के समूह में बाँटा जाता था। दस्तकारी उद्योगों के आधार पर गाँवों का विभाजन किया जाता था। यथा बढ़ई एक ही गाँव में या फिर लोहार एक ही गाँव में रहते थे। ये लोग संगठित या सामूहिक रूप से भी कार्य करते थे। पेशेवर लोगों के गाँव बड़े-बड़े नगरों के समीप ही बसे हुए थे।

प्रश्न 28. प्राचीन भारत में समुद्री यातायात पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- प्राचीन भारत में विदेशों से व्यापार समुद्र के मार्ग से ही किया जाता था। समुद्री यात्री रेगिस्तान को पार करके भड़ौच की पश्चिमी बंदरगाह, उत्तर में गांधार एवं मध्य एशिया तथा फ़ारस की खाड़ी तक जाते थे। नदियों के मार्ग से भी यातायात पूर्णतः विकसित था। बनारस, पटना, चंपा आदि से बेड़े समुद्र की ओर जाते थे। वहाँ से व्यापारी एवं अन्य लोग दक्षिणी बंदरगाहों, लंका और मलय टापू तक सौदागर यात्रा करते थे। इन यात्राओं के अनेक उदाहरण हैं।

प्रश्न 29. देवनागरी लिपि का विकास किस लिपि से माना गया है?

उत्तर- देवनागरी लिपि का विकास ब्राह्मी लिपि से माना जाता है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि देवनागरी लिपि की जननी ब्राह्मी लिपि है। ..

प्रश्न 30. पाणिनी कौन था? उसने किस प्रसिद्ध ग्रंथ की रचना किस भाषा में की थी?

उत्तर- पाणिनी संस्कृत का महान विद्वान था। उन्होंने संस्कृत भाषा के प्रसिद्ध व्याकरण ग्रंथ ‘अष्टाध्यायी’ की रचना की थी।

प्रश्न 31. धन्वंतरी किस विज्ञान के जनक माने जाते हैं?

उत्तर- धन्वंतरी भारतीय औषध-विज्ञान के जनक माने जाते हैं।

प्रश्न 32. चरक कौन था? उसकी पुस्तकें किस विषय में रचित हैं?

उत्तर-चरक राजा कनिष्क के दरबार में राजवैद्य थे जिनकी राजधानी पश्चिमोत्तर दिशा में थी। उनकी पाठ्य-पुस्तकों में बहुत-सी बीमारियों का वर्णन है तथा उनकी पहचान और उपाय (इलाज) के तरीके भी बताए गए हैं। इनमें शल्य-चिकित्सा, प्रसूति-विज्ञान, स्नान, पथ्य, सफ़ाई, बच्चों को खिलाने और चिकित्सा की जानकारी दी गई है।

प्रश्न 33. सुश्रुत कौन था? उनके द्वारा रचित पुस्तकों में किन-किन विषयों का उल्लेख किया गया है?

उत्तर- सुश्रुत महान शल्य-चिकित्सक था। उन्होंने चिकित्सा विज्ञान संबंधी पुस्तकों की रचना की। उनकी पुस्तकों में शल्य-क्रिया के औज़ारों के वर्णन के साथ-साथ ऑपरेशन, अंगों को काटना, पेट काटना, ऑपरेशन से बच्चे को जन्म देना, मोतियाबिंद का ऑपरेशन आदि विधियों का उल्लेख किया गया है। इनमें घावों के जीवाणुओं को धुआँ देकर मारने का उल्लेख भी किया गया है।

प्रश्न 34. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने वनों में स्थापित विश्वविद्यालयों के विषय में क्या कहा है?

उत्तर- प्राचीन भारत में अकसर वनों में विश्वविद्यालयों की स्थापना की जाती थी। इन विश्वविद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने हेतु दूर-दूर से लोग आते थे। यहाँ विद्यार्थियों को संयमित एवं ब्रह्मचर्य का जीवन बिताना होता था। यहाँ से प्रशिक्षण प्राप्त करके विद्यार्थी गृहस्थ जीवन बिताने के लिए लौट जाते थे। यहाँ सैनिक-प्रशिक्षण भी दिया जाता था। इन वन शिक्षालयों में अध्यापकों की · अहम भूमिका रहती थी।

प्रश्न 35. तक्षशिला विश्वविद्यालय के विषय में क्या बताया गया है?

उत्तर- तक्षशिला प्राचीन भारत का महान शिक्षा का केंद्र था। यह पुराने पंजाब में पेशावर के पास स्थित था। इसमें विशेष रूप से विज्ञान, चिकित्सा-शास्त्र और विभिन्न कलाओं की शिक्षा दी जाती थी। यहाँ विद्यार्थियों का बहुत सम्मान किया जाता था। महान वैयाकरण पाणिनी ने भी यहीं शिक्षा प्राप्त की थी। किंतु बौद्धकाल में यह बौद्ध-ज्ञान का केंद्र बन गया था। भारत और बाहर के बौद्ध विद्यार्थी यहाँ खिंचे चले आते थे।

प्रश्न 36. प्राचीनकाल के भारतीयों का जीवन कैसा था?

उत्तर- प्राचीनकाल के भारतीय उदार-हृदयीं, आत्मविश्वासी और अपनी परंपराओं पर गर्व करने वाले थे। वे प्रकृति में छुपे रहस्यों को जानने का प्रयास करने में लगे रहते थे। वे अपनी बनाई हुई मर्यादाओं और जीवन-मूल्यों का आदर करते थे। उनका जीवन सरल, सहज और आनंद से परिपूर्ण था। वे सदा कर्म में लीन रहते थे तथा मृत्यु का सामना करने में सक्षम थे।

प्रश्न 37. जैन धर्म, बौद्ध धर्म और वैदिक धर्म में क्या अंतर था?

उत्तर- जैन धर्म और बौद्ध धर्म दोनों वैदिक धर्म से अलग हुए धर्म थे। ये धर्म वेदों को प्रमाण-स्वरूप स्वीकार नहीं करते थे। जैन धर्म और बौद्ध धर्म दोनों ही अहिंसा पर बल देने वाले थे। दोनों ने ब्रह्मचारियों और भिक्षुओं एवं पुरोहितों के संघ बनाए हुए थे। दोनों धर्म यथार्थवादी थे। उनका दृष्टिकोण कुछ सीमा तक बुद्धिवादी था। जैन धर्म का एक मूलाधार सिद्धांत यह था कि सत्य हमारे दृष्टिकोण की सापेक्षता में होता है। जैन धर्म जीवन में तपस्या पर बल देता है। बौद्ध धर्म आध्यात्मिकवाद और अलौकिक चमत्कारों का वर्णन करता था। जैन धर्म जाति-व्यवस्था के प्रति सहिष्ण था, जबकि बौद्ध धर्म जाति-व्यवस्था का खंडन करता था।

प्रश्न 38. महात्मा बुद्ध की प्रमुख शिक्षाओं पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- महात्मा बुद्ध की प्रमुख शिक्षाएँ निम्नलिखित हैं

(1) महात्मा बुद्ध ने अंधविश्वास और कर्मकांड का खंडन किया था।
(2) उन्होंने अपने शिष्यों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए कहा था।
(3) उनका विश्वास कल्पना की अपेक्षा अनुभव और विवेक पर आधारित था।
(4) उन्होंने जाति-व्यवस्था को स्वीकार नहीं किया था।
(5) वे घृणा को प्रेम से, क्रोध को दया से और शत्रुता को क्षमा से समाप्त करना चाहते थे।
(6) उन्होंने मन के भीतर के सत्य को खोजने पर बल दिया।
(7) उनकी शिक्षाओं में वेदना और दुख का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
(8) उन्होंने साधना के लिए मध्य मार्ग अपनाया था।

प्रश्न 39. चाणक्य कौन था? उसका दूसरा नाम क्या था?

उत्तर- चाणक्य मूल रूप से मगध का रहने वाला था। उसे वहाँ के तत्कालीन सम्राट ने अपने राज्य से निकाल दिया था। वह चंद्रगुप्त मौर्य का मित्र एवं मंत्री था। उसका दूसरा नाम कौटिल्य था।

प्रश्न 40. कौटिल्य के अर्थशास्त्र में किन-किन विषयों का वर्णन किया गया है? सार रूप में लिखिए।

उत्तर-  कौटिल्य का अर्थशास्त्र उस समय का महान ग्रंथ है। इस ग्रंथ में शासन के सिद्धांत, व्यवहार, चंद्रगुप्त की सेना, व्यापार और वाणिज्य, कानून और न्यायालय, नगर-व्यवस्था, लगान, विवाह और तलाक, स्त्रियों के अधिकार, कर, विभिन्न उद्योग-धंधे, जहाज़ और जहाज़रानी, निगमें, जन-गणना, जेल, विधवा-विवाह आदि का वर्णन हुआ है।

प्रश्न 41. कलिंग के युद्ध के पश्चात् सम्राट अशोक का मन क्यों बदल गया था?

उत्तर- कलिंग के युद्ध में सम्राट अशोक विजयी हुआ था। युद्ध में घोर कत्लेआम हुआ था। अनेक निर्दोष लोगों की मौत से , अशोक के मन में बहुत पछतावा हुआ। इस युद्ध से उनके मन में युद्ध के प्रति विरक्ति हो गई। उन्होंने कभी भी युद्ध न लड़ने की प्रतिज्ञा की। उन पर बुद्ध की शिक्षाओं का गहरा असर पड़ा। उन्होंने अपने मन में धारणा बना ली थी कि वे दया और कर्त्तव्य की भावना से ही लोगों के मन को जीतेंगे। इस प्रकार सम्राट अशोक का मन बदल गया था।

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Chapter 2 तलाश ncert solution hindi | class 8th

NCERT Solutions For Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 2 – तलाश

NCERT Solutions For Class 8 Hindi (Bharat Ki Khoj ) Chapter 2. तलाश – हर विद्यार्थी का सपना होता है कि वे अपनी कक्षा में अच्छे अंक से पास हो ,ताकि उन्हें आगे एडमिशन या किसी नौकरी के लिए फॉर्म अप्लाई करने में कोई दिक्कत न आए . जो विद्यार्थी आठवीं कक्षा में पढ़ रहे है उनके लिए यहां पर एनसीईआरटी कक्षा 8 हिंदी भारत की खोज अध्याय 2 ( तलाश) के लिए सलूशन दिया गया है.जोकि एक सरल भाषा में दिया है .क्योंकि किताब से कई बार विद्यार्थी को प्रश्न समझ में नही आते .इसलिए यहाँ NCERT Solutions for class 8 hindi bharat ki khoj chapter 2 talaash दिया गया है वह आसन भाषा में दिया है .ताकि विद्यार्थी को पढने में कोई दिक्कत न आए . इसकी मदद से आप अपनी परीक्षा में अछे अंक प्राप्त कर सकते है. इसलिए आप भारत की खोज Ch 2 तलाश के प्रश्न उत्तरों ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे

पाठ संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. भारत की अमरता के विषय में नेहरू जी के मन में कौन-से प्रश्न उभरते थे?

उत्तर- नेहरू जी भारत की अमरता से पूर्ण रूप से अभिभूत थे। उनके मन में निम्नलिखित प्रश्न उभरते थे-

आखिर यह भारत है क्या? अतीत में वह किस विशेषता का प्रतिनिधित्व करता था? उसने अपनी प्राचीन शक्ति को कैसे खो दिया? आज उसके पास ऐसा क्या बचा है, जिसे मज़बूत कहा जा सके तथा आधुनिक विश्व में उसका तालमेल कैसे बैठ सकता है?

प्रश्न 2. लेखक ने सिंधु घाटी की सभ्यता मोहनजोदड़ो के विषय में क्या बताया था?

उत्तर- लेखक भारत के वर्तमान को समझने के लिए उसके अतीत को जानना चाहता था। इसी दृष्टि से उसने सिंधु घाटी की सभ्यता का अध्ययन किया। उसने इसके विषय में कहा कि पाँच हजार वर्ष पूर्व निर्मित होने वाली यहाँ की सभ्यता पूर्ण विकसित थी तथा यही भारत की आधुनिक सभ्यता का आधार भी थी। यहाँ की संस्कृति एवं सभ्यता सदैव परिवर्तनशील एवं विकासशील रही है। दूसरी संस्कृतियों एवं सभ्यताओं का संपर्क भी यहाँ की संस्कृति और सभ्यता को हिला नहीं सका।

प्रश्न 3. नेहरू जी के अनुसार भारत में आए विदेशी यात्रियों एवं विदेशी साहित्य के अध्ययन की क्या आवश्यकता है?

उत्तर- नेहरू जी के अनुसार भारत में आए विदेशी यात्रियों एवं अन्य विदेशी लोगों के साहित्य के अध्ययन की आवश्यकता इसलिए है, ताकि हम उनके द्वारा बताई गई भारत की विशेषताओं को जान सकें।

प्रश्न 4. नेहरू जी कुंभ के स्नान-पर्व पर हैरान क्यों हुए थे?

उत्तर- नेहरू जी को कुंभ के स्नान-पर्व को देखकर यह हैरानी होती थी कि यह पर्व सदियों से बराबर चला आ रहा है। इतने वर्षों से गंगा स्नान का महत्त्व बना हुआ है। भारत की न जाने कितनी पीढ़ियों का इस नदी के साथ निरंतर लगाव बना हुआ है। हज़ारों वर्षों से भारत के कोने-कोने से लोग यहाँ स्नान करने जाते हैं। आज भी यह आस्था एवं विश्वास गंगा के प्रति बनी हुई है।

प्रश्न 5. ‘भारत के अतीत की झाँकी’ शीर्षक के अन्त में नेहरू जी ने क्या निष्कर्ष निकाला है?

उत्तर- भारत के अतीत के अध्ययन से पंडित जवाहरलाल नेहरू बहुत ही प्रभावित हुए थे। वे इसके अध्ययन के पश्चात् इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि भारत की सभ्यता और संस्कृति चाहे कितनी ही प्राचीन क्यों न हो, किंतु उसका महत्त्व आज भी बना हुआ है। आधुनिक भारत की नींव का आधार भारत की प्राचीन संस्कृति ही है।

प्रश्न 6. लेखक के अनुसार भारत की शक्ति क्या है और उस शक्ति का पतन कब हुआ?

उत्तर- लेखक ने भारत की शक्ति उसके प्राचीन और नवीन के मध्य सामंजस्य स्थापना की तीव्र इच्छा को माना है जिसके कारण वह पुराने विचारों को सुरक्षित रख सकने के साथ-साथ नए विचारों को भी अपना सका। तकनीकी दौड़ में पिछड़ने के कारण ही भारत की शक्ति का पतन हुआ। मानसिक जड़ता और निराशा के कारण ही भारत के लोग अपने प्राचीन विचारों का महत्त्व भूल गए और नए विचारों को अपना नहीं सके। इसलिए भारत की शक्ति का पतन हुआ।

प्रश्न 7. ‘भारत की तलाश’ में लेखक ने किसे भारत की वह शक्ति बताया जो विदेशी शासक को चुनौती दे सकती है?

उत्तर-‘भारत की तलाश’ में लेखक भारतवासियों के विषय में जानकारी प्राप्त कर रहा था, ताकि समय आने पर वह भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष का नेतृत्व कर सके। सर्वप्रथम लेखक ने मध्यवर्ग के लोगों की ओर देखा। लेखक को लगा कि मध्यवर्ग वह वर्ग है जो अंग्रेज़ी सरकार द्वारा बनाए गए ढाँचे की उपज है। उनमें वह शक्ति एवं दृढ़ निश्चय नहीं, जो विदेशी सरकार को उखाड़ फेंके। वे अपने स्वार्थों से चिपके हुए होते हैं। फिर लेखक की दृष्टि ग्रामीण लोगों पर पड़ी। उनमें उन्हें ऐसा कुछ अनुभव हुआ जो मध्यवर्ग में नहीं था। इनमें लेखक को अपनी उम्मीद से भी अधिक मिला। उनमें वह दृढ़ता और आंतरिक शक्ति थी जो अंग्रेज़ी साम्राज्य को चुनौती दे सकती थी। कहने का तात्पर्य है कि नेहरू जी ने साधारण ग्रामीण जनता को वह शक्ति कहा जो भारत के राष्ट्रीय संघर्ष का आधार बन सकती थी।

प्रश्न 8. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत माता के स्वरूप को किन शब्दों में स्पष्ट किया?

उत्तर- पंडित जवाहरलाल नेहरू किसी भी सभा में जाते तो वहाँ उनके स्वागत में लोग ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते। नेहरू जी ने जब भारत माता के विषय में प्रश्न किया तो वे सब एक-दूसरे के मुँह की ओर देखने लगे। तब नेहरू जी ने कहा कि भारत माता भारत की मिट्टी, नदियाँ, पहाड़, जंगल, खेत और भारत की जनता ही है। भारत माता के स्वरूप में यहाँ रहने वाले सभी लोग आ जाते हैं। हिमालय से कन्याकुमारी तक, पूर्व से पश्चिम तथा उत्तर से दक्षिण तक की सीमाओं में आबद्ध यह पूरा देश भारत माता है।

प्रश्न 9. पठित पाठ के आधार पर बताइए कि भारत की विविधता कौन-कौन सी है और उनके रहते हुए भारत की एकता कैसे है?

उत्तर- पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश के विभिन्न भागों में जाकर देखा तो उन्हें लगा कि भारत में अनेक विविधताएँ साक्षात् रूप में विद्यमान हैं। यहाँ के लोगों के जीवन में यह विविधता सर्वत्र देखी जा सकती है। उनके रहन-सहन, खान-पान, वेशभूषा, भाषा, धर्म आदि में यह विविधता स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। भारत की भौगोलिक स्थिति में उसकी विविधता छुपी हुई नहीं है। कहीं बर्फ से ढका प्रदेश है तो कहीं तपता रेगिस्तान है। कहीं अत्यधिक वर्षा होती है तो कहीं एक-एक बूंद के लिए लोग तरसते हैं। इतनी विविधता होते हुए भी भारत एक है। उसकी एकता के सूत्र उसकी संस्कृति एवं सभ्यता में देखे जा सकते हैं। यहाँ विचारों की एकता ही उसकी एकता का मज़बूत आधार है।

प्रश्न 10. भारत की जन संस्कृति लेखक को कहाँ दिखाई पड़ी थी?

उत्तर- लेखक भारतीय संस्कृति के प्रति आस्थावान रहा है। उसके विविध रूपों को देखने की उनके मन में तीव्र इच्छा रही है। उन्हें भारत की जन संस्कृति के दर्शन यहाँ के रामायण एवं महाभारत तथा अन्य महान ग्रंथों में हुए। रामायण एवं महाभारत का प्रभाव देश के कोने-कोने में है। इन ग्रंथों के अनुवाद अनेक भाषाओं में हुए हैं। उन्हें विविध भाषाओं के माध्यम से मंच पर भी दिखाया गया है। अशिक्षित व्यक्ति भी इनका आनंद लेते हैं। रामायण की चौपाइयों को अनपढ़ व्यक्ति कंठस्थ ही नहीं करते, अपितु अवसर पड़ने पर प्रमाण-स्वरूप उन्हें प्रस्तुत भी करते हैं। गरीब होते हुए ग्रामीण उन्हें अपनी धरोहर के रूप में बनाए हुए हैं। जन-जन में सांस्कृतिक विरासत सुरक्षित है।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. भारत के अतीत की झाँकी’ शीर्षक पाठ में लेखक ने भारत के किस काल-इतिहास का वर्णन किया है?

(A) वर्तमानकाल का
(B) भविष्यकाल का
(C) अतीतकाल का
(D) उपरोक्त में से किसी का
उत्तर- (C) अतीतकाल का

2. लेखक भारत के अतीत के इतिहास में किस रास्ते से पहुंचा था?

(A) पूर्व से .
(B) पश्चिम से
(C) दक्षिण से
(D) उत्तर से
उत्तर-(B) पश्चिम से

3. लेखक किसे खारिज करने का साहस कर रहा था?

(A) अतीत की विरासत को .
(B) भारत के इतिहास को
(C) यहाँ के लोगों के अटूट विश्वास को
(D) भारत की संस्कृति को
उत्तर-(A) अतीत की विरासत को ।

4. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत के इतिहास को किस दृष्टि से देखा था?

(A) कवि की दृष्टि से
(B) आलोचक की दृष्टि से
(C) इतिहासकार की दृष्टि से
(D) दर्शनशास्त्री की दृष्टि से
उत्तर- (B) आलोचक की दृष्टि से .

5. लेखक ने सिंधु घाटी सभ्यता को कितनी पुरानी बताया है?

(A) एक हज़ार वर्ष
(B) दो हज़ार वर्ष
(C) तीन हज़ार वर्ष
(D) पाँच हजार वर्ष
उत्तर- (D) पाँच हज़ार वर्ष

6. भारत का नाम ‘इंडिया’ या ‘हिंदुस्तान’ किस नदी के नाम के आधार पर पड़ा है?

(A) ब्रह्मपुत्र
(B) गंगा
(C) सिंधु
(D) यमुना
उत्तर- (C) सिंधु

7. कुंभ का स्नान किस नदी में किया जाता है?

(A) यमुना
(B) गंगा
(C) सिंधु
(D) ब्रह्मपुत्र
उत्तर- (B) गंगा

8. किस राजा ने अपने राज्यकाल में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया था?

(A) अकबर ने
(B) जयसिंह ने
(C) सम्राट अशोक ने
(D) चन्द्रगुप्त ने
उत्तर- (C) सम्राट अशोक ने

9. लेखक ने यूरोप के देशों के आगे निकलने का क्या कारण बताया?

(A) तकनीकी उन्नति
(B) धन की प्राप्ति
(C) विद्या का प्रचार-प्रसार
(D) मानवीय ताकत
उत्तर- (A) तकनीकी उन्नति

10. लेखक ने वर्तमान भारत का आधार किसे बताया है?

(A) यहाँ की जनता को
(B) प्राकृतिक साधनों को
(C) प्राचीन संस्कृति को .
(D) धर्म को
उत्तर- (C) प्राचीन संस्कृति को ।

11. यूरोप ने शक्ति प्राप्त करके क्या किया?

(A) अहंकारी बन गया
(B) आपस में लड़ने लगा
(C) एशिया के देशों पर अधिकार करना चाहा
(D) धन बटोरने लगा
उत्तर- (C) एशिया के देशों पर अधिकार करना चाहा

12. भारतीयों ने किस संकीर्ण धारणा को अपनाया था?

(A) महासागरों को पार न करना
(B) विदेशी शिक्षा को ग्रहण न करना
(C) जाति-पाति के भेदभाव को मानना
(D) बाल-विवाह
उत्तर- (A) महासागरों को पार न करना

13. भारत की संस्कृति की सबसे महान विशेषता क्या बताई गई है?

(A) प्राचीनता
(B) विशालता
(C) सामंजस्य
(D) प्रदर्शनप्रियता
उत्तर- (C) सामंजस्य

14. अंग्रेज़ी शासन में भारतीय समाज का कौन-सा वर्ग आधुनिकता की ओर बढ़ना चाहता था?

(A) निम्न वर्ग
(B) मध्य वर्ग
(C) निम्न मध्य वर्ग
(D) उच्च वर्ग
उत्तर- (B) मध्य वर्ग
.

15. भारत के वास्तविक जीवन-मूल्य नेहरू जी को कहाँ दिखाई दिए थे?

(A) मध्य वर्ग में
(B) उच्च वर्ग में
(C) नगरों में
(D) गाँवों में
उत्तर- (D) गाँवों में

16. भारत का नाम किस राजा के नाम पर रखा गया था?

(A) दुष्यंत
(B) भरत
(C) दशरथ
(D)अशोक
उत्तर- (B) भरत

17. नगरों के श्रोता कैसा भाषण सुनना चाहते थे?

(A) मधुर
(B) कर्कश
(C) दमदार
(D) उत्तेजक
उत्तर- (C) दमदार

18. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किसे भारत माता कहा था?

(A) भारत की सारी जनता को
(B) भारत के नगरों को
(C) भारत के गाँवों को ।
D) भारत के पशु-पक्षियों को
उत्तर- (A) भारत की सारी जनता को

19. एक किसान ने भारत माता किसे कहा है?

(A) धरती को
(B) जल को
(C) जंगलों को
(D) नारियों को
उत्तर- (A) धरती को

20. विभिन्न सभाओं में नेहरू जी का स्वागत लोग किस नारे से करते थे?

(A) भारत अमर रहे
(B) भारत माता की जय हो
(C) पंडित नेहरू जिंदाबाद
(D) पंडित जवाहरलाल नेहरू अमर रहे
उत्तर- (B) भारत माता की जय हो

21. भारतीयों की किस विशेषता को बड़े-से-बड़ा दुर्भाग्य भी मिटा न सका था?

(A) विनम्रता को
(B) घमण्डीपन को
(C) विद्वत्ता को
(D) परिश्रमी को
उत्तर- (A) विनम्रता को

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Chapter 1 अहमदनगर का किला ncert solution hindi | class 8th

NCERT Solutions For Class 8 Hindi Chapter 1 अहमदनगर का किला

NCERT Solutions For Class 8 Hindi (Bharat Ki Khoj ) Chapter 1. अहमदनगर का किला– जो उम्मीदवार आठवी कक्षा में पढ़ रहे है उन्हें अहमदनगर का किला के बारे में पता होना बहुत जरूरी है .अहमदनगर का किला कक्षा 8 के हिंदी के अंतर्गत आता है. इसके बारे में 8th कक्षा के एग्जाम में काफी प्रश्न पूछे जाते है .इसलिए यहां पर हमने एनसीईआरटी कक्षा 8th हिंदी भारत की खोज अध्याय 1 (अहमदनगर का किला ) का सलूशन दिया गया है .इस NCERT Solutions For Class 8 Hindi Chapter 1. Ahmednagar ka Kila की मदद से विद्यार्थी अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकता है और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है. इसलिए आप Ch.1 अहमदनगर का किला के प्रश्न उत्तरों ध्यान से पढिए ,यह आपके लिए फायदेमंद होंगे.

अभ्यास के प्रश्न

प्रश्न 1. जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्रता आंदोलन के समय कितनी बार जेल गए थे और अहमदनगर के किले में वे कितने महीने बंदी रहे थे?

उत्तर- जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्रता आंदोलन के समय कुल नौ बार जेल गए थे। वे अहमदनगर के किले में बीस महीने से भी अधिक समय तक बंदी रहे थे।

प्रश्न 2. अहमदनगर के किले में रहते हुए नेहरू जी ने कौन-सा कार्य आरंभ किया था?

उत्तर- अहमदनगर के किले में रहते हुए नेहरू जी ने बागवानी का कार्य आरंभ किया था। उन्होंने तपती धूप में भी कड़ी मेहनत करके फूलों की क्यारियाँ बनाई थीं। उन्होंने पथरीली धरती को खोद-खोदकर उपजाऊ बना दिया था।

प्रश्न 3. अहमदनगर के किले के साथ कौन-सी ऐतिहासिक घटना जुड़ी हुई है?

उत्तर- अहमदनगर के किले के साथ एक सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक घटना जुड़ी हुई है। इस किले के साथ चाँद बीबी की बहादुरी एवं उसकी मृत्यु की घटना जुड़ी हुई है। चाँद बीबी ने स्वयं तलवार उठाकर अकबर की शाही सेना का मुकाबला करके इस किले की सुरक्षा की थी। किंतु अंत में चाँद बीबी की हत्या उसके अपने ही एक आदमी ने कर दी थी।

प्रश्न 4. लेखक को खुदाई में क्या मिला और उसे यह कार्य क्यों रोक देना पड़ा? ।

उत्तर- लेखक को क्यारियों के लिए खुदाई करते हुए ज़मीन.की सतह के बहुत नीचे दबे हुए प्राचीन दीवारों के हिस्से मिले। उन्हें कुछ गुंबदों तथा इमारतों के ऊपरी हिस्से भी दिखाई दिए। वे और अधिक खुदाई करना चाहते थे, किंतु उनके पास अच्छे औज़ार नहीं थे। साथ ही जेल के अधिकारियों ने उन्हें इस कार्य की अनुमति नहीं दी थी। फलस्वरूप नेहरू जी को कार्य रोकना पड़ा था।

प्रश्न 5. कुदाल छोड़कर नेहरू जी ने क्या करना आरंभ किया?

उत्तर- नेहरू जी अपना समय कभी भी व्यर्थ नहीं गँवाते थे। जब उन्हें जेल के अधिकारियों ने खुदाई के कार्य की अनुमति नहीं दी, तो उन्होंने कुदाल छोड़कर कलम उठा ली और लिखने का कार्य आरंभ कर दिया। उन्होंने जो कुछ अनुभव किया था, उसे. वे शब्दों में उतार देना चाहते थे। .

प्रश्न 6. ‘अतीत का दबाव’ से क्या अभिप्राय है?

उत्तर- अतीत के दबाव से अभिप्राय-अपने बीते हुए समय, अपनी परंपराओं, सभ्यता एवं संस्कृति का अपने ऊपर पड़ने वाला प्रभाव है। इसे हम अपनी विरासत भी कहते हैं, जिसे हम अपने हज़ारों वर्ष के लंबे समय से प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 7. लेखक ने क्या लिखने के लिए अपनी कलम उठाई थी?

उत्तर- लेखक भारतवर्ष के अतीत के विषय में लिखना चाहता है, जिससे हमारा वर्तमान सही हो सके। लेखक का दृढ़ विश्वास है कि हमारी विरासत में कोई खास बात है जो अद्भुत या अनोखी न होकर भी हमारे जीवन में समाई हुई है, जिससे हमारा वर्तमान बना है और भविष्य उज्ज्वल बनने की संभावना है।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. पंडित जवाहरलाल नेहरू की अहमदनगर के किले की कौन-सी जेलयात्रा थी?

(A) आठवीं
(B) नौवीं
(C) दसवीं
(D) ग्यारहवीं
उत्तर- (B) नौवीं

2. अहमदनगर के किले में लेखक का अँधियारे आकाश में स्वागत किसने किया?

(A) अंग्रेज़ अधिकारी ने
(B) भारतीय जनता ने
(C) अन्य कैदियों ने
(D) दूज के चाँद ने
उत्तर- (D) दूज के चाँद ने

3. चाँद लेखक को क्या याद दिलाता रहा है?

(A) देश को आजाद करवाना
(B) उसे लौटकर घर जाना है
(C) अंधेरे के बाद उजाला होता है
(D) दुख से डरना नहीं चाहिए
उत्तर- (C) अंधेरे के बाद उजाला होता है

4. लेखक ने अहमदनगर के किले के बंदी जीवन में कौन-सा कार्य आरंभ किया था?

(A) समाचार-पत्र पढ़ने का
(B) बागवानी करने का
(C) साहित्य लिखने का
(D) भाषण देने का
उत्तर- (B) बागवानी करने का

5. अहमदनगर के किले की ऐतिहासिक घटना किस महिला से जुड़ी हुई है?

(A) चाँद बीबी से
(B) रानी लक्ष्मीबाई से
(C) रानी दुर्गावती से
(D) रानी पद्मावती से
उत्तर- (A) चाँद बीबी से

6. चाँद बीबी ने किस मुगल सम्राट की शाही सेना से युद्ध किया था?

(A) अकबर की ।
(B) बाबर की
(C) औरंगज़ेब की
(D) शाहजहाँ की
उत्तर- (A) अकबर की

7. लेखक ने कुदाल छोड़कर अपने हाथ में क्या उठा लिया था?

(A) बंदूक
(B) तलवार
(C) कलम
(D) हल
उत्तर-(C) कलम

8. कौन-सा दबाव दम घोट होता है?

(A) वर्तमान का
(B) अतीत का
(C) भविष्य का
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर- (B) अतीत का

9. लेखक को लिखने में कौन-सी कठिनाई भयभीत करती है?

(A) कलम चलाने की
(B) विषय की जटिलता की
(C) समय पर उठने की
(D) विषय पर चिंतन की
उत्तर- (B) विषय की जटिलता की

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Chapter 18 टोपी ncert solution hindi | class 8th

NCERT Solutions for Class 8th: पाठ 18 – टोपी हिंदी वसंत भाग- III

प्रश्न अभ्यास

कहानी से

1. गवरइया और गवरा के बीच किस बात पर बहस हुई और गवरइया को अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर कैसे मिला?

उत्तर

गवरइया और गवरा के बीच आदमी के कपड़े पहनने को लेकर बहस हुई। गवरइया को आदमी द्वारा रंग-बिरंगे कपड़े पहनना अच्छा लग रहा था जबकि गवरा का कहना था कि कपड़ा पहन लेने के बाद आदमी और बदसूरत लगने लगता है। उसका यह भी कहना था कि कपड़े पहन लेने के बाद आदमी की कुदरती ख़ूबसूरती ढँक जाती है।
गवरइया का मन हमेशा टोपी पहनने को करता था। एक दिन घूरे पर चुगते-चुगते उसे रुई का एक फाहा मिल गया। इसी से उसकी टोपी बनने की इच्छा पूरी होने का अवसर मिल गया।

3. टोपी बनवाने के लिए गवरइया किस किस के पास गई ? टोपी बनने तक के एक-एक कार्य लिखें।

उत्तर

टोपी बनवाने के लिए गवरइया सबसे पहले धुनिया के पास गई। उससे रुई धुनवा कर वह उसे लेकर कोरी के पास जा पहुँची। उसे कोरी से कतवा लिया। कते सूत को लेकर वह बुनकर के पास गई। उस कते सूत से उसने बुनकर से कपड़ा बुनवाया। कपड़े को लेकर वह दर्जी के पास गई। उसने उस कपड़े से दो सुन्दर सी टोपियाँ सिल दीं। एक टोपी अपने पास रखकर दूसरी टोपी गवरइया को दे दी। इस प्रकार गवरइया की टोपी तैयार हो गई।

4. गवरइया की टोपी पर दर्जी ने पाँच फुँदने क्यों जड़ दिए?

उत्तर

दर्जी राजा औए उसके सेवकों के कपड़े सिलता था जो उसे बेगार करवाते थे। लेकिन गवरइया ने अपनी टोपी सिलवाने के बदले में दर्जी को मजदूरीस्वरूप आधा कपडा दिया जिससे खुश होकर दर्जी ने गवरइया की टोपी पर पांच फुँदने जड़ दिए।

पृष्ठ संख्या: 125

3. गवरइया के स्वभाव से यह प्रमाणित होता है कि कार्य की सफलता के लिए उत्साह आवश्यक है। सफलता के लिए उत्साह की आवश्यकता क्यों पड़ती है, तर्क सहित लिखिए।

उत्तर

किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए मन में उत्साह होना आवश्यक है। उत्साह से ही हमारे मन में किसी भी कार्य के प्रति जागरूकता उत्पन्न होती है। यदि हम किसी भी कार्य को बेमन से करेंगे तो निश्चय ही हमें उस कार्य में सफलता नहीं मिलेगी। कोई न कोई कमी ज़रूर रह जाएगी।

पृष्ठ संख्या: 126

2. मुहावरों के प्रयोग से भाषा आकर्षक बनती है। मुहावरे वाक्य के अंग होकर प्रयुक्त होते हैं। इनका अक्षरशः अर्थ नहीं बल्कि लाक्षणिक अर्थ लिया जाता है। पाठ में अनेक मुहावरे आए हैं। टोपी को लेकर तीन मुहावरे हैं; जैसे – कितनों को टोपी पहनानी पड़ती है। शेष मुहावरों को खोजिए और उनका अर्थ ज्ञात करने का प्रयास कीजिए।

उत्तर

(1) टोपी उछालना :- (इज़्ज़त उछालना) एक गलत काम करने से आदमी की टोपी उछलते देर नहीं लगती। (2) टोपी से ढ़ँक लेना :- (इज्ज़त ढ़क लेना) अपने घर की बात को टोपी से ढ़ँक लेना ही अच्छा है

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Chapter 17 बाज और साँप ncert solution hindi | class8th

NCERT Solutions for Class 8th: पाठ 17 – बाज और साँप हिंदी वसंत- III

पृष्ठ संख्या: 114

प्रश्न अभ्यास

कहानी से

1. घायल होने के बाद भी बाज ने यह क्यों कहा, “मुझे कोई शिकायत नहीं है?” विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर 

घायल होने के बाद भी बाज ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उसने अपनी ज़िंदगी को भरपूर भोगा। वह असीम आकाश में जी भरकर उड़ान भर चुका था। जब तक उसके शरीर में ताकत रही तब तक ऐसा कोई सुख नहीं बचा जिसे उसने न भोगा हो। वह अपने जीवन से पूर्णतः संतुष्ट था।

2. बाज ज़िंदगी भर आकाश में ही उड़ता रहा, फिर घायल होने के बाद भी वह उड़ना क्यों चाहता था ?

उत्तर

बाज ज़िंदगी भर आकाश में उड़ता रहा, उसने आकाश की असीम ऊँचाइयों को अपने पंखों से नापा। बाज साहसी था। अतः कायर की मौत नहीं मरना चाहता था। वह अंतिम क्षण तक संघर्ष करना चाहता था। वह मरने से पहले अंतिम बार आकाश में उड़ लेना चाहता था। अतः उसने इसके लिए एक अंतिम प्रयास किया भले ही वह असफल हो गया। एक और कारण यह भी है कि साँप के गुफा से भयानक दुर्गंध आ रहा था जिससे उसका दम घुट रहा था।

3. साँप उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता था। फिर भी उसने उड़ने की कोशिश क्यों की ?

उत्तर

साँप उड़ने कि इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता था। उसके लिए उड़ान और रेंगने में कोई अंतर न था। पर जब उसने बाज के मन में आकाश में उड़ने के लिए तड़प देखी तब साँप को भी लगा कि इस आकाश के रहस्य का पता लगाना ही चाहिए। तब उसने भी आकाश में एक बार उड़ने की कोशिश करने का निश्चय किया।

4. बाज के लिए लहरों ने गीत क्यों गाया था ?

उत्तर

बाज के साहसी, वीरता, एवं स्वतंत्रता-प्रिय रूप को सम्मान देने के लिए लहरों ने गीत गाया था। वह साहसी और बहादूर था। उसने अपने प्राण गँवा दिए परन्तु ज़िंदगी के खतरे का सामना करने से पीछे नहीं हटा।

5. घायल बाज को देखकर साँप खुश क्यों हुआ होगा ?

उत्तर

साँप का शत्रु बाज है चूँकि वो उसका आहार होता है इसलिए घायल बाज को देखकर साँप के लिए खुश होना स्वाभाविक था।

कहानी से आगे

4. मानव ने भी हमेशा पक्षियों की तरह उड़ने की इच्छा मन में रखी है। मनुष्य की इस इच्छा का परिणाम क्या हुआ ? आज मनुष्य उड़ने की इच्छा किन साधनों से पूरी करता है ?

उत्तर

मानव ने भी पक्षियों की तरह उड़ने की इच्छा अपने मन में सँजो कर रखी है। जिसका परिणाम यह हुआ कि मनुष्य हवाई जहाज का आविष्कार कर दिखाया। आज मनुष्य अपने उड़ने की इच्छा की पूर्ति हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर, गैस-बैलून आदि से करता है।

पृष्ठ संख्या: 115

भाषा की बात

1. कहानी में से अपनी पसंद के पाँच मुहावरे चुनकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

उत्तर

(1) भाँप लेना –दादाजी की गिरती साँसें देखकर माता जी ने स्थिति भाँप ली व तुरन्त डाक्टर को बुलवा लिया।
(2) हिम्मत बाँधना –पुलिस के आने पर ही घर के लोगों की हिम्मत बँधी।
(3) अंतिम साँस गिनना –रोगी अस्पताल के बिस्तर पर अंतिम साँसें गिन रहा है।
(4) मन में आशा जागना-किशन की वीरतापूर्ण बातों ने मेरे मन में आशा जगा दी।
(5) प्राण हथेली में रखना-गौरव ने प्रथा की जान बचाने के लिए अपने प्राणों को हथेली में रख दिया।

2. ‘आरामदेह ‘ शब्द में ‘देह’ प्रत्यय है। ‘देह’ ‘देनेवाला’ के अर्थ में प्रयुक्त होता है। देने वाला के अर्थ में ‘द’, ‘पद’, ‘दाता’, ‘दाई’, आदि का प्रयोग भी होता है, जैसे- सुखद, सुखदाता, सुखदाई, सुखप्रद। उपर्युक्त समानार्थी प्रत्ययों को लेकर दो-दो शब्द बनाइए।

उत्तर

प्रत्ययशब्द
द-सुखद, दुखद
दाता-परामर्शदाता, सुखदाता
दाई-सुखदाई, दुखदाई
देह-विश्रामदेह, लाभदेह, आरामदेह
प्रद-लाभप्रद, हानिप्रद, शिक्षाप्रद
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Chapter 16 पानी की कहानी ncert solution hindi | class 8th

NCERT Solutions for Class 8th: पाठ 16 – पानी की कहानी हिंदी वसंत भाग-III

पृष्ठ संख्या: 103

प्रश्न अभ्यास

पाठ से

1. लेखक को ओस की बूँद कहाँ मिली ?

उत्तर

लेखक को बेर की झाड़ी पर ओस की बूँद मिली। जब लेखक झाड़ी के नीचे से गुजर रहा था तो ओस की बूँद उसके कलाई पर गिरी और सरककर हथेली पर आ गई।

2. ओस की बूँद क्रोध और घृणा से क्यों काँप उठी?

उत्तर

पेड़ों द्वारा जल की बूँदों को बलपूर्वक धरती के भूगर्भ से खींच लाना व उनको खा जाना, अर्थात् पौधें ज़मीन से जल प्राप्त कर स्वंय के लिए पानी का प्रबंध करते हैं व कुछ को पृथ्वी के भूगर्भ से बाहर निकाल कर पृथ्वी पर ओस के रूप में ले आते हैं। जिसे याद करते ही बूँद क्रोध व घृणा से काँपने उठी।

3. हाईड्रोजन और ऑक्सीजन को पानी ने अपना पूर्वज/पुरखा क्यों कहा?

उत्तर

जब ब्रह्मांड में पृथ्वी व उसके साथी ग्रहों का उद्भव भी नहीं हुआ था तब ब्रह्मांड में हाईड्रोजन व ऑक्सीजन दो गैसें सूर्यमंडल में लपटों के रूप में विद्यमान थीं। किसी उल्कापिंड के सूर्य से टकराने से सूर्य के टूकड़े हो गए उन्हीं टूकड़ों में से एक टुकड़ा पृथ्वी रूप में उत्पन्न हुआ और इसी ग्रह में ऑक्सीजन व हाइड्रोजन के बीच रासायनिक क्रिया हुई। इन्होंने आपस में मिलकर अपना प्रत्यक्ष अस्तित्व गँवा कर पानी को जन्म दिया। इसिलए बूँद ने इन दोनों को अपना पूर्वज कहा है।

4. “पानी की कहानी” के आधार पर पानी के जन्म और जीवन-यात्रा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर

पानी का जन्म हाइड्रोजन व ऑक्सीजन के बीच रासायनिक प्रक्रिया द्वारा होता है। ये दोनों आपस में मिलकर अपना आस्तित्व समाप्त कर जल के रूप में विद्यमान हो जाते हैं। सर्वप्रथम बूंद भाप के रूप में पृथ्वी के वातावरण में ईद-गिर्द घूमती रहती है, तद् पश्चात् ठोस बर्फ के रूप में विद्यमान हो जाती है। समुद्र से होती हुई वह गर्म-धारा से मिलकर ठोस रूप को त्यागकर जल का रूप धारण कर लेती है।

5. कहानी के अंत और आरंभ के हिस्से को स्वंय पढ़कर देखिए और बताइए कि ओस की बूँद लेखक को आपबीती सुनाते हुए किसकी प्रतीक्षा कर रही थी?

उत्तर

ओस की बूँद सूर्य उदय की प्रतीक्षा कर रही थी।

पृष्ठ संख्या: 104

भाषा की बात

1. किसी भी क्रिया को संपन्न अथवा पूरा करने में जो भी संज्ञा आदि शब्द संलग्न होते हैं, वे अपनी अलग-अलग भूमिकाओं के अनुसार अलग-अलग कारकों में वाक्य में दिखाई पड़ते हैं; जैसे-“ वह हाथों से शिकार को जकड़ लेती थी।” जकड़ना क्रिया तभी संपन्न हो पाएगी जब कोई व्यक्ति (वह) जकड़नेवाला हो, कोई वस्तु (शिकार) हो जिसे जकड़ा जाए। इन भूमिकाओं की प्रकृति अलग-अलग है। व्याकरण में ये भूमिकाएँ कारकों के अलग-अलग भेदों;
जैसे- कर्ता, कर्म, करण आदि से स्पष्ट होती हैं।
अपनी पाठ्यपुस्तक से इस प्रकार के पाँच और उदाहरण खोजकर लिखिए और उन्हें भलीभाँति परिभाषित कीजिए।

उत्तर

(1) मैं प्रति क्षण उसमें से निकल भागने की चेष्टा में लगी रहती थी।
(2) आगे एक और बूँद मेरा हाथ पकड़कर ऊपर खींच रही थी।
(3) हम बड़ी तेजी से बाहर फेंक दिए गए।
(4) वह चाकू से फल काटकर खाता है।
(5) बदलू लाख से चूड़ियाँ बनाता है।
(1)मैं – कर्त्ता
(2) पकड़कर – सबंध कारक
(3) तेज़ी से – अपादान कारक
(4) चाकू से – करण कारक
(5) लाख से – करण कारक

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Chapter 15 सूर के पद ncert solution hindi | class 8th

NCERT Solutions for Class 8th: पाठ 15 – सूरदास के पद हिंदी वसंत भाग- III

पृष्ठ संख्या: 93

प्रश्न अभ्यास

पदों से

1. बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए?

उत्तर

बालक श्रीकृष्ण अपनी चोटी बलराम जी की चोटी की तरह मोटी और बड़ी करना चाहते थे इस लोभ के कारण वे दूध पीने के लिए तैयार हुए चूँकि उनकी माता यशोदा बताया की दूध पीने से उनकी चोटी बलराम भैया की तरह हो जाएगी।

2. श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में क्या-क्या सोच रहे थे?

उत्तर

श्रीकृष्ण बलराम भैया की तरह लम्बी, मोटी चोटी चाहते हैं। उनके अनुसार नहाते वक्त जैसे बलराम भैया की चोटी नागिन जैसी लहराती है वह भी उसी प्रकार की चोटी चाहते हैं और इसी विषय में सोचा करते हैं।

3. दूध की तुलना में श्रीकृष्ण कौन-से खाद्य पदार्थ को अधिक पसंद करते हैं?

उत्तर

दूध की तुलना में श्रीकृष्ण को माखन-रोटी अधिक प्रिय है।

4. ‘तैं ही पूत अनोखौ जायौ’- पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं?

उत्तर

https://90a01cf5df571b967e1fec155db2d2c0.safeframe.usercontent.goog/safeframe/1-0-39/html/container.html

यहाँ पर ग्वालन के हृदय में यशोदा के लिए ईर्ष्या की भावना व क्रोध के भाव मुखरित हो रहे हैं। जहाँ वे एक तरफ कृष्ण का यशोदा पुत्र होने की वजह से ईर्ष्या से ग्रसित हैं वहीं दूसरी और उसके द्वारा चोरी व सारा माखन खाने से क्रोधित हैं। इसलिए वह यशोदा माता को उलाहना दे रही हैं।

5. मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा क्यों देते हैं?

उत्तर

श्रीकृष्ण माखन चुराते समय आधा माखन खुद खाते हैं व आधा अपने सखाओं को खिलाते हैं। जिसके कारण माखन जगह-जगह ज़मीन पर गिर जाता है।

6. दोनों पदों में से आपको कौन-सा पद अधिक अच्छा लगा और क्यों?

उत्तर

दोनों पदों में प्रथम पद सबसे अच्छा लगता है। क्योंकि यहाँ श्रीकृष्ण अपने बालपन के कारण माता से अनुनय-विनय करते हैं कि तुम्हारे कहने पर मैंने दूध पिया पर फिर भी मेरी चोटी नहीं बढ़ रही। उनकी माता से उनकी नाराज़गी व्यक्त करना, दूध न पीने का हट करना, बलराम भैया की तरह चोटी पाने का हट करना हृदय को बड़ा ही आनन्द देता है। ये पद श्रीकृष्ण की बाल-लीला के कारण मनोहारी जान पड़ता है जिसे सूरदास जी ने बड़े ही उत्तम ढ़ंग से प्रस्तुत किया है।

भाषा की बात

1. श्रीकृष्ण गोपियों का माखन चुरा-चुराकर खाते थे इसलिए उन्हें माखन चुरानेवाला भी कहा गया है। इसके लिए एक शब्द दीजिए।

उत्तर

माखनचोर

2.  श्रीकृष्ण के लिए पाँच पर्यायवाची शब्द लिखिए।

उत्तर

गोविन्द, रणछोड़, वासुदेव, मुरलीधर, नन्दलाल।

पृष्ठ संख्या: 94

3. कुछ शब्द परस्पर मिलते-जुलते अर्थवाले होते हैं, उन्हें पर्यायवाची कहते हैं। और कुछ विपरीत अर्थवाले भी। समानार्थी शब्द पर्यायवाची कहे जाते हैं और विपरीतार्थक शब्द विलोम, जैसे- पर्यायवाची-  चंद्रमा-शशि, इंदु, राका
               मधुकर-भ्रमर, भौंरा, मधुप
               सूर्य-रवि, भानु, दिनकर
विपरीतार्थक- दिन-रात
               श्वेत-श्याम
              शीत-उष्ण
पाठों से दोनों प्रकार के शब्दों को खोजकर लिखिए।

उत्तर

पर्यायवाची शब्द
बेनी – चोटी
काढ़त – गुहत
बलराम – दाऊ, हलधर
मैया – जननी, माँ, माता
दूध – दुग्ध, पय, गोरस
ढोटा – सुत, पुत्र, बेटा

विपरीतार्थक शब्द
लम्बी – छोटी
स्याम – श्वेत
रात – दिन
प्रकट – ओझल
संग्रह – विग्रह
विज्ञ – अज्ञ

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