NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 6- मधुर-मधुर मेरे दीपक जल हिंदी |Sparsh class 10 |EduGrown

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 6- मधुर-मधुर मेरे दीपक जल

NCERT Solutions for Class 10 will help the students in learning complex topics and problems in an easy way. Class 10 Sparsh NCERT Solutions will help students in understanding the topics in the most simple manner and grasp them easier to perform better. You can study in an organized manner and set a good foundation for your future goals

पृष्ठ संख्या: 34

प्रश्न अभ्यास

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

1. प्रस्तुत कविता में ‘दीपक’ और ‘प्रियतम’ किसके प्रतीक हैं?

उत्तर

प्रस्तुत कविता में दीपक ईश्वर के प्रति आस्था का और प्रियतम ईश्वर का प्रतीक हैं।

2. दीपक से किस बात का आग्रह किया जा रहा है और क्यों?

उत्तर

दीपक से यह आग्रह किया जा रहा है कि वह निरंतर जलता रहे क्योंकि वह अपने हृदय प्रभु के प्रति आस्था कायम रखे सके| इससे वह बिना बाधा के अपने प्रभु को पा सकेंगीं|

3. विश्व-शलभ दीपक के साथ क्यों जल जाना चाहता है?

उत्तर

विश्व-शलभ दीपक के साथ जलकर अपने अस्तित्व को विलीन करके प्रकाशमय होना चाहता है। जिस प्रकार दीपक ने स्वयं को जलाकर, संसार को ज्वाला के कण दिए हैं, उसी प्रकार विश्व-शलभ भी जनहित के लिए करना चाहता है।

4. आपकी दृष्टि में मधुर मधुर मेरे दीपक जल कविता का सौंदर्य इनमें से किस पर निर्भर है
(क) शब्दों की आवृति पर।
(ख) सफल बिंब अंकन पर।

उत्तर

इस कविता की सुंदरता दोनों पर निर्भर है। मधुर-मधुर, पुलक-पुलक, युग-युग, सिहर-सिहर, विहँस-विहँस आदि आवृत्तियों ने कविता को को लयबद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वहीं बिंब योजना भी बहुत अच्छी है जैसे – मधुर मधुर मेरे दीपक जल, प्रियतम का पथ आलोकित कर|

5. कवयित्री किसका पथ आलोकित करना चाह रही हैं?

उत्तर

कवयित्री अपने प्रियतम यानी ईश्वर का पथ आलोकित करना चाहती हैं।

6. कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन से क्यों प्रतीत हो रहे हैं?

उत्तर

कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन से प्रतीत हो रहे हैं क्योंकि इनका तेज सिर्फ खुद के लिए है, दूसरों को ये रोशन नहीं कर सकते हैं| यहाँ तारों की तुलना मुनष्यों से की गयी है जिनके बीच स्नेह यानी भाईचारा समाप्त हो चुका है और सभी स्वार्थी हो चुके हैं| उनका आपस में कोई स्नेह नहीं है।

7. पतंगा अपने क्षोभ को किस प्रकार व्यक्त कर रहा है?

उत्तर

पतंगा अपना सिर धुनकर अपने क्षोभ को व्यक्त कर रहा है। वह सोच रहा है कि वह इस आस्था रूपी दीपक की लौ के साथ जलकर उस ईश्वर में विलीन क्यों नही हो गया।

8. कवयित्री ने दीपक को हर बार अलग-अलग तरह से ‘मधुर-मधुर, पुलक-पुलक, सिहर-सिहर और विहँस-विहँस’ जलने को क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर
कवयित्री ने दीपक हर बार अलग-अलग तरह से जलने को इसलिए कहा है क्योंकि वह चाहती हैं चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों दीपक जलता रहे और उनके प्रियतम का मार्ग आलोकित करता रहे| इसलिए कवयित्री दीपक को कभी मधुरता के साथ, कभी प्रसन्नता के साथ कभी काँपते हुए तो कभी उत्साह में जलते रहने को कहती हैं|

9. नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
जलते नभ में देख असंख्यक,स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल!
विहँस विहँस मेरे दीपक जल!

(क) स्नेहहीन दीपक से क्या तात्पर्य है?
(ख) सागर को जलमय कहने का क्या अभिप्राय है और उसका हृदय क्यों जलता है?
(ग) बादलों की क्या विशेषता बताई गई है?
(घ) कवयित्री दीपक को विहँस विहँस जलने के लिए क्यों कह रही हैं?

उत्तर

(क) स्नेहहीन दीपक से तात्पर्य बिना तेल यानी प्रेम रहित दीपक| अर्थात यानी ऐसे लोग जिनके मन हृदय में प्रभुभक्ति और स्नेह नहीं है|

(ख) सागर का अर्थ है संसार| संसार पूरी तरह से जलमय है यानी विभिन्न प्रकार की सुविधाओं से भरा पड़ा है| परन्तु उसका हृदय जलता है यानि सुख सुविधाओं से परिपूर्ण होते हुए भी मनुष्यों के भीतर ईर्ष्या-द्वेष, अहंकार आदि भावनाओं से जल रहे हैं|

(ग) बादल विद्युत से घिरा हुआ है|

(घ) कवयित्री दीपक को पूरे उत्साह और प्रसन्नता के साथ जलने के लिए कहती हैं ताकि ये पूरे संसार को परमात्मा का पथ दिखा सके|

10. क्या मीराबाई और आधुनिक मीरा महादेवी वर्मा इन दोनों ने अपने-अपने आराध्य देव से मिलने के लिए जो युक्तियाँ अपनाई हैं,उनमें आपको कुछ समानता या अतंर प्रतीत होता है? अपने विचार प्रकट कीजिए?

उत्तर

मीराबाई और महादेवी वर्मा ने अपने-अपने आराध्य देव से मिलने के लिए जो युक्तियाँ अपनाई हैं उनमें कुछ सामानताएँ और कुछ अंतर् भी हैं|

सामानताएँ

दोनों ही अपने आराध्य से मिलने के लिए व्याकुल हैं|

अंतर

मीरा के आराध्य सगुण, मूर्तिरूप और साकार श्रीकृष्ण हैं| वहीं दूसरी ओर महादेवी वर्मा के आराध्य निर्गुण और निराकार हैं| इनके आराध्य का रूप मूर्ति ना होकर संसार है|

(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए –


1. दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,
तेरे जीवन का अणु गल गल!
उत्तर 
इन पंक्तियों में कवयित्री ने अपने आस्था के दीपक को कहा है कि वह लगातार जलकर एक-एक कण गलाकर असीमित प्रकाश दे जो यह संसार में फैले और लोग उससे फायदा ले सकें|

पृष्ठ संख्या: 35

2. युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल,
प्रियतम का पथ आलोकित कर!

उत्तर

इन पंक्तियों में दीपक से विनती कि है वह हर दिन, हर क्षण, हर पल सदा जलता रहे जिससे उनके प्रियतम यानी ईश्वर का पथ आलोकित रहे यानी उनकी आस्था बनी रहे|

3. मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन!

उत्तर

इस पंक्ति में कवयित्री ने दीपक को कहा है कि कोमल मोम की तरह जलकर सारे संसार को प्रकाशित करे यानी सभी को प्रभु का  दिखाता रहे|

Important Link

Short Summary- पाठ 6- मधुर-मधुर मेरे दीपक जल

For Free Video Lectures, Please Click here

Read More

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 5- पर्वत प्रदेश में पावस हिंदी |Sparsh class 10 |EduGrown

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 5- पर्वत प्रदेश में पावस

NCERT Solutions for Class 10 will help the students in learning complex topics and problems in an easy way. Class 10 Sparsh NCERT Solutions will help students in understanding the topics in the most simple manner and grasp them easier to perform better. You can study in an organized manner and set a good foundation for your future goals

पृष्ठ संख्या: 28

प्रश्न अभ्यास

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

1. पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैं? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए?

उत्तर

पावस ऋतू में प्रकृति में निम्नलिखित परिवर्तन आते हैं-
• इस ऋतू में मौसम हर वक्त बदलता रहता है|
• विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे फूल खिल जाते हैं|
• पर्वत के नीचे फैले तालाबों में पर्वतों की परछाई दिखाई देती है|
• मोती की लड़ियों की तरह बहते झरने ऐसा लगता है मानो पर्वतों का गुणगान कर रहे हों|
• पर्वत पर उगे ऊँचे वृक्ष आसमान को चिंतित होकर निहार रहे हैं|
• तेज वर्षा के कारण चारों तरफ धुंध छा जाता है|

2. ‘मेखलाकार’ शब्द का क्या अर्थ है? कवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ क्यों किया है?
उत्तर 
मेखलाकार का अर्थ है करघनी के आकार का। यहाँ इस शब्द का प्रयोग विशाल और दूर-दूर तक फैले पर्वतों की श्रृंखला के लिए किया गया है।

3. ‘सहस्र दृग-सुमन’ से क्या तात्पर्य है? कवि ने इस पद का प्रयोग किसके लिए किया होगा?

उत्तर

‘सहस्र दृग-सुमन’ कवि का तात्पर्य पहाड़ों पर खिले हजारों फूलों से है। कवि को ये हजारों फूल पहाड़ों की आँखों के सामान लग रहे हैं इसीलिए कवि ने इस पद का प्रयोग किया है।

4. कवि ने तालाब की समानता किसके साथ दिखाई है और क्यों?

उत्तर

कवि ने तालाब की समानता दर्पण से की है क्योंकि तालाब भी दर्पण की तरह स्वच्छ और निर्मल प्रतिबिम्ब दिखा रहा है।

5. पर्वत के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर क्यों देख रहे थे और वे किस बात को प्रतिबिंबित करते हैं?
उत्तर
पर्वत के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर एकटक चिंतित होकर ऐसे देख रहे थे जैसे वे उनकी उँचाईओं को छूना चाहते हों| वे अपनी मन की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करते हैं|


6. शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्यों धँस गए?

उत्तर

वर्षा की भयानकता और धुंध से शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में धँस गए ऐसा प्रतीत होता है।

7. झरने किसके गौरव का गान कर रहे हैं? बहते हुए झरने की तुलना किससे की गई है?

उत्तर

झरने पर्वतों की गाथा का गान कर रहे हैं। बहते हुए झरने की तुलना मोती की लड़ियों से की गयी है।

(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए –

1. है टूट पड़ा भू पर अंबर।

उत्तर

कवि ने इस पंक्ति में वर्षा ऋतू के मूसलाधार बारिश का वर्णन करते हुए कहा है कि बादलों से इतनी तेज वर्षा हुई कि ऐसा लगा जैसे आकाश धरती पर टूट पड़ा हो|

2. −यों जलद-यान में विचर-विचर
था इंद्र खेलता इंद्रजाल।
उत्तर

इन पंक्तियों में कवि ने वर्षा के देवता इंद्र बादल रूपी वाहन में घूम-घूम कर जादुई करतब दिखा रहे हैं यानी प्रकृति में पल-पल परिवर्तन ला रहे हैं|

3. गिरिवर के उर से उठ-उठ कर
उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
हैं झांक रहे नीरव नभ पर
अनिमेष, अटल, कुछ चिंतापर।

उत्तर

इन पंक्तियों का में कवि ने पर्वतों पर उगे हुए वृक्षों का वर्णन करते हुए कहा है कि वे एकटक, स्थिर चिंता में डूबे मन में उच्च आकांक्षाएँ लिए हुए शांत आकाश की ओर देख रहे हैं|
पृष्ठ संख्या: 29

कविता का सौंदर्य 


1. इस कविता में मानवीकरण अलंकार का प्रयोग किया गया हैस्पष्ट कीजिए।

उत्तर

प्रस्तुत कविता में जगह-जगह पर मानवीकरण अलंकार का प्रयोग करके प्रकृति में जान डाल दी गई है जिससे प्रकृति सजीव प्रतीत हो रही है; जैसे − पर्वत पर उगे फूल को आँखों के द्वारा मानवकृत कर उसे सजीव प्राणी की तरह प्रस्तुत किया गया है।
“उच्चाकांक्षाओं से तरूवर
हैं झाँक रहे नीरव नभ पर”
इन पंक्तियों में तरूवर के झाँकने में मानवीकरण अलंकार है, मानो कोई व्यक्ति झाँक रहा हो।


2. आपकी दृष्टि में इस कविता का सौंदर्य इनमें से किस पर निर्भर करता है −(क) अनेकशब्दों की आवृति पर
(ख) शब्दों की चित्रमयी भाषा पर
(ग) कविता की संगीतात्मकता पर

उत्तर

(ख) शब्दों की चित्रमयी भाषा पर  इस कविता का सौंदर्य शब्दों की चित्रमयी भाषा पर निर्भर करता है। कवि ने कविता में चित्रात्मक शैली का प्रयोग करते हुए प्रकृति का सुन्दर रुप प्रस्तुत किया गया है।

3. कवि ने चित्रात्मक शैली का प्रयोग करते हुए पावस ऋतु का सजीव चित्र अंकित किया है। ऐसे स्थलों को छाँटकर लिखिए।

उत्तर

कवि ने चित्रात्मक शैली का प्रयोग करते हुए पावस ऋतु का सजीव चित्र अंकित किया है। कविता में इन स्थलों पर चित्रात्मक शैली की छटा बिखरी हुई है- 1. मेखलाकार पर्वत अपार
अपने सहस्र दृग-सुमन फाड़,
अवलोक रहा है बार-बार
नीचे जल में निज महाकार
जिसके चरणों में पला ताल
दर्पण फैला है विशाल!

2. गिरिवर के उर से उठ-उठ कर
उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
हैं झाँक रहे नीरव नभ पर
अनिमेष, अटल, कुछ चिंतापर।

Important Link

Short Summary- पाठ 5- पर्वत प्रदेश में पावस

For Free Video Lectures, Please Click here

Read More

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 4- मनुष्यता हिंदी |Sparsh class 10 |EduGrown

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 4- मनुष्यता

NCERT Solutions for Class 10 will help the students in learning complex topics and problems in an easy way. Class 10 Sparsh NCERT Solutions will help students in understanding the topics in the most simple manner and grasp them easier to perform better. You can study in an organized manner and set a good foundation for your future goals

पृष्ठ संख्या: 22

प्रश्न अभ्यास 

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

1. कवि ने कैसी मृत्यु को सुमृत्यु कहा है?

उत्तर

कवि ने ऐसी मृत्यु को सुमृत्यु कहा है जो मानवता की राह में परोपकार करते हुए आती है जिसके बाद मनुष्य को मरने के बाद भी याद रखा जाता है।


2. उदार व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकती है?

उत्तर

उदार व्यक्ति सदा परोपकार के लिए काम करता है| इन व्यक्तियों क चर्चा दूर-दूर तक की जाती है| कवि तथा लेखक भी इनके गुणों की चर्चा अपने लेखनों में करते हैं। धरती इन लोगों की ऋणी होती है| उदार मनुष्य ही वास्तविक अर्थों में मनुष्य होता है| 


3. कवि ने दधीचि कर्ण, आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर मनुष्यता के लिए क्या संदेश दिया है?
उत्तर 
कवि ने दधीचि ,कर्ण आदि महान व्यक्तियों के उदाहरण देकर ‘मनुष्यता’के लिए यह संदेश दिया है कि परोपकार के लिए अपना सर्वस्व, यहाँ तक कि अपने प्राण तक न्योंछावर तक करने को तैयार रहना चाहिए दधीचि ने मानवता की रक्षा के लिए अपनी हड्डियाँ तथा कर्ण ने वचन रखने के लिए अपना रक्षा कवच दान कर दिया। कवि कहते हैं कि हमारा शरीर तो नश्वर हैं इसलिए इसका मोह रखना व्यर्थ है। परोपकार करना ही सच्ची मनुष्यता है।

4. कवि ने किन पंक्तियों में यह व्यक्त है कि हमें गर्व रहित जीवन व्यतीत करना चाहिए?
उत्तर 
निम्नलिखित पंक्तियों में गर्व रहित जीवन व्यतीत करने की बात कही गई है-
रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में।
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में॥
5. ‘मनुष्य मात्र बंधु है’ से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

‘मनुष्य मात्र बंधु है’ का अर्थ है हम सारे एक ईश्वर की संतान हैं इसलिए हमारा परस्पर सम्बन्ध है| संसार के केवल मनुष्य ही ऐसा प्राणी जो विवेकशील है और बंधुत्व के महत्व को समझता है| इसलिए हमें भाईचारे के साथ रहना चाहिए|

6. कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा क्यों दी है?

उत्तर

कवि ने सबको एक साथ चलने की प्रेरणा इसलिए दी है ताकि समाज में एकता और भाईचारा कायम रहे| इससे हमारे बीच ईर्ष्या-द्वेष की भावना का अंत होगा| साथ चलने से हम रास्ते में आने वाली विपत्तियों से पार पा सकेंगें|

7. व्यक्ति को किस प्रकार का जीवन व्यतीत करना चाहिए? इस कविता के आधार पर लिखिए।

उत्तर

व्यक्ति को परोपकार का जीवन व्यतीत करना चाहिए। उसे अपने बारे में सोचने से ज्यादा दूसरों के हित-अहित के बारे में सोचना चाहिए| केवल अपने लिए सोचना पशु प्रवृत्ति होती है| दूसरों की मुसीबत में काम आने के लिए हमें सदा तैयार रहना चाहिए| 
8. ‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है?

उत्तर

‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि यह संदेश देना चाहते है कि हमें अपना जीवन परोपकार में व्यतीत करना चाहिए। सच्चा मनुष्य दूसरों की भलाई के काम को सर्वोपरि मानता है। हमें उदार ह्रदय बनना चाहिए । हमें धन के मद में अंधा नहीं बनना चाहिए। मानवतावाद को अपनाना चाहिए। 

(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए। 

1. सहानुभूति चाहिए, महाविभूति है यही
वशीकृता सदैव है बनी हुई स्वयं मही।
विरुद्धवाद बुद्ध का दया-प्रवाह में बहा,
विनीत लोकवर्ग क्या न सामने झुका रहा?

उत्तर

इन पंक्तियों में कवि ने कहा है कि हमें मनुष्यों के प्रति सहानुभूति यानी संवेदना का भाव होना चाहिए क्योंकि यही सबसे बड़ी पूँजी है| औरों के दुखों को समझना और उनमें शामिल होना जैसे गुण ही हमें सही अर्थों में मनुष्य बनाते हैं| सारी धरती इन गुणों वाले व्यक्ति के वश में रहती है| महात्मा बुद्ध के दया-भावना और करुणामय विचारों ने विरोध के स्वर का दबा दिया| जो लोग उनके विरोधी थे वह भी उनके विचारों के सामने झुक गए|

2. रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
अनाथ कौन है यहाँ? त्रिलोकनाथ साथ हैं,
दयालु दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ हैं।

उत्तर

कवि कहते हैं कि हमें कभी भूलकर भी अपने थोड़े से धन के अहंकार में अंधे होकर स्वयं को सनाथ अर्थात् सक्षम मानकर गर्व नहीं करना चाहिए क्योंकि यहाँ अनाथ कोई नहीं है। इस संसार का स्वामी ईश्वर है जो सबके साथ है| ईश्वर बहुत दयालु हैं और दीनों और असहायों का सहारा हैं| उनके हाथ बहुत विशाल है अर्थात् वह सबकी सहायता करने में सक्षम है।प्रभु के रहते भी जो व्याकुल रहता है वह बहुत ही भाग्यहीन है|

3. चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए,
विपत्ति, विघ्न जो पड़ें उन्हें ढकेलते हुए।
घटे न हेलमेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी,
अतर्क एक पंथ के सतर्क पंथ हों सभी।

उत्तर

कवि कहते हैं कि हमें अपने इच्छित मार्ग पर प्रसन्नतापूर्वक हँसते-खेलते बढ़ते रहना चाहिए और रास्ते में जो कठिनाई या बाधा आए उन्हें ढकेलते हुए आगे बढ़ना चाहिए। परंतु इन सब में यह ध्यान रखना चाहिए कि इससे हम मनुष्यों के बीच आपसी सामंजस्य न घटे और हमारे बीच भेदभाव न बढ़े। हम तर्क रहित होकर एक मार्ग पर सावधानीपूर्वक चलें।एक दूसरे का उद्धार करते हुए आगे बढ़े तभी हमारी समर्थता सिद्ध होगी अर्थात् हम तभी समर्थ माने जाएंगे|

Important Link

Short Summary- पाठ 4- मनुष्यता

For Free Video Lectures, Please Click here

Read More

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 3- दोहे हिंदी |Sparsh class 10 |EduGrown

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 3- दोहे हिंदी

NCERT Solutions for Class 10 will help the students in learning complex topics and problems in an easy way. Class 10 Sparsh NCERT Solutions will help students in understanding the topics in the most simple manner and grasp them easier to perform better. You can study in an organized manner and set a good foundation for your future goals

पृष्ठ संख्या: 16
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –


1. छाया भी कब छाया ढूंढने लगती है? 
उत्तर 
जेठ के महीने प्रचंड गर्मी होती है। सूरज की तेज किरणों से धरती जलने लगती है| कहीं भी छाया दिखाई नहीं देती है| ऐसा लगता है मानों छाया भी छाया ढूँढ रही है|


2. बिहारी की नायिका यह क्यों कहती है ‘कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात’ – स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

बिहारी की नायिका कँपकपी और स्वेद के कारण कागज पर सन्देश नहीं लिख पाती है| किसी और से सन्देश भिजवाने में उसे लज्जा आती है| इसलिए वह कहती है कि विरह की इस अवस्था में उसके और उसके प्रिय के हालात समान से हैं इसलिए अपने हृदय से उसका हाल समझ जाएँगे।

3. सच्चे मन में राम बसते हैं−दोहे के संदर्भानुसार स्पष्ट कीजिए।

उत्तर
बिहारी का कहना है कि माला जपने और तिलक लगाने जैसे बाह्य आडंबरों से किसी को ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती| जिस व्यक्ति का हृदय ईर्ष्या, द्वेष, छल, कपट, वासना आदि से मुक्त और स्वच्छ होता है उसी के मन में राम यानी ईश्वर का वास होता है|

4. गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा लेती हैं?

उत्तर

गोपियाँ श्रीकृष्ण से बातें करना चाहती हैं। वे कृष्ण को रिझाना चाहती हैं। परन्तु कृष्ण जी को अपनी बाँसुरी बेहद प्रिय है वे सदैव उसमें ही व्यस्त रहते हैं। इसलिए उनका ध्यान अपनी और आकर्षित करने के लिए गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी छिपा देती हैं।

5. बिहारी कवि ने सभी की उपस्थिति में भी कैसे बात की जा सकती है, इसका वर्णन किस प्रकार किया है? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

बिहारी ने बताया है कि सभी की उपस्थिति में भी सांकेतिक माध्यम से बात की जा सकती है| नायक सभी के सामने नायिका को इशारे से मिलने को कहता है| नायिका भी इशारे से मना कर देती है। उसके मना करने के भाव पर नायक रीझ जाता है जिससे नायिका खीज उठती है। दोनों के नेत्र मिलते हैं जिससे नायक प्रसन्न हो जाता है और नायिका की आँखों में लज्जा आ जाती है।

(ख) भाव स्पष्ट कीजिए-

1. मनौ नीलमनी-सैल पर आतपु पर्र्यौ प्रभात।
उत्तर
इस पंक्ति में श्रीकृष्ण की तुलना नीलमणि पर्वत से की गयी है। उनके अलौकिक सौंदर्य को देखकर ऐसा प्रतीत होता है, मानो नीलमणि पर्वत पर प्रातः कालीन सूर्य की धूप फैली हो। 
2. जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघदाघ निदाघ।

उत्तर

बिहारी जी ने इस पंक्ति में बताया है कि ग्रीष्म ऋतु की प्रचंडता से पूरा जंगल तपोवन बन गया है। इस मुसीबत की घड़ी में सब जानवरों की दुश्मनी खत्म हो गई है। साँप, हिरण और सिंह सभी गर्मी से बचाव के लिए मिल-जुलकर रहने लगे हैं| कवि ने शिक्षा दी है की हमें भी विपत्ति के घड़ी में मिल-जुलकर उससे निपटना चाहिए|

3. जपमालाछापैंतिलक सरै न एकौ कामु। मनकाँचै नाचै बृथासाँचै राँचै रामु।।

उत्तर

बिहारी का मानना है कि माला जपने और छापा-तिलक लगाने जैसे बाहरी आडम्बरों से ईश्वर प्राप्त नहीं होते। ये सारे काम व्यर्थ हैं। राम यानी ईश्वर का वास उस व्यक्ति के मन में होता है जिसका हृदय हृदय ईर्ष्या, द्वेष, छल, कपट, वासना आदि से मुक्त और स्वच्छ होता है|

Important Link

Short Summary- पाठ 3- दोहे हिंदी

For Free Video Lectures, Please Click here

Read More

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 2- मीरा के पद हिंदी |Sparsh class 10 |EduGrown

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 2- मीरा के पद

NCERT Solutions for Class 10 will help the students in learning complex topics and problems in an easy way. Class 10 Sparsh NCERT Solutions will help students in understanding the topics in the most simple manner and grasp them easier to perform better. You can study in an organized manner and set a good foundation for your future goals

पृष्ठ संख्या: 11
प्रश्न अभ्यास 


(क) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए-
1. पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है?

उत्तर

पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती उन्हें उनके उन रूपों का स्मरण कराकर करती हैं जिसके द्वारा उन्होंने अपने भक्तों की रक्षा की थी| वे उन्हें कहती हैं कि जिस प्रकार उन्होंने द्रौपदी का वस्त्र बढ़ाकर भरी सभा में उसकी लाज बचाई, प्रह्लाद की रक्षा करने के लिए नरसिंह का रुप धारण करके हिरण्यकश्यप को मारा, डूबते हुए गजराज को बचाया और कष्ट दूर करने के लिए मगरमच्छ को मारा| उसी प्रकार वे उनकी भी पीड़ा दूर करें|

2. दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

मीरा अपने आराध्य श्रीकृष्ण के समीप रहने के लिए उनकी चाकरी करना चाहती हैं| दासी बनकर वे श्रीकृष्ण के लिए बाग़ लगाएँगी और उनके समीप रह दर्शन पा सकेंगीं| वह श्रीकृष्ण की लीलाओं का गायन वृन्दावन की गलियों में करेंगीं जिससे उन्हें श्रीकृष्ण के नाम का स्मरण प्राप्त हो जाएगा|

3.मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रुपसौंदर्य का वर्णन कैसे किया है?

उत्तर

मीरा श्रीकृष्ण के रुप-सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहती हैं कि उनके सिर पर मोर के पंखों का मुकुट है, गले में वैजंती फूलों की माला है| वे पीले रंग का वस्त्र धारण किये हुए हैं| हाथों में बाँसुरी लिए जब वह वृन्दावन में यमुना के तट पर गायें चराने ले जा रहे होते हैं तब यह रूप मनमोहक होता है|

4. मीराबाई की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।

उत्तर

मीराबाई की भाषा सरल, सहज और आम बोलचाल की भाषा है जिसमें राजस्थानी, ब्रज और गुजराती का मिश्रण है। कहीं-कहीं पंजाबी शब्दों का प्रयोग भी किया गया है| पदों में लयात्मकता है और गेय शैली का प्रयोग किया गया है| अनुप्रास तथा रूपक अलंकार का मनोरम प्रयोग हुआ है|

5. वे श्रीकृष्ण को पाने के लिए क्याक्या कार्य करने को तैयार हैं?

उत्तर

मीरा कृष्ण को पाने के लिए विभिन्न कार्य करने को तैयार हैं-
• वह दासी बन कर उनकी सेवा करना चाहती हैं|
• वह उनके घूमने के लिए बाग बगीचे लगाना चाहती हैं।
• वृंदावन की गलियों में श्रीकृष्ण के लीलाओं का गुणगान करना चाहती हैं|
• वह कुसुम्बी रंग की साड़ी पहनकर आधी रात को कृष्ण का दर्शन करना चाहती हैं।

(ख) काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

1. हरि आप हरो जन री भीर।
द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।भगत कारण रुप नरहरि, धर्यो आप सरीर।

उत्तर

इन पंक्तियों में मीरा ने श्रीकृष्ण से जन-जन की पीड़ा हरने का आग्रह करती हैं| वे कहती हैं कि जिस प्रकार आपने द्रौपदी के वस्त्रों को बढ़ाकर भरी सभी में उसकी लाज बचाई, अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए नरसिंह का रुप धारण करके हिरण्यकश्यप को मारा उसी तरह आप मनुष्यों की पीड़ा भी हरें|

इन पंक्तियों में मीरा ने श्रीकृष्ण के भक्तों के प्रति दयामय रूप का वर्णन किया है| ब्रज और राजस्थानी भाषा का प्रयोग हुआ है| ‘हरि’ शब्द में श्लेष अलंकार है। भाषा में कोमलता लाने के लिए कुछ शब्दों में परिवर्तन किया गया है जैसे – शरीर का सरीर| गेयात्मक शैली का प्रयोग हुआ है|

2. बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुण्जर पीर।
दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर।

उत्तर

इन पंक्तियों में मीरा ने कृष्ण से अपने दुखों को दूर करने की विनती की है। वे अपने आराध्य से प्रार्थना करती हैं कि जिस प्रकार आपने डूबते गजराज को बचाया और कष्ट दूर करने के लिए मगरमच्छ को मारा| उसी प्रकार वे उनकी भी पीड़ा दूर करें|

भाषा सरल तथा सहज है। इन पंक्तियों में दास्यभक्ति रस है| ब्रज और राजस्थानी भाषा का प्रयोग हुआ है| ‘काटी कुण्जर’ में अनुप्रास अलंकार है| ‘पीर-भीर’ तुकांत पद हैं| प्रथम पंक्ति में दृष्टांत अलंकार का प्रयोग हुआ है| गेयात्मक शैली का प्रयोग हुआ है|

3. चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।

उत्तर

इन पंक्तियों में मीरा कहती हैं कि वे श्रीकृष्ण की चाकरी करने के लिए तैयार हैं| इससे उन्हें श्रीकृष्ण के नाम स्मरण का अवसर प्राप्त हो जाएगा तथा भावपूर्ण भक्ति की जागीर भी प्राप्त होगी। इस प्रकार दर्शन, स्मरण और भाव–भक्ति नामक तीनों बातें उनके जीवन में रच–बस जाएँगी।

इन पंक्तियों में दास्यभक्ति रस है| ब्रज और राजस्थानी भाषा का प्रयोग हुआ है| ‘भाव-भगती’ में अनुप्रास अलंकार है| ‘खरची-सरसी’ तुकांत पद हैं| गेयात्मक शैली का प्रयोग हुआ है|


भाषा अध्यन 
1. उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रुप लिखिएउदाहरण − भीर − पीड़ा/कष्ट/दुखरी − की
चीर …………… बूढ़ता ……………
धर्यो …………… लगास्यूँ ……………
कुण्जर …………… घणा ……………
बिन्दरावन …………… सरसी ……………
रहस्यूँ …………… हिवड़ा ……………
राखो …………… कुसुम्बी ……………

उत्तर

चीरवस्त्रबूढ़ताडूबना
धर्योधारणलगास्यूँलगाना
कुण्जरहाथीघणाबहुत
बिन्दरावनवृंदावनसरसीअच्छी
रहस्यूँरहूँगींहिवड़ाहृदय
राखोरखनाकुसुम्बीकेसरिया

Important Link

Short Summary- पाठ 2- मीरा के पद

For Free Video Lectures, Please Click here

Read More

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 1- साखी हिंदी |Sparsh class 10 |EduGrown

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 1- साखी

NCERT Solutions for Class 10 will help the students in learning complex topics and problems in an easy way. Class 10 Sparsh NCERT Solutions will help students in understanding the topics in the most simple manner and grasp them easier to perform better. You can study in an organized manner and set a good foundation for your future goals

पृष्ठ संख्या: 6
प्रश्न अभ्यास 


(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
1. मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे प्राप्त होती है?

उत्तर

मीठी वाणी बोलने से औरों के मन से क्रोध और घृणा के भाव नष्ट हो जाते हैं जिससे उन्हें सुख प्राप्त होता है। इसके साथ ही हमारे मन के अहंकार भी नाश होता है और हमारे ह्रदय को शान्ति मिलती है जिससे तन को शीतलता प्राप्त होती है।

2. दीपक दिखाई देने पर अँधियारा कैसे मिट जाता है? साखी के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

यहाँ दीपक का मतलब भक्तिरूपी ज्ञान तथा अन्धकार का मतलब अज्ञानता से है। जिस प्रकार दीपक के जलने अन्धकार समाप्त हो जाता है ठीक उसी प्रकार जब ज्ञान का प्रकाश हृदय में जलता है तब मन के सारे विकार अर्थात भ्रम, संशय का नाश हो जाता है।

3. ईश्वर कणकण में व्याप्त हैपर हम उसे क्यों नहीं देख पाते?

उत्तर

हमारा मन अज्ञानताअहंकारविलासिताओं में डूबा है। हम उसे मंदिर, मस्जिदों में  ढूंढ़ते हैं जबकि वह सब ओर व्याप्त है। इस कारण हम ईश्वर को नहीं देख पाते हैं।

4. संसार में सुखी व्यक्ति कौन है और दुखी कौन? यहाँ ‘सोना’ और ‘जागना’ किसके प्रतीक हैं? इसका प्रयोग यहाँ क्यों किया गया है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

कवि के अनुसार संसार में वो लोग सुखी हैं, जो सांसारिक सुखों का भोग करते हैं और दुखी वे हैं, जो ईश्वर का ध्यान लगाकर जागते रहते हैं।
यहाँ ‘सोना’ अज्ञानता का और ‘जागना’ ज्ञान का प्रतीक है।
जो लोग संसार में उपलब्ध सुख-सुविधाओं को ही वास्तविक सुख समझते हैं वे अज्ञानी हैं और सोये हुए हैं| वास्तविक ज्ञान ईश्वर को जनाना है क्योंकि वह अनश्वर है| जो यह काम कर रहा है वह जाग रहा है|


5. अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है?

उत्तर

अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने बताया है कि हमें अपने आसपास निंदक रखने चाहिए ताकि वे हमें हमारी बुराइयों से अवगत करा सके और हम उन बुराइयों को अपने अंदर से दूर कर सकें। इससे हम अपने स्वभाव को बिना पानी और साबुन के स्वच्छ और निर्मल बना पाएँगें|

6. ‘ऐकै अषिर पीव का, पढ़ै सु पंडित होई’ −इस पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर

इस पंक्ति में कवि यह कहना चाहते हैं कि जिस व्यक्ति ने ईश्वर का एक अक्षर भी पढ़ लिया है, वही वास्तविक ज्ञानी है| ईश्वर ही एकमात्र सत्य है और उसे जानेवाला ही सच्चे अर्थों में ज्ञानी है|

7. कबीर की उद्धृत साखियों की भाषा की विशेषता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

कबीर की साखियाँ सधुक्कड़ी भाषा में लिखी हुई हैं। इनकी साखियाँ जनमानस को जीने का कला सिखाती हैं। इन्होनें अवधी, पंजाबी, ब्रज, राजस्थानी आदि भाषाओं का मिश्रण प्रयोग किया है| तद्भव तथा देशी शब्द का अनूठा मेल भी है| जनसामान्य की बोलचाल और सहज भाषा का प्रयोग किया गया है|

(ख) भाव स्पष्ट कीजिए –

1. बिरह भुवंगम तन बसै, मंत्र न लागै कोइ।

उत्तर 

इस पंक्ति का भाव है कि किसी व्यक्ति के शरीर में अगर बिछड़ने का साँप बस जाता है, तो उस पर कोई उपाय या मंत्र का असर नहीं होता है। वह मिलने के लिए तड़पता ही रहता है|

2. कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढै बन माँहि।

उत्तर

इस पंक्ति में कबीर कहते हैं कि कस्तूरी हिरण की नाभि में होती है परन्तु हिरण इस बात से अनजान उस सुगंध के स्थान का पता लगाने के लिए जंगल में घूमता रहता है। इसी प्रकार ईश्वर भी मनुष्य के हृदय में निवास करते हैं परन्तु मनुष्य अज्ञानता के कारण उन्हें ना देखकर विभिन्न धार्मिक जगह पर ढूँढता रहता है|

3. जब मैं था तब हरि नहींअब हरि हैं मैं नाँहि।

उत्तर

इस पंक्ति में कबीर कहते हैं कि जबतक उनके हृदय में मैं यानी अहंकार था तब तक उन्हें ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो पा रही थी| जब उन्हें ईश्वर की प्राप्ति हुई तब उनके अंदर का अहंकार समाप्त हो गया|

4. पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवापंडित भया न कोइ।

उत्तर

कबीर के अनुसार किताबी और शास्त्र पढ़ने से कोई ज्ञानी नहीं बन जाता है यानी वास्तविक ज्ञान प्राप्त नहीं कर पाटा है| ईश्वर को जान लेने वाला ही सच्चा ज्ञानी है|

भाषा अध्यन

1. पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रुप उदाहरण के अनुसार लिखिए। उदाहरण − जिवै – जीना
औरनमाँहिदेख्याभुवंगमनेड़ाआँगणिसाबणमुवापीवजालौंतास।

उत्तर

जिवै – जीना
औरन – औरों को
माँहि – भीतर
देख्या – देखा
भुवंगम – साँप
नेड़ा – निकट
आँगणि – आँगन
साबण – साबुन
मुवा – मरा
पीव – प्रेम
जालौं – जलाऊँ
तास – उस

Important Link

Short Summary- पाठ 1- साखी

For Free Video Lectures, Please Click here

Read More

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 5- मैं क्यों लिखता हूँ? हिंदी |Kritika class 10 |EduGrown

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 5- मैं क्यों लिखता हूँ?

NCERT Solutions for Class 10 will help the students in learning complex topics and problems in an easy way. Class 10 Kritika NCERT Solutions will help students in understanding the topics in the most simple manner and grasp them easier to perform better. You can study in an organized manner and set a good foundation for your future goals

पृष्ठ संख्या: 45
प्रश्न अभ्यास


1. लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है, क्यों?

उत्तर

लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव घटित का होता है परन्तु अनुभूति संवेदना और कल्पना के सहारे उस सत्य को आत्मसात् कर लेती है जो वास्तव में कृतिकार के साथ घटित नहीं हुआ है| जो आँखों के सामने नहीं आया, वही आत्मा के सामने ज्वलंत प्रकाश में आ जाता है, तब वह अनुभूति प्रत्यक्ष हो जाता है|
उनका मानना है कि जब भीतर की अनुभूति बुद्धि से बढ़कर संवेदना के क्षेत्र में आती है तब वह लेखक को लिखने को विवश करती है| भावनाओं को वह खुद शब्दों को रूप देने लगती है| इस प्रकार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है|

2. लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया?

उत्त

अपनी जापान यात्रा दौरान लेखक ने एक पत्थर में मानव की उजली छाया देखी। वे विज्ञान के विद्यार्थी थे इस कारण समझ गए की विस्फोट के समय पत्थर के पास कोई व्यक्ति खड़ा होगा। विस्फोट से विसर्जित रेडियोधर्मी पदार्थ ने उस व्यक्ति को भाप बना दिया और पत्थर को झुलसा दिया। इस प्रत्यक्ष अनुभूति ने लेखक के हृदय को झकझोर दिया। इस प्रकार लेखक हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता बन गया।

3. मैं क्यों लिखता हूँ? के आधार पर बताइए कि –
(क) लेखक को कौन-सी बातें लिखने के लिए प्रेरित करती हैं?

उत्तर

लेखक की आंतरिक विवशता उसे लिखने के लिए प्रेरित करती है। लेखक विवशता को पहचान कर कर उसे लिख देता है और उससे मुक्त हो जाता है| ऐसा करने से वे अपनी विवशता को तटस्थ होकर देख और पहचान पाते हैं|

(ख) किसी रचनाकार के प्रेरणा स्रोत किसी दूसरे को कुछ भी रचने के लिए किस तरह उत्साहित कर सकते हैं?

उत्तर

किसी रचनाकार के प्रेरणा स्रोत दूसरे को कुछ भी रचने के लिए विभिन्न तरीकों से उत्साहित करते हैं| जैसे वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण से प्रेरणा लेकर अन्य लेखकों ने इसके बारे में लिखा| अन्य लेखकों के अपने सामजिक स्थिति और सुलभता से पात्रों को नए रूप में ढाला| महाभारत भी इसका एक प्रमुख उदाहरण है|


4. कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति/स्वयं के अनुभव के साथ-साथ बाह्य दबाव भी महत्वपूर्ण होता है। ये बाह्य दबाव कौन-कौन-से हो सकते हैं?

उत्तर
कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति/स्वयं के अनुभव के साथ-साथ बाह्य दबाव भी महत्वपूर्ण होता है| ये कई प्रकार के हो सकते हैं-• कुछ प्रसिद्ध लेखक सम्पादकों के आग्रह और प्रकाशक के जरूरत के अनुसार लिखते हैं|• कुछ अपनी आर्थिक आवश्यकताओं के कारण भी लेखन कार्य करते हैं|

5. क्या बाह्य दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को ही प्रभावित करते हैं या अन्य क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं, कैसे?

उत्तर

बाह्य दबाव लेखन से जुड़े रचनाकारों के अलावा अन्य क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं। जैसे -अभिनेता, अभिनेत्री पर निर्देशक का दबाव रहता है ताकि वह अच्छे फिल्म का निर्माण कर सकें। गायक-गायिकाएँ और नर्तक पर आयोजकों के साथ-साथ श्रोताओं का दबाव रहता है। चित्रकार पर उनके ग्राहकों का दवाब रहता कि वह अच्छी चित्र बनाएँ| खिलाड़ियों पर उनके प्रबंधकों और दर्शक दवाब होता है|

6. हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अंत: व बाह्य दोनों दबाव का परिणाम है यह आप कैसे कह सकते हैं ?

उत्तर

लेखक को जब जापान जाने का अवसर मिला तब वे हिरोशिमा भी गए| उन्होंने वहाँ वह अस्पताल भी देखा जहाँ रेडियम-पदार्थ से आहत लोग वर्षों से कष्ट पा रहे थे| उन्हें देखकर लेखक को सहानभूति हुई परन्तु इसने लिखने के लिए लेखक को प्रेरित नहीं किया। जब उन्होंने जले पत्थर पर किसी व्यक्ति की उजली छाया को देखा तो उन्हें उनके दर्द की अनभूति हुई जिसने लेखक को लिखने के लिए प्रेरित किया। यह लेखक का आंतरिक दवाब था|
चूँकि लेखक विज्ञान के छात्र थे तो वह हिरोशिमा की त्रासदी अच्छे ढंग से बता सकते थे| इसलिए कुछ अलग लिखने की चाह लेखक का बाह्य दवाब हो सकता है|


7. हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग है। आपकी दृष्टि में विज्ञान का दुरुपयोग कहाँ-कहाँ और किस तरह से हो रहा है?

उत्तर
हमारी दृष्टि में विज्ञान का दुरुपयोग अनेक क्षेत्रों में निम्नलिखित रूप में हो रहा है –
• असंख्य मात्रा में चल रहे वाहनों से निकलने वाला प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है|
• विज्ञान के विकसित होने की वजह से आतंकवादी भी आजकल गोली-बम का निर्माण कर सकने में सक्षम हैं और वे दुनिया में बम-विस्फोट कर तबाही मचा रहे हैं|
• चिकित्सा के क्षेत्र में अल्ट्रासाउंड का दुरूपयोग किया जा रहा है। गर्भ में पल रहे भ्रूण का लिंग परीक्षण कर कन्याभ्रूण की आधुनिक तकनीक से गर्भ में हत्या कर दी जा रही है।
• किसान जहरीले रसायनों का इस्तेमाल कर पैदावार बढ़ा रहे हैं परन्तु इसमें लोगों के स्वास्थ्य पर नकरात्मक प्रभाव पड़ रहा है|
• विकसित चिकित्सा की मदद से गैर-कानूनी अंग प्रत्यारोपण का व्यापार फल-फूल रहा है|

8. एक संवेदनशील युवा नागरिक की हैसियत से विज्ञान का दुरुपयोग रोकने में आपकी क्या भूमिका है?

उत्तर 
देश के एक संवेदनशील युवा नागरिक की हैसियत से विज्ञान का दुरूपयोग निम्नलिखित प्रकार से रोक सकते हैं-• बिजली के अनावश्यक प्रयोग को रोक कर हम ऊर्जा की बचत कर सकते हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान ना पहुँचे|
• विज्ञान द्वारा उपजी समस्याएँ जैसे वायरस को हम दूसरों ना फैलाकर इसकी रोकथाम कर सकते हैं|
• हम रैलियों, मीडिया और सेमिनार के माध्यम से समाज में विज्ञान द्वारा उत्पन्न बुराइयों जैसे भ्रूणहत्या, गैर-कानूनी अंग प्रत्यारोपण आदि को रोक सकते हैं|
• हम किसानों को जैविक खेती के बारे में जागरूक कर जहरीले रसायनों के प्रयोग को कम कर सकते हैं

Important Link

Short Summary- पाठ 5- मैं क्यों लिखता हूँ?

For Free Video Lectures, Please Click here

Read More

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 4- एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा! हिंदी |Kritika class 10 |EduGrown

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 4- एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!

NCERT Solutions for Class 10 will help the students in learning complex topics and problems in an easy way. Class 10 Kritika NCERT Solutions will help students in understanding the topics in the most simple manner and grasp them easier to perform better. You can study in an organized manner and set a good foundation for your future goals

पृष्ठ संख्या: 41

प्रश्न अभ्यास

1. हमारी आज़ादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नहीं रहा है। इस कहानी में ऐसे लोगों के योगदान को लेखक ने किस प्रकार उभारा है?

उत्तर

भारत की आज़ादी की लड़ाई में हर धर्म और वर्ग के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया था। इस कहानी में लेखक ने टुन्नू व दुलारी जैसे पात्रों के माध्यम से उस वर्ग को उभारने की कोशिश की है, जो समाज में हीन या उपेक्षित वर्ग के रूप में देखे जाते हैं। टुन्नू व दुलारी दोनों ही कजली गायक हैं। टुन्नू ने आज़ादी के लिए निकाले गए जलूसों में भाग लेकर व अपने प्राणों की आहूति देकर ये सिद्ध किया कि ये वर्ग मात्र नाचने या गाने के लिए पैदा नहीं हुए हैं अपितु इनके मन में भी आज़ादी प्राप्त करने का जोश है। इसी तरह दुलारी द्वारा रेशमी साड़ियों को जलाने के लिए देना भी एक बहुत बड़ा कदम था तथा इसी तरह जलसे में बतौर गायिका जाना व उसमें नाचना-गाना उसके योगदान की ओर इशारा करता है। लेखक ने इस प्रकार समाज के उपेक्षित लोगों के योगदान को स्वतंत्रता के आंदोलन में महत्त्वपूर्ण माना हैं।


2. कठोर ह्रदयी समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?

उत्त्तर

दुलारी अपने कठोर स्वभाव के लिए प्रसिद्ध थी परन्तु दुलारी का स्वभाव नारियल की तरह था। वह एक अकेली स्त्री थी। इसलिए स्वयं की रक्षा हेतु वह कठोर आचरण करती थी। परन्तु अंदर से वह बहुत नरम दिल की स्त्री थी। टुन्नू, जो उसे प्रेम करता था, उसके लिए उसके ह्रदय में बहुत खास स्थान था परन्तु वह हमेशा टुन्नू को दुतकारती रहती थी क्योंकि टुन्नू उससे उम्र में बहुत छोटा था। परन्तु उसके मन में टुन्नू का एक अलग ही स्थान था उसने जान लिया था कि टुन्नू उसके शरीर का नहीं, बल्कि उसकी गायन-कला का प्रेमी था। फेंकू द्वारा टुन्नू की मृत्यु का समाचार पाकर उसका ह्रदय दर्द से फट पड़ा और आँखों से आँसूओं की धारा बह निकली। किसी के लिए ना पसीजने वाला ह्रदय आज चीत्कार कर रहा था। उसकी मृत्यु ने टुन्नू के प्रति उसके प्रेम को सबके समक्ष प्रस्तुत कर दिया उसने टुन्नू द्वारा दी गई खादी की धोती पहन ली।


3. कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन क्यों हुआ करता होगा? कुछ और परंपरागत लोक आयोजनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर 
उस समय यह आयोजन मात्र मंनोरंजन का साधन हुआ करता था। परन्तु फिर भी इनमें लोगों की प्रतिष्ठा का प्रश्न रहा करता था। इन कजली गायकों को बुलवाकर समारोह का आयोजन करवाया जाता था । अपनी प्रतिष्ठा को उसके साथ जोड़ दिया जाता था और यही ऐसे समारोहों की जान हुआ करते थे। उनकी हार जीत पर सब टिका हुआ होता था। भारत में तो विभिन्न स्थानों पर अलग−अलग रूपों में अनेकों समारोह किए जाते हैं; जैसे- उत्तर भारत में पहलवानी या कुश्ती का आयोजन, राजस्थान में लोक संगीत व पशु मेलों का आयोजन, पंजाब में लोकनृत्य व लोकसंगीत का आयोजन, दक्षिण में बैलों के दंगल व हाथी−युद्ध का आयोजन किया जाता है।

4. दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक – सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर

दुलारी बेशक सामाजिक-सांस्कृतिक के दायरे से बाहर है। समाज के प्रतिष्ठित लोगों द्वारा इन प्रतिभावान व्यक्तियों व इनकी कलाओं को उचित सम्मान नहीं दिया गया है। लेकिन अपने व्यक्तित्व से इन्होंने अपना एक अलग नाम प्राप्त किया है, जो अतिविशिष्ट है। दुलारी की यही विशिष्टता उसे सबसे अलग करती है। ये इस प्रकार हैं –
प्रभावशाली गायिका − दुलारी एक प्रभावशाली गायिका है उसकी आवाज़ में मधुरता व लय का सुन्दर संयोजन है। पद्य में तो सवाल−जवाब करने में उसे कुशलता प्राप्त थी। उसका सामना अच्छे से अच्छा गायक भी नहीं कर पाता था।
देश के प्रति समर्पित − बेशक दुलारी प्रत्यक्ष रूप से स्वतन्त्रता संग्राम में ना कूदी हो पर वह अपने देश के प्रति समर्पित स्त्री थी।  उसने बिना हिचके फेंकू द्वारा दी रेशमी साड़ियों के बंडल को आदोलनकारियों को जलाने हेतु दे दिया।
समर्पित प्रेमिका − दुलारी एक समर्पित प्रेमिका थी। वह टुन्नू से मन ही मन प्रेम करती थी। परन्तु उसके जीते−जी उसने अपने प्रेम को कभी व्यक्त नहीं किया। उसकी मृत्यु ने उसके ह्दय में दबे प्रेम को आंसुओं के रूप में प्रवाहित कर दिया।
निडर स्त्री − दुलारी एक निडर स्त्री थी। वह किसी से नहीं डरती थी। दुलारी का अपना कोई नहीं था। वह अकेली रहती थी। अतः अपनी रक्षा हेतु उसने स्वयं को निडर बनाया हुआ था। इसी निडरता से उसने फेकूं की दी हुई साड़ी जुलूस में फेंक दी। टुन्नू की मृत्यु के पश्चात उसने अंग्रेज़ विरोधी समारोह में भाग लिया तथा गायन पेश किया।
स्वाभिमानी स्त्री − दुलारी एक स्वाभिमानी स्त्री थी। वह अपने सम्मान का समझौता करने के लिए बिलकुल तैयार नहीं थी। उसने अकेले रहकर सम्मान से सर उठाकर जीना सीखा था। फेंकू की दी साड़ी भी उसने इसलिए फेंक दी थी।

5. दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहाँ और किस रूप में हुआ?

उत्तर
टुन्नू व दुलारी का परिचय भादों में तीज़ के अवसर पर खोजवाँ बाज़ार में हुआ था। जहाँ वह गाने के लिए बुलवाई गई थी। दुक्कड़ पर गानेवालियों में दुलारी का खासा नाम था। उससे पद्य में ही सवाल-जवाब करने की महारत हासिल थी। बड़े-बड़े गायक उसके आगे पानी भरते नज़र आते थे और यही कारण था कि कोई भी उसके सम्मुख नहीं आता था। उसी कजली दंगल में उसकी मुलाकात टुन्नू से हुई थी। उसने भी पद्यात्मक शैली में प्रश्न-उत्तर करने में कुशलता प्राप्त की थी। टुन्नू दुलारी की ओर हाथ उठकर चुनौती के रूप में ललकार उठा। दुलारी मुस्कुराती हुई मुग्ध होकर सुनती रही। टुन्नू ने दुलारी को भी अपने आगे नतमस्तक कर दिया था।


6. दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहाँ तक उचित था – “तैं सरबउला बोल ज़िन्नगी में कब देखले लोट?…! “दुलारी से इस आक्षेप में आज के युवा वर्ग के लिए क्या संदेश छिपा है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

दुलारी का टुन्नू को यह कहना उचित था – “तैं सरबउला बोल ज़िन्दगी में कब देखने लोट?…! ” क्योंकि टुन्नू अभी सोलह सत्रह वर्ष का है। उसके पिताजी गरीब पुरोहित थे जो बड़ी मुश्किल से गृहस्थी चला रहे थे। टुन्नू ने अब तक लोट (नोट) देखे नहीं। उसे पता नहीं कि कैसे कौड़ी-कौड़ी जोड़कर लोग गृहस्थी चलाते है। यहाँ दुलारी ने उन लोगों पर आक्षेप किया है जो असल ज़िन्दगी में कुछ करते नहीं मात्र दूसरों की नकल पर ही आश्रित होते हैं। उसके अनुसार इस ज़िन्दगी में कब क्या हो जाए कोई नहीं जानता। इस ज़िन्दगी में कब नोट या धन देखने को मिल जाए कोई कुछ नहीं जानता। इसलिए हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।

7. भारत के स्वीधनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?

उत्तर

विदेशी वस्त्रों के बाहिष्कार हेतु चलाए जा रहे आन्दोलन में दुलारी ने अपना योगदान रेशमी साड़ी व फेंकू द्वारा दिए गए रेशमी साड़ी के बंडल को देकर दिया। बेशक वह प्रत्यक्ष रूप में आन्दोलन में भाग नहीं ले रही थी फिर भी अप्रत्यक्ष रूप से उसने अपना योगदान दिया था। टुन्नू ने स्वतन्त्रता संग्राम में एक सिपाही की तरह अपना योगदान दिया था। उसने रेशमी कुर्ता व टोपी के स्थान पर खादी के वस्त्र पहनना आरम्भ कर दिया। अंग्रेज विरोधी आन्दोलन में वह सक्रिय रूप से भाग लेने लग गया था और इसी सहभागिता के कारण उसे अपने प्राणों का बालिदान देना पड़ा।

8. दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी? यह प्रेम दुलारी को देश प्रेम तक कैसे पहुँचाता है?

उत्तर

दुलारी और टुन्नू के ह्रदय में एक दूसरे के प्रति अगाध प्रेम था और ये प्रेम उनकी कला के माध्यम से ही उनके जीवन में आया था। दुलारी ने टुन्नू के प्रेम निवेदन को कभी स्वीकारा नहीं परन्तु वह मन ही मन उससे बहुत प्रेम करती थी। वह यह भली भांति जानती थी कि टुन्नू का प्रेम शारीरिक ना होकर आत्मिय प्रेम था और टुन्नू की इसी भावना ने उसके मन में उसके प्रति श्रद्धा भावना भर दी थी। परन्तु उसकी मृत्यु के समाचार ने उसके ह्रदय पर जो आघात किया, वह उसके लिए असहनीय था। अंग्रेज अफसर द्वारा उसकी निर्दयता पूर्वक हत्या ने, उसके अन्दर के कलाकार को प्रेरित किया और उसने स्वतन्त्रता सेनानियों द्वारा आयोजित समारोह में अपने गायन से नई जान फूंक दी। यही से उसने देश प्रेम का मार्ग चुना।

9. जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रों के ढेर में अधिकाशं वस्त्र फटे-पुराने थे परंतु दुलारी द्वारा विदेशी मिलों में बनी कोरी साड़ियों का फेंका जाना उसकी किस मानसिकता को दर्शाता है?

उत्तर

आज़ादी के दीवानों की एक टोली जलाने के लिए विदेशी वस्त्रों का संग्रह कर रही थी। अधिकतर लोग फटे-पुराने वस्त्र दे रहे थे। दुलारी के वस्त्र बिलकुल नए थे। दुलारी द्वारा विदेशी वस्त्रों के ढेर में कोरी रेशमी साड़ियों का फेंका जाना यह दर्शाता है कि वह एक सच्ची हिन्दुस्तानी है, जिसके ह्रदय में देश के प्रति प्रेम व आदरभाव है। देश के आगे उसके लिए साड़ियों का कोई मूल्य नहीं है। उसके ह्रदय में उन रेशमी साड़ियों का मोह नहीं था। मोह था तो अपने देश के सम्मान का। वह उसकी सच्चे देश प्रेमी की मानसिकता को दर्शाता है।


10. “मन पर किसी का बस नहीं ; वह रूप या उमर का कायल नहीं होता।” टुन्नू के इस कथन में उसका दुलारी के प्रति किशोर जनित प्रेम व्यक्त हुआ है परंतु उसके विवेक ने उसके प्रेम को किस दिशा की ओर मोड़ा?
उत्तर

टुन्नू दुलारी से प्रेम करता था। वह दुलारी से उम्र में बहुत ही छोटा था। वह मात्र सत्रह − सोलह साल का लड़का था। दुलारी को उसका प्रेम उसकी उम्र की नादानी के अलावा कुछ नहीं लगता था। इसलिए वह उसका तिरस्कार करती रहती थी। परन्तु इन वाक्यों ने जैसे एक अल्हड़ लड़के में प्रेम के प्रति सच्ची भावना देखी। उसका प्रेम शरीर से ना जुड़कर उसकी आत्मा से था। टुन्नू के द्वारा कहे वचनों ने दुलारी के ह्रदय में उसके आसन को और दृढ़ता से स्थापित कर दिया। टुन्नु के प्रति उसके विवेक ने उसके प्रेम को श्रद्धा का स्थान दे दिया। अब उसका स्थान अन्य कोई व्यक्ति नहीं ले सकता था।

11. ‘एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा ! का प्रतीकार्थ समझाइए।

उत्तर

इस कथन का शाब्दिक अर्थ है कि इसी स्थान पर मेरी नाक की लौंग खो गई है, मैं किससे पूछूँ ? नाक में पहना जानेवाला लौंग सुहाग का प्रतीक है। दुलारी एक गौनहारिन है उसने अपने मन रूपी नाक में टुन्नू के नाम का लौंग पहन लिया है।
दुलारी की मनोस्थिति देखें तो जिस स्थान पर उसे गाने के लिए आमंत्रित किया गया था, उसी स्थान पर टुन्नू की मृत्यु हुई थी तो उसका प्रतीकार्थ होगा – इसी स्थान पर मेरा प्रियतम मुझसे बिछड़ गया है। अब मैं किससे उसके बारे में पूछूँ कि मेरा प्रियतम मुझे कहाँ मिलेगा? अर्थात् अब उसका प्रियतम उससे बिछड़ गया है, उसे पाना अब उसके बस में नहीं है।

Important Link

Short Summary- पाठ 4- एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!

For Free Video Lectures, Please Click here

Read More

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 3- साना-साना हाथ जोड़ि हिंदी |Kritika class 10 |EduGrown

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 3- साना-साना हाथ जोड़ि हिंदी

NCERT Solutions for Class 10 will help the students in learning complex topics and problems in an easy way. Class 10 Kritika NCERT Solutions will help students in understanding the topics in the most simple manner and grasp them easier to perform better. You can study in an organized manner and set a good foundation for your future goals

पृष्ठ संख्या: 29
प्रश्न अभ्यास


1. झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था?

उत्तर

रात के अंधकार में सितारों से नहाया हुआ गंतोक लेखिका को जादुई अहसास करवा रहा था। उसे यह जादू ऐसा सम्मोहित कर रहा था कि मानो उसका आस्तित्व स्थगित सा हो गया हो, सब कुछ अर्थहीन सा था। उसकी चेतना शून्यता को प्राप्त कर रही थी। वह सुख की अतींद्रियता में डूबी हुई उस जादुई उजाले में नहा रही थी जो उसे आत्मिक सुख प्रदान कर रही थी।

2. गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ क्यों कहा गया?

उत्तर

गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ इसलिए कहा गया क्योंकि यहाँ के लोग बहुत मेहनती हैंऔर यह उनकी मेहनत ही है जिसकी वजह से आज भी गंतोक अपने पुराने स्वरुप को कायम रखे हुए है। पहाड़ी क्षेत्र के कारण पहाड़ों को काटकर रास्ता बनाना पड़ता है। पत्थरों पर बैठकर औरतें पत्थर तोड़ती हैं। उनके हाथों में कुदाल व हथौड़े होते हैं। कईयों की पीठ पर बँधी टोकरी में उनके बच्चे भी बँधे रहते हैं और वे काम करते रहते हैं। हरे-भरे बागानों में युवतियाँ बोकु पहने चाय की पत्तियाँ तोड़ती हैं। बच्चे भी अपनी माँ के साथ काम करते हैं। यहाँ जीवन बेहद कठिन है पर यहाँ के लोगों ने इन कठिनाईयों के बावजूद भी शहर के हर पल को खुबसूरत बना दिया है


3. कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है?

उत्तर

सफ़ेद बौद्ध पताकाएँ शांति व अहिंसा की प्रतीक हैं, इन पर मंत्र लिखे होते हैं। यदि किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा की शांति के लिए 108 श्वेत पताकाएँ फहराई जाती हैं। कई बार किसी नए कार्य के अवसर पर रंगीन पताकाएँ फहराई जाती हैं। इसलिए ये पताकाएँ, शोक व नए कार्य के शुभांरभ की ओर संकेत करते हैं।

4. जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, वहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जनजीवन के बारे में क्या महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं, लिखिए।

उत्तर

जितेन नार्गे ने लेखिका को निम्नलिखित महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी -प्रकृति-सिक्किम एक पहाड़ी इलाका है। यहाँ जगह -जगह पर पाईन और धूपी के खूबसूरत नुकीले पेड़ हैं। रास्ते वीरान,संकरे,जलेबी की तरह घुमावदार हैं। थोड़ी -थोड़ी डूडी पर झरने बह रहे हैं। घाटियों का सौंदर्य देखते ही बनता हैं। नार्गे ने बताया कि वहाँ की खुबसूरती,स्विट्ज़रलैंड की खुबसूरती से तुलना की जा सकती है।

भौगोलिक स्थिति- गंतोक से 149 किलोमीटर की दूरी पर यूमथांग है। यहाँ फूलों से लदी वादियाँ हैं। रास्ते में ‘कवी लोंग स्टॉक’ है,जहाँ ‘गाइड’ फिल्म की शूटिंग हुई थी। थोड़ा ऊपर हिमालय पर्वत है। रास्ते में ‘सेवेन सिस्टर्स वाटरफॉल’ है। पहाड़ी रास्तों पर फहराई गई सफ़ेद धव्जा बुद्धिस्ट की मृत्यु तथा शान्ति की प्रतिक है और रंगीन धव्जा किसी नए कार्य की शुरूआत दर्शाते हैं।

जनजीवन- यहाँ के लोग बहुत मेहनती हैं। स्त्रियाँ व बच्चे सब काम करते हैं। स्त्रियाँ स्वेटर बुनती हैं,घर संभालती हैं,खेती करती हैं,पत्थर तोड़-तोड़ कर सड़कें बनाती हैं। चाय की पत्तियाँ चुनने बाग़ में जाती हैं। बच्चों को अपनी कमर पर कपड़े में बाँधकर रखती हैं। बच्चे पढ़ने के लिए तीन-चार किलोमीटर पहाड़ी चढ़ाई चढ़कर स्कूल जाते हैं। शाम को अपनी माँओं के साथ काम करते हैं। उनका जीवन बहुत श्रमसाध्य है। उसने बताया कि सिक्किम के लोग अन्य भारतीयों की तरह घुमते चक्र में अपनी आस्थाएँ तथा अंधविश्वास रखते हैं।


पृष्ठ संख्या: 30

5. लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक-सी क्यों दिखाई दी ?

उत्तर

लेखिका सिक्किम में घूमती हुई कवी-लोंग स्टॉक नाम की जगह पर गई। लोंग स्टॉक के घूमते चक्र के बारे में जितेन ने बताया कि यह धर्म चक्र है, इसको घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। मैदानी क्षेत्र में गंगा के विषय में ऐसी ही धारणा है। लेखिका को लगा कि चाहे मैदान हो या पहाड़, तमाम वैज्ञानिक प्रगतियों के बावजूद इस देश की आत्मा एक जैसी है। यहाँ लोगों की आस्थाएँ, विश्वास, पाप-पुण्य की अवधारणाएँ और कल्पनाएँ एक जैसी हैं। यही विश्वास पूरे भारत को एक ही सूत्र में बाँध देता है।

6. जितेन नार्गे की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करते हुए लिखिए कि एक कुशल गाइड में क्या गुण होते हैं?

उत्तर

नार्गे एक कुशल गाइड था। वह अपने पेशे के प्रति पूरा समर्पित था। उसे सिक्किम के हर कोने के विषय में भरपूर जानकारी प्राप्त थी इसलिए वह एक अच्छा गाइड था।एक कुशल गाइड में निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है –
1. एक गाइड अपने देश व इलाके के कोने−कोने से भली भाँति परिचित होता है, अर्थात् उसे सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।
2. उसे वहाँ की भौगोलिक स्थिति, जलवायु व इतिहास की सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।
3. एक कुशल गाइड को चाहिए कि वो अपने भ्रमणकर्ता के हर प्रश्नों के उत्तर देने में सक्षम हो।
4. एक कुशल गाइड को अपनी विश्वसनीयता का विश्वास अपने भ्रमणकर्ता को दिलाना आवश्यक है। तभी वह एक आत्मीय रिश्ता कायम कर अपने कार्य को कर सकता है।
5. गाइड को कुशल व बुद्धिमान व्यक्ति होना आवश्यक है। ताकि समय पड़ने पर वह विषम परिस्थितियों का सामना अपनी कुशलता व बुद्धिमानी से कर सके व अपने भ्रमणकर्ता की सुरक्षा कर सके।
6. गाइड को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि भ्रमणकर्ता की रूचि पूरी यात्रा में बनी रहे ताकि भ्रमणकर्ता के भ्रमण करने का प्रयोजन सफल हो। इसके लिए उसे हर उस छोटे बड़े प्राकृतिक रहस्यों व बातों का ज्ञान हो जो यात्रा को रूचिपूर्ण बनाए।
7. एक कुशल गाइड की वाणी को प्रभावशाली होना आवश्यक है इससे पूरी यात्रा प्रभावशाली बनती है और भ्रमणकर्ता की यात्रा में रूचि भी बनी रहती है।

7. इस यात्रा-वृत्तांत में लेखिका ने हिमालय के जिन-जिन रूपों का चित्र खींचा है, उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

इस यात्रा वृतांत में लेखिका ने हिमालय के पल-पल परिवर्तित होते रुप को देखा है। ज्यों-ज्यों ऊँचाई पर चढ़ते जाएँ हिमालय विशाल से विशालतर होता चला जाता है। हिमालय कहीं चटक हरे रंग का मोटा कालीन ओढ़े हुए, तो कहीं हल्का पीलापन लिए हुए प्रतीत होता है। चारों तरफ़ हिमालय की गहनतम वादियाँ और फूलों से लदी घाटियाँ थी। कहीं प्लास्टर उखड़ी दिवार की तरह पथरीला और देखते-ही-देखते सब कुछ समाप्त हो जाता है मानो किसी ने जादू की छडी घूमा दी हो। कभी बादलों की मोटी चादर के रूप में,सब कुछ बादलमय दिखाई देता है तो कभी कुछ और। कटाओ से आगे बढ़ने पर पूरी तरह बर्फ से ढके पहाड़ दिख रहे थे। चारों तरफ दूध की धार की तरह दिखने वाले जलप्रपात थे तो वहीं नीचे चाँदी की तरह कौंध मारती तिस्ता नदी। जिसने लेखिका के ह्रदय को आनन्द से भर दिया। स्वयं को इस पवित्र वातावरण में पाकर भावविभोर हो गई जिसने उनके ह्रदय को काव्यमय बना दिया।

8. प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है?

उत्तर
प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरुप को देखकर लेखिका को लगा कि इस सारे परिदृश्य को वह अपने अंदर समेट ले।  लेखिका चित्रलिखित सी ‘माया’ और ‘छाया ‘के अनूठे खेल को भर-भर आँखों से देखती जा रही थी। उसे लगा कि प्रकृति उसे सयानी बनाने के लिए जीवन रहस्यों करने पर तुली हुई है।  इन अद्भुत और अनूठे नजारों ने लेखिका को पल भर में ही जीवन की शक्ति का अनुभव करा दिया। उसे ऐसा लगने लगा जैसे वह देश व काल की पारापार से दूर,बहती धारा बनकर बह रही हो और उसकी मन के सारा मैल और वासनाएँ इस निर्मल धारा में बह कर नष्ट हो गई हो।

9. प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए ?

उत्तर

लेखिका हिमालय यात्रा के दौरान प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनन्द में डूबी हुई थी परन्तु जीवन के कुछ सत्य जो वह इस आनन्द में भूल चूकी थी, अकस्मात् वहाँ के जनजीवन ने उसे झकझोर दिया। वहाँ कुछ पहाड़ी औरतें जो मार्ग बनाने के लिए पत्थरों पर बैठकर पत्थर तोड़ रही थीं। उनके आटे सी कोमल काया पर हाथों में कुदाल व हथोड़े थे। कईयों की पीठ पर बच्चे भी बँधे हुए थे। इनको देखकर लेखिका को बहुत दुख हुआ कि ये हम सैलानियों के भ्रमण के लिए हिमालय की इन दुगर्म घाटियों में मार्ग बनाने का कार्य कर रही हैं। जहाँ पर जान कब जाए कोई नहीं जानता। इनके लिए यह भोजन मात्र पाने का साधन है और हमारे जैसे सौलानियों के लिए मनोरजंन का। दूसरी बार उसकी जादूई निद्रा तब टूटी जब उसने पहाड़ी बच्चों को उनसे लिफट माँगते देखा। सात आठ साल के बच्चों को रोज़ तीन−साढ़े तीन किलोमीटर का सफ़र तय कर स्कूल पढ़ने जाना पढ़ता है। स्कूल के पश्चात् वे बच्चे मवेशियों को चराते हैं तथा लकड़ियों के गट्ठर भी ढोते हैं। तीसरे लेखिका ने जब चाय की पत्तियों को चूनते हुए सिक्किमी परिधानों में ढकी हुई लड़कियों को देखा। बोकु पहने उनका सौंदर्य इंद्रधनुष छटा बिखेर रहा था। जिसने उसे मंत्रमुग्ध कर दिया था। उन्हें मेहनत करती हुई इन बालाओं का सौंदर्य असह्रय लग रहा था।

10. सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में किन-किन लोगों का योगदान होता है, उल्लेख करें।

उत्तर

सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव कराने में सबसे बड़ा हाथ एक कुशल गाइड का होता है। जो अपनी जानकारी व अनुभव से सैलानियों को प्रकृति व स्थान के दर्शन कराता है। कुशल गाइड इस बात का ध्यान रखता है कि भ्रमणकर्ता की रूचि पूरी यात्रा में बनी रहे ताकि भ्रमणकर्ता के भ्रमण करने का प्रयोजन सफल हो। अपने मित्रों व सहयात्रियों का साथ पाकर यात्रा और भी रोमांचकारी व आनन्दमयी बन जाती है। वहाँ के स्थानीय निवासियों व जन जीवन का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है। उनके द्वारा ही इस छटा के सौंदर्य को बल मिलता है क्योंकि यदि ये ना हों तो वो स्थान नीरस व बेजान लगने लगते हैं। तथा सरकारी लोग जो व्यवस्था में संलग्न होते उनका महत्त्वपूर्ण योगदान होता हैं।


11. “कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं।” इस कथन के आधार पर स्पष्ट करें कि आम जनता की देश की आर्थिक प्रगति में क्या भूमिका है?

उत्तर

पत्थरों पर बैठकर श्रमिक महिलाएँ पत्थर तोड़ती हैं। उनके हाथों में कुदाल व हथौड़े होते हैं। कइयों की पीठ पर बँधी टोकरी में उनके बच्चे भी बँधे रहते हैं और वे काम करते रहते हैं। हरे-भरे बागानों में युवतियाँ बोकु पहने चाय की पत्तियाँ तोड़ती हैं। बच्चे भी अपनी माँ के साथ काम करते हैं। इन्ही की भाँति आम जनता भी अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के प्रयास में जीविका रूप में देश और समाज के लिए बहुत कुछ करते हैं। सड़के, पहाड़ी मार्ग, नदियों, पुल आदि बनाना। खेतों में अन्न उपजाना, कपड़ा बुनना, खानों,कारखानों में कार्य करके अपनी सेवाओं से राष्ट्र आर्थिक सदृढ़ता प्रदान करके उसकी रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाते हैं।
हमारे देश की आम जनता जितना श्रम करती है, उसे उसका आधा भी प्राप्त नहीं होता परन्तु फिर भी वो असाध्य कार्य को अपना कर्तव्य समझ कर करते हैं। वो समाज का कल्याण करते हैं परन्तु बदले में उन्हें स्वयं नाममात्र का ही अंश प्राप्त होता है। देश की प्रगति का आधार यहीं आम जनता है जिसके प्रति सकारात्मक आत्मीय भावना भी नहीं होती। यदि ये आम जनता ना हो तो देश की प्रगति का पहिया रुक जाएगा।

12. आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है। इसे रोकने में आपकी क्या भूमिका होनी चाहिए।

उत्तर

आज की पीढ़ी के द्वारा प्रकृति को प्रदूषित किया जा रहा है। हमारे कारखानों से निकलने वाले जल में खतरनाक कैमिकल व रसायन होते हैं जिसे नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। साथ में घरों से निकला दूषित जल भी नदियों में ही जाता है। जिसके कारण हमारी नदियाँ लगातार दूषित हो रही हैं। अब नदियों का जल पीने लायक नहीं रहा है। इसका जीवन्त उदाहरण यमुना नदी है। जो आज एक नाले में बदल गई है। वनों की अन्धांधुध कटाई से मृदा का कटाव होने लगा है जो बाढ़ को आमंत्रित कर रहा है। दूसरे अधिक पेड़ों की कटाई ने वातावरण में कार्बनडाइ आक्साइड की अधिकता बढ़ा दी है जिससे वायु प्रदुषित होती जा रही है। हमें चाहिए कि हम मिलकर इस समस्या का समाधान निकाले। हम सबको मिलकर अधिक से अधिक पेड़ों को लगाना चाहिए। पेड़ों को काटने से रोकने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए ताकि वातावरण की शुद्धता बनी रहे। हमें नादियों की निर्मलता व स्वच्छता को बनाए रखने के लिए कारखानों से निकलने वाले प्रदूर्षित जल को नदियों में डालने से रोकना चाहिए। नदियों की स्वच्छता बनाए रखने के लिए, लोगों की जागरूकता के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन होना चाहिए।

13. प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का जिक्र किया गया है। प्रदूषण के और कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने आये हैं, लिखें।

उत्तर

प्रदूषण के कारण वायुमण्डल में कार्बनडाइआक्साइड की अधिकता बढ़ गई है जिसके कारण वायु प्रदूषित होती जा रही है। इससे साँस की अनेकों बीमारियाँ उत्पन्न होने लगी है। जलवायु पर भी इसका बुरा प्रभाव देखने को मिल रहा है जिसके कारण कहीं पर बारिश की अधिकता हो जाती है तो किसी स्थान पर सूखा पड़ जाता है। कहीं पर बारिश नाममात्र की होती है जिस कारण गर्मी में कमी नहीं होती। मौसम पर तो इसका असर साफ दिखाई देने लगा है।
गर्मी के मौसम में गर्मी की अधिकता देखते बनती है। कई बार तो पारा अपने सारे रिकार्ड को तोड़ चुका होता है। सर्दीयों के समय में या तो कम सर्दी पड़ती है या कभी सर्दी का पता ही नहीं चलता। ये सब प्रदुषण के कारण ही सम्भव हो रहा है। जलप्रदूषण के कारण स्वच्छ जल पीने को नहीं मिल पा रहा है और पेट सम्बन्धी अनेकों बीमारियाँ उत्पन्न हो रही हैं।

14. ‘कटाओ’ पर किसी दूकान का न होना उसके लिए वरदान है। इस कथन के पक्ष में अपनी राय व्यक्त कीजिए।

उत्तर

‘कटाओ’ पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है क्योंकि अभी यह पर्यटक स्थल नहीं बना। यदि कोई दुकान होती तो वहाँ सैलानियों का अधिक आगमन शुरू हो जाएगा। और वे जमा होकर खाते-पीते, गंदगी फैलाते, इससे गंदगी तथा वहाँ पर वाहनों के अधिक प्रयोग से वायु में प्रदूषण बढ़ जाएगा। लेखिका को केवल यही स्थान मिला जहाँ पर वह स्नोफॉल देख पाई। इसका कारण यही था कि वहाँ प्रदूषण नहीं था। अतः ‘कटाओ ‘पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए एक प्रकार से वरदान ही है।

15. प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है ?

उत्तर

प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था नायाब ढंग से की है। प्रकृति सर्दियों में बर्फ के रूप में जल संग्रह कर लेती है और गर्मियों में पानी के लिए जब त्राहि-त्राहि मचती है,तो उस समय यही बर्फ शिलाएँ पिघलकर जलधारा बन के नदियों को भर देती है। सचमुच प्रकृति ने जल संचय की कितनी अद्भुत व्यवस्था की है।

16. देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी किस तरह की कठिनाइयों से जूझते हैं? उनके प्रति हमारा क्या उत्तरदायित्व होना चाहिए?

उत्तर

देश की सीमा पर,जहाँ तापमान गर्मी में भी माइनस 15 डिग्री सेलसियस होता है, उस कड़कड़ाती ठंड फ़ौजी पहरा देते हैं जब कि हम वहाँ पर एक मिनट भी नहीं रूक सकते। हमारे फ़ौजी सर्दी तथा गर्मी में वहीं रहकर देश की रक्षा करते रहते हैं ताकि हम चैन की नींद सो सकें। ये जवान हर पल कठिनाइयों से झूझते हैं और अपनी जान हथेली पर रखकर जीते हैं।
हमें सदा उनकी सलामती की दुआ करनी चाहिए। उनके परिवारवालों के साथ हमेशा सहानुभूति, प्यार व सम्मान के साथ पेश आना चाहिए।

Important Link

Short Summary- पाठ 3- साना-साना हाथ जोड़ि हिंदी

For Free Video Lectures, Please Click here

Read More

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 2- जॉर्ज पंचम की नाक हिंदी |Kritika class 10 |EduGrown

NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 2- जॉर्ज पंचम की नाक

NCERT Solutions for Class 10 will help the students in learning complex topics and problems in an easy way. Class 10 Kritika NCERT Solutions will help students in understanding the topics in the most simple manner and grasp them easier to perform better. You can study in an organized manner and set a good foundation for your future goals

पृष्ठ संख्या: 15
प्रश्न अभ्यास


1. सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है वह उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है।

उत्तर

सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है, वह उनकी गुलाम और औपनिवेशिक मानसिकता को प्रकट करती है। सरकारी लोग उस जॉर्ज पंचम के नाम से चिंतित है जिसने न जाने कितने ही कहर ढहाए। उसके अत्याचारों को याद न कर उसके सम्मान में जुट जाते हैं। सरकारी तंत्र अपनी अयोग्यता,अदूरदर्शिता, मूर्खता और चाटुकारिता को दर्शाता है।

2. रानी एलिजाबेथ के दरज़ी की परेशानी का क्या कारण था? उसकी परेशानी को आप किस तरह तर्कसंगत ठहराएँगे?

उत्तर

रानी एलिज़ाबेथ के दरजी की परेशानी का कारण रानी की वेशभूषा थी। दरजी यह सोच कर परेशान हो रहा था की भारत-पाकिस्तान और नेपाल यात्रा के समय रानी किस अवसर पर क्या पहनेंगी।
दरजी की परेशानी तर्कसंगत थी। यह इसलिए क्योंकि रानी इस यात्रा पर अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहीं थी। अर्थात उनके कपड़ों का उनकी मर्यादा के अनुकूल होना जरूरी था। रानी की वेशभूषा तैयार करने में यदि उससे कोई चूक हो जाती, तो उसे रानी के क्रोध का सामना करना पड़ता।

 3. ‘और देखते ही देखते नयी दिल्ली का काया पलट होने लगा’ – नयी दिल्ली के काया पलट के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए होंगे ?

उत्तर
दिल्ली की काया पलटने के लिए पर्यटक स्थलों का उद्धार किया गया होगा। दिल्ली की खस्ता हो चुकी सड़कों का पुर्नउद्धार किया गया होगा, पूरे दिल्ली शहर में साफ सफाई के लिए विशेष योजनाएँ तैयार की गई होगी। उन दिनों पानी या बिजली की समस्याएँ ना उत्पन्न हो उसके लिए कारगर कार्य किए गए होंगे। आंतकवादी घटनाएँ या फिर इंग्लैंड विरोधी कार्यवाही या धरने न हो उसके लिए सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए होंगे।

4. आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है –

(क) इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्या विचार हैं?

उत्तर

आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान सम्बंधि आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है वह न केवल अनावश्यक है, बल्की समाज की उन्नति के लिए बाधक भी है। यह एक निम्न स्तर की भटकी हुई पत्रकारिता है। पत्रकारिता लोकतंत्र का वह मुख्य स्तम्भ है, जो समाज के अधिकारों के प्रहरी के रूप में समाज तथा राष्ट्र दोनों के विकास मैं महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। किन्तु इस प्रकार की पत्रकारिता जिससे सामान्य ज्ञान नहीं बढ़ता, न ही इससे आम आदमी के जीवन में कोइ लेना-देना है, समाज को सिर्फ हानि पहुँचाती है। यह व्यक्ति-विशेष की निजी जीवन में अनुचित ताक-झाँक है जो हमारी सभ्यता व संस्कृति के विपरीत है।


(ख) इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती है ? 
उत्तर 

इस प्रकार की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर अत्यंत नकारात्मक और हानिकारक प्रभाव डालती है। यह युवा पीढ़ी के चारों ओर चर्चित हस्तियों की जीवन-शैली का ऐसा भ्रम-जाल बुन देती है, जिसमें उलझकर युवा पीढ़ी और आम जनता अपने लक्ष्यों और कर्तव्यों से भटककर अपराध के दल-दल में फँस जाती है। राष्ट्र को सही दिशा में चलाने के लिए यह आवश्यक है कि पत्रकारिता का प्रत्येक विषय समस्त नागरिकों के हित में हो न की लोगों को पथ भ्रष्ट करने के लिए हो।


पृष्ठ संख्या: 16

5. जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुन: लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्न किए?
उत्तर

जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने  सर्वप्रथम जॉर्ज पंचम की नाक के निर्माण में प्रयुक्त पत्थर को खोजने का प्रयास किया। इसके लिए उसने देश भर में जा-जाकर खोज की, पर असफल रहा। वह पत्थर विदेशी था।  उसने देश भर में घूम-घूमकर शहीद नेताओं की मूर्तियों की नाक का नाप लिया, ताकि उन मूर्तियों में से किसी की नाक को जॉर्ज पंचम की लाट पर लगाया जा सके, किंतु सभी नाकें आकार में बड़ी निकलीं।  इसके पश्चात् उसने 1942 में बिहार सेक्रेटरिएट के सामने शहीद बच्चों की मूर्ती की नाक का नाप लिया, किंतु वे भी बड़ी निकलीं। अंत में उसने जिंदा नाक लगाने का निर्णय किया।

6. प्रस्तुत कहानी में जगह-जगह कुछ ऐसे कथन आए हैं जो मौजूदा व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं। उदाहरण के लिए ‘फाईलें सब कुछ हज़म कर चुकी हैं।’ ‘सब हुक्कामों ने एक दूसरे की तरफ़ ताका।’ पाठ में आए ऐसे अन्य कथन छाँटकर लिखिए।

उत्तर

मौजूदा व्यवस्था पर चोट करने वाले कथन निम्नलिखित हैं-
1. सभापति ने तैश में आकर कहा, “लानत है आपकी अकल पर। विदेशों की सारी चीज़ें हम अपना चुके हैं- दिल-दिमाग तौर तरीके और रहन-सहन, जब हिन्दुस्तान में बाल डांस तक मिल जाता है तो पत्थर क्यों नहीं मिल सकता?”
2. मूर्तिकार ने अपनी नई योजना पेश की “चूँकि नाक लगाना एकदम ज़रूरी है, इसलिए मेरी राय है कि चालीस करोड़ में से कोई एक ज़िदा नाक काटकर लगा दी जाए…”
3. किसी ने किसी से नहीं कहा, किसी ने किसी को नहीं देखा पर सड़के जवान हो गई, बुढ़ापे की धूल साफ़ हो गई।

7. नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभरकर आई है? लिखिए।

उत्तर

नाक, इज्जत-प्रतिष्ठा, मान-मर्यादा और सम्मान का प्रतीक है। शायद यही कारण है कि इससे संबंधित कई मुहावरे प्रचलित हैं जैसे – नाक कटना, नाक रखना, नाक का सवाल,नाक रगड़ना आदि। इस पाठ में नाक मान सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात लेखक ने विभिन्न बातों द्वारा व्यक्त की हैं। रानी एलिज़ाबेथ अपने पति के साथ भारत दौरे पर आ रही थीं। ऐसे मौके में जॉर्ज पंचम की नाक का न होना उसकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने जैसा था। यह लोग विदेशियों की नाक को ऊँचा करने को अपने नाक का सवाल बना लेते हैं। यहाँ तक की जॉर्ज पंचम की नाक का सम्मान भारत के महान नेताओं एवं साहसी बालकों के सम्मान से भी ऊँचा था।

8. जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहता है।

उत्तर

यहाँ लेखक ने भारतीय समाज के महान नेताओं व साहसी बालकों के प्रति अपना प्रेम प्रस्तुत किया है। हमारे समाज में यह विशेष आदरणीय लोग हैं। इनका स्थान जॉर्ज पंचम से सहस्त्रों गुणा बड़ा है जॉर्ज पंचम ने भारत को कुछ नहीं दिया परन्तु इन्होनें अपने बलिदान व त्याग से भारत को एक नीवं दी उसे आज़ादी दी है। इसलिए इनकी नाक जॉर्ज पंचम की नाक से सहस्त्रों गुणा ऊँची है।

9. अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया?

उत्तर

अखबारों ने इस खबर पर खास ध्यान नहीं दिया पर उन्होनें इतना लिखा की नाक का मसला हल हो गया है और राजपथ पर इंडिया गेट के पास वाली जॉर्ज पंचम की लाट कि नाक लग गई है। इसके अतिरिक्त अखबारों में नाक के विषय को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई ना ही किसी समारोह के होने की खबर को छापा गया।

10. “नयी दिल्ली में सब था… सिर्फ़ नाक नहीं थी।” इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?

उत्तर

इस कथन के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि रानी की स्वागत तथा उनकी प्रसन्नता हेतु दिल्ली में हर प्रकार की तैयारियाँ की गयी थीं। साफ़-सफाई, सजावट, सुख-सुविधा से लेकर सुरक्षा की सभी व्यवस्था की गयी थीं, किन्तु इन सबकी बावजूद भी जॉर्ज पंचम की लाट की नाक, जो संभवतः अंग्रेजों के मान-सम्मान का प्रतीक है, नहीं थी।
इसका एक अर्थ यह होता है कि भारत में अपना शासन खो चुके अंग्रेजों के प्रति लोगों के मन में अब कोई मान-सम्मान नहीं बचा था, और साथ ही इस से हमारे प्रशासन की कमज़ोर एवं त्रुटिपूर्ण व्यवस्था का भी पता चलता है।

11. जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?

उत्तर

ब्रिटिश सरकार को दिखाने के लिए किसी ज़िदा इनसान कि नाक जॉर्ज पंचम की लाट कि नाक पर लगाना किसी को पसंद नहीं आया। इसके विरोध में सभी अखबार चुप रहें। यदि वे सच छापदेते तो पूरी दुनिया क्या कहती। दुनिया के लोग जब जानते कि आज़ादी के बाद भी दिल्ली में बैठे हुक़्मरान आज भी अंग्रेजों के आगे अपनी दुम हिलाते हैं।

Important Link

Short Summary- पाठ 2- जॉर्ज पंचम की नाक

For Free Video Lectures, Please Click here

Read More