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NCERT Book Solutions For Class 9 Hindi Sparsh Chapter 9
पृष्ठ संख्या: 89 प्रश्न अभ्यास
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए −(क) पहले पद में भगवान और भक्त की जिन-जिन चीज़ों से तुलना की गई है, उनका उल्लेख कीजिए। (ख) पहले पद की प्रत्येक पंक्ति के अंत में तुकांत शब्दों के प्रयोग से नाद-सौंदर्य आ गया है, जैसे- पानी, समानी आदि। इस पद में से अन्य तुकांत शब्द छाँटकर लिखिए। (ग) पहले पद में कुछ शब्द अर्थ की दृष्टि से परस्पर संबद्ध हैं। ऐसे शब्दों को छाँटकर लिखिए −
उदाहरण :
दीपक
बाती
…………….
………….
…………….
…………..
……………..
…………..
……………..
…………..
(घ) दूसरे पद में कवि ने ‘गरीब निवाजु’ किसे कहा है? स्पष्ट कीजिए। (ङ) दूसरे पद की ‘जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। (च) ‘रैदास’ ने अपने स्वामी को किन-किन नामों से पुकारा है? (छ) निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए − मोरा, चंद, बाती, जोति, बरै, राती, छत्रु, धरै, छोति, तुहीं, गुसइआ
उत्तर
(क) पहले पद में भगवान और भक्त की तुलना निम्नलिखित चीज़ों से की गई हैं− (1) भगवान की घन बन से, भक्त की मोर से (2) भगवान की चंद्र से, भक्त की चकोर से (3) भगवान की दीपक से, भक्त की बाती से (4) भगवान की मोती से, भक्त की धागे से (5) भगवान की सुहागे से, भक्त की सोने से (6) भगवान की चंदन से, भक्त की पानी से
(ख)
मोरा
चकोरा
दासा
रैदासा
बाती
राती
धागा
सुहागा
(ग)
मोती
धागा
घन बन
मोर
सुहागा
सोना
चंदन
पानी
दासा
स्वामी
(घ) ‘गरीब निवाजु’ का अर्थ है, गरीबों पर दया करने वाला। कवि ने भगवान को ‘गरीब निवाजु’ कहा है क्योंकि ईश्वर ही गरीबों का उद्धार करते हैं, सम्मान दिलाते हैं, सबके कष्ट हरते हैं और भवसागर से पार उतारते हैं।
(ङ) ‘जाकी छोति जगत कउ लागै’ का अर्थ है जिसकी छूत संसार के लोगों को लगती है और ‘ता पर तुहीं ढरै’ का अर्थ है उन पर तू ही (दयालु) द्रवित होता है। पूरी पंक्ति का अर्थ है गरीब और निम्नवर्ग के लोगों को समाज सम्मान नहीं देता। उनसे दूर रहता है। परन्तु ईश्वर कोई भेदभाव न करके उन पर दया करते हैं, उनकी मद्द करते हैं, उनकी पीड़ा हरते हैं।
(च) रैदास ने अपने स्वामी को गुसईया, गरीब निवाज़, गरीब निवाज़ लाला प्रभु आदि नामों से पुकारा है।
(छ)
मोरा
–
मोर
चंद
–
चन्द्रमा
बाती
–
बत्ती
बरै
–
जले
राती
–
रात
छत्रु
–
छत्र
धरै
–
रखे
छोति
–
छुआछूत
तुहीं
–
तुम्हीं
राती
–
रात
गुसइआ
–
गौसाई
2. नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए − (क)जाकी अँग-अँग बास समानी (ख)जैसे चितवत चंद चकोरा (ग)जाकी जोति बरै दिन राती (घ)ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै (ङ)नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै उत्तर
(क) कवि के अंग-अंग मे राम-नाम की सुगंध व्याप्त हो गई है। जैसे चंदन के पानी में रहने से पानी में उसकी सुगंध फैल जाती है, उसी प्रकार राम नाम के लेप की सुगन्धि उसके अंग-अंग में समा गयी है।
(ख) चकोर पक्षी अपने प्रिय चाँद को एकटक निहारता रहता है, उसी तरह कवि अपने प्रभु राम को भी एकटक निहारता रहता है। इसीलिए कवि ने अपने को चकोर कहा है।
(ग) ईश्वर दीपक के समान है जिसकी ज्योति हमेशा जलती रहती है। उसका प्रकाश सर्वत्र सभी समय रहता है।
(घ) भगवान को लाल कहा है कि भगवान ही सबका कल्याण करता है इसके अतिरिक्त कोई ऐसा नहीं है जो गरीबों को ऊपर उठाने का काम करता हो।
(ङ) कवि का कहना है कि ईश्वर हर कार्य को करने में समर्थ हैं। वे नीच को भी ऊँचा बना लेता है। उनकी कृपा से निम्न जाति में जन्म लेने के उपरांत भी उच्च जाति जैसा सम्मान मिल जाता है।
3. रैदास के इन पदों का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
पहले पद का केंद्रिय भाव − जब भक्त के ह्रदय में एक बार प्रभु नाम की रट लग जाए तब वह छूट नहीं सकती। कवि ने भी प्रभु के नाम को अपने अंग-अंग में समा लिया है। वह उनका अनन्य भक्त बन चुका है। भक्त और भगवान दो होते हुए भी मूलत: एक ही हैं। उनमें आत्मा परमात्मा का अटूट संबंध है। दूसरे पद में − प्रभु सर्वगुण सम्पन्न सर्वशक्तिमान हैं। वे निडर है तथा गरीबों के रखवाले हैं। ईश्वर अछूतों के उद्धारक हैं तथा नीच को भी ऊँचा बनाने वाले हैं।
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NCERT Book Solutions For Class 9 Hindi Sparsh Chapter 8
पृष्ठ संख्या: 76 प्रश्न अभ्यास मौखिक निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –
1. महादेव भाई अपना परिचय किस रूप में देते थे? उत्तर महादेव भाई अपना परिचय गांधीजी के ‘हम्माल’ तथा ‘पीर-बावर्ची-खर’ के रूप में देते थे। 2. ‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक में लेखों की कमी क्यों रहने लगी थी? उत्तर ‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक के मुख्य लेखक हार्नीमैन को अंग्रेज़ सरकार ने देश निकाला इंग्लैंड भेज दिया इसलिए लेखों की कमी रहने लगी थी।
3.गांधीजी ने ‘यंग इंडिया’ प्रकाशित करने के विषय में क्या निश्चय किया?
उत्तर
गांधीजी ने ‘यंग इंडिया’ प्रकाशित करने के विषय में यह निश्चय किया कि यह हफ्ते में दो बार छपेगी।
4. गांधीजी से मिलने से पहले महादेव भाई कहाँ नौकरी करते थे?
उत्तर
गांधीजी से मिलने से पहले महादेव भाई सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी करते थे।
5. महादेव भाई के झोलों में क्या भरा रहता था?
उत्तर
महादेव भाई के झोलों में समाचार पत्र, मासिक पत्रिकाएँ पत्र और पुस्तकें भरी रहती थीं।
6. महादेव भाई ने गांधीजी की कौन-सी प्रसिद्ध पुस्तक का अनुवाद किया था?
उत्तर
महादेव जी ने गांधीजी द्वारा लिखित ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेजी में अनुवाद किया था।
7. अहमदाबाद से कौन-से दो साप्ताहिक निकलते थे?
उत्तर
अहमदाबाद से यंग इंडिया और नवजीवन नामक दो साप्ताहिक निकलते थे।
8. महादेव भाई दिन में कितनी देर काम करते थे?
उत्तर
महादेव भाई दिन में 17-18 घंटे काम करते थे।
9. महादेव भाई से गांधीजी की निकटता किस वाक्य से सिद्ध होती है?
उत्तर
महादेव भाई से गांधीजी की निकटता निम्न वाक्य से सिद्ध होती है −’ए रे जख्म जोगे नहि जशे’ − यह घाव कभी योग से भरेगा नहीं।
लिखित
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30) शब्दों लिखिए –
1. गांधीजी ने महादेव को अपना वारिस कब कहा था? उत्तर
गांधीजी जब 1919 में जलियाँ वाल बाग हत्याकांड के बाद पंजाब जा रहे थे तो पलवल रेलवे स्टेशन पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। तभी गांधीजी ने महादेव भाई को अपना वारिस कहा था।
2. गाँधीजी से मिलने आनेवालों के लिए महादेव भाई क्या करते थे?
उत्तर
गाँधीजी से मिलने आनेवालों से महादेव जी खुद मिलते थे, उनकी समस्याएँ सुनते, उनकी संक्षिप्त टिप्पणी तैयार करते और गांधीजी को बताते। इसके बाद वे आने वालों को गांधीजी से मिलवाते थे।
3. महादेव भाई की साहित्यिक देन क्या है?
उत्तर
महादेव भाई ने ‘सत्य का प्रयोग’ का अंग्रेज़ी अनुवाद किया जो कि गांधीजी की आत्मकथा थी। वे प्रतिदिन डायरी लिखते थे। शरद बाबू, टैगोर आदि की कहानियों का भी अनुवाद किया, ‘यंग इंडिया’ में लेख लिखे।
4. महादेव भाई की अकाल मृत्यु का कारण क्या था?
उत्तर
महादेव भाई भरी गर्मी में वर्घा से पैदल चलकर सेवाग्राम आते थे और जाते थे। 11 मील रोज़ गर्मी में पैदल चलने से स्वास्थय पर बुरा प्रभाव पड़ा और उनकी अकाल मृत्यु हो गई।
5. महादेव भाई के लिखे नोट के विषय में गांधीजी क्या कहते थे?
उत्तर
महादेव भाई के लिखे नोट के विषय में गांधीजी कहते थे कि वे सटीक होते हैं। उनमें कभी कोमा तक की गलती भी नहीं होती है। अगर किसी की टाइप करवाई हुई बातचीत में खामियां निकल जाती तो गांधीजी उन्हें कहते महादेव के लिखे नोट से मिलान कर लेना चाहिए था ना।
पृष्ठ संख्या: 77
(ख) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60) शब्दों लिखिए –
1. पंजाब में फ़ौजी शासन ने क्या कहर बरसाया?
उत्तर
पंजाब में फ़ौजी शासन ने अधिकतर नेताओं को गिरफ्तार करके, जन्म-क़ैद की सजाएँ देकर कालापानी भेज दिया। राष्ट्रीय दैनिक पत्र ‘ट्रिब्यून’ के संपादक को 10 साल की सज़ा मिली।
2. महादेव जी के किन गुणों ने उन्हें सबका लाड़ला बना दिया था?
उत्तर
महादेव जी प्रतिभा संपन्न व्यक्ति थे। वे कर्तव्यनिष्ठ थे, विन्रम स्वभाव के थे, आने वालों के साथ सहयोग करते थे। उनकी लेखन शैली का सभी लोहा मानते थे। वे कट्टर विरोधियों के साथ भी सत्यनिष्ठता और विवेक युक्त बात करते थे। देश में ही नहीं विदेश में भी लोकप्रिय थे। इन्हीं सब करणों से वे सबके लाडले थे।
3. महादेव जी की लिखावट की क्या विशेषताएँ थीं ?
उत्तर
महादेव जी की लिखावट बहुत सुंदर थी। उनके अक्षरों का कोई सानी नहीं था। उनके लिखे नोटों में कॉमा- हलंत तक की गलती नही होती थी। वाइसराय को जाने वाले पत्र गांधीजी हमेशा महादेव जी से ही लिखाते थे। उनका लेखन सबको मंत्रमुग्ध कर देता था। बड़े-बड़े सिविलियन और गवर्नर कहा करते थे कि सारी ब्रिटिश सर्विसों में उनके समान अक्षर लिखने वाला कोई नहीं था।
(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए −
1. ‘अपना परिचय उनके ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देने में वे गौरवान्वित महसूस करते थे।’
उत्तर
महादेव जी गांधीजी के मंत्री थे। वे गांधीजी के छोटे-बड़े सभी कार्य कुशलता पूर्वक करते थे। इसी कारण वे स्वयं को गांधीजी के ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ कहते थे और उसमें गौरव का अनुभव करते थे।
2. इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह करना होता था।
उत्तर
वकालत पेशे का काम झूठ को सच और सच को झूठ सिद्ध करना होता है। इसमें पूरी सच्चाई से काम नहीं होता था ।
3. देश और दुनिया को मुग्ध करके शुक्रतारे की तरह ही अचानक अस्त हो गए।
उत्तर
जिस तरह शुक्रतारा थोड़े समय में ही अपनी छटा से मोहित कर देता है और फिर छिप जाता है उसी प्रकार महादेव जी भी थोड़े ही समय में अपनी कार्यकुशलता से सबके लाडले बन गए परन्तु अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए।
4. उन पत्रों को देख देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वाइसराय लंबी साँस उसाँस लेते रहते थे।
उत्तर
गांधीजी के पत्र हमेशा महादेव जी की लिखावट में लिखे जाते थे। जिन पत्रों को गांधीजी दिल्ली और शिमला में बैठे वाइसराय को भेजते उन पत्रों की लिखावट की सुन्दरता देखकर वे भी दांग रह जाते।
भाषा अध्यन
1. ‘इक’ प्रत्यय लगाकर शब्दों का निर्माण कीजिए −
सप्ताह
–
साप्ताहिक
साहित्य
–
…………..
व्यक्ति
–
…………..
राजनीति
–
…………..
अर्थ
–
…………..
धर्म
–
…………..
मास
–
…………..
वर्ष
–
…………..
उत्तर
1.
सप्ताह
–
साप्ताहिक
2.
साहित्य
–
साहित्यिक
3.
व्यक्ति
–
वैयक्तिक
4.
राजनीति
–
राजनीतिक
5.
अर्थ
–
आर्थिक
6.
धर्म
–
धार्मिक
7.
मास
–
मासिक
8.
वर्ष
–
वार्षिक
2. नीचे दिए गए उपसर्गों का उपयुक्त प्रयोग करते हुए शब्द बनाइए − अ, नि, अन, दुर, वि, कु, पर, सु, अधि
आर्य
–
…………..
आगत
–
…………..
डर
–
…………..
आकर्षण
–
…………..
क्रय
–
…………..
मार्ग
–
…………..
उपस्थित
–
…………..
लोक
–
…………..
नायक
–
…………..
भाग्य
–
…………..
उत्तर
आर्य
–
अनार्य
डर
–
निडर
क्रय
–
विक्रय
उपस्थित
–
अनुपस्थित
नायक
–
अधिनायक
आगत
–
स्वागत
आकर्षण
–
अनाकर्षण
मार्ग
–
कुमार्ग
लोक
–
परलोक
भाग्य
–
सौभाग्य
पृष्ठ संख्या: 78
3.निम्नलिखित मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए −
आड़े हाथों लेना
अस्त हो जाना
दाँतों तले अँगुली दबाना
मंत्र मुग्ध करना
लोहे के चने चबाना
उत्तर
1. आड़े हाथों लेना – पुलिस ने चोर को आड़े हाथों ले लिया। 2. दाँतों तले अँगुली दबाना − पाँच वर्ष के बालक को कम्प्यूटर पर काम करते देखा तो सबने दाँतों तले अँगुली दबा ली। 3. लोहे के चने चबाना − आतंकवादियों ने अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को भी लोहे के चने चबवा दिए। 4. अस्त हो जाना − बहुत मेहनत के बाद भारतीय अंग्रेजी राज्य के सूर्य को अस्त करने में सफल रहे। 5. मंत्र-मुग्ध करना − उसने अपने भाषण से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
4. निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए −
वारिस
–
…………..
जिगरी
–
…………..
कहर
–
…………..
मुकाम
–
…………..
रूबरू
–
…………..
फ़र्क
–
…………..
तालीम
–
…………..
गिरफ़्तार
–
…………..
उत्तर
वारिस
–
वंश, उत्तराधिकारी
मुकाम
–
लक्ष्य, मंज़िल
तालीम
–
शिक्षा, ज्ञान, सीख
जिगरी
–
पक्का, घनिष्ठ
फ़र्क
–
अंतर, भेद
गिरफ़्तार
–
कैद, बंदी
5. उदाहरण के अनुसार वाक्य बदलिए − उदाहरण : गाँधीजी ने महादेव भाई को अपना वारिस कहा था। गाँधीजी महादेव भाई को अपना वारिस कहा करते थे। 1. महादेव भाई अपना परिचय ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में देते थे। 2. पीड़ितों के दल-के-दल ग्रामदेवी के मणिभवन पर उमड़ते रहते थे। 3. दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकलते थे। 4. देश-विदेश के समाचार-पत्र गांधीजी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी करते थे। 5. गांधीजी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाते थे।
उत्तर
1. महादेव भाई अपना परिचय ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ के रूप में दिया करते थे। 2. पीड़ितों के दल-के-दल ग्रामदेवी के मणिभवन पर उमड़ा करते थे। 3. दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकला करते थे। 4. देश-विदेश के समाचार-पत्र गांधीजी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी किया करते थे। 5. गांधीजी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाया करते थे।
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NCERT Book Solutions For Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7
पृष्ठ संख्या: 66 प्रश्न अभ्यास मौखिक निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –
1. आज धर्म के नाम पर क्या-क्या हो रहा है? उत्तर आज धर्म के नाम पर उत्पात, ज़िद, दंगे-फ़साद हो रहे है।
2. धर्म के व्यापार को रोकने के लिए क्या उद्योग होना चाहिए? उत्तर धर्म के व्यापार को रोकने के लिए साहस और दृढ़ता के साथ उद्योग होना चाहिए।
3. लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का कौन सा दिन बुरा था?
उत्तर
लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का वह दिन सबसे बुरा था जिस दिन स्वाधीनता के क्षेत्र में खिलाफत, मुल्ला मौलवियों और धर्माचार्यों को स्थान दिया जाना आवश्यक समझा गया।
4. साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में क्या बात अच्छी तरह घर कर बैठी है?
उत्तर
साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में यह बात अच्छी तरह घर कर बैठी है कि धर्म और ईमान के रक्षा के लिए जान तक दे देना वाजिब है।
5. धर्म के स्पष्ट चिह्न क्या हैं?
उत्तर
शुद्ध आचरण और सदाचार धर्म के स्पष्ट चिह्न हैं।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) उत्तर दीजिए –
1. चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं?
उत्तर
चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर लोगों को मूर्ख बनाते हैं और अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं, लोगों की शक्तियों और उनके उत्साह का दुरूपयोग करते हैं। वे इन जाहिलों के बल आधार पर अपना नेतृत्व और बड़प्पन कायम रखते हैं।
2. चालाक लोग साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते हैं?
उत्तर
चालाक लोग साधारण आदमी की धर्म की रक्षा के लिए जान लेने और देने वाले विचार और अज्ञानता का लाभ उठाते हैं। पहले वो अपना प्रभुत्व स्थापित करते हैं उसके बाद स्वार्थ सिद्धि के लिए जिधर चाहे मोड़ देते हैं।
3. आनेवाल समय किस प्रकार के धर्म को नही टिकने देगा?
उत्तर
दो घंटे तक बैठकर पूजा कीजिये और पंच-वक्ता नमाज़ भी अदा कीजिए, परन्तु ईश्वर को इस प्रकार के रिश्वत दे चुकने के पश्चात, यदि आप दिन-भर बेईमानी करने और दूसरों को तकलीफ पहुंचाने के लिए आजाद हैं तो इस धर्म को आनेवाल समय नही टिकने देगा।
4. कौन सा कार्य देश की स्वाधीनता के विरूद्ध समझा जायेगा?
उत्तर
आपका जो मंन चाहे वो माने और दूसरे का जो मन चाहे वो माने। यदि किसी धर्म के मानने वाले कहीं दुसरो के धर्म में जबरदस्ती टांग अड़ाते हैं तो यह कार्य देश की स्वाधीनता के विरूद्ध समझा जायेगा।
5. पाश्चात्य देशो में धनी और निर्धन लोगों में क्या अंतर है?
उत्तर
पाश्चात्य देशो में धनी और निर्धन लोगों के बीच एक गहरी खाई है। गरीबों के कमाई से वे और अमीर बनते जा रहे हैं और उसी के बल से यह प्रयत्न करते हैं कि गरीब और चूसा जाता रहे। वे गरीबों को धन दिखाकर अपने वश में करते हैं और फिर मनमांना धन पैदा करने के लिए जोत देते हैं।
6. कौन-से लोग धार्मिक लोगों से ज्यादा अच्छे हैं?
उत्तर
धार्मिक लोगों से वे ला-मज़हबी और नास्तिक लोग ज्यादा अच्छे हैं जिनका आचरण अच्छा है, जो दूसरों के सुख-दुख का ख्याल रखते हैं और जो मूर्खों को किसी स्वार्थ-सिद्धि के लिए उकसाना बहुत बुरा समझते हैं।
(ख) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) उत्तर दीजिए –
1. धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को कैसे रोका जा सकता है?
उत्तर
चालाक लोग धर्म और ईमान के नाम पर सामान्य लोगों को बहला फुसला कर उनका शोषण करते हैं तथा अपने स्वार्थ की पूर्ति करते हैं। मूर्ख लोग धर्म की दुहाई देकर अपने जान की बाजियाँ लगते हैं और धूर्त लोगों का बल बढ़ाते हैन। इस प्रकार धर्म की आड़ में एक व्यापार जैसा चल रहा है। इसे रोकने के लिए साहस और दृढ़ता के साथ मजबूत उद्योग होना चाहिए।
2. ‘बुद्धि पर मार’ के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं?
उत्तर
‘बुद्धि पर मार’ का आशय है की बुद्धि पर पर्दा डालकर पहले आत्मा और ईश्वर का स्थान अपने लिए लेना और फ़िर धर्म, ईमान ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए लोगों को लड़ना भिड़ाना। यह साधारण लोगो नही समझ पाते हैं और धर्म के नाम पर जान लेने और देने को भी वाजिब मानते हैं।
3. लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?
उत्तर
लेखक की दृष्टि में धर्म किसी दूसरे व्यक्ति की स्वाधीनता को छीनने का साधन ना बने। जिसका मन जो धर्म चाहे वो माने और दूसरे को जो चाहे वो माने। दो भिन्न धर्मों मानने वालो के लिए टकरा जाने का कोई स्थान ना रहे। अगर कोई व्यक्ति दूसरे के धर्म में दखल दे तो इस कार्य को स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाये।
4. महात्मा गांधी के धर्म सम्बन्धी विचारो पर प्रकाश डालिये।
उत्तर
महात्मा गाँधी अपने जीवन में धर्म को महत्वपूर्ण स्थान देते थे। वे सर्वत्र धर्म का पालन करते थे। धर्म के बिना एक पग भी चलने को तैयार नहीं होते थे। उनके धर्म के स्वरूप को समझना आवश्यक है। धर्म से महात्मा गांधी का मतलब, धर्म ऊँचे और उदार तत्वों का ही हुआ करता है। वे धर्म की कट्टरता के विरोधी थे। प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह धर्म के स्वरूप को भलि-भाँति समझ ले।
5. सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना क्यों आवश्यक है?
उत्तर सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना इसलिए आवश्यक है क्योंकि जब हम खुद को ही नहीं सुधारेंगे, दूसरों के साथ अपना व्यवहार सही नहीं रख सकेंगे। दिन भर के नमाज़, रोजे और गायत्री किसी व्यक्ति को अन्य व्यक्ति की स्वाधीनता रौंदने और उत्पात फैलाने के लिए आजाद नही छोड़ सकेगा।
पृष्ठ संख्या: 67
(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए।
1. उबल पड़ने वाले साधारण आदमी का इसमें केवल इतना ही दोष है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बूझता और दूसरे लोग उसे जिधर जोत देते हैं, उधर जुत जाता है।
उत्तर
यहाँ लेखक का आशय इस बात से है कि साधारण लोग जो की धर्म को ठीक से जानते तक नहीं, परन्तु धर्म के खिलाफ कुछ भी हो तो उबाल पड़ते हैं। चालाक लोग उनकी इस मूर्खता का फायदा उठाकर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए उनसे अपने ढंग से काम करवाते हैं।
2. यहाँ है बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना, और फिर धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाना-भिड़ाना।
उत्तर
धर्म ईमान के नाम पर कोई भी साधारण आदमी आराम से चालाक व्यक्तियों की कठपुतली बन जाता है। वे पहले उनके बुद्धि पर परदा दाल देता है तथा उनकी ईश्वर और आत्मा का स्थान खुद ले लेता है। उसके बाद अपने कार्यसिद्धि के लिए उन्हें लड़ता भिड़ाता रहता है।
3. अब तो, आपका पूजा-पाठ न देखा जाएगा, आपकी भलमनसाहत की कसौटी केवल आपका आचरण होगी।
उत्तर
आप चाहे दिन भर नमाज अदा और गायत्री पढ़ लें तभी आप उत्पात फैलाने के लिए आजाद नही कर सकेंगे। आने वाले समय में केवल पूजा-पाठ को ही महत्व नहीं दिया जाएगा बल्कि आपके अच्छे व्यवहार को परखा जाएगा और उसे महत्व दिया जाएगा।
4. तुम्हारे मानने ही से मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा, दया करके, मनुष्यत्व को मानो, पशु बनना छोड़ो और आदमी बनो !
उत्तर
ईश्वर द्वारा कथित इस वाक्य से लेखक कहना चाहा रहा है की जिस तरह से धर्म के नाम पर अत्याचार हो रहे हैं उसे देखकर ईश्वर को यह बतलाना पड़ेगा की पूजा-पाठ छोड़कर अच्छे कर्मा की ओर ध्यान दो। तुम्हारे मानने या ना मानने से मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा। इंसान बनो और दूसरों की सेवा करो।
भाषा अध्यन
1. उदाहरण के अनुसार शब्दों के विपरीतार्थक लिखिए −
1.
सुगम
–
दुर्गम
2.
धर्म
–
………….
3.
ईमान
–
………….
4.
साधारण
–
………….
5.
स्वार्थ
–
………….
6.
दुरूपयोग
–
………….
7.
नियंत्रित
–
………….
8.
स्वाधीनता
–
………….
उत्तर
1.
सुगम
–
दुर्गम
2.
धर्म
–
अधर्म
3.
ईमान
–
बेईमान
4.
साधारण
–
असाधारण
5.
स्वार्थ
–
निस्वार्थ
6.
दुरूपयोग
–
सदुपयोग
7.
नियंत्रित
–
अनियंत्रित
8.
स्वाधीनता
–
पराधीनता
2. निम्नलिखित उपसर्गों का प्रयोग करके दो-दो शब्द बनाइए − ला, बिला, बे, बद, ना, खुश, हर, गैर
उत्तर
ला –
लाइलाज, लापरवाह
बिला –
बिला वजह
बे –
बेजान, बेकार
बद –
बददिमाग, बदमिज़ाज़
ना –
नाकाम, नाहक
खुश –
खुशनसीब, खुशगवार
हर –
हरएक, हरदम
गैर –
गैरज़िम्मेदार, गैर कानूनी
3. उदाहरण के अनुसार ‘त्व’ प्रत्यय लगाकर पाँच शब्द बनाइए − उदाहरण : देव + त्व =देवत्व उत्तर
1.
उत्तरदायी
+
त्व
=
उत्तरदायित्व
2.
महा
+
त्व
=
महत्व
3.
पशु
+
त्व
=
पशुत्व
4
लघु
+
त्व
=
लघुत्व
5.
व्यक्ति
+
त्व
=
व्यक्तित्व
6.
मनुष्य
+
त्व
=
मनुष्यत्व
4. निम्नलिखित उदाहरण को पढ़कर पाठ में आए संयुक्त शब्दों को छाँटकर लिखिए − उदाहरण − चलते–पुरज़े उत्तर
समझता –
बूझना
छोटे –
बड़े
पूजा –
पाठ
कटे –
फटे
ठीक –
ठाक
खट्टे –
मीठे
गिने –
चुने
लाल –
पीले
जले –
भुने
ईमान –
धर्म
स्वार्थ –
सिद्धी
नित्य –
प्रति
5. ‘भी’ का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए − उदाहरण − आज मुझे बाजार होते हुए अस्पताल भी जाना है।
उत्तर
1. मुझे भी पुस्तक पढ़नी है। 2. राम को खाना भी खाना है। 3. सीता को भी नाचना है। 4. तुम्हें भी आना है। 5. इन लोगों को भी खाना खिलाइए।
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NCERT Book Solutions For Class 9 Hindi Sparsh Chapter 6
पृष्ठ संख्या: 58 प्रश्न अभ्यास मौखिक निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो-पंक्तियों में दीजिये – 1. रंग की शोभा ने क्या कर दिया है? उत्तर रंग की शोभा ने उतर दिशा में जमकर कमाल ही कर दिया है। 2. बादल किसकी तरह हो गए थे? उत्तर बादल स्वेत पूनी की तरह हो गए थे। 3. लोग किन-किन चीज़ो का वर्णन करते हैं? उत्तर
लोग आकाश, पृथ्वी, जलाशयों का वर्णन करते हैं।
4. कीचड़ से क्या होता है?
उत्तर
कीचड़ से शरीर गन्दा होता है और कपडे मैले होते हैं।
5. कीचड़ जैसा रंग कौन लोग पसंद करते हैं?
उत्तर
कीचड़ जैसा रंग कलाभिज्ञ लोग पसंद करते हैं।
6. नदी के किनारे कीचड़ कब सुंदर दिखता है?
उत्तर
नदी के किनारे जब कीचड़ के सूखकर टुकड़े हो जाते हैं तब वे सुंदर दिखते हैं।
7. कीचड़ कहाँ सुन्दर लगता है?
उत्तर
नदी के किनारे मिलों तक फैला समतल और चिकना कीचड़ सुन्दर लगता है।
8. ‘पंक’ और ‘पंकज’ शब्द में क्या अंतर है?
उत्तर
‘पंक’ शब्द का अर्थ कीचड़ तथा ‘पंकज’ का अर्थ कमल होता है।
लिखित
(क) निम्नलिखित शब्द का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –
1. कीचड़ के प्रति किसी को सहानभूति क्यों नही होती?
उत्तर
कीचड़ से शरीर गन्दा होता है। कपडे मैले हो जाते हैं। लोग कीचड़ को गंदगी का प्रतीक मानते हैं। अपने शरीर पर कीचड़ उड़े यह किसी को अच्छा नही लगता इसीलिए कीचड़ के प्रति किसी को सहानभूति नही होती।
2. जमीन ठोस होने पर उस पर किनके पदचिह्न अंकित होते हैं?
उत्तर
जमीन ठोस हो जाने पर उस पर गाय, बैल, पाड़े, भैंस, बकरे इत्यादि के पदचिन्ह अंकित होते हैं।
3. मनुष्य को क्या भान होता जिससे वो कीचड़ का तिरस्कार न करता?
उत्तर
मनुष्य को अगर यह भान होता की उसका अन्न कीचड़ में ही उत्पन्न होता है तो वो कीचड़ का तिरस्कार न करता।
4. पहाड़ लुप्त कर देने वाले कीचड़ की क्या विशेषता होती है?
उत्तर
गंगा के किनारे या सिंधु के किनारे और खम्भात में महि नदी के मुख के आगे जहां तक नजर पहुंचे वहां तक सर्वत्र सनातन कीचड़ देखने मिलेगा जिसमें हाथ डूब जाने वाली बात कहना अल्पोक्ति के समान होगा। यह पहाड़ लुप्त कर देने वाले कीचड़ की विशेषता होती है।
(ख) निम्नलिखित शब्द का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –
1. कीचड़ का रंग किन-किन लोगों को खुश करता है?
उत्तर
पुस्तकों के गत्तों पर, दिवारों पर, कच्चे मकानों पर सब लोग इस रंग को पंसद करते हैं। कलाभिज्ञ लोगों को भट्टी में पकाये गए मिटटी के बर्तनों के लिए यही रंग पसंद है। फोटो लेते समय उस पर कीचड़ का एकाध ठीकरे का रंग आ जाए तो उसे वार्मटोन कहकर विज्ञ लोग खुश होते हैं।
2. कीचड़ सूखकर किस प्रकार के दृश्य उपस्थित करता है?
उत्तर
कीचड़ सूखकर टुकड़ो में बंट जाता है, उसमे दरारें पर जाती हैं और वे टेढ़े हो जाते हैं तब वे सुखाये हुए खोपरे जैसे दिखते हैं। नदी के किनारे कीचड़ सूखकर जब ठोस हो जाता है तब उसपर गाय, बैल, भैंस, पाड़े के निशाँ अंकित हो जाते हैं जिसकी शोभा अलग प्रकार की होती है।
3. सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य किन स्थानों पर दिखाई देता है?
उत्तर
सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य नदियों के किनारे दिखाई देता है। कीचड़ जब थोड़ा सूख जाता है तो उस पर छोटे-छोटे पक्षी बगुले आदि घूमने लगते हैं। कुछ अधिक सूखने पर गाय, भैंस पांडे, भेड़, बकरियाँ के पदचिन्ह अंकित हो जाते हैं। जब दो मदमस्त पाड़े अपने सींगो से कीचड़ को रौंदते हैं तो चिन्हों से ज्ञात होता है महिषकुल के युद्ध के वर्णन हो।
4. कवियों की धारणा को लेखक ने युक्तिशून्य क्यों कहा है?
उत्तर
कवियों की धारणा केवल बाहरी सौंदर्य पर ध्यान देते हैं आंतरिक सौंदर्य की ओर उनका ध्यान नहीं जाता। पंकज शब्द बहुत अच्छा लगता है और पंक कहते ही बुरा सा लगता है। वे कमल को अपनी रचना में रखते हैं परन्तु पंक को अपनी रचना में नहीं लाते हैं। वे इसका तिरस्कार करते हैं। वे प्रत्यक्ष सौंदर्य की प्रशंसा करते हैं परन्तु उसको उत्पन्न करने वाले कारकों का सम्मान नहीं करते। कवियों का इस धारणा को लेखक ने युक्तिशून्य कहा है। पृष्ठ संख्या: 59
(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिये –
1. नदी किनारे अंकित पदचिह्न और सींगों के चिह्नों से मानो महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास ही इस कर्दम लेख में लिखा हो ऐसा भास होता है।
उत्तर
इस वाक्य का आशय यह है कि नदी के किनारे जब दो मदमस्त पाड़े अपने सींगों से कीचड़ को रौंदकर आपस में लड़ते हैं तो उनके पैरों तथा सींगों के चिह्न अंकित हो जाते हैं जिसे देखने से ऐसा लगता है मानो महिषकुल के भारतीय युद्ध का इतिहास का वर्णन हो।
2. “आप वासुदेव की पूजा करते हैं इसलिए वसुदेव को तो नहीं पूजते, हीरे का भारी मूल्य देते हैं किन्तु कोयले या पत्थर का नहीं देते और मोती को कठ में बाँधकर फिरते हैं किंतु उसकी मातुश्री को गले में नहीं बाँधते।” कस-से-कम इस विषय पर कवियों के साथ चर्चा न करना ही उत्तम !
उत्तर
कवियों का कहना है कि एक अच्छी और सुंदर वस्तु को स्वीकार करते हैं तो उससे जुड़ी चीज़ों को भी स्वीकार करना चाहिए। हीरा कीमती होता है परन्तु उसके उत्पादक कार्बन को ज़्यादा नहीं पूछा जाता। श्री कृष्ण को वासुदेव कहते हैं लोग उन्हें पूजते भी हैं परन्तु उनके पिता वसुदेव को भी पूजे यह ज़रूरी नहीं है। इसी तरह मोती इतना कीमती होता है लोग इसे गले में पहनते हैं पर सीप जिसमें मोती होता है इसे गले में बाँधे यह ज़रूरी नहीं है। अत: कवियों के अपने तर्क होते हैं। उनसे इस विषय पर बहस करना बेकार है।
भाषा अध्यन
1. निम्नलिखित शब्दों के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखिए −
1.
जलाशय
–
……………………
2.
सिंधु
–
……………………
3.
पंकज
–
……………………
4.
पृथ्वी
–
……………………
5.
आकाश
–
……………………
उत्तर
1.
जलाशय
–
ताल, सरोवर, सर
2.
सिंधु
–
जलधि, सागर, रत्नाकर
3.
पंकज
–
कमल, जलज, अंबुज, राजीव
4.
पृथ्वी
–
भू, भूमि, धरा, वसुधा
5.
आकाश
–
नभ, गगन, व्योम, अंबर
2. निम्नलिखित वाक्यों में कारकों को रेखांकित कर उनके नाम भी लिखिए −
(क)
कीचड़ का नाम लेते ही सब बिगड़ जाता है।
……………………
(ख)
क्या कीचड़ का वर्णन कभी किसी ने किया है?
……………………
(ग)
हमारा अन्न कीचड़ से ही पैदा होता है।
……………………
(घ)
पदचिह्न उसपर अंकित होते हैं।
……………………
(ङ)
आप वासुदेव की पूजा करते हैं।
……………………
उत्तर
(क)
कीचड़ का नाम लेते सब बिगड़ जाता है।
का सबंध कारक
(ख)
क्या कीचड़ का वर्णन कभी किसी ने किया है?
ने कर्ता कारक
(ग)
हमारा अन्न कीचड़ से ही पैदा होता है।
हमारा संबध कारक, से करण कारक
(घ)
पदचिह्न उसपर अंकित होते हैं।
उस पर अधिकरण कारक
(ङ)
आप वासुदेव की पूजा करते हैं।
की सबंध कारक
3. निम्नलिखित शब्दों की बनावट को ध्यान से देखिए और इनका पाठ भिन्न किसी नए प्रसंग में वाक्य प्रयोग कीजिए −
आकर्षक
यथार्थ
तटस्थता
कलाभिज्ञ
पदचिह्न
अंकित
तृप्ति
सनातन
लुप्त
जाग्रत
घृणास्पद
युक्तिशून्य
वृत्ति
उत्तर
1.
आकर्षक
−
यह गमला बहुत आकर्षक है।
2.
अंकित
−
हमें वस्तु पर अंकित मूल्य पर ही वस्तु नहीं खरीदना चाहिए।
3.
घृणास्पद
−
वह बहुत ही घृणास्पद बातें करता है।
4.
यथार्थ
−
यथार्थ से हमेशा जुड़े रहना चाहिए।
5.
तृप्ति
−
मुख से पीड़ित व्यक्ति को भोजन दिया तो उसे तृप्ति हो गई।
6.
युक्तिशून्य
−
उसने बहुत ही युक्तिशून्य बातें की।
7.
तटस्थता
−
हमारा देश अक्सर बाह्रय युद्धों में तटस्थता की नीति बनाए रखता है।
8.
सनातन
−
भारत में बहुत लोग सनातन धर्म को मानते हैं।
9.
वृत्ति
−
वह बहुत अच्छी वृत्ति का व्यक्ति है।
10.
कलाभिज्ञ
−
कलाभिज्ञ गन्दगी में भी सुन्दरता देखते हैं।
11.
लुप्त
−
आजकल भारतीय संस्कृति और परम्पराएं लुप्त सी हो रही हैं।
12.
पदचिह्न
−
लोगों ने गाँधी जी के पदचिह्नों पर चलकर भारत माता की सेवा की।
13.
जाग्रत
−
आजकल टेलीवीजन पर लोगों को जाग्रत करने का प्रयास किया जा रहा है।
4. नीचे दी गई संयुक्त क्रियाओं का प्रयोग करते हुए कोई अन्य वाक्य बनाइए − (क) देखते-देखते वहाँ के बादल श्वेत पूनी जैसे हो गए। ………………………………………………………….. (ख) कीचड़ देखना हो तो सीधे खंभात पहुँचना चाहिए। ……………………………………………………………
उत्तर
(ग) हमारा अन्न कीचड़ में से ही पैदा होता है। (क) मेरे देखते-देखते ही वहाँ भीड़ जमा हो गई। (ख) थोड़ी भी तबीयत खराब हो तो सीधे डाक्टर के पास पहुँचना चाहिए। (ग) कमल कीचड़ में ही पैदा होता है।
पृष्ठ संख्या: 60
6. न, नहीं, मत का सही प्रयोग रिक्त स्थानों पर कीजिए − (क) तुम घर ……….. जाओ। (ख) मोहन कल ………… आएगा। (ग) उसे ……… जाने क्या हो गया है? (घ) डाँटो ………. प्यार से कहो। (ङ) मैं वहाँ कभी ……….. जाऊँगा। (च) ……….. वह बोला ……… मैं।
उत्तर
(क) तुम घर …मत… जाओ। (ख) मोहन कल ..नहीं…. आएगा। (ग) उसे ..न.. जाने क्या हो गया है? (घ) डाँटो ..मत…. प्यार से कहो। (ङ) मैं वहाँ कभी ..नहीं….. जाऊँगा। (च) ..न… वह बोला ..न.. मैं।
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NCERT Book Solutions For Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5
पृष्ठ संख्या: 49 प्रश्न अभ्यास मौखिक निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –
1. रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा और क्या थे?
उत्तर
रामन् भावुक प्रकृति प्रेमी के अलावा एक वैज्ञानिक की भी जिज्ञासा रखते थे।
2. समुद्र को देखकर रामन् के मन में कौन-सी दो जिज्ञासाएँ उठीं?
उत्तर
समुद्र को देखकर रामन् के मन में दो जिज्ञासाएँ उठीं कि समुद्र के पानी का रंग नीला ही क्यों होता है? कोई और क्यों नहीं होता है?
3. रामन् के पिता ने उनमें किन विषयों की सशक्त नींव डाली?
उत्तर
रामन् के पिता ने उनमें गणित और भौतिकी की सशक्त नींव डाली।
पृष्ठ संख्या: 50
4. वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन् क्या करना चाहते थे?
उत्तर
रामन् वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के द्वारा उनके कंपन के पीछे छिपे रहस्य की परतें खोलना चाहते थे।
5. सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् की क्या भावना थी?
उत्तर
सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् की भावना थी कि वह पढ़ाई करके विश्वविद्यालय के शिक्षक बनकर, अध्ययन अध्यापन और शोध कार्यों में अपना पूरा समय लगाए।
6. ‘रामन् प्रभाव’ की खोज के पीछे कौन-सा सवाल हिलोरें ले रहा था?
उत्तर
रामन् की खोज के पीछे का सवाल ‘आखिर समुद्र के पानी का रंग नीला ही क्यों है?’ हिलोरें ले रहा था।
7. प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने क्या बताया?
उत्तर
प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने बताया कि प्रकाश अति सूक्ष्म कणों की तीव्र धारा के समान है। उन्होंने इन कणों की तुलना बुलेट से की और इन्हें फोटॉन नाम दिया।
8. रामन् की खोज ने किन अध्ययनों को सहज बनाया?
उत्तर
रामन् की खोज ने पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं के बारे में खोज के अध्ययन को सहज बनाया।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –
1. कॉलेज के दिनों में रामन् की दिली इच्छा क्या थी? उत्तर कॉलेज के दिनों में रामन् की दिली इच्छा थी कि वे नए-नए वैज्ञानिक प्रयोग करें, पूरा जीवन शोधकार्यों में लगा दें। उनका मन और दिमाग विज्ञान के रहस्यों को सुलझाने के लिए बैचेन रहता था। उनका पहला शोधपत्र फिलॉसॉफिकल मैग़जीन में प्रकाशित हुआ।
2. वाद्ययंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने कौन-सी भ्रांति तोड़ने की कोशिश की?
उत्तर
रामन् ने देशी और विदेशी दोनों प्रकार के वाद्ययंत्रों का अध्ययन कर इस भ्रान्ति को तोड़ने की कोशिश की कि भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्ययंत्रों की तुलना में घटिया हैं।
3. रामन् के लिए नौकरी संबंधी कौन-सा निर्णय कठिन था?
उत्तर
रामन् भारत सरकार के वित्त विभाग में अफसर थे। एक दिन प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री सर आशुतोष मुखर्जी ने रामन् से नौकरी छोड़कर कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद लेने के लिए आग्रह किया। इस बारे में निर्णय लेना उनके लिए अत्यंत कठिन था।सरकारी नौकरी की बहुत अच्छी तनख्वाह अनेकों सुविधाएँ छोड़कर कम वेतन, कम सुविधाओं वाली नौकरी का फैसला मुश्किल था।
4. सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समय-समय पर किन-किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया?
उत्तर
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समय-समय पर अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 1924 में ‘रॉयल सोसायटी’ की सदस्यता प्रदान की गई। 1929 में उन्हें ‘सर’ की उपाधि दी गई। 1930 में विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार ‘नोबल पुरस्कार’ प्रदान किया गया। रॉयल सोसायटी का ह्यूज पदक प्रदान किया गया। फ़िलोडेल्फ़िया इंस्टीट्यूट का ‘फ्रेंकलिन पदक’ मिला। सोवियत संघ का अंतर्राष्ट्रीय ‘लेनिऩ पुरस्कार मिला। 1954 में उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।
5. रामन् को मिलनेवाले पुरस्कारों ने भारतीय-चेतना को जाग्रत किया। ऐसा क्यों कहा गया है?
उत्तर
रामन् को समय-समय पर मिलने वाले पुरस्कारों ने भारतीय-चेतना को जाग्रत किया। इनमें से अधिकांश पुरस्कार विदेशी थे और प्रतिष्ठित भी। अंग्रेज़ों की गुलामी के दौर में एक भारतीय वैज्ञानिक को इतना सम्मान दिए जाने से भारत को आत्मविश्वास और आत्मसम्मान मिला और लोगों को प्रेरणा भी।
(ख) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50 -60 शब्दों में) लिखिए –
1. रामन् के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग क्यों कहा गया है?
उत्तर
रामन् के समय में शोधकार्य करने के लिए परिस्थितियाँ बिल्कुल विपरीत थीं। वे सरकारी नौकरी भी करते थे जिस कारण समय का अभाव रहता था। परन्तु फिर भी रामन् फुर्सत पाते ही ‘बहू बाज़ार‘ चले जाते। वहाँ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस‘ की प्रयोगशाला में काम करते। इस प्रयोगशाला में साधनों का अभाव था लेकिन रामन् काम चलाऊ उपकरणों से भी शोध कार्य करते थे। ऐसे में अपनी इच्छाशक्ति के बलबूते पर अपना शोधकार्य करना आधुनिक हठयोग कहा गया है।
2. रामन् की खोज ‘रामन् प्रभाव’ क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
जब एक वर्णीय प्रकाश की किरण किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुजरती है तो उसके वर्ण में परिवर्तन आ जाता है। एक वर्णीय प्रकाश की किरण के फोटॉन जब तरल ठोस रवे से टकराते हैं तो उर्जा का कुछ अंश खो देते हैं या पा लेते हैं दोनों स्थितियों में रंग में बदलाव आता है। इसी को ‘रामन् प्रभाव’ कहा गया है।
3. ‘रामन् प्रभाव’ की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में कौन-कौन से कार्य संभव हो सके?
उत्तर
‘रामन् प्रभाव’ की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में अनेक कार्य संभव हो सके। विभिन्न पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन सहज हो गया। रामन् की खोज के बाद पदार्थों की आणविक और परमाणविक संरचना के अध्ययन के लिए रामन् स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाने लगा।रामन् की तकनीक एकवर्णीय प्रकाश के वर्ण में परिवर्तन के आधार पर पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की संरचना की सटीक जानकारी देने लगी। अब पदार्थों का संश्लेषण प्रयोगशाला में करना तथा अनेक उपयोगी पदार्थों का कृत्रिम रुप में निर्माण संभव हो गया।
4. देश को वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने में सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् ने देश को वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर वैज्ञानिक कार्यों के लिए जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने रामन् प्रभाव की खोज कर नोबल पुरस्कार प्राप्त किया। बंगलोर में शोध संस्थान की स्थापना की, इसे रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट के नाम से जाना जाता है। भौतिक शास्त्र में अनुसंधान के लिए इंडियन जनरल ऑफ फिजिक्स नामक शोध पत्रिका आरंभ की, करेंट साइंस नामक पत्रिका भी शुरु की, प्रकृति में छिपे रहस्यों का पता लगाया। 5. सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन से प्राप्त होने वाले संदेश को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन से हमें सदैव आगे बढ़ते रहने का संदेश देता है। रामन् ने संदेश दिया है कि हमें अपने आसपास घट रही विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं की छानबीन वैज्ञानिक दृष्टि से करनी चाहिए।व्यक्ति को अपनी प्रतिभा का सदुपयोग करना चाहिए। भले ही इसके लिए सुख-सुविधाओं को त्यागना पड़े। इच्छा शक्ति से राह सदैव निकल आती है।
(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए।
(क) उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी।
उत्तर
जब सर आशुतोष मुखर्जी ने रामन् से नौकरी छोड़कर कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद लेने के लिए आग्रह किया तब उन्होंने यह सहर्ष स्वीकार किया जबकि वे तनख्वाह और सुख सुविधाओं वाले पद पर कार्यरत थे जो की उन्हें प्रोफेसर रहते नही मिलने वाला था। इससे पता चलता है कि उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी।
(ख) हमारे पास ऐसी न जाने कितनी ही चीज़ें बिखरी पड़ी हैं, जो अपने पात्र की तलाश में हैं।
उत्तर
हमारे आस-पास के वातावरण में अनेक प्रकार की चीज़ें मौजूद हैं जिनके रहस्य अभी तक अनसुलझे हैं। वो भी किसी ऐसे व्यक्ति की तालाश जो उनको वैज्ञानिक दृष्टि से देख सके, अध्यन कर सके और उनके पहलुओं को सुलझा सके।
(ग) यह अपने आपमें एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण था।
उत्तर
डॉ. रामन् सरकारी नौकरी करते हुए भी बहू बाजार स्थित प्रयोगशाला जाते थे। उस प्रयोगशाला में कामचलाऊ उपकरणों तथा इच्छाशक्ति द्वारा अपने शोध कार्यो को संपन्न करते थे। इससे लेखक ने अपने आपमें एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण बताया है।
(घ) उपयुक्त शब्द का चयन करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए −इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी, इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस, फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन, भौतिकी, रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट 1. रामन् का पहला शोध पत्र ………… में प्रकाशित हुआ था। 2. रामन् की खोज …………… के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी। 3. कलकत्ता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम …………….. था। 4. रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान ……… नाम से जानी जाती है। 5. पहले पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए ………. का सहारा लिया जाता था।
उत्तर
1. रामन् का पहला शोध पत्र फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन में प्रकाशित हुआ था। 2. रामन् की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी। 3. कलकत्ता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस था। 4. रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट नाम से जानी जाती है।https://e02c075808a57116faa3dbd1ebdad3ad.safeframe.googlesyndication.com/safeframe/1-0-38/html/container.html5. पहले पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाता था।
पृष्ठ संख्या: 51
भाषा अध्यन
1.नीचे कुछ समानदर्शी शब्द दिए जा रहे हैं जिनका अपने वाक्य में इस प्रकार प्रयोग करें कि उनके अर्थ का अंतर स्पष्ट हो सके।
(क)
प्रमाण
……………………..
(ख)
प्रणाम
…………………….
(ग)
धारणा
……………………..
(घ)
धारण
…………………….
(ङ)
पूर्ववर्ती
…………………….
(च)
परवर्ती
……………………..
(छ)
परिवर्तन
…………………….
(ज)
प्रवर्तन
…………………….
उत्तर
(क)
प्रमाण
−
मैं यह बात प्रमाण सहित कह सकता हूँ।
(ख)
प्रणाम
−
अपने से बड़ों को प्रणाम करना चाहिए।
(ग)
धारणा
−
धर्म के प्रति हमारी धारणा बदलनी चाहिए।
(घ)
धारण
−
सदा स्वच्छ वस्त्र धारण करो।
(ङ)
पूर्ववर्ती
−
कई किले पूर्ववर्ती राजाओं ने बनाए।
(च)
परवर्ती
−
अब परवर्ती पीढ़ी ही देश की रक्षा करेगी।
(छ)
परिवर्तन
−
अब सृष्टि में भी अनेकों परिवर्तन हो रहे हैं।
(ज)
प्रवर्तन
−
प्रवर्तन कार्यालय में जाना है।
2. रेखांकित शब्द के विलोम शब्द का प्रयोग करते हुए रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए − (क) मोहन के पिता मन से सशक्त होते हुए भी तन से ………….. हैं। (ख) अस्पताल के अस्थायी कर्मचारियों को ………….. रुप से नौकरी दे दी गई है। (ग) रामन् ने अनेक ठोस रवों और …………… पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया। (घ) आज बाज़ार में देशी और ………………. दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं। (ङ) सागर की लहरों का आकर्षण उसके विनाशकारी रुप को देखने के बाद ………..में परिवर्तित हो जाता है।
उत्तर
(क) मोहन के पिता मन से सशक्त होते हुए भी तन से अशक्त हैं। (ख) अस्पताल के अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी रुप से नौकरी दे दी गई है। (ग) रामन् ने अनेक ठोस रवों और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया। (घ) आज बाज़ार में देशी और विदेशी दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं। (ङ) सागर की लहरों का आकर्षण उसके विनाशकारी रुप को देखने के बाद विकर्षण में परिवर्तित हो जाता है।
3. नीचे दिए उदाहरण में रेखांकित अंश में शब्द-युग्म का प्रयोग हुआ है − उदाहरण : चाऊतान को गाने–बजानेमें आनंद आता है। उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्द–युग्मों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए − सुख–सुविधा ……………………….. अच्छा–खासा ……………………….. प्रचार–प्रसार ………………………. आस–पास ……………………….
उत्तर
सुख-सुविधा- रोहन को सुख-सविधा में रहने की आदत है। अच्छा-खासा- माँ ने अच्छा-खासा खाना बनाया था। प्रचार-प्रसार- नेताजी प्रचार-प्रसार में लगे हैं। आस-पास- हमारे आस-पास हरियाली है।
पृष्ठ संख्या: 52
4. प्रस्तुत पाठ में आए अनुस्वार और अनुनासिक शब्दों को निम्न तालिका में लिखिए −
अनुस्वार
अनुनासिक
(क)
अंदर
(क)
ढूँढ़ते
(ख)
………………….
(ख)
………………….
(ग)
………………….
(ग)
………………….
(घ)
………………….
(घ)
………………….
(ङ)
………………….
(ङ)
………………….
उत्तर
अनुस्वार
अनुनासिक
(क)
अंदर
(क)
ढूँढ़ते
(ख)
सदियों
(ख)
पहुँचता
(ग)
असंख्य
(ग)
सुविधाएँ
(घ)
रंग
(घ)
स्थितियाँ
(ङ)
नींव
(ङ)
वहाँ
5. पाठ में निम्नलिखित विशिष्ट भाषा प्रयोग आए हैं। सामान्य शब्दों में इनका आशय स्पष्ट कीजिए − घंटों खोए रहते, स्वाभाविक रुझान बनाए रखना, अच्छा–खासा काम किया, हिम्मत का काम था, सटीक जानकारी, काफ़ी ऊँचे अंक हासिल किए, कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया था, मोटी तनख्वाह
उत्तर
1. घंटो खोए रहना − वैज्ञानिक अपने प्रयोगों में घंटो खोए रहते हैं। 2. स्वाभाविक रुझान बनाए रखना − लोग अपनी रुचि के अनुसार कार्यों में स्वाभाविक रूझान बनाए रखते हैं। 3. अच्छा खासा काम किया − इस भवन पर अच्छा खासा काम किया गया है। 4. हिम्मत का काम था − उसने बच्चे को बाढ़ में से बचा कर हिम्मत का काम किया। 5. सटीक जानकारी − हमारी अध्यापिका को अपने विषय में सटीक जानकारी है। 6. काफ़ी ऊँचे अंक हासिल किए − आजकल बच्चे बहुत ऊँचे अंक हासिल करते हैं। 7. कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया − आज वह यह मुकाम कड़ी मेहनत के बाद खड़ा कर पाया है। 8. मोटी तनख्वाह − यह अफसर मोटी तनख्वाह पाता है।
6. पाठ के आधार पर मिलान कीजिए −
नीला
कामचलाऊ
पिता
रव
तैनाती
भारतीय वाद्ययंत्र
उपकरण
वैज्ञानिक रहस्य
घटिया
समुद्र
फोटॉन
नींव
भेदन
कलकत्ता
उत्तर
नीला
समुद्र
पिता
नींव
तैनाती
कलकत्ता
उपकरण
कामचलाऊ
घटिया
भारतीय वाद्ययंत्र
फोटॉन
रव
भेदन
वैज्ञानिक
7. पाठ में आए रंगों की सूची बनाइए। इनके अतिरिक्त दस रंगों के नाम और लिखिए।
उत्तर
रंगों की सूची − बैंगनी, नीले, आसमानी, हरे, पीले, नारंगी, लाल दस रंगों के नाम − आडू़-नारंगी, गहरा आडू़, उज्ज्वल हरा, एलिस नीला, सलेटी, ओलीवाइन, काँस्य, गुलाबी, किरमिज
8. नीचे दिए गए उदाहरण ‘ही’ का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए। उदाहरण : उनके ज्ञान की सशक्त नींव उनके पिता ने ही तैयार की थी। उत्तर 1. राम के कारण ही यह कार्य संभव हो सका। 2. तुम ही जाकर ले आओ। 3. उस छात्र ने ही मोहन को मारा। 4. गीता ही अकेली जा रही है। 5. केवल वह ही जाएगा।
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NCERT Book Solutions For Class 9 Hindi Sparsh Chapter 4
पृष्ठ संख्या:39 प्रश्न अभ्यास मौखिक
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो-पंक्तियों में दीजिए।
1.अतिथि कितने दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है? उत्तर अतिथि चार दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है। 2. कैलेंडर की तारीखें किस तरह फड़फड़ा रही हैं? उत्तर कैलेंडर की तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से फड़फड़ा रही हैं।
पृष्ठ संख्या: 40
3. पति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?
उत्तर
पति ने स्नेह-भीगी मुस्कराहट के साथ गले मिलकर तथा पत्नी ने सादर नमस्ते कहकर मेहमान का स्वागत किया।
4. दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गयी?
उत्तर
दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की गयी।
5. तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?
उत्तर
तीसरे दिन अतिथि ने धोबी से कपडे धुलवाने की बात कही।
6. सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ?
उत्तर
सत्कार की ऊष्मा समाप्त होने पर लेखक डिनर से खिचड़ी पर आ गए।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –
1. लेखक अतिथि को कैसी विदाई देना चाहता था?
उत्तर
लेखक अतिथि को एक भावभीनी विदाई देना चाहता था। वह चाहता था कि जब अतिथि जाए तो पति-पत्नी उसे स्टेशन तक छोड़ने जाए। उन्हें सम्मानजनक विदाई देना चाहते थे।
2. पाठ में आए निम्नलिखित कथनों की व्याख्या कीजिए −(क) अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया। (ख) अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है। (ग) लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़ें। (घ) मेरी सहनशीलता की वह अंतिम सुबह होगी। (ङ) एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते।
उत्तर
(क) जब लेखक ने अतिथि को देखा था तब उन्हें लगा उनका खर्च बढ जायेगा इसलिए उनका बटुआ काँप गया यानी अत्यधिक खर्चे होने का एहसास हुआ।
(ख) हमारी संस्कृति में अतिथि को देवता समान माना गया है। परन्तु यही अतिथि जब ज्यादा दिन रह जाए तो वह बोझ लगने लगता और थोड़े अंशो में राक्षस प्रतीत होता है।
(ग) हर व्यक्ति अपने घर को सजाता है, सुख शान्ति स्थापित करता है। अपने घर को स्वीट होम बनाता है। लेकिंग जब कोई अनचाहा व्यक्ति आकर रहने लगता है तो वह स्वीटनेस को काटने दौड़ने जैसा लगता है।
(घ) अतिथि लेखक के घर पर चार दिनों से रह रहा था। कल पाँचवा दिन हो जाएगा। यदि कल भी अतिथि नहीं गया तो लेखक अपनी सहनशीलता खो बैठेगा और अतिथि सत्कार भूलकर गेट आउट बोलने में देर नही लगाएगा। (ड़ ) हम अतिथि को देवता मानते हैं इसलिए लेखक अपने अतिथि को बताना चाह रहा कि देवता और मनुष्य कभी एक साथ हैं। आप कृपा कर हमारे कर हमारे घर से प्रस्थान करें।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50 -60 शब्दों में) लिखिए –
1. कौन–सा आघात अप्रत्याशित था और उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर
तीसरे दिन जब अतिथि ने धोबी से कपड़े धुलवाने की इच्छा प्रकट की तो लेखक के लिए ये अप्रत्याशित आघात था चूँकि उन्हें लगा था वे चले जाएंगे। धोबी को कपड़े धुलने देने का मतलब था कि अतिथि अभी जाना नहीं चाहता। इस आघात का लेखक पर यह प्रभाव पड़ा कि वह अतिथि को राक्षस समझने लगा। उनके सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो गयी।
2.‘संबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना‘ −इस पंक्ति से आप क्या समझते हैं?विस्तार से लिखिए।
उत्तर
‘संबंधों का संक्रमण के दौर से गुज़रना‘− इस पंक्ति का आशय है संबंधों में परिवर्तन आना। जो संबंध आत्मीयतापूर्ण थे अब घृणा और तिरस्कार में बदलने लगे। जब लेखक के घर अतिथि आया था तो उसके संबंध सौहार्द पूर्ण थे। उसने उसका स्वागत प्रसन्नता पूर्वक किया था। लेखक ने अपनी ढ़ीली-ढ़ाली आर्थिक स्थिति के बाद भी उसे शानदार डिनर खिलाया और सिनेमा दिखाया। लेकिन अतिथि चार पाँच दिन रुक गया तो स्थिति में बदलाव आने लगा और संबंध बदलने लगे।
3. जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में क्या–क्या परिवर्तन आए?
उत्तर
जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक ने उसके साथ मुस्कुराकर बात करना छोड़ दिया, बातचीत के विषय समाप्त हो गए। सौहार्द व्यवहार अब बोरियत में बदल गया। लंच डिनर अब खिचड़ी पर आ गए। इसके बाद लेखक उपवास तक जाने की तैयारी करने लगा। लेखक अतिथि को ‘गेट आउट’ तक कहने के लिए भी तैयार हो गया।
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NCERT Book Solutions For Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3
पृष्ठ संख्या: 31 प्रश्न अभ्यास मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए – 1. अग्रिम दल का नेतृत्व कौन कर रहा था? उत्तर अग्रिम दल का नेतृत्व प्रेमचंद कर रहा था। 2. लेखिका को सागरमाथा नाम क्यों अच्छा लगा?
उत्तर
लेखिका को सागरमाथा नाम अच्छा लगा क्योंकि सागर के पैर नदियाँ हैं तो सबसे ऊँची चोटी उसका माथा है और यह एक फूल की तरह दिखाई देता है, जैसे माथा हो।
3. लेखिका को ध्वज जैसा क्या लगा?
उत्तर
लेखिका को एक बड़े भारी बर्फ़ का बड़ा फूल (प्लूम) पर्वत शिखर पर लहराता हुआ ध्वज जैसा लगा।
4. हिमस्खलन से कितने लोगो की मृत्यु हुई और कितने लोग घायल हुए?
उत्तर
हिमस्खलन से एक की मृत्यु हुई और चार लोग घायल हुए।
5. मृत्यु के अवसाद देखकर कर्नल खुल्लर ने क्या कहा?
उत्तर
मृत्यु के अवसाद को देखकर कर्नल खुल्लर ने कहा कि एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी–कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करना चाहिए।
6. सहायक की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर
जलवायु अनुकूल न होने के कारण रसोई सहायक की मृत्यु हुई।
7. कैंप- चार कहाँ और कब लगाया गया?
उत्तर
कैंप-चार 29 अप्रैल, 1984 को 7900 मीटर पर साउथ कोल में लगाया गया था। 8. लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय किस तरह दिया?
उत्तर
लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय यह कह कर दिया कि वह बिल्कुल ही नौसिखिया है और एवरेस्ट उसका पहला अभियान है। 9. लेखिका की सफलता पर कर्नल खुल्लर ने उसे किन शब्दों में बधाई दी?
उत्तर
लेखिका की सफलता पर बधाई देते हुए कर्नल खुल्लर ने कहा, “मैं तुम्हारी इस अनूठी उपलब्धि के लिए तुम्हारे माता–पिता को बधाई देना चाहूँगा देश को तुम पर गर्व है और अब तुम ऐसे संसार में जाओगी जो तुम्हारे अपने पीछे छोड़े हुए संसार से एकदम भिन्न होगा। “ लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए –
1. नजदीक से एवेरेस्ट को देखकर लेखिका को कैसा लगा?
उत्तर
नजदीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका भौंचक्की रही गई। वह एवरेस्ट ल्होत्से और नुत्से की ऊँचाइयों से घिरी बर्फ़ीली ढेढ़ी–मेढ़ी नदी को निहारती रही।
2. डॉ मीनू मेहता ने क्या जानकारियां दीं?
उत्तर
डॉ मीनू मेहता अल्मुनियम सीढ़ियों से अस्थाई पुलों का निर्माण, लट्ठों और रस्सियों का उपयोग, बर्फ की आड़ी -तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधना और अग्रिम दाल के अभियांत्रिक कार्यो के बारे में जानकारी दी।
3. तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ़ में क्या कहा?
उत्तर
तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ़ में कहा कि वह एक पर्वतीय लड़की है। उसे तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।
4. लेखिका को किनके साथ चढ़ाई करनी थी?
उत्तर
लेखिका को अपने दल तथा जय और मीनू के साथ चढ़ाई करनी थी। परन्तु वे लोग पीछे रह गए थे। उनके पास भारी बोझ था और वे बिना ऑक्सीजन के आ रहे थे। इस कारण उनकी गति कम हो गई थी। उनकी स्थिति देखकर लेखिका चिंतित थी।
5. लोपसांग ने तंबू का रास्ता कैसे साफ़ किया? उत्तर लोपसांगने अपनी स्विस छुरी की सहायता से तंबू का रास्ता साफ़ किया क्योंकि तंबू के रास्ते एक बड़ा बर्फ़ पिंड गिरने से हिमपुंज बन गया था और इससे कैंप नष्ट हो गया था, लेखिका भी उसमें दब गई थीं। इसलिए लोपसांग ने छुरी से बर्फ़ काटकर लेखिका को बाहर निकाला।
6. साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी कैसे शुरु की?
उत्तर
साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी करने के लिए खाना, कुकिंग गैस, कुछ ऑक्सीजन सिलिंडर इकट्ठे किए, दूसरे सदस्यों की मदद के लिए, थरमसों को जूस व गरम चाय से भरने के लिए नीचे जाने का निश्चय किया।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नो का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –
1. उपनेता प्रेमचंद ने किन स्थितियों से अवगत कराया?
उत्तर
उपनेता प्रेमचंद ने अभियान दल के सदस्यों को पहली बड़ी बाधा खुंभु हिमपात की स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने यह भी बताया कि उनके दल ने कैंप–एक (6000 मीटर),जो हिमपात के ठीक ऊपर है, वहाँ तक का रास्ता साफ़ कर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि पुल बना दिया गया है, रस्सियाँ बाँध दी गई हैं तथा झंडियों से रास्ते को चिह्नित कर दिया गया है। इसके साथ–साथ बड़ी कठिनाइयों का जायजा ले लिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि ग्लेशियर बर्फ़ की नदी है और बर्फ़ का गिरना जारी है। यदि हिमपात अधिक हो गया तो अभी तक किए गए सारे काम व्यर्थ हो सकते हैं।
2. हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या–क्या परिवर्तन आते हैं?
उत्तर
बर्फ़ के खंडो का अव्यवस्थित ढंग से गिरने को हिमपात कहा जाता है। हिमपात बर्फ़ (ग्लेशियर) की नदी होती है। ग्लेशियर के बहने से अक्सर बर्फ़ में हलचल मच जाती है। इससे बर्फ़ की बड़ी-बड़ी च़ट्टाने तत्काल गिर जाया करती हैं। अन्य कारणों से भी अचानक खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इससे धरातल पर बड़ी चौड़ी दरारें पड़ जाती हैं।
3. लेखिका के तम्बू में गिरे बर्फ़ पिंड का वर्णन किस तरह किया गया?
उत्तर
लेखिका रात 12.30बजे अपने तम्बू में गहरी नींद में सो रही थीं तभी एक सख्त चीज़ लेखिका के सिर के पिछले हिस्से से टकराई और वह जाग गई। एक लंबा बर्फ़ पिंड ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर कैंप के ऊपर आ गिरा था। उसमें अनेक हिमखंडो का पुंज था। वह अत्यंत तेज़ गति के साथ और गर्जना के साथ गिरा था। इसने लेखिका के कैंप को नष्ट कर दिया था। इससे चोट तो सभी को लगी पर मृत्यु किसी की भी नहीं हुई।
4. लेखिका को देखकर ‘की’ हक्का-बक्का क्यों रह गया?
उत्तर लेखिका को देखकर ‘की‘ हक्का बक्का रह गया क्योंकि इतनी बर्फ़ीली हवा में नीचे उतरना जोखिम भरा था फिर भी लेखिका सबके लिए चाय व जूस लेने नीचे उतर रही थी और उसे ‘की‘ से भी मिलना था।
5. एवेरेस्ट पर चढ़ने के लिए कितने कैंप बनाये गए? उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर
एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल 6 कैंप बनाए गए थे। 1. बेस कैंप- यह मुख्य कैंप था। 2. कैंप-1 −यह कैंप 6000 मीटर की ऊँचाई पर बनाया गया। यह हिमपात के ठीक ऊपर था। इसमें सामान जमा था। 3. कैंप-2 −यह चढ़ाई के रास्ते में था। 4. कैंप-3 −इसे ल्होत्से की बर्फ़ीली सीधी ढ़लान पर लगाया गया था। यह रंगीन नायलॉन से बना था। यहीं ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर बर्फ़ पिंड कैंप पर आ गिरा था। 5. कैंप-4 −यह समुद्र तट से 7900 मीटर की ऊँचाई पर था। साउथ कोल स्थान पर लगने के कारण साउथ कोल कैंप कहलाया। 6. शिखर कैंप − यह अंतिम कैंप था। यह एवरेस्ट के ठीक नीचे स्थित था।
पृष्ठ संख्या: 32
6. चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति कैसी थी?
उत्तर
जब लेखिका एवरेस्ट की चोटी पर पहुँची तब वहाँ तेज़ हवा के कारण बर्फ़ उड़ रही थी। एवरेस्ट की चोटी शंकु के आकार की थी। वहाँ इतनी भी जगह नहीं थी कि दो व्यक्ति एक साथ खड़े हो सकें। चारों ओर हज़ारों मीटर लंबी सीधी ढलान थी। लेखिका के सामने सुरक्षा का प्रश्न था। वहाँ फावड़े से बर्फ़ की खुदाई की गई ताकि स्वयं को सुरक्षित कर स्थिर किया जा सके।
7. सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय बचेंद्री के किस कार्य से मिलता है।
उत्तर
जब बचेंद्री अपने दल के सदस्यों के साथ साउथकोल कैंप पहुँची तो केवल वह अपने लिए नहीं सोच रही थी बल्कि अपने दल के प्रत्येक सदस्य के लिए सोच रही थी। लेखिका ने अपने साथियों के लिए जूस और चाय लेने के लिए तेज़ बर्फ़ीली हवा में भी नीचे उतरकर जोखिम भरा काम किया। इस व्यवहार से कार्य में उसके सहयोग और सहायता की भावना का परिचय मिलता है।
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –
1. एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी–कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए।
उत्तर
यह कथन अभियान दल के नेता कर्नल खुल्लर का है। इन शब्दों का उल्लेख उन्होंने शेरपा कुली की मृत्यु के समाचार के बाद कहा था। उन्होंने सदस्यों के उत्साहवर्धन करते हुए अभियान के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं को वास्तविकता से परिचित करना चाहा। एवरेस्ट की चढ़ाई कोई आसान काम नहीं है, यह जोखिम भरा अभियान होता है। यहाँ इतने खतरे हैं कि कभी कभी मृत्यु भी हो सकती है। इसके लिए तैयार रहना चाहिए विचलित नहीं होना चाहिए।
2. सीधे धरातल पर दरार पड़ने का विचार और इस दरार का गहरे–चौड़े हिम–विदर में बदल जाने का मात्र खयाल ही बहुत डरावना था। इससे भी ज़्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि हमारे संपूर्ण प्रयास के दौरान हिमपात लगभग एक दर्जन आरोहियों और कुलियों को प्रतिदिन छूता रहेगा।
उत्तर
इस कथन का आशय है कि हिमपात के कारण बर्फ़ के खंडो के दबाव से कई बार धरती के धरातल पर दरार पड़ जाती है। यह दरार गहरी और चौड़ी होती चली जाती है और हिमविदर में बदल जाती है यह बहुत खतरनाक होते हैं और भी ज़्यादा खतरनाक बात तब होती है जब पता रहे कि पूरे प्रयासों के बाद यह भयंकर हिमपात पर्वतारोहियों व कुलियों को परेशान करता रहेगा ।
3. बिना उठे ही मैंने अपने थैले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकाला। मैंने इनको अपने साथ लाए लाल कपड़े में लपेटा, छोटी–सी पूजा–अर्चना की और इनको बर्फ़ में दबा दिया। आनंद के इस क्षण में मुझे अपने माता–पिता का ध्यान आया।
उत्तर
लेखिका एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचकर घुटनों के बल बैठ कर बर्फ़ पर अपना माथा लगाया और चुंबन किया। उसके बाद एक लाल कपड़े में माँ दुर्गा का चित्र और हनुमान चालीसा को लपेटा और छोटी से पूजा करके बर्फ़ में दबा दिया। इस रोमांचक यात्रा के सफलता पर वह बहुत खुश थी और सुख के क्षणों में उसने अपने माता पिता को याद किया। ।
भाषा अध्यन
1. इस पाठ में प्रयुक्त निम्नलिखित शब्दों की व्याख्या पाठ का संदर्भ देकर कीजिए − निहारा है, धसकना, खिसकना, सागरमाथा, जायज़ा लेना, नौसिखिया
उत्तर
1. निहारा है − यह पाठ एवरेस्ट की चोटी को बचेंद्री पाल ने निहारा है। 2. धसकना-खिसकना − ये दोनों शब्द हिम-खंडो के गिरने के संदर्भ में आए हैं। 3. सागरमाथा − नेपाली एवरेस्ट चोटी को सागरमाथा कहते हैं। 4. जायज़ा लेना − यह शब्द प्रेमचंद ने कैंप के परीक्षण निरीक्षण कर स्थिति के बारे में प्रयुक्त हुआ है। 5. नौसिखिया − बचेंद्री पाल ने तेनजिंग को अपना परिचय देते हुए यह शब्द प्रयुक्त किया है।
2. निम्नलिखित पंक्तियों में उचित विराम चिह्नों का प्रयोग कीजिए − (क) उन्होंने कहा तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए (ख) क्या तुम भयभीत थीं (ग) तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली बचेंद्री
उत्तर
(क) उन्होंने कहा “तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए”। (ख) क्या तुम भयभीत थीं? (ग) तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली, बचेंद्री?
3. नीचे दिए उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्य में प्रयोग कीजिए − उदाहरण : हमारे पास एक वॉकी-टॉकी था। टेढ़ी-मेढ़ी गहरे-चौड़े आस-पास हक्का-बक्का इधर-उधर लंबे-चौड़े
उत्तर
टेढ़ी-मेढ़ी − यह पगडंडी बहुत टेढ़ी-मेढ़ी है। गहरे-चौड़े − वहाँ गहरे-चौड़े गड्ढे थे। आस-पास − गाँव के आस-पास खेत हैं। हक्का-बक्का −उसको वहाँ देखकर मैं हक्का-बक्का रह गया। इधर-उधर − इधर-उधर की बातें करना बंद करो। लंबे-चौड़े − यहाँ बहुत लंबे-चौड़े मैदान हैं।
पृष्ठ संख्या: 33
4. उदाहरण के अनुसार विलोम शब्द बनाइए − उदाहरण : अनुकूल − प्रतिकूल
नियमित −
……………….
आरोही −
……………….
सुंदर −
……………….
विख्यात −
……………….
निश्चित −
……………….
उत्तर
नियमित −
अनियमित
आरोही −
अवरोही
सुंदर −
असुंदर
विख्यात −
अविख्यात
निश्चित −
अनिश्चित
5. निम्नलिखित शब्दों में उपयुक्त उपसर्ग लगाइए − जैसे : पुत्र − सुपुत्र वास व्यवस्थित कूल गति रोहण रक्षित
वास −
प्रवास
व्यवस्थित −
अव्यवस्थित
कूल −
प्रतिकूल
गति −
प्रगति
रोहण −
आरोहण
रक्षित −
आरक्षित
6. निम्नलिखित क्रिया विशेषणों का उचित प्रयोग करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए − अगले दिन, कम समय में, कुछ देर बाद, सुबह तक (क) मैं ………….. यह कार्य कर लूँगा। (ख) बादल घिरने के ………….. ही वर्षा हो गई। (ग) उसने बहुत …………… इतनी तरक्की कर ली। (घ) नाङकेसा को ………….. गाँव जाना था।
उत्तर
(क) मैं अगले दिन यह कार्य कर लूँगा। (ख) बादल घिरने के कुछ देर बाद ही वर्षा हो गई। (ग) उसने बहुत कम समय में इतनी तरक्की कर ली। (घ) नाङकेसा को सुबह तक गाँव जाना था।
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NCERT Book Solutions For Class 9 Hindi Sparsh Chapter 2
पृष्ठ संख्या: 17 प्रश्न अभ्यास मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –
1. किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें क्या पता चलता है? उत्तर किसी की पोशाक को देखकर हमें समाज में उसके अधिकार और दर्जे का पता चलता है।
2. खरबूजे बेचने वाली स्त्री से कोई ख़रबूज़े क्यों नही खरीद रहा था? उत्तर ख़रबूज़े बेचने वाली स्त्री से कोई ख़रबूज़े इसलिए नही खरीद रहा था क्योंकि वह मुँह छिपाए सिर को घुटनो पर रख फफक-फफककर रो रही थी।
3. उस स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा? उत्तर उस स्त्री को देखकर लेखक लेखक के मन में एक व्यथा सी उठी और वो उसके रोने का कारण जानने का उपाय सोचने लगा।
4. उस स्त्री के लड़के की मृत्यु का कारण क्या था? उत्तर उस स्त्री के लड़के की मृत्यु खेत में पके खरबूज चुनते समय साँप के काटने से हुई । 5. बुढ़िया को कोई भी क्यों उधार नही देता? उत्तर बुढ़िया के परिवार में एकमात्र कमाने वाला बेटा मर गया था। ऐसे में पैसे वापस न मिलने के डर के कारण कोई उसे उधार नही देता।
लिखित (क) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –
1. मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्व है?
उत्तर
मनुष्य के जीवन में पोशाक मात्र एक शरीर ढकने का साधन नही है बल्कि समाज में उसका दर्जा निश्चित करती है। पोशाक से मनुष्य की हैसियत, पद तथा समाज में उसके स्थान का पता चलता है। पोशाक मनुष्य के व्यक्तित्व को निखारती है। जब हम किसी से मिलते हैं, तो पहले उसकी पोशाक से प्रभावित होते हैं तथा उसके व्यक्तित्व का अंदाज़ा लगाते हैं। पोशाक जितनी प्रभावशाली होगी, उतने अधिक लोग प्रभावित होगें।
2. पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?
उत्तर
पोशाक हमारे लिए बंधन और अड़चन तब बन जाती है जब हम अपने से कम दर्ज़े या कम पैसे वाले व्यक्ति के साथ उसके दुख बाँटने की इच्छा रखते हैं। लेकिन उसे छोटा समझकर उससे बात करने में संकोच करते हैं और उसके साथ सहानुभूति तक प्रकट नहीं कर पाते हैं।
3. लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नही जान पाया?
उत्तर
लेखक की पोशाक रोने का कारण जान पाने की बीच अड़चन थी। वह फुटपाथ पर बैठकर उससे पूछ नही सकता था। इससे उसके प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचती। इस वजह से वह उस स्त्री के रोने का कारण नही जान पाया।
4. भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था? उत्तर भगवाना शहर के पास डेढ़ बीघा ज़मीन में कछियारी करके परिवार का निर्वाह करता था।
5. लड़के के मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूजे बेचने क्यों चल पड़ी? उत्तर बुढ़िया बहुत गरीब थी। लड़के की मृत्यु पर घर में जो कुछ था सब कुछ खर्च हो गया। लड़के के छोटे-छोटे बच्चे भूख से परेशान थे, बहू को तेज़ बुखार था। ईलाज के लिए भी पैसा नहीं था। इन्हीं सब कारणों से वह दूसरे ही दिन खरबूज़े बेचने चल दी।
6. बुढ़िया के दुःख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई?
उत्तर
लेखक को बुढ़िया के दुःख को देखकर अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद इसलिए आई क्योंकि उसके बेटे का भी देहांत हुआ था। वह दोनों के दुखों के तुलना करना चाहता था। दोनों के शोक मानाने का ढंग अलग था। धनी परिवार के होने की वजह से वह उसके पास शोक मनाने को असीमित समय था और बुढ़िया के पास शोक का अधिकार नही था।
(ख) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –
1. बाजार के लोग खरबूजे बेचने वाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
बाज़ार के लोग खरबूज़ेबेचने वाली स्त्री के बारे में तरह-तरह की बातें कह रहे थे। कोई घृणा से थूककर बेहया कह रहा था, कोई उसकी नीयत को दोष दे रहा था, कोई कमीनी, कोई रोटी के टुकड़े पर जान देने वाली कहता, कोई कहता इसके लिए रिश्तों का कोई मतलब नहीं है, परचून वाला लाला कह रहा था, इनके लिए अगर मरने-जीने का कोई मतलब नही है तो दुसरो का धर्म ईमान क्यों ख़राब कर रही है।
2. पास पड़ोस की दूकान से पूछने पर लेखक को क्या पता चला?
उत्तर
पास पड़ोस की दूकान से पूछने पर लेखक को पता चला कि बुढ़िया का जवान बेटा सांप के काटने से मर गया है। वह परिवार में एकमात्र कमाने वाला था। उसके घर का सारा सामान बेटे को बचाने में खर्च हो गया। घर में दो पोते भूख से बिलख रहे थे। इसलिए वो खरबूजे बेचने बाजार आई है।
3. लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया ने क्या- क्या उपाय किए ?
उत्तर
लड़के के मृत्यु होने पर बुढ़िया पागल सी हो गयी। वह जो कर सकती थी उसने किया। वह ओझा को बुला लायी झाड़ना-फूंकना हुआ। नागदेवता की पूजा भी हुई। घर में जितना अनाज था दान दक्षिणा में समाप्त हो गया। परन्तु उसका बेटा बच न सका।
4. लेखक ने बुढ़िया के दुःख का अंदाजा कैसे लगाया?
उत्तर
लेखक उस पुत्र-वियोगिनी के दु:ख का अंदाज़ा लगाने के लिए पिछले साल अपने पड़ोस में पुत्र की मृत्यु से दु:खी माता की बात सोचने लगा जिसके पास दु:ख प्रकट करने का अधिकार तथा अवसर दोनों था परन्तु यह बुढ़िया तो इतनी असहाय थी कि वह ठीक से अपने पुत्र की मृत्यु का शोक भी नहीं मना सकती थी।
5. इस पाठ का शीर्षक ‘दु:ख का अधिकार’ कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
इस पाठ का शीर्षक ‘दु:ख का अधिकार’ पूरी तरह से सार्थक सिद्ध होता है क्योंकि यह अभिव्यक्त करता है कि दु:ख प्रकट करने का अधिकार व्यक्ति की परिस्थिति के अनुसार होता है। यद्यपि दु:ख का अधिकार सभी को है। गरीब बुढ़िया और संभ्रांत महिला दोनों का दुख एक समान ही था। दोनों के पुत्रों की मृत्यु हो गई थी परन्तु संभ्रांत महिला के पास सहूलियतें थीं, समय था। इसलिए वह दु:ख मना सकी परन्तु बुढ़िया गरीब थी, भूख से बिलखते बच्चों के लिए पैसा कमाने के लिए निकलना था। उसके पास न सहूलियतें थीं न समय। वह दु:ख न मना सकी। उसे दु:ख मनाने का अधिकार नहीं था। इसलिए शीर्षक पूरी तरह सार्थक प्रतीत होता है।
पृष्ठ संख्या: 18
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए –
1.जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।
उत्तर
यहाँ लेखक ने पोशाक की तुलना वायु की लहरों से की है। जिस प्रकार पतंग के कट जाने पर वायु की लहरें उसे कुछ समय के लिए उड़ाती रहती हैं, एकाएक धरती से टकराने नही देतीं ठीक उसी प्रकार किन्हीं ख़ास परिस्थतियों में पोशाक हमें नीचे झुकने से रोकती हैं।
2. इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई,धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।
उत्तर
इस वाक्य में गरीबी पर चोट की गयी है। गरीबों को कमाने के लिए रोज घर से निकलना पड़ता है । परन्तु लोग कहते हैं उनके लिए रिश्ते-नाते कोई मायने नही रखते हैं। वे सिर्फ पैसों के गुलाम होते हैं। रोटी कमाना उनके लिए सबसे बड़ी बात होती है।
3. शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और… दुखी होने का भी एक अधिकार होता है।
उत्तर
शोक करने, गम मनाने के लिए सहूलियत चाहिए। यह व्यंग्य अमीरी पर है क्योंकि अमीर लोगों के पास दुख मनाने का समय और सुविधा दोनों होती हैं। इसके लिए वह दु:ख मनाने का दिखावा भी कर पाता है और उसे अपना अधिकार समझता है। जबकि गरीब विवश होता है। वह रोज़ी रोटी कमाने की उलझन में ही लगा रहता है। उसके पास दु:ख मनाने का न तो समय होता है और न ही सुविधा होती है। इसलिए उसे दु:ख का अधिकार भी नहीं होता है।
भाषा अध्यन
2. निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए −
ईमान
बदन
अंदाज़ा
बेचैनी
गम
दर्ज़ा
ज़मीन
ज़माना
बरकत
उत्तर
ईमान
ज़मीर, विवेक
बदन
शरीर, तन, देह
अंदाज़ा
अनुमान
बेचैनी
व्याकुलता, अधीरता
गम
दुख, कष्ट, तकलीफ
दर्ज़ा
स्तर, कक्षा
ज़मीन
धरती, भूमि, धरा
ज़माना
संसार, जग, दुनिया
बरकत
वृद्धि, बढ़ना
पृष्ठ संख्या: 19
3. निम्नलिखित उदाहरण के अनुसार पाठ में आए शब्द-युग्मों को छाँटकर लिखिए –
उत्तर
फफक
फफककर
दुअन्नी
चवन्नी
ईमान
धर्म
आते
जाते
छन्नी
ककना
पास
पड़ोस
झाड़ना
फूँकना
पोता
पोती
दान
दक्षिणा
मुँह
अँधेरे
4. पाठ के संदर्भ के अनुसार निम्नलिखित वाक्यांशों की व्याख्या कीजिए − बंद दरवाज़े खोल देना, निर्वाह करना, भूख से बिलबिलाना, कोई चारा न होना, शोक से द्रवित हो जाना।
उत्तर
1. बंद दरवाज़े खोल देना − प्रगति में बाधक तत्व हटने से बंद दरवाज़े खुल जाते हैं। 2. निर्वाह करना − परिवार का भरण-पोषण करना 3. भूख से बिलबिलाना − बहुत तेज भूख लगना (व्याकुल होना) 4. कोई चारा न होना − कोई और उपाय न होना 5. शोक से द्रवित हो जाना − दूसरों का दु:ख देखकर भावुक हो जाना।
5. निम्नलिखित शब्द-युग्मों और शब्द-समूहों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए −
(क)
छन्नी-ककना
अढ़ाई-मास
पास-पड़ोस
दुअन्नी-चवन्नी
मुँह-अँधेरे
झाड़ना-फूँकना
(ख)
फफक-फफककर
बिलख-बिलखकर
तड़प-तड़पकर
लिपट-लिपटकर
उत्तर
(क) 1. छन्नी-ककना − मकान बनाने में उसका छन्नी-ककना तक बिक गया। 2. अढ़ाई-मास − वह विदेश में अढ़ाई-मास ही रहा। 3. पास-पड़ोस − पास-पड़ोस अच्छा हो तो समय अच्छा कटता है। 4. दुअन्नी-चवन्नी − आजकल दुअन्नी-चवन्नी को कौन पूछता है। 5. मुँह-अँधेरे − वह मुँह-अँधेरे उठ कर चला गया। 6. झाड़-फूँकना − गाँवों में आजकल भी लोग झाँड़ने-फूँकने पर विश्वास करते हैं। (ख) 1. फफक-फफककर − बच्चे फफक-फफककर रो रहे थे। 2. तड़प-तड़पकर − आंतकियों के लोगों पर गोली चलाने से वे तड़प-तड़पकर मर रहे थे। 3. बिलख-बिलखकर − बेटे की मृत्यु पर वह बिलख-बिलखकर रो रही थी। 4. लिपट-लिपटकर − बहुत दिनों बाद मिलने पर वह लिपट-लिपटकर मिली।
6. निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं को ध्यान से पढ़िए और इस प्रकार के कुछ और वाक्य बनाइए :
(क)
1
लड़के सुबह उठते ही भूख से बिलबिलाने लगे।
2
उसके लिए तो बजाज की दुकान से कपड़ा लाना ही होगा।
3
चाहे उसके लिए माँ के हाथों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाएँ।
(ख)
1
अरे जैसी नीयत होती है, अल्ला भी वैसी ही बरकत देता है।
2
भगवाना जो एक दफे चुप हुआ तो फिर न बोला।
उत्तर (क)
1
लड़के सुबह उठते ही भूख से बिलबिलाने लगे। बुढ़िया के पोता-पोती भूख से बिलबिला रहे थे।
2
उसके लिए तो बजाज की दुकान से कपड़ा लाना ही होगा। बच्चों के लिए खिलौने लाने ही होंगे।
3
चाहे उसके लिए माँ के हाथों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाएँ। उसने बेटी की शादी के लिए खर्चा करने का इरादा किया चाहे इसके लिए उसका सब कुछ ही क्यों न बिक जाए।
(ख)
1
अरे जैसी नीयत होती है, अल्ला भी वैसी ही बरकत देता है। जैसा दूसरों के लिए करोगे वैसा ही फल पाओगे।
2
भगवाना जो एक दफे चुप हुआ तो फिर न बोला। जो समय निकल गया तो फिर मौका नहीं मिलेगा।
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NCERT Book Solutions For Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1
पृष्ठ संख्या: 10 प्रश्न अभ्यास
मौखिक निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए −
1. हीरे के प्रेमी उसे किस रुप में पसंद करते हैं?
उत्तर
हीरे के प्रेमी उसे साफ़ सुथरा, खरादा हुआ, आँखों में चकाचौंध पैदा करता हुआ देखना पसंद करते हैं।
2. लेखक ने संसार में किस प्रकार के सुख को दुर्लभ माना है?
उत्तर
लेखक ने संसार में अखाड़े की मिट्टी में लेटने, मलने के सुख को दुर्लभ माना है क्योंकि यह मिट्टी तेल और मट्ठे से सिझाई जाती है। इससे देवता पर भी चढ़ाया जाता है।
3. मिट्टी की आभा क्या है? उसकी पहचान किससे होती है?
उत्तर
मिटटी की आभा धूल है। मिटटी की पहचान उसके धूल से होती है।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए −
1. धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना क्यों नहीं की जा सकती?
उत्तर
धूल का जीवन में बहुत महत्व है। कोई भी शिशु धूल से सनकर विविध खेल खेलता है। यह धूल जब शिशु के मुख पर पड़ती है तो उसकी स्वाभाविक सुंदरता निखार जाती है।। इसलिए धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना नहीं की जा सकती।
2. हमारी सभ्यता धूल से क्यों बचना चाहती है?
उत्तर
हमारी सभ्यता धूल से बचना चाहती है क्योंकि धूल के प्रति उनमें हीन भावना है। वे इसे सुंदरता के लिए खतरा मानते हैं। इस धूल से बचने के लिए ऊँचे-ऊँचे इमारतों रहते हैं ताकि वे धूल से बचें रहें। वे कृत्रिम चीज़ों को पसंद करते हैं, कल्पना में विचरते रहना चाहते हैं, वास्तविकता से दूर रहते हैं। वह हीरों का प्रेमी है धूल भरे हीरों का नहीं। धूल की कीमत को वह नहीं पहचानते।
3. अखाड़े की मिट्टी की क्या विशेषता होती है? उत्तर अखाड़े की मिट्टी साधारण मिट्टी से भिन्न है । इसे तेल और मट्ठे से सिझाया जाता है। इसे देवता पर चढ़ाया जाता है। पहलवान को अखाड़े की मिट्टी ही विश्वविजयी बनाती है।
4. श्रद्धा, भक्ति, स्नेह की व्यंजना के लिए धूल सर्वोत्तम साधन किस प्रकार है? उत्तर श्रद्धा विश्वास का, भक्ति ह्रदय की भावनाओं का और स्नेह प्यार के बंधन का प्रतीक है। व्यक्ति धूल को माथे से लगाकर उसके प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करते है, योद्धा धूल को आखों से लगाकर उसके प्रति अपनी श्रद्धा जताते हैं। हमारा शरीर भी मिट्टी से बना है। इस प्रकार धूल अपने देश के प्रति श्रद्धा, भक्ति, स्नेह, की व्यंजना के लिये धूल सर्वोत्तम साधन है।
5. इस पाठ में लेखक ने नगरीय सभ्यता पर क्या व्यंग्य किया है?
उत्तर
नगरीय सभ्यता में सहजता के स्थान पर कृत्रिमता पर ज़ोर रहता है। वे धूल से बचना चाहते हैं, उससे दूर रहना चाहते हैं। उन्हें काँच के हीरे अच्छे लगते हैं। वे वास्तविकता से दूर रहकर बनावटी जीवन जीते हैं। इस तरह लेखक ने धूल पाठ में नगरीय सभ्यता पर व्यंग्य किया है।
(ख) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए −
1. लेखक ‘बालकृष्ण’ के मुँह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ क्यों मानता है?
उत्तर
लेखक ‘बालकृष्ण’ के मुँह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ इसलिए मानता है क्योंकि वह उसकी सहज पार्थिवता को निखार देती है। बनावटी प्रसाधन भी वह सुंदरता नहीं दे पाते। धूल से उनकी शारीरिक कांति जगमगा उठती है।
2. लेखक ने धूल और मिट्टी में क्या अंतर बताया है? उत्तर धूल और मिट्टी में उतना ही अंतर है जितना शब्द और रस में, देह और प्राण में, चाँद और चांदनी में। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, मिट्टी रुप है तो धूल प्राण है। मिट्टी की आभा धूल है तो मिट्टी की पहचान भी धूल है।
3. ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के कौन-कौन से सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है?
उत्तर
ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के अनेक सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है।शिशु के मुख पर धूल फूल की पंखुड़ियों के समान सुंदर लगती है । उसकी सुंदरता को निखारती है। सांयकाल गोधूलि के उड़ने की सुंदरता का चित्र ग्रामीण परिवेश में प्रस्तुत करती है जोकि शहरों के हिस्से नहीं पड़ती ।
4. “हीरा वही घन चोट न टूटे”- का संदर्भ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
“हीरा वही घन चोट न टूटे”- का अर्थ है असली हीरा वही है जो हथोड़े की चोट से भी न टूटे और अटूट होने का प्रमाण दे। इसी तरह ग्रामीण लोग हीरे के समान होते हैं मजबूत और सुदृढ़। वे कठिनाइयों से नहीं घबराते।
5. धूल, धूलि, धूली, धूरि और गोधूलि की व्यंजनाओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
धूल यथार्थवादी गद्य है तो धूलि उसकी कविता। धूली छायावादी दर्शन है और धूरि लोक-संस्कृति का नवीन जागरण है। गोधूलि गायों एवं ग्वालों के पैरों से सायंकाल में उड़ने वाली धूलि है जो गाँव के जीवन की अपनी संपत्ति है।
6. “धूल” पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
लेखक ने पाठ “धूल” में धूल का महत्त्व स्पष्ट किया है कि धूल से ही हमारा शरीर बना है परंतु आज का नगरीय जीवन इससे दूर रहना चाहता है जबकि ग्रामीण सभ्यता का वास्तविक सौंदर्य “धूल” ही है।
7. कविता को विडंबना मानते हुए लेखक ने क्या कहा है?
उत्तर
लेखक से पुस्तक विक्रेता के निमंत्रण पत्र में गोधूलि वेला में आने का आग्रह किया गया तो उसने इसे कविता की विडंबना माना क्योंकि कवियों ने गोधूलि की महिमा बताई है परन्तु यह गोधूलि गायों ग्वालों के पैरो से उड़ती ग्राम की धूलि थी शहरी लोग इसकी सुंदरता और महत्ता को कहाँ समझ पाते हैं। इसका अनुभव तो गाँव में रहकर ही किया जा सकता है। यहाँ तक कि कविता के पास भी इसके महत्व के बयान की क्षमता नहीं होती।
(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए −
1. फूल के ऊपर जो रेणु उसका श्रृंगार बनती है, वही धूल शिशु के मुँह पर उसकी सहज पार्थिवता को निखार देती है।
उत्तर
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्यपुस्तक ‘स्पर्श’ से ली गयी हैं जिसके लेखक रामविलास शर्मा जी हैं। इस कथन का आशय यह है कि जिस तरह फूल के ऊपर धूल आ जाने से वह उसकी सज्जों सज्जा को बढाती है उसी प्रकार शिशु के मुख पर धूल उसकी सुंदरता को ओर भी निखार देती है।
2. ‘धन्य-धन्य वे हैं नर मैले जो करत गात कनिया लगाय धूरि ऐसे लरिकान की’ − लेखक इन पंक्तियों द्वारा क्या कहना चाहता है?
उत्तर
यहाँ लेखक बता रहे हैं की वह नर धन्यवाद के पात्र हैं जो धूरि भरे शिशुओं को गोद में उठाकर गले से लगा लेते हैं । बच्चों के साथ उनका शरीर भी धूल से सन जाता है। लेखक को ‘मैले’ शब्द में हीनता का बोध होता है क्योंकि वह धूल को मैल नहीं मानते। ‘ऐसे लरिकान’ में भेदबुद्धी नज़र आती है।
3. मिट्टी और धूल में अंतर है, लेकिन उतना ही, जितना शब्द और रस में, देह और प्राण में, चाँद और चाँदनी में।
उत्तर
लेखक मिट्टी और धूल में अंतर की व्याख्या करते हुए कहते हैं कि दोनों एक दूसरे से जुड़े हैं। एक के बिना दूसरे की कल्पना नहीं की जा सकती। जैसे चाँद के बिना चाँदनी नहीं होती, देह के बिना प्राण नहीं होते। यदि शब्द न हो तो लेख या कविता में रस कहाँ से आएगा। उसी तरह मिट्टी के रंग रुप की पहचान धूल से ही होती है।
4. हमारी देशभक्ति धूल को माथे से न लगाए तो कम-से-कम उस पर पैर तो रखे।
उत्तर लेखक का इस वाक्य से आशय है की जिस धूल को वीर योद्धा अपनी मातृभूमि के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं, धूल मस्तक पर लगाते हैं, किसान धूल में ही सन कर काम करता है उस धूल से बचने की कोशिश की जाती है। नगरीय लोग इसे तुच्छ समझते हैं। चाहे वह देश की धूल को माथे से न भी लगाए परंतु उसकी वास्तविकता से परिचित हो।
5. वे उलटकर चोट भी करेंगे और तब काँच और हीरे का भेद जानना बाकी न रहेगा।
उत्तर
यहां कांच की तुलना नगरीय सभ्यता से तथा हीरे की तुलना ग्रामीण सभ्यता से की गयी है। हीरा बहुत मजबूत होता है और कांच एक चोट से टूट जाता है और बिखर कर दूसरों को भी चोट पहुँचाता है। हीरा हथौड़े की चोट से भी नहीं टूटता ये बात दोनों के परीक्षण के बाद ही पता लगती है। हीरा काँच को काटता है। उसी तरह ग्रामीण, हीरे की तरह मजबूत और सुदृढ़ होते हैं। वे उलटकर वार भी कर सकते हैं। समय का हथौड़ा इस सच्चाई को सामने लाता है।
2. लेखक ने इस पाठ में धूल चूमना, धूल माथे पर लगाना, धूल होना जैसे प्रयोग किए हैं। धूल से संबंधित अन्य पाँच प्रयोग और बताइए तथा उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर
1. धूल चटाना − भारतीय सेना ने दुश्मन सेना को धूल चटा दी। 2. धूल फाँकना − वह बाजार में सारा दिन धूल फाँकता रहा । 3. धूल उड़ाना − उसकी सारी मेहनत धूल में उड़ गई। 4. धूल में मिलना − उन लोगों ने बहुत मेहनत से सजावट की पर एक आँधी के झोंके से सब धूल में मिल गया। 5. धूल धुसरित − धूल धुसरित बालक सुंदर लगता है।
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NCERT Book Solutions For Class 9 Hindi Kritika Chapter 5
पृष्ठ संख्या: 58 1. वह ऐसी कौन सी बात रही होगी जिसने लेखक को दिल्ली जाने के लिए बाध्य कर दिया?
उत्तर
लेखक जिन दिनों बेरोजगार थे उन दिनों शायद किसी ने उन्हें कटु बातें की होगीं जिसे वे बर्दाश्त नहीं कर पाए होगे और दिल्ली चले आए होंगे।
2. लेखक को अंग्रेज़ी में कविता लिखने का अफ़सोस क्यों रहा होगा?
उत्तर लेखक को अंग्रेज़ी में कविता लिखने पर अफ़सोस इसलिए रहा होगा क्योंकि वह भारत की जन-भाषा नहीं थी। इसलिए भारत के लोग यानी उनके अपने लोग उसे समझ नहीं पाते होंगे।
3. अपनी कल्पना से लिखिए कि बच्चन ने लेखक के लिए नोट में क्या लिखा होगा?
उत्तर
दिल्ली के उकील आर्ट स्कूल में बच्चनजी लेखक के लिए एक नोट छोड़कर गए थे। उस नोट में शायद उन्होंने लिखा होगा कि तुम इलाहाबाद आ जाओ। लेखन में ही तुम्हारा भविष्य निहित है। संघर्ष करने वाले ही जीवन पथ पर अग्रसर होते हैं अत:परिश्रम करो सफलता अवश्य तुम्हारे कदम चूमेगी।
4. लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के किन-किन रूपों को उभारा है ?
उत्तर
लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के अनेक रूपों को उभारा है – 1) बच्चन का स्वभाव संघर्षशील, परोपकारी, फौलादी संकल्पवाला था। 2) बच्चनजी समय के अत्यंत पाबन्द होने के साथ-साथ कला-प्रतिभा के पारखी थे। उन्होंने लेखक द्वारा लिखे एक ही सॉनेट को पढ़कर उनकी कला – प्रतिभा को पहचान लिया था। 3) बच्चनजी अत्यंत कोमल एवं सहृदय मनुष्य थे। 4) वे ह्रदय से ही नहीं, कर्म से भी परम सहयोगी थे। उन्होंने न केवल लेखक को इलाहाबाद बुलाया बल्कि लेखक की पढ़ाई का सारा जिम्मा भी उठा लिया।
5. बच्चन के अतिरिक्त लेखक को अन्य किन लोगों का तथा किस प्रकार का सहयोग मिला ?
उत्तर
लेखक को बच्चन के अतिरिक्त निम्नलिखित लोगों का सहयोग प्राप्त हुआ -तेजबहादुर सिंह – ये लेखक के बड़े भाई थे। ये आर्थिक तंगी के दिनों में उन्हें कुछ रूपये भेजकर उनका सहयोग करते थे। कवि नरेंद्र शर्मा – कवि नरेंद्र शर्मा लेखक के मित्र थे। एक दिन वे लेखक से मिलने के लिए बच्हन स्टूडियो में आये। छुट्टी होने कारण लेखक नहीं मिल सका। तब वे उनके नाम एक बहुत अच्छा और प्रेरक नोट छोड़ गए। इस नोट ने लेखक को बहुत प्रेरणा दी। शारदाचरण उकील – ये कला शिक्षक थे। इनसे लेखक ने पेंटिंग की शिक्षा ली। बच्चन के पिता – जब लेखक इलाहाबाद में आकर बस गया तो उन्हें स्थानीय अभिभावक की आवश्यकता थी।तब हरिवंशराय बच्चन के पिता ने उनका अभिभावक बन्ना स्वीकार किया। सुमित्रानंदन पंत – हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत ने लेखक को इंडियन प्रेस से अनुवाद का काम दिला दिया। उन्होंने लेखक द्वारा लिखी कविताओं में कुछ संशोधन भी किया। ससुराल पक्ष – जिन दिनों विधुर लेखक आजीविका कमाने के लिए संघर्ष कतर रहा था, तब ससुराल वालों ने उन्हें अपनी दुकान पर कम्पाउंडरी का प्रशिक्षण दिया।
6. लेखक के हिंदी लेखन में कदम रखने का क्रमानुसार वर्णन कीजिये। उत्तर सन् 1933 में लेखक की कुछ रचनाएँ जैसे ‘सरस्वती’ और ‘चाँद’ छपी। बच्चन द्वारा ‘प्रकार’ की रचना लेखक से करवाई गई। बच्चन द्वारा रचित ‘निशा-निमंत्रण’ से प्रेरित होकर लेखक ने ‘निशा-निमंत्रण के कवि के प्रति’ कविता लिखी थी। निराला जी का ध्यान सरस्वती में छपी कविता पर गया। उसके पश्चात् उन्होंने कुछ हिंदी निबंध भी लिखे व बाद में ‘हंस’ कार्यालय की ‘कहानी’ में चले गए। तद्पश्चात् उन्होंने कविताओं का संग्रह व अन्य रचनाएँ भी लिखी।
7. लेखक ने अपने जीवन में जिन कठिनाइयों को झेला है, उनके बारे में लिखिए। उत्तर लेखक ने अपने जीवन में प्रारम्भ से ही अनेक कठिनाइयों को झेला। वह किसी के व्यंग्य-बाण का शिकार होकर केवल पाँच – सात रूपए लेकर ही दिल्ली चला गया। वह बिना फीस के पेंटिंग के उकील स्कूल में भर्ती हो गया।वहाँ उसे साइन – बोर्ड पैंट करके गुजारा चलाना पड़ा। लेखक की पत्नी का टी.बी. के कारण देहांत हो गया था, और वे युवावस्था में ही विधुर हो गए। इसलिए उन्हें पत्नी – वियोग का पीड़ा भी झेलना पड़ा। बाद में एक घटना -चक्र में लेखक अपनी ससुराल देहरादून आ गया। वहाँ वह एक दूकान पर कम्पाउंडरी सिखने लगे। वह बच्चन जी के आग्रह पर इलाहाबाद चला गया। वहाँ बच्चन जी के पिता उसके लोकल गार्जियन बने। बच्चन जी ने ही उसकी एम्.ए. की पढ़ाई का खर्चा उठाया। बाद में उसने इंडियन प्रेस में अनुबाद का काम भी किया। उसे हिन्दू बोर्डिंग हाउस के कामन-रूम में एक सीट फ्री मिल गयी थी। तब भी वह आर्थिक संघर्ष से जूझ रहा था।