CLASS 11TH -पाठ 9 – भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है? |अंतरा भाग-1 हिंदी |NCERT SOLUTION| EDUGROWN

Class 11 NCERT Solutions for Hindi Antra provides you an idea of the language and helps you understand the subject better. We have explained NCERT Solutions for Class 11th Hindi Antra.

Class 11 Hindi Antra textbook has 19 chapters in which first 9 chapters are prose while other 10 are poems. These pieces are very useful in the development of language and communication skills of students

NCERT Solutions for Class 11th -पाठ 9 - भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है? -अंतरा भाग-1 हिंदी

प्रश्न अभ्यास
 
1. पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि ‘इस अभागे आलसी देश में जो कुछ हो जाए वही बहुत कुछ है’ क्यों कहा गया है?
 
उत्तर
 
पाठ में लेखक यह शब्द इसलिए कहे हैं क्योंकि भारतीय लोगों में आलस समा गया है। इस कारण वे काम करने से बचते हैं। यह देखते हुए उन्होंने कहा है कि अभागे आलसी देश में जो कुछ हो जाए वही बहुत कुछ है। वह कहते हैं कि इसके लिए हमें सबसे पहले अपने अंदर व्याप्त आलस को हटाना होगा। भारतीयों ने निकम्मेपन का जो रोग पाल रखा है, उससे निजात पाना होगा। आलस मनुष्य को परिश्रम करने से रोकता है जिससे मनुष्य का और देश का विकास रुक जाता है।
 
2. ‘जहाँ रॉबर्ट साहब बहादुर जैसे कलेक्टर हों, वहाँ क्यों न ऐसा समाज हो’ वाक्य में लेखक ने किस प्रकार के समाज की कल्पना की है?
 
उत्तर

रॉबर्ट साहब बहादुर कलेक्टर थे। ऐसा लिखकर लेखकर ने ऐसे समाज की कल्पना की जहाँ का राजा सजग हो। जहाँ का राजा सजग होगा, वहाँ के लोगों को सजग होना पड़ेगा। उनके अंदर आलस नहीं होगा। अपने तथा राज्य के विकास के लिए समाज को काम करना पड़ेगा। समाज की सजगता के कारण चारों ओर उन्नति तथा विकास होगा।

3. जिस प्रकार ट्रेन बिना इंजिन के नहीं चल सकती ठीक उसी प्रकार ‘हिंदुस्तानी लोगों को कोई चलानेवाला हो’ से लेखक ने अपने देश की खराबियों के मूल कारण खोजने के लिए क्यों कहा है?

उत्तर

हिंदुस्तानी लोगों की रेल की गाड़ी से तुलना इसलिए की गई है क्योंकि जैसे रेल की गाड़ी को चलाने के लिए इंजन की आवश्यकता होती है वैसे ही हिंदुस्तानी लोग स्वयं काम करने के आदी नहीं होते। उन्हें ट्रेन के इंजन की भांति कोई-न-कोई नेतृत्व करने वाला चाहिए। पूरे भारत में अलग-अलग जाति, संप्रदाय आदि के लोग रहते हैं। इनमें स्वयं चलने की क्षमता है ही नहीं। इन्हें सदियों से एक बाहरी व्यक्ति ही अपने इशारे पर नचा रहा है। यह सही नहीं है। इसलिए लेखक कहता है कि हमें इसका कारण खोजना पड़ेगा।
 
4. देश की सब प्रकार से उन्नति हो, इसके लिए लेखक ने जो उपाय बताए उनमें से किन्हीं चार का उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।

उत्तर

चार उदाहरण –

• लेखक के अनुसार आलस्य हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है। इसी कारण हम निकम्मे बने हुए हैं। अतः हमें इस आलस्य को त्यागना होगा और अपने समय का सही सदुपयोग करना होगा। इस तरह हम समय का सही उपयोग करके उन्नति के मार्ग में चल सकते हैं।

• हमें अपने स्वार्थों तथा हितों का त्याग करना होगा। लेखक के अनुसार हमें अपने देश, जाति, समाज इत्यादि के लिए अपने स्वार्थों तथा हितों का त्याग करना होगा।

• हमें शिक्षा के महत्व को समझना होगा। शिक्षा के महत्व को समझकर उसे भारत के घर-घर पहुँचाना होगा। इस तरह शिक्षित भारत की उन्नति निश्चित है।

• हमें भारत से बाहर जाकर भी अन्य स्थानों को समझना होगा। इस तरह हम कुएँ का मेंढक नहीं रहेंगे और हमारी तरक्की अवश्य होगी।

5. लेखक जनता से मत-मतांतर छोड़कर आपसी प्रेम बढ़ाने का आग्रह क्यों करता है?

उत्तर

लेखक जनता से मत-मतांतर के भेदभावों को छोड़कर आपस में प्रेमभाव से मिल-जुलकर रहने का आग्रह करता है क्योंकि इससे आपसी भाई-चारा बढ़ेगा। भारतीय जनता के पिछड़ेपन के पीछे सबसे बड़ा कारण यहाँ व्याप्त जाति तथा धार्मिक भेदभाव है। इसी ने भारत की नींव को खोखला किया हुआ है। इसी के कारण भारत की एकता तथा अखण्डता खंडित हो रही है। हम जाति तथा वर्गगत संकीर्णता से मुक्त होकर देश की उन्नति के लिए मिल-जुलकर प्रयास करेंगे तो भारतवर्ष को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकेगा|
 
6. आज देश की आर्थिक स्थिति के संदर्भ में नीचे दिए गए वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए ‘जैसे हजार धारा होकर गंगा समुद्र में मिली हैं, वैसे ही तुम्हारी लक्ष्मी हजार तरह से इंग्लैंड, फरांसीस, जर्मनी, अमेरिका को जाती हैं।’

उत्तर

लेखक कहता है कि भारत का पैसा आज हज़ार रुपों में होता हुआ इंग्लैंड, फरांसीस, जर्मनी तथा अमेरिका में जा रहा है। आज की स्थिति पूरी तरह ऐसी नहीं है फिर भी हमारा पैसा इन देशों में जा रहा है। आज भी भारतीय विदेशी ब्राँड के कपड़े, जूते, घड़ियाँ, इत्र इत्यादि पहनते हैं और पैसे बाहर जाता है। हम भी व्यापारिक लेन-देन के कारण विदेशी मुद्रा भारत लाते हैं। इस तरह स्थिति बराबर की बनी हुई है।
 
7. आपके विचार से देश की उन्नति किस प्रकार संभव है? कोई चार उदारहण तर्क सहित दीजिए।

उत्तर

• देश की उन्नति के लिए हमें आलस्य त्याग देना चाहिए क्योंकि इसी के कारण हम निकम्मे बने हुए हैं| हमें समय का मूल्य पहचानकर देश की तरक्की के लिए जी-जान से लग जाना चाहिए|
 
• हमें मिल-जुलकर कार्य करना चाहिए ताकि हम अपने साथ-साथ अन्य लोगों का विकास कर सकें| इससे समाज और देश दोनों का विकास होगा|

• देश में शिक्षा का प्रसार करना आवश्यक है। जहाँ शिक्षा है, वहाँ विकास के मार्ग खुल जाते हैं। अतः प्रयास करना चाहिए कि देश में कोई अशिक्षित न रहें।


• हमें जनसंख्या पर नियंत्रण रखना होगा। हमारे देश के साधन आबादी के कारण जल्दी समाप्त हो जाएँगे और हमें दूसरे देशों में निर्भर होना पड़ेगा। अतः हमें जनसंख्या को बढ़ने से रोकना होगा।
 
8. भाषण की किन्हीं चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। उदाहरण देकर सिद्ध कीजिए कि पाठ ‘भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?’ एक भाषण है।

उत्तर

• संबोधनात्मक – भाषण संबोधन शैली पर आधारित होते हैं। इसे आरंभ ही संबोधन से किया जाता है।

• स्पष्टता – भाषण में विषय और भाषा को स्पष्टता होनी चाहिए। भाषण देने वाले को पता होना चाहिए कि वह कब किस बात को बोले और किस तरह से सुनने वाले को खुद से जोड़ सके|

• रोचकता – रोचकता सुनने वाले को को बाँधे रखती है| वक्ता विभिन्न माध्यम जैसे व्यंग्य, चुटकले, आरोपों द्वारा श्रोता को बाँधता है|

• ओज पूर्ण – वक्ता को भाषण देते समय उत्साह और प्रेरणादायक शब्दों को प्रयोग करना चाहिए ताकि श्रोता को कुछ सिखने और कुछ करने का अवसर मिले|

पूरे पाठ में लेखक ने भारत की जनता को संबोधित किया है| उन्होंने अपने विभिन्न विचारों से जनता को अवगत कराया है और उन्हें प्रेरणा देने का काम किया है| इसमें उन्होंने भारत के लोगों की कमियाँ बतायीं हैं, ब्रिटिश शासन पर व्यंग्य किया तथा उनके कार्यों के लिए उनकी सराहना भी की है। लोगों को चेताने और सजग करने के उद्देश्य से यह भाषण दिया गया है। इस भाषण में हर उस विषय को रखा गया, जो भारत को किसी न किसी रूप से कमज़ोर बना रहा था। 
 
9. ‘अपने देश में अपनी भाषा में उन्नति करो’ से लेखक का क्या तात्पर्य है? वर्तमान संदर्भो में इसकी प्रासंगिता पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर

हर देश की अपनी राष्ट्रभाषा होती है। सारा सरकारी तथा अर्ध-सरकारी काम उसी भाषा में किया जाता है। वही शिक्षा का माध्यम भी है। कोई भी देश अपनी राष्ट्रभाषा के माध्यम से ही विकास पथ पर अग्रसर होता है। हम अपनी भाषा में अपने विचारों को अच्छी प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं इसलिए हमें अपने देश की पहचान बनाने के लिए अपनी भाषा की भी उन्नति करनी चाहिए। आज आजादी के 70 साल से अधिक होने के बावजूद हिंदी को उचित स्थान नहीं मिल पाया है| इसका एक कारण तो यह भी है की यह आजतक पूरे भारत की भाषा नहीं बन पायी है| अन्य प्रांतीय भाषाओं के होने के कारण हिंदी भाषा का पूरे राष्ट्र में प्रचार नहीं हो सका। अभी के समय भी हिंदी का विस्तृत ज्ञान रखने वाले को उतना महत्व नहीं दिया जाता है और हिंदी अपमानित होती रही है| आज भी कई संगठन हिंदी को राष्ट्रीय भाषा का अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं|

10. निम्नलिखित गद्यांशों की व्याख्या कीजिए-

(क) सास के अनुमोदन से”…….. “फिर परदेस चला जाएगा।

उत्तर

इन पंक्तियों में लेखक ने भारवासियों के आलस्य प्रवृत्ति पर कटाक्ष किया है। वह बताते हैं कि एक बहू अपनी सास से पति से मिलने की आज्ञा लेकर पति के पास गई। वहाँ उसका मिलन नहीं हो पाया। कारण वह लज्जा के कारण कुछ बोल ही नहीं पायी। सारी परिस्थितियाँ उसके अनुकूल थीं। मगर लज्जा उसके मार्ग की सबसे बड़ी बाधा बन गई। उसे इस कारण पति का मुख देखना भी नसीब नहीं हुआ। अब इसे उसका दुर्भाग्य ही कहें कि अगले दिन उसका पति वापिस जाने वाला था। अतः उसने आया अवसर गँवा दिया। इसके माध्यम से लेखक बताना चाहते हैं कि भारवासियों को सभी प्रकार के अवसर मिले हुए हैं। भारतवासियों में आलस्य इस प्रकार छाया हुआ है कि वह इस अवसर का सही उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। इसके बाद यह अवसर चला गया, तो हमारे पास दुख और पछतावे के अतिरिक्त कुछ नहीं बचेगा।

(ख) दरिद्र कुटुंबी इस तरह …….. वही दशा हिंदुस्तान की है।

उत्तर

इन पंक्तियों में लेखक कहते हैं कि एक गरीब परिवार समाज में अपनी इज्जत बचाने में असमर्थ हो जाता है। लेखक एक उदाहरण के माध्यम से अपनी बात स्पष्ट करते हैं। वे कहते हैं कि गरीब तथा कुलीन वधू अपने फटे हुए वस्त्रों में अपने अंगों को छिपाकर अपनी इज्जत बचाने का हर संभव प्रयास करती है। भाव यह है कि उसके पास साधन बहुत ही सीमित हैं और वह उसमें ही कोशिश करती है। ऐसे ही भारतावासियों के हाल है। चारों ओर गरीबी विद्यमान है। सभी गरीबी से त्रस्त हैं। इसके कारण लोग अपनी इज्जत बचा पाने में असमर्थ हो रहे हैं। यह गद्यांश भारत की गरीबी का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत करता है।

(ग) वास्तविक धर्म तो ……..शोधे और बदले जा सकते हैं।

उत्तर

यह गद्यांश उस स्वरूप को दर्शाता है, जो भारत में  विद्यमान धर्मों का है। धर्म मनुष्य को भगवान के चरण कमलों की भक्ति करने के लिए कहता है। हमें इसे समझना होगा। जो अन्य बातें धर्म के साथ जोड़ी गई हैं, वे समाज-धर्म कहलाती हैं। समय और देश के अनुसार इनमें परिवर्तन किया जाना चाहिए। धर्म का मूल स्वरूप हमेशा एक सा रहता है। बस हमें उसके व्यावहारिक पक्ष को बदलने का प्रयास करना चाहिए।
Read More

CLASS 11TH -पाठ 8 – उसकी माँ |अंतरा भाग-1 हिंदी |NCERT SOLUTION| EDUGROWN

Class 11 NCERT Solutions for Hindi Antra provides you an idea of the language and helps you understand the subject better. We have explained NCERT Solutions for Class 11th Hindi Antra.

Class 11 Hindi Antra textbook has 19 chapters in which first 9 chapters are prose while other 10 are poems. These pieces are very useful in the development of language and communication skills of students

NCERT Solutions for Class 11th -पाठ 8 - उसकी माँ -अंतरा भाग-1 हिंदी

प्रश्न-अभ्यास
 
1. क्या लाल का व्यवहार सरकार के विरुद्ध षड्यंत्रकारी था?
 
उत्तर
 
लाल देशभक्त, क्रांतिकारी युवक था। वह अपने देश को ब्रिटिश सरकार की गुलामी से आज़ाद कराना चाहता था। इसलिए अंग्रेज़ी सरकार उसे राजद्रोही कह सकती है। उसने कभी सरकार के विरुद्ध षड्यंत्र नहीं किया था। क्रांतिकारी होने के कारण सरकार उस पर संदेह करती थी। उसके बढ़ते कदमों को रोकने के लिए अंग्रेज़ी सरकार ने उसे षड्यंत्र करके फंसा दिया था। अतः हम उसे षड्यंत्रकारी नहीं कह सकते हैं।

2. पूरी कहानी में जानकी न तो शासन-तंत्र के समर्थन में है न विरोध में, किंतु लेखक ने उसे केंद्र में ही नहीं रखा बल्कि कहानी का शीर्षक बना दिया। क्यों?
 
उत्तर
 
शीर्षक की सार्थकता के लिए यह जरूरी नहीं है कि कहानी उसके बारे में हो बल्कि उसके मूल भाव, उद्देश्य प्रमुख घटना अथवा प्रमुख पात्र से जुड़ा हुआ हो। स कहानी के क्रांतिकारी युवक लाल की माँ की ममता, सरलता, दृढ़ता, सेवा और त्याग का वर्णन है। कहानी की घटनाओं में माँ का बार-बार उल्लेख हुआ है। वह सिर्फ माँ है। माँ का संबंध शासन तंत्र और उसकी व्यवस्था से नहीं होता है। उसके लिए उसकी संतान महत्वपूर्ण होती है। वह सब का कल्याण चाहती है। लाल तथा उसके साथियों को फाँसी होते ही वह भी प्राण  त्याग देती है।

3. चाचा जानकी तथा लाल के प्रति सहानुभूति तो रखता है किंतु वह डरता है। यह डर किस प्रकार का है और क्यों है?
 
उत्तर
 
लाल के चाचा एक ज़मींदार हैं। उन्हें ब्रिटिश सरकार से बहुत सहायता मिलती है। वह भी उनकी चापलूसी करते हैं। जब पुलिस सुपरिटेंडेंट उससे लाल के बारे में पूछताछ करने आता है तो जाते हुए उसे चेतावनी दे जाता है कि वह लाल और उसके परिवार से दूर ही रहे। इससे वह डर जाता है कि कहीं उसे भी ब्रिटिश सरकार के गुस्से का सामना न करना पड़े। इसी डर से वह चाहते हुए भी लाल तथा उसके परिवार की कोई सहायता नहीं कर पाता।

4. इस कहानी में दो तरह की मानसिकताओं का संघर्ष है, एक का प्रतिनिधित्व लाल करता है और दूसरे का उसका चाचा। आपकी नज़र में कौन सही है? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
 
उत्तर
 
मेरी नज़र में लाल की सोच बिलकुल सही है। वह गुलामी की जंजीरों में जकड़े हुए अपने देश को आजाद कराना चाहता है। उसका मानना है कि जो व्यक्ति समाज या राष्ट्र के नाश पर जीता हो, उसका सर्वनाश हो जाना चाहिए। लाल के मन में देश के लिए प्रेम कूट-कूट भरा था| लाल के चाचा के कारण इस देश को आजादी नहीं मिली है बल्कि हज़ारों लाल के कुर्बान होने से आज हमारा देश आज़ाद हुआ है|

5. उन लड़कों ने कैसे सिद्ध किया कि जानकी सिर्फ़ माँ नहीं भारतमाता है? कहानी के आधार पर उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
 
उत्तर
 
वे लड़के जानकी के शारीरिक रूप तथा स्वभाव के आधार पर उसे भारतमाता कहते हैं। जानकी वृद्धा है। उसके बाल सफ़ेद है। लड़के उसके सफ़ेद बालों को हिमालय की संज्ञा देते हैं। जानकी के माथे पर पड़ते बल में उन्हें नदियों का भान होता है। ठोढ़ी के आकार को कन्याकुमारी और लहराते बालों को बर्मा कहते हैं।
 
जानकी का चरित्र-चित्रण:
(क) जानकी सीधी-साधी स्त्री है। उसे किसी बात से कोई मतलब नहीं है। बस उसे अपने बच्चों की चिंता है और वही उसके लिए सबकुछ हैं।
(ख) जानकी वात्सल्य से युक्त है। उसका प्रेम मात्र अपने बेटे लाल के लिए नहीं है। उसके मित्रों को भी वह अपने बच्चों के समान वात्सल्य लुटाती है। बच्चों की मृत्य़ु का सामाचार पाकर स्वयं भी प्राण त्याग देती है।
(ग) जानकी त्यागमयी है। वह अपने बेटे तथा उसके मित्रों के भोजन-पानी की व्यवस्था के लिए अपनी सभी पूंजी प्रसन्नतापूर्वक खर्च देती है।
(घ) जानकी स्वाभिमानी स्त्री है। वह किसी से भी सहायता नहीं माँगती है। अपने बच्चों के लिए वह स्वयं प्रयास करती है। किसी से भी दया की अपेक्षा नहीं रखती है। वह सबकुछ बेच देती है लेकिन उफ नहीं करती है।
 
6. विद्रोही की माँ से संबंध रखकर कौन अपनी गरदन मुसीबत में डालता? इस कथन के आधार पर उस शासन-तंत्र और समाज-व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
 
उत्तर
 
उस समय देश ब्रिटिश सरकार का गुलाम था। शासन-तंत्र बहुत ही क्रूर तथा तानाशाही था। लोगों में उसका भय था। शासन के डर से क्रांतिकारियों की सहायता करने को मुसीबत को न्योता देने के समान माना जाता था| अदालत बिना उचित सुनवाई किए मनमाना दंड दे देती थी। समाज अपने लिए सोचता था। लोगों में एकता नहीं थी। सबको अपने से मतलब था। वे इतने भयभीत रहते थे कि चाहकर भी किसी स्वतंत्रता प्रेमी की सहायता नहीं करते थे।

7. चाचा ने लाल का पेंसिल-खचित नाम पुस्तक की छाती पर से क्यों मिटा डालना चाहा?
 
उत्तर
 
चाचा लाल का पेंसिल से पुस्तक के पहले पन्ने पर लिखा नाम इसलिए मिटा डालना चाहते थे क्योंकि उन्हें डर था की कहीं पुलिसवाले तलाशी लेने आएँ तो उन्हें यह किताब न मिल जाए। लाल ने देश के लिए स्वयं को अर्पित कर दिया था। उसकी बूढ़ी माँ बेसहारा थी। लाल के नाम से उसका संबंध भी लाल तथा अन्य क्रांतिकारियों के साथ जोड़कर उसे भी ब्रिटिश सरकार का विरोधी जानकर दंड मिल सकता है।
 
8. भारत माता की छवि या धारणा आपके मन में किस प्रकार की है?
 
उत्तर
 
भारत माता सिंह पर सवार हैं और कमल के पत्ते पर खड़ी हैं| उन्होंने सोने के आभूषण धारण कर रखे हैं जो बताता है की भारत सोने की चिड़िया है| उनके सिर पर मुकुट है और बाल लम्बे हैं| उन्होंने एक हाथ में तिरंगा पकड़े रखा है| 
 
9. जानकी जैसी भारत माता हमारे बीच बनी रहे, इसके लिए ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के संदर्भ में विचार कीजिए।
 
उत्तर
 
हमें बेटियों की पढ़ाई के लिए उचित व्यवस्था करनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से ना सिर्फ एक व्यक्ति बल्कि पूरा परिवार और समाज हो सकेगा| ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ इस दिशा में एक बहुत अच्छा कदम है| इसके द्वारा वे स्वावलंबी बन सकती हैं|

10. निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए –

(क) पुलिसवाले केवल.. धीरे-धीरे घुलाना-मिटाना है।
 
उत्तर
 
ब्रिटिश सरकार को पुलिस भारतीयों के अच्छे घर के बच्चों को मात्र संदेह के आधार पर दंड देती थी। इसलिए इस प्रकार की अत्याचारी शासन-प्रणाली को स्वीकार करना क्रांतिकारी देश-भक्त अपने धर्म, कर्म, आत्मा और परमात्मा के विरुद्ध मानकर उनका विरोध करते थे।
 
(ख) चाचा जी, नष्ट हो जाना “सहस्र भुजाओं की सखियाँ हैं।
 
उत्तर
 
लाल इस बात को स्वीकार करता है कि अंग्रेज़ों को शक्ति को तुलना में भारत को स्वतंत्र करानेवालों की शक्ति बहुत कम है पर वह देश को स्वतंत्र करवाने में जी जान से जुटा है| उसे विश्वास था कि जब कोई मनुष्य दृढ़ निश्चयपूर्वक किसी कार्य को संपन्न करने में जुट जाता है तो उसमें कार्य करने की अपार क्षमता आ जाती है। कर्म में लीन व्यक्ति को परमात्मा भी पूरी सहायता देते हैं। कर्मशील व्यक्ति को ऐसा प्रतीत होता है मानो वह अकेला नहीं है अपितु भगवान के सहस्रों के हाथ भी उसकी सहायता कर रहे हैं। भाव यह है कि शारीरिक दृष्टि से कमजोर व्यक्ति भी निष्ठा और लगन से कठिन से कठिन कार्य भी सफलतापूर्वक कर लेता है।
Read More

CLASS 11TH – पाठ 7 – नए की जन्म कुंडली: एक |अंतरा भाग-1 हिंदी |NCERT SOLUTION| EDUGROWN

Class 11 NCERT Solutions for Hindi Antra provides you an idea of the language and helps you understand the subject better. We have explained NCERT Solutions for Class 11th Hindi Antra.

Class 11 Hindi Antra textbook has 19 chapters in which first 9 chapters are prose while other 10 are poems. These pieces are very useful in the development of language and communication skills of students

NCERT Solutions for Class 11th -पाठ 7 - नए की जन्म कुंडली: एक -अंतरा भाग-1 हिंदी

प्रश्न-अभ्यास
 
1. लेखक ने व्यक्ति को हमारी भारतीय परंपरा का विचित्र परिणाम क्यों कहा है?
 
उत्तर
 
लेखक के अनुसार व्यक्ति अपने मन में उठने वाले विचारों को गंभीरता से लेता है। धूप तथा हवा ऐसे स्वाभाविक तत्व हैं, जो कवि के लिए महत्वपूर्ण है। कविता लिखते समय एक कवि अपने इंद्रियों के माध्यम से आंतरिक यात्रा करता है। वह कविता के माध्यम से स्वयं को प्रकट कर पाता है। यही कारण है कि लेखक ने कविता को हमारी भारतीय परंपरा का विचित्र परिणाम कहा है।

2. ‘सौंदर्य में रहस्य न हो तो वह एक खूबसूरत चौखटा है।’ व्यक्ति के व्यक्तित्व के माध्यम से स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

लेखक का मानना है कि यदि कोई व्यक्ति देखने में बहुत सुंदर दिखाई देता हो, परंतु उसमें कोई गुण न हो तो वह आकर्षक नहीं रहता| अपनी बात को लेखक कागज़ के माध्यम से स्पष्ट करते हैं। वह कहते हैं कि कोरा कागज़ देखने में अच्छा लगता है। उसमें मर्मवचन लिखा ही न हो, तो उसके सौंदर्य में रहस्य नहीं रहता है। रहस्य सौंदर्य को प्रभावशाली बनाता है। उसमें लोगों की रुचि बनती है। लोग उस रहस्य को सुलझाने में लग जाते हैं। लेखक का मित्र उसे बारह बर्षों के बाद मिलता है, जिसके बाल सफेद हो गए हैं तथा माथे पर लकीरें पड़ गई हैं परंतु वह
आज भी उसकी सुंदरता पर मुग्ध है, जो उसके अंतर का है।

3. सामान्य-असामान्य तथा साधारण-असाधारण के अंतर को व्यक्ति और लेखक के माध्यम से स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

लेखक के अनुसार व्यक्ति असामान्य तथा असाधारण था क्योंकि वह अपने एक विचार या कार्य के लिए स्वयं को और अपनों को त्याग सकता है, वह असामान्य तथा असाधारण व्यक्ति है। वह अपने मन से निकलने वाले उग्र आदेशों को निभाने का मनोबल रखता है। ऐसा प्रायः साधारण लोग कर नहीं पाते हैं। वह सांसारिक समझौते करते हैं और एक ही परिपाटी में जीवन बीता देते हैं।
दूसरी ओर लेखक खुद को सामान्य इसलिए मानता है क्योंकि वह उस व्यक्ति के जैसा कुछ नहीं कर सका| उसने कभी अपने मन में विद्यमान उग्र आदेशों को निभा नहीं पाया। वह सदैव चुप रहा।

4. ‘उसकी पूरी जिंदगी भूल का एक नक्शा है।’ इस कथन द्वारा लेखक व्यक्ति के बारे में क्या कहना चाहता है?

उत्तर

लेखक ने अपने मित्र को ‘पूरी जिंदगी भूल का एक नक्शा’ इसलिए कहा है क्योंकि वह आजीवन अपने सिद्धांतों के अनुसार चलता रहा। व्यक्ति अपने जीवन में सफलता चाहता था लेकिन उसे मिली नहीं। उसने बहुत प्रयास किए हैं। उसकी भूल उसके प्रयासों की कहानी है। वह सफल तो नहीं हुआ परन्तु  उसके संर्घषों को अनेदखा नहीं किया जा सकता है। प्रयास करना अधिक महत्वपूर्ण है। प्रायः लोग गिरने के डर से प्रयास नहीं करते हैं। परन्तु उसने इस डर को हटाकर प्रयास करता रहा|
 
5. पिछले बीस वर्षों की सबसे महान घटना संयुक्त परिवार का ह्रास है – क्यों और कैसे?

उत्तर

भौतिकतावाद की दौड़ में मनुष्य इतनी तीव्र गति से दौड़ रहा है कि वह अपने सभी संबंधों को भूलता जा रहा है। आज परिवार का अर्थ पति-पत्नी और उनके बच्चों तक सीमित हो गया है। अन्य रिश्ते अब दूर होते चले गए हैं| परन्तु संयुक्त परिवार आज के समय में मनुष्य के लिए बहुत आवश्यक है क्योंकि किसी भी व्यक्ति की सर्वप्रथम शिक्षा, संस्कार, विकास, चरित्र का विकास इत्यादि परिवार के मध्य रहकर ही होता है। पैसा महत्वपूर्ण होने से व्यक्ति संकुचित हो गया है| सभी एक दूसरे की मददद करने बजाए एक दूसरे के प्रतिद्वंदी हो गए हैं| स्वयं को एक-दूसरे के मुकाबले अधिक अमीर बनाने और दिखाने में लगे हुए हैं।
 
6. इन वर्षों में सबसे बड़ी भूल है, ‘राजनीति के पास समाज-सुधार का कोई कार्यक्रम न होना’ – इस संदर्भ में आप अपने विचार लिखिए।

उत्तर

लेखक का यह कथन बिलकुल सत्य है कि आज राजनीति करने वालों के पास समाज-सुधार का कोई कार्यक्रम नहीं है। वे केवल अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए राजनीति में आते हैं। यही कारण है कि राजनीति के पास समाज-सुधार का कोई कार्यक्रम नहीं है। राजनीति ने समाज को विकास के स्थान पर मतभेद और अशांति इत्यादि ही दी है। आज जातिभेद, आरक्षण आदि बातें राजनीति की देन हैं। यदि राजनीति देश के विकास का कार्य करती, तो भारत की स्थिति ही अलग होती।
 
7. ‘अन्यायपूर्ण व्यवस्था को चुनौती घर में नहीं, घर के बाहर दी गई।’ – इससे लेखक का क्या अभिप्राय है?

उत्तर

इससे लेखक का तात्पर्य है कि अन्याय दोनों जगह हो सकता है। वह घर के बाहर भी हो सकता है और घर के अंदर भी हो सकता है। जब अन्याय को चुनौती देने की बात आती है, तो मनुष्य घर के अंदर के अन्याय को चुपचाप सह जाता है क्योंकि इसका कारण परिवारजन उसके अपने होते हैं। घर के बाहर अन्यायपूर्ण व्यवस्था को चुनौती देना सरल होता है। पूंजीपतियों के विरुद्ध विद्रोह, अन्याय के विरुद्ध संघर्ष आदि विद्रोह छेड़ने की बातें करते हैं|
 
8. ‘जो पुराना है, अब वह लौटकर आ नहीं सकता। लेकिन नए ने पुराने का स्थान नहीं लिया।’ इस नए और पुराने के अंतर्द्वद्व को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर
पुराने से लेखक का मतलब परंपरागत संस्कार, जीवन-मूल्य, आस्थाएँ तथा धर्म-भावना से है और नए से मतलब आधुनिक वैज्ञानिक बुद्धि के अनुसार भौतिकतावादी जीवन-जीना है। आज स्थिति यह है कि पुराने को छोड़कर नए को अपनाने के मोह में हम नए को भी पूरी तरह से नहीं अपना पा रहे हैं। हमें यह भी पता नहीं कि ‘नया’ है क्या? यही कारण है कि आज नया जीवन, नए मान-मूल्य तथा नया न्याय सब कुछ परिभाषाहीन तथा आकार-रहित हो गए हैं। इनका कोई अस्तित्व दिखाई नहीं देता है। यह नए विचार, नई जीवन-पद्धति किसी नए व्यापक मानसिक सत्ता के अनुरूप अनुशासन नहीं दे सके। इन्होंने हमारी धार्मिक एवं दार्शनिक भावनाओं का स्थान भी नहीं लिया। सब कुछ गड़बड़ा गया है।

9. निम्नलिखित गद्यांशों की व्याख्या कीजिए-

(क) इस भीषण संघर्ष की हृदय भेदक ——- इसलिए वह असामान्य था।

उत्तर

इन पंक्तियों में लेखक अपने उस मित्र के संबंध में बता रहा है जो आजीवन अपने सिद्धांतों के अनुसार चलता रहा। इसके कारण उसके जीवन में बहुत कठिनाइयाँ आईं, परंतु वह अपने मार्ग से विचलित नहीं हुआ। इन कठिन परिस्थितियों से जूझते हुए उसे अनेक असफलताओं का सामना करना पड़ा। उसका हृदय विचलित हो जाता था, परंतु वह प्रत्येक संघर्ष का सामना करता रहा। इन सब स्थितियों से भी वह घबराया नहीं था क्योंकि उसमें अभी भी विसंगतियों से टकराने की शक्ति थी। यही कारण था कि वह एक सामान्य व्यक्ति न होकर असामान्य व्यक्ति था।

(ख) लड़के बाहर राजनीति या साहित्य के मैदान में ——- घर के बाहर दी गई।

उत्तर

लेखक के अनुसार आज की युवापीढ़ी के स्वभाव में अंतर हैं। वे घर से बाहर साहित्य और राजनीति की अनेकों बातें करते हैं। उसके बारे में सोचते हैं और करते भी हैं। जब यह बात घर की आती है, तो उनका व्यवहार बदल जाता है। अन्याय दोनों जगह हो सकता है। वह घर के बाहर भी हो सकता है और घर के अंदर भी हो सकता है। जब अन्याय को चुनौती देने की बात आती है, तो मनुष्य घर के अंदर के अन्याय को चुपचाप सह जाता है क्योंकि इसका कारण घर के लोग उसके अपने होते हैं। घर के बाहर अन्यायपूर्ण व्यवस्था को चुनौती देना सरल होता है। पूंजीपतियों के विरुद्ध विद्रोह, शासन के विरुद्ध विद्रोह आदि विद्रोह सरलता से खड़े हो जाते हैं।

(ग) इसलिए पुराने सामंती अवशेष बड़े मजे ——- शिक्षित परिवारों की बात कर रहा है।

उत्तर

इन पंक्तियों में लेखक का मित्र उसे बताता है कि किस प्रकार अभी भी हम पुरानी परंपराओं से जकड़े हुए हैं। नई पीढ़ी घर से बाहर तो क्रांति की बातें करती है परंतु घर में पुरानी परंपराओं का ही अनुसरण करती है। यही कारण है कि अब भी हमारे परिवार पुराने सामंती रीति-रिवाजों को अपना रहे हैं। इस प्रकार हम लोग पुराने और नए के प्रति अवसरवादी दृष्टिकोण अपना रहे हैं। जिस अवसर पर जो अच्छा लगता है वैसा ही हम करते हैं। आज की पीढ़ी वैज्ञानिक दृष्टिकोण लिए हुए है। उसने धर्म को नकार दिया है। चूंकि धर्म हमारी संस्कृति का आधार है। अतः इसे पूर्णरूप से निकालना संभव नहीं है। हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हर बात को परखते हैं लेकिन कई चीज़ें हमारी समझ से परे होती हैं, तो हम उसे धर्म के क्षेत्र में लाकर खड़ा कर देते हैं। प्रायः यह स्थिति शिक्षित परिवारों में देखने को मिलती हैं।

(घ) मान-मूल्य, नया इंसान ——- वे धर्म और दर्शन का स्थान न ले सके।

उत्तर

लेखक के अनुसार नए की पुकार हम लगाते हैं लेकिन नया है क्या इस विषय में हमारी जानकारी शून्य के बराबर है। हमने सोचा ही नहीं है कि यह नया मान-मूल्य हो, एक नया मनुष्य हो या क्या हो? जब हम यह नहीं जान पाए, तो जो स्वरूप उभरा था, वह भी शून्यता के कारण मिट गया। उनको दृढ़ तथा नए जीवन, नए मानसिक सत्ता का रूप धारण करना था पर वे प्रश्नों के उत्तर न होने के कारण समाप्त हो गए। वे हमारे धर्म और दर्शन का स्थान नहीं ले सके। वे इनका स्थान तभी ले पाते जब हम इन विषयों पर अधिक सोचते।

10. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-

(क) सांसारिक समझौते से ज्यादा विनाशक कोई चीज़ नहीं।

उत्तर

लेखक के अनुसार मनुष्य जीवन में समझौते करता है। ये समझौते करना उचित नहीं है। एक या दो समझौते हों, तो किया जा सकता है पर हर बार समझौते करना भयानक स्थिति को पैदा कर देता है। समझौतावादी दृष्टिकोण पलायन की स्थिति है। हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। हमें लड़ना चाहिए तभी हम अपने अस्तित्व को एक ठोस धरातल दे पाएँगे।

(ख) बुलबुल भी यह चाहती है कि वह उल्लू क्यों न हुई!

उत्तर

इसका अभिप्राय है कि हमें अपने से अधिक दूसरे अच्छे लगते हैं। हम दूसरे से प्रभावित होकर वैसा बनना चाहते हैं। हम स्वयं को नहीं देखते हैं। अपने गुणों पर हमारा ध्यान ही नहीं जाता है।

(ग) मैं परिवर्तन के परिणामों को देखने का आदी था, परिवर्तन की प्रक्रिया को नहीं।

उत्तर

लेखक कहता है कि मेरे सामने बहुत बदलाव हुए। मैंने उन बदलावों से हुए परिणाम देखें। अर्थात यह देखा कि बदलाव हुआ, तो उसका लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा। इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया कि जब बदलाव हो रहे तो वह क्यों और कैसे हो रहे थे? इस प्रक्रिया पर मेरा कभी ध्यान ही नहीं गया।

(घ) जो पुराना है, अब वह लौटकर आ नहीं सकता।

उत्तर

जो समय बीत गया है, उसे हम लौटाकर नहीं ला सकते हैं। जो चला गया, वह चला गया।
 
Read More

CLASS 11TH – पाठ 6 – खानाबदोश |अंतरा भाग-1 हिंदी |NCERT SOLUTION| EDUGROWN

Class 11 NCERT Solutions for Hindi Antra provides you an idea of the language and helps you understand the subject better. We have explained NCERT Solutions for Class 11th Hindi Antra.

Class 11 Hindi Antra textbook has 19 chapters in which first 9 chapters are prose while other 10 are poems. These pieces are very useful in the development of language and communication skills of students

NCERT Solutions for Class 11th -पाठ 6 - खानाबदोश -अंतरा भाग-1 हिंदी

प्रश्न-अभ्यास
 
1. जसदेव की पिटाई के बाद मजदूरों का समूचा दिन कैसा बीता?
 
उत्तर
 
जसदेव की पिटाई के बाद मज़दूरों का समूचा दिन दहशत तथा अदृश्य भय में बीता था। सभी इस डर में जी रहे थे कि सूबेसिंह किसी भी वक़्त लौटकर आएगा और मार-पीट करेगा|

2 मानो अभी तक भट्ठ की जिंदगी से तालमेल क्यों नहीं बैठा पाई थी?
 
उत्तर
 
मानो का घर शहर से दूर खेतों में था जहाँ यातायात का कोई साधन न था। बदहवाली के कारण उसे गाँव छोड़कर भट्ठे पर काम करने के लिए आना पड़ा था। अपने पति सुकिया के कारण उसे भट्ठे में काम करना पड़ रहा था। भट्ठे का माहौल उसे पसंद नहीं था। शाम ढलते ही वहाँ का वातावरण काट खाने को आ रहा हो, ऐसा लगता था। वह इस माहौल में घबराने लगती थी। यही कारण था कि यहाँ के जीवन से संबंध स्थापित नहीं कर पा रही थी।

3. असगर ठेकेदार के साथ जसदेव को आता देखकर सूबे सिंह क्यों बिफर पड़ा और जसदेव को मारने का क्या कारण था?
 
उत्तर
 
सूबे सिंह ने मानो को अपने दफ़्तर बुलाया था| वह उसके साथ गलत काम करना चाहता था| उसने असगर ठेकेदार को मानो को बुलाने के लिए कहा। जब असगर ठेकेदार ने यह बात मानो तथा सुकिया को कही, तो सुकिया क्रोधित हो उठा। स्थिति भाँपकर जसदेव ने फैसला किया कि वह मानो के स्थान पर सूबे सिंह के पास जाएगा। जब सूबे सिंह ने देखा कि मानो नहीं आई है और उसके स्थान पर जसदेव आया है, तो वह बिफर पड़ा। मानो का सारा गुस्सा उसने जसदेव पर निकाल दिया। उसने जसदेव को बहुत बुरी तरह मारा।

4. जसदेव ने मानो के हाथ का खाना क्यों नहीं खाया?
 
उत्तर
 
जसदेव ने मानो का खाना इसलिए नहीं खाया क्योंकि मानो दलित समाज से आती थी वहीं जसदेव उच्च जाति यानी बामन था| साथ ही उसे यह भी लग रहा था कि उसे बचाने के प्रयास में ही उसने मार खाया है|

5. लोगों को क्यों लग रहा था कि किसी ने जानबूझकर मानो की ईटें गिराकर रौंदा है?
 
उत्तर
 
शाम में मानो कच्ची ईटों की जालीदार दीवार बना कर गयी थी| परन्तु जब उसने सुबह आकर उन्हें देखा तो वह टूटी-फूटी पड़ीं थीं| देखने पर ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उन्हें बेदर्दी से रौंद डाला था| रात में कोई आँधी-तूफान भी नहीं आया था जिसके कारण वे गिर सकती हों| इसलिए लोगों को लग रहा था कि किसी ने जानबूझकर मानो की ईटें गिराकर रौंदा है|

6. मानो को क्यों लग रहा था कि किसी ने उसकी पक्की ईटों के मकान को ही धराशाई कर दिया है?
 
उत्तर
 
मानो ने अपनी पक्की ईटों के मकान का सपना देखा था| उसने अपने सपने के बारे में अपने पति को सुकिया को भी बताया| दोनों अपने इस सपने को साकार करने के लिए जी-जान से जुटे थे| वे देर तक काम करते और सुबह भी जल्दी उठकर भट्टे पर चले जाते| परन्तु जब उसने ईंटों को रौंदा हुआ देखा तो उसे समझ आ चुका था की अब उसके पीछे सूबे सिंह, मुंशी और यहाँ तक की जसदेव भी पड़ गया है जो किसी भी हालत में उसे काम करने नहीं देगा| वह कितनी भी मेहनत क्यों न कर ले उसका सपना पूरा नहीं हो सकता|  इसलिए उन टूटी हुई ईटों को देखकर उसे ऐसा लगा जैसे किसी ने उसकी पक्की ईटों के मकान को ही धराशाई कर दिया है|

7. ‘चल! ये लोग म्हारा घर ना बणने देंगे।’- सुकिया के इस कथन के आधार पर कहानी की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
 
इस कथन से सुकिया तथा मानो जैसे लोगों की शोषण भरी जिंदगी का पता चलता है। पूँजीपति वर्ग उन्हें पैसे के ज़ोर पर अपने हाथों की कठपुतलियाँ बनाकर रखना चाहता है। सूबेसिंह जैसे लोग सुकिया तथा मानो जैसे लोगों को चैन से जीने नहीं देते हैं। एक मज़दूर के पास यह अधिकार नहीं होता है कि वह अपने अनुसार जीवन जी सके। वे इनके हाथों सदैव से प्रताड़ित होते आ रहे हैं। इन्हें या तो पूँजीपतियों की नाज़ायज़ माँगों के आगे घूटने टेकने पड़ते हैं या फिर खानाबदोश के समान एक स्थान से दूसरे स्थानों तक भटकना पड़ता है। सुकिया का कथन मज़दूरों की इसी संवेदना को प्रकट करता है।

8. ‘खानाबदोश’ कहानी में आज के समाज की किन समस्याओं को रेखांकित किया गया है? इन समस्याओं के प्रति कहानीकार के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
 
उत्तर
 
‘खानाबदोश’ कहानी में कहानीकार ने समाज में व्यापत कई समस्याओं को दिखाया है-
(क) किसानों का जीविका चलाने के लिए गाँवों से पलायन।
(ख) मज़दूरों का शोषण तथा नरकीय जीवन।
(ग) जात-पात की समस्या
(घ) स्त्रियों का शोषण।

9. सुकिया ने जिन समस्याओं के कारण गाँव छोड़ा वही समस्या शहर में भट्ठे पर उसे झेलनी पड़ी – मूलतः वह समस्या क्या थी?
 
उत्तर
 
रोजगार की समस्या को लेकर सुकिया ने गाँव छोड़ा था परन्तु शहर में भट्टे पर आकर भी उसकी आमदनी अच्छी नहीं थी| वे दिहाड़ी मजदूर थे| बेहतर जीवन तो दूर अपना गुजारा भी सुकिया और मानो किसी तरह कर पाते थे| अंत में मज़बूर होकर होकर उन्हें भट्ठे की मजदूरी भी छोड़नी पड़ी और फिर से रोजगार की समस्या उनके सामने थी|

10. ‘स्किल इंडिया’ जैसा कार्यक्रम होता तो क्या तब भी सुकिया और मानो को खानाबदोश जीवन व्यतित करना पड़ता?
 
उत्तर
 
‘स्किल इंडिया’ जैसा कार्यक्रम होता तो सुकिया और मानो को खानाबदोश जीवन व्यतित नहीं करना पड़ता| वे सरकारी योजना का लाभ उठाकर नए कामों को सीख सकते थे और अपना कौशल विकसित कर सकते थे| इसके बाद वे कोई रोजगार ढूँढ सकते थे या दोनों मिलकर अपना व्यवसाय खोल सकते थे|

11. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए –

(क) अपने देस की सूखी रोटी भी परदेस के पकवानों से अच्छी होती है।
 
उत्तर
 
(क) मनुष्य जहाँ पैदा हुआ होता है, वही उसका देश है। वहाँ पर यदि उसे पकवान के स्थान पर साधारण खाना भी मिले, तो वह अच्छा होता है। इसका अर्थ यह है कि जहाँ मनुष्य बचपन से रहता आया है, वहाँ पर जीने के लिए उसे दूसरों की शर्तों पर नहीं चलना पड़ता। वहाँ पर वह मान-सम्मान से जीता है। दूसरे स्थान पर उसे दूसरे मनुष्य की बनाई शर्तों पर जीना पड़ता है। ऐसे भी उसका मान-सम्मान जाता रहता है।

(ख) इत्ते ढेर से नोट लगे हैं घर बणाने में। गाँठ में नहीं है पैसा, चले हाथी खरीदने।
 
उत्तर
 
सुकिया, मानो को कहता है कि घर बनाना आसान काम नहीं है। इसके लिए बहुत सारे नोटों की आवश्यकता होती है। इस समय हमारे पास इतने पैसे नहीं है। हम मेहनत मजदूरी करनेवाले लोग पक्के घर का सपना देख सकते हैं। उसे पूरा करने की ताकत हमारे पास नहीं है।
 
(ग) उसे एक घर चाहिए था – पक्की ईंटों का, जहाँ वह अपनी गृहस्थी और परिवार के सपने देखती थी।
 
उत्तर
 
मानो तथा सुकिया मज़दूर थे। वे ठेकेदार द्वारा दी गई झुगियों में रहती थे। मानो के मन में अपना घर बनाने का सपना जन्म लेने लगा था। वह अपने लिए एक पक्का घर चाहती थी। अपने घर में वह अपनी गृहस्थी को आगे बढ़ाना चाहती थी तथा अपने बच्चों के लिए छत चाहती थी।
Read More

CLASS 11TH – पाठ 5 – ज्योतिबा फुले |अंतरा भाग-1 हिंदी |NCERT SOLUTION| EDUGROWN

Class 11 NCERT Solutions for Hindi Antra provides you an idea of the language and helps you understand the subject better. We have explained NCERT Solutions for Class 11th Hindi Antra.

Class 11 Hindi Antra textbook has 19 chapters in which first 9 chapters are prose while other 10 are poems. These pieces are very useful in the development of language and communication skills of students

NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 5 - ज्योतिबा फुले -अंतरा भाग-1 हिंदी

1. ज्योतिबा फुले का नाम समाज सुधारकों की सूची में शुमार क्यों नहीं किया गया? तर्क सहित उत्तर लिखिए।
 
उत्तर
 
ज्योतिबा फुले का नाम समाज सुधारकों की सूची में शुमार नहीं किया गया क्योंकि इस सूची के निर्धारणकर्ता उस उच्चवर्गीय समाज का प्रतिनिधित्व करते थे, जिसका ज्योतिबा फुले विरोध करते थे। ब्राह्मण होते हुए भी वे हमेशा ब्राह्मण समाज में व्याप्त आडंबरों और रूढ़ियों का विरोध करते थे। वे सभी को समान अधिकार देने के समर्थक थे। महात्मा ज्योतिबा फुले के अनुसार शासक और धर्म के ठेकेदार आपस में मिलकर प्रशासन चलाते हैं। इसलिए विशेष वर्गों और स्त्रियों को मिलकर प्रशासन व्यवस्था के विरुद्ध आंदोलन चलाना चाहिए।

2. शोषण-व्यवस्था ने क्या-क्या षड्यंत्र रचे और क्यों?
 
उत्तर
 
वर्ण और जाति के आधार पर मनुष्यों को बाँटकर शोषण व्यवस्था ने अनेक षड्यंत्र रचे। वे पिछड़े वर्गों और स्त्रियों को शिक्षा से दूर रखकर उनका शोषण करते थे। जातिगत भेद-भाव उत्पन्न कर एक-दूसरे को लड़ाकर वे अपना स्वार्थ सिद्ध करते थे और ऊँच-नीच, अमीर-गरीब की भेद नीति से भी जन सामान्य का शोषण ही करते थे।

3. ज्योतिबा फुले द्वारा प्रतिपादित आदर्श परिवार क्या आपके विचारों के आदर्श परिवार से मेल खाता है? पक्ष-विपक्ष में अपने उत्तर दीजिए।
 
उत्तर
 
पक्ष – ज्योतिबा फुले के विचार अपने समय के रूढ़िवादी समाज और शिक्षा से बहुत आगे थे। उनके विचारों में आदर्श परिवार वह परिवार है जिसमें पिता बौद्ध होना चाहिए अर्थात परिवार का मुखिया सबको समान समझनेवाला होना चाहिए। माता ईसाई होनी चाहिए अर्थात माँ मरियम की तरह दुख सहन करके अपने बच्चों को अच्छे-बुरे का ज्ञान दे सके। परिवार में बेटी मुसलमान होनी चाहिए जो बिना भेदभाव के सभी का दुख दर्द समझे और बेटा सत्यधर्मी होना चाहिए। यानी परिवार ऐसा होना चाहिए जिसमें धार्मिक भेदभाव न हो और सबमे त्याग की भावना हो ताकि परिवार का कल्याण हो सके|
 
विपक्ष – परिवार को धार्मिक नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए| केवल धर्म के आधार पर किसी परिवार के नींव नहीं पड़ सकती| परिवार में विद्यमान लोगों में आपसी प्रेम, एकता, आपसी समझ, समन्वय की भावना, परिस्थितियों में दृढ़ता का भाव इत्यादि होना आवश्यक है। यदि किसी परिवार के मध्य ये नहीं हैं, तो वह आदर्श परिवार नहीं कहला सकता है।

4. स्त्री-समानता को प्रतिष्ठित करने के लिए ज्योतिबा फुले के अनुसार क्या-क्या होना चाहिए?
 
उत्तर
 
स्त्री समानता को प्रतिष्ठित करने के लिए फुले जी के अनुसार स्त्रियों को भी पुरुषों के समान शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार होना चाहिए। स्त्रियों को पुरुषों के समान जीने का अधिकार तथा स्वतंत्रतापूर्वक रहने का अधिकार देना चाहिए। विवाह के समय बोले जाने वाले मंत्रों में ब्राह्मणों का स्थान समाप्त हो जाना चाहिए तथा ऐसे वचन बुलवाने चाहिए जिसमें दोनों के अधिकार हों। ऐसे वचनों को कोई स्थान नहीं देना चाहिए, जिसमें पुरुष को मनमानी का अधिकार मिले और स्त्री को गुलामी का।

5. सावित्री बाई के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन किस प्रकार आए? क्रमबद्ध रूप में लिखिए।
 
उत्तर
 
(क) उनके पति ज्योतिबा फुले ने सबसे पहले उन्हें पढ़ाना आरंभ किया और मराठी तथा अंग्रेज़ी भाषाओं की शिक्षा दी।
(ख) उसके पश्चात उन्होंने अपने साथ लाई ईसाई पुस्तक को पढ़ा।
(ग) अपने पति के साथ उन्होंने पहले कन्या विद्यालय की स्थापना की।
(घ) विद्यालय खोलने के कारण उन्हें सास तथा ससुर ने घर से निकाल दिया।
(ङ) इसके बाद तो उन्होंने शुद्र जाति के लोगों के लिए निडर होकर कार्य करना आरंभ कर दिया।

6. ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई के जीवन से प्रेरित होकर आप समाज में क्या परिवर्तन करना चाहेंगे?
उत्तर
 
ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई के जीवन से प्रेरित होकर मैं समाज में स्त्रियों की दशा को सुधारने का प्रयास करुँगी/करुँगी| अब भी कई इलाके ऐसे हैं जहाँ स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार प्राप्त नहीं है| वहाँ स्त्रियों को बोझ समझा जाता है| वहाँ हम जाकर लोगों को समझा सकते हैं और मुफ़्त शिक्षा देकर स्त्रियों की हालात में बदलाव ला सकते हैं|
 
7. उनका दांपत्य जीवन किस प्रकार आधुनिक दंपतियों को प्रेरणा प्रदान करता है?
 
उत्तर
 
आज के समय में दांपत्य जीवन में छोटी-छोटी बातों पर झगड़े और कलेश हो जाते हैं। अहंकार की भावना रिश्तों के मध्य दीवार बन जाती है। परन्तु ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई ने पचास वर्षों तक कंधे-से-कंधा मिलाकर, परिवार और समाज का विरोध सहते हुए साथ कार्य किया। दोनों में एक-दूसरे के प्रति समर्पित भाव था। उन्होंने एक दूसरे के सपनों को अपना बनाया।

8. फुले दंपति ने स्त्री समस्या के लिए जो कदम उठाया था, क्या उसी का अगला चरण ‘बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम है?
 
उत्तर
 
निश्चित रूप से हम ऐसा समझ सकते हैं क्योंकि फुले दंपति ने स्त्रियों की शिक्षा के लिए बहुत काम किया| उन्होंने रूढ़िवादी समाज पर चोट करते हुए यह बताया की स्त्री शिक्षा कितना अधिक महत्वपूर्ण है| यह समाज के विकास में लिए एक अतिआवश्यक चरण है| ‘बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओ’ का कार्यक्रम भी महिलाओं के लिए समान अधिकार की बात करता है, महिलाओं को पुरुषों की तरह समाज में रहने का समान अधिकार होना चाहिए।”

9. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-

(क) सच का सबेरा होते ही वेद डूब गए, विद्या शूद्रों के घर चली गई, भू-देव (ब्राह्मण)शरमा गए।
 
उत्तर
 
ज्योतिबा फुले कहते हैं कि जबसे शूद्र जाति वाले लोगों ने शिक्षा के महत्व को समझकर शिक्षा ग्रहण करना आरंभ किया है, तबसे ब्राह्मण समाज का अंत आ गया है। वेदों के नाम पर इन्होंने समाज के अन्य लोगों को दबाकर रखा। लेकिन आज स्थिति बदल गई है। अब वेदों का महत्व समाप्त हो गए हैं। शूद्रों के पास ज्ञान की शक्ति देखकर ब्राह्मण समाज लज्जित हो गया है। जिसमें इतने वर्षों ने उन्होंने अपना अधिकार बनाए रखा था, अब वह उनका नहीं रहा है। शिक्षा का अधिकार सबके लिए है और अब सब उसका फायदा उठा रहे हैं।

(ख) इस शोषण-व्यवस्था के खिलाफ़ दलितों के अलावा स्त्रियों को भी आंदोलन करना चाहिए।
 
उत्तर
 
ज्योतिबा फुले कहते हैं कि सदियों से ब्राह्मण समाज ने शूद्रों के साथ-साथ स्त्रियों का भी शोषण किया है। उन्होंने स्त्रियों को कभी सिर नहीं उठाने दिया। पत्नी धर्म के नाम पर उन्हें गुलाम बनाकर रखा। अतः शूद्रों के अतिरिक्त स्त्रियों को भी अपने अधिकारों के लिए ब्राह्मण समाज का विरोध करना चाहि। वे तभी अपने अधिकारों को पा सकेगीं।

10. निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए –

(क) स्वतंत्रता का अनुभव …….. हर स्त्री की थी।
 
उत्तर
 
प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश सुधा अरोड़ा द्वारा लिखित रचना ज्योतिबा फुले से ली गई है। इन पंक्तियों में ज्योतिबा फुले स्त्रियों को अपनी शोषण अवस्था से उठकर अपने अधिकार पाने के लिए उत्साहित करते हैं।
 
व्याख्या – ज्योतिबा फुले ने स्त्री को समानता और स्वतंत्रता को प्रतिष्ठित करने के लिए नई विवाह विधि की रचना की जिसमें उन विचारधारा का निकाल दिया जिनसे स्त्री को गुलाम समझा जाता था। उन मंत्रों के स्थान पर ऐसे मंत्र बनाए जिनमें वधू वर से अपने लिए स्वतंत्रता की माँग करती हुई कहती है कि उन्होंने अपनी आज़ादी कभी महसूस ही नहीं की है| पहले में स्त्री अपने पति से कहती है कि हम स्त्रियों की बचपन से स्वतंत्रता ले ली जाती है। मृत्यु तक इस गुलामी युक्त जीवन को स्त्रियाँ जीने के लिए विवश होती हैं। अतः तुम कसम खाओ कि मुझे मेरे अधिकार दोगे और अपने समान स्वतंत्रतापूर्वक जीने दोगे। अर्थात तुम्हें जिस प्रकार जीने का अधिकार है, वैसा ही अधिकार मुझे भी विवाह के बाद मिलेगा।

(ख) मुझे ‘महात्मा’ कहकर……..अलग न करें।
 
उत्तर
 
प्रसंग- प्रस्तुत गद्यांश सुधा अरोड़ा द्वारा लिखित रचना ज्योतिबा फुले से ली गई है। प्रस्तुत पंक्ति में ज्योतिबा फुले उस विषय में विचार रखते हैं, जहाँ उन्हें महात्मा शब्द संबोधित किया गया।
 
व्याख्या – ज्योतिबा फुले के कार्य के लिए उन्हें महात्मा कहकर संबोधित किया गया था। उन्होंने तब कहा था कि मुझे इस प्रकार की पदवी न दें। इस प्रकार की पदवी पाकर मनुष्य अपनी दिशा से भटक जाता है। उसमें अहंकार आ जाता है और उसके कार्यों को विराम लग जाता है। अतः मुझे इस स्थिति से बचाएँ और अपने जैसा ही रहने दें। तभी मैं अपने कार्यों को सही प्रकार से कर पाऊँगा।
 
Read More

CLASS 11TH -पाठ 4 – गूँगे |अंतरा भाग-1 हिंदी |NCERT SOLUTION| EDUGROWN

Class 11 NCERT Solutions for Hindi Antra provides you an idea of the language and helps you understand the subject better. We have explained NCERT Solutions for Class 11th Hindi Antra.

Class 11 Hindi Antra textbook has 19 chapters in which first 9 chapters are prose while other 10 are poems. These pieces are very useful in the development of language and communication skills of students

NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 4 - गूँगे -अंतरा भाग-1 हिंदी

प्रश्न अभ्यास
 
पृष्ठ संख्या: 51
 
1. गूँगे ने अपने स्वाभिमानी होने का परिचय किस प्रकार दिया?
 
उत्तर
 
गूँगे ने संकेत के माध्यम से बताया कि वह मेहनत करके खाता है, किसी से भीख नहीं लेता| उसने संकेतों से बताया है कि उसने हलवाई के यहाँ लड्डू बनाए, कड़ाही माँजी, नौकरी की, कपड़े धोए। उसने अपने सीने पर हाथ रखकर संकेत किया कि उसने आज तक किसी के सम्मुख हाथ नहीं फैलाया है। उसने पेट बजाकर यह भी बताया कि उसने यह सब अपने पेट के लिए किया है। इन संकेतों द्वारा गूँगे ने बताया कि वह स्वाभिमानी है।

2. ‘मनुष्य की करुणा की भावना उसके भीतर गूँगेपन की प्रतिच्छाया है।’ कहानी के इस कथन को वर्तमान सामाजिक परिवेश के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
 
उत्तर
 
संवेदनशीलता के कारण मनुष्य में दूसरों के प्रति करुणा और प्रेम का भाव उत्पन्न होता है। परन्तु वर्तमान समाजिक परिवेश में इसमें काफी कमी आई है| भौतिकतावाद को बढ़ावा देना इसका मुख्य कारण है| आज मनुष्य आत्मकेंद्रित होता जा रहा है, उसे दूसरों के दुःख से कोई मतलब नहीं रह गया है| संवेदनायें उसके मन तक ही सीमित हो चुकी हैं| वह उसे व्यवहार में नहीं ला पाता इसलिए लेखक ने कहा है कि मनुष्य की करुणा की भावना उसके भीतर गूँगेपन की प्रतिच्छाया के रूप में विद्यमान है।

3. ‘नाली का कीड़ा! ‘एक छत उठाकर सिर पर रख दी’ फिर भी मन नहीं भरा।’- चमेली का यह कथन किस संदर्भ में कहा गया है और इसके माध्यम से उसके किन मनोभावों का पता चलता है?
 
उत्तर
 
गूँगा चमेली के घर छोटे-मोटे काम करता था। एक दिन गूंगा बिना बताए कहीं चला गया। चमेली ने उसे बहुत ढूँढा पर उसका कुछ भी पता नहीं चला। चमेली के पति ने कहा कि भाग गया होगा। वह सोचती रही कि वह सचमुच भाग हो गया है पर यह नहीं समझ पा रही थी क्यों भाग गया। तब उसने कहा कि गूँगा नाली के कीड़े के समान है, उसे जितना भी बेहतर जीवन दे दो मगर वह गंदगी को ही पसंद करेगा। इससे पता चलता है कि चमेली संवेदहीन है, उसे दूसरों की दुःख से कोई मतलब नहीं है|

4. यदि बसंता गूँगा होता तो आपकी दृष्टि में चमेली का व्यवहार उसके प्रति कैसा होता?

उत्तर

यदि बसंता गूंगा होता तो चमेली उसके प्रति ममता और सहानुभूति का व्यवहार करती। वह बसंते को दिव्यांग के विद्यालय में पढ़ाती। उसे लोगों की मार खाने के लिए गली में नहीं छोड़ देती। उसे सक्षम बनाती। ऐसे उपाए ढूँढ़ती जिससे उसका बच्चा अन्य बच्चों के साथ घुल-मिलकर रहता। लोगों द्वारा उसके बच्चे को दया की दृष्टि से नहीं देख जाता।
 
5. ‘उसकी आँखों में पानी भरा था। जैसे उनमें एक शिकायत थी, पक्षपात के प्रति तिरस्कार था।’ क्यों?
 
उत्तर
 
गूँगा चमेली को माँ के समान समझता था। जब चमेली के बेटे बसंता ने उस पर चोरी का झूठा इल्ज़ाम लगाया, तो उससे यह सहा नहीं गया। उसे उम्मीद थी कि चमेली सही का पक्ष लेगी। इसके उल्ट चमेली ने गूँगे की जगह अपने बेटे का पक्ष लिया जिससे गूँगे को बुरा लगा। चमेली के इस व्यवहार ने उसे दुखी ही नहीं किया बल्कि उसकी आँखों में पानी भी भर दिया। उसकी आँखों में चमेली ने अपने पक्षपातपूर्ण व्यवहार की शिकायत पढ़ ली थी। वह चमेली के पक्षपात भरे व्यवहार से दुखी था साथ ही पक्षपात के प्रति तिरस्कार भी था।

6. ‘गूंगा दया या सहानुभूति नहीं, अधिकार चाहता था’ – सिद्ध कीजिए।
 
उत्तर
 
इस कहानी में गूँगा दया और सहानुभूति के पात्र के रूप में चित्रित हुआ है परन्तु वह दया या सहानुभूति नहीं अधिकार चाहता था। अधिकार अपनत्व से उपजता है। चमेली उसपर दया करके अपने पास रख लेती है लेकिन गूँगा उसे अपनत्व समझता है। वह चाहता था कि चमेली उसे अधिकार दे जो अपनों को मिलता है लेकिन जब चमेली बसंता का पक्ष लेती है, तो उसकी भावना को चोट पहुँचती है। चमेली के पक्षपातपूर्ण व्यवहार के प्रति तिरस्कार गूँगे की पानी भरे आँखों में स्पष्ट दिखाई दे जाता है

7. ‘गूंगे’ कहानी पढ़कर आपके मन में कौन से भाव उत्पन्न होते हैं और क्यों?
 
उत्तर
 
गूँगे’ कहानी पढ़कर मेरे मन में गूँगे के प्रति सहानुभूति के भाव उत्पन्न होते हैं परन्तु मेरे अनुसार वह सहानुभूति का नहीं, सम्मान का पात्र है। दिव्यांग होते हुए भी वह म्हणत करके खाना चाहता है ना की भीख मांगकर| उसके जीवन में जुड़े लोगों का व्यवहार उसे सहानुभूति का पात्र बना देता है। गूँगे की लड़ाई लोगों से नहीं अपितु उस समाज है, जो उसे समानता का अधिकार नहीं देते हैं।

8. कहानी का शीर्षक ‘गूंगे’ है, जबकि कहानी में एक ही गूँगा पात्र है। इसके माध्यम से लेखक ने समाज की किस प्रवृत्ति की ओर संकेत किया है?

उत्तर
इस कहानी के माध्यम से लेखक ना केवल एक गूँगे का चित्रांकन किया है बल्कि समाज में हो रहे विभिन्न प्रकार के अत्याचार को देखते हुए चुप रहने वाले लोगों को भी गूँगे की श्रेणी में रखा है| वे पीड़ित के प्रति सहानुभूति तो रखते हैं लेकिन वे कुछ करने के बजाय दर्शक बनकर देखना ज्यादा पसंद करते हैं| इसलिए गूँगे शब्द का अर्थ केवल एक विशेष वर्ग से नहीं बल्कि समाज के अत्याचार सहने वाले वर्ग से संबंधित है|

9. यदि ‘स्किल इंडिया’ जैसा कोई कार्यक्रम होता तो क्या गूंगे को दया या सहानुभूति का पात्र बनना पड़ता?
 
उत्तर
 
यदि ‘स्किल इंडिया’ जैसा कोई कार्यक्रम होता तो गूँगे को वहाँ कई चीज़ों को सीखने का अवसर मिलता और साथ ही उसके जैसे अनेक दिव्यांगों के साथ रहने और व्यवहारिक जीवन में रचने-बसने का मौक़ा मिलता| कामों को सीखकर वह अपना व्यवसाय खोल सकता था जिसमे उसे सरकारी सहायता भी प्राप्त होती|

10. निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए –
(क) करुणा ने सबको . ..” जी जान से लड़ रहा हो।

उत्तर
 
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ रांगेय राघव द्वारा लिखित रचना ‘गूँगे’ से ली गई है। चमेली की गली में एक गूँगा बालक आता है। वह गली की औरतों को अपनी आपबीती संकेतों के माध्यम से बताता है जिसे देखकर लोगों को करुणा हो आती है।
 
व्याख्या – गूँगा बालक लोगों को अपने विषय में बताने की भरसक कोशिश कर रहा है। वह बहुत प्रयत्न करता है परंतु बोल नहीं पाता। उसके सभी प्रयास व्यर्थ हो जाते हैं। उसके मुख से कठोर तथा कर्णकटु काँय-काँय की आवाज़ों के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं निकलता है। जिसे देखकर उपस्थित महिलाएं उसके प्रति दया से भर उठती हैं।

(ख) वह लौटकर चूल्हे पर. . आदमी गुलाम हो जाता है।
 
उत्तर
 
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ रांगेय राघव द्वारा लिखित रचना ‘गूँगे’ से ली गई है। चमेली इस गद्यांश में गूँगे के विषय में सोच रही है।
 
व्याख्या – चमेली खाना बनाने के लिए लौट आती है। वह गूँगे की स्थिति के बारे में सोचती है। उसका ध्यान चूल्हे की आग पर जाता है। वह सोचती है कि इस आग के कारण ही पेट की भूख मिटाने के लिए खाना बनाया जा रहा है। यही खाना उस आग को समाप्त करता है, जो पेट में भूख के रूप में विद्यमान है। इसी भूख रूपी आग के कारण एक आदमी दूसरे आदमी की गुलामी स्वीकार करता है। यदि यह आग न हो, तो एक आदमी दूसरे आदमी की गुलामी कभी स्वीकार न करे। यही आग एक मनुष्य की कमज़ोरी बन उसे झुका देती है।

(ग) और फिर कौन……. जिंदगी बिताए।
 
उत्तर
 
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ रांगेय राघव द्वारा लिखित रचना ‘गूँगे’ से ली गई है। चमेली इस पंक्ति में गूँगे के विषय में सोच रही है। बसंता ने गूँगे पर चोरी का आरोप लगाया है। चमेली जब पूछती है, तो वह कुछ नहीं कह पाता है। चमेली ऐसे ही चली जाती है।

व्याख्या- जब गूँगा उसकी बात का उत्तर नहीं दे पाता है, तो वह सोचती है कि यह मेरा अपना नहीं है। अतः मुझे इसके बारे में इतना सोचने की आवश्यकता नहीं है। यदि उसे हमारे साथ रहना है, तो उसे हमारे अनुसार रहना पड़ेगा। इस तरह सोचकर चमेली सोचती है कि नहीं तो उसके कुत्तों के समान दूसरा का झूठा खाकर ही जीवनयापन करना पड़ेगा।
 
(घ) और ये गूंगे………… क्योंकि वे असमर्थ हैं?
 
उत्तर
 
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ रांगेय राघव द्वारा लिखित रचना ‘गूँगे’ से ली गई है। चमेली इस पंक्ति में गूँगे के विषय में सोच रही है।

व्याख्या- जब सड़क के लड़के गूंगे का सिर फाड़ देते हैं और वह खून में लथपथ चमेली की दहलीज पर सिर रखकर कुत्ते की तरह चिल्ला रहा था। उसकी सहायता करने कोई नहीं आता है। तब चमेली सोचती है कि केवल यही गूंगा नहीं है जो समाज से इस प्रकार की उपेक्षा सहन कर रहा है। इस प्रकार के गूँगे पूरे संसार में विद्यमान हैं जो अपनी बात कह पाने में असमर्थ हैं। इनके पास कहने के लिए बहुत कुछ है परन्तु अपनी लाचारी के कारण कह नहीं पाते हैं।

11. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) कैसी यातना है कि वह अपने हृदय को उगल देना चाहता है, किंतु उगल नहीं पाता।

उत्तर


चमेली सोचती है कि गूँगे के लिए यह कितना कष्ट से भरा है। ऐसी स्थिति उसके लिए यातना के समान है। वह अपने ह्दय में विद्यमान हर बात को बता देना चाहता है लेकिन कह नहीं पाता। उसके पास आवाज़ नहीं है। अतः बात उसके ह्दय में अंदर ही रह जाती है।
 
(ख) जैसे मंदिर की मूर्ति कोई उत्तर नहीं देती, वैसे ही उसने भी कुछ नहीं कहा।
 
उत्तर
 
चमेली गूँगे से प्रश्न का उत्तर माँगती है लेकिन वह कुछ नहीं बोलता है। चमेली उसकी स्थिति मंदिर में रखे देवता की मूर्ति के समान मानती है। उस मूर्ति के आगे मनुष्य अपने सुख-दुख सब कहता है लेकिन उसे वहाँ से कभी कोई उत्तर नहीं मिलता है। बस यही स्थिति उसके साथ भी है। गूँगे को कुछ भी कहो वह कुछ नहीं कहता क्योंकि उसे कुछ सुनाई नहीं देता है।
Read More

CLASS 11TH -पाठ 3 – टार्च बेचनेवाले |अंतरा भाग-1 हिंदी |NCERT SOLUTION| EDUGROWN

Class 11 NCERT Solutions for Hindi Antra provides you an idea of the language and helps you understand the subject better. We have explained NCERT Solutions for Class 11th Hindi Antra.

Class 11 Hindi Antra textbook has 19 chapters in which first 9 chapters are prose while other 10 are poems. These pieces are very useful in the development of language and communication skills of students

NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 3 - टार्च बेचनेवाले -अंतरा भाग-1 हिंदी

पृष्ठ संख्या: 41

प्रश्न – अभ्यास

1. लेखक ने टार्च बेचने वाली कंपनी का नाम ‘सूरज छाप’ ही क्यों रखा?

उत्तर
 
लेखक ने टार्च बेचने वाली कंपनी का नाम ‘सूरज छाप’ ही रखा क्योंकि जिस तरह सूरज रात के अँधेरे के बाद दिन में प्रकाश फैलाता है और किसी को डर नहीं लगता उसी प्रकार ‘सूरज छाप’ टार्च रात के अँधेरे में सूरज का काम करेगी| ‘सूरज छाप’ टार्च रात के अँधेरे में सूरज की रोशनी का प्रतीक है|

2. पाँच साल बाद दोनों दोस्तों की मुलाक़ात किन परिस्थितियों में और कहाँ होती है?

उत्तर
 
पाँच साल पहले दोनों दोस्त बेरोजगार थे| पाँच साल बाद दोनों दोस्तों की मुलाक़ात एक प्रवचनस्थल पर होती है लेकिन परिस्थिति पहले की तरह नहीं थी| उनमें से एक टार्च बेचने वाला तथा दूसरा उपदेश देने वाला बन गया है|

3. पहला दोस्त मंच पर किस रूप में था और वह किस अँधेरे को दूर करने के लिए टार्च बेच रहा था?

उत्तर
 
पहला दोस्त मंच पर संत की वेशभूषा में सुंदर रेशमी वस्त्रों से सज-धज कर बैठा था| वह गुरू-गंभीर वाणी में प्रवचन दे रहा था और लोग उसके उपदेशों को ध्यान से सुन रहे थे| वह आत्मा के अँधेरे को दूर करने के लिए टार्च बेच रहा था| उसके अनुसार सारा संसार अज्ञान रुपी अंधकार से घिरा हुआ है| मनुष्य की अंतरात्मा भय और पीड़ा से त्रस्त है| वह कह रहा था कि अँधेरे से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि आत्मा के अँधेरे को अंतरात्मा के प्रकाश द्वारा ही दूर किया जा सकता है|

4. भव्य पुरूष ने कहा- ‘जहाँ अंधकार है वहीँ प्रकाश है’| इसका क्या तात्पर्य है?

उत्तर
 
भव्य पुरूष ने अपने प्रवचन में कहा कि जहाँ अंधकार है वहीँ प्रकाश है| जैसे हर रात के बाद सुबह आती है उसी प्रकार अंधकार के साथ-साथ प्रकाश भी होता है| मनुष्य को अँधेरे से नहीं डरना चाहिए| आत्मा में ही अज्ञान के अँधेरे के साथ ज्ञान की रोशनी और ज्ञान की रोशनी के साथ अज्ञान का अँधेरा होता है| मनुष्य के अंदर की बुराइयों में अच्छाई दबी रहती है, जिसे जगाने की जरूरत होती है| उसके लिए अपने अंदर ही ज्ञान की रोशनी को ढूँढना पड़ता है| इस प्रकार भव्य पुरूष ने सच ही कहा कि जहाँ अंधकार है वहीँ प्रकाश है|

5. भीतर के अँधेरे की टार्च बेचने और ‘सूरज छाप’ टार्च बेचने के धंधे में क्या अंतर है? विस्तार से लिखिए|

उत्तर
 
भीतर के अँधेरे की टार्च बेचना अर्थात यह आत्मा के अंदर बसे अँधेरे को दूर करने से संबंधित है| जहाँ एक तरफ पहला दोस्त अपनी वाणी से लोगों को जागृत करने का काम करता है| वह अपने प्रवचन से लोगों के अंदर ज्ञान की प्रकाश जलाना चाहता है| उसका काम लोगों को अज्ञान के अँधेरे से दूर कर ज्ञान के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना है| इस प्रकार सिद्ध पुरूष ही आत्मा के अज्ञानरूपी अँधेरे को दूर कर सकता है|

वहीँ दूसरी ओर दूसरा दोस्त रात के अँधेरे से बचने के लिए ‘सूरज छाप’ टार्च बेचता है| वह लोगों के अंदर रात का भय उत्पन्न करता है ताकि वे डरकर टार्च खरीदें| यह टार्च बाहर के अँधेरे को दूर करता है| रात के अँधेरे में मनुष्य को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिसे टार्च का प्रकाश ही दूर कर सकता है| इस प्रकार वह लोगों को काली अँधेरी रात का डर दिखाकर ‘सूरज छाप’ टार्च बेचता है|

दोनों के टार्च बेचने के धंधे में बहुत अंतर है| एक आत्मा के अँधेरे को दूर करने से तथा दूसरा रात के अँधेरे को दूर करने से संबंधित है|

6. ‘सवाल के पाँव जमीन में गहरे गड़े हैं| यह उखड़ेगा नहीं|’ इस कथन में मनुष्य की किस प्रवृत्ति की ओर संकेत है और क्यों?

उत्तर
दोनों मित्रों ने पैसे कमाने के कई तरीके ढूँढने की कोशिश की| दोनों के मन में यही प्रश्न आता था कि पैसे कैसे पैदा करें| लेकिन इसका हल निकालना आसान नहीं था| बहुत कोशिश करने के बाद भी जब जवाब नहीं मिला तो उनमें से एक ने कहा कि सवाल के पाँव जमीन में गहरे गड़े हैं| यह उखड़ेगा नहीं| यह कथन मनुष्य की उस प्रवृत्ति की ओर संकेत है कि किसी सवाल का जवाब न मिलने पर मनुष्य उस सवाल को टाल देना ही उचित समझता है| ऐसा इसलिए है क्योंकि किसी अनसुलझे सवाल में दिमाग लगाकर समय गँवाना व्यर्थ होता है|

6. ‘व्यंग्य विधा में भाषा सबसे धारदार है|’ परसाई जी की इस रचना को आधार बनाकर इस कथन के पक्ष में अपने विचार प्रकट कीजिए|

उत्तर
 
‘टार्च बेचने वाले’ हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचना है| इस पाठ में लेखक ने समाज में फैले अन्धविश्वास तथा पाखंडी साधु-संतों द्वारा रचे गए ढोंग से बचकर रहने का संदेश दिया है| ऐसे लोग भोली-भाली जनता को अँधेरे का डर दिखाकर पैसे कमाते हैं| हमें ऐसे अंधविश्वास और पाखंड से बचना चाहिए| लेखक ने इस व्यंग्य रचना के माध्यम से यह समझाने की कोशिश की है कि धर्म और अध्यात्म के नाम पर पैसे ठगने वाले इन ठगों की चंगुल में हमें नहीं फँसना चाहिए| इस प्रकार व्यंग्य-विधा के माध्यम से भाषा प्रभावशाली हो जाती है तथा लोगों के मन पर इसका अधिक प्रभाव पड़ता है|

8. आशय स्पष्ट कीजिए-

(क) आजकल सब जगह अँधेरा छाया रहता है| रातें बेहद काली होती हैं| अपना ही हाथ नहीं सूझता|

(ख) प्रकाश बाहर नहीं है, उसे अंतर में खोजो| अंतर में बुझी उस ज्योति को जगाओ|

(ग) धंधा वही करूँगा, यानी टार्च बेचूँगा| बस कंपनी बदल रहा हूँ|

उत्तर

(क) प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘सूरज छाप’ कंपनी टार्च बेचने वाले के द्वारा कही गई हैं| वह अपनी टार्च बेचने के लिए लोगों के मन में अँधेरे के प्रति डर उत्पन्न करता है| अँधेरी रातें इतनी काली होती हैं कि लोगों को अपना हाथ तक नहीं दिखाई देता| यही काली अँधेरी रातों का भय लोगों को टार्च खरीदने के लिए विवश कर देता है|

(ख) प्रस्तुत पंक्तियाँ आत्मा के अँधेरे को दूर करने वाले सिद्ध पुरूष के द्वारा कही गई हैं| वह लोगों को अपने अंदर बसे अँधेरे को दूर करने के लिए आत्मा के प्रकाश को जगाने की सलाह देता है| वह संत का वेश धारण कर बड़ी-बड़ी बातें करके लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है|

(ग) पहला दोस्त टार्च बेचने का काम करता है जिसमें अधिक परिश्रम की आवश्यकता होती है| अपने दोस्त को आत्मा के अँधेरे को दूर करने का काम यानी साधु बनकर पैसे कमाते देख वह भी उसी काम को अपनाने का निश्चय करता है| उसे लगता है कि बिना मेहनत के भी बैठे-बिठाए पैसे कमाए जा सकते हैं| इसलिए वह मेहनत यानी टार्च बेचने का काम छोड़कर साधु बनने का फैसला करता है|

9. लेखक ने ‘सूरज छाप’ टार्च की पेटी को नदी में क्यों फेंक दिया? क्या आप भी वही करते?
उत्तर

हाँ, मैं भी अगर उस टार्चवाले की जगह होता तो टार्च नदी में फेंक देता क्योंकि इतनी मेहनत करने के बाद भी कम कमा पाता वहीं दूसरी ओर भगवान का डर या अँधेरा दिखाकर लोगों को मूर्ख बना रहे हैं और बेहिसाब पैसे कमा रहे हैं|

10. टार्च बेचने वाले किस प्रकार की स्किल का प्रयोग करते हैं? क्या इसका ‘स्किल इंडिया’ प्रोग्राम से कोई संबंध है?

उत्तर
 
टार्च बेचने वाले लोगों को अपने उत्पाद की विषेशताओं के बारे में बताते हैं और उन्हें उन परिस्थितियों से अवगत कराते हैं जिनसे बचने के लिए वह इन उत्पादों का उपयोग कर सकते हैं|
हाँ, ‘स्किल इंडिया’ प्रोग्राम द्वारा लोग मार्केटिंग स्किल्स को बढ़ा सकते हैं और जिनके द्वारा वह उत्पाद की बिक्री में तेज़ी ला सकते हैं|
 
Read More

CLASS 11TH -पाठ 2 – दोपहर का भोजन |अंतरा भाग-1 हिंदी |NCERT SOLUTION| EDUGROWN

Class 11 NCERT Solutions for Hindi Antra provides you an idea of the language and helps you understand the subject better. We have explained NCERT Solutions for Class 11th Hindi Antra.

Class 11 Hindi Antra textbook has 19 chapters in which first 9 chapters are prose while other 10 are poems. These pieces are very useful in the development of language and communication skills of students

NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 2 - दोपहर का भोजन -अंतरा भाग-1 हिंदी

पृष्ठ संख्या: 33


प्रश्न – अभ्यास

1. सिद्धेश्वरी ने अपने बड़े बेटे रामचंद्र से मँझले बेटे मोहन के बारे में झूठ क्यों बोला?

उत्तर

सिद्धेश्वरी नहीं चाहती है कि मोहन को लेकर रामचंद्र चिंतित हो| वह उससे झूठ बोलती है कि मोहन किसी मित्र के यहाँ पढ़ने-लिखने गया है| वह यह भी कहती है कि मोहन उसकी बहुत प्रशंसा करता है जिससे रामचंद्र अपना दुःख भूलकर कुछ देर के लिए खुश हो जाए|

2. कहानी के सबसे जीवंत पात्र के चरित्र की दृढ़ता का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए|

उत्तर

कहानी की सबसे जीवंत पात्र है-सिद्धेश्वरी| वह घर की निर्धनता से अच्छी तरह परिचित है| इसके बावजूद भी वह अपना धैर्य नहीं खोती और अभाव में भी घर में शांति बनाए रखती है| वह घर के सभी सदस्यों के आवश्यकताओं का ध्यान रखती है| उसका जीवन परिवार के लिए पूरी तरह समर्पित है| वह परिवार के सदस्यों से उनकी मनचाही बातें करके उन्हें खुश रखने के लिए झूठ भी बोलती है| वह अपनी भूख की परवाह न करके परिवार के सभी सदस्यों को भोजन कराती है| वह किसी के सामने अपना दुःख व्यक्त नहीं करती है| इस प्रकार उसके चरित्र की दृढ़ता कहानी में उसकी भूमिका को जीवंत करता है|

3. कहानी के उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे गरीबी की विवशता झाँक रही हो|

उत्तर

‘दोपहर का भोजन’ कहानी गरीबी की विवशता को बयान करता है| गर्मियों की दोपहर में खाना बनाते समय सिद्धेश्वरी भूख से बेहाल है परंतु घर में इतना अनाज नहीं है कि वह अपने लिए दो चपातियाँ बना सके| वह पानी पीकर गुजारा करती है| टूटी खाट पर लेटा उसका छोटा बेटा कुपोषण का शिकार है| उसकी टाँगों और बाँहों की हड्डियाँ निकल आई हैं और पेट हाँडी की तरह फूल गया है|

4. ‘सिद्धेश्वरी का एक से दूसरे सदस्य के विषय में झूठ बोलना परिवार को जोड़ने का अनथक प्रयास था’- इस संबंध में आप अपने विचार लिखिए|

उत्तर

सिद्धेश्वरी परिवार को जोड़े रखने के लिए सभी सदस्यों के सामने बारी-बारी से एक दूसरे की झूठी प्रशंसा करती है| उसका मँझला लड़का बिलकुल नहीं पढ़ता और छोटा बेटा हमेशा रोता रहता है| अपने बड़े बेटे रामचंद्र को यह सब बताकर दुखी नही करना चाहती है| इसलिए वह उसके सामने दोनों भाइयों की प्रशंसा करती है, जिससे उन सब के बीच में मधुर संबंध बना रहे| अपने पति के सामने भी बड़े बेटे की प्रशंसा करते हुए कहती है कि वह उनकी हमेशा बड़ाई करता रहता है| वह पिता-पुत्र के बीच के संबंध में आत्मीयता बनाए रखना चाहती है| इस प्रकार सिद्धेश्वरी का एक से दूसरे सदस्य के विषय में झूठ बोलना परिवार को जोड़ने का अनथक प्रयास था|

5. ‘अमरकांत आम बोलचाल की ऐसी भाषा का प्रयोग करते हैं जिससे कहानी की संवेदना पूरी तरह उभरकर आ जाती है|’ कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए|

उत्तर

अमरकांत की कहानियों में आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया गया है| उनकी कहानियाँ भारतीय जीवन के अंतर्विरोधों का सजीव चित्रण करती है| प्रस्तुत कहानी में एक निम्नवर्गीय परिवार की अभावग्रस्तता को दर्शाया गया है| कहानी में परिवार के सभी सदस्य घर के अभाव से परिचित हैं इसलिए वे दोपहर के भोजन में एक या दो रोटी खाकर ही भूखे पेट उठ जाते हैं| कहानी में बोलचाल व सहज भाषा का प्रयोग किया गया है| ‘वह मतवाले की तरह उठी और गगरे से लोटा-भर पानी लेकर गट-गट चढ़ गई|’……..‘मोहन कटोरे को मुँह में लगाकर सुड़-सुड़ पी रहा था|’…….‘तदुपरांत एक लोटा पानी लेकर खाने बैठ गई|’ अमरकांत की कथा शैली की सबसे बड़ी विशेषता है- चित्रात्मक का गुण| जैसे- सारा घर मक्खियों से भनभन कर रहा था| आँगन की अलगनी पर एक गंदी साड़ी टँगी थी, जिसमें कई पैबंद लगे हुए थे| दोनों बड़े लड़कों का कहीं पता नहीं था| बाहर की कोठरी में मुंशी जी औंधे मुँह होकर निश्चिन्तता के साथ सो रहे थे, जैसे डेढ़ महीने पूर्व मकान-किराया-नियंत्रण विभाग की क्लर्की से उनकी छंटनी न हुई हो और शाम को उन्हें काम की तलाश में कहीं जाना न हो|

6. रामचंद्र, मोहन और मुंशी जी खाते समय रोटी न लेने के लिए बहाने करते हैं, उसमें कैसी विवशता है? स्पष्ट कीजिए|

उत्तर
रामचंद्र, मोहन और मुंशी चंद्रिका प्रसाद परिवार की वास्तविकता से अच्छी तरह परिचित हैं| दोपहर के भोजन के समय सिद्धेश्वरी के बार-बार आग्रह करने पर भी वे रोटी लेने से मना कर देते हैं| उन्हें पता है कि यदि वे और रोटी ले लेंगे तो घर के दूसरे सदस्यों को भूखा रहना पड़ेगा| इसलिए जहाँ रामचंद्र ने कहा कि उसका पेट भर गया है वहीँ मोहन ने रोटी अच्छी न बनी होने का बहाना किया| मुंशी जी ने भी यह बहाना कर दिया कि नमकीन चीजों से उनका मन ऊब गया है| इस प्रकार तीनों ने कोई-न-कोई बहाना बनाकर रोटी लेने से मना कर दिया| इससे उनकी इस विवशता का पता चलता है कि भूख रहते हुए भी अभाव के कारण वे रोटी लेने से मना कर देते हैं|

7. मुंशी जी तथा सिद्धेश्वरी की असंबद्ध बातें कहानी से कैसे संबद्ध हैं?

उत्तर

दोपहर के भोजन के समय सिद्धेश्वरी तथा मुंशी जी के द्वारा की गई असंबद्ध बातें किसी-न-किसी तरह से कहानी से संबद्ध हैं| मुंशी जी चुपचाप दुबके हुए खा रहे थे, जैसे पिछले दो दिनों से मौन व्रत धारण कर रखा हो और उसको आज तोड़ने वाले हों| तभी सिद्धेश्वरी कहती है कि ‘मालूम होता है, अब बारिश नहीं होगी|’ इस बात पर मुंशी जी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी| लेकिन इस बात का संबंध कहानी से है, क्योंकि यदि वर्षा नहीं होगी तो अगले साल फिर से अन्न की कमी होगी और गरीबी में ही जीवन व्यतीत करना होगा| जब मुंशी जी कहते हैं कि मक्खियाँ बहुत हो गई है तो इसका अर्थ यह है कि वह घर की वास्तविकता से अच्छी तरह परिचित हैं| भूख और गरीबी ने परिवार को निराशा के दलदल में धकेल दिया है| इस प्रकार उनकी बातें कहानी से संबद्ध हैं|

8. ‘दोपहर का भोजन’ शीर्षक किन दृष्टियों से पूर्णतया सार्थक है?

उत्तर

‘दोपहर का भोजन’ कहानी की नायिका सिद्धेश्वरी दोपहर का खाना बनाकर अपने परिवारवालों का इंतजार करती है| सबसे पहले उसका बड़ा बेटा रामचंद्र भोजन करने आता है और अनमने मन से भोजन करके चला जाता है| इसके बाद उसका मँझला बेटा और फिर उसका पति आता है| घर में भोजन के अभाव के कारण सभी कम खाने में ही पेट भरने का बहाना बना कर चले जाते हैं| अंत में सिद्धेश्वरी भी आधी रोटी खाकर ही अपना पेट भरने का प्रयास करती है| इस प्रकार पूरी कहानी में दोपहर के भोजन से संबंधित दृश्य को दर्शाया गया है| इस दृष्टि से ‘दोपहर का भोजन’ शीर्षक पूर्णतया सार्थक है|

9. आपके अनुसार सिद्धेश्वरी के झूठ सौ सत्यों से भारी कैसे हैं? अपने शब्दों में उत्तर दीजिए|

उत्तर

सिद्धेश्वरी के झूठ सौ सत्यों से भारी हैं क्योंकि वह अपने परिवारवालों को एक दूसरे की सच्चाई बताकर दुखी नहीं करना चाहती है| यदि वह अपने बड़े बेटे से यह कहती कि मोहन कहीं बाहर घूमने गया है तो दोनों भाइयों के बीच लड़ाई हो जाती| वह परिवार की आर्थिक स्थिति से अच्छी तरह परिचित थी| उसका बड़ा बेटा रामचंद्र छोटी-मोटी नौकरी कर किसी तरह परिवार का गुजारा कर रहा था| इसलिए वह उससे झूठ बोलती है कि मोहन अपने मित्र के यहाँ पढ़ने गया है| अपने पति से भी वह अपने बड़े बेटे के बारे में झूठ बोलती है ताकि पिता-बेटे के बीच प्रेम बना रहे| इस प्रकार वह झूठ बोलकर सभी सदस्यों को प्रसन्न रखना चाहती है|

10. आशय स्पष्ट कीजिए-

(क) वह मतवाले की तरह उठी और गगरे से लोटा भर पानी लेकर गट-गट चढ़ा गई|

उत्तर

सिद्धेश्वरी दोपहर का भोजन तैयार करने में लगी हुई है| खाना खाने का समय हो गया है और वह भूख से व्याकुल है| लेकिन वह खाना नहीं खा सकती क्योंकि घर में भोजन का अभाव है और किसी ने अभी तक खाया भी नहीं| यही सोचकर वह अपनी भूख मिटाने के लिए अचानक उठती है और एक लोटा भरकर पानी पी लेती है|

(ख) यह कहकर उसने अपने मँझले लड़के की ओर इस तरह देखा, जैसे उसने कोई चोरी की हो|

उत्तर

सिद्धेश्वरी अपने मँझले बेटे से झूठ बोलती है कि उसका बड़ा भाई उसकी प्रशंसा कर रहा था कि वह पढ़ने-लिखने में होशियार है| मोहन यह बात जानता था की उसकी माँ झूठ बोल रही है| यह सोचकर कि कहीं उसका झूठ पकड़ा न जाए, सिद्धेश्वरी उसकी तरफ ऐसे देखती है जैसे उसने कोई चोरी की हो|

(ग) मुंशी जी ने चने के दाने की ओर इस दिलचस्पी से दृष्टिपात किया, जैसे उनसे बातचीत करनेवाले हों|

उत्तर

मुंशी जी को चुपचाप खाना खाते देख सिद्धेश्वरी उनसे प्रश्न पूछती है| वह उनसे फूफाजी की तबीयत के बारे में भी पूछती है| लेकिन मुंशी जी उसकी बातों को अनसुना कर अपनी भूख मिटाने में लगे हुए थे| इसलिए वह सिद्धेश्वरी की बातों पर ध्यान न देकर अपनी थाली में बचे चने के दालों पर इस प्रकार दृष्टि जमाए हुए थे, जैसे उनसे बात कर रहे हों|
Read More

CLASS 11TH -पाठ 1 – ईदगाह |अंतरा भाग-1 हिंदी |NCERT SOLUTION| EDUGROWN

Class 11 NCERT Solutions for Hindi Antra provides you an idea of the language and helps you understand the subject better. We have explained NCERT Solutions for Class 11th Hindi Antra.

Class 11 Hindi Antra textbook has 19 chapters in which first 9 chapters are prose while other 10 are poems. These pieces are very useful in the development of language and communication skills of students

NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 1 - ईदगाह - अंतरा भाग-1 हिंदी

पृष्ठ संख्या: 20


प्रश्न – अभ्यास

1. ‘ईदगाह’ कहानी के उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे ईद के अवसर पर ग्रामीण परिवेश का उल्लास प्रकट होता है|

उत्तर

ईद आने से गाँव में हर तरफ उल्लास और चहल-पहल दिखाई दे रहा है| लोग ईदगाह जाने की तैयारी कर रहे हैं| किसी का कुरते में बटन लगाने के लिए पड़ोस के घर से सुई-तागा माँगना, कड़े जूतों में तेल डालने के लिए तेली के घर जाना, बैलों को सानी-पानी देना जैसे कामों में व्यस्त दिख रहे हैं| सबसे अधिक ख़ुशी बच्चों के चेहरे पर झलक रही है| वे ईदगाह पर लगने वाले ईद के मेले में जाने के लिए उत्सुक हैं| वे मेले में मिठाई तथा खिलौने खरीदने के लिए जमा किए पैसे गिन रहे हैं| इस प्रकार गाँव में सभी ईद के आने की ख़ुशी मना रहे हैं|

2. ‘उसके अंदर प्रकाश है, बाहर आशा| विपत्ति अपना सारा दलबल लेकर आए, हामिद की आनंद भरी चितवन उसका विध्वंश कर देगी|’– इस कथन के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि आशा का प्रकाश मनुष्य को विपरीत परिस्थितियों में भी निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है|

उत्तर

यदि मनुष्य के अंदर आशा, उत्साह और साहस हो तो वह कठिन परिस्थितियों में भी निरंतर आगे बढ़ता रहता है| हामिद के माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं| उसकी बूढ़ी दादी को इस बात की चिंता थी कि इतने कम पैसे में ईद का त्यौहार कैसे मनाएगी| लेकिन हामिद इन बातों से अनजान खुश है क्योंकि उसके मन में आशा की एक किरण है कि उसके माता-पिता एक दिन जरूर आएँगे और उसके लिए अच्छी-अच्छी चीजें लाएँगे| उसके पास मेले में जाने के लिए मात्र तीन ही पैसे हैं, फिर भी वह अपने दोस्तों के साथ बहुत प्रसन्न है| इस प्रकार आशा का प्रकाश मनुष्य को विपरीत परिस्थितियों में भी निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है|

3. ‘उन्हें क्या खबर कि चौधरी आज आँखें बदल लें, तो यह सारी ईद मुहर्रम हो जाए|’- इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए|

उत्तर

ईद के अवसर पर बच्चों में ईदगाह जाने की ख़ुशी झलक रही है| उन्हें इस बात की कोई चिंता नहीं है कि ईद पर खर्च करने के लिए पैसे कहाँ से आएँगे| त्यौहार पर खर्च करने के लिए उनके अब्बा चौधरी के पास पैसे लेने भागे जा रहे हैं| यदि चौधरी पैसे देने से मना कर दे तो ईद की सारी खुशियाँ मुहर्रम के मातम में बदल जाएगी|

4. ‘मानो भ्रातृत्व का एक सूत्र इन समस्त आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है|’ इस कथन के सन्दर्भ में स्पष्ट कीजिए कि ‘धर्म तोड़ता नहीं जोड़ता है|’

उत्तर

प्रस्तुत कहानी ‘ईदगाह’ में ईद के अवसर सभी लोग एक साथ मिलकर ईदगाह जा रहे हैं| यहाँ धन और पद कोई नहीं देखता| इस्लाम की निगाह में सभी एक बराबर हैं| रोजेदारों की पंक्तियाँ एक के पीछे एक न जाने तक कहाँ तक चली गई हैं और जो भी नया आता है कतार में आकर खड़ा हो जाता है| सभी एक साथ मिलकर नमाज पढ़ते हैं और आपस में एक दूसरे के गले मिलते हैं| यहाँ गरीबी-अमीरी, ऊँच-नीच का कोई भेद नहीं है| ईद के इस पावन त्यौहार पर लोग एकसाथ मिलकर खुशियाँ मना रहे हैं| ऐसा लग रह है मानो भ्रातृत्व का एक सूत्र इन समस्त आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है| इस प्रकार धर्म तोड़ता नहीं जोड़ता है|

5. ‘ईदगाह’ कहानी के शीर्षक का औचित्य सिद्ध कीजिए| क्या इस कहानी को कोई अन्य शीर्षक दिया जा सकता है?

उत्तर

‘ईदगाह’ कहानी में ईद के अवसर पर ईदगाह में हो रही चहल-पहल को दर्शाया गया है| इस त्यौहार में बच्चे से लेकर बड़े सभी के मन में उत्साह और उमंग झलक रही है| सभी आपस में मिलजुलकर एक साथ ईद के मेले में घूमते हैं और नई-नई चीजें खरीदते हैं| इस प्रकार ईद पर्व को ध्यान में रखते हुए कहानी का शीर्षक ‘ईदगाह’ दिया गया है|

इस कहानी का मुख्य नायक हामिद है| उसके पास मात्र तीन पैसे हैं और वह उससे खिलौने खरीदने के बजाय अपनी दादी के लिए चिमटा खरीदता है| वह बड़ी चतुराई से अपने मित्रों को चिमटे के गुणों के बारे में बताकर उन्हें निरूत्तर का देता है| इस प्रकार हामिद को ध्यान रखकर कहानी का शीर्षक ‘हामिद का बड़प्पन’ दिया जा सकता है|

6. निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-

(क) कई बार यही क्रिया होती है………………..आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है|

उत्तर

प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रेमचन्द द्वारा रचित ‘ईदगाह’ कहानी से ली गई हैं, जिसमें ईद पर्व के अवसर पर नमाज पढ़ने वाले सभी रोजेदारों की पंक्तिबद्धता और सामूहिकता का सजीव वर्णन किया गया है|

लोग ईदगाह के मैदान में एक साथ पंक्तिबद्ध होकर नमाज पढ़ने की रस्म अदा कर रहे हैं| उनके चेहरे पर ख़ुशी और मन में श्रद्धा और भक्ति के भाव हैं| नमाज पढ़ते समय जब वे एक साथ झुकते और उठते थे तब ऐसा प्रतीत होता है मानो बिजली की लाखों बत्तियाँ एक साथ जल बुझ रही हों| उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था जैसे ये सभी लोग भ्रातृत्व के एक सूत्र में बँधे हुए हैं|

भाषागत विशेषताएँ

• सरल, सहज और प्रवाहपूर्ण खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है|

• उर्दू शब्दावली का प्रयोग किया गया है|

(ख) बुढ़िया का क्रोध……………….स्वाद से भरा हुआ|

उत्तर

प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘ईदगाह’ कहानी से ली गई हैं| इन पंक्तियों में हामिद द्वारा खरीदकर लाए गए चिमटे को देखकर उसकी बूढ़ी दादी के भावविह्वल होने का सजीव चित्रण किया गया है|

जब हामिद मेले से तीन पैसे में चिमटा खरीदकर लाया तो उसे देखकर दादी को पहले गुस्सा आ गया| हामिद ने बताया कि रोटी सेंकते पर उसकी उँगलियाँ जल जाती थीं इसलिए उसने मेले से चिमटा खरीदा| यह सुनकर दादी का सारा गुस्सा स्नेह में बदल गया और जिसे केवल अनुभव किया जा सकता है| वह शब्दों के माध्यम से हामिद के लिए अपना स्नेह और प्यार व्यक्त नहीं कर पा रही थीं| उनका यह स्नेह खामोशी, गंभीरता तथा भावनाओं से परिपूर्ण था|

भाषागत विशेषताएँ


• सरल, सहज और प्रवाहपूर्ण खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है|

• उर्दू शब्दावली का प्रयोग किया गया है|

7. हामिद ने चिमटे की उपयोगिता को सिद्ध करते हुए क्या-क्या तर्क दिए?

उत्तर
हामिद के चिमटा खरीदने पर उसके दोस्तों ने उसकी हँसी उड़ाई, लेकिन उसने तर्क के बल पर चिमटे की उपयोगिता सिद्ध कर अपने दोस्तों को चुप करा दिया| उसका चिमटा इतना मजबूत है कि जमीन पर पटकने पर भी इसका कुछ नहीं बिगड़ेगा| कंधे पर रखा तो बंदूक हो गई| हाथ में ले लिया तो फकीरों का चिमटा हो गया और चाहे तो मजीरे का भी काम ले सकते हैं| चिमटा चाहे तो खँजरी का पेट फाड़ सकता है| उसका बहादुर चिमटा आग, पानी, आँधी या तूफ़ान में बराबर डटा रहेगा|

8. गाँव से शहर जाने वाले रास्ते के मध्य पड़ने वाले स्थलों का ऐसा वर्णन लेखक ने किया है मानो आँखों के सामने चित्र उपस्थित हो रहा हो| अपने घर और विद्यालय के मध्य पड़ने वाले स्थानों का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए|

उत्तर

मेरे घर से विद्यालय जाने के रास्ते में पहले एक तालाब आता है जिसमें कमल के फूल खिले हुए हैं| थोड़ा आगे बढ़ने पर शहर का मुख्य बाजार है जहाँ लोगों की भीड़-भाड़ दिखाई देती है| कुछ ही दूरी पर एक पार्क है, जिसमें बच्चे खेलते रहते हैं| मेरे विद्यालय से थोड़ा पीछे एक सार्वजनिक अस्पताल है| मेरे विद्यालय के आस-पास पेड़ लगे हुए हैं, जिसके कारण चारों तरफ हरियाली है|

9. ‘बच्चे हामिद ने बूढ़े हामिद का पार्ट खेला था| बुढ़िया अमीना बालिका अमीना बन गई|’ इस कथन में ‘बूढ़े हामिद’ और ‘बालिका अमीना’ से लेखक का क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए|

उत्तर

अमीना को पता चलता है कि हामिद ने चिमटा इसलिए खरीदा क्योंकि उसकी उँगलियाँ रोटी पकाते समय जल जाती थीं| वह हामिद के इस त्याग और अपने प्रति प्यार को देखकर भावुक हो उठती है और रोने लगती है| परिस्थितिवश बूढ़ी अमीना बच्ची की तरह फूट-फूट कर रो रही थी और हामिद बूढ़ों की तरह चुपचाप खड़ा देख रहा था| इसलिए लेखक ने ऐसा कहा है|

10. ‘दामन फैलाकर हामिद को दुआएँ देती जाती थी और आँसू की बड़ी-बड़ी बूँदें गिराती जाती थी| हामिद इसका रहस्य क्या समझता!’- लेखक के अनुसार हामिद अमीना की दुआओं और आँसुओं के रहस्य को क्यों नहीं समझ पाया? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए|

उत्तर

ईद के मेले में जाने के लिए हामिद की दादी ने उसे तीन पैसे दिए थे जिनसे उसने उनके लिए चिमटा खरीद लिया| उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि रोटी बनाते समय उसकी दादी की उँगलियाँ जल जाती थीं| यही देखकर अमीना दामन फैलाकर हामिद को दुआएँ देती जाती थी और आँसू की बड़ी-बड़ी बूँदें गिराती जाती थी| हामिद इस रहस्य को इसलिए नहीं समझ पाया क्योंकि वह एक छोटा और नादान बालक था|

11. हामिद के चरित्र की कोई तीन विशेषताएँ बताइए|

उत्तर

हामिद के चरित्र की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

• साहसी- ईद के अवसर पर गाँव के सभी बच्चे अपने पिता के साथ मेला घूमने जा रहे हैं| हामिद अकेले ही मेले में जाने के लिए तैयार हो जाता है| उसकी दादी उसे अकेले जाते देख बहुत चिंतित हो जाती है लेकिन वह अपनी दादी को समझाते हुए कहता है- ‘तुम डरना नहीं अम्मा, मैं सबसे पहले आऊँगा|’ इससे उसकी निडरता का पता चलता है|

• स्वाभिमानी- हामिद एक स्वाभिमानी लड़का है| अपने दोस्तों को मिठाई और खिलौने खरीदते देखकर भी वह उनसे मिठाई या खिलौने नहीं माँगता| उसके दोस्त मिठाई देना भी चाहते हैं तो वह मना कर देता है|

• समझदार- हामिद देखने में तो एक छोटा बच्चा है लेकिन वह बड़ों की तरह समझदार है| मेले में सभी बच्चे खिलौने खरीदते हैं लेकिन वह अपनी दादी के बारे में सोचकर चिमटा खरीदता है ताकि उनकी उँगलियाँ रोटी पकाते समय जलने से बच सके|

12. हामिद के अतिरिक्त इस कहानी के किस पात्र ने आपको सर्वाधिक प्रभावित किया और क्यों?

उत्तर

इस कहानी का मुख्य पात्र हामिद है जिसने सर्वाधिक प्रभावित किया है| इसके अतिरिक्त कहानी में हामिद की दादी अमीना भी हमें प्रभावित करती है| हामिद के माता-पिता न होते हुए भी उसकी परवरिश में कोई कमी नहीं की| उसे हर समय हामिद की चिंता लगी रहती है| गरीबी होते हुए भी मेले में जाते समय उसने हामिद को तीन पैसे खर्च करने के लिए दिए| जब वह हामिद के हाथ में चिमटा देखती है तो बहुत नाराज हो जाती है क्योंकि उसने मेले में दिन-भर कुछ नहीं खाया-पीया था| चिमटा लाने का कारण जानकर वह हामिद को दुआएँ देने लगती हैं और उस पर न्योछावर हो जाती है| इस प्रकार हामिद की दादी अमीना की भूमिका भी प्रभावशाली है|

13. बच्चों में लालच एवं एक-दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ के साथ-साथ निश्छलता भी मौजूद होती है| कहानी से कोई दो प्रसंग चुनकर इस मत की पुष्टि कीजिए|

उत्तर

बच्चों में लालच एवं एक-दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ के साथ-साथ निश्छलता भी मौजूद होती है| कहानी में ऐसे दो प्रसंग निम्नलिखित हैं-

मेले में हामिद के दोस्त मिठाई खरीदते हैं और हामिद कुछ नहीं खरीदता| मोहसिन हामिद को रेवड़ी देने का दिखावा करके स्वयं खा लेता है और सब हामिद का मजाक उड़ाते हैं| लेकिन अगले ही पल मोहसिन को गलती का एहसास होते ही वह अल्लाह कसम खा कर दोबारा हामिद को रेवड़ी देता है| दूसरे भी अपनी मिठाई हामिद को देना चाहते हैं|

हामिद मेले में चिमटा खरीदता है और अपने दोस्तों के खिलौनों से अच्छा बताते हुए कई तरह के तर्क प्रस्तुत करता है| वह अपने चिमटे को मजबूत, आग, पानी, आँधी, तूफ़ान में खड़ा करने पर आराम से डटा रहने वाला बताता है| कुछ देर बाद जब सभी अपने खिलौने से मायूस हो जाते हैं तब हामिद उन्हें खुश करने के लिए कहता है- मैं तुम्हें चिढ़ा रहा था, सच! यह चिमटा भला इन खिलौनों की क्या बराबरी करेगा| इस प्रकार बच्चों में लालच एवं एक-दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ के साथ-साथ निश्छलता भी मौजूद होती है|

14. ‘प्रेमचंद की भाषा बहुत सजीव, मुहावरेदार और बोलचाल के निकट है|’ कहानी के आधार पर इस कथन की सार्थकता स्पष्ट कीजिए|

उत्तर
प्रेमचंद की कहानियों में सजीवता, मुहावरों तथा बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया गया है| उनकी भाषा व्यावहारिक तथा प्रवाहमयी है|

‘ईदगाह’ कहानी में सरल एवं सजीव भाषा का प्रयोग किया गया है| कहानी में ‘सभी ईदगाह जाने की तैयारी कर रहे हैं| ईदगाह से लौटते-लौटते दोपहर हो जाएगी| बार-बार जेब से अपना खजाना निकालकर गिनते हैं और खुश होकर फिर रख लेते हैं| हामिद कहता है- तुम डरना नहीं अम्मा, मैं सबसे पहले आऊँगा| बिलकुल न डरना|’

कहानी में मुहावरों का भी प्रयोग किया गया है| सारी ईद मुहर्रम होना, कुबेर का धन भरा होना, अरमान निकालना, दिल कचोटना, मुँह चुराना, काम से जी चुराना, तूफ़ान में डटे रहना, ऐड़ी-चोटी का जोर लगाना, मुँह ताकना, मैदान मारना, रंग जमाना, छाती पीटना जैसे मुहावरों का प्रयोग किया गया है|

प्रेमचंद ने ‘ईदगाह’ में बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है| जैसे- हामिद का मेले में दुकानदार के साथ वार्तालाप| हामिद ने दुकानदार से पूछा- यह चिमटा कितने का है? दुकानदार ने उसकी ओर देखा और कोई आदमी साथ न देखकर कहा- तुम्हारे काम का नहीं है जी! ‘बिकाऊ है कि नहीं?’

‘बिकाऊ क्यों नहीं है| और यहाँ क्यों लाद लाए हैं?

‘तो बताते क्यों नहीं, कै पैसे का है?’

‘छह पैसे लगेंगे|’

हामिद का दिल बैठ गया|

‘ठीक-ठीक बताओ!’

‘ठीक-ठीक पाँच पैसे लगेंगे, लेना हो तो लो, नहीं चलते बनो|’

हामिद ने कलेजा मजबूत करके कहा- ‘तीन पैसे लोगे|’
Read More

CLASS 11TH CHAPTER-8 The Tale of Melon City |ENGLISH SNAPSHOTS |NCERT SOLUTION| EDUGROWN

Class 11 NCERT Solutions for English Snapshots provides you an idea of the language and helps you understand the subject better. We have explained NCERT Solutions for Class 11th English Snapshots.

Snapshots Class 11 English is a supplementary reader which has eight stories that deal with a range of human hardships, moral choices in adolescents, pain of personal loss, imperialism and other topics.

NCERT Solutions for Class 11th : The Tale of Melon City English Snapshots

Question 1.
Narrate ‘The Tale of Melon City’ in your own words.
Answer:
The ruler of the City State pretended to be justice loving and gentle. (But he was brainless and dispolite) Once he ordered a grand city gate to be built over the main road. He gave out that he wanted the moral improvement of all the spectators. One day the King rode out along that thoroughfare. His crown hit against the low arch and fell off his head. He took it as a disgrace of the crown. He ordered the guilty to be hanged.

He first summoned the chief of builders to pay for his fault. The builder chief passed on the blame to workers who blamed the wrong sized bricks. The King sent for the masons who put the blame on the architect. The planner said in self defence that the King himself had made bad correction in the original plan.

A noose was set up. But it was somewhat high. Only the King was found tall enough to fit the noose. He was hanged. As per custom, the new king was named by an idiot who was the first to pass by the road. He named ‘A Melon’ and the melon, looking fool was crowned king.

Question 2.
What impression would you form of a State where the King was ‘just and placid’ ?
Answer:
It was a small city ruled by a mindless King. He could not make any sensible decision on his own. He called himself just and gentle. When actually he was a duffer. He thought that the new city gate would enlighten the onlookers. He lost his head when he lost his crown.

He wanted somebody to be hanged because the common people demanded it. But he could not fix the guilt. He himself was finally executed because he was tall enough to fit the noose. The new ruler was worse than the ex-ruler. He appeared like a melon because an idiot had suggested and named him It was a Kingdom of fools.

Question 3.
How, according to you, can peace and liberty be maintained in a State ?
Answer:
A ruler’s first and premost responsibility is to maintain law and order in the state. The masses demand peace and basic freedom of faith as well as expression. They become restive and take to violence if the ruler foolishly or cruelly and in an arbitrary planner. Only rule of law and impartial judiciary can keep people happy as well as contented.

Question 4.
Suggest a few instances in the poem which highlight humour and irony.
Answer:
The Tale of Melon City tells a humorous story in verse. It has no moral or message. It, however, highlights the fact that a non sensical ruler can make the masses miserable. Nobody is safe in such a state where the King goes by his whims. Such an idiot ruler pays a heavy price with his own life.

It was ironical that the brainless and indecisive ruler called himself just and placid or gentle. He built the city gate for the moral improvement of the road users. When his crown was thrown off his head, he decided to hang somebody. The person finally ‘chosen on the basis of his height. The ministers followed the custom mindlessly. They executed the King as per Royal decree. The selected the melon-like new King on the suggestion of an idiot. Thus all the situations, decisions and actions are ironic or ridiculous.

Question 5.
The Tale of Melon City has been narrated in a verse form. This is a unique style which lends extra charm to an ancient tale. Find similar examples in your language.
Answer:
The following poem narrates the legend of an old lady who angered Saint Peter because of her greed. Let’s read it :

A Legend of the Northland

Away, away in the Northland,
Where the hours of the day are few,
And the nights are so long in winter
That they cannot sleep them through;

Where they harness the swift reindeer
To the sledges, when it snows;
And the children took like bear’s cubs
In their funny, furry clothes;

They tell them a curious story
I don’t believe ’tis true;
And yet you may learn a lesson
If I tell the tale to you.

Once, when the good Saint Peter ,
Lived in to world below,
And walked about it, preaching,
Just as he did, you know,

He came to the door of a cottage,
In travelling round to earth,
Where a little woman was making cakes.
And backing them on the hearth;

And being faint with fasting,
For. the day was almost done,
He asked her, from her store of cakes,
To give him a single one.

So she made a veiy little cake,
But as it baking lay,
She looked at it, and thought it seemed
Too large to give away.

Therefore she kneaded another,
And still a smaller one;i
But it looked, when she turned it over,
As large as the first had done.

Then she took a tiny scrap of dough,
And rolled and rolled it flat;
And baked it thin as a wafer
But she couldn’t part with that.

For she said, “My cakes that seem too small
When I eat of them myself
And yet too large to give away.”
So she put them on the shelf.

Then good Saint Peter grew angry,
For he was hungry and faint;
And surely such a woman
Was enough to provoke a saint.

And he said, “You are far too selfish
To dwell in a human form,
To have both food and shelter,
And fire to keep you warm.

Now, you shall build as the birds do,
Ans shall get your scanty food
By boring, and boring, and boring,
All day in the hard, dry wood.”

Then up she went through the chimney,
Never speaking a word, ‘
And out of the top few a woodpecker,
For she was changed to a bird.

She had a scarlet cap on the head,
And what was left the same;
But all the rest of her clothes were burned
Black as a coal in the flame.

And every country schoolboy
Has seen her in the wood,
Where she lives in the trees till this very day,
Boring and borings for food.

Read More