Chapter 15 चार्ली चैप्लिन यानी हम सब | class 12th | Important Questions Hindi Aroh

चार्ली चैप्लिन यानी हम सब (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)

प्रश्न 1:
चार्ली चैप्लिन की जिंदगी ने उन्हें कैसा बना दिया? ‘चार्ली चैप्लिन यानी हम सब’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर =

चार्ली एक परित्यक्ता, दूसरे दर्जे की स्टेज अभिनेत्री के बेटे थे। उन्होंने भयंकर गरीबी और माँ के पागलपन से संघर्ष करना सीखा। साम्राज्यवाद, औद्योगिक क्रांति पूँजीवाद तथा सामंतशाही से मगरूर एक समाज का तिरस्कार उन्होंने सहन किया। इसी कारण मासूम चैप्लिन को जो जीवन मूल्य मिले, वे करोड़पति हो जाने के बाद भी अंत तक रहे। इन परिस्थितियों ने चैप्लिन में मूल्यों को सदा जीवित रखा, जो इशारे से बतला देता है कि राजा भी उतना ही नंगा है, जितना मैं हूँ और हँस देता है। यही यह कलाकार है, जिसने विषम परिस्थितियों में भी हिम्मत से काम लिया।

प्रश्न 2:
चार्ली चैप्लिन ने दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को कैसे तोडा हैं?

उत्तर =

चार्ली की फिल्में बच्चे-बूढे, जवान, वयस्कों सभी में समान रूप से लोकप्रिय हैं। यह चैप्लिन का चमत्कार ही है कि उनकी फिल्मों को पागलखाने के मरीजों, विकल मस्तिष्क लोगों से लेकर आइंस्टाइन जैसे महान प्रतिभावाले व्यक्ति तक एक स्तर पर कहीं अधिक सूक्ष्म रसास्वाद के साथ देख सकते हैं। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि हर वर्ग में लोकप्रिय इस कलाकार ने फिल्म-कला को लोकतांत्रिक बनाया और दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण व्यवस्था को तोड़ा। कहीं-कहीं तो भौगोलिक सीमा, भाषा आदि के बंधनों को भी पार करने के कारण इन्हें सार्वभौमिक कलाकार कहा गया है।

प्रश्न 3:

चैप्लिन के व्यक्तित्व की तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए जिनके कारण उन्हें भुलाना कठिन हैं?

अथवा

चार्ली के व्यक्तित्व की तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर =

चैप्लिन के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं जिनके कारण उन्हें भुलाना कठिन है-

1, चाली चैप्लिन सदैव खुद पर हँसते थे।

2. वे सदैव युवा या बच्चों जैसा दिखते थे।

3. कोई भी व्यक्ति उन्हें बाहरी नहीं समझता था।

4. उनकी फिल्मों में हास्य कब करुणा के भाव में परिवर्तित हो जाता था, पता नहीं चलता था।

प्रश्न 4:
चार्ली चैप्लिन कौन था? उसके भारतीयकरण से लेखक का क्या आशय हैं?

उत्तर –

चार्ली चैप्लिन पश्चिम का महान कलाकार था जिसने हास्य मूक फ़िल्में बनाई। उसकी फिल्मों में हास्य करुणा में बदल जाता था। भारतीय रस पद्धति में इस तरह का परिवर्तन नहीं पाया जाता। यहाँ फ़िल्म का अभिनेता स्वयं पर नहीं हँसता। राजकपूर ने ‘आवारा’ फिल्म को ‘द ट्रैम्प’ के आधार पर बनाया। इसके बाद श्री 420′ व कई अन्य फिल्म के कलाकारों ने चार्ली का अनुकरण किया।

प्रश्न 5:
भारतीय जनता ने चार्ली के किस ‘फिनोमेनन’ को स्वीकार किया? उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिए।

उत्तर =

भारतीय जनता ने चार्ली के उस फिनोमेनन को स्वीकार किया जिसमें नायक स्वयं पर हँसता है। यहाँ उसे इस प्रकार स्वीकार किया गया जैसे बत्तख पानी को स्वीकारती है। भारत में राजकपूर, जानी वाकर, अमिताभ बच्चन, शम्मी कपूर, देवानंद आदि कलाकारों ने ऐसे चरित्र के अभिनय किए। लेखक ने चार्ली का भारतीयकरण राजकपूर को कहा। उनकी फिल्म अवारा सिर्फ ‘द ट्रैप’ का शब्दानुवाद ही नहीं थी, बल्कि चार्ली का भारतीयकरण ही था।

प्रश्न 6:
पश्चिम में बार-बार चार्ली का पुनर्जीवन होता हैं।-कैसे?

उत्तर =

लेखक बताता है कि पश्चिम में चार्ली द्वारा निभाए गए चरित्रों की नकल बार-बार की जाती है। अनेक अभिनेता उसकी तरह नकल करके उसकी कला को नए रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश करते हैं। इस प्रकार चार्ली नए रूप में जन्म लेता रहता है।

प्रश्न  7:
चार्ली के जीवन पर प्रभाव डालने वाली घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
                                             अथवा
बचपन की किन दो घटनाओं ने चार्ली के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला?

उत्तर =

चार्ली के जीवन पर दो घटनाओं का प्रमुख प्रभाव पड़ा, जो निम्नलिखित हैं।

1. एक बार चार्ली बीमार हो गया। उस समय उसकी माँ ने बाइबिल से ईसा मसीह का जीवन चरित्र पढ़कर सुनाया। ईसा के सूली पर पढ़ने के प्रसंग पर माँ बेटे दोनों रोने लगे। इस कथा से उसने करुणा, स्नेह व मानवता का पाठ पढ़ा।

2. दूसरी घटना चार्ली के घर के पास की है। पास के कसाईखाने से एक बार एक भेड़ किसी प्रकार जान बचाकर भाग निकली। उसको पकड़ने के लिए उसके पीछे भागने वाले कई बार फिसलकर सड़क पर गिरे जिसे देखकर दर्शकों ने ठहाके लगाए। इसके बाद भेड़ पकड़ी गई। चाली ने भेड़ के साथ होने वाले व्यवहार का अनुमान लगा लिया। उसका हृदय करुणा से भर गया। करुणा का यही भाव उसकी भावी फ़िल्मों का आधार बना।

प्रश्न 8:
चार्ली की फ़िल्मों की कौन-कौन सी विशेषताएँ हैं?

उत्तर –

लेखक ने चार्ली की फिल्मों की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई हैं।

1. इनमें भाषा का प्रयोग बहुत कम है।

2. इनमें मानवीय स्वरूप अधिक है।

3, चार्ली में सार्वभौमिकता है।

4. वह सदैव चिर युवा या बच्चे जैसा दिखता है।

5. वह किसी भी संस्कृति को विदेशी नहीं लगता।

6. वह सबको अपना स्वरूप लगता है।

प्रश्न 9:
अपने जीवन के अधिकांश हिस्सों में हम क्या होते हैं?

उत्तर –

अपने जीवन के अधिकांश हिस्सों में हम चार्ली के टिली ही होते हैं जिसके रोमांस हमेशा पंक्चर होते रहते हैं। हमारे महानतम क्षणों में कोई भी हमें चिढ़ाकर या लात मारकर भाग सकता है और अपने चरमतम शूरवीर क्षणों में हम क्लैब्य और पलायन के शिकार हो सकते हैं। कभी- कभार लाचार होते हुए जीत भी सकते हैं। मूलतः हम सब चार्ली हैं क्योंकि हम सुपरमैन नहीं हो सकते। सत्ता, शक्ति, बुद्धिमत्ता, प्रेम और पैसे के चरमोत्कर्षों में जब हम आईना देखते हैं तो चेहरा चार्ली-चार्ली हो जाता है।

Read More

Chapter 14 पहलवान की ढोलक | class 12th | Important Questions Hindi Aroh

पहलवान की ढोलक (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)

प्रश्न 1:
“ढोल में तो जैसे पहलवान की जान बसी थी” -‘पहलवान की ढोलक’ पाठ के आधार पर सिद्ध  कीजिए।

उत्तर –

लुट्टन सिंह जब जवानी के जोश में आकर चाँद सिंह नामक पहलवान को ललकार बैठा तो सारा जनसमूह, राजा और पहलवानों का समूह आदि की यह धारणा थी कि यह कच्चा किशोर जिसने कुश्ती कभी सीखी नहीं है, पहले दाँव में ही ढेर हो जाएगा। हालाँकि लुट्न सिंह की नसों में बिजली और मन में जीत का जज्बा उबाल खा रहा था। उसे किसी की परवाह न थी। हाँ, ढोल की थाप में उसे एक एक दाँव पेंच का मार्गदर्शन जरूर मिल रहा था। उसी थाप का अनुसरण करते हुए उसने ‘शेर के बच्चे’ को खूब धोया, उठा-उठाकर पटका और हरा दिया। इस जीत में एकमात्र ढोल ही उसके साथ था। अतः जीतकर वह सबसे पहले ढोल के पास दौड़ा और उसे प्रणाम किया।

प्रश्न 2:
‘पहलवान की ढोलक कहानी के प्रारंभ में चित्रित प्रकृति का स्वरूप कहानी की भयावहता की ओर संकेत करता है। इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर –

कहानी के प्रारंभ में प्रकृति का स्वरूप कहानी की भयावहता की ओर संकेत करता है। रात के भयावह वर्णन में बताया गया है कि चारों तरफ सन्नाटा है। सियारों का क्रंदन व उल्लू की डरावनी आवाज निस्तब्धता को कभी-कभी भंग कर देती थी। गाँव की झोपड़ियों से कराहने और कै करने की आवाज सुनाई पड़ती थी। बच्चे भी कभी-कभी निर्बल कंठों से माँ-माँ पुकारकर रो पड़ते थे। इससे रात्रि की निस्तब्धता में बाधा नहीं पड़ती थी।

प्रश्न 3:
पहलवान लुट्टन के सुख-चैन भरे दिन का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर –

पहलवान लुट्टन के सुख-चैन के दिन तब शुरू हुए जब उसने चाँद सिंह को कुश्ती में हराकर अपना नाम रोशन किया। राजा ने उसे दरबार में रखा। इससे उसकी कीर्ति दूर दूर तक फैल गई। पौष्टिक भोजन व राजा की स्नेह दृष्टि मिलने से उसने सभी नामी पहलवानों को जमीन सुंघा दी। अब वह दर्शनीय जीव बन गया। मेलों में वह लंबा चोंगा पहनकर तथा अस्त-व्यस्त पगड़ी बाँधकर मस्त हाथी की तरह चलता था। हलवाई उसे मिठाई खिलाते थे।

प्रश्न 4
लुट्टन के राज-पहलवान बन जाने के बाद की दिनचर्या पर प्रकाश डालिए।

उत्तर –

लुटून जब राज पहलवान बन गया तो उसकी कीर्ति दूर दूर तक फैल गई। पौष्टिक भोजन मिलने से वह राज दरबार का दर्शनीय जीव बन गया। ठाकुरबाड़े के सामने पहलवान गरजता-‘महावीर। लोग समझ लेते पहलवान बोला। मेलों में वह घुटने तक लंबा चोंगा पहनकर तथा अस्त व्यस्त पगड़ी बाँधकर मतवाले हाथी की तरह चलता था। मेले के दंगल में वह लंगोट पहनकर, शरीर पर मिट्टी मलकर स्वयं को साँड़ या भैसा साबित करता रहता था।

प्रश्न 5:
लुट्टन पहलवान का चरित्र-चित्रण कीजिए।
                              अथवा
‘पहलवान की ढोलक’ पाठ के आधार पर लुट्टन का चरित्र चित्रण कीजिए।

उत्तर =

लुट्न पहलवान के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं।

1. व्यक्तित्व- लुट्टन सिंह लंबा-चौड़ा व ताकतवर व्यक्ति था। वह लंबा चोंगा पहनता था तथा अस्त-व्यस्त पगड़ी बाँधता था। वह इकलौती एवं अनाथ संतान था। अतः उसका पालन-पोषण उसकी विधवा सास ने किया था।

भाग्यहीन-लुट्टन का भाग्य शुरू से ही खराब था। बचपन में माता-पिता गुजर गए। पत्नी युवावस्था में ही चल बसी थी। उसके दोनों लड़के महामारी की भेंट चढ़ गए। इस प्रकार वह सदैव पीड़ित रहा।

साहसी-लुट्टन साहसी था। उसने अपने साहस के बल पर चाँद सिंह जैसे पहलवान को चुनौती दी तथा उसे हराया। उसने ‘काला खाँ’ जैसे पहलवान को भी चित कर दिया। महामारी में भी वह सारी रात ढोल बजाता था।

4. संवेदनशील-लुट्टन में संवेदना थी। वह अपनी सास पर हुए अत्याचारों को सहन नहीं कर सका और पहलवान बन गया। गाँव में महामारी के समय निराशा का माहौल था। ऐसे में वह रात में ढोल बजाकर लोगों में जीने के प्रति उत्साह पैदा करता था।

प्रश्न 6:
‘पहलवान की ढोलक’ कहानी का प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर –

‘पहलवान की ढोलक’ कहानी व्यवस्था के बदलने के साथ लोक-कला और इसके कलाकार के अप्रासंगिक हो जाने को रेखांकित करती है। राजा साहब के मरते ही नयी व्यवस्था ने जन्म लिया। पुराने संबंध समाप्त कर दिए गए। पहलवानी जैसा लोक-खेल समाप्त कर दिया गया। यह ‘भारत’ पर इंडिया’ के छा जाने का प्रतीक है। यह व्यवस्था लोक-कलाकार को भूखा मरने पर मजबूर कर देती है।

प्रश्न 7:
लुट्टन को गाँव वापस क्यों आना पड़ा?

उत्तर =

तत्कालीन राजा कुश्ती के शौकीन थे, परंतु उनकी मृत्यु के बाद विलायत से शिक्षा प्राप्त करके आए राजकुमार ने सत्ता संभाली। उन्होंने राजकाज से लेकर महल के तौर तरीकों में भी परिवर्तन कर दिए। मनोरंजन के साधर्मों में कुश्ती का स्थान घुड़दौड़ ने ले लिया। अतः पहलवानों पर राजकीय खर्च का बहाना बनाकर उन्हें जवाब दे दिया गया। इस कारण लुट्टन को गाँव वापस आना पड़ा।

प्रश्न 8 :
पहलवान के बेटों की मृत्यु पर गाँव वालों की हिम्मत क्यों टूट गई?

उत्तर =

पहलवान के दोनों बेटे गाँव में फैली महामारी की चपेट में आकर चल बसे। इस घटना से गाँव वालों की हिम्मत टूट गई क्योंकि वे पहलवान को अपना सहारा मानते थे। अब उन्हें लगा कि पहलवान अंदर से टूट जाएगा तथा उनकी सहायता करने वाला कोई नहीं रहेगा।

प्रश्न 9:
‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में किस प्रकार पुरानी व्यवस्था और नई व्यवस्था के टकराव से उत्पन्न समस्या को व्यक्त किया गया है? लिखिए।

उत्तर –

‘पहलवान की ढोलक कहानी में पुरानी व्यवस्था और नई व्यवस्था के टकराव से उत्पन्न समस्या यह है-

1. पुरानी व्यवस्था में कलाकारों और पहलवानों को राजाओं का आश्रय एवं संरक्षण प्राप्त था। वे शाही खर्च पर जीवित रहते थे, पर नई व्यवस्था में ऐसा न था।

2. पुरानी व्यवस्था में राज-दरबार और जनता द्वारा इन कलाकारों को मान सम्मान दिया जाता था, पर नई व्यवस्था में उन्हें सम्मान देने का प्रचलन न रहा।

Read More

Chapter 13 काले मेघा पानी दे | class 12th | Important Questions Hindi Aroh

काले मेघा पानी दे (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)

प्रश्न 1:
‘काले मेघा पानी दे’ संस्मरण के लेखक ने लोक – प्रचलित विश्वासों को अंधविश्वास कहकर उनके निराकरण पर बल दिया है। – इस कथन की विवेचना कीजिए ?

उत्तर =

लेखक ने इस संस्मरण में लोक-प्रचलित विश्वास को अंधविश्वास कहा है। पाठ में इंदर सेना के कार्य को वह पाखंड मानता है। आम व्यक्ति इंदर सेना के कार्य को अपने-अपने तर्कों से सही मानता है, परंतु लेखक इन्हें गलत बताता है। इंदर सेना पर पानी फेंकना पानी की क्षति है। जबकि गरमी के मौसम में पानी की भारी कमी होती है। ऐसे ही अंधविश्वासों के कारण देश का बौद्धिक विकास अवरुद्ध होता है। हालाँकि एक बार इन्हीं अंधविश्वास की वजह से देश को एक बार गुलामी का दंश भी झेलना पड़ा।

प्रश्न 2:
‘काले मेघा पानी दे’ पाठ की ‘इंदर सेना’ युवाओं को रचनात्मक कार्य करने की प्रेरणा दे सकती हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर –

इंदर सेना युवाओं को रचनात्मक कार्य करने की प्रेरणा दे सकती है। इंदर सेना सामूहिक प्रयास से इंद्र देवता को प्रसन्न करके वर्षा कराने के लिए कोशिश करती है। यदि युवा वर्ग के लोग समाज की बुराइयों, कमियों के खिलाफ़ सामूहिक प्रयास करें तो देश का स्वरूप अलग ही होगा। वे शोषण को समाप्त कर सकते हैं। दहेज का विरोध करना, आरक्षण का विरोध करना, नशाखोरी के खिलाफ़ आवाज उठाना-आदि कार्य सामूहिक प्रयासों से ही हो सकते हैं।

प्रश्न 3:
यदि आप धर्मवीर भारती के स्थान पर होते तो जीजी के तर्क सुनकर क्या करते और क्यों? ‘काले मेधा पानी दे-पाठ के आधार पर बताइए।

उत्तर –

यदि मैं लेखक के स्थान पर होता तो जीजी का तर्क सुनकर वहीं करता जो लेखक ने किया, क्योंकि तर्क करने से तो जीजी शायद ही कुछ समझ पातीं, उनका दिल दुखता और हमारे प्रति उनका सद्भाव भी घट जाता। लेखक की भाँति मैं भी जीजी के प्यार और सद्भाव को खोना नहीं चाहता। यही कारण है कि आज भी बहुत-सी बेतुकी परंपराएँ हमारे देश को जकड़े हुए हैं।

प्रश्न 4:
‘काले मेघा पानी दे’ पाठ के आधार पर जल और वर्षा के अभाव में गाँव की दशा का वर्णन कजिए।

उत्तर =

गली-मोहल्ला, गाँव-शहर हर जगह लोग गरमी से भुन-भुन कर त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रहे थे। जेठ मास भी अपना ताप फैलाकर जा चुका था और अब तो आषाढ़ के भी पंद्रह दिन बीत चुके थे। कुएँ सूखने लगे थे, नलों में पानी नहीं आता था। खेत की माटी सूख सूखकर पत्थर हो गई थी। पपड़ी पड़कर अब खेतों में दरारें पड़ गई थीं। झुलसा देने वाली लू चलती थी। ढोर-ढंगर प्यास से मर रहे थे, पर प्यास बुझाने के लिए पानी नहीं था। निरुपाय से ग्रामीण पूजा-पाठ में लगे थे। अंत में इंद्र से वर्षा के लिए प्रार्थना करने इंदर सेना भी निकल पड़ी थी।

प्रश्न 5:
दिन-दिन गहराते पानी के संकट से निपटने के लिए क्या आज का युवा वर्ग ‘काले मेघा पानी दे’ की इंदर सेना की तर्ज पर कोई सामूहिक आंदोलन प्रारंभ कर सकता हैं? अपने विचार लिखिए।

उत्तर –

आज के समय पानी के गहरे संकट से निपटने के लिए युवा वर्ग सामूहिक आंदोलन कर सकता है। युवा वर्ग शहर व गाँवों में पानी की फिजूलखर्ची को रोकने के लिए प्रचार आंदोलन कर सकता है। गाँवों में तालाब खुदवा सकता है ताकि वर्षा के जल का संरक्षण किया जा सके। युवा वृक्षारोपण अभियान चला सकता है ताकि वर्षा अधिक हो तथा पानी भी संरक्षित रह सके। वह घर घर में पानी के सही उपयोग की जानकारी दे सकता है।

प्रश्न 6:
ग्रीष्म में कम पानी वाले दिनों में गाँव-गाँव में डोलती मेढ़क-मंडली पर एक बाल्टी पानी उड़ेलना जीजी के विचार से पानी का बीज बोना हैं, कैसे?

उत्तर –

जीजी का मानना है कि गरमी के दिनों में मेंढक-मंडली पर एक बाल्टी पानी उड़ेलना पानी का बीज बोना है। वे कहती हैं कि जब हम किसी को कुछ देंगे तभी तो अधिक लेने के हकदार बनेंगे। इंद्र देवता को पानी नहीं देंगे तो वह हमें क्यों पानी देगा। ऋषि-मुनियों ने भी त्याग व दान की महिमा गाई है। पानी के बीज बोने से काले मेघों की फसल होगी जिससे गाँव, शहर, खेत खलिहानों को खूब पानी मिलेगा।

प्रश्न 7:
जीजी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।

उत्तर –

लेखक ने जीजी के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई हैं।

(क) स्नेहशील- जीजी लेखक को अपने बच्चों से भी अधिक प्यार करती थीं। वे सारे अनुष्ठान, कर्मकांड लेखक से करवाती थीं ताकि उसे पुण्य मिलें।

(ख) आस्थावती-जीजी आस्थावती नारी थीं। वे परंपराओं, विधियों, अनुष्ठानों में विश्वास रखती र्थी तथा श्रद्धा से उन्हें पूरा करती थीं।

(ग) तर्कशीला-जीजी अपनी बात के समर्थन में तर्क देती थीं। उनके तर्कों के सामने आम व्यक्ति पस्त हो जाता था। इंदर सेना पर पानी फेंकने के पक्ष में जो तर्क वे देती हैं, उनका कोई सानी नहीं। लेखक भी उनके समक्ष स्वयं को कमजोर मानता है।

प्रश्न 8:
‘गगरी फूटी बैल पियासा’ का भाव या प्रतीकार्थ देश के संदर्भ में समझाइए।

उत्तर –

‘गगरी फूटी बैल पियासा’ एक ओर जहाँ सूखे की ओर बढ़ते समाज का सजीव एवं मार्मिक चित्रण प्रस्तुत करता है वहीं यह देश की वर्तमान हालत का भी चित्रण करता है। यहाँ गाँव तथा आम लोगों के कल्याणार्थ भेजी अरबों-खरबों की राशि न जाने कहाँ गुम हो जाती है। भ्रष्टाचार का दानव इस समूची राशि को निगल जाता है और आम आदमी की स्थिति वैसी की वैसी ही रह जाती है अर्थात उसकी आवश्यकता रूप प्यास अनबुझी रह जाती है।

प्रश्न 9:
‘काले मेघा पानी दे’ सस्मरण विज्ञान के सत्य पर सहज प्रेम की विजय का चित्र प्रस्तुत करता हैं। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर –

‘काले मेघा पानी दे’ संस्मरण में वर्षा न होना, सूखा पड़ना आदि के विषय में विज्ञान अपना तर्क देता है और वर्षा न होने जैसी समस्या के सही कारणों का ज्ञान कराते हुए हमें सत्य से परिचित कराता है। इस सत्य पर लोक-प्रचलित विश्वास और सहज प्रेम की जीत हुई है क्योंकि लोग इस समस्या का हल अपने-अपने ढंग से ढूँढने में जुट जाते हैं, जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। लोगों में प्रचलित विश्वास इतना पुष्ट है कि वे विज्ञान की बात मानने को तैयार नहीं होते।

प्रश्न 10:
धर्मवीर भारती मेंढ़क-मंडली पर पानी डालना क्यों व्यर्थ मानते थे?

उत्तर –

लेखक धर्मवीर भारती मेंढक-मंडली पर पानी डालना इसलिए व्यर्थ मानते थे क्योंकि चारों ओर पानी की घोर कमी थी। लोग पीने के लिए बड़ी कठिनाई से बाल्टी-भर पानी इकट्ठा करके रखे हुए थे, जिसे वे इस मेढक-मंडली पर फेंक कर पानी की घोर बर्बादी करते हैं। इससे देश की अति होती है। वह पानी को यूँ फेंकना अंधविश्वास के सिवाय कुछ नहीं मानने थे।

प्रश्न 11:
‘काले मघा पानी दे’ में लेखक ने लोक मान्यताओं के पीछ छिपे किस तर्क को उभारा है? आप भी अपने जीवन के अनुभव से किसी अधविश्वास के पीछे छिपे तर्क को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर –

‘काले मेघा पानी दे” में लेखक ने लोक-मान्यताओं के पीछे छिपे उस तर्क को उभारा है, जिसके अनुसार ऐसी मान्यता है कि जब तक हम किसी को कुछ देंगे नहीं, तब तक उससे लेने का हकदार कैसे बन सकते हैं। उदाहरणतया, यदि हम इंद्र देवता को पानी नहीं देंगे तो वे हमें पानी क्यों देंगे। इंदर सेना पर बाल्टी भरकर पानी फेंकना ऐसी ही लोकमान्यता का प्रमाण है। हमारे जीवन के अनुभव से अंधविश्वास के पीछे छिपा तर्क यह है कि यदि काली बिल्ली रास्ता काट जाती है तो अंधविश्वासी लोग कहते हैं कि रुक जाओ, बाद में जाना पर मेरा तर्क यह है कि इसमें कोई सत्यता नहीं है। यह समय को बरबाद करने के अलावा कुछ नहीं है।

प्रश्न 12:
मेढ़क मंडली पर पानी डालने को लेकर लेखक और जीजी के विचारों में क्या भिन्नता थी?

उत्तर –

मेढक मंडली पर पानी डालने को लेकर लेखक का विचार यह था कि यह पानी की घोर बर्बादी है। भीषण गर्मी में जब पानी पीने को नहीं मिलता हो और लोग दूर-दराज से इसे लाए हों तो ऐसे पानी को इस मंडली पर फेंकना देश का नुकसान है। इसके विपरीत, जीजी इसे पानी की बुवाई मानती हैं। वे कहती हैं कि सूखे के समय हम अपने घर का पानी इंदर सेना पर फेंकते हैं, तो यह भी एक प्रकार की बुवाई है। यह पानी गली में बोया जाता है जिसके बदले में गाँवों, शहरों में, कस्बों में बादलों की फसल आ जाती है।

Read More

Chapter 12 बाजार दर्शन | class 12th | Important Questions Hindi Aroh

बाजार दर्शन (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)

प्रश्न 1:
‘बाजार दर्शन’ पाठ के आधार पर बताइए कि पैसे की पावर का रस  किन दो रूपों में प्राप्त किया जाता हैं? 

उत्तर –

पैसे की पावर का रस निम्नलिखित रूप में प्राप्त किया जा सकता है-

1, मकान, संपत्ति, कोठी, कार, सामान आदि देखकर।

2. संयमी बनकर पैसे की बचत करके। इससे मनुष्य पैसे के गर्व से फूला रहता है तथा उसे किसी की सहायता की जरूरत नहीं होती।

प्रश्न 2:
कैसे लोग बाजार से न सच्चा लाभ उठा पाते हैं, न उसे सच्चा लाभ दे सकते हैं? वे “बाजारूपन’ को कैसे बढ़ाते है? 

उत्तर –

लेखक कहता है कि समाज में कुछ लोग क्रय-शक्ति के बल पर बाजार से वस्तुएँ खरीदते हैं, परंतु उन्हें अपनी जरूरत का पता ही नहीं होता। ऐसे लोग बाजार से न सच्चा लाभ उठा पाते हैं, न उसे सच्चा लाभ दे सकते हैं। वे धन के बल पर बाजार में कपट को बढ़ावा देते हैं। वे समाज में असंतोष बढ़ाते हैं। वे सामान्य लोगों के सामने अपनी क्रय-शक्ति का प्रदर्शन करते हैं। वे शान के लिए उत्पाद खरीदते हैं। इस प्रकार से वे बाजारूपन को बढ़ाते हैं।

प्रश्न 3:
बाजार का जादू क्या हैं? उसके चढ़ने-उतरने का मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता हैं? ’बाजार दर्शान’ पाठ के आधार पर उत्तर लिखिए।

उत्तर –

बाजार की तड़क-भड़क और वस्तुओं के रूप-सौंदर्य से जब ग्राहक खरीददारी करने को मजबूर हो जाता है तो उसे बाजार का जादू कहते हैं। बाजार का जादू तब सिर चढ़ता है जब मन खाली हो। मन में निश्चित भाव न होने के कारण ग्राहक हर वस्तु को अच्छा समझता है तथा अधिक आराम व शान के लिए गैर जरूरी चीजें खरीदता है। इस तरह वह जादू की गिरफ्त में आ जाता है। वस्तु खरीदने के बाद उसे पता चलता है कि फ़ैसी चीजें आराम में मदद नहीं करतीं, बल्कि खलल उत्पन्न करती हैं। इससे वह झुंझलाता है, परंतु उसके स्वाभिमान को सेंक मिल जाती है।

प्रश्न 4:
‘बाजार दर्शन’ पाठ का प्रतिपादय बताइए।

उत्तर –

‘बाजार दर्शन’ निबंध में गहरी वैचारिकता व साहित्य के सुलभ लालित्य का संयोग है। कई दशक पहले लिखा गया यह लेख आज भी उपभोक्तावाद व बाजारवाद को समझाने में बेजोड़ है। लेखक अपने परिचितों, मित्रों से जुड़े अनुभव बताते हुए यह स्पष्ट करते हैं कि बाजार की जादुई ताकत मनुष्य को अपना गुलाम बना लेती है। यदि हम अपनी आवश्यकताओं को ठीक-ठीक समझकर बाजार का उपयोग करें तो उसका लाभ उठा सकते हैं। इसके विपरीत, बाजार की चमक-दमक में फँसने के बाद हम असंतोष, तृष्णा और ईर्ष्या से घायल होकर सदा के लिए बेकार हो सकते हैं। लेखक ने कहीं दार्शनिक अंदाज में तो कहीं किस्सागों की तरह अपनी बात समझाने की कोशिश की है। इस क्रम में उन्होंने बाजार का पोषण करने वाले अर्थशास्त्र को अनीतिशास्त्र बताया है।

प्रश्न 5:
‘बाजार दर्शन से क्या अभिप्राय है?

उत्तर =

‘बाजार दर्शन’ से अभिप्राय है-बाजार के बारे में बताना। लेखक ने बाजार की प्रवृत्ति, ग्राहक के प्रकार, आधुनिक ग्राहकों की सोच आदि के बारे में पाठकों को बताया है।

प्रश्न 6:
बाजार का जादू किन पर चलता है और क्यों?

उत्तर =

बाजार का जादू उन लोगों पर चलता है जो खाली मन के होते हैं तथा जेब भरी होती है। ऐसे लोगों को अपनी जरूरत का पता ही नहीं होता। वे ‘पर्चेजिंग पावर’ को दिखाने के लिए अनाप-शनाप वस्तुएँ खरीदते हैं ताकि लोग उन्हें बड़ा समझे। ऐसे व्यक्ति बाजार को सार्थकता प्रदान नहीं करते।

प्रश्न 7:
“पैसा पावर हैं।”  -लेखक ने ऐसा क्यों कहा?

उत्तर –

लेखक ने पैसे को पावर कहा है क्योंकि यह क्रय-शक्ति को बढ़ावा देता है। इसके होने पर ही व्यक्ति नई-नई चीजें खरीदता है। दूसरे, यदि व्यक्ति सिर्फ धन ही जोड़ता रहे तो वह इस बैंक बैलेंस को देखकर गर्व से फूला रहता है। पैसे से समाज में व्यक्ति का स्थान निर्धारित होता है। इसी कारण लेखक ने पैसे को पावर कहा है।

प्रश्न 8:
भगत जी बाजार की सार्थक व समाज की शांत केसे कर रहें हैं?’ बाजार दर्शन’ पाठ के आधार पर बताइए?

उत्तर =

भगत जी निम्नलिखित तरीके से बाजार को सार्थक व समाज को शांत कर रहे हैं-

1, वे निश्चित समय पर चूरन बेचने के लिए निकलते हैं।

2. छह आने की कमाई होते ही बचे चूरन को बच्चों में मुफ़्त बाँट देते हैं।

3. बाजार में जीरा व नमक खरीदते हैं।

4. सभी का अभिवादन करते हैं।

5. बाजार के आकर्षण से दूर रहते हैं।

6. अपने चूर्ण का व्यावसायिक तौर पर उत्पादन नहीं करते।

प्रश्न 9:
खाली मन तथा भरी जेब से लेखक का क्या आशय है? ये बातें बाजार को कैसे प्रभावित करती हैं?

उत्तर –

‘खाली मन तथा भरी जेब’ से लेखक का आशय है – मन में किसी निश्चित वस्तु को खरीदने की इच्छा न होना या वस्तु की आवश्यकता न होना। परंतु जब जेबें भरी हो तो व्यक्ति आकर्षण के वशीभूत होकर वस्तुएँ खरीदता है। इससे बाजारवाद को बढ़ावा मिलता है।

प्रश्न 10:
‘बाजार दर्शन’ पाठ के आधार पर ‘पैसे की व्यग्य शक्ति’ कथन को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर = पैसे में व्यंग्य शक्ति होती है। पैदल व्यक्ति के पास से धूल उड़ाती मोटर चली जाए तो व्यक्ति परेशान हो उठता है। वह अपने जन्म तक को कोसता है। परंतु यह व्यंग्य चूरन वाले व्यक्ति पर कोई असर नहीं करता। लेखक ऐसे बल के विषय में कहता है कि यह कुछ अपर जाति को तत्व है। कुछ लोग इसे आत्मिक, धार्मिक व नैतिक कहते हैं।

प्रश्न 11:
‘बाजार दर्शन’ पाठ के आधार पर बाजार का जादू चढ़ने और उतरने का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर =

‘बाजार दर्शन’ पाठ के आधार पर बाजार का जादू चढ़ने और उतरने का आशय है बाजार की तड़क-भड़क और रूप-सौंदर्य से जब ग्राहक खरीददारी करने को मजबूर हो जाता है तो उसे बाजार का जादू कहते हैं। बाजार का जादू तब सिर चढ़ता है जब मन खाली हो। मन में निश्चित भाव न होने के कारण ग्राहक हर वस्तु को अच्छा समझता है तथा अधिक आराम व शान के लिए गैर-जरूरी चीजें खरीदता है। इस तरह वह जादू की गिरफ्त में आ जाता है। वस्तु खरीदने के बाद उसे पता चलता है कि फैंसी चीजें आराम में मदद नहीं करतीं, बल्कि खलल उत्पन्न करती हैं।

Read More

Chapter 11 भक्तिन | class 12th | Important Questions Hindi Aroh

भक्तिन (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)

प्रश्न 1
भक्तिन पाठ के अधार पर भक्तिन का चरित्र चित्रण कीजिए।
                               अथवा
भक्तिन के चरित्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
                               अथवा
पाठ के आधार पर भक्तिन की तीन विशेषताएँ बताइए।

उत्तर –

‘भक्तिन’ लेखिका की सेविका है। लेखिका ने उसके जीवन संघर्ष का वर्णन किया है। उसके चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं?

i. व्यक्तित्व-भक्तिन अधेड़ उम्र की महिला है। उसका कद छोटा व शरीर दुबला-पतला है। उसके होंठ पतले हैं तथा आँखें छोटी हैं।

ii. परिश्रमी-भक्तिन कर्मठ महिला है। ससुराल में वह बहुत मेहनत करती है। वह घर, खेत, पशुओं आदि का सारा कार्य अकेले करती है। लेखिका के घर में भी वह उसके सारे कामकाज को पूरी कर्मठता से करती है। वह लेखिका के हर कार्य में सहायता करती है।

iii. स्वाभिमानिनी- भक्तिन बेहद स्वाभिमानिनी है। पिता की मृत्यु पर विमाता के कठोर व्यवहार से उसने मायके जाना छोड़ दिया। पति की मृत्यु के बाद उसने किसी का पल्ला नहीं थामा तथा स्वयं मेहनत करके घर चलाया। जमींदार द्वारा अपमानित किए जाने पर वह गाँव छोड़कर शहर आ गई।

iv. महान सेविका भक्तिन में सच्चे सेवक के सभी गुण हैं। लेखिका ने उसे हनुमान जी से स्पर्धा करने वाली बताया है। वह छाया की तरह लेखिका के साथ रहती है तथा उसका गुणगान करती है। वह उसके साथ जेल जाने के लिए भी तैयार है। वह युद्ध, यात्रा आदि में हर समय उसके साथ रहना चाहती है।

प्रश्न 2:
भक्तिन की पारिवारिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिये?

उत्तर =

भक्तिन झुंसी गाँव के एक गोपालक की इकलौती संतान थी। इसकी माता का देहांत हो गया था। फलतः भक्तिन की देखभाल विमाता ने किया। पिता का उस पर अगाध स्नेह था। पाँच वर्ष की आयु में ही उसका विवाह हँडिया गाँव के एक ग्वाले के सबसे छोटे पुत्र के साथ कर दिया गया। नौ वर्ष की आयु में उसका गौना हो गया। विमाता उससे ईष्या रखती थी। उसने उसके पिता की बीमारी का समाचार तक उसके पास नहीं भेजा।

प्रश्न 3:
भक्तिन के ससुराल वालों का व्यवहार कैसा था?

उत्तर –

भक्तिन के ससुराल वालों का व्यवहार उसके प्रति अच्छा नहीं था। घर की महिलाएँ चाहती थीं कि भक्तिन का पति उसकी पिटाई करे। वे उस पर रौब जमाना चाहती थीं। इसके अतिरिक्त, भक्तिन ने तीन कन्याओं को जन्म दिया, जबकि उसकी सास व जेठानियों ने लड़के पैदा किए थे। इस कारण उसे सदैव प्रताड़ित किया जाता था। पति की मृत्यु के बाद उन्होंने भक्तिन पर पुनर्विवाह के लिए दबाव डाला। उसकी विधवा लड़की के साथ जबरदस्ती की। अंत में, भक्तिन को गाँव छोड़ना पड़ा।

प्रश्न 4 :
भक्तिन का जीवन सदैव दुखों से भरा रहा। स्पष्ट कीजिए ?

उत्तर =

भक्तिन का जीवन प्रारंभ से ही दुखमय रहा। बचपन में ही माँ गुजर गई। विमाता से हमेशा भेदभावपूर्ण व्यवहार मिला। विवाह के बाद तीन लड़कियाँ उत्पन्न करने के कारण उसे सास व जेठानियों का दुर्व्यवहार सहना पड़ा। किसी तरह परिवार से अलग होकर समृद्धि पाई, परंतु भाग्य ने उसके पति को छीन लिया। ससुराल वालों ने उसकी संपत्ति छीननी चाही, परंतु वह संघर्ष करती रही। उसने बेटियों का विवाह किया तथा बड़े जमाई को घर-जमाई बनाया। शीघ्र ही उसका देहांत हो गया। इस तरह उसका जीवन शुरू से अंत तक दुखों से भरा रहा।

प्रश्न 5 :
लछमिन के पैरों के पंख गाँव की सीमा में आते ही क्यों झड़ गए?

उत्तर =

लछमिन की सास का व्यवहार सदैव कटु रहा। जब उसने लछमिन को मायके यह कहकर भेजा कि “तुम बहुत दिन से मायके नहीं गई हो, जाओ देखकर आ जाओ” तो यह उसके लिए अप्रत्याशित था। उसके पैरों में पंख से लग गए थे। खुशी खुशी जब वह मायके के गाँव की सीमा में पहुँची तो लोगों ने फुसफुसाना प्रारंभ कर दिया कि ‘हाय! बेचारी लछमिन अब आई है। लोगों की नजरों से सहानुभूति झलक रही थी। उसे इस बात का अहसास नहीं था कि उसके पिता की मृत्यु हो चुकी है या वे गंभीर बीमार थे। विमाता ने उसके साथ अन्याय किया था। इसलिए वह हतप्रभ थी। उसकी तमाम खुशी समाप्त हो गई।

प्रश्न 6:
लछमिन ससुराल वालों से अलग क्यों हुई? इसका क्या परिणाम हुआ?

उत्तर –

लछमिन मेहनती थी। तीन लड़कियों को जन्म देने के कारण सास व जेठानियाँ उसे सदैव प्रताड़ित करती रहती थीं। वह व उसके बच्चे घर, खेत व पशुओं का सारा काम करते थे, परंतु उन्हें खाने तक में भेदभावपूर्ण व्यवहार का सामना करना पड़ता था। लड़कियों को दोयम दर्जे का खाना मिलता था। उसकी दशा नौकरों जैसी थी। अतः उसने ससुराल वालों से अलग होकर रहने का फैसला किया। अलग होते रामय उसने अपने ज्ञान के कारण खेत, पशु घर आदि में अच्छी चीजें ले लीं। परिश्रम के बलबूते पर उसका घर समृद्ध हो गया।

प्रश्न 7:
भक्तिन व लेखिका के बीच कैसा संबंध था?

उत्तर –

लेखिका व भक्तिन के बीच बाहरी तौर पर सेवक-स्वामी का संबंध था, परंतु व्यवहार में यह लागू नहीं होता था। महादेवी उसकी कुछ आदतों से परेशान थीं, जिसकी वजह से यदा कदा उसे घर चले जाने को कह देती थीं। इस आदेश को वह हँसकर टाल देती थी। दूसरे, वह नौकरानी कम, जीवन की धूप व अधिक थी। वह लेखिका की छाया बनकर घूमती थी। वह आने जाने वाले, अंधेरे-उजाले और आँगन में फूलने वाले गुलाब व आम की तरह पृथक अस्तित्व रखती तथा हर सुख-दुख में लेखिका के साथ रहती थी।

प्रश्न 8:
लेखिका के परिचित के साथ भक्तिन कैसा व्यवहार करती थी?

उत्तर =

लेखिका के पास अनेक साहित्यिक बंधु आते रहते थे, परंतु भक्तिन के मन में उनके लिए कोई विशेष सम्मान नहीं था। वह उनके साथ वैसा ही व्यवहार करती थी जैसा लेखिका करती थी। उसके सम्मान की भाषा, लेखिका के प्रति उनके सम्मान की मात्रा पर निर्भर होती थी और सद्भाव उनके प्रति लेखिका के सद्भाव से निश्चित होता था। भक्तिन उन्हें आकार-प्रकार व वेश-भूषा से स्मरण रखती थी या किसी को नाम के अपभ्रंश द्वारा। कवि तथा कविता के संबंध में उसका ज्ञान बढ़ा है, पर आदरभाव नहीं।

प्रश्न 9;
भक्तिन के आने से लेखिका अपनी असुविधाएँ क्यों छिपाने लगीं?

उत्तर –

भक्तिन के आने से लेखिका के खान-पान में बहुत परिवर्तन आ गए। उसे मीठा, घी आदि पसंद था। उसके स्वास्थ्य को लेकर उसके परिवार वाले भी चिंतित रहते थे। घर वालों ने उसके लिए अलग खाने की व्यवस्था कर दी थी। अब वह मीठे व घी से विरक्ति करने लगी थी। यदि लेखिका को कोई असुविधा होती भी थी तो वह उसे भक्तिन को नहीं बताती थी। भक्तिन ने उसे जीवन की सरलता का पाठ पढ़ा दिया।

प्रश्न 10;
लछमिन को शहर क्यों जाना पड़ा?

उत्तर –

लछमिन के बड़े दामाद की मृत्यु हो गई। उसके स्थान पर परिवार वालों ने जिठौत के साले को जबरदस्ती विधवा लड़की का पति बनवा दिया। पारिवारिक द्वैष बढ़ने से खेती-बाड़ी चौपट हो गई। स्थिति यहाँ तक आ गई कि लगान भी नहीं चुकाया गया। जब जमींदार को लगान न पहुँचा और भक्तिन को दिनभर की धूप में खड़ा रखा तो उसके स्वाभिमानी हृदय को गहरा आघात लगा। यह उसकी कर्मठता के लिए सबसे बड़ा कलंक बन गया। इस अपमान के कारण वह दूसरे ही दिन कमाई के विचार से शहर आ गई।

प्रश्न 11:
कारागार के नाम से भक्तिन पर क्या प्रभाव पड़ता था?

उत्तर =

भक्तिन को कारागार से बहुत भय लगता था। वह उसे यमलोक के समान समझती थी। कारागार की ऊँची दीवारों को देखकर वह चकरा जाती थी। जब उसे पता चला कि महादेवी जेल जा रही हैं तो वह उनके साथ जेल जाने के लिए तैयार हो गई। वह महादेवी के बिना अलग रहने की कल्पना मात्र से परेशान हो उठती थी।

प्रश्न 12:
महादेवी ने भक्ति के जीवन को कितने परिच्छेदों में बाँटा?

उत्तर –

महादेवी ने भक्ति के जीवन को चार परिच्छेदों में बाँटा जो निम्नलिखित हैं –

प्रथम – विवाह से पूर्व।

द्वितीय – ससुराल में सधवा के रूप में।

तृतीय – विधवा के रूप में।

चतुर्थ – महादेवी की सेवा में।

प्रश्न 13:
भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा पति क्यों थोपा गया? इस घटना के विरोध में दो तर्क दीजिए। 

उत्तर =

भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा पति इसलिए थोपा गया क्योंकि भक्तिन की विधवा बेटी के साथ उसके ताऊ के लड़के के साले ने जबरदस्ती करने की कोशिश की थी। लड़की ने उसकी खूब पिटाई की परंतु पंचायत ने कोई भी तर्क न सुनकर एकतरफा फसला सुना दिया। इसके विरोध में दो तर्क निम्नलिखित हैं –

1. महिला के मानवाधिकार का हनन होता है।

2. योग्य लड़की का विवाह अयोग्य लड़के के साथ हो जाता है।

प्रश्न 14:
‘भक्तिन’ अनेक अवगुणों के होते हुए भी महादेव जी के लिए अनमोल क्यों थी?

उत्तर =

अनेक अवगुणों के होते हुए भी भक्तिन महादेवी वर्मा के लिए इसलिए अनमोल धी क्योंकि

1. भक्तिन में सेवाभाव कूट-कूटकर भरा था।

2. भक्तिन लेखिका के हर कष्ट को स्वयं झेल लेना चाहती थी।

3, वह लेखिका द्वारा पैसों की कमी का जिक्र करने पर अपने जीवनभर की कमाई उसे दे देना चाहती थी।

4. भक्तिन की सेवा और भक्तिन में नि:स्वार्थ भाव था। वह अनवरत और दिन-रात लेखिका की सेवा करना चाहती थी।

Read More

Chapter 2 पतंग | class 12th | Important Questions Hindi Aroh

Chapter 2 पतंग (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)

प्रश्न 1:पतंग कविता का प्रतिपाद्य बताइए।

उत्तर –

इस कविता में कवि ने बालसुलभ इच्छाओं व उमंगों का सुंदर वर्णन किया है। पतंग बच्चों की उमंग व उल्लास का रंगबिरंगा सपना है। शरद ऋतु में मौसम साफ़ हो जाता है। चमकीली धूप बच्चों को आकर्षित करती है। वे इस अच्छे मौसम में पतंगें उड़ाते हैं। आसमान में उड़ती हुई पतंगों को उनका बालमन छूना चाहता है। वे भय पर विजय पाकर गिर गिर कर भी सँभलते रहते हैं। उनकी कल्पनाएँ पतंगों के सहारे आसमान को पार करना चाहती हैं। प्रकृति भी उनका सहयोग करती है, तितलियाँ उनके सपनों की रंगीनी को बढ़ाती हैं।

प्रश्न 2:शरद ऋतु और भादों में अंतर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर –

भादों के महीने में काले-काले बादल घुमड़ते हैं और तेज बारिश होती है। बादलों के कारण अँधेरा-सा छाया रहता है। इस मौसम में जीवन रुक-सा जाता है। इसके विपरीत, शरद ऋतु में रोशनी बढ़ जाती है। मौसम साफ़ होता है, धूप चमकीली होती है और चारों तरफ उमंग का माहौल होता है।

प्रश्न 3:शरद का आगमन किसलिए होता है?

उत्तर =

शरद का आगमन बच्चों की खुशियों के लिए होता है। वे पतंग उड़ाते हैं। वे दुनिया की सबसे पतली कमानी के साथ सबसे हलकी वस्तु को उड़ाना शुरू करते हैं।

प्रश्न 4बच्चों के बारे में कवि ने क्या-क्या बताया हैं?

उत्तर –

बच्चों के बारे में कवि बताता है कि वे कपास की तरह नरम व लचीले होते हैं। वे पतंग उड़ाते हैं तथा झुंड में रहकर सीटियाँ बजाते हैं। वे छतों पर बेसुध होकर दौड़ते हैं तथा गिरने पर भयभीत नहीं होते। वे पतंग के साथ मानो स्वयं भी उड़ने लगते हैं।

प्रश्न 5:प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने ‘सबसे’ शब्द का प्रयोग कई बार किया हैं, क्या यह सार्थक हैं?

उत्तर –

कवि ने हलकी, रंगीन चीज, कागज, पतली कमानी के लिए ‘सबसे’ शब्द का प्रयोग सार्थक ढंग से किया है। कवि ने यह बताने की कोशिश की है कि पतंग के निर्माण में हर चीज हलकी होती है क्योंकि वह तभी उड़ सकती है। इसके अतिरिक्त वह पतंग को विशिष्ट दर्जा भी देना चाहता है।

प्रश्न 6:किन-किन शब्दों का प्रयोग करके कवि ने इस कविता को जीवत बना दिया हैं?

उत्तर –

– तेज़ बौछारें गई – भादों गया।

– नयी चमकीली तेज साइकिल – चमकीले इशारे

– अपने साथ लाते हैं कपास – छतों को भी नरम बनाते हुए

प्रश्न 7:’किशोर और युवा वर्ग समाज के मार्गदर्शक हैं।’ -‘पतंग’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर =

कवि ने ‘पतंग’ कविता में बच्चों के उल्लास व निर्भीकता को प्रकट किया है। यह बात सही है कि किशोर और युवा वर्ग उत्साह से परिपूर्ण होते हैं। किसी कार्य को वे एक धुन से करते हैं। उनके मन में अनेक कल्पनाएँ होती हैं। वे इन कल्पनाओं को साकार करने के लिए मेहनत करते हैं। समाज में विकास के लिए भी इसी एकाग्रता की जरूरत है। अत: किशोर व युवा वर्ग समाज के मार्गदर्शक हैं।

Read More

Chapter 3 कविता के बहाने, बात सीधी थी पर | class 12th | Important Questions Hindi Aroh

कविता के बहाने (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)

प्रश्न 1:’कविता के बहाने कविता का प्रतिपाद्य बताइए।

उत्तर –

कविता एक यात्रा है जो चिड़िया, फूल से लेकर बच्चे तक की है। एक ओर प्रकृति है। दूसरी ओर भविष्य की ओर कदम बढ़ाता बच्चा। कवि कहता है कि चिड़िया की उड़ान की सीमा है, फूल के खिलने के साथ उसकी परिणति निश्चित है, लेकिन बच्चे के सपने असीम हैं। बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का कोई स्थान नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है और शब्दों के इस खेल में जड़, चेतन, अतीत, वर्तमान और भविष्य सभी उपकरण मात्र हैं। इसीलिए जहाँ कहीं रचनात्मक ऊर्जा होगी, वहाँ सीमाओं के बंधन खुद ब खुद टूट जाएँगे। वह सीमा चाहे घर की हो, भाषा की हो या समय की ही क्यों न हो।

प्रश्न 2:’कविता के बहाने’ कविता के कवि की क्या आशंका हैं और क्यों?

उत्तर –

इस कविता में कवि को कविता के अस्तित्व के बारे में संदेह है। उसे आशंका है कि औद्योगीकरण के कारण मनुष्य यांत्रिक होता जा रहा है। उसके पास भावनाएँ व्यक्त करने या सुनने का समय नहीं है। प्रगति की अंधी दौड़ से मानव की कोमल भावनाएँ समाप्त होती जा रही हैं। अतः कवि को कविता का अस्तित्व खतरे में दिखाई दे रहा है।

प्रश्न 3:फूल और चिड़िया को कविता की क्या-क्या जानकारियाँ नहीं हैं। ‘कविता के बहाने’ कविता के आधार पर बताइए।

उत्तर –

फूल और चिड़िया को कविता की निम्नलिखित जानकारियाँ नहीं हैं।

1. फूल को कविता के खिलने का पता नहीं है। फूल एक समयावधि में मुरझा जाते हैं, परंतु कविता के भाव सदा खुशबू बिखेरते रहती है।

2. चिड़िया की उड़ान ससीम होती है, परंतु दूसरी तरफ कविता की उड़ान असीम होती है।

प्रश्न 4.’कविता के बहाने’ के आधार पर कविता के असीमित अस्तित्व को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर =

‘कविता के बहाने’ में कविता का असीमित अस्तित्व प्रकट करने के लिए कवि ने चिड़िया की उड़ान का उदाहरण दिया है। वह कहता है कि चिड़िया की उड़ान सीमित होती है किंतु कविता की कल्पना का दायरा असीमित होता है। चिड़िया घर के अंदर-बाहर या एक घर से दूसरे घर तक उड़ती है, परंतु कविता की उड़ान व्यापक होती है। कवि के भावों की कोई सीमा नहीं है। कविता घर घर की कहानी कहती है। वह पंख लगाकर हर जगह उड़ सकती है। उसकी उड़ान चिड़िया की उड़ान से कहीं आगे है।

बात सीधी थी पर … (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)

प्रश्न 1:
‘बात सीधी थी पर’ का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
                       अथवा
‘बात सीधी थी पर’ कविता का संदेश स्पष्ट कीजिए।

उत्तर –

इस कविता में कवि ने कथ्य और माध्यम के द्वंद्व को उकेरा है तथा भाषा की सहजता की बात कही है। हर बात के लिए कुछ खास शब्द नियत होते हैं, ठीक वैसे ही जैसे हर पेंच के लिए एक निश्चित खाँचा होता है। अब तक हम जिन शब्दों को एक-दूसरे के पर्याय के रूप में जानते रहे हैं, उन सबके भी अपने विशेष अर्थ होते हैं। अच्छी बात या अच्छी कविता का बनना सही बात का सही शब्द से जुड़ना होता है। और जब ऐसा होता है तो किसी दबाव या मेहनत की जरूरत नहीं होती, वह सहूलियत के साथ हो जाता है।

प्रश्न 2:
कवि के अनुसार कोई बात पेचीदा कैसे हो जाती हैं?

उत्तर –

कवि कहता है कि जब अपनी बात को सहज रूप से न कहकर तोड़-मरोड़कर या घुमा-फिराकर कहने का प्रयास किया जाता है तो बात उलझती चली जाती है। ऐसी बातों के अर्थ श्रोता या पाठक समझ नहीं पाता। इस तरीके से बात पेचीदा हो जाती है।

प्रश्न 3:
प्रशंसा का व्यक्ति पर क्या प्रभाव पड़ता हैं? ‘बात सीधी थी पर’ कविता के आधार पर बताइए।

उत्तर –

प्रशंसा से व्यक्ति स्वयं को सही व उच्च कोटि का मानने लगता है। वह गलत-सही का निर्णय नहीं कर पाता। उसका विवेक कुंठित हो जाता है। कविता में प्रशंसा मिलने के कारण कवि अपनी सहज बात को शब्दों के जाल में उलझा देता है। फलतः उसके भाव जनता तक नहीं पहुँच पाते।

प्रश्न 4;
कवि को पसीना आने का क्या कारण था?

उत्तर –

कवि अपनी बात को प्रभावशाली भाषा में कहना चाहता था। इस चक्कर में वह अपने लक्ष्य से भटककर शब्दों के आडंबर में उलझ गया। भाषा के चक्कर से वह अपनी बात को निकालने की कोशिश करता है, परंतु वह नाकाम रहता है। बार बार कोशिश करने के कारण उसे पसीना आ जाता है।

प्रश्न 5
कवि ने कथ्य को महत्व दिया है अथवा भाषा को ‘बात सीधी थी पर’ के आधार पर तर्कसम्मत उत्तर दीजिए।

उत्तर –

‘बात सीधी थी पर’ कविता में कवि ने कथ्य को महत्व दिया है। इसका कारण यह है कि सीधी और सरल बात को कहने के लिए जब कवि ने चमत्कारिक भाषा में कहना चाहा तो भाषा के चक्कर में भावों की सुंदरता नष्ट हो गई। भाषा के उलट-फेर में पड़ने के कारण उसका कथ्य भी जटिल होता गया।

प्रश्न 6:
‘बात सीधी थी पर’ कविता में भाषा के विषय में व्यंग्य करके कवि क्या सिद्ध करना चाहता है?

उत्तर –

‘बात सीधी थी पर’ कविता में कवि ने भाषा के विषय में व्यंग्य करके यह सिद्ध करना चाहा है कि लोग किसी बात को कहने के क्रम में भाषा को सीधे, सरल और सहज शब्दों में न कहकर तोड़ मरोड़कर, उलटपलटकर, शब्दों को घुमा फिराकर कहते हैं, जिससे भाषा क्लिष्ट होती जाती है और बात बनने की बजाय बिगड़ती और उलझती चली जाती है। इससे हमारा कथ्य और भी जटिल होता जाता है क्योंकि बात सरल बनने की जगह पेचीदी बन जाती है।

Read More

Chapter 4 कैमरे में बंद अपाहिज | class 12th | Important Questions Hindi Aroh

कैमरे में बंद अपाहिज (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)

प्रश्न 1:
कैमरे में बंद अपाहिज कविता के व्यंग्य पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर –

इस कविता में कवि ने मीडिया की ताकत के बारे में बताया है। मीडिया अपने कार्यक्रम के प्रचार में धन कमाने के लिए किसी की करुणा को भी बेच सकता है। वह ऐसे कार्यक्रमों का निर्माण समाज सेवा के नाम पर करता है परंतु उसे इस कार्यव्यापार में न तो अपाहिज से सहानुभूति होती है और न ही उनके मान सम्मान की चिंता। वह सिर्फ अपने कार्यक्रम को रोधक बनाना जानता है। रोधक बनाने के लिए वह ऊट-पटांग प्रश्न पूछता है और पीड़ित की पीड़ा को बढ़ा-चढ़ाकर बताता है।

प्रश्न : 2
‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता को आप करुणा की कविता मानते हैं या क्रूरता की? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।

उत्तर –

इस कविता को हम क्रूरता की कविता मानते हैं। यह कविता मीडिया के व्यापार व कार्यशैली पर व्यंग्य करती है। दूरदर्शन कमजोर व अशक्त वर्ग के दुख को बढ़ा चढ़ाकर समाज के सामने प्रस्तुत करता है। वह कमजोर वर्ग की सहायता नहीं करता, अपितु अपने कार्यक्रम के जरिये वह स्वयं को समाज-हितैषी सिद्ध करना चाहता है। अतः यह कविता पूर्णतः मीडिया की क्रूर मानसिकता को दर्शाती है।

प्रश्न 3:
कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रश्नकर्ता की मानसिकता कैसी होती हैं?

उत्तर =

कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रश्नकर्ता की मानसिकता अपाहिज को रुलाने की होती है। वह सोचता है कि अपंग के साथ-साथ यदि दर्शक भी रोने लगेंगे तो उनकी सहानुभूति चैनल को मिल जाएगी। इससे उसे धन व प्रसिद्धि का लाभ मिलेगा।

प्रश्न 4:
‘यह अवसर खो देंगे?’ पक्ति का क्या तात्पर्य हैं?

उत्तर =

प्रश्नकर्ता विकलांग से तरह-तरह के प्रश्न करता है। वह उससे पूछता है कि आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है? ऐसे प्रश्नों के उत्तर प्रश्नकर्ता को तुरंत चाहिए। यह दिव्यांग के लिए सुनहरा अवसर है कि वह अपनी पीड़ा को समाज के सामने व्यक्त करे। ऐसा करने से लोगों की सहानुभूति व सहायता मिल सकती है। यह पंक्ति मीडिया की कार्यशैली व व्यापारिक मानसिकता पर करारा व्यंग्य है।

प्रश्न : 5
दूरदर्शन वाले कैमरे के सामने कमजोर को ही क्यों लाते हैं।

उत्तर –

दूरदर्शन वाले जानते हैं कि समाज में कमजोर व अशक्त लोगों के प्रति करुणा का भाव होता है। लोग दूसरे के दुख के बारे में जानना चाहते हैं। दूरदर्शन वाले इसी भावना का फायदा उठाना चाहते हैं तथा अपने लाभ के लिए ऐसे कार्यक्रम बनाते हैं।

प्रश्न 6
अपाहिज अपने दुख के बारे में क्यों नहीं बता पाता?

उत्तर =

प्रश्नकर्ता अपाहिज से उसके विकलांगपन व उससे संबंधित दुखों के बारे में बार-बार पूछता है, परंतु अपाहिज उनके उत्तर नहीं दे पाता। वास्तविकता यह है कि उसे अपाहिजपन से उतना कष्ट नहीं है जितना उसके कष्ट को बढ़ाचढ़ाकर बताया जाता है। प्रश्नकर्ता के प्रश्न भी अस्पष्ट होते हैं तथा जितनी शीघ्रता से प्रश्नकर्ता जवाब चाहता है, उतनी तीव्र मानसिकता अपाहिज की नहीं है। उसने इस कमी को स्वीकार कर लिया है लेकिन वह अपना प्रदर्शन नहीं करना चाहता।

प्रश्न 7:
‘कैमरे में बंद अपाहिज’ शीर्षक की उपयुक्तता सिद्ध कीजिए।

उत्तर –

यह शीर्षक कैमरे में बंद यानी कैमरे के सामने लाचार व बेबस अपाहिज की मनोदशा का सार्थक प्रतिनिधित्व करता है। वस्तुतः यह दूरदर्शन के कार्यक्रम संचालकों की मानसिकता पर व्यंग्य है। कार्यक्रम बनाने वाले अपने लाभ के लिए अपाहिज को भी प्रदर्शन की वस्तु बना देते हैं। वे दूसरे की पीड़ा बेचकर धन कमाते हैं। अतः यह शीर्षक सर्वथा उपयुक्त है।

प्रश्न 8:
‘कैमरे में बद अपाहिज’ कविता के प्रतिपाद्य के विषय में अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर –

‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में शारीरिक अक्षमता की पीड़ा झेल रहे व्यक्ति की पीड़ा को जिस अमानवीय ढंग से दर्शकों तक पहुँचाया जाता है वह कार्यक्रम के निर्माता और प्रस्तुतकर्ता की संवदेनहीनता की पराकाष्ठा है। वे पीड़ित व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुँचाते हुए उसे बेधने का प्रयास करते हुए दिखाई देते हैं। यहाँ भी उनकी पैसा कमाने की सोच दिखती है।

प्रश्न : 9
प्रश्नकर्ता अपाहिज की फूली हुई आँखों की तसवीर बड़ी क्यों दिखाना चाहता हैं?

उत्तर =

प्रश्नकर्ता अपाहिज की फूली हुई आँखों की तस्वीर इसलिए दिखाना चाहता है ताकि दर्शक इसके दुख से दुखी हों। दर्शकों के मन में उसके प्रति सहानुभूति उत्पन्न हो सके। ऐसे में शायद दर्शकों की आँखों में आँसू भी आ जाएँ, जिससे उसका कार्यक्रम लोकप्रिय हो जाए। अतः वह दिव्यांग के दुख को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना चाहता है।

प्रश्न 10:
‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता कुछ लोगों की संवेदनहीनता प्रकट करती हैं, कैसे?

उत्तर =

‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता कुछ लोगों की संवेदनहीनता इसलिए प्रकट करती है क्योंकि ऐसे लोग धन कमाने एवं अपने कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार के लिए दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुँचाते हैं और किसी की करुणा बेचकर अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं। ऐसे लोग अपाहिजों से सहानुभूति नहीं रखते बल्कि वे अपने कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए उलटे-सीधे प्रश्न पूछते हैं।

Read More

Chapter 5 सहर्ष स्वीकारा है | class 12th | Important Questions Hindi Aroh

सहर्ष स्वीकारा है (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)

1. कवि के जीवन में ऐसा क्या-क्या है जिसे उसने सहर्ष स्वीकारा है?

उत्तर-

कवि ने जीवन के सुख-दुख की अनुभूतियों को सहर्ष स्वीकारा है। उसके पास गर्वीली गरीबी है, जीवन के गहरे अनुभव हैं, विचारों का वैभव, भावनाओं की बहती सरिता है, व्यक्तित्व की दृढ़ता है तथा प्रिय का प्रेम है। ये सब उसकी प्रियतमा को पसंद हैं, इसलिए उसे ये सब सहर्ष स्वीकार हैं।

2. मुक्तिबोध की कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि कवि ने किसे सहर्ष स्वीकारा था। आगे चलकर वह उसी को क्यों भूलना चाहता था? 

उत्तर-

कवि ने अपने जीवन में सुखद-दुखद, कटु, मधुर, व्यक्तित्व की दृढ़ता व मीठे-तीखे अनुभव आदि को सहर्ष स्वीकारा है क्योंकि वह इन सब को अपनी प्रियतमा के साथ जुड़ा पाता है। कवि का जीवन प्रियतमा के स्नेह से आच्छादित है। वह अतिशय भावुकता व संवेदनशीलता से तंग आ चुका है। इससे छुटकारा पाने के लिए वह विस्मृति के अंधकार में खो जाना चाहता है।

3. ‘सहर्ष स्वीकारा हैं’ के कवि ने जिस चाँदनी को सहर्ष स्वीकारा था, उससे मुक्ति पाने के लिए वह अंग-अंग में अमावस की चाह क्यों कर रहा है? 

उत्तर-

कवि अपनी प्रियतमा के अतिशय स्नेह, भावुकता के कारण परेशान हो गया। अब वह अकेले जीना चाहता है ताकि मुसीबत आने पर उसका सामना कर सके। वह आत्मनिर्भर बनना चाहता है। यह तभी हो सकता है, जब वह प्रियतमा के स्नेह से मुक्ति पा सके। अतः वह अपने अंग- अंग में अमावस की चाह कर रहा है ताकि प्रिया के स्नेह को भूल सके।

4. ‘सहर्ष स्वीकारा है’ कविता का प्रतिपाद्य बताइए।

उत्तर-

‘सहर्ष स्वीकारा है’ कविता गजानन माधव मुक्तिबोध के काव्य-संग्रह ‘भूरी-भूरी खाक-धूल’ से ली गई है। इसमें कवि ने अपने जीवन के समस्त अनुभवों, सुख दुख, संघर्ष, अवसाद, उठा-पटक आदि स्थितियों को सहर्ष स्वीकारने की बात कहता है, क्योंकि इन सभी के साथ वह अपनी प्रियतमा का जुड़ाव अनुभव करता है। उसका जो कुछ है वह सब उसकी प्रियतमा को अच्छा लगता है। कवि अपनी स्वाभिमानयुक्त गरीबी, जीवन के गंभीर अनुभव, व्यक्तित्व की दृढ़ता, मन में उठती भावनाएँ जीवन में मिली उपलब्धियाँ सभी के लिए अपनी प्रियतमा को प्रेरक मानता है। कवि को लगता है कि वह अपनी प्रियतमा के प्रेम के प्रभावस्वरूप कमजोर पड़ता जा रहा है। उसे अपना भविष्य अंधकारमय लगता है। वह अंधकारमय गुफा में एकाकी जीवन जीना चाहता है, इसके लिए वह अपनी प्रियतमा को पूरी तरह से भूल जाना चाहता है।

Read More

Chapter 7 बादल राग | class 12th | Important Questions Hindi Aroh

बादल राग (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)

1. ‘बादल राग’ कविता में कवि ने बादलों के बहाने क्रांति का आहवान किया है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।

उत्तर-

‘विप्लव-रव’ से तात्पर्य है-क्रांति का स्वर। क्रांति का सर्वाधिक लाभ शोषित वर्ग को ही मिलता है क्योंकि उसी के अधिकार छीने गए होते हैं। क्रांति शोषक वर्ग के विशेषाधिकार खत्म होते हैं। आम व्यक्ति को जीने के अधिकार मिलते हैं। उनकी दरिद्रता दूर होती है। अतः क्रांति की गर्जना से शोषित वर्ग प्रसन्न होता है।

2. क्रांति की गर्जना का शोषक वर्ग पर क्या प्रभाव पड़ता है? उनका मुख ढंकना किस मानसिकता का द्योतक है? ‘बादल राग’ कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।

उत्तर-

शोषक वर्ग ने आर्थिक साधनों पर एकाधिकार जमा लिया है, परंतु क्रांति की गर्जना सुनकर वह अपनी सत्ता को खत्म होते देखता है। वह बुरी तरह भयभीत हो जाता है। उसकी शांति समाप्त हो जाती है। शोषक वर्ग का मुख ढाँकना उसकी कमजोर स्थिति को दर्शाता है। क्रांति के परिणामों से शोषक वर्ग भयभीत है।

3, “बादल राग ‘जीवन-निर्माण के नए राग का सूचक है। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

‘बादल राग’ कविता में कवि ने लघु-मानव की खुशहाली का राग गाया है। वह आम व्यक्ति के लिए बादल का आहवान क्रांति के रूप में करता है। किसानों तथा मजदूरों की आकांक्षाएँ बादल को नवनिर्माण के राग के रूप में पुकार रही हैं। क्रांति हमेशा वंचितों का प्रतिनिधित्व करती है। बादलों के अंग-अंग में बिजलियाँ सोई हैं, वज्रपात से शरीर आहत होने पर भी वे हिम्मत नहीं हारते। गरमी से हर तरफ सब कुछ रूखा, सूखा और मुरझाया-सा है। धरती के भीतर सोए अंकुर नवजीवन की आशा में सिर ऊँचा करके बादल की ओर देख रहे हैं।

4, बादल राग कविता में ‘ऐ विप्लव के वीर!’ किसे कहा गया हैं और क्यों?

उत्तर-

‘बादल राग’ कविता में ‘ऐ विप्लव के वीर! बादल को कहा गया है। बादल घनघोर वर्षा करता है तथा बिजलियाँ गिराता है। इससे सारा जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। बादल क्रांति का प्रतीक है। क्रांति आने से बुराई रूपी कीचड़ समाप्त हो जाता है तथा आम व्यक्ति को जीने योग्य स्थिति मिलती है।

5. ‘बादल राग’ शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए।

उत्तर-

‘बादल राग’ क्रांति की आवाज का परिचायक है। यह कविता जनक्रांति की प्रेरणा देती है। कविता में बादलों के आने से नए पौधे हर्षित होते हैं, उसी प्रकार क्रांति होने से आम आदमी को विकास के नए अवसर मिलते हैं। कवि बादलों को बारिश करने या क्रांति करने के लिए कहता है। यह शीर्षक उद्देश्य के अनुरूप है। अतः यह शीर्षक सर्वथा उचित है।

Read More