A Baker from Goa Summary in English
This lesson is a pen portrait of a traditional Goan village beaker that still has unimportant place in his vicinity. Goa is the place which has the varied culture of French, English and Portuguese. Here in this lesson the description of a village hacker reminds us of the Old Portuguese days.
The beaker comes with the jhang-jhang sound—a sound of his bamboo stuff. His one hand supports the basket of his head and the other hand the bamboo on the ground. The baker places the basket and the imploring children surround him to look into the basket what verities of eatables he carries. They buy the loves and even eat without brushing.
The sells are so importantly intertwined with the social custom with Goan people that their presence is inevitable. Marriage gifts are meaningless without the sweet bread called “bol”. Cakes and bolinhas are a must for festival. Their peculiar dress is known as “kabai” as they themselves are known as “pader”. They have a joyful life as they earn profitably well. Their plum physique is the testimony to this.
हिंदी में गोवा सारांश से एक बेकर
गोवा के डबलरोटी बनाने वालों की पेडर के रूप में पहचान । पुराने पुर्तगाली समय में गोवा के मनुष्य पावरोटी खाते थे। अब ये पावरोटी अदृश्य हो गई हैं। परन्तु उनके बनाने वाले अब भी वहाँ – पर हैं। भट्ठियाँ भी अब भी वहाँ पर हैं। पारम्परिक डबलरोटी बनाने वालों की बाँस द्वारा उत्पन्न आवाज अब भी सुनी जा सकती है। परिवार का कोई एक सदस्य अब भी यह व्यवसाय चलाता है। आज भी गोवा में इन बेकरों को पेडर के रूप में जाना जाता है।
बेकर का आना
बेकर लेखक का मित्र और मार्गदर्शक होता था। वह दिन में दो बार आया करता था। लेखक और दूसरों को उसके बाँस की आवाज जगा दिया करती थी। लेखक डबलरोटी रूपी बैंगल्ज के लिये उसके पास दौड़ा करता था। नौकरानियाँ पावरोटी खरीदा करती थीं और उन्हें घर में अन्दर ले जाती थीं।
पावरोटी का बाँटना
बेकर अपने बाँस के डण्डे से ‘झग ! झंग !’ की आवाज के साथ आता था। एक हाथ उसके सिर पर रखी टोकरी को सहारा देता था। दूसरा जमीन पर बाँस को फटकाता था। बाँस पर बेकर टोकरी को रखता था। लेखक और दूसरे उसकी टोकरी में झाँक कर देखते। वे गर्म चाय के साथ पावरोटी खाते थे। वे अपने दाँतों को ब्रुश नहीं करते थे।
डबलरोटी का महत्त्व
सभी अवसरों के लिये बेकर काफी महत्त्वशाली था। शादी के उपहार, बिना मीठी डबलरोटी के जिसे बोल कहते थे निरर्थक थे। सैंडविच, केक और बोलिन्हस डबलरोटी के साथ बनाये जाते थे।
बेकर का पहनावा
भूतकाल के बेकर या डबलरोटी बेचने वाले की एक खास पोशाक होती थी। इसे कबाई कहा जाता था। यह एक ही टुकड़े का लम्बा फ्रॉक होता था। यह घुटनों तक आता था। यह आजकल की आधी पैन्ट की तरह से होता है।
बेकर का एक खुश परिवार
बेकर प्रायः अपने पैसे महीने के अन्त में लेता था। पुराने दिनों में बेकिंग का व्यवसाय ना, वाला होता था। बेकर और उसके परिवार कभी भूख से नहीं मरते थे। उनके मोटे शरीर दिखाते थे कि वे खुश थे और निर्धन नहीं थे।
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