Class 11 NCERT Solutions for Hindi Antra provides you an idea of the language and helps you understand the subject better. We have explained NCERT Solutions for Class 11th Hindi Antra.
Class 11 Hindi Antra textbook has 19 chapters in which first 9 chapters are prose while other 10 are poems. These pieces are very useful in the development of language and communication skills of students
Table of Contents
ToggleNCERT Solutions for Class 11th -पाठ 12 - देव -अंतरा भाग-2 हिंदी
प्रश्न-अभ्यास
उत्तर
‘हँसी की चोट’ सवैये में कवि ने पाँच तत्वों आकाश, अग्नि, वायु, भूमि तथा जल का वर्णन किया गया है। गोपी द्वारा तेज़-तेज़ साँस लेने-छोड़ने से वायु तत्व चला गया है। अत्यधिक रोने से जल तत्व आँसुओं के रूप में विदा हो गया है। तन में व्याप्त गर्मी के जाने से अग्नि तत्व समाप्त हो गया है। वियोग में कमज़ोर होने के कारण भूमि तत्व चला गया है।
2. नायिका सपने में क्यों प्रसन्न थी और वह सपना कैसे टूट गया?
उत्तर
नायिका ने सपने में देखा कि कृष्ण उसके पास आते हैं और उसे झूला-झूलने का निमंत्रण देते हैं। यह उसके लिए बहुत प्रसन्नता की बात थी। उसे सपने में ही सही कृष्ण का साथ मिला था। वह जैसे ही प्रसन्नतापूर्वक कृष्ण के साथ चलने के लिए उठती है, इस बीच उसकी नींद उचट जाती है। नींद उचटने से उसका सपना टूट जाता है और कृष्ण का साथ भी छूट जाता है।
3. ‘सपना’ कवित्त का भाव-सौंदर्य लिखिए।
उत्तर
‘सपना’ कवित्त में गोपी का श्रीकृष्ण के प्रति अगाध प्रेम और मिलन की इच्छा का भाव व्यक्त हुआ है। सपने में नायिका कृष्ण का साथ पाती है। वह जैसे ही इस साथ को और आगे तक ले जाना चाहती है नींद खुलने के कारण छूट जाता है। सपना टूटने से कृष्ण का साथ छूट जाता है और वह दुखी हो जाती है।अनुप्रास तथा पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार के प्रयोग को देखकर ‘सपना’ कवित्त में कवि के शिल्प सौंदर्य की अद्भुत क्षमता का पता चलता है। इसने कवित्त के भाव सौंदर्य को निखारने में सोने पर सुहागा जैसा काम किया है।
4. ‘दरबार’ सवैये में किस प्रकार के वातावरण का वर्णन किया गया है?
उत्तर
‘दरबार’ सवैये को पढ़कर ही पता चलता है कि इसमें दरबार के विषय में कहा गया है। उस समय दरबार में कला की कमी थी। भोग तथा विलास दरबार की पहचान बनती जा रही थी। कर्म का अभाव दरबारियों में था।
5. दरबार में गुणग्राहकता और कला की परख को किस प्रकार अनदेखा किया जाता है?
उत्तर
दरबार में गुणग्राहकता और कला की परख को चाटुकारों की बातें सुनकर अनदेखा किया गया है। यही कारण है कि वहाँ पर कला को अनदेखा किया जाता है। कला की परख करना, तो उन्हें आता ही नहीं है। चाटुकारों द्वारा की गई चापलूसी से भरी कविताओं को मान मिलता है। राजा तथा दरबारी भोग-विलास के कारण अंधे बन गए हैं। ऐसे वातावरण में कला का कोई महत्व नहीं होता है।
6. भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) हेरि हियो जु लियो हरि जू हरि।
उत्तर
नायक ने जब से नायिका को हँसकर देखा है तब से नायिका को ऐसा लगता है जैसे उस नायक ने हँसकर देखने मात्र से ही उस का हृदय चुरा लिया है। वह नायक से मिलने के लिए व्याकुल रहने लगती है और निरंतर उससे नहीं मिल पाने की वियोगाग्नि में जलती रहती है।
(ख) सोए गए भाग मेरे जानि वा जगन में।
उत्तर
गोपी कृष्ण से मिलन का सपना देख रही थी। कृष्ण ने उसे अपने साथ झूला झूलने का निमंत्रण दिया था, वह इससे प्रसन्न थी। कृष्ण के साथ जाने के लिए वह उठने ही वाली थी कि उसकी नींद टूट गई। इसलिए वह कहती है कि उसका जागना उसके भाग्य को सुला गया यानी उसके नींद से जागने के कारण कृष्ण का साथ छूट गया। यह जागना उसके लिए दुर्भाग्य के समान है।
2. नायिका सपने में क्यों प्रसन्न थी और वह सपना कैसे टूट गया?
उत्तर
नायिका ने सपने में देखा कि कृष्ण उसके पास आते हैं और उसे झूला-झूलने का निमंत्रण देते हैं। यह उसके लिए बहुत प्रसन्नता की बात थी। उसे सपने में ही सही कृष्ण का साथ मिला था। वह जैसे ही प्रसन्नतापूर्वक कृष्ण के साथ चलने के लिए उठती है, इस बीच उसकी नींद उचट जाती है। नींद उचटने से उसका सपना टूट जाता है और कृष्ण का साथ भी छूट जाता है।
3. ‘सपना’ कवित्त का भाव-सौंदर्य लिखिए।
उत्तर
‘सपना’ कवित्त में गोपी का श्रीकृष्ण के प्रति अगाध प्रेम और मिलन की इच्छा का भाव व्यक्त हुआ है। सपने में नायिका कृष्ण का साथ पाती है। वह जैसे ही इस साथ को और आगे तक ले जाना चाहती है नींद खुलने के कारण छूट जाता है। सपना टूटने से कृष्ण का साथ छूट जाता है और वह दुखी हो जाती है।अनुप्रास तथा पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार के प्रयोग को देखकर ‘सपना’ कवित्त में कवि के शिल्प सौंदर्य की अद्भुत क्षमता का पता चलता है। इसने कवित्त के भाव सौंदर्य को निखारने में सोने पर सुहागा जैसा काम किया है।
4. ‘दरबार’ सवैये में किस प्रकार के वातावरण का वर्णन किया गया है?
उत्तर
‘दरबार’ सवैये को पढ़कर ही पता चलता है कि इसमें दरबार के विषय में कहा गया है। उस समय दरबार में कला की कमी थी। भोग तथा विलास दरबार की पहचान बनती जा रही थी। कर्म का अभाव दरबारियों में था।
5. दरबार में गुणग्राहकता और कला की परख को किस प्रकार अनदेखा किया जाता है?
उत्तर
दरबार में गुणग्राहकता और कला की परख को चाटुकारों की बातें सुनकर अनदेखा किया गया है। यही कारण है कि वहाँ पर कला को अनदेखा किया जाता है। कला की परख करना, तो उन्हें आता ही नहीं है। चाटुकारों द्वारा की गई चापलूसी से भरी कविताओं को मान मिलता है। राजा तथा दरबारी भोग-विलास के कारण अंधे बन गए हैं। ऐसे वातावरण में कला का कोई महत्व नहीं होता है।
6. भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) हेरि हियो जु लियो हरि जू हरि।
उत्तर
नायक ने जब से नायिका को हँसकर देखा है तब से नायिका को ऐसा लगता है जैसे उस नायक ने हँसकर देखने मात्र से ही उस का हृदय चुरा लिया है। वह नायक से मिलने के लिए व्याकुल रहने लगती है और निरंतर उससे नहीं मिल पाने की वियोगाग्नि में जलती रहती है।
(ख) सोए गए भाग मेरे जानि वा जगन में।
उत्तर
गोपी कृष्ण से मिलन का सपना देख रही थी। कृष्ण ने उसे अपने साथ झूला झूलने का निमंत्रण दिया था, वह इससे प्रसन्न थी। कृष्ण के साथ जाने के लिए वह उठने ही वाली थी कि उसकी नींद टूट गई। इसलिए वह कहती है कि उसका जागना उसके भाग्य को सुला गया यानी उसके नींद से जागने के कारण कृष्ण का साथ छूट गया। यह जागना उसके लिए दुर्भाग्य के समान है।
(ग) वेई छाई बूंदें मेरे आँसु है दुगन में।।
उत्तर
श्रीकृष्ण ने गोपी को उसके सपने में जब झूले पर झूलने का आग्रह किया था तब बाहर रिमझिम बारिश की झड़ी लगी हुई थी। गोपी की नींद खुलते ही उसे वास्तविकता का पता चला कि वह तो सपना देख रही थी। न तो बाहर वर्षा हो रही थी और न ही श्रीकृष्ण वहाँ थे। इस कारण उसकी आँखों से आँसू बह निकले। गोपी को लगा कि वही वर्षा की बूंदें उसकी आँखों में आँसू की बूंदों के रूप में दिखाई देने लगी हैं।
(घ) साहिब अंध, मुसाहिब मूक, सभा बहिरी।
उत्तर
देव दरबारी वातावरण का वर्णन कर रहे हैं। वह कहते हैं कि दरबार का राजा अँधा हो गया है। दरबारी गूँगे तथा बहरे हो गए हैं। वे भोग-विलास में इतना लिप्त हैं कि उन्हें कुछ भी सुनाई दिखाई नहीं देता है। इसलिए वे बोलने में भी असमर्थ हैं।
7. देव ने दरबारी चाटुकारिता और दंभपूर्ण वातावरण पर किस प्रकार व्यंग्य किया है?
उत्तर
देव दरबार के दंभपूर्ण वातावरण का वर्णन करते हुए बताते हैं कि दरबार में राजा तथा लोग भोग विलास में लिप्त रहते हैं। दरबारियों के साथ-साथ राजा भी अंधा है, जो कुछ देख नहीं पा रहा है। यही कारण है कि कला तथा सौंदर्य का उन्हें ज्ञान नहीं रह गया है। अहंकार उन पर इतना हावी है कि कोई किसी की बात सुनने या मानने को राज़ी नहीं है।
8. निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करिए-
(क) साँसनि ही ………तनुता करि।
उत्तर
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्ति देव द्वारा रचित रचना ‘हँसी की चोट’ से ली गई है। इसमें एक गोपी के विरह का वर्णन है। कृष्ण की उपेक्षा पूर्ण व्यवहार उसे दुखी कर गया है।
व्याख्या- गोपी कहती है कि कृष्ण की उपेक्षित द़ृष्टि के कारण उसकी दशा बहुत खराब है। वह विरह की अग्नि में जल रही है। विरह में तेज़-तेज़ साँसें छोड़ने से वायु तत्व चला गया है। अत्यधिक रोने से जल तत्व आँसुओं के रूप में विदा हो गया है। तन में व्याप्त गर्मी के जाने से अग्नि तत्व समाप्त हो गया है और वियोग में कमज़ोर होने के कारण भूमि तत्व भी चला गया है।
(ख) झहरि ……… गगन में।
उत्तर
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्ति देव द्वारा रचित रचना ‘सपना’ से ली गई है। इसमें वर्षा ऋतु का वर्णन है। आकाश में बादल छाए हैं और बूँदे बरस रही हैं।
व्याख्या- कवि कहता है कि वर्षा ऋतु के समय बारिश की बूँदे झर रही हैं। आकाश में काली घटाएँ छा गई हैं।
(ग) साहिब अंधा ……… बाच्यो।
उत्तर
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्ति देव द्वारा रचित रचना ‘दरबार’ से ली गई है। इसमें कवि राज दरबार में स्थित राजा और सभासदों के व्यवहार का वर्णन करता है।
व्याख्या- देव दरबार के दंभपूर्ण वातावरण का वर्णन करते हुए बताते हैं कि दरबार में राजा तथा लोग भोग-विलास में लिप्त रहते हैं। दरबारियों के साथ-साथ राजा भी अंधा है, जो कुछ देख नहीं पा रहा है। यही कारण है कि कला तथा सौंदर्य का उन्हें ज्ञान नहीं रह गया है। दरबारियों पर अहंकार इतना हावी है कि कोई किसी की बात सुनने या मानने को राज़ी नहीं है। भोग-विलास के कारण वे काम नहीं रह गए हैं|
उत्तर
श्रीकृष्ण ने गोपी को उसके सपने में जब झूले पर झूलने का आग्रह किया था तब बाहर रिमझिम बारिश की झड़ी लगी हुई थी। गोपी की नींद खुलते ही उसे वास्तविकता का पता चला कि वह तो सपना देख रही थी। न तो बाहर वर्षा हो रही थी और न ही श्रीकृष्ण वहाँ थे। इस कारण उसकी आँखों से आँसू बह निकले। गोपी को लगा कि वही वर्षा की बूंदें उसकी आँखों में आँसू की बूंदों के रूप में दिखाई देने लगी हैं।
(घ) साहिब अंध, मुसाहिब मूक, सभा बहिरी।
उत्तर
देव दरबारी वातावरण का वर्णन कर रहे हैं। वह कहते हैं कि दरबार का राजा अँधा हो गया है। दरबारी गूँगे तथा बहरे हो गए हैं। वे भोग-विलास में इतना लिप्त हैं कि उन्हें कुछ भी सुनाई दिखाई नहीं देता है। इसलिए वे बोलने में भी असमर्थ हैं।
7. देव ने दरबारी चाटुकारिता और दंभपूर्ण वातावरण पर किस प्रकार व्यंग्य किया है?
उत्तर
देव दरबार के दंभपूर्ण वातावरण का वर्णन करते हुए बताते हैं कि दरबार में राजा तथा लोग भोग विलास में लिप्त रहते हैं। दरबारियों के साथ-साथ राजा भी अंधा है, जो कुछ देख नहीं पा रहा है। यही कारण है कि कला तथा सौंदर्य का उन्हें ज्ञान नहीं रह गया है। अहंकार उन पर इतना हावी है कि कोई किसी की बात सुनने या मानने को राज़ी नहीं है।
8. निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करिए-
(क) साँसनि ही ………तनुता करि।
उत्तर
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्ति देव द्वारा रचित रचना ‘हँसी की चोट’ से ली गई है। इसमें एक गोपी के विरह का वर्णन है। कृष्ण की उपेक्षा पूर्ण व्यवहार उसे दुखी कर गया है।
व्याख्या- गोपी कहती है कि कृष्ण की उपेक्षित द़ृष्टि के कारण उसकी दशा बहुत खराब है। वह विरह की अग्नि में जल रही है। विरह में तेज़-तेज़ साँसें छोड़ने से वायु तत्व चला गया है। अत्यधिक रोने से जल तत्व आँसुओं के रूप में विदा हो गया है। तन में व्याप्त गर्मी के जाने से अग्नि तत्व समाप्त हो गया है और वियोग में कमज़ोर होने के कारण भूमि तत्व भी चला गया है।
(ख) झहरि ……… गगन में।
उत्तर
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्ति देव द्वारा रचित रचना ‘सपना’ से ली गई है। इसमें वर्षा ऋतु का वर्णन है। आकाश में बादल छाए हैं और बूँदे बरस रही हैं।
व्याख्या- कवि कहता है कि वर्षा ऋतु के समय बारिश की बूँदे झर रही हैं। आकाश में काली घटाएँ छा गई हैं।
(ग) साहिब अंधा ……… बाच्यो।
उत्तर
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्ति देव द्वारा रचित रचना ‘दरबार’ से ली गई है। इसमें कवि राज दरबार में स्थित राजा और सभासदों के व्यवहार का वर्णन करता है।
व्याख्या- देव दरबार के दंभपूर्ण वातावरण का वर्णन करते हुए बताते हैं कि दरबार में राजा तथा लोग भोग-विलास में लिप्त रहते हैं। दरबारियों के साथ-साथ राजा भी अंधा है, जो कुछ देख नहीं पा रहा है। यही कारण है कि कला तथा सौंदर्य का उन्हें ज्ञान नहीं रह गया है। दरबारियों पर अहंकार इतना हावी है कि कोई किसी की बात सुनने या मानने को राज़ी नहीं है। भोग-विलास के कारण वे काम नहीं रह गए हैं|
9. देव के अलंकार प्रयोग और भाषा प्रयोग के कुछ उदाहरण पठित पदों से लिखिए।
उत्तर
‘हेरि हियो जु लियो हरि जू हरि’ में अनुप्रास और यमक अलंकार है।
‘झहरि-झहरि’, ‘घहरि-घहरि’ आदि में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
घहरि-घहरि घटा घेरी में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।
‘सोए गए भाग मेरे जानि व जगन में’ विरोधाभास अलंकार का सुंदर उदाहरण है।
‘रंग रीझ को माच्यो’ में अनुप्रास अलंकार है।
‘फूली न समानी’ ‘सोए गए भाग’ और मुहावरों का सटीक प्रयोग किया गया है।
उत्तर
‘हेरि हियो जु लियो हरि जू हरि’ में अनुप्रास और यमक अलंकार है।
‘झहरि-झहरि’, ‘घहरि-घहरि’ आदि में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
घहरि-घहरि घटा घेरी में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।
‘सोए गए भाग मेरे जानि व जगन में’ विरोधाभास अलंकार का सुंदर उदाहरण है।
‘रंग रीझ को माच्यो’ में अनुप्रास अलंकार है।
‘फूली न समानी’ ‘सोए गए भाग’ और मुहावरों का सटीक प्रयोग किया गया है।
Related
Discover more from EduGrown School
Subscribe to get the latest posts sent to your email.