Class 11 NCERT Solutions for Hindi Antra provides you an idea of the language and helps you understand the subject better. We have explained NCERT Solutions for Class 11th Hindi Antra.
Class 11 Hindi Antra textbook has 19 chapters in which first 9 chapters are prose while other 10 are poems. These pieces are very useful in the development of language and communication skills of students
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ToggleNCERT Solutions for Class 11th: पाठ 2 - दोपहर का भोजन -अंतरा भाग-1 हिंदी
पृष्ठ संख्या: 33
1. सिद्धेश्वरी ने अपने बड़े बेटे रामचंद्र से मँझले बेटे मोहन के बारे में झूठ क्यों बोला?
उत्तर
सिद्धेश्वरी नहीं चाहती है कि मोहन को लेकर रामचंद्र चिंतित हो| वह उससे झूठ बोलती है कि मोहन किसी मित्र के यहाँ पढ़ने-लिखने गया है| वह यह भी कहती है कि मोहन उसकी बहुत प्रशंसा करता है जिससे रामचंद्र अपना दुःख भूलकर कुछ देर के लिए खुश हो जाए|
2. कहानी के सबसे जीवंत पात्र के चरित्र की दृढ़ता का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए|
उत्तर
कहानी की सबसे जीवंत पात्र है-सिद्धेश्वरी| वह घर की निर्धनता से अच्छी तरह परिचित है| इसके बावजूद भी वह अपना धैर्य नहीं खोती और अभाव में भी घर में शांति बनाए रखती है| वह घर के सभी सदस्यों के आवश्यकताओं का ध्यान रखती है| उसका जीवन परिवार के लिए पूरी तरह समर्पित है| वह परिवार के सदस्यों से उनकी मनचाही बातें करके उन्हें खुश रखने के लिए झूठ भी बोलती है| वह अपनी भूख की परवाह न करके परिवार के सभी सदस्यों को भोजन कराती है| वह किसी के सामने अपना दुःख व्यक्त नहीं करती है| इस प्रकार उसके चरित्र की दृढ़ता कहानी में उसकी भूमिका को जीवंत करता है|
3. कहानी के उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे गरीबी की विवशता झाँक रही हो|
उत्तर
‘दोपहर का भोजन’ कहानी गरीबी की विवशता को बयान करता है| गर्मियों की दोपहर में खाना बनाते समय सिद्धेश्वरी भूख से बेहाल है परंतु घर में इतना अनाज नहीं है कि वह अपने लिए दो चपातियाँ बना सके| वह पानी पीकर गुजारा करती है| टूटी खाट पर लेटा उसका छोटा बेटा कुपोषण का शिकार है| उसकी टाँगों और बाँहों की हड्डियाँ निकल आई हैं और पेट हाँडी की तरह फूल गया है|
4. ‘सिद्धेश्वरी का एक से दूसरे सदस्य के विषय में झूठ बोलना परिवार को जोड़ने का अनथक प्रयास था’- इस संबंध में आप अपने विचार लिखिए|
उत्तर
सिद्धेश्वरी परिवार को जोड़े रखने के लिए सभी सदस्यों के सामने बारी-बारी से एक दूसरे की झूठी प्रशंसा करती है| उसका मँझला लड़का बिलकुल नहीं पढ़ता और छोटा बेटा हमेशा रोता रहता है| अपने बड़े बेटे रामचंद्र को यह सब बताकर दुखी नही करना चाहती है| इसलिए वह उसके सामने दोनों भाइयों की प्रशंसा करती है, जिससे उन सब के बीच में मधुर संबंध बना रहे| अपने पति के सामने भी बड़े बेटे की प्रशंसा करते हुए कहती है कि वह उनकी हमेशा बड़ाई करता रहता है| वह पिता-पुत्र के बीच के संबंध में आत्मीयता बनाए रखना चाहती है| इस प्रकार सिद्धेश्वरी का एक से दूसरे सदस्य के विषय में झूठ बोलना परिवार को जोड़ने का अनथक प्रयास था|
5. ‘अमरकांत आम बोलचाल की ऐसी भाषा का प्रयोग करते हैं जिससे कहानी की संवेदना पूरी तरह उभरकर आ जाती है|’ कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए|
उत्तर
अमरकांत की कहानियों में आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया गया है| उनकी कहानियाँ भारतीय जीवन के अंतर्विरोधों का सजीव चित्रण करती है| प्रस्तुत कहानी में एक निम्नवर्गीय परिवार की अभावग्रस्तता को दर्शाया गया है| कहानी में परिवार के सभी सदस्य घर के अभाव से परिचित हैं इसलिए वे दोपहर के भोजन में एक या दो रोटी खाकर ही भूखे पेट उठ जाते हैं| कहानी में बोलचाल व सहज भाषा का प्रयोग किया गया है| ‘वह मतवाले की तरह उठी और गगरे से लोटा-भर पानी लेकर गट-गट चढ़ गई|’……..‘मोहन कटोरे को मुँह में लगाकर सुड़-सुड़ पी रहा था|’…….‘तदुपरांत एक लोटा पानी लेकर खाने बैठ गई|’ अमरकांत की कथा शैली की सबसे बड़ी विशेषता है- चित्रात्मक का गुण| जैसे- सारा घर मक्खियों से भनभन कर रहा था| आँगन की अलगनी पर एक गंदी साड़ी टँगी थी, जिसमें कई पैबंद लगे हुए थे| दोनों बड़े लड़कों का कहीं पता नहीं था| बाहर की कोठरी में मुंशी जी औंधे मुँह होकर निश्चिन्तता के साथ सो रहे थे, जैसे डेढ़ महीने पूर्व मकान-किराया-नियंत्रण विभाग की क्लर्की से उनकी छंटनी न हुई हो और शाम को उन्हें काम की तलाश में कहीं जाना न हो|
6. रामचंद्र, मोहन और मुंशी जी खाते समय रोटी न लेने के लिए बहाने करते हैं, उसमें कैसी विवशता है? स्पष्ट कीजिए|
उत्तर
प्रश्न – अभ्यास
1. सिद्धेश्वरी ने अपने बड़े बेटे रामचंद्र से मँझले बेटे मोहन के बारे में झूठ क्यों बोला?
उत्तर
सिद्धेश्वरी नहीं चाहती है कि मोहन को लेकर रामचंद्र चिंतित हो| वह उससे झूठ बोलती है कि मोहन किसी मित्र के यहाँ पढ़ने-लिखने गया है| वह यह भी कहती है कि मोहन उसकी बहुत प्रशंसा करता है जिससे रामचंद्र अपना दुःख भूलकर कुछ देर के लिए खुश हो जाए|
2. कहानी के सबसे जीवंत पात्र के चरित्र की दृढ़ता का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए|
उत्तर
कहानी की सबसे जीवंत पात्र है-सिद्धेश्वरी| वह घर की निर्धनता से अच्छी तरह परिचित है| इसके बावजूद भी वह अपना धैर्य नहीं खोती और अभाव में भी घर में शांति बनाए रखती है| वह घर के सभी सदस्यों के आवश्यकताओं का ध्यान रखती है| उसका जीवन परिवार के लिए पूरी तरह समर्पित है| वह परिवार के सदस्यों से उनकी मनचाही बातें करके उन्हें खुश रखने के लिए झूठ भी बोलती है| वह अपनी भूख की परवाह न करके परिवार के सभी सदस्यों को भोजन कराती है| वह किसी के सामने अपना दुःख व्यक्त नहीं करती है| इस प्रकार उसके चरित्र की दृढ़ता कहानी में उसकी भूमिका को जीवंत करता है|
3. कहानी के उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे गरीबी की विवशता झाँक रही हो|
उत्तर
‘दोपहर का भोजन’ कहानी गरीबी की विवशता को बयान करता है| गर्मियों की दोपहर में खाना बनाते समय सिद्धेश्वरी भूख से बेहाल है परंतु घर में इतना अनाज नहीं है कि वह अपने लिए दो चपातियाँ बना सके| वह पानी पीकर गुजारा करती है| टूटी खाट पर लेटा उसका छोटा बेटा कुपोषण का शिकार है| उसकी टाँगों और बाँहों की हड्डियाँ निकल आई हैं और पेट हाँडी की तरह फूल गया है|
4. ‘सिद्धेश्वरी का एक से दूसरे सदस्य के विषय में झूठ बोलना परिवार को जोड़ने का अनथक प्रयास था’- इस संबंध में आप अपने विचार लिखिए|
उत्तर
सिद्धेश्वरी परिवार को जोड़े रखने के लिए सभी सदस्यों के सामने बारी-बारी से एक दूसरे की झूठी प्रशंसा करती है| उसका मँझला लड़का बिलकुल नहीं पढ़ता और छोटा बेटा हमेशा रोता रहता है| अपने बड़े बेटे रामचंद्र को यह सब बताकर दुखी नही करना चाहती है| इसलिए वह उसके सामने दोनों भाइयों की प्रशंसा करती है, जिससे उन सब के बीच में मधुर संबंध बना रहे| अपने पति के सामने भी बड़े बेटे की प्रशंसा करते हुए कहती है कि वह उनकी हमेशा बड़ाई करता रहता है| वह पिता-पुत्र के बीच के संबंध में आत्मीयता बनाए रखना चाहती है| इस प्रकार सिद्धेश्वरी का एक से दूसरे सदस्य के विषय में झूठ बोलना परिवार को जोड़ने का अनथक प्रयास था|
5. ‘अमरकांत आम बोलचाल की ऐसी भाषा का प्रयोग करते हैं जिससे कहानी की संवेदना पूरी तरह उभरकर आ जाती है|’ कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए|
उत्तर
अमरकांत की कहानियों में आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया गया है| उनकी कहानियाँ भारतीय जीवन के अंतर्विरोधों का सजीव चित्रण करती है| प्रस्तुत कहानी में एक निम्नवर्गीय परिवार की अभावग्रस्तता को दर्शाया गया है| कहानी में परिवार के सभी सदस्य घर के अभाव से परिचित हैं इसलिए वे दोपहर के भोजन में एक या दो रोटी खाकर ही भूखे पेट उठ जाते हैं| कहानी में बोलचाल व सहज भाषा का प्रयोग किया गया है| ‘वह मतवाले की तरह उठी और गगरे से लोटा-भर पानी लेकर गट-गट चढ़ गई|’……..‘मोहन कटोरे को मुँह में लगाकर सुड़-सुड़ पी रहा था|’…….‘तदुपरांत एक लोटा पानी लेकर खाने बैठ गई|’ अमरकांत की कथा शैली की सबसे बड़ी विशेषता है- चित्रात्मक का गुण| जैसे- सारा घर मक्खियों से भनभन कर रहा था| आँगन की अलगनी पर एक गंदी साड़ी टँगी थी, जिसमें कई पैबंद लगे हुए थे| दोनों बड़े लड़कों का कहीं पता नहीं था| बाहर की कोठरी में मुंशी जी औंधे मुँह होकर निश्चिन्तता के साथ सो रहे थे, जैसे डेढ़ महीने पूर्व मकान-किराया-नियंत्रण विभाग की क्लर्की से उनकी छंटनी न हुई हो और शाम को उन्हें काम की तलाश में कहीं जाना न हो|
6. रामचंद्र, मोहन और मुंशी जी खाते समय रोटी न लेने के लिए बहाने करते हैं, उसमें कैसी विवशता है? स्पष्ट कीजिए|
उत्तर
रामचंद्र, मोहन और मुंशी चंद्रिका प्रसाद परिवार की वास्तविकता से अच्छी तरह परिचित हैं| दोपहर के भोजन के समय सिद्धेश्वरी के बार-बार आग्रह करने पर भी वे रोटी लेने से मना कर देते हैं| उन्हें पता है कि यदि वे और रोटी ले लेंगे तो घर के दूसरे सदस्यों को भूखा रहना पड़ेगा| इसलिए जहाँ रामचंद्र ने कहा कि उसका पेट भर गया है वहीँ मोहन ने रोटी अच्छी न बनी होने का बहाना किया| मुंशी जी ने भी यह बहाना कर दिया कि नमकीन चीजों से उनका मन ऊब गया है| इस प्रकार तीनों ने कोई-न-कोई बहाना बनाकर रोटी लेने से मना कर दिया| इससे उनकी इस विवशता का पता चलता है कि भूख रहते हुए भी अभाव के कारण वे रोटी लेने से मना कर देते हैं|
7. मुंशी जी तथा सिद्धेश्वरी की असंबद्ध बातें कहानी से कैसे संबद्ध हैं?
उत्तर
दोपहर के भोजन के समय सिद्धेश्वरी तथा मुंशी जी के द्वारा की गई असंबद्ध बातें किसी-न-किसी तरह से कहानी से संबद्ध हैं| मुंशी जी चुपचाप दुबके हुए खा रहे थे, जैसे पिछले दो दिनों से मौन व्रत धारण कर रखा हो और उसको आज तोड़ने वाले हों| तभी सिद्धेश्वरी कहती है कि ‘मालूम होता है, अब बारिश नहीं होगी|’ इस बात पर मुंशी जी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी| लेकिन इस बात का संबंध कहानी से है, क्योंकि यदि वर्षा नहीं होगी तो अगले साल फिर से अन्न की कमी होगी और गरीबी में ही जीवन व्यतीत करना होगा| जब मुंशी जी कहते हैं कि मक्खियाँ बहुत हो गई है तो इसका अर्थ यह है कि वह घर की वास्तविकता से अच्छी तरह परिचित हैं| भूख और गरीबी ने परिवार को निराशा के दलदल में धकेल दिया है| इस प्रकार उनकी बातें कहानी से संबद्ध हैं|
8. ‘दोपहर का भोजन’ शीर्षक किन दृष्टियों से पूर्णतया सार्थक है?
उत्तर
‘दोपहर का भोजन’ कहानी की नायिका सिद्धेश्वरी दोपहर का खाना बनाकर अपने परिवारवालों का इंतजार करती है| सबसे पहले उसका बड़ा बेटा रामचंद्र भोजन करने आता है और अनमने मन से भोजन करके चला जाता है| इसके बाद उसका मँझला बेटा और फिर उसका पति आता है| घर में भोजन के अभाव के कारण सभी कम खाने में ही पेट भरने का बहाना बना कर चले जाते हैं| अंत में सिद्धेश्वरी भी आधी रोटी खाकर ही अपना पेट भरने का प्रयास करती है| इस प्रकार पूरी कहानी में दोपहर के भोजन से संबंधित दृश्य को दर्शाया गया है| इस दृष्टि से ‘दोपहर का भोजन’ शीर्षक पूर्णतया सार्थक है|
9. आपके अनुसार सिद्धेश्वरी के झूठ सौ सत्यों से भारी कैसे हैं? अपने शब्दों में उत्तर दीजिए|
उत्तर
सिद्धेश्वरी के झूठ सौ सत्यों से भारी हैं क्योंकि वह अपने परिवारवालों को एक दूसरे की सच्चाई बताकर दुखी नहीं करना चाहती है| यदि वह अपने बड़े बेटे से यह कहती कि मोहन कहीं बाहर घूमने गया है तो दोनों भाइयों के बीच लड़ाई हो जाती| वह परिवार की आर्थिक स्थिति से अच्छी तरह परिचित थी| उसका बड़ा बेटा रामचंद्र छोटी-मोटी नौकरी कर किसी तरह परिवार का गुजारा कर रहा था| इसलिए वह उससे झूठ बोलती है कि मोहन अपने मित्र के यहाँ पढ़ने गया है| अपने पति से भी वह अपने बड़े बेटे के बारे में झूठ बोलती है ताकि पिता-बेटे के बीच प्रेम बना रहे| इस प्रकार वह झूठ बोलकर सभी सदस्यों को प्रसन्न रखना चाहती है|
10. आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) वह मतवाले की तरह उठी और गगरे से लोटा भर पानी लेकर गट-गट चढ़ा गई|
उत्तर
सिद्धेश्वरी दोपहर का भोजन तैयार करने में लगी हुई है| खाना खाने का समय हो गया है और वह भूख से व्याकुल है| लेकिन वह खाना नहीं खा सकती क्योंकि घर में भोजन का अभाव है और किसी ने अभी तक खाया भी नहीं| यही सोचकर वह अपनी भूख मिटाने के लिए अचानक उठती है और एक लोटा भरकर पानी पी लेती है|
(ख) यह कहकर उसने अपने मँझले लड़के की ओर इस तरह देखा, जैसे उसने कोई चोरी की हो|
उत्तर
सिद्धेश्वरी अपने मँझले बेटे से झूठ बोलती है कि उसका बड़ा भाई उसकी प्रशंसा कर रहा था कि वह पढ़ने-लिखने में होशियार है| मोहन यह बात जानता था की उसकी माँ झूठ बोल रही है| यह सोचकर कि कहीं उसका झूठ पकड़ा न जाए, सिद्धेश्वरी उसकी तरफ ऐसे देखती है जैसे उसने कोई चोरी की हो|
(ग) मुंशी जी ने चने के दाने की ओर इस दिलचस्पी से दृष्टिपात किया, जैसे उनसे बातचीत करनेवाले हों|
उत्तर
मुंशी जी को चुपचाप खाना खाते देख सिद्धेश्वरी उनसे प्रश्न पूछती है| वह उनसे फूफाजी की तबीयत के बारे में भी पूछती है| लेकिन मुंशी जी उसकी बातों को अनसुना कर अपनी भूख मिटाने में लगे हुए थे| इसलिए वह सिद्धेश्वरी की बातों पर ध्यान न देकर अपनी थाली में बचे चने के दालों पर इस प्रकार दृष्टि जमाए हुए थे, जैसे उनसे बात कर रहे हों|
7. मुंशी जी तथा सिद्धेश्वरी की असंबद्ध बातें कहानी से कैसे संबद्ध हैं?
उत्तर
दोपहर के भोजन के समय सिद्धेश्वरी तथा मुंशी जी के द्वारा की गई असंबद्ध बातें किसी-न-किसी तरह से कहानी से संबद्ध हैं| मुंशी जी चुपचाप दुबके हुए खा रहे थे, जैसे पिछले दो दिनों से मौन व्रत धारण कर रखा हो और उसको आज तोड़ने वाले हों| तभी सिद्धेश्वरी कहती है कि ‘मालूम होता है, अब बारिश नहीं होगी|’ इस बात पर मुंशी जी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी| लेकिन इस बात का संबंध कहानी से है, क्योंकि यदि वर्षा नहीं होगी तो अगले साल फिर से अन्न की कमी होगी और गरीबी में ही जीवन व्यतीत करना होगा| जब मुंशी जी कहते हैं कि मक्खियाँ बहुत हो गई है तो इसका अर्थ यह है कि वह घर की वास्तविकता से अच्छी तरह परिचित हैं| भूख और गरीबी ने परिवार को निराशा के दलदल में धकेल दिया है| इस प्रकार उनकी बातें कहानी से संबद्ध हैं|
8. ‘दोपहर का भोजन’ शीर्षक किन दृष्टियों से पूर्णतया सार्थक है?
उत्तर
‘दोपहर का भोजन’ कहानी की नायिका सिद्धेश्वरी दोपहर का खाना बनाकर अपने परिवारवालों का इंतजार करती है| सबसे पहले उसका बड़ा बेटा रामचंद्र भोजन करने आता है और अनमने मन से भोजन करके चला जाता है| इसके बाद उसका मँझला बेटा और फिर उसका पति आता है| घर में भोजन के अभाव के कारण सभी कम खाने में ही पेट भरने का बहाना बना कर चले जाते हैं| अंत में सिद्धेश्वरी भी आधी रोटी खाकर ही अपना पेट भरने का प्रयास करती है| इस प्रकार पूरी कहानी में दोपहर के भोजन से संबंधित दृश्य को दर्शाया गया है| इस दृष्टि से ‘दोपहर का भोजन’ शीर्षक पूर्णतया सार्थक है|
9. आपके अनुसार सिद्धेश्वरी के झूठ सौ सत्यों से भारी कैसे हैं? अपने शब्दों में उत्तर दीजिए|
उत्तर
सिद्धेश्वरी के झूठ सौ सत्यों से भारी हैं क्योंकि वह अपने परिवारवालों को एक दूसरे की सच्चाई बताकर दुखी नहीं करना चाहती है| यदि वह अपने बड़े बेटे से यह कहती कि मोहन कहीं बाहर घूमने गया है तो दोनों भाइयों के बीच लड़ाई हो जाती| वह परिवार की आर्थिक स्थिति से अच्छी तरह परिचित थी| उसका बड़ा बेटा रामचंद्र छोटी-मोटी नौकरी कर किसी तरह परिवार का गुजारा कर रहा था| इसलिए वह उससे झूठ बोलती है कि मोहन अपने मित्र के यहाँ पढ़ने गया है| अपने पति से भी वह अपने बड़े बेटे के बारे में झूठ बोलती है ताकि पिता-बेटे के बीच प्रेम बना रहे| इस प्रकार वह झूठ बोलकर सभी सदस्यों को प्रसन्न रखना चाहती है|
10. आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) वह मतवाले की तरह उठी और गगरे से लोटा भर पानी लेकर गट-गट चढ़ा गई|
उत्तर
सिद्धेश्वरी दोपहर का भोजन तैयार करने में लगी हुई है| खाना खाने का समय हो गया है और वह भूख से व्याकुल है| लेकिन वह खाना नहीं खा सकती क्योंकि घर में भोजन का अभाव है और किसी ने अभी तक खाया भी नहीं| यही सोचकर वह अपनी भूख मिटाने के लिए अचानक उठती है और एक लोटा भरकर पानी पी लेती है|
(ख) यह कहकर उसने अपने मँझले लड़के की ओर इस तरह देखा, जैसे उसने कोई चोरी की हो|
उत्तर
सिद्धेश्वरी अपने मँझले बेटे से झूठ बोलती है कि उसका बड़ा भाई उसकी प्रशंसा कर रहा था कि वह पढ़ने-लिखने में होशियार है| मोहन यह बात जानता था की उसकी माँ झूठ बोल रही है| यह सोचकर कि कहीं उसका झूठ पकड़ा न जाए, सिद्धेश्वरी उसकी तरफ ऐसे देखती है जैसे उसने कोई चोरी की हो|
(ग) मुंशी जी ने चने के दाने की ओर इस दिलचस्पी से दृष्टिपात किया, जैसे उनसे बातचीत करनेवाले हों|
उत्तर
मुंशी जी को चुपचाप खाना खाते देख सिद्धेश्वरी उनसे प्रश्न पूछती है| वह उनसे फूफाजी की तबीयत के बारे में भी पूछती है| लेकिन मुंशी जी उसकी बातों को अनसुना कर अपनी भूख मिटाने में लगे हुए थे| इसलिए वह सिद्धेश्वरी की बातों पर ध्यान न देकर अपनी थाली में बचे चने के दालों पर इस प्रकार दृष्टि जमाए हुए थे, जैसे उनसे बात कर रहे हों|
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