Shram Vibhajan Aur Jati Pratha Class 12 MCQ ,
- श्रम विभाजन और जाति प्रथा पाठ के लेखक कौन हैं – डॉक्टर भीमराव अंबेडकर
- प्राचीन काल में भारतीय समाज कितने वर्गों में बंटा था – चार वर्गों (ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य और शूद्र)
- बाबा साहेब का आदर्श समाज किस पर आधारित है – स्वतंत्रता , समता और भ्रातृता
- बाबासाहेब आंबेडकर ने किस प्रकार के समाज की कल्पना की है – आदर्श समाज
- हमारा समाज कैसा होना चाहिए – आदर्श
- स्वतंत्रता , समता व भ्रातृता पर आधारित समाज को अंबेडकर ने कैसा समाज कहा है – सभ्य एवं आदर्श समाज
- जातिवाद के समर्थकों द्वारा क्या तर्क दिया जाता है – आधुनिक सभ्य समाज में कार्यकुशलता के लिए श्रम विभाजन (कार्य विभाजन /कार्य का बंटवारा) करना आवश्यक है और जातिप्रथा , श्रम विभाजन का ही दूसरा रूप है।
- जातिवाद के समर्थकों ने क्या तर्क दिया है – जातिप्रथा , श्रम विभाजन का ही दूसरा रूप है
- जातिप्रथा का सबसे बड़ा नकारात्मक पहलू क्या है – व्यक्ति को उसकी पसंद का पेशा चुनने की आजादी न देना।
- लेखक के अनुसार श्रम विभाजन जाति के आधार पर न होकर किस आधार पर होना चाहिए – व्यक्ति की योग्यता , उसकी रूचि , कार्य कुशलता व निपुणता के आधार पर
- जाति प्रथा का श्रम विभाजन किस प्रकार का है – अस्वाभाविक
- जाति प्रथा , श्रम विभाजन (काम का बंटवारा) के साथ-साथ क्या करती हैं – श्रमिक विभाजन (लोगों का बंटवारा)
- जाति प्रथा व्यक्ति को जीवन भर के लिए किससे बांध देती है – अपने पैतृक व्यवसाय से या एक ही व्यवसाय से
- जाति प्रथा के तहत व्यक्ति को कौन सा पेशा जबरदस्ती अपनाना पड़ता है – पैतृक पेशा
- अंबेडकर के अनुसार हिंदू धर्म की जाति प्रथा किसी व्यक्ति को कौन सा पेशा चुनने की अनुमति देती है – पैतृक
- लेखक ने भारतीय समाज में बेरोजगारी और भुखमरी का क्या कारण बताया है – जाति प्रथा
- जाति प्रथा , समाज में क्या पैदा करती है – ऊंच – नीच का भेदभाव
- जाति प्रथा के अनुसार व्यक्ति की निजी क्षमता , रूचि व कार्यकुशलता का विचार किए बिना मनुष्य का पेशा किस प्रकार निर्धारित होता है – उसके माता-पिता के सामाजिक स्तर के अनुसार
- लेखक समाज के सभी सदस्यों को कौन सा अवसर प्रदान करने के पक्ष में है – हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के समान अवसर
- लेखक के अनुसार समाज की कार्यकुशलता किस प्रकार बढ़ाई जा सकती है – सबको समान अवसर देकर
- लेखक ने दूध और पानी के मिश्रण से किसकी तुलना की है – भाईचारे की
- अंबेडकर ने भाईचारे को वास्तविक रूप से किस मिश्रण की तरह माना है – दूध और पानी
- कुछ व्यक्तियों को दूसरे लोगों द्वारा निर्धारित व्यवहार और कर्तव्यों का पालन करने के लिए मजबूर करना , क्या कहलाता है – गुलामी या दासता
- लेखक के अनुसार मनुष्य किन तीन बातों पर समान नहीं होते हैं – शारीरिक – वंश परंपरा , सामाजिक उत्तराधिकार व मनुष्य के अपने प्रयत्न
- कौन सा धर्म व्यक्ति को जाति प्रथा के अनुसार पैतृक काम अपनाने को मजबूर करता है – हिंदू धर्म
- किस देश की जाति प्रथा समाज में भेदभाव पैदा करती हैं – भारत की जाति प्रथा
- लेखक ने आदर्श समाज में कितने तत्वों की चर्चा की है – तीन
- मनुष्य की समता कितनी बातों पर निर्भर करती है – तीन
- आदर्श समाज में परिवर्तन का लाभ किन्हें प्राप्त होता है – समाज के सभी लोगों को
- जाति , धर्म , संप्रदाय से ऊपर उठकर हमें मानव मात्र के प्रति कैसा व्यवहार रखना चाहिए – एक समान
- जाति प्रथा का सबसे बड़ा दोष क्या है – यह लोगों को एक ही पेशे से बांधे रखता हैं
- लेखक के अनुसार दासता का संबंध किससे नहीं है – कानून से
- आर्थिक विकास के लिए जाति प्रथा का परिणाम कैसा है – हानिकारक
- श्रम के परंपरागत तरीकों में किस कारण से परिवर्तन हो रहा है – आधुनिक तकनीक के कारण
- किस पेशे से जुड़ा व्यक्ति देश की बड़ी जनसंख्या के संपर्क में रहता है – राजनीति से
- भारत में पेशा परिवर्तन की अनुमति ना देकर जाति प्रथा किसको बढ़ावा दे रही हैं – बेरोजगारी को
- लेखक के अनुसार आज भी समाज में किसके पोषकों या संरक्षकों की कमी नहीं है – जातिवाद
- कौन सा समाज कार्य कुशलता के लिए श्रम विभाजन को आवश्यक मानता है – आधुनिक व शिक्षित समाज
- श्रम विभाजन किस पर आधारित होना चाहिए – व्यक्ति की व्यक्तिगत रूचि और कार्य क्षमता पर
- जाति प्रथा का श्रम विभाजन किस पर निर्भर नहीं रहता है – मनुष्य की व्यक्तिगत इच्छा पर
- श्रम विभाजन में मनुष्य की किस भावना का कोई महत्व नहीं रहता है – व्यक्तिगत भावना का
- जब व्यक्ति दिल और दिमाग से काम नहीं करता , तब व्यक्ति को क्या प्राप्त नहीं होती है – कार्यकुशलता और आत्म संतुष्टि
- जाति प्रथा किस पहलू के लिए हानिकारक है – आर्थिक पहलू के लिए
- जाति प्रथा मनुष्य की स्वाभाविक रुचि व आत्मशक्ति को दबाकर उसे क्या बना देती है – निष्क्रिय
- श्रम विभाजन की दृष्टि से भी जाति प्रथा किससे युक्त है – गंभीरदोषों से
- मनुष्य को अपनी कार्यकुशलता व दक्षता दिखाने के लिए क्या प्रदान करना आवश्यक हैं – स्वतंत्रता
- प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता का विकास करने के लिए क्या देना सर्वदा उचित है – प्रोत्साहन
- समाज में क्या होनी चाहिए – गतिशीलता
- किस जीवन में अबाध संपर्क के अनेक साधन और अवसर उपलब्ध हैं – सामाजिक जीवन में
- फ्रांसीसी क्रांति के नारे में कौन सा शब्द विवाद का विषय रहा – समता
- समाज के सदस्यों को आरंभ से ही क्या उपलब्ध कराना चाहिए – समान अवसर व समान व्यवहार
- समाज को किस दृष्टिकोण से दो वर्गों और श्रेणियों में बांटना अनुचित है – मानवता के दृष्टिकोण से
- “समता” राजनीति के व्यवहार की एकमात्र क्या है – कसौटी
- आधुनिक सभ्य समाज कार्य कुशलता के लिए किसे आवश्यक मानता है – श्रम विभाजन को
- पेशा परिवर्तन की अनुमति न देकर जाति प्रथा , भारत में किसका प्रमुख एवं प्रत्यक्ष कारण बनी हुई है – बेरोजगारी और भुखमरी का
- जाति प्रथा समाज में किन समस्याओं को जन्म देती हैं – बेरोजगारी और भुखमरी को
- लेखक के अनुसार क्या काल्पनिक जगत की वस्तु है – समानता या समता
- सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति तथा समाज में सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का क्या नाम है – लोकतंत्र
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