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Class 12 Hindi फ़ीचर लेखन
प्रश्नः 1.
फ़ीचर की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तरः
फ़ीचर पत्रकारिता की अत्यंत आधुनिक विधा है। भले ही समाचार पत्रों में समाचार की प्रमुखता अधिक होती है लेकिन एक समाचार-पत्र की प्रसिद्धि और उत्कृष्टता का आधार समाचार नहीं होता बल्कि उसमें प्रकाशित ऐसी सामग्री से होता है जिसका संबंध न केवल जीवन की परिस्थितियों और परिवेश से संबंधित होता है प्रत्युत् वह जीवन की विवेचना भी करती है। समाचारों के अतिरिक्त समाचार-पत्रों में मुख्य रूप से जीवन की नैतिक व्याख्या के लिए ‘संपादकीय’ एवं जीवनगत् यथार्थ की भावात्मक अभिव्यक्ति के लिए ‘फ़ीचर’ लेखों की उपयोगिता असंदिग्ध है।
समाचार एवं संपादकीय में सूचनाओं को सम्प्रेषित करते समय उसमें घटना विशेष का विचार बिंदु चिंतन के केंद्र में रहता है लेकिन समाचार-पत्रों की प्रतिष्ठा और उसे पाठकों की ओर आकर्षित करने के लिए लिखे गए ‘फ़ीचर’ लेखों में वैचारिक चिंतन के साथ-साथ भावात्मक संवेदना का पुट भी उसमें विद्यमान रहता है। इसी कारण समाचार-पत्रों में उत्कृष्ट फ़ीचर लेखों के लिए विशिष्ट लेखकों तक से इनका लेखन करवाया जाता है। इसलिए किसी भी समाचार-पत्र की लोकप्रियता का मुख्य आधार यही फ़ीचर होते हैं। इनके द्वारा ही पाठकों की रुचि उस समाचार-पत्र की ओर अधिक होती है जिसमें अधिक उत्कृष्ट, रुचिकर एवं ज्ञानवर्धक फ़ीचर प्रकाशित किए जाते हैं।
‘फ़ीचर’ का स्वरूप कुछ सीमा तक निबंध एवं लेख से निकटता रखता है, लेकिन अभिव्यक्ति की दृष्टि से इनमें भेद होने के कारण इनमें पर्याप्त भिन्नता स्पष्ट दिखाई देती है। जहाँ ‘निबंध एवं लेख’ विचार और चिंतन के कारण अधिक बोझिल और नीरस बन जाते हैं वहीं ‘फ़ीचर’ अपनी सरस भाषा और आकर्षण शैली में पाठकों को इस प्रकार अभिभूत कर देते
हैं कि वे लेखक को अभिप्रेत विचारों को सरलता से समझ पाते हैं।
प्रश्नः 2.
फ़ीचर का स्वरूप बताइए।
उत्तरः
‘फ़ीचर’ (Feature) अंग्रेजी भाषा का शब्द है। इसकी उत्पत्ति लैटिन भाषा के फैक्ट्रा (Fectura) शब्द से हुई है। विभिन्न
शब्दकोशों के अनुसार इसके लिए अनेक अर्थ हैं, मुख्य रूप से इसके लिए स्वरूप, आकृति, रूपरेखा, लक्षण, व्यक्तित्व आदि अर्थ प्रचलन में हैं। ये अर्थ प्रसंग और संदर्भ के अनुसार ही प्रयोग में आते हैं। अंग्रेज़ी के फ़ीचर शब्द के आधार पर ही हिंदी में भी ‘फ़ीचर’ शब्द को ही स्वीकार लिया गया है। हिंदी के कुछ विद्वान इसके लिए ‘रूपक’ शब्द का प्रयोग भी करते हैं लेकिन पत्रकारिता के क्षेत्र में वर्तमान में ‘फ़ीचर’ शब्द ही प्रचलन में है।
विभिन्न विदवानों ने ‘फ़ीचर’ शब्द को व्याख्यायित करने का प्रयास किया है, लेकिन उसकी कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं है। फिर भी कतिपय विद्वानों की परिभाषाओं में कुछ एक शब्दों में फेरबदल कर देने मात्र से सभी किसी-न-किसी सीमा तक एक समान अर्थ की अभिव्यंजना ही करते हैं। विदेशी पत्रकार डेनियल आर० विलियमसन ने अपनी पुस्तक ‘फ़ीचर राइटिंग फॉर न्यूजपेपर्स’ में फ़ीचर शब्द पर प्रकाश डालते हुए अपना मत दिया है कि-“फ़ीचर ऐसा रचनात्मक तथा कुछ-कुछ स्वानुभूतिमूलक लेख है, जिसका गठन किसी घटना, स्थिति अथवा जीवन के किसी पक्ष के संबंध में पाठक का मूलतः मनोरंजन करने एवं सूचना देने के उद्देश्य से किया गया हो।” इसी तरह डॉ० सजीव भानावत का कहना है-“फ़ीचर वस्तुतः भावनाओं का सरस, मधुर और अनुभूतिपूर्ण वर्णन है।
फ़ीचर लेखक गौण है, वह एक माध्यम है जो फ़ीचर द्वारा पाठकों की जिज्ञासा, उत्सुकता और उत्कंठा को शांत करता हुआ समाज की विभिन्न प्रवृत्तियों का आकलन करता है। इस प्रकार फ़ीचर में सामयिक तथ्यों का यथेष्ट समावेश होता ही है, साथ ही अतीत की घटनाओं तथा भविष्य की संभावनाओं से भी वह जुड़ा रहता है। समय की धड़कनें इसमें गूंजती हैं।” इस विषय पर हिंदी और अन्य भाषाओं के अनेक विद्वानों द्वारा दी गयी परिभाषाओं और मतों को दृष्टिगत रखने के उपरांत कहा जा सकता है कि किसी स्थान, परिवेश, वस्तु या घटना का ऐसा शब्दबद्ध रूप, जो भावात्मक संवेदना से परिपूर्ण, कल्पनाशीलता से युक्त हो तथा जिसे मनोरंजक और चित्रात्मक शैली में सहज और सरल भाषा द्वारा अभिव्यक्त किया जाए, फ़ीचर कहा जाता है।
‘फ़ीचर’ पाठक की चेतना को नहीं जगाता बल्कि वह उसकी भावनाओं और संवेदनाओं को उत्प्रेरित करता है। यह यथार्थ की वैयक्तिक अनुभूति की अभिव्यक्ति है। इसमें लेखक पाठक को अपने अनुभव से समाज के सत्य का भावात्मक रूप में परिचय कराता है। इसमें समाचार दृश्यात्मक रूप में पाठक के सामने उभरकर आ जाता है। यह सूचनाओं को सम्प्रेषित करने का ऐसा साहित्यिक रूप है जो भाव और कल्पना के रस से आप्त होकर पाठक को भी इसमें भिगो देता है।
प्रश्नः 3.
फ़ीचर का महत्त्व लिखिए।
उत्तरः
प्रत्येक समाचार-पत्र एवं पत्रिका में नियमित रूप से प्रकाशित होने के कारण फ़ीचर की उपयोगिता स्वतः स्पष्ट है। समाचार की तरह यह भी सत्य का साक्षात्कार तो कराता ही है लेकिन साथ ही पाठक को विचारों के जंगल में भी मनोरंजन और औत्सुक्य के रंग बिरंगे फूलों के उपवन का भान भी करा देता है। फ़ीचर समाज के विविध विषयों पर अपनी सटीक टिप्पणियाँ देते हैं। इन टिप्पणियों में लेखक का चिंतन और उसकी सामाजिक उपादेयता प्रमुख होती है।
लेखक फ़ीचर के माध्यम से प्रतिदिन घटने वाली विशिष्ट घटनाओं और सूचनाओं को अपने केंद्र में रखकर उस पर गंभीर चिंतन करता है। उस गंभीर चिंतन की अभिव्यक्ति इस तरह से की जाती है कि पाठक उस सूचना को न केवल प्राप्त कर लेता है बल्कि उसमें केंद्रित समस्या का समाधान खोजने के लिए स्वयं ही बाध्य हो जाता है। फ़ीचर का महत्त्व केवल व्यक्तिगत नहीं होता, बल्कि यह सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर भी समाज के सामने अनेक प्रश्न उठाते हैं और उन प्रश्नों के उत्तर के रूप में अनेक वैचारिक बिंदुओं को भी समाज के सामने रखते हैं।
वर्तमान समय में फ़ीचर की महत्ता इतनी अधिक बढ़ गयी है कि विविध विषयों पर फ़ीचर लिखने के लिए समाचार-पत्र उन विषयों के विशेषज्ञ लेखकों से अपने पत्र के लिए फ़ीचर लिखवाते हैं जिसके लिए वह लेखक को अधिक पारिश्रमिक भी देते हैं। आजकल अनेक विषयों में अपने-अपने क्षेत्र में लेखक क्षेत्र से जुड़े लेखकों की माँग इस क्षेत्र में अधिक है लेकिन इसमें साहित्यिक प्रतिबद्धता के कारण वही फ़ीचर लेखक ही सफलता की ऊँचाईयों को छू सकता है जिसकी संवेदनात्मक अनुभूति की प्रबलता और कल्पना की मुखरता दूसरों की अपेक्षा अधिक हो।
प्रश्नः 4.
फ़ीचर कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तरः
फ़ीचर विषय, वर्ग, प्रकाशन, प्रकृति, शैली, माध्यम आदि विविध आधारों पर अनेक प्रकार के हो सकते हैं। पत्रकारिता के
क्षेत्र में जीवन के किसी भी क्षेत्र की कोई भी छोटी-से-छोटी घटना आदि समाचार बन जाते हैं। इस क्षेत्र में जितने विषयों के आधार पर समाचार बनते हैं उससे कहीं अधिक विषयों पर फ़ीचर लेखन किया जा सकता है। विषय-वैविध्य के कारण इसे कई भागों-उपभागों में बाँटा जा सकता है। विवेकी राय, डॉ० हरिमोहन, डॉ० पूरनचंद टंडन आदि कतिपय विद्वानों ने फ़ीचर के अनेक रूपों पर प्रकाश डाला है। उनके आधार पर फ़ीचर के निम्नलिखित प्रकार हो सकते हैं –
सामाजिक सांस्कृतिक फ़ीचर – इसके अंतर्गत सामाजिक संबंधी जीवन के अंतर्गत रीति-रिवाज, पर परंपराओं, त्योहारों, मेलों, कला, खेल-कूद, शैक्षिक, तीर्थ, धर्म संबंधी, सांस्कृतिक विरासतों आदि विषयों को रखा जा सकता है।
घटनापरक फ़ीचर – इसके अंतर्गत युद्ध, अकाल, दंगे, दुर्घटनायें, बीमारियाँ, आंदोलन आदि से संबंधित विषयों को रखा जा सकता है। प्राकृतिक फ़ीचर-इसके अंतर्गत प्रकृति संबंधी विषयों जैसे पर्वतारोहण, यात्राओं, प्रकृति की विभिन्न छटाओं, पर्यटन स्थलों आदि को रखा जा सकता है।
राजनीतिक फ़ीचर – इसके अंतर्गत राजनीतिक गतिविधियों, घटनाओं, विचारों, व्यक्तियों आदि से संबंधित विषयों को रखा जा सकता है।
साहित्यिक फ़ीचर – इसके अंतर्गत साहित्य से संबंधित गतिविधियों, पुस्तकों, साहित्यकारों आदि विषयों को रखा जा सकता है।
प्रकीर्ण फ़ीचर – जिन विषयों को ऊपर दिए गए किसी भी वर्ग में स्थान नहीं मिला ऐसे विषयों को प्रकीर्ण फ़ीचर के अंतर्गत रखा जा सकता है। लेकिन उपर्युक्त विषयों के विभाजन और विषय वैविध्य को दृष्टिगत रखा जाए तो फ़ीचर को अधिकांश विद्वानों ने दो भागों में बाँटा है जिसके अंतर्गत उपर्युक्त सभी विषयों का समावेश हो जाता है –
समाचार फ़ीचर अथवा तात्कालिक फ़ीचर – तात्कालिक घटने वाली किसी घटना पर तैयार किए गए समाचार पर आधारित फ़ीचर को समाचारी या तात्कालिक फ़ीचर कहा जाता है। इसके अंतर्गत तथ्य अधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं, जैसे कुरुक्षेत्र में एक बच्चे के 60 फुट गहरे गड्ढे में गिरने की घटना एक समाचार है लेकिन उस बच्चे द्वारा लगातार 50 घंटे की संघर्ष गाथा का भावात्मक वर्णन उसका समाचारी-फ़ीचर है।
विशिष्ट फ़ीचर – जहाँ समाचारी फ़ीचर में तत्काल घटने वाली घटनाओं आदि का महत्त्व अधिक होता है वहीं विशिष्टफ़ीचर में घटनाओं को बीते भले ही समय क्यों न हो गया हो लेकिन उनकी प्रासंगिकता हमेशा बनी रहती है। जैसे प्रकृति की छटाओं या ऋतुओं, ऐतिहासिक स्थलों, महापुरुषों एवं लम्बे समय तक याद रहने वाली घटनाओं आदि पर लिखे गए लेखक किसी भी समय प्रकाशित किए जा सकते हैं। इन विषयों के लिए लेखक विभिन्न प्रयासों से सामग्री का संचयन कर उन पर लेख लिख सकता है। ऐसे फ़ीचर समाचार पत्रों के लिए प्राण-तत्त्व के रूप में होते हैं। इनकी प्रासंगिकता हमेशा बनी रहती है इसलिए बहुत से पाठक इनका संग्रहण भी करते हैं। इस तरह के फ़ीचर किसी दिन या सप्ताह विशेष में अधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं; जैसे-दीपावली या होली पर्व पर इन त्यौहारों से संबंधित पौराणिक या ऐतिहासिक संदर्भो को लेकर लिखे फ़ीचर, महात्मा गांधी जयंती या सुभाषचंद्र बोस जयंती पर गांधी जी अथवा सुभाषचंद्र बोस के जीवन और विचारों पर प्रकाश डालने वाले फ़ीचर आदि।
प्रश्नः 5.
फ़ीचर की विशेषताएँ बताइए।
उत्तरः
फ़ीचर लेखन के विविध पक्षों एवं लेखक की रचना-प्रक्रिया से संबंधित पहलुओं पर प्रकाश डालने से पहले फ़ीचर की विशेषताओं के बारे में जान लेना आवश्यक है। अपनी विशेषताओं के कारण ही एक फ़ीचर समाचार, निबंध या लेख जैसी विधाओं से भिन्न अपनी पहचान बनाता है। एक अच्छे फ़ीचर में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए –
सत्यता या तथ्यात्मकता – किसी भी फ़ीचर लेख के लिए सत्यता या तथ्यात्मकता का गुण अनिवार्य है। तथ्यों से रहित किसी अविश्वनीय सूत्र को आधार बनाकर लिखे गए लेख फ़ीचर के अंतर्गत नहीं आते हैं। कल्पना से युक्त होने के बावजूद भी फ़ीचर में विश्वसनीय सूत्रों को लेख का माध्यम बनाया जाता है। यदि वे तथ्य सत्य से परे हैं या उनकी प्रामाणिकता संदिग्ध है तो ऐसे तथ्यों पर फ़ीचर नहीं लिखा जाना चाहिए।
गंभीरता एवं रोचकता–फ़ीचर में भावों और कल्पना के आगमन से उसमें रोचकता तो आ जाती है किंतु ऐसा नहीं कि वह विषय के प्रति गंभीर न हो। समाज की सामान्य जनता के सामने किसी भी सूचना को आधार बनाकर या विषय को लक्ष्य में रखकर फ़ीचर प्रस्तुत किया जाता है तो वह फ़ीचर लेखक विषय-वस्तु को केंद्र में रखकर उसके विभिन्न पहलुओं पर विचार करता है। उसके गंभीर चिंतन के परिणामों को ही फ़ीचर द्वारा रोचक शैली में संप्रेषित किया जाता है।
मौलिकता-सामान्यतः एक ही विषय को आधार बनाकर अनेक लेखक उस पर फ़ीचर लिखते हैं। उनमें से जो फ़ीचर अपनी मौलिक पहचान बना पाने में सफल होता है वही फ़ीचर एक आदर्श फ़ीचर कहलाता है। विषय से संबंधित विभिन्न तथ्यों का संग्रहण और विश्लेषण करते हुए फ़ीचर लेखक की अपनी दृष्टि अधिक महत्त्वपूर्ण होती है लेकिन साथ ही वह सामाजिक एवं राष्ट्रीय दृष्टि से भी उन तथ्यों को परखता है जिससे उसकी प्रामाणिकता अधिक सशक्त हो जाती है। लेखक जितने अधिक तथ्यों को गहनता से विश्लेषित कर उसे अपनी दृष्टि और शैली से अभिव्यक्ति प्रदान करता है उतना ही उसका फ़ीचर लेख मौलिक कहलाता है।
सामाजिक दायित्व बोध-कोई भी रचना निरुद्देश्य नहीं होती। उसी तरह फ़ीचर भी किसी न किसी विशिष्ट उद्देश्य से युक्त होता है। फ़ीचर का उद्देश्य सामाजिक दायित्व बोध से संबद्ध होना चाहिए क्योंकि फ़ीचर समाज के लिए ही लिखा जाता है इसलिए समाज के विभिन्न वर्गों पर उसका प्रभाव पड़ना अपेक्षित है। इसलिए फ़ीचर सामाजिक जीवन के जितना अधिक निकट होगा और सामाजिक जीवन की विविधता को अभिव्यंजित करेगा उतना ही अधिक वह सफल होगा।
संक्षिप्तता एवं पूर्णता–फ़ीचर लेख का आकार अधिक बड़ा नहीं होना चाहिए। कम-से-कम शब्दों में गागर में सागर भरने की कला ही फ़ीचर लेख की प्रमुख विशेषता है लेकिन फ़ीचर लेख इतना छोटा भी न हो कि वह विषय को पूर्ण रूप से अभिव्यक्त कर पाने में सक्षम ही न हो। विषय से संबंधित बिंदुओं में क्रमबद्धता और तारतम्यता बनाते हुए उसे आगे बढ़ाया जाए तो फ़ीचर स्वयं ही अपना आकार निश्चित कर लेता है।
चित्रात्मकता-फ़ीचर सीधी-सपाट शैली में न होकर चित्रात्मक होना चाहिए। सीधी और सपाट शैली में लिखे गए फ़ीचर पाठक पर अपेक्षित प्रभाव नहीं डालते। फ़ीचर को पढ़ते हुए पाठक के मन में उस विषय का एक ऐसा चित्र या बिम्ब उभरकर आना चाहिए जिसे आधार बनाकर लेखक ने फ़ीचर लिखा है।
लालित्ययुक्त भाषा – फ़ीचर की भाषा सहज, सरल और कलात्मक होनी चाहिए। उसमें बिम्बविधायिनी शक्ति द्वारा ही उसे रोचक बनाया जा सकता है। इसके लिए फ़ीचर की भाषा लालित्यपूर्ण होनी चाहिए। लालित्यपूर्ण भाषा द्वारा ही गंभीर से गंभीर विषय को रोचक एवं पठनीय बनाया जा सकता है। उपयुक्त शीर्षक-एक उत्कृष्ट फ़ीचर के लिए उपयुक्त शीर्षक भी होना चाहिए। शीर्षक ऐसा होना चाहिए जो फ़ीचर के विषय, भाव या संवेदना का पूर्ण बोध करा पाने में सक्षम हो। संक्षिप्तता एवं सारगर्भिता फ़ीचर के शीर्षक के अन्यतम गुण हैं। फ़ीचर को आकर्षक एवं रुचिकर बनाने के लिए काव्यात्मक, कलात्मक, आश्चर्यबोधक, भावात्मक, प्रश्नात्मक आदि शीर्षकों को रखा जाना चाहिए।
प्रश्नः 6.
फ़ीचर लेखक में किन-किन गुणों का होना आवश्यक है?
उत्तरः
फ़ीचर लेखक में निम्नलिखित योग्यताओं का होना आवश्यक है।
विशेषज्ञता-फ़ीचर लेखक जिस विषय को आधार बनाकर उस पर लेख लिख रहा है उसमें उसका विशेषाधिकार होना चाहिए। चुनौतीपूर्ण होने के कारण प्रत्येक व्यक्ति प्रत्येक विषय पर न तो शोध कर सकता है और न ही उस विषय की बारीकियों को समझ सकता है। इसलिए विषय से संबंधित विशेषज्ञ व्यक्ति को अपने क्षेत्राधिकार के विषय पर लेख लिखने चाहिए।
बहुज्ञता-फ़ीचर लेखक को बहुज्ञ भी होना चाहिए। उसे धर्म, दर्शन, संस्कृति, समाज, साहित्य, इतिहास आदि विविध विषयों की समझ होनी चाहिए। उसके अंतर्गत अध्ययन की प्रवृत्ति भी प्रबल होनी चाहिए जिसके द्वारा वह अनेक विषयों का ज्ञान प्राप्त कर सकता है। बहुमुखी प्रतिभा संपन्न लेखक अपने फ़ीचर को आकर्षक, प्रभावशाली तथा तथ्यात्मकता से परिपूर्ण बना सकता है।
परिवेश की प्रति जागरूक-फ़ीचर लेखक को समसामयिक परिस्थितियों के प्रति सदैव जागरूक रहना चाहिए। अपनी सजगता से ही वह जीवन की घटनाओं को सक्ष्मता से देख, समझ और महसूस कर पाता है जिसके आधार पर वह एक अच्छा फ़ीचर तैयार कर सकने योग्य विषय को ढूँढ लेता है। समाज की प्रत्येक घटना आम आदमी के लिए सामान्य घटना हो सकती है लेकिन जागरूक लेखक के लिए वह घटना अत्यंत महत्त्वपूर्ण बन सकती है।
आत्मविश्वास-फ़ीचर लेखक को अपने ऊपर दृढ़ विश्वास होना चाहिए। उसे किसी भी प्रकार के विषय के भीतर झाँकने और उसकी प्रवृत्तियों को पकड़ने की क्षमता के लिए सबसे पहले स्वयं पर ही विश्वास करना होगा। अपने ज्ञान और अनुभव पर विश्वास करके ही वह विषय के भीतर तक झाँक सकता है।
निष्पक्ष दृष्टि-फ़ीचर लेखक के लिए आवश्यक है कि वह जिस उद्देश्य की प्रतिपूर्ति के लिए फ़ीचर लेख लिख रहा है उस विषय के साथ वह पूर्ण न्याय कर सके। विभिन्न तथ्यों और सूत्रों के विश्लेषण के आधार पर वह उस पर अपना निर्णय प्रस्तुत करता है। लेकिन उसका निर्णय विषय के तथ्यों और प्रमाणों से आबद्ध होना चाहिए। उसे अपने निर्णय या दृष्टि को उस पर आरोपित नहीं करना चाहिए। उसे संकीर्ण दृष्टि से मुक्त हो किसी वाद या मत के प्रति अधिक आग्रहशील नहीं रहना चाहिए।
भाषा पर पूर्ण अधिकार-फ़ीचर लेखक का भाषा पर पूर्ण अधिकार होना चाहिए। भाषा के द्वारा ही वह फ़ीचर को लालित्यता और मधुरता से युक्त कर सकता है। उसकी भाषा माधुर्यपूर्ण और चित्रात्मक होनी चाहिए। इससे पाठक को भावात्मक रूप से अपने साथ जोड़ने में लेखक को कठिनाई नहीं होती। विषय में प्रस्तुत भाव और विचार के अनुकूल सक्षम भाषा में कलात्मक प्रयोगों के सहारे लेखक अपने मंतव्य तक सहजता से पहँच सकता है।
प्रश्नः 7.
फ़ीचर लेखन की तैयारी कैसे करें।
उत्तरः
फ़ीचर लेखन से पूर्व लेखक को निम्नलिखित तैयारियाँ करनी पड़ती हैं।
विषय चयन – फ़ीचर लेखन के विविध प्रकार होने के कारण इसके लिए विषय का चयन सबसे प्रथम आधार होता है। उत्कृष्ट फ़ीचर लेखन के लिए फ़ीचर लेखक को ऐसे विषय का चयन करना चाहिए. जो रोचक और ज्ञानवर्धक होने के साथ-साथ उसकी अपनी रुचि का भी हो। यदि लेखक की रुचि उस विषय क्षेत्र में नहीं होगी तो वह उसके साथ न्याय नहीं कर पाएगा। रुचि के साथ उस विषय में लेखक की विशेषज्ञता भी होनी चाहिए अन्यथा वह महत्त्वपूर्ण से महत्त्वपूर्ण तथ्यों को भी छोड़ सकता है और गौण-से-गौण तथ्यों को भी फ़ीचर में स्थान दे सकता है। इससे विषय व्यवस्थित रूप से पाठक के सामने नहीं आ पाएगा।
फ़ीचर का विषय ऐसा होना चाहिए जो समय और परिस्थिति के अनुसार प्रासंगिक हो। नई से नई जानकारी देना समाचार-पत्र एवं पत्रिकाओं का उद्देश्य होता है। इसलिए तत्काल घटित घटनाओं को आधार बनाकर ही लेखक को विषय का चयन करना चाहिए। त्यौहारों, जयंतियों, खेलों, चुनावों, दुर्घटनाओं आदि जैसे विशिष्ट अवसरों पर लेखक को विशेष रूप से संबंधित विषयों का ही चयन करना चाहिए। लेखक को विषय का चयन करते समय पत्र-पत्रिका के स्तर, वितरण-क्षेत्र और पाठक-वर्ग की रुचि का भी ध्यान रखना चाहिए। दैनिक समाचार-पत्रों में प्रतिदिन के जीवन से जुड़े फ़ीचर विषयों की उपयोगिता अधिक होती है। इसलिए समाचार-पत्र के प्रकाशन अवधि के विषय में भी लेखक को सोचना चाहिए।
सामग्री संकलन-फ़ीचर के विषय निर्धारण के उपरांत उस विषय से संबंधित सामग्री का संकलन करना फ़ीचर लेखक का अगला महत्त्वपूर्ण कार्य है। जिस विषय का चयन लेखक द्वारा किया गया है उस विषय के संबंध में विस्तृत शोध एवं अध्ययन के द्वारा उसे विभिन्न तथ्यों को एकत्रित करना चाहिए। सामग्री संकलन के लिए वह विभिन्न माध्यमों का सहारा ले सकता है। इसके लिए उसे विषय से संबंधित व्यक्तियों के साक्षात्कार लेने से फ़ीचर लेखक के लेख की शैली अत्यंत प्रभावशाली बन जाएगी।
फ़ीचर लेखक अपने लेख को अत्यधित पठनीय और प्रभावी बनाने के लिए साहित्य की प्रमुख गद्य विधाओं में से किसी का सहारा ले सकता है। आजकल कहानी, रिपोर्ताज, डायरी, पत्र, लेख, निबंध, यात्रा-वृत्त आदि आधुनिक विधाओं में अनेक फ़ीचर लेख लिखे जा रहे हैं। पाठक की रुचि और विषय की उपयोगिता को दृष्टिगत रखकर फ़ीचर लेखक इनमें से किसी एक या मिश्रित रूप का प्रयोग कर सकता है।
अंत-फ़ीचर का अंतिम भाग उपसंहार या सारांश की तरह होता है। इसके अंतर्गत फ़ीचर लेखक अपने लेख के अंतर्गत प्रस्तुत की गई विषय-वस्तु के आधार पर समस्या का समाधान, सुझाव या अन्य विचार-सूत्र देकर कर सकता है लेकिन लेखक के लिए यह ध्यान रखना आवश्यक है कि वह अपने दृष्टिकोण या सुझाव को किसी पर अनावश्यक रूप से न थोपे। अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता को ध्यान में रखकर वह उस लेख का समापन इस तरह से करे कि वह पाठक की जिज्ञासा को शांत भी कर सके और उसे मानसिक रूप से तृप्ति भी प्रदान हो। अंत को आकर्षक बनाने के लिए फ़ीचर लेखक चाहे तो किसी कवि की उक्ति या विद्वान के विचार का भी सहारा ले सकता है। इसका कोई निश्चित नियम नहीं है। बस अंत ऐसा होना चाहए कि विषय-वस्तु को समझाने के लिए कुछ शेष न रहे।
फ़ीचर लेखक को अपना लेख लिखने के उपरान्त एक बार पुनः उसका अध्ययन करके यह देखना चाहिए कि कोई ऐसी बात उस लेख के अंतर्गत तो नहीं आई जो अनावश्यक या तथ्यों से परे हो। अगर ऐसा है तो ऐसे तथ्यों को तुरंत लेख से बाहर निकालकर पुनः लेख की संरचना को देखना चाहिए। अंत में अपने फ़ीचर को आकर्षक बनाने के लिए फ़ीचर लेखक उसकी विषय-वस्तु को इंगित करने वाले उपयुक्त ‘शीर्षक’ का निर्धारण करता है। शीर्षक ऐसा होना चाहिए कि पाठक जिसे पढ़ते ही उस फ़ीचर को पढ़ने के लिए आकर्षित हो जाए। इसके लिए नाटकीय, काव्यात्मक, आश्चर्यबोधक, प्रश्नसूचक आदि विभिन्न रूपों के शीर्षकों का सहारा फ़ीचर लेखक ले सकता है।
अपने लेखक को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए फ़ीचर लेखक अपने लेख के साथ विषय से संबंधित सुंदर और उत्कृष्ट छायाचित्रों का चयन भी कर सकता है। इसके लिए चाहे तो वह स्वयं किसी चित्र को बनाकर या प्रासंगित चित्रों को स्वयं ही कैमरे से खींचकर उसे लेख के साथ छापने के लिए प्रस्तुत कर सकता है। छायाचित्रों से फ़ीचर में जीवंतता और आकर्षण का भाव भर जाता है। छायाचित्रों से युक्त फ़ीचर विषय-वस्तु को प्रतिपादित करने वाले और उसे परिपूर्ण बनाने में सक्षम होने चाहिए।
नीचे फ़ीचर लेखन के तीन उदाहरण आपके लिए प्रस्तुत किए जा रहे हैं जिनसे आप फ़ीचर लेखन की संरचना को समझ सकते हैं।
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