Table of Contents
Important question for Class 9 Hindi Kritika Chapter 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1.
वह ऐसी कौन सी बात रही होगी जिसने लेखक को दिल्ली जाने के लिए बाध्य कर दिया?
उत्तर-
कुछ लोगों का स्वभाव ऐसा होता है कि वे किसी के द्वारा कही गई कटु बातों को सहन नहीं कर पाते हैं। उस बात का परिणाम भविष्य में अच्छा होगा या बुरा, इसे समझे बिना उस पर कोई तात्कालिक कदम उठा लेते हैं। लेखक भी किसी के द्वारा समय-असमय कही गई बातों को सहन नहीं कर पाया होगा। उसकी बातें लेखक के मन को गहराई तक बेध गई होंगी। उसी कटु बात से व्यथित हो वह दिल्ली जाने के लिए बाध्य हो गया
प्रश्न 2.
लेखक को अंग्रेज़ी में कविता लिखने का अफसोस क्यों रहा होगा?
उत्तर-
लेखक के घर में शुद्ध उर्दू को वातावरण था। उसने बी.ए. में भी एक विषय के रूप में उर्दू की पढ़ाई की थी। उसे अंग्रेज़ी की कविताओं की रचना का अच्छा ज्ञान न था। लेखक द्वारा लिखा गया एक सॉनेट अंग्रेजी में प्रकाशित हुआ जिसे बच्चन जी ने खालिस सॉनेट बताया। अंग्रेजी भाषा के अनुरूप अच्छी कविता न लिख पाने के कारण लेखक को अंग्रेज़ी में लिखने का अफसोस रहा होगा।
प्रश्न 3.
अपनी कल्पना से लिखिए कि बच्चन ने लेखक के लिए ‘नोट’ में क्या लिखा होगा?
उत्तर-
दिल्ली के ‘उकील आर्ट स्कूल में बच्चन जी लेखक के लिए बहुत अच्छा-सा नोट छोड़कर चले गए। लेखक ने जब नोट को पढ़ा तो उसने बच्चन जी के प्रति कृतज्ञता महसूस की। इसे ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि बच्चन जी ने नोट में लिखा होगा कि लेखन में सुनहरा भविष्य तुम्हारा इंतजार कर रहा है। तुम इलाहाबाद आ जाओ। हम सब तुम्हारी मदद के लिए तैयार हैं। जीवन-पथ पर संघर्ष करने वाले ही सफलता प्राप्त करते हैं। जीवन में कभी निराश मत होना बहादुरी से मुश्किलों का सामना करना। जो परिश्रम एवं संघर्ष करते हैं सफलता उनके कदम चूमती है।
प्रश्न 4.
लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के किन-किन रूपों को उभारा है?
उत्तर
लेखक ने बच्चन जी के व्यक्तित्व को उभारते हुए अनेक रूपों में अनकी प्रशंसा की है। बच्चन जी ने लेखक को कई अवसरों पर प्रोत्साहित किया, उसे इलाहाबाद बुलवाया। एम.ए. करने के लिए उसका नाम विश्वविद्यालय में लिखवाया, हिंदी में लेखन के लिए प्रेरित किया। इन अनुभवों के आधार पर लेखक ने बच्चन जी के मिलनसार, सहृदय, उत्साहवर्धन करने वाले, मार्गदर्शक कवि, बात और वाणी के धनी, फौलादी संकल्प वाले रूपों के अलावा आदर्शवादी उत्साही भावुक और विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष करने वाले रूपों को उभारा है।
प्रश्न 5.
बच्चन के अतिरिक्त लेखक को अन्य किन लोगों का तथा किस प्रकार का सहयोग मिला?
उत्तर-
लेखक को बच्चन जी के अलावा निम्नलिखित लोगों का सहारा मिला-
- लेखक को उसके बी.ए. के सहपाठी नरेंद्र शर्मा का सहयोग मिला जो एम.ए. कर चुके थे।
- लेखक को देहरादून में केमिस्ट की दुकान पर कंपाउंडरी सिखाने में उसकी ससुराल वालों ने मदद की।
- लेखक जब करोलबाग में किराए के मकान में रह रहा था तब उसके भाई उसकी आर्थिक मदद करते थे।
- उसे इलाहाबाद में पंत, निराला जैसे प्रसिद्ध साहित्यकारों का सहयोग प्राप्त हुआ, जिन्होंने हिंदी में उसके लेखन का मार्ग प्रशस्त किया।
- लेखक को सबसे अधिक सहयोग हरिवंशराय बच्चन से मिला, जिन्होंने इलाहाबाद बुलाकर लेखक को एम. ए. करने के लिए प्रेरित किया और एक अभिभावक की तरह एम. ए.करने का पूरा खर्च उठाया। बच्चन जी ने बोर्डिंग में फ्री सीट दिलवाने से लेकर उसद (पनाओं के लेखन एवं प्रकाशन में कदम-क़दम पर सहयोग दिया।
प्रश्न 6.
लेखक के हिंदी लेखन में कदम रखने का क्रमानुसार वर्णन कीजिए।
उत्तर-
हरिवंशराय बच्चन जी के बुलावे पर लेखक इलाहाबाद आ गया। यहीं उसने हिंदी कविता लिखने का गंभीरता से मन बनाया। इसी समय उसकी कुछ कविताएँ ‘सरस्वती’ और ‘चाँद’ पत्रिका में प्रकाशित हो चुकी थीं। उसने बच्चन जी की निशा निमंत्रण’ के रूप प्रकार पर भी लिखने का प्रयास किया, पर ऐसा लिखना उसे कठिन जान पड़ा। उसकी एक कविता को पंत जी ने संशोधित किया। सरस्वती पत्रिका में छपी एक कविता ने निराला को ध्यान खींचा। इसके बाद लेखक ने हिंदी लेखन में नियमित रूप से कदम बढ़ा दिया।
प्रश्न 7.
लेखक ने अपने जीवन में जिन कठिनाइयों को झेला है, उनके बारे में लिखिए।
उत्तर-
पाठ को पढ़ने से पता चलता है कि लेखक को अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लेखक किसी के दुवारा कटु एवं व्यंग्योक्ति सुनकर जिस स्थिति में था उसी स्थिति में दिल्ली जाने के लिए तैयार हो गया। उस समय उसकी जेब में पाँच-सात रुपये ही थे। वह दिल्ली के उकील आर्ट स्कूल में प्रवेश लेना चाहता था जो आसान न था। फिर भी उसने करोलबाग में किराए के कमरे में रहकर पेंटिंग सीखी। इस अवधि में वह भाई के भेजे कुछ पैसे के साथ-साथ साइनबोर्ड आदि की पेंटिंग करके कुछ कमाता रहा। उसकी पत्नी की मृत्यु टी.बी. से हो गई।
वह दुखी मन से दिल्ली को सड़कों पर भटकता रहा। कुछ समय बाद उसने देहरादून में कंपाउंडरी सीखी। यहीं बच्चन जी के साथ उसकी मुलाकात हुई। वह बच्चन जी के साथ इलाहाबाद गया। लेखक ने इलाहाबाद में एम.ए. में एडमीशन लिया पर फीस बच्चन जी द्वारा भरी गई। बोर्डिंग में फ्री सीट, उनकी रचनाओं का प्रकाशन न हो पाना आदि ऐसी कठिनाइयाँ थीं, जिन्हें उसने अपने जीवन झेला था।
Discover more from EduGrown School
Subscribe to get the latest posts sent to your email.