Chapter - 14 खानपान की बदलती तस्वीर

 MCQs

Question 1.
‘खानपान की बदलती तसवीर’ नामक पाठ के लेखक के नाम बताएँ।
(a) रामचंद्र शुक्ल
(b) शिवप्रसाद सिंह
(c) प्रयाग शुक्ल
(d) विजय तेंदुलकर।

Answer

Answer: (c) प्रयाग शुक्ल


Question 2.
खानपान की संस्कृति में बड़ा बदलाव कब से आया?
(a) पाँच-सात वर्षों में
(b) आठ-दस वर्षों में
(c) दस-पंद्रह वर्षों में
(d) पंद्रह-बीस वर्षों में

Answer

Answer: (c) दस-पंद्रह वर्षों में


Question 3.
युवा पीढ़ी इनमें से किसके बारे में बहुत अधिक जानती है?
(a) स्थानीय व्यंजन
(b) नए व्यंजन
(c) खानपान की संस्कृति
(d) इनमें से कोई नहीं।

Answer

Answer: (c) खानपान की संस्कृति


Question 4.
ढाबा संस्कृति कहाँ तक फैल चुकी है?
(a) दक्षिण भारत
(b) उत्तर भारत तक
(c) पूरे देश में
(d) कहीं नहीं।

Answer

Answer: (d) कहीं नहीं।


Question 5.
पाव-भाजी किस प्रांत का स्थानीय व्यंजन है?
(a) राजस्थान
(b) महाराष्ट्र
(c) गुजरात
(d) मध्य प्रदेश।

Answer

Answer: (b) महाराष्ट्र


Question 6.
किसी स्थान का खान-पान भिन्न क्यों होता है?
(a) मौसम के अनुसार, मिलने वाले खाद्य पदार्थ
(b) रुचि के आधार पर
(c) आसानी से वस्तुओं की उपलब्धता
(d) उपर्युक्त सभी

Answer

Answer: (d) उपर्युक्त सभी


Question 7.
इनमें से किसे फास्ट फूड के नाम से जाना जाता है।
(a) सेव
(b) रोटी
(c) दाल
(d) बर्गर

Answer

Answer: (d) बर्गर


(1)

पिछले दस-पंद्रह वर्षों से हमारी खानपान की संस्कृति में एक बड़ा बदलाव आया है। इडली-डोसा-बड़ा-साँभर-रसम अब केवल दक्षिण भारत तक सीमित नहीं हैं। ये उत्तर भारत के भी हर शहर में उपलब्ध हैं और अब तो उत्तर भारत की ‘ढाबा’ संस्कृति लगभग पूरे देश में फैल चुकी है। अब आप कहीं भी हों, उत्तर भारतीय रोटी-दाल-साग आपको मिल ही जाएँगे। ‘फ़ास्ट फूड’ (तुरंत भोजन) का चलन भी बड़े शहरों में खूब बढ़ा है। इस ‘फ़ास्ट फ़ूड’ में बर्गर, नूडल्स जैसी कई चीजें शामिल हैं। एक ज़माने में कुछ ही लोगों तक सीमित ‘चाइनीज़ नूडल्स’ अब संभवतः किसी के लिए अजनबी नहीं रहें।

Question 1.
किस बात में बदलाव आया है?
(a) वेशभूषा में
(b) सोचने-विचारने में
(c) खानपान की संस्कृति में
(d) उपर्युक्त सभी

Answer

Answer: (a) वेशभूषा में


Question 2.
खान-पान की संस्कृति में बदलाव कितने वर्षों में आया?
(a) पाँच-सात वर्षों में
(b) दस-पंद्रह वर्षों में
(c) पंद्रह-बीस वर्षों में
(d) बीस-पच्चीस वर्षों में

Answer

Answer: (b) दस-पंद्रह वर्षों में


Question 3.
‘ढाबा संस्कृति’ कहाँ तक फैल चुकी है?
(a) पूरे देश में
(b) दक्षिण भारत तक
(c) उत्तर भारत तक
(d) पूरे विश्व में

Answer

Answer: (a) पूरे देश में


Question 4.
बड़े शहरों में किसका प्रचलन बढ़ा है?
(a) फ़ास्ट फूड का
(b) साँभर-डोसा का
(c) दाल रोटी का
(d) खान-पान का

Answer

Answer: (a) फ़ास्ट फूड का


Question 5.
‘उत्तर भारत की ढाबा’ संस्कृति पर क्या परिणाम हुआ है?
(a) पूरी तरह समाप्त हो गई
(b) पूरे देश में फैल गई है
(c) सीमित जगहों पर ही उपलब्ध है
(d) कोई परिवर्तन नहीं हुआ

Answer

Answer: (b) पूरे देश में फैल गई है


Question 6.
उपरोक्त गद्यांश के पाठ और उसके लेखक का नाम बताइए।
(a) खानपान की बदलती तस्वीर – रामचंद्र शुक्ल
(b) खानपान की बदलती तस्वीर – विजय तेंदुलकर
(c) खानपान की बदलती तस्वीर – प्रयाग शुक्ल
(d) खानपान की बदलती तस्वीर – भवानीप्रसाद मिश्र।

Answer

Answer: (c) खानपान की बदलती तस्वीर – प्रयाग शुक्ल


(2)

स्थानीय व्यंजन भी तो अब घटकर कुछ ही चीज़ों तक सीमित रह गए हैं। बंबई की पाव-भाजी और दिल्ली के छोले-कुलचों की दुनिया पहले की तुलना में बढ़ी ज़रूर है, पर अन्य स्थानीय व्यंजनों की दुनिया में छोटी हुई है। जानकार ये भी बताते हैं कि मथुरा के पेड़ों और आगरा के पेठे-नमकीन में अब वह बात कहाँ रही! यानी जो चीजें बची भी हुई हैं, उनकी गुणवत्ता में फ़र्क पड़ा है। फिर मौसम और ऋतुओं के अनुसार फलों-खाद्यान्नों से जो व्यंजन और पकवान बना करते थे, उन्हें बनाने की फुरसत भी अब कितने लोगों को रह गई है। अब गृहिणियों या कामकाजी महिलाओं के लिए खरबूजे के बीज सुखाना-छीलना और फिर उनसे व्यंजन तैयार करना सचमुच दुस्साध्य है?

Question 1.
नई पीढ़ी को स्थानीय व्यंजनों से किस प्रकार ज्ञान का प्राप्त था?
(a) रुचि के साथ खाने का
(b) उन्हें गहराई तक जानती समझती है
(c) बहुत कम जानकारी है
(d) जानने की जिज्ञासा नहीं है।

Answer

Answer: (c) बहुत कम जानकारी है


Question 2.
खानपान की बदलती संस्कृति ने किसे अधिक प्रभावित किया।
(a) सभी को
(b) पुरानी पीढ़ी को
(c) किसी को नहीं
(d) नई पीढ़ी को।

Answer

Answer: (d) नई पीढ़ी को।


Question 3.
युवा पीढ़ी इनमें से किसके बारे में अधिक जानती है?
(a) स्थानीय व्यंजन को
(b) नए व्यंजनों को
(c) खानपान की संस्कृति के बारे में
(d) इनमें से कोई नहीं।

Answer

Answer: (b) नए व्यंजनों को


Question 4.
मुंबई की क्या चीज़ लोकप्रिय खान-पान में है?
(a) छोले-भठूरे
(b) दाल-रोटी
(c) इडली-डोसा
(d) पाव भाजी।

Answer

Answer: (d) पाव भाजी।


Question 5.
खानपान की चीजों की किस बात में अंतर आया है?
(a) गुणवत्ता में
(b) स्वाद में
(c) दोनों में
(d) इनमें से कोई नहीं

Answer

Answer: (c) दोनों में


Question 6.
भारतीय शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय इनमें से कौन-सा है?
(a) य
(b) तीय
(c) इय
(d) ईय।

Answer

Answer: (d) ईय।


(3)

हम खानपान से भी एक-दूसरे को जानते हैं। इस दृष्टि से देखें तो खानपान की नई संस्कृति में हमें राष्ट्रीय एकता के लिए नए बीज भी मिल सकते हैं। बीज भलीभाँति अंकुरित होंगे जब हम खानपान से जुड़ी हुई दूसरी चीजों की ओर भी ध्यान देंगे। मसलन हम उस बोली-बानी, भाषा-भूषा आदि को भी किसी-न-किसी रूप में ज्यादा जानेंगे, जो किसी खानपान-विशेष से जुड़ी हुई है। इसी के साथ ध्यान देने की बात यह है कि ‘स्थानीय’ व्यंजनों का पुनरुद्धार भी ज़रूरी है जिन्हें अब ‘एथनिक’ कहकर पुकारने का चलन है। ऐसे स्थानीय व्यंजन केवल पाँच सितारा होटलों के प्रचारार्थ नहीं छोड़ दिए जाने चाहिए। पाँच सितारा होटलों में वे कभीकभार मिलते रहें, पर घरों-बाज़ारों से गायब हो जाएँ तो यह एक दुर्भाग्य ही होगा। अच्छी तरह बनाई-पकाई गई पूड़ियाँ-कचौड़ियाँजलेबियाँ भी अब बाज़ारों से गायब हो रही हैं। मौसमी सब्जियों से भरे हुए समोसे भी अब कहाँ मिलते हैं ? उत्तर भारत में उपलब्ध व्यंजनों की भी दुर्गति हो रही है?

Question 1.
खानपान की नई संस्कृति का सबसे अधिक प्रभाव किस पर पड़ता है?
(a) सांस्कृतिक एकजुटता पर
(b) राष्ट्रीय एकता पर
(c) खानपान का नया स्वरूप
(d) इनमें से कोई नहीं।

Answer

Answer: (b) राष्ट्रीय एकता पर


Question 2.
खानपान के अलावे किन चीज़ों का अनुसरण किया जाता है?
(a) भाषा और बोली
(b) वेशभूषा
(c) रहन-सहन
(d) उपर्युक्त सभी।

Answer

Answer: (d) उपर्युक्त सभी।


Question 3.
किसका पुनरुद्धार जरूरी है?
(a) स्थानीय व्यंजनों का
(b) नए व्यंजनों
(c) एथनिक
(d) किसी का नहीं।

Answer

Answer: (a) स्थानीय व्यंजनों का


Question 4.
‘बोली और भाषा’ राष्ट्रीय एकता को कैसे प्रभावित करते हैं-
(a) सभी लोग एक-दूसरे की भाषा जान जाते हैं
(b) एक-दूसरे प्रांत के लोग भावों और विचारों को समझने लगते हैं
(c) एक दूसरे की जान पहचान बढ़ जाती है
(d) एक प्रांत से दूसरे प्रांत में जा सकते हैं।

Answer

Answer: (b) एक-दूसरे प्रांत के लोग भावों और विचारों को समझने लगते हैं


Question 5.
मौसमी सब्जियाँ-रेखांकित शब्द क्या हैं ?
(a) संज्ञा
(b) सर्वनाम
(c) विशेषण
(d) क्रिया

Answer

Answer: (c) विशेषण


(4)

खानपान की मिश्रित संस्कृति में हम कई बार चीज़ों का असली और अलग स्वाद नहीं ले पा रहे। अकसर प्रीतिभोजों और पार्टियों में एक साथ ढेरों चीजें रख दी जाती हैं और उनका स्वाद गड्डमड्ड होता रहता है। खानपान की मिश्रित या विविध संस्कृति हमें कुछ चीजें चुनने का अवसर देती हैं, हम उसका लाभ प्रायः नहीं उठा रहे हैं। हम अकसर एक ही प्लेट में कई तरह के और कई बार तो बिलकुल विपरीत प्रकृतिवाले व्यंजन परोस लेना चाहते हैं।

Question 1.
उपरोक्त गद्यांश के पाठ का नाम इनमें से कौन-सा है?
(a) खानपान की संस्कृति
(b) खानपान की नई संस्कृति
(c) खानपान की बदलती तस्वीर
(d) खानपान की तस्वीर।

Answer

Answer: (c) खानपान की बदलती तस्वीर


Question 2.
खानपान की मिश्रित संस्कृति का प्रभाव क्या पड़ता है?
(a) व्यंजनों का उपलब्ध न होना
(b) व्यंजनों का असली स्वाद न ले पाना
(c) स्थानीय व्यंजनों का महत्त्व बढ जाना
(d) उपर्युक्त सभी।

Answer

Answer: (b) व्यंजनों का असली स्वाद न ले पाना


Question 3.
खानपान की मिश्रित संस्कृति ने हमें किसका मौका दिया है?
(a) अलग स्वाद लेने का
(b) दूर दराज़ जगहों के व्यंजनों की जानकारी का
(c) नए-नए व्यंजन चुनने का
(d) उपर्युक्त सभी।

Answer

Answer: (d) उपर्युक्त सभी।


Question 4.
प्रीति भोजों और पार्टियों में एक साथ ढेरों चीजें एक साथ रख देने से क्या होता है?
(a) स्वाद परस्पर मिल जाता है
(b) चयन करने का मौका मिलता है
(c) खानेवालों का समय बच जाता है
(d) स्वाद बढ़ जाता है।

Answer

Answer: (a) स्वाद परस्पर मिल जाता है


Question 5.
प्रकृतिवाले में कौन सा ‘प्रत्यय’ है-
(a) ले
(b) वाले
(c) प्र
(d) ति

Answer

Answer: (b) वाले


(5)

बंबई की पाव-भाजी और दिल्ली के छोले-कुलचों की दुनिया पहले की तुलना में बड़ी ज़रूर है, पर अन्य स्थानीय व्यंजनों की दुनिया में छोटी हुई है। जानकार ये भी बताते हैं कि मथुरा के पेड़ों और आगरा के पेठे-नमकीन में अब वह बात कहाँ रही! यानी जो चीजें बची भी हुई हैं, उनकी गुणवत्ता में फ़र्क पड़ा है। फिर मौसम और ऋतुओं के अनुसार फलों-खाद्यान्नों से जो व्यंजन और पकवान बना करते थे, उन्हें बनाने की फुरसत भी अब कितने लोगों को रह गई है। अब गृहिणियों या कामकाजी महिलाओं के लिए खरबूज़ के बीच सुखाना-छीलना और फिर उनसे व्यंजन तैयार करना सचमुच दुस्साध्य है?

Question 1.
वस्तुओं की गुणवत्ता में क्या और कैसे फ़र्क आया है?

Answer

Answer: वस्तुओं की गुणवत्ता में आज के दौर में काफ़ी अंतर आया है। पहले समय की वस्तुएँ शुद्ध, ताज़ी और स्वादिष्ट होती थीं लेकिन आज के समय में इंसानों का लालच बढ़ता जा रहा है जिसके कारण दुकानदार अधिक लाभ कमाने के चक्कर में मिलावटी समान बेचने लगे हैं। उदाहरणस्वरूप-मथुरा के पेड़े व आगरा के पेठे, नमकीन अब उतने स्वादिष्ट नहीं होते जितने की पहले होते थे।


Question 2.
आज की गृहिणियों और कामकाजी महिलाओं के लिए क्या दुस्साध्य है?

Answer

Answer: आज की घरेलू व कामकाजी महिला अत्यधिक व्यस्त रहती है। उनके पास इतना समय नहीं कि पुरानी परिपाठी के अनुसार व्यंजन बना सकें। जैसे-खरबूजे के बीजों को धोना, सुखाना व छीलना, फिर उससे व्यंजन बनाना उनके लिए अत्यंत मुश्किल है।


Question 3.
मौसमी फलों और खाद्यानों से बनाए जाने वाले कई व्यंजन अब नहीं बनाए जाते हैं, क्यों?

Answer

Answer: मौसमी फलों और खाद्यानों से बनाए जाने वाले कई व्यंजन अब नहीं बनाए जाते हैं, क्योंकि लोगों के पास न तो उतना समय है और न तो उतना परिश्रम करने की क्षमता है।


Question 4.
स्थानीय व्यंजनों की दुनिया सीमित होती जा रही है? इसके क्या कारण हैं ?

Answer

Answer: स्थानीय व्यंजनों की दुनिया सीमित होती जा रही है, क्योंकि उनमें गुणवत्ता में कमी, नए-नए व्यंजनों की उपलब्धता तथा समय की कमी के कारण व्यंजनों को कम तैयार करना है।


Question 5.
इस गद्यांश के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहते हैं और क्यों?

Answer

Answer: इस गद्यांश के माध्यम से लेखक कहना चाहते हैं कि स्थानीय व्यंजनों यानी खाद्य पदार्थों के प्रचलन में काफ़ी कमी आई है। इसके दो प्रमुख कारण हैं एक तो चीज़ों की गुणवत्ता कम होना, दूसरा विशेष तरीके से किसी चीज़ को बनाने के लिए लोगों के पास समय की कमी है।


(6)

हम खान-पान से भी एक-दूसरे को जानते हैं। इस दृष्टि से देखें तो खानपान की नई संस्कृति में हमें राष्ट्रीय एकता के लिए नए बीज भी मिल सकते हैं। बीज भलीभाँति तभी अंकुरित होंगे जब हम खानपान से जुड़ी हुई दूसरी चीज़ों की ओर भी ध्यान देंगे। मसलन हम उस बोली-बानी, भाषा-भूषा आदि को भी किसी-न-किसी रूप में ज्यादा जानेंगे, जो किसी खानपान-विशेष से जुड़ी हुई है। इसी के साथ ध्यान देने की बात यह है कि ‘स्थानीय’ व्यंजनों का पुनरुद्धार भी ज़रूरी है जिन्हें अब ‘एथनिक’ कहकर पुकारने का चलन बहुत है। ऐसे स्थानीय व्यंजन केवल पाँच सितारा होटलों के प्रचारार्थ नहीं छोड़ दिए जाने चाहिए। पाँच सितारा होटलों में वे कभी-कभार मिलते रहें, पर घरों-बाज़ारों से गायब हो जाएँ तो यह एक दुर्भाग्य ही होगा। अच्छी तरह बनाई-पकाई गई पूड़ियाँकचौड़ियाँ-जलेबियाँ भी अब बाज़ारों से गायब हो रही हैं। मौसमी सब्जियों से भरे हुए समोसे भी अब कहाँ मिलते हैं ? उत्तर भारत में उपलब्ध व्यंजनों की भी दुर्गति हो रही है?

Question 1.
खानपान की नई संस्कृति का क्या लाभ है ?

Answer

Answer: खानपान की नई संस्कृति का यह लाभ है कि इससे राष्ट्रीय एकता की भावना जाग्रत होती है। खान-पान की चीज़ों के अतिरिक्त पहनावा-पोशाक एवं अन्य बातों की ओर भी हमारा ध्यान जाएगा।


Question 2.
स्थानीय व्यंजनों को क्या कहकर पुकारा जाने लगा है? और क्यों?

Answer

Answer: स्थानीय व्यंजनों को ‘एथनिक’ कहकर पुकारा जाने लगा है क्योंकि ये किसी स्थान और ‘समुदाय’ विशेष से संबंधित हैं।


Question 3.
स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार क्यों ज़रूरी है?

Answer

Answer: स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार इसलिए ज़रूरी है क्योंकि इसका प्रचलन निरंतर कम होता जा रहा है। इसके बारे में जानना और अपनाना आवश्यक हो गया है।


Question 4.
स्थानीय व्यंजनों के उद्धार के लिए क्या-क्या प्रयास किया जाना चाहिए?

Answer

Answer: स्थानीय व्यंजनों के उद्धार के लिए इन्हें पाँच सितारा होटलों के प्रचार के भरोसे नहीं छोड़ा जाना चाहिए। समय-समय पर घरों में इन्हें बनाना चाहिए और बाज़ार में भी इनकी बिक्री को बढ़ावा देना चाहिए।


Question 5.
किन चीज़ों को होटलों पर नहीं छोड देना चाहिए?

Answer

Answer: स्थानीय व्यंजनों को ‘एथनिक’ के नाम पर पाँच सितारा होटलों के ऊपर नहीं छोड़ देना चाहिए।


Question 6.
उत्तर भारत के व्यंजनों की दुर्गति हो रही है- लेखक ने ऐसा क्यों कहा?

Answer

Answer: उत्तर भारत के व्यंजनों की दुर्गति हो रही है-लेखक ने इसलिए कहा क्योंकि उत्तर भारत के कुछ व्यंजन धीरे-धीरे बाज़ारों से गायब होते जा रहे हैं। अच्छी तरह बनाई गई पूड़ियाँ-कचौड़िया, मौसमी सब्जियों से भरे समोसे, जलेबियाँ अब दिखाई नहीं देती।


(7)

यह भी एक कड़वा सच है कि कई स्थानीय व्यंजनों को हमने तथाकथित आधुनिकता के चलते छोड़ दिया है और पश्चिम की नकल में बहुत-सी ऐसी चीजें अपना ली हैं, जो स्वाद, स्वास्थ्य और सरसता के मामले में हमारे बहुत अनुकूल नहीं हैं।
हो यह भी रहा है कि खानपान की मिश्रित संस्कृति में हम कई बार चीज़ों का असली और अलग स्वाद नहीं ले पा रहे। अकसर प्रीतिभोजों और पार्टियों में एक साथ ढेरों चीजें रख दी जाती हैं और उनका स्वाद गड्डमड्ड होता रहता है। खानपान की मिश्रित या विविध संस्कृति हमें कुछ चीजें चुनने का अवसर देती है, हम उसका लाभ प्रायः नहीं उठा रहे हैं। हम अकसर एक ही प्लेट में कई तरह के और कई बार तो बिलकुल विपरीत प्रकृतिवाले व्यंजन परोस लेना चाहते हैं।

Question 1.
कड़वा सच क्या है?

Answer

Answer: कड़वा सच यह है कि हमने आधुनिकता की दौड़ में स्थानीय व्यंजनों का प्रयोग कम कर दिया है।


Question 2.
स्थानीय व्यंजन कई कारणों से छोड़े जा रहे हैं, परंतु सबसे दुखद क्या है ?

Answer

Answer: स्थानीय व्यंजन कई कारणों से छोड़े जा रहे हैं, लेकिन सबसे दुखद यह है कि कई बार केवल आधुनिकता के नाम पर हम कुछ स्थानीय व्यंजनों को बनाते हैं, तो कभी उसका इस्तेमाल कम कर देते हैं।


Question 3.
क्या खानपान में पश्चिम की नकल सही हैं?

Answer

Answer: आधुनिकता की होड़ में स्थानीय व्यंजनों का प्रयोग कम करना सही नहीं है। खानपान में पश्चिम देशों की नकल कर किसी वस्तु को अपनाने से पहले हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि वह वस्तु हमारे स्वाद और स्वास्थ्य के अनुकूल है या नहीं।


Question 4.
खानपान की मिश्रित संस्कृति के हम कई बार चीज़ों का असली स्वाद क्यों नहीं ले पाते?

Answer

Answer: खानपान की मिश्रित संस्कृति में हम कई चीज़ों का असली स्वाद नहीं ले पाते क्योंकि एक ही बार में ढेरों चीजें परोस दी जाती हैं। अलग-अलग रूप में किसी का भी स्वाद नहीं लिया जाता।


Question 5.
‘सरसता’ और ‘अनुकूल’ का विलोम लिखिए।

Answer

Answer:

शब्दविलोम
सरसतानीरसता
अनुकूलप्रतिकूल

Question 6.
उपरोक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।

Answer

Answer:
पाठ का नाम-खानपान की बदलती तसवीर
लेखक का नाम-प्रयाग शुक्ल

प्रश्न अभ्यास

निबंध से

प्रश्न 1.
खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें?
उत्तर:
खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का मतलब है-देशी-विदेशी व्यंजनों का मेल-जोल अर्थात् स्थानीय व्यंजनों और पकवानों का महत्त्व रखते हुए देश के अन्य भागों
के पकवानों तथा विदेशी व्यंजनों व पकवानों को अपनाना। मेरे अपने ही घर में कुछ दिन पहले तक उत्तर भारतीय भोजन रोटी, दाल, साग, पूड़ी ही खाई जाती थी, वहीं अब कभी इनके साथ इडली-डोसा-बड़ा तथा फास्ट फूड-बर्गर, नूडल्स, पिज्या भी खाया जाने लगा है।

प्रश्न 2.
खानपान में बदलाव के कौन से फायदे हैं? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है?
उत्तर:
खानपान में बदलाव के निम्नलिखित फायदे हैं –

  • किसी क्षेत्र के पकवान या व्यंजन को उस क्षेत्र के बाहर के लोगों ने भी अपनाया।
  • खाने-खिलाने में विविधता आ गई।
  • हम अन्य संस्कृति बोली-बानी, भाषा-भूषा से भी परिचित होते हैं।
  • राष्ट्रीय एकता की भावना प्रबल होती है।

फिर भी लेखक इस बदलाव से चिंतित है क्योंकि

  • स्थानीय व्यंजन तथा पकवान घटकर कुछ ही चीज़ों तक सीमित होते जा रहे हैं।
  • नई पीढ़ी इन स्थानीय पकवानों को भूलती जा रही है।
  • स्थानीय पकवान बाजारों से गायब होते जा रहे हैं।

प्रश्न 3.
खानपान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है?
उत्तर:
खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ है-किसी क्षेत्र या स्थान विशेष पर खाए-खिलाए जाने वाले व्यंजन तथा पकवान। जैसे-इडली-डोसा-बड़ा-साँभर-रसम दक्षिण भारत के स्थानीय व्यंजन व पकवान हैं।

निबंध से आगे

प्रश्न 1.
घर में बातचीत करके पता कीजिए कि आपके घर में क्या चीजें पकती हैं और क्या चीजें बनी-बनाई बाज़ार से आती हैं? इनमें से बाजार से आनेवाली कौन-सी चीजें आपके माँ-पिता जी के बचपन में घर में बनती थीं?
उत्तर:
मेरे घर में पूड़ियाँ, कचौड़ियाँ, छोले, सब्जियाँ, रायता, चाउमीन, नूडल्स, चाबल, दाल, कढ़ी, रोटियाँ, समोसे घर पर पकाए तथा बनाए जाते हैं। इसके अलावा, चिप्स, पापड़, नमकीन, इडली, डोसा, साँभर, रसम, हलवा, चाउमीन, गुझिया बाज़ार से आती हैं। माँ-पिता जी के बचपन में चिप्स, पापड़, गुझिया, नमकीन, हलवा आदि घर पर ही बनते थे।

प्रश्न 2.
यहाँ खाने, पकाने और स्वाद से संबंधित कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए और इनका वर्गीकरण कीजिए
उबालना, तलना, भूनना, सेंकना, दाल, भात, रोटी, पापड़, आलू, बैंगन, खट्टा, मीठा, तीखा, नमकीन, कमैला
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर image - 1


उत्तर:
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर image - 2

प्रश्न 3.
छौंक   चावल    कढ़ी
इन शब्दों में क्या अंतर है? समझाइए। इन्हें बनाने के तरीके विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग हैं। पता करें कि आपके प्रांत में इन्हें कैसे बनाया जाता है।
उत्तर:
शब्दों का अंतर छात्र अध्यापक तथा माता-पिता की मदद से स्वयं करें। बनाने के तरीके  चावल – जितना चावल पकाना होता है, उसका लगभग डेढ़ गुना पानी बर्तन में रख देते हैं। चावल को भली प्रकार साफ करके धो लेते हैं। पानी गुनगुना होते ही उसमें चावल डालकर एक-डेढ़ चम्मच घी मिलाकर हिला देते हैं। कुकर का ढक्कन बंद कर एक सीटी लगने तक पकने देते हैं। फिर ठंडा होने पर उसे बड़े चम्मच से मिला देते हैं। कढ़ी-बेसन को गाढ़ा घोलकर. भली प्रकार मिला लेते हैं।

उसमें स्वादानुसार नमक मिर्च तथा मसाले मिलाकर तेल में तलकर पकौड़ियाँ बना लेते हैं और लाल भूरी रंग की होने पर निकाल लेते हैं। फिर कुछ तेल में मसाले (जीरा, प्याज, लहसुन, हरी मिर्च, अदरक) आदि को भूरा-सा भूनकर बेसन, दही तथा उचित मात्रा में पानी, नमक तथा मसाले डालकर पकाते हैं। पहले से बनी पकौड़ियाँ डालकर देर तक गाढ़ा होने तक पकाते हैं। इस प्रकार ठंडा होने पर कढ़ी खाने के लिए तैयार हो जाती है। छौंक तैयार करने की विधि छात्र स्वयं अपने प्रांत (प्रदेश) के अनुसार पता करके लिखें।

प्रश्न 4.
पिछली शताब्दी में खानपान की बदलती हुए तस्वीर का खाका खींचें तो इस प्रकार होगा
सन् साठ का दशक – छोले-भटूरे
सन् सत्तर का दशक – इडली, डोसा
सन् अस्सी का दशक तिब्बती – (चीनी) खाना
सन् नब्बे का दशक – पीज़ा, पाव-भाजी
इसी प्रकार आप कुछ कपड़ों या पोशाकों की बदलती तसवीर का खाका खींचिए।
उत्तर:
सन् साठ का दशक – धोती-कुरता
सन् सत्तर का दशक – कुरता-पाजामा
सन् अस्सी का दशक – पैंट-शर्ट
सन् नब्बे का दशक – कोट-पैंट (सूट), टाई।

प्रश्न 5.
मान लीजिए कि आपके घर कोई मेहमान आ रहे हैं जो आपके प्रांत का पारंपरिक भोजन करना चाहते हैं। उन्हें खिलाने के लिए घर के लोगों की मदद से एक व्यंजन-सूची (मेन्यू) बनाइए।
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर image - 3

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
‘फ़ास्ट फूड’ यानी तुरंत भोजन के नफेनुकसान पर कक्षा में वाद-विवाद करें।
उत्तर:
‘फास्ट फूड’ यानी तुरंत-भोजन
नफे (फायदे) –

  • कम समय में तुरंत मिल जाता है।
  • आकस्मिक भोजन की आवश्यकता को पूरी कर। देता है।
  • कुछ अलग संस्कृति से परिचित होने का अवसर मिलता है।

नुकसान:

  • स्थानीय भोजन की दिन-प्रतिदिन उपेक्षा होती जा रही है, और वे अपनी प्रसिद्धि खोते जा रहे हैं।
  • स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं माने जाते हैं।
  • स्थानीय भोजन की अपेक्षा कई गुने महँगे होने के कारण धन का अपव्यय बढ़ता है। छात्र वाद-विवाद में कुछ अपनी ओर से और जोड़ें।

प्रश्न 2.
हर शहर, कस्बे में कुछ ऐसी जगहें होती हैं जो अपने किसी खास व्यंजन के लिए जानी जाती हैं। आप अपने शहर, कस्बे का नक्शा बनाकर उसमें ऐसी सभी जगहों को दर्शाइए?
उत्तर:
छात्र अध्यापक की मदद से करें।

प्रश्न 3.
खानपान के मामले में शुद्धता का मसला काफी पुराना है। आपने अपने अनुभव में इस तरह की मिलावट को देखा है? किसी फ़िल्म या अखबारी खबर के हवाले से खानपान में होनेवाली मिलावट के नुकसानों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
हाँ, एक बार जब माँ ने मुझे काली मिर्च खरीदने के लिए भेजा। मैं 100 ग्राम काली मिर्च लाया। माँ ने सब्ज़ियाँ बनाईं। सब्जी का स्वाद ठीक न लगने पर जब उस काली मिर्च की जाँच की गई तो पता लगा कि उसमें तो पपीते के बीज मिले हुए हैं। मैंने उसे दुकान पर वापस कर दिया। अखबारी खबर के हवाले से खानपान में होने वाली मिलावट के नुकसान –
कल ………. समाचार पत्र में अरहर की दाल में खेसारी की दाल की मिलावट का समाचार पढ़ा। लोग अपने फायदे या धन कमाने के लालच में आकर मिलावट करते हैं। इससे –

  • लोगों का स्वास्थ्य खराब होता है और वे मरीज़ बन जाते हैं।
  • लोग अपनी गाढ़ी कमाई डॉक्टर के पास लुटाते हैं।
  • पीड़ित लोगों का विकास रुक जाता है।
  • सरकारी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाते हैं।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
खानपान शब्द, खान और पान दो शब्दों को जोड़कर बना है। खानपान शब्द में और छिपा हुआ है। जिन शब्दों के योग में और, अथवा, या जैसे योजक शब्द छिपे हों, उन्हें द्वंद्व समास कहते हैं। नीचे द्वंद्व समास के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए और अर्थ समझिए –
सीना-पिरोना
भला-बुरा
चलना-फिरना
लंबा-चौड़ा
कहा-सुनी
घास-फूस
उत्तर:
सीना-पिरोना (सिलाई और उससे जुड़े काम) – उसने भली भाँति सीना-पिरोना सीख लिया है।
भला-बुरा (अपना हित-अहित) – दूसरों पर कब तक आश्रित रहोगे, तुम अपना भला-बुरा कब सोचोगे?
चलना-फिरना (घूमना-टहलना) – कार से दुर्घटनाग्रस्त होने के चार महीने बाद उसने फिर से चलना-फिरना शुरू कर दिया है।
लंबा-चौड़ा (विशाल आकार वाला) – इतना लंबा-चौड़ा पुल मैं पहली बार देख रहा हूँ।
कहा-सुनी (नाराज़गी भरी बातचीत) – ‘देखो सुमन! इस कहा-सुनी में कुछ नहीं रखा है’, मैंने समझाते हुए कहा।
घास-फूस (बेकार की वस्तुएँ) – खाने के नाम पर तुम क्या घास-फूस उठा लाए?

प्रश्न 2.
कई बार एक शब्द सुनने या पढ़ने पर कोई और शब्द याद आ जाता है। आइए शब्दों की ऐसी कड़ी बनाएँ। नीचे शुरुआत की गई है। उसे आप आगे बढ़ाइए। कक्षा में मौखिक सामूहिक गतिविधि के रूप में भी इसे किया जा सकता है –
इडली-दक्षिण-केरल-ओणम्- त्योहार-छुट्टी-आराम
उत्तर:
इडली-दक्षिण, केरल-ओणम-त्योहार
छुट्टी-आराम, आम-दशहरी-मलीहाबाद।
साड़ियाँ-बनारसी, ताजमहल-आगरा,
लालकिला-दिल्ली, बह्माजी का मन्दिर-पुष्कर,
संगम-प्रयाग, इलाहाबाद ……… आदि।

कुछ करने को

उन विज्ञापनों को इकट्ठा कीजिए जो हाल ही के ठंडे पेय पदार्थों से जुड़े हैं। उनमें स्वास्थ्य और सफाई पर दिए गए ब्योरों को छाँटकर देखें कि हकीकत क्या है।
उत्तर:
छात्र ऐसे विज्ञापनों को स्वयं इकट्ठा करें और माता-पिता तथा अध्यापक की मदद से हकीकत का पता करें।


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