पार नज़र के पाठ का सारांश
पार नज़र के कहानी जयंत विष्णु नार्लीकर जी द्वारा लिखा गया है ,जिसमें आपने रोमांचकारी ढंग से मंगल गृह के जीवन के बारे में बताया है। कथा की शुरुवात में बताया गया है कि छोटू नाम के लड़के ने अपने पापा के सिकुरित्य्य पास को ले लिया और सुरंग के रास्ते जाने लगा ,लेकिन वह पकड़ा गया और वापस फिर घर भेज दिया गया। छोटू के पापा इन्ही सुरंगनुमा जगहों जगहों पर काम करते थे। छोटू सुरंगनुमा जगह पर इसीलिए पकड़ा गया क्योंकि निरीक्षक यंत्र में संदेहास्पद स्थिति दर्ज हो गयी है। छोटू के पापा न होते ,तो छोटू का बचना मुश्किल था। घर पहुँच कर छोटू के ऊपर बहुत डांट पड़ी। पापा ने माँ के गुस्से से बचा लिया। पापा ने छोटू को समझाया कि सुरंगनुमा जगह को पार कर धरती के ऊपर जाया जाता है। उसके लिए ख़ास तरह के स्पेस शूट की जरुरत होती है। पापा कहने लगे कि एक समय था जब मंगल ग्रह पर सभी लोग जमीन पर ही रहते थे। लेकिन वातावरण में परिवर्तन आने से कई तरह के जीवन जो धरती पर रहा करते थे ,मरने लगे। सूरज में परिवर्तन होते ही वहां का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने लगा। ऐसी पारिस्थितियों का सामना करने के लिए पशु पक्षी ,पेड़ पौधे आदि सभी अक्षम साबित हुए। केवल तकनीकी ज्ञान के आधार पर वे जमीन के नीचे बना पाए। अतः यंत्रों के सहारे जीवन चलता है। उन्ही यंत्रों की मरम्मत करने के लिए मुझे जाना पड़ता है। यह सुनकर छोटू भी चहक उठा और कहने लगा कि बड़ा होकर मैं आपकी तरह बनूँगा। यह सुनकर माँ ने कहा कि इसके लिए तुम्हे पढना पड़ेगा। दूसरे दिन जब छोटू के पापा काम पर गए तो उन्हें पता चला कि मंगल ग्रह की तरफ दो यान बढ़ते चले आ रहे है। ऐसी आपदा की स्थिति में कॉलोनी की प्रबंध समिति की सभा बुलाई गयी। अध्यक्ष ने बताया कि किसी अन्य ग्रह से अन्तरिक्ष यान चले आ रहे है। सभी लोगों ने सलाह मशविरा कर बताया कि कुछ ऐसा प्रबंध किया जाए ,जिससे इन यानों में लगे यंत्रों को इस धरती की कोई चीज़ महत्वपूर्ण हाथ न लगे। सभा चल ही रही थी कि अन्तरिक्ष यान धरती पर उतर चुका है। अन्तरिक्ष यान से एक यांत्रिक हाथ बाहर निकला ,जिसकी लम्बाई हर पल बढती जा रही थी। तभी छोटू ने कंसोल का लाल बटन दबा दिया ,जिससे यान के यांत्रिक हाथ का हिस्सा बिगड़ गया। इससे छोटू के पापा गुस्सा हो गए। सभी लोगों की नज़र लाल बटन पर गयी जिसे पुनः स्थिति में लाया गया। तब तक अन्तरिक्ष यान के यांत्रिक हाथ की स्थिति बिगड़ गयी थी। यंत्र बेकार हो गया था।
कुछ दिनों बाद पृथ्वी के प्रमुख अखबारों में यह खबर छपी कि मंगल की धरती पर उतरा हमारा यान वाइकिंग अपना निर्धारित कार्य कर रहा है। लेकिन किसी अज्ञात कारणवश उसमें खराबी आ गयी है ,जिसे दुरुस्त कर लिया जाएगा। आज भी पृथ्वी पर रहस्य बना हुआ है कि क्या मंगल ग्रह पर भी पृथ्वी की ही तरह जीवन है या नहीं।
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