NCERT Important Questions & MCQs Class 6th Hindi -वसंत, भाग 1

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Chapter -2 बचपन

MCQs Questions with Answers

Question 1.
‘बचपन’ पाठ किसकी रचना है-
(a) प्रेमचंद
(b) रवींद्रनाथ टैगोर
(c) महादेवी वर्मा
(d) कृष्णा सोबती

Answer

Answer: (d) कृष्णा सोबती


Question 2.
लेखिका बचपन में इतवार की सुबह क्या काम करती थी?
(a) वह विद्यालय जाती थी।
(b) वह पौधों की देख-रेख करती थी।
(c) वह नृत्य करती थी।
(d) वह अपने मोज़े व जूते पॉलिश करती थी

Answer

Answer: (d) वह अपने मोज़े व जूते पॉलिश करती थी


Question 3.
लेखिका का जन्म किस सदी में हुआ था?
(a) 18वीं सदी
(b) 20वीं सदी
(c) 21वीं सदी
(d) 22वीं सदी

Answer

Answer: (b) 20वीं सदी


Question 4.
पहले गीत-संगीत सुनने के क्या साधन थे?
(a) रेडियो
(b) टेलीविज़न
(c) ग्रामोफ़ोन
(d) सी० डी० प्लेयर

Answer

Answer: (c) ग्रामोफ़ोन


Question 5.
हर शनिवार लेखिका को क्या पीना पड़ता था?
(a) घी
(b) ऑलिव ऑयल
(c) सरसों तेल
(d) नारियल तेल

Answer

Answer: (b) ऑलिव ऑयल


(1)

मैं तुमसे कुछ इतनी बड़ी हूँ कि तुम्हारी दादी भी हो सकती हूँ, तुम्हारी नानी भी। बड़ी बुआ भी-बड़ी मौसी भी। परिवार में मुझे सभी लोग जीजी कहकर ही पुकारते हैं।
हाँ, मैं इन दिनों कुछ बड़ा-बड़ा यानी उम्र में सयाना महसूस करने लगी हूँ। शायद इसलिए कि पिछली शताब्दी में पैदा हुई थी। मेरे पहनने-ओढने में भी काफ़ी बदलाव आए हैं। पहले मैं रंग-बिरंगे कपड़े पहनती रही हैं। नीला-जामुनी-ग्रे-काला-चॉकलेटी। अब मन कुछ ऐसा करता है कि सफ़ेद पहनो। गहरे नहीं, हलके रंग। मैंने पिछले दशकों में तरह-तरह की पोशाकें पहनी हैं। पहले फ्रॉक, फिर निकर-वॉकर, स्कर्ट, लहँगे, गरारे और अब चूड़ीदार और घेरदार कुरते।

Question 1.
परिवार में लोग लेखिका को क्या कहकर पुकारते थे?
(a) दीदी
(b) मौसी
(c) बहन
(d) जीजी

Answer

Answer: (d) जीजी


Question 2.
लेखिका अब अपने आप को किस स्थिति में पाती है?
(a) अच्छा
(b) बुरा
(c) सयाना
(d) असहज

Answer

Answer: (c) सयाना


Question 3.
लेखिका के मन में अब कैसे कपड़े पहनने की इच्छा होती है?
(a) चॉकलेटी
(b) सफ़ेद
(c) लाल
(d) रंग-बिरंगे

Answer

Answer: (b) सफ़ेद


(2)

हर शनीचर को हमें ऑलिव ऑयल या कैस्टर ऑयल पीना पड़ता। यह एक मुश्किल काम था। शनीचर को सुबह से ही नाक में इसकी गंध आने लगती !
छोटे शीशे के गिलास, जिन पर ठीक खुराक के लिए निशान पड़े रहते, उन्हें देखते ही मितली होने लगती। मुझे आज भी लगता है कि अगर हम न भी पीते वह शनिवारी दवा तो कुछ ज़्यादा बिगड़ने वाला नहीं था। सेहत ठीक ही रहती।

Question 1.
इनमें से सही पाठ और लेखिका का नाम बताएँ-
(a) बचपन-कृष्णा सोबती
(b) बचपन-महादेवी वर्मा
(c) बचपन-सुभद्रा कुमारी चौहान
(d) बचपन-रेखा जैन

Answer

Answer: (a) बचपन-कृष्णा सोबती


Question 2.
लेखिका को हर शनिवार की सुबह अच्छी नहीं लगती थी क्योंकि?
(a) क्योंकि विद्यालय जाना पड़ता था
(b) क्योंकि जूते एवं जुराब साफ़ करना पड़ता था
(c) क्योंकि ऑलिव ऑयल पीना पड़ता था
(d) क्योंकि घर का काम करना पड़ता था

Answer

Answer: (d) क्योंकि घर का काम करना पड़ता था


Question 3.
लेखिका को दवा की खुराक का सही पता कैसे लगता था?
(a) डॉक्टर से
(b) माँ से
(c) शीशी पर लिखा हुआ पढ़कर
(d) शीशे के गिलास पर लगे निशान देखकर

Answer

Answer: (c) शीशी पर लिखा हुआ पढ़कर


(3)

शाम को रंग-बिरंगे गुब्बारे। सामने जाखू का पहाड़। ऊँचा चर्च। चर्च की घंटियाँ बजती तो दूर-दूर तक उनकी गूंज फैल जाती। लगता, इसके संगीत से प्रभु ईशू स्वयं कुछ कह रहे हैं।
सामने आकाश पर सूर्यास्त हो रहा है। गुलाबी सुनहरी धारियाँ नीले आसमान पर फैल रही हैं। दूर-दूर फैले पहाड़ों के मुखड़े गहराने लगे और देखते-देखते बत्तियाँ टिमटिमाने लगीं। रिज पर की रौनक और माल की दुकानों की चमक के भी क्या कहने! स्कैंडल पॉइंट की भीड़ से उभरता कोलाहल।
सरवर, स्कैंडल पॉइंट के ठीक सामने उन दिनों एक दुकान हुआ करती थी, जिसके शोरूम में शिमला-कालका ट्रेन का मॉडल बना हुआ था। इसकी पटरियाँ उस पर खड़ी छोटे-छोटे डिब्बों वाली ट्रेन। एक ओर लाल टीन की छतवाला स्टेशन और सामने सिग्नल देता खंबा-थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बनी सुरंगें!

Question 1.
उपरोक्त गद्यांश में लेखिका ने किस पहाड़ की चर्चा की है?
(a) शिवालिक का पहाड़
(b) सतपुड़ा का पहाड़
(c) हिमालय का पहाड़
(d) जाखू का पहाड़

Answer

Answer: (d) जाखू का पहाड़


Question 2.
‘पहाड़ों के मुखड़े गहराने’ का क्या अर्थ है?
(a) प्रकाश हो जाना
(b) पहाड़ पर सूर्य की रोशनी पड़ना
(c) बत्तियाँ जल जाना
(d) धीरे-धीरे अँधेरा छा जाना

Answer

Answer: (c) बत्तियाँ जल जाना


Question 3.
‘सरवर’, स्कैंडल पॉइंट के सामने वाली दुकान पर किस ट्रेन का मॉडल बना हुआ था?
(a) लखनऊ मेल
(b) अमृतसर मेल
(c) कालका-शिमला मेल
(d) लाहौर मेल

Answer

Answer: (d) लाहौर मेल


(4)

हम बच्चे इतवार की सुबह इसी में लगाते। धो लेने के बाद अपने-अपने जूते पॉलिश करके चमकाते। जब जूते कपड़े या ब्रश से रगड़ते तो पॉलिश की चमक उभरने लगती। सरवर, मुझे आज भी बूट पॉलिश करना अच्छा लगता है। हालाँकि अब नई-नई किस्म के शू आ चुके हैं। कहना होगा कि ये पहले से कहीं ज्यादा आरामदेह हैं। हमें जब नए जूते मिलते, उनके साथ ही छालों का इलाज शुरू हो जाता।
जब कभी लंबी सैर पर निकलते, अपने पास रु ई ज़रूर रखते। जूता लगा तो रुई मोज़े के अंदर। हाँ, हमारे-तुम्हारे बचपन में तो बहुत फ़र्क हो चुका है।
हर शनीचर को हमें ऑलिव ऑयल या कैस्टर ऑयल पीना पड़ता। यह एक मुश्किल काम था। शनीचर को सुबह से ही नाक में इसकी गंध आने लगती!

Question 1.
(क) लेखिका बचपन में इतवार की सुबह क्या-क्या काम करती थी?

Answer

Answer: बचपन में इतवार की सुबह लेखिका अपनी जुराबें धोती थी और जूतों पर पॉलिश करके चमकाती थी।


Question 2.
जूतों पर पॉलिश की चमक कैसे उभरती थी?

Answer

 


Question 3.
लेखिका को आज क्या करना अच्छा लग रहा है?

Answer

Answer: लेखिका को आज भी बूट पॉलिश करना अच्छा लगता है।


(5)

शाम को रंग-बिरंगे गुब्बारे। सामने जाखू का पहाड़। ऊँचा चर्च। चर्च की घंटियाँ बजती तो दूर-दूर तक उनकी गूंज फैल जाती। लगता, इसके संगीत से प्रभु ईशू स्वयं कुछ कह रहे हैं। सामने आकाश पर सूर्यास्त हो रहा है। गुलाबी सुनहरी धारियाँ नीले आसमान पर फैल रही हैं। दूर-दूर फैले पहाड़ों के मुखड़े गहराने लगे और देखते-देखते बत्तियाँ टिमटिमाने लगीं। रिज पर की रौनक और माल की दुकानों की चमक के भी क्या कहने! स्कैंडल पॉइंट की भीड़ से उभरता कोलाहल। सरवर, स्कैंडल पॉइंट के ठीक सामने उन दिनों एक दुकान हुआ करती थी, जिसके शोरूम में शिमला-कालका ट्रेन का मॉडल बना हुआ था। इसकी पटरियाँ-उस पर खड़ी छोटे-छोटे डिब्बों वाली ट्रेन। एक ओर लाल टीन की छतवाला स्टेशन और सामने सिग्नल देता खंबा-थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बनी सुरंगें!

Question 1.
लेखिका किस पहाड़ की बात कर रही है?

Answer

Answer: लेखिका ने जाख के पहाड़ की बात कर रही है।


Question 2.
‘पहाड़ों के मुखड़े गहराने’ का क्या अर्थ है ?

Answer

Answer: ‘पहाड़ों के मुखड़े गहराने’ का अर्थ है-दूर-दूर फैले पहाड़ों के मुखड़े गहराने लगे और देखते-देखते बत्तियाँ टिमटिमाने लगीं।


Question 3.
सरवर ‘स्कैंडल’ पॉइंट के सामने वाली दुकान पर किस ट्रेन का मॉडल बना हुआ था?

Answer

Answer: सरवर, स्कैंडल पॉइंट के ठीक सामने उन दिनों एक दुकान हुआ करती थी, जिसके शोरूम में शिमला-कालका ट्रेन का मॉडल बना हुआ था।


(6)

पिछली सदी में तेज़ रफ़्तारवाली गाड़ी वही थी। कभी-कभी हवाई जहाज़ भी देखने को मिलते! दिल्ली में जब भी उनकी आवाज़ आती, बच्चे उन्हें देखने बाहर दौड़ते। दीखता एक भारी-भरकम पक्षी उड़ा जा रहा है पंख फैलाकर। यह देखो और वह गायब! उसकी स्पीड ही इतनी तेज़ लगती। हाँ, गाड़ी के मॉडलवाली दुकान के साथ एक और ऐसी दुकान थी जो मुझे कभी नहीं भूलती। यह वह दुकान थी जहाँ मेरा पहला चश्मा बना था। वहाँ आँखों के डॉक्टर अंग्रेज़ थे।

Question 1.
तेज़ रफ़्तारवाली गाड़ी का नाम बताएँ।

Answer

Answer: तेज रफ्तारवाली गाड़ी शिमला-कालका ट्रेन थी।


Question 2.
पिछली शताब्दी की और कौन-सी चीज़ विशेष थी?

Answer

Answer: पिछली शताब्दी में कभी-कभी दिखने वाले हवाई जहाज़ विशेष थे। उन्हें देखने के लिए दिल्ली के बच्चे बाहर तक दौड़ जाते और वह भारी-भरकम पक्षी अपनी गति के कारण क्षण भर में गायब हो जाता।


Question 3.
लेखिका किस दुकान को कभी नहीं भुला पायी?

Answer

Answer: लेखिका चश्मे के दुकान को कभी नहीं भुला पाई।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

संस्मरण से

प्रश्न 1.
लेखिका बचपन में इतवार की सुबह क्या-क्या काम करती थी ं?
उत्तर-
बचपन में इतवार की सुबह लेखिका अपने मोजे धोती थी, फिर जूतों पर पॉलिश करके उसे कपड़े या ब्रश से रगड़कर चमकाती थी।

प्रश्न 2.
‘तुम्हें बताऊँगी कि हमारे समय और तुम्हारे समय में कितनी दूरी हो चुकी है।’-इस बात के लिए लेखिका क्या-क्या उदाहरण देती हैं?
उत्तर-
लेखिका अपने समय से आज के समय की दूरी को बताने के लिए निम्नलिखित उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं-
(क) तब उन दिनों रेडियो और टेलीविज़न की जगह कुछ घरों में ग्रामोफ़ोन होते थे।
(ख) पहले कुल्फ़ी होती थी अब आइसक्रीम हो गई। कचौड़ी-समोसा अब पैटीज़ में बदल गया है।
(ग) फ़ाल्से और खसखस के शरबत के स्थान पर कोक और पेप्सी जैसे शीतल पेयों ने ले लिया है। उनके समय में कोक नहीं। लेमनेड, विमटो मिलती थी।

प्रश्न 3.
पाठ से पता करके लिखो कि लेखिका को चश्मा क्यों लगाना पड़ा? चश्मा लगाने पर उनके चचेरे भाई उन्हें क्या कहकर चिढ़ाते थे?
उत्तर-
लेखिका को रात में टेबल लैंप के सामने बैठकर पढ़ने के कारण उनकी नजर कमजोर हो गई थी, इस वजह से उन्हें चश्मा लगाना पड़ा। उनके चचेरे भाई चश्मा लगाने पर उन्हें छेड़ते हुए कहते थेआँख पर चश्मा लगाया ताकि सूझे दूर की यह नहीं लड़की को मालूम सूरत बनी लंगूर की!

प्रश्न 4.
लेखिका अपने बचपन में कौन-कौन सी चीजें मज़ा ले-लेकर खाती थीं? उनमें से प्रमुख फलों के नाम लिखो।
उत्तर-
लेखिका बचपन में चॉकलेट को बड़े मजे से खाती थी। उनको सप्ताह में एक बार चॉकलेट खरीदने की छूट थी। लेखिका चॉकलेट को साइडबोर्ड पर रख देती थी फिर बिस्तर पर लेटकर मजे से खाती थी। इसके अतिरिक्त कुल्फ़ी, शहतूत, फ़ाल्से के शरबत, चॉकलेट, पेस्ट्री तथा फल मजे ले-लेकर खाती थी। कुछ प्रमुख फल ‘काफल’ और ‘चेस्टनट’ था।

संस्मरण से आगे

प्रश्न 1.
लेखिका के बचपन में हवाई जहाज़ की आवाजें, घुड़सवारी, ग्रामोफ़ोन और शोरूम में शिमला-कालका ट्रेन का मॉडल ही आश्चर्यजनक आधुनिक चीजें थीं। आज क्या-क्या आश्चर्यजनक आधुनिक चीजें तुम्हें आकर्षित करती हैं? उनके नाम लिखो।
उत्तर-
आज की आश्चर्यजनक आधुनिक चीजें हैं-कंप्यूटर, टेलीविज़न, इंटरनेट, मोबाइल, रोबोट, मेट्रो ट्रेन, मोटर कार, बाइक आदि।
इनके प्रति हम आज ज्यादा आकर्षित होते हैं।

प्रश्न 2.
अपने बचपन की किसी मनमोहक घटना को याद करके विस्तार से लिखो।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
सन् 1935-40 के लगभग लेखिका को बचपन शिमला में अधिक दिन गुज़रा उन दिनों के शिमला के विषय में जानने का प्रयास करो।
उत्तर-
लेखिका का बचपन अधिकांशतः शिमला में गुजरा। उन दिनों शिमला विकसित होने लगा था। वहाँ रेस्टोरेंट, मॉल, अच्छी दुकानें आदि खुल गई थीं। छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा शहर, चढ़ाई-चढ़कर गिरजा मैदान पहुँचना और उतर कर मॉल जाना ये सब घटनाएँ सुखद थीं। संध्या के समय धुंधलके में गहराते पहाड़, रिज पर बढ़ती रौनक, मॉल के दुकानों की चमक और स्कैंडल प्वांइट ये सब शिमला की खूबसूरती की झलक दिखाते हैं।

प्रश्न 2.
लेखिका ने इस संस्मरण में सरवर के माध्यम से अपनी बात बताने की कोशिश की है, लेकिन सरवर का कोई परिचय नहीं दिया है। अनुमान लगाइए कि सरवर कौन हो सकता है?
उत्तर-
इस संस्मरण में लेखिका ने दो बार सरवर का नाम लिया है। सरवर का नाम लेखिका ने संकेत के रूप में लिया है। इसके अलावा उस व्यक्ति के लिए अन्य संबोधन का प्रयोग नहीं हुआ है। अतः संभव है कि सरवर कोई पत्रकार या उनका मित्र लेखक रहा होगा जिन्हें वह अपनी जीवनी सुना रही हैं।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
क्रियाओं से भी भाववाचक संज्ञाएँ बनती हैं। जैसे मारना से मार, काटना से काट, हारना से हार, सीखना से सीख, पलटना से पलट और हड़पना से हड़प आदि भाववाचक संज्ञाएँ बनी हैं। तुम भी इस संस्मरण से कुछ क्रियाओं को छाँटकर लिखो और उनके भाववाचक संज्ञा बनाओ।
उत्तर

क्रियाभाववाचक संज्ञा
गूंजनागूँज
उभारउभरना
दौड़नादौड़
चढ़नाचढ़ाई
चालचलन
गहरानागहराई
खींजनाखीज़
बदलनाबदलाव

प्रश्न 2.
चार दिन, कुछ व्यक्ति, एक लीटर दूध आदि शब्दों के प्रयोग पर ध्यान दो तो पता चलेगा कि इसमें चार, कुछ और एक लीटर शब्द से संख्या या परिमाण का आभास होता है, क्योंकि ये संख्यावाचक विशेषण हैं। इसमें भी चार दिन से निश्चित संख्या का बोध होता है, इसलिए इसको निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं और कुछ व्यक्ति से अनिश्चित संख्या का बोध होने से इसे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। इसी प्रकार एक लीटर दूध से परिमाण का बोध होता है इसलिए इसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।

अब तुम नीचे लिखे वाक्यों को पढ़ो और उनके सामने विशेषण के भेदों को लिखो-
(क) मुझे दो दर्जन केले चाहिए।
(ख) दो किलो अनाज दे दो।
(ग) कुछ बच्चे आ रहे हैं।
(घ) सभी लोग हँस रहे थे।
(ङ) तुम्हारा नाम बहुत सुंदर है।
उत्तर-
(क) दो दर्जन- निश्चित संख्यावाचक विशेषण।
(ख) दो किलो- निश्चित परिणामवाचक विशेषण।
(ग) कुछ- अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण।
(घ) सभी- अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण।
(ङ) (i) तुम्हारा- सार्वनामिक विशेषण
(ii) बहुत- अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(iii) सुंदर- गुणवाचक विशेषण

प्रश्न 3.
कपड़ों में मेरी दिलचस्पियाँ मेरी मौसी जानती थीं।
इस वाक्य में रेखांकित शब्द ‘दिलचस्पियाँ’ और ‘मौसी’ संज्ञाओं की विशेषता बता रहे हैं, इसलिए ये सार्वनामिक विशेषण हैं। सर्वनाम कभी-कभी विशेषण का काम भी करते हैं। पाठ में से ऐसे पाँच उदाहरण छाँटकर लिखो।
उत्तर-
(क) हम बच्चे इतवार की सुबह इसी में लगते
(ख) उन दिनों कुछ घरों में ग्रामोफ़ोन थे।
(ग) हमारा घर माल से ज्यादा दूर नहीं था।
(घ) अपने-अपने जूते पॉलिश करके चमकाते।
(ङ) यह गाना उन दिनों स्कूल में हर बच्चे को आता था।

कुछ करने को

प्रश्न 1.
अगर तुम्हें अपनी पोशाक बनाने को कहा जाए तो कैसी पोशाक बनाओगे और पोशाक बनाते समय किन बातों का ध्यान रखोगे? अपनी कल्पना से पोशाक का डिज़ाइन बनाओ।
उत्तर-
स्वयं करें।
संकेत : छात्र अपनी कल्पना से डिज़ाइन बनाएँ। लड़के कोट-पैंट या कुर्ता पाजामे का डिजाइन बना सकते हैं और लड़कियाँ फ्रॉक या सलवार कमीज को डिजाइन बना सकती हैं। यह भी लिखें कि पोशाक बनाते समय आप किस बात का ध्यान | रखेंगे-पहनने में सुविधा और आराम का या आधुनिकता और कारीगरी का।

प्रश्न 2.
तीन-तीन के समूह में अपने साथियों के साथ कपड़ों के नमूने इकट्ठा करके कक्षा में बताओ। इन नमूनों को छूकर देखो और अंतर महसूस करो। यह भी पता करो कि कौन-सा कपड़ा किस मौसम में पहनने के लिए अनुकूल है।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
हथकरघा और मिल के कपड़े बनाने के तरीकों के बारे में पता करो। संभव हो तो किसी कपड़े के कारखाने में जाकर जानकारी इकट्ठी करो।
उत्तर-
हथकरघा पर हाथ से कपड़े बनाए जाते हैं और मिल में मशीन के द्वारा। छात्र किसी कारखाने का भ्रमण कर यह जानने का प्रयास करें कि कपड़े बनाने की प्रक्रिया क्या है।

प्रश्न 4.
हमारे देश में तरह-तरह के भोजन, तरह-तरह की पोशाकें प्रचलित हैं। कक्षा के बच्चे और शिक्षक इनके विविध रूपों के बारे में बातचीत करें। उत्तर-छात्र स्वयं करें।

अन्य पाठेतर हल प्रश्न

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

(क) “बचपन’ पाठ किसकी रचना है-
(i) प्रेमचंद
(ii) रवींद्रनाथ टैगोर
(iii) महादेवी वर्मा
(iv) कृष्णा सोबती

(ख) लेखिका बचपन में इतवार की सुबह क्या काम करती थी?
(i) वह विद्यालय जाती थी।
(ii) वह पौधों की देख-रेख करती थी।
(iii) वह नृत्य करती थी।
(iv) वह अपने मोजे व जूते पॉलिश करती थी

(ग) लेखिका का जन्म किस सदी में हुआ था?
(i) 18वीं सदी
(ii) 20वीं सदी
(iii) 21वीं सदी
(iv) 22वीं सदी

(घ) पहले गीत-संगीत सुनने के क्या साधन थे?
(i) रेडियो
(ii) टेलीविज़न
(iii) ग्रामोफ़ोन
(iv) सी० डी० प्लेयर

(ङ) हर शनिवार लेखिका को क्या पीना पड़ता था?
(i) घी
(ii) ऑलिव ऑयल
(iii) सरसों तेल
(iv) नारियल तेल

उत्तर-

(क) (iv)
(ख) (iv)
(ग) (ii)
(घ) (iii)
(ङ) (ii)

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
इस संस्मरण में लेखिका किसकी चर्चा कर रही है?
उत्तर-
इस संस्मरण में लेखिका अपने बचपन की चर्चा कर रही है।

प्रश्न 2.
लेखिका का जन्म किस सदी में हुआ था?
उत्तर-
20वीं सदी में।

प्रश्न 3.
लेखिको को सप्ताह में कितनी बार चॉकलेट खरीदने की छूट थी?
उत्तर-
लेखिका को सप्ताह में एक बार चॉकलेट खरीदने की छूट थी।

प्रश्न 4.
हर शनिवार को लेखिका को क्या पीना पड़ता था?
उत्तर-
हर शनिवार को लेखिका को ऑलिव ऑयल या कैस्टर ऑयल पीना पड़ता था।

प्रश्न 5.
दुकान में किस ट्रेन का मॉडल था?
उत्तर-
दुकान में शिमला-कालका ट्रेन का मॉडल था।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखिका बचपन में कौन-कौन सी चीजें मज़ा ले-लेकर खाती थी ?
उत्तर-
लेखिका बचपन में कुल्फ़ी, शहतूत, फ़ाल्से के शरबत, चॉकलेट, पेस्ट्री तथा फले मजे ले-लेकर खाती थी। कुछ प्रमुख फल काफ़ल और चेस्टनट हैं।

प्रश्न 2.
लेखिका बचपन में कैसी पोशाक पहना करती थी? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
बचपन में लेखिका रंग-बिरंगे कपड़े पहनती थी। उन्होंने पिछले दशकों में क्रमशः अनेक प्रकार के पहनावे बदले हैं। लेखिका पहले फ्रॉक उसके बाद निकर-वॉकर, स्कर्ट, लहँगे पहनती थी। उन दिनों फ्रॉक के ऊपर की जेब में रूमाल और बालों में इतराते रंग-बिरंगे रिबन का चलन था। लेखिका तीन तरह की फ्रॉक इस्तेमाल किया करती थी। एक नीली पीली धारीवाला फ्रॉक था जिसका कॉलर गोल होता था। दूसरा हलके गुलाबी रंग का बारीक चुन्नटवाला घेरदार फ्रॉक था, जिसमें गुलाबी फ्रिल लगी होती थी। लेमन कलर के बड़े प्लेटों वाले गर्म फ्रॉक का जिक्र करती हैं, जिसके नीचे फ़र टॅकी थी।

प्रश्न 3.
चश्मा लगाते समय डॉक्टर ने क्या भरोसा दिया था?
उत्तर-
चश्मा लगाते समय डॉक्टर ने आश्वासन दिया था कि कुछ दिन चश्मा पहनने के बाद चश्मा आँखों से उतर जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके लिए लेखिका स्वयं को ही जिम्मेदार मानती है। दिन की रोशनी में न काम कर रात में टेबल लैंप के सामने काम करने के कारण उनका चश्मा कभी नहीं हटा।

प्रश्न 4.
टोपी के संबंध में लेखिका क्या सोचती थी?
उत्तर-
लेखिका बचपन के दिनों में सिर पर टोपी लगाना पसंद करती थी। उनके पास कई रंगों की टोपियाँ थीं। उनका कहना है कि सिर पर हिमाचली टोपी पहनना आसान था जबकि सिर पर दुपट्टा रखना थोड़ा कठिन काम।

प्रश्न 5.
उम्र बढ़ने के साथ-साथ लेखिका के पहनावे में क्या-क्या बदलाव हुए हैं? पाठ से मालूम करके लिखिए।
उत्तर-
उम्र बढ़ने के साथ-साथ लेखिका के पहनावे में और रहन-सहन में जमीन-आसमान का अंतर आ गया है। बचपन में लेखिका रंग-बिरंगी पोशाकें पहनती थी। जैसे पहले फ्रॉक, उसके बाद निकर-वॉकर, स्कर्ट, लहँगे इत्यादि। वर्तमान परिवेश में वे चूड़ीदार पजामी और ऊपर से घेरेदार कुर्ता पहनती हैं।


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