Bal Ram Katha is a book containing various chapters of stories about Ram and his family and all of the stories that children grow up hearing. About Ram, we know about the Ramayana, but the Bal Ram Katha propagates a lot more stories about the god so that students get a fair idea of Hindu culture and its history and significance. In a country like India, where culture takes centre-stage in every aspect of life, it is important to know these stories.
पाठ का सार
अयोध्या लौटने के बाद राजा दशरथ के मन में राम का राज्यभिषेक करने की इच्छा बची हुई थी। दशरथ उन्हें युवराज का पद देना चाहते थे इसीलिए उन्होंने राम को राज-काज में शामिल करना शुरू कर दिया था। प्रजा भी उनको चाहती थी। राजा दशरथ वृद्ध हो चुके थे। मुनि वशिष्ट से विचार विमर्श करने के बाद उन्होंने राम का राज्याभिषेक करने का निश्चय किया। दरबार में बैठे सभी व्यक्तियों ने राजा के इस फैसले का स्वागत किया और यह खबर पूरे राज्य में आग की तरह फैल गई।
अगले दिन सुबह राम का राज्याभिषेक होना था। परंतु जब यह बात रानी केकई की दासी मंथरा को पता चली तो वह जल-भूल गई। राम का राज्याभिषेक उसे एक षड्यंत्र लगा। उस समय भरत और शत्रुघ्न भी अयोध्या में नहीं थे वह अपने नाना केकयराज के यहां गए हुए थे और उन्हें यह भी नहीं पता था कि राम का राज्याभिषेक होने वाला है। मंथरा ने केकई को राम का राज्याभिषेक ना होने के लिए उकसाया।
मंथरा ने रानी केकई से कहा कि तुम राजा दशरथ से अपने दो वचन मांग लो जो राजा दशरथ ने तुम्हें युद्ध के समय दिए थे। तो रानी केकई ने ऐसा ही किया उसने पहले वचन के रूप में राम को 14 वर्ष का वनवास और दूसरे वचन के रूप में भरत का राज्यभिषेक मांगा। यह सुनकर राजा दशरथ के होश उड़ गए । वह रानी केकई से ऐसा करने से मना करते रहे। फिर केकई ने कहा कि अपने वचन से पीछे पीछे हटना रघुकुल का अनादर है। और अगर आपने ऐसा नहीं किया तो मैं विष पीकर अपनी जान दे दूंगी। यह सुनकर दशरथ बेहोश होकर गिर पड़े और रात को जब कभी उन्हें होश आता तो वह दोबारा से केकई को समझाते गिड़गिड़ाते, पर केकई नहीं मानी।
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