Bal Ram Katha is a book containing various chapters of stories about Ram and his family and all of the stories that children grow up hearing. About Ram, we know about the Ramayana, but the Bal Ram Katha propagates a lot more stories about the god so that students get a fair idea of Hindu culture and its history and significance. In a country like India, where culture takes centre-stage in every aspect of life, it is important to know these stories.
पाठ का सार
इस पाठ में अवध का वर्णन किया गया है। अवध में अयोध्या नगर का वर्णन किया गया है जो सरयू नदी के किनारे स्थित है। अयोध्या के राजा दशरथ थे। राजा दशरथ एक कुशल और न्याय प्रिय शासक थे। उन्हें रघु के वंशज या रघुकुल के उत्तराधिकारी भी कहा गया है। राजा दशरथ के पास किसी चीज की कमी नहीं थी उनकी तीन रानियां थी – कौशल्या, सुमित्रा और केकई। परंतु उनकी एक भी संतान नहीं थी। इसी कारण राजा दशरथ चिंतित थे।जब उन्होंने अपनी यह समस्या वशिष्ठ मुनि को बताई तो उन्होंने राजा दशरथ से पुत्रेष्टि यज्ञ करने की सलाह दी।
पुत्रेष्टि यज्ञ करने के लिए राजा दशरथ ने सरयू नदी के किनारे एक यज्ञशाला बनवाई। यज्ञ में सब ने आहुति डाली और अंतिम आहुति राजा दशरथ की थी। यज्ञ पूरा होने के बाद अग्नि देवता ने महाराज दशरथ को आशीर्वाद दिया। कुछ समय बाद महारानी कौशल्या ने राम को जन्म दिया। राम का जन्म चेत्र महा की नवमी के दिन हुआ था। रानी सुमित्रा के दो पुत्र हुए- लक्ष्मण और शत्रुघ्न। रानी केकई के पुत्र का नाम भरत रखा गया। चारों राजकुमार एक साथ खेलते थे वे धीरे-धीरे बड़े हुए।
राजा दशरथ को राम सबसे अधिक प्रिय थे। कुछ वर्षों पश्चात राजकुमार विवाह योग्य हुए। एक दिन राज महल में राजकुमारों के विवाह की चर्चा चल रही थी कि तभी एक द्वारा पाल घबराया हुआ अंदर आया। उसने बताया कि महर्षि विश्वामित्र पधारे हैं। विश्वामित्र कभी स्वयं एक बड़े और बलशाली राजा थे। बाद में उन्होंने राजपाट त्याग कर सन्यास ग्रहण कर लिया। जंगल में चले गए थे और वही अपना आश्रम बनाया। राजा दशरथ ने महर्षि विश्वामित्र का स्वागत सत्कार किया और उनसे पूछा कि मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं? विश्वामित्र ने उन्हें बताया कि वे एक यज्ञ कर रहे थे और दो राक्षसों ने उनके यज्ञ में बाधा डाल दी। वे उन राक्षसों के वध के लिए राम को ले जाने आए हैं। राजा दशरथ ने कहा कि मेरा राम तो अभी 16 बरस का है वह राक्षसों से कैसे लड़ेगा। इस पर महर्षि ने कहा कि आप रघुकुल की रीति तोड़ रहे हैं राजन। बाद में मुनि वशिष्ठ ने दशरथ को समझाया और उन्हें राम को भेजने के लिए मना लिया। इस पर दशरथ ने मुनि वशिष्ठ की बात मान ली। पर उन्होंने राम को अकेले भेजने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि राम के साथ लक्ष्मण भी जाएगा। दोनों राजकुमार विश्वामित्र के साथ जंगल की ओर चल दिए। इस बात की सूचना राम की माता कौशल्या को भी दे दी गई कि राम और लक्ष्मण महर्षि विश्वामित्र के साथ जंगल जा रहे हैं ।
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