NCERT Solutions for Class 10th: पाठ 2- मीरा के पद
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पृष्ठ संख्या: 11
प्रश्न अभ्यास
(क) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए-
1. पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है?
उत्तर
पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती उन्हें उनके उन रूपों का स्मरण कराकर करती हैं जिसके द्वारा उन्होंने अपने भक्तों की रक्षा की थी| वे उन्हें कहती हैं कि जिस प्रकार उन्होंने द्रौपदी का वस्त्र बढ़ाकर भरी सभा में उसकी लाज बचाई, प्रह्लाद की रक्षा करने के लिए नरसिंह का रुप धारण करके हिरण्यकश्यप को मारा, डूबते हुए गजराज को बचाया और कष्ट दूर करने के लिए मगरमच्छ को मारा| उसी प्रकार वे उनकी भी पीड़ा दूर करें|
2. दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
मीरा अपने आराध्य श्रीकृष्ण के समीप रहने के लिए उनकी चाकरी करना चाहती हैं| दासी बनकर वे श्रीकृष्ण के लिए बाग़ लगाएँगी और उनके समीप रह दर्शन पा सकेंगीं| वह श्रीकृष्ण की लीलाओं का गायन वृन्दावन की गलियों में करेंगीं जिससे उन्हें श्रीकृष्ण के नाम का स्मरण प्राप्त हो जाएगा|
3.मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रुप–सौंदर्य का वर्णन कैसे किया है?
उत्तर
मीरा श्रीकृष्ण के रुप-सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहती हैं कि उनके सिर पर मोर के पंखों का मुकुट है, गले में वैजंती फूलों की माला है| वे पीले रंग का वस्त्र धारण किये हुए हैं| हाथों में बाँसुरी लिए जब वह वृन्दावन में यमुना के तट पर गायें चराने ले जा रहे होते हैं तब यह रूप मनमोहक होता है|
4. मीराबाई की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
मीराबाई की भाषा सरल, सहज और आम बोलचाल की भाषा है जिसमें राजस्थानी, ब्रज और गुजराती का मिश्रण है। कहीं-कहीं पंजाबी शब्दों का प्रयोग भी किया गया है| पदों में लयात्मकता है और गेय शैली का प्रयोग किया गया है| अनुप्रास तथा रूपक अलंकार का मनोरम प्रयोग हुआ है|
5. वे श्रीकृष्ण को पाने के लिए क्या–क्या कार्य करने को तैयार हैं?
उत्तर
मीरा कृष्ण को पाने के लिए विभिन्न कार्य करने को तैयार हैं-
• वह दासी बन कर उनकी सेवा करना चाहती हैं|
• वह उनके घूमने के लिए बाग बगीचे लगाना चाहती हैं।
• वृंदावन की गलियों में श्रीकृष्ण के लीलाओं का गुणगान करना चाहती हैं|
• वह कुसुम्बी रंग की साड़ी पहनकर आधी रात को कृष्ण का दर्शन करना चाहती हैं।
(ख) काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
1. हरि आप हरो जन री भीर।
द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।भगत कारण रुप नरहरि, धर्यो आप सरीर।
उत्तर
इन पंक्तियों में मीरा ने श्रीकृष्ण से जन-जन की पीड़ा हरने का आग्रह करती हैं| वे कहती हैं कि जिस प्रकार आपने द्रौपदी के वस्त्रों को बढ़ाकर भरी सभी में उसकी लाज बचाई, अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए नरसिंह का रुप धारण करके हिरण्यकश्यप को मारा उसी तरह आप मनुष्यों की पीड़ा भी हरें|
इन पंक्तियों में मीरा ने श्रीकृष्ण के भक्तों के प्रति दयामय रूप का वर्णन किया है| ब्रज और राजस्थानी भाषा का प्रयोग हुआ है| ‘हरि’ शब्द में श्लेष अलंकार है। भाषा में कोमलता लाने के लिए कुछ शब्दों में परिवर्तन किया गया है जैसे – शरीर का सरीर| गेयात्मक शैली का प्रयोग हुआ है|
2. बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुण्जर पीर।
दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर।
उत्तर
इन पंक्तियों में मीरा ने कृष्ण से अपने दुखों को दूर करने की विनती की है। वे अपने आराध्य से प्रार्थना करती हैं कि जिस प्रकार आपने डूबते गजराज को बचाया और कष्ट दूर करने के लिए मगरमच्छ को मारा| उसी प्रकार वे उनकी भी पीड़ा दूर करें|
भाषा सरल तथा सहज है। इन पंक्तियों में दास्यभक्ति रस है| ब्रज और राजस्थानी भाषा का प्रयोग हुआ है| ‘काटी कुण्जर’ में अनुप्रास अलंकार है| ‘पीर-भीर’ तुकांत पद हैं| प्रथम पंक्ति में दृष्टांत अलंकार का प्रयोग हुआ है| गेयात्मक शैली का प्रयोग हुआ है|
3. चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।
उत्तर
इन पंक्तियों में मीरा कहती हैं कि वे श्रीकृष्ण की चाकरी करने के लिए तैयार हैं| इससे उन्हें श्रीकृष्ण के नाम स्मरण का अवसर प्राप्त हो जाएगा तथा भावपूर्ण भक्ति की जागीर भी प्राप्त होगी। इस प्रकार दर्शन, स्मरण और भाव–भक्ति नामक तीनों बातें उनके जीवन में रच–बस जाएँगी।
इन पंक्तियों में दास्यभक्ति रस है| ब्रज और राजस्थानी भाषा का प्रयोग हुआ है| ‘भाव-भगती’ में अनुप्रास अलंकार है| ‘खरची-सरसी’ तुकांत पद हैं| गेयात्मक शैली का प्रयोग हुआ है|
भाषा अध्यन
1. उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रुप लिखिए–उदाहरण − भीर − पीड़ा/कष्ट/दुख; री − की
चीर …………… बूढ़ता ……………
धर्यो …………… लगास्यूँ ……………
कुण्जर …………… घणा ……………
बिन्दरावन …………… सरसी ……………
रहस्यूँ …………… हिवड़ा ……………
राखो …………… कुसुम्बी ……………
उत्तर
चीर | – | वस्त्र | बूढ़ता | – | डूबना |
धर्यो | – | धारण | लगास्यूँ | – | लगाना |
कुण्जर | – | हाथी | घणा | – | बहुत |
बिन्दरावन | – | वृंदावन | सरसी | – | अच्छी |
रहस्यूँ | – | रहूँगीं | हिवड़ा | – | हृदय |
राखो | – | रखना | कुसुम्बी | – | केसरिया |
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Short Summary- पाठ 2- मीरा के पद
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