Chapter 4 भारतीय कलाएँ | class11th | Ncert solution For Hindi Vitan

Class 11 Hindi भारतीय कलाएँ solution

प्रश्न 1. 
कला और भाषा के अंतर्सम्बन्ध पर आपकी क्या राय है? लिखकर बताएँ। 
उत्तर : 

मेरा मत है कि भाषा और कला एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी हुई हैं। मनुष्य अपने विचार और भावों को भाषा द्वारा प्रकट करता है। कलाकार भी अपनी कला द्वारा अपने भावों और विचारों को व्यक्त करता है। यदि कोई चित्रकार है तो वह रंगों और रेखाओं द्वारा अपने प्रकृति – प्रेम को चित्रों द्वारा व्यक्त करता है। एक नृत्यकार अपने अंग-संचालन और मुद्राओं द्वारा अपनी भावनाएँ व्यक्त करता है। इसी प्रकार एक संगीतकार अपने गायन द्वारा अपनी भावनाएँ श्रोताओं तक पहुँचाता है। इस प्रकार कला और भाषा के बीच एक सहज संबंध है। यदि कला की अपनी भाषा न होगी तो लोग उसमें क्यों रुचि लेंगे। 

प्रश्न 2. 
भारतीय कलाओं और भारतीय संस्कृति में आप किस तरह का संबंध पाते हैं? 
उत्तर :

भारतीय संस्कृति और भारतीय कलाओं के बीच घनिष्ठ संबंध रहा है। भारतीय संस्कृति के विकास में कलाओं का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। किसी भी देश के जन-जीवन के आचार-विचार, धर्म, उत्सव, वेश-भूषा आदि का सामूहिक नाम ही संस्कृति है। इसमें कलाओं का भी विशिष्ट स्थान होता है। हमारी संस्कृति अनेक प्रादेशिक संस्कृतियों से मिलकर बनी है। इन प्रदेशों या राज्यों की संस्कृतियों में वहाँ प्रचलित कलाओं के भी दर्शन होते हैं।

मध्य प्रदेश में स्थित भीमबेटका की गुफाओं में बने शैल चित्र तत्कालीन सामाजिक जीवन या संस्कृति का परिचय कराते हैं। अजंता की गुफाओं के चित्र गुप्तकालीन वेशभूषा, उत्सव, धार्मिक आस्था आदि के जीवंत उदाहरण हैं। जन्मोत्सव, विवाह, त्योहार आदि जो संस्कृति के ही अंग हैं, उनमें भी सतिया, चौक पूरना, रंगोली आदि के रूप में लोक चित्रकला का स्थान है। इसी प्रकार नृत्य के विविध रूप प्रादेशिक संस्कृतियों की झलक दिखाते हैं। इस प्रकार भारतीय संस्कृति और भारतीय कलाएँ आपस में मनमोहक ढंग से गुंथी रतीय कलाएँ आपस में मनमोहक ढंग से गॅथी हई हैं। कलाओं में संस्कति झाँकती। है तो संस्कृति की लोकप्रियता बढ़ाने में कलाओं का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। 

प्रश्न 3.
शास्त्रीय कलाओं का आधार जनजातीय और लोक कलाएँ हैं, अपनी सहमति और असहमति के पक्ष में तर्क दें। 
उत्तर : 

यदि हम कलाओं के विकास के इतिहास पर दृष्टि डालें तो पाएँगे कि जनजातीय कलाओं और लोक कलाओं ने धीरे-धीरे व्यवस्थित होते हुए शास्त्रीय रूप धारण कर लिया। कलाओं ने जनजातीय समाज और लोक जीवन के बीच ही जन्म लिया था। धीरे-धीरे उनमें निखार आता गया और उन्होंने व्यवसाय का रूप ले लिया। चित्रकार, संगीतकार और नृत्यकार आदि पेशे बन गए। आगे चलकर इन सभी कलाओं को राजाओं और सम्पन्न लोगों का संरक्षण मिलता गया। तब इनके नियम-उपनियम बने और इन्होंने शास्त्रों का रूप ले लिया। 

प्राचीन शैल चित्रों से प्रारम्भ हुई चित्रकारी से गुप्तकाल तक आते-आते चित्रकला की निपुणता चरम स्थिति पर पहुँच गयी। गुरु-शिष्य परंपरा ने कलाओं के शास्त्रीय स्वरूप को और भी पुष्ट और अनुशासित बना दिया। अतः मेरा मत यही है कि जनजातीय कलाएँ और लोक कलाएँ ही शास्त्रीय कलाओं की आधार हैं। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न – 

प्रश्न 1.
भारतीय सामाजिक जीवन में कलाओं का क्या स्थान है? ‘भारतीय कलाएँ’ पाठ के आधार पर लिखिए। 
उत्तर : 

हमारे सामाजिक जीवन में कलाओं का स्थान सदा से ही महत्वपूर्ण रहा है। हमारी कलाएँ हमारे जन्मोत्सवों, त्योहारों, विवाहों, धार्मिक अनुष्ठानों आदि से जुड़ी हुई हैं। इन अवसरों पर अल्पना, रंगोली, सतिया, चौक पूरना आदि चित्रकला से संबंधित रचनाएँ आती हैं। विवाह और जन्मोत्सव के अवसरों पर संगीत और नृत्यकला सम्मिलित रहती हैं। धार्मिक आयोजनों में भी महिलाएँ नृत्य-संगीत से अपने आनंद को प्रकट करती हैं।

हमारे मनोरंजन के क्षेत्र में भी अनेक कलाओं का योगदान रहता है। कलाएँ आज हमारे अनेक व्यवसायों और आजीविकाओं का भी आधार बनी हुई हैं। चित्रकारों, संगीतकारों, नृत्यकारों और वास्तुकारों की आजीविका उनकी कलाओं पर ही आश्रित है। यदि हमारे सामाजिक जीवन से कलाएँ निकल जाएँ तो जो रीतापन और नीरसता आएगी, उसमें जीवन बिताना भी कठिन हो जाएगा। 

प्रश्न 2. 
चित्रकला मानव जीवन से प्राचीन समय में किस रूप में जुड़ी हुई थी? लिखिए। 
उत्तर

चित्रकारी की प्रकृति मनुष्य जाति के इतिहास में आरम्भ से ही दिखाई देती है। आदिमानव जिन गुफाओं में रहते थे उनकी दीवारों पर शैलचित्र बनाया करते थे। इन रेखाचित्रों और आकृतियों द्वारा वे अपनी भावनाएँ और विचार व्यक्त करने के साथ ही वातावरण को भी चित्रित किया करते थे। इन शैलचित्रों में दैनिक जीवन की गतिविधियों, पशुओं, युद्धों, नृत्यों आदि का अंकन किया गया है। 

प्रश्न 3. 
कलाओं का स्वर्णयुग किसे कहा गया है, उस युग का संक्षिप्त परिचय दीजिए। 
उत्तर :

भारत में चौथी शताब्दी से लेकर छठी शताब्दी तक का समय गुप्त साम्राज्य का समय था। इस समय को भारतीय कलाओं का स्वर्णयुग कहा गया है। विश्व प्रसिद्ध अजंता की गुफाओं का निर्माण इसी युग की देन है। बाघ और बादामी की गुफाएँ भी इसी समय की हैं। अजंता की चित्रकला शैली तो इतनी आकर्षक है कि आज तक चित्रकार इसे अपनी रचनाओं में स्थान देते आ रहे हैं। इन चित्रों में तत्कालीन सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक वातावरण का सजीव चित्रांकन हुआ है। उस समय के उत्सव, वेशभूषा, रीति-रिवाज, आस्था आदि इन चित्रों में उपस्थित हैं। मान्यता है कि इन गुफाओं को बौद्ध भिक्षुओं ने बनाया था। 

प्रश्न 4. 
‘ऐलोरा’ और ‘एलीफेन्टा’ की गुफाओं का संक्षिप्त परिचय दीजिए। 
उत्तर : 

सातवीं-आठवीं शताब्दी में ऐलोरा और एलीफेन्टा की गुफाओं का निर्माण हुआ था। ऐलोरा अपने भव्य ‘कैलाश मंदिर’ के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर इतना विशाल और कलात्मक है कि इसे देखकर यह विश्वास कर पाना कठिन होता है कि इसे मनुष्यों ने ही बनाया था। इस मंदिर के प्रारूप की कल्पना और फिर उस कल्पना को चित्रों और पत्थरों में उतारने में कितना परिश्रम और समय लगा होगा, इसका अनुमान लगाना भी कठिन है। ऐलीफेन्टा की गुफाएँ अपनी ‘त्रिमूर्ति’ नामक विशाल प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध हैं। इस मूर्ति की रचना और भव्यता देखकर दर्शक चकित रह जाते हैं। 

प्रश्न 5. 
‘भारतीय कलाएँ’ पाठ के लेखक ने ‘हिन्दुस्तानी कला की आधी कहानी’ किसे और क्यों कहा है? लिखिए। 
उत्तर : 

भारत के अंदर की कला को ही जानना, लेखक ने हिन्दुस्तानी कला की आधी कहानी माना है। भारतीय कला . के पूरे स्वरूप और विस्तार को जानने के लिए बौद्ध धर्म के विषय में जानना तो आवश्यक है ही, इसी के साथ मध्य एशिया, चीन, जापान, तिब्बत, म्यांमार (वर्मा), स्याम आदि देशों में उसके विस्तार के बारे में भी जानना चाहिए। कंबोडिया और जाबा में भारतीय कला का भव्य और अनुपम रूप सामने आता है।

प्रश्न 6. 
भारत के लोक नृत्यों में क्या-क्या बातें समान देखी जाती हैं? लिखिए। 
उत्तर :

भारत के विभिन्न राज्यों में प्रचलित नृत्यों को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। परन्तु इनमें कुछ समानताएँ भी देखी जाती हैं। ये सभी प्रायः सामहिक नत्य होते हैं। सभी नत्यों का संबंध प्रकति और ज मी और पुरुष साथ मिलकर नाचते हैं। सभी नृत्यों का संबंध प्रायः धार्मिक अनुष्ठानों से होता है। 

प्रश्न 7.
भारत में प्रचलित प्रमुख शास्त्रीय नृत्यों का संक्षिप्त परिचय दीजिए। 
उत्तर :  

भारत के प्रमुख शास्त्रीय नृत्यों की अपनी-अपनी विशेषताएँ हैं। केरल के शास्त्रीय नृत्य ‘कथकलि’ और ‘मोहिनी अट्टम’ हैं। उत्तर प्रदेश का शास्त्रीय नृत्य ‘कत्थक’ है। आंध्र प्रदेश का ‘कुचिपुडि’, उड़ीसा का ‘ओडिसी’, मणिपुर का मणिपुरी और तमिलनाडु तथा कनार्टक का ‘भरतनाट्यम्’ हैं। इन सभी नृत्यों का संबंध भारत के किसी-न-किसी राज्य और उसकी परंपराओं से है। असम में प्रचलित ‘सत्रिय नृत्य’ को भी शास्त्रीय नृत्य माना गया है। शास्त्रीय नृत्य गुरु-शिष्य परंपरा से सीखे जाते हैं। इन नृत्यों में निपुणता प्राप्त करने के लिए लम्बी और कठिन साधना की आवश्यकता होती है। शास्त्रीय नृत्यों के स्वरूप में बहुत परिवर्तन आए हैं। कुछ शास्त्रीय नृत्य तो दो-तीन सौ वर्षों से भी पुराने नहीं माने जाते 

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Chapter 3 आलो आँधारि | class11th | Ncert solution For Hindi Vitan

NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 3 – आलो आँधारि  वितान भाग-1 हिंदी (Aalo aandhair)

पृष्ठ संख्या: 58

अभ्यास

1. पाठ के किन अंशों से समाज की यह सच्चाई उजागर होती है कि पुरूष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है| क्या वर्तमान समय में स्त्रियों की इस सामाजिक स्थिति में कोई परिवर्तन आया है? तर्क सहित उत्तर दीजिए|

उत्तर

पाठ के निम्नलिखित अंशों से समाज की यह सच्चाई उजागर होती है कि पुरूष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है| लेखिका बेबी हालदार अपने बच्चों के साथ किराए के घर में अकेले रहती थी| उसे बच्चों के साथ अकेला रहते देख आस-पास के सभी लोग पूछते, तुम यहाँ अकेली रहती हो? तुम्हारा स्वामी कहाँ रहता है? तुम क्या यहाँ अकेली रह सकोगी? तुम्हारा स्वामी क्यों नहीं आता?

किसी-किसी दिन लेखिका को घर पहुँचने में देर हो जाती तो मकान-मालिक की स्त्री पूछने चली आती कि इतनी देर क्यों हुई| कभी-कभी यह जानना चाहती कि वह कहाँ गई थीं| बाजार-हाट करने भी जाना होता तो वह बूढ़ी, मकान-मालिक की स्त्री, कहती, कहाँ जाती है रोज-रोज? तेरा स्वामी है नहीं, तू तो अकेली ही है! तुझे इतना घूमने-घामने की क्या दरकार?

वर्तमान समय में स्त्रियों की इस सामाजिक स्थिति में बहुत परिवर्तन आया है| पुरूष के बिना भी स्त्रियाँ हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर आर्थिक रूप से मजबूत खड़ी हैं| बड़े शहरों में कई ऐसी स्त्रियाँ हैं जिनका समाज में सम्मान किया जाता है और समाज के लोगों से भी उन्हें सहयोग भी प्राप्त होता है|

2. अपने परिवार से तातुश के घर तक के सफ़र में बेबी के सामने रिश्तों की कौन-सी सच्चाई उजागर होती है?

उत्तर

अपने परिवार से तातुश के घर में नौकरी लगने तक के सफ़र में बेबी को सच्चे रिश्तों के मायने समझ में आ गए थे| अपने पति के अथाचारो से तंग आकर उसने अकेले रहने का फैसला किया| किराए के घर में आने के बाद बेबी मकान-मालिक के सवालों तथा आस-पास के लोगों की बातों से परेशान हो चुकी थी| उसके अपने सगे भाइयों ने भी साथ नहीं दिया| वह अपने तीन बच्चों के साथ अकेली रहती थी और घरों में नौकरानी का काम करती थी| वह जहाँ भी रही, लोगों ने उसे गंदी नजरों से देखा और उसका गलत फायदा उठाना चाहा| तातुश के यहाँ नौकरी लगने के बाद बेबी की जिन्दगी ही बदल गई| तातुश उसे अपनी बेटी मानते थे और किसी चीज की कमी नहीं होने देते थे| उन्होंने बेबी की पढ़ाई-लिखाई का भी ध्यान रखा और उन्हीं के कारण बेबी एक लेखिका बनी|

3. इस पाठ से घरों में काम करने वालों के जीवन की जटिलताओं का पता चलता है| घरेलू नौकरों को और किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है| इस पर विचार कीजिए|

उत्तर

प्रस्तुत पाठ ‘आलो आँधारि’ से घरेलू नौकरों के जीवन की अनेक जटिलताओं का पता चलता है| मालिक उन्हें कम मजदूरी देकर उनसे मनमाना काम करवाते हैं| पूरे दिन काम करने के बाद भी उन्हें भूखे-प्यासे ही सोना पड़ता है| उन्हें बच्चों के पालन-पोषण तथा घर की जिम्मेदारी की चिंता हमेशा लगी रहती है| कहीं-कहीं तो घरेलू नौकरों के साथ बहुत ही अमानवीय व्यवहार किया जाता है| बीमार होने पर भी उनसे काम करवाया जाता है और उनका सही इलाज भी नही करवाया जाता| इस प्रकार वे कठिन मेहनत करके भी स्वतंत्र होकर जीवन व्यतीत नहीं कर पाते हैं|

4. ‘आलो आँधारि’ रचना बेबी की व्यक्तिगत समस्याओं के साथ-साथ कई सामाजिक मुद्दों को समेटे है| किन्हीं दो मुख्य समस्याओं पर अपने विचार प्रकट कीजिए|

उत्तर

‘आलो आँधारि’ रचना में लेखिका बेबी हालदार की कई व्यक्तिगत समस्याओं के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों को भी उजागर किया गया है| उनमें से दो मुख्य समस्याएँ निम्नलिखित हैं:

• समाज में स्त्री की दशा- लेखिका बेबी हालदार अपने तीन बच्चों के साथ किराए के मकान में अकेले रहती थीं| पति के साथ न होने के कारण उन्हें आस-पास लोगों के सवालों का सामना करना पड़ता था| एक अकेली स्त्री के प्रति लोगों के विचार अच्छे नहीं होते हैं| बुरे समय में कोई उसकी सहायता भी नहीं करना चाहता है| हर कोई उसके अकेलेपन का लाभ उठाना चाहता है|

• लोगों की आर्थिक तंगी- लेखिका बेबी हालदार घरों में काम करके अपने परिवार का भरण-पोषण करती थीं| उनकी आर्थिक स्थिति इतनी भी मजबूत नहीं थी कि वह एक अच्छा सा कमरा लेकर रह सके| जहाँ वह रहती थीं वहाँ बाथरूम और पानी की असुविधा थी| लोगों को शौच करने बाहर जाना पड़ता था| आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण लोगों को इन समस्याओं का सामना करना पड़ता था| यह बस्तियों की दुर्दशा को उजागर करता है, जहाँ अभी भी पानी और बाथरूम की समस्या व्याप्त है| यह खासकर स्त्रियों के लिए बहुत बड़ी समस्या है|

5. तुम दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती हो- जेठू का यह कथन रचना संसार के किस सत्य को उद्घाटित करता है?

उत्तर

आशापूर्णा देवी ने जीवन के अभावों को झेलकर भी लेखन के क्षेत्र में सफलता प्राप्त किया था| जेठू लेखिका के समक्ष आशापूर्णा देवी का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं ताकि उसमें नई उत्साह का संचार हो| वह इस सत्य को उजागर करते हैं कि अभावों तथा कठिनाइयों के बीच रहकर भी हम लक्ष्य की प्राप्ति कर सकते हैं| यदि कोई अच्छा लेखन करता हो तो उसे प्रोत्साहन के बल पर नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया जा सकता है| जेठू चाहते थे कि लेखिका अपनी जीवन-गाथा लिखना न छोड़े| इसलिए वह उन्हें जीवन में संघर्ष करते हुए भी लेखन के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते देखना चाहते हैं|

6. बेबी की जिंदगी में तातुश का परिवार न आया होता तो उसका जीवन कैसा होता? कल्पना करें और लिखें|

उत्तर

बेबी की जिंदगी में तातुश का परिवार न आया होता तो उसका जीवन अभी भी पहले की तरह ही कठिनाइयों और अभावों से भरा होता| तातुश के यहाँ आने से पहले बेबी अपने बच्चों के साथ किराए के घर में अकेले रहती थी| वहाँ आस-पास के लोग उससे तरह-तरह के सवाल करते थे| पानी और शौचालय की भी असुविधा थी| लेखिका की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि वह कहीं और जाकर रह सकती, इसलिए मजबूरन उसे वहीँ रहना पड़ता| तातुश ने जिस प्रकार लेखिका की सहायता की, उसके बिना उसका जीवन परेशानियों से ही भरा होता| उसके बच्चों का भविष्य भी खराब हो गया होता| वह न तो लेखिका बन पातीं और न ही उन्हें अपने जीवन की समस्याओं से छुटकारा मिलता| वह अपने पिता से भी नहीं मिल पाती|

7. ‘सबेरे कोई पेशाब के लिए उसमें घुसता तो दूसरा उसमें घुसने के लिए बाहर खड़ा रहता| टट्टी के लिए बाहर जाना पड़ता था लेकिन वहाँ भी चैन से कोई टट्टी नहीं कर सकता था क्योंकि सुअर पीछे से आकर तंग करना शुरू देते| लड़के-लड़कियाँ, बड़े-बूढ़े, सभी हाथ में पानी की बोतल ले टट्टी के लिए बाहर जाते| अब वे वहाँ बोतल सँभाले या सुअर भगाएँ! मुझे तो यह देख-सुनकर बहुत खराब लगता’- अनुवाद के नाम पर मात्र अंग्रेजी से होने वाले अनुवादों के बीच भारतीय भाषाओँ में रची-बसी हिंदी का यह एक अनुकरणीय नमूना है- उपर्युक्त पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए बताइए कि इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं|

उत्तर

प्रस्तुत कथन उन बस्तियों के सन्दर्भ में कहा गया है जहाँ अभी भी शौचालय की असुविधा है| कई लोगों के लिए एक ही शौचालय होता है अथवा उन्हें शौच के लिए बाहर खुले में जाना पड़ता है| ऐसे स्थानों पर गंदगी का ढेर लगा होता है और लोग उसी परिस्थिति में रहते हैं|

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Chapter 2 राजस्थान की रजत बूँदें | class11th | Ncert solution For Hindi Vitan

NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 2 – राजस्थान की रजत बूँदें वितान भाग-1 हिंदी (Rajasthan ki Rajat Bunden)

पृष्ठ संख्या: 20

अभ्यास

1. राजस्थान में कुंई किसे कहते हैं? इसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कुओं की गहराई और व्यास में क्या अंतर होता है?

उत्तर

राजस्थान में वर्षा के जल को एकत्रित करने के लिए कुंई का निर्माण किया जाता है| जब वर्षा अधिक मात्रा में होता है तो वह मरुभूमि में रेत की सतह में समा जाता है और धीरे-धीरे रिसकर कुंई में जमा हो जाता है| जिस स्थान में कुंई की खुदाई की जाती है, उस स्थान को ईंट और चूने द्वारा पक्का कर दिया जाता है|

कुंई की गहराई सामान्य कुओं की तरह ही होती है लेकिन इसके व्यास में बहुत अंतर होता है| सामान्य कुओं का व्यास पन्द्रह से बीस हाथ का होता है जबकि कुंई का व्यास चार या पाँच हाथ का होता है|

2. दिनोंदिन बढ़ती पानी की समस्या से निपटने में यह पाठ आपकी कैसे मदद कर सकता है तथा देश के अन्य राज्यों में इसके लिए क्या उपाय हो रहे हैं? जानें और लिखें?

उत्तर

हमारे देश में दिनोंदिन पानी की समस्या बढ़ती जा रही है| देश के कई ऐसे राज्य हैं जहाँ इस समस्या से निपटने के लिए अनेक उपाय किए जा रहे हैं| प्रस्तुत पाठ में जल संरक्षण के उपाय के बारे में बताया गया है| भारत के ऐसे बहुत क्षेत्र हैं जहाँ लोगों को पानी लाने के लिए दस किलोमीटर से भी अधिक दूरी तय करके जाना पड़ता है| इन क्षेत्रों में कुंई का निर्माण करके इस समस्या से निजात पाया जा सकता है| जहाँ कुंई का निर्माण न किया जा सके, वहाँ घर की छतों और आँगन में वर्षा जल को संग्रहित किया जा सकता है|

राजस्थान के अतिरिक्त दक्षिण भारत के कई राज्यों में भी जल संरक्षण के उपाय किए जा रहे हैं| जल संरक्षण के लिए दक्षिण भारत के राज्य जैसे- तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में विशाल पथरीले जलाशयों में पानी एकत्रित किया जाता है| इस प्रकार वहाँ की सरकारों द्वारा भी जल संरक्षण के लिए किए जाने वाले प्रयासों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है|

3. चेजारो के साथ गाँव समाज के व्यवहार में पहले की तुलना में आज क्या फर्क आया है? पाठ के आधार पर बताइए|

उत्तर

पहले चेजारों का विशेष ध्यान रखना समाज की परंपरा थी| काम पूरा होने पर विशेष भोज का आयोजन किया जाता था| उनकी विदाई के समय तरह-तरह की भेंट दी जाती थी| चेजारो के साथ गाँव का संबंध वर्ष भर तक जुड़ा रहता था| उन्हें तीज-त्योहारों, विवाह जैसे मंगल अवसरों पर नेग, भेंट दी जाती थी और फसल आने पर खलिहान में उनके नाम से अनाज का एक अलग ढेर भी लगता था|

वर्तमान में उन्हें सिर्फ मजदूरी देकर ही काम करवाने का रिवाज आ गया है| काम पूरा होने के बाद उनके साथ कोई संबंध नहीं रखा जाता है|

4. निजी होते हुए भी सार्वजनिक क्षेत्र में कुंइयों पर ग्राम समाज का अंकुश लगा रहता है| लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा?

उत्तर

राजस्थान के जिन क्षेत्रों में कुंइयों का प्रचलन है, वहाँ हरेक की अपनी-अपनी कुंई है| उससे पानी लेने का उनका निजी हक़ है| लेकिन इनका निर्माण गाँव-समाज की सार्वजनिक जमीन किया जाता है| उस जगह बरसने वाला पानी ही बाद में वर्ष-भर नमी की तरह सुरक्षित रहेगा और इसी नमी से साल-भर कुंइयों में पानी भरेगा| नमी की मात्रा वहाँ हो चुकी वर्षा से तय होती है| उस क्षेत्र में बनने वाली हर नई कुंई का अर्थ है, पहले से तय नमी का बँटवारा| इसलिए निजी होते हुए भी सार्वजनिक क्षेत्र में कुंइयों पर ग्राम समाज का अंकुश लगा रहता है|

5. कुंई निर्माण से संबंधित निम्न शब्दों के बारे में जानकारी प्राप्त करें- पालरपानी, पातालपानी, रेजाणीपानी|

उत्तर

मरुभूमि समाज के लिए उपलब्ध पानी को तीन रूपों में बाँटा गया है:

• पहला रूप है पालरपानी| यह सीधे बरसात से मिलने वाले पानी को कहा जाता है| यह धरातल पर बहता है और इसे नदी, तालाब आदि में रोका जाता है|

• पानी का दूसरा रूप पातालपानी कहलाता है| यह वही भूजल है जो कुओं में से निकाला जाता है|

• पालरपानी और पातालपानी के बीच पानी का तीसरा रूप है, रेजाणीपानी| धरातल से नीचे उतरा लेकिन पाताल में न मिल पाया पानी रेजाणी है| रेजाणीपानी खड़िया पट्टी के कारण पातालीपानी से अलग बना रहता है|

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Chapter 1 भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ – लता मंगेशकर | class11th | Ncert solution For Hindi Vitan

NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 1 – भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ – लता मंगेशकर वितान भाग-1 हिंदी (Bhartiya Gayikaon me Bejod – Lata Mangeshkar)

पृष्ठ संख्या: 8

अभ्यास


1. लेखक ने पाठ में गानपन का उल्लेख किया है| पाठ के सन्दर्भ में स्पष्ट करते हुए बताएँ कि आपके विचार में इसे प्राप्त करने के लिए किस प्रकार के अभ्यास की आवश्यकता है?

उत्तर

लेखक ने पाठ में गानपन का उल्लेख किया है| यहाँ गानपन का अर्थ गाने का वह अंदाज है जो एक आदमी को भी भावविभोर कर दे| जिस प्रकार मनुष्यता हो तो वह मनुष्य है, उसी प्रकार संगीत की विशेषता उसका गानपन होता है| लता मंगेशकर के गानों में भी गानपन मौजूद रहता है| इसे प्राप्त करने के लिए गायन में निर्मलता होना तथा गाने का नियमित अभ्यास करना आवश्यक है|

2. लेखक ने लता की गायकी की किन विशेषताओं को उजागर किया है? आपको लता की गायकी में कौन-सी विशेषताएँ नज़र आती हैं? उदाहरण सहित बताइए|

उत्तर

लेखक ने लता की गायकी की निम्नांकित विशेषताओं को उजागर किया है:

गानपन- गानपन का अर्थ है गाने का वह अंदाज है जो एक आदमी को भी भावविभोर कर दे| लता मंगेशकर के गानों को सुनकर श्रोता मुग्ध हो जाते हैं|

स्वरों की निर्मलता- लता के गाने की एक और विशेषता है, उनके स्वरों की निर्मलता| उनके स्वरों में कोमलता है|

नादमय उच्चार- लता के गाने की रक और विशेषता है, उसका नादमय उच्चार| उनके गीत के किन्हीं दो शब्दों का अंतर स्वरों के आलाप द्वारा बड़ी सुंदर रीति से भरा रहता है|

सुरीलापन- उनके सुरीले गीत श्रोताओं को बहुत पसंद हैं|

उच्चारण की शुद्धता- उनके गाने में उच्चारण की शुद्धता पाई जाती है|

3. लता ने करुण रस के गानों के साथ न्याय नहीं किया है, जबकि श्रृंगारपरक गाने वे बड़ी उत्कटता से गाती हैं- इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?

उत्तर

लेखक का यह कहना कि ‘लता ने करुण रस के गानों के साथ न्याय नहीं किया है, जबकि श्रृंगारपरक गाने वे बड़ी उत्कटता से गाती हैं’ से मैं सहमत नहीं हूँ| लता मंगेशकर ने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाना इतनी भावुकता तथा करूणा भरे स्वर में गाया है कि उसे सुनकर अभी भी हमारे आँखों में आँसू आ जाते हैं| उनके द्वारा गाए गए अनेक गीत करुण रस से भरे हुए हैं और वे लोकप्रिय भी हैं| इस प्रकार यह कहना उचित नहीं होगा कि लता ने करुण रस के गानों के साथ न्याय नहीं किया है|

4. संगीत का क्षेत्र ही विस्तीर्ण है| वहाँ अब तक अलक्षित, असंशोधित और अदृष्टिपूर्व ऐसा खूब बड़ा प्रांत है तथापि बड़े जोश से इसकी खोज और उपयोग चित्रपट के लोग करते चले आ रहे हैं-इस कथन को वर्तमान फ़िल्मी संगीत के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए|

उत्तर

संगीत का क्षेत्र अत्यंत व्यापक और विस्तृत है| इसमें बहुत से राग, स्वर, ताल और धुनें ऐसी हैं, जिनमें बहुत से सुधार होने बाकी हैं| वर्तमान फ़िल्मी संगीत में प्रतिदिन नई धुनों तथा नए स्वर का प्रयोग किया जा रहा है| इसमें शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ लोकगीत, पाश्चात्य संगीत तथा प्रांतीय गीतों को भी स्थान दिया जा रहा है| आजकल लोकगीतों का पाश्चात्य गीतों के साथ अच्छा तालमेल देखा जा रहा है| इस प्रकार वर्तमान फ़िल्मी संगीत में बड़े जोश के साथ नए प्रयोग किए जा रहे हैं|

5. चित्रपट संगीत ने लोगों के कान बिगाड़ दिए- अकसर यह आरोप लगाया जाता रहा है| इस संदर्भ में कुमार गंधर्व की राय और अपनी राय लिखें|

उत्तर

कुमार गंधर्व इस बात से सहमत नहीं हैं कि चित्रपट संगीत ने लोगों के कान बिगाड़ दिए| उनके अनुसार चित्रपट संगीत ने संगीत में कई सुधार लाए हैं| इसके कारण ही लोगों को संगीत के सुरीलेपन की समझ हो रही है| चित्रपट संगीत समाज की संगीत विषयक अभिरुचि में प्रभावशाली मोड़ लाया है|

मेरे विचार से वर्तमान फ़िल्मी दुनिया में चित्रपट संगीत शोर से भरा और तनाव पैदा करने वाला बन गया है| जहाँ पुराने संगीतों में सुरीलापन होता था, वहीं आजकल के नए गानों में बेतुकी, अश्लील तथा अजीब सी तुकबंदी होती है| कई ऐसे भी गाने बन रहे हैं जो आज की व्यस्त जिन्दगी में मन को सुकून पहुँचाते हैं|

6. शास्त्रीय एवं चित्रपट दोनों तरह के संगीतों के महत्त्व का आधार क्या होना चाहिए? कुमार गंधर्व की इस संबंध में क्या राय है? स्वयं आप क्या सोचते हैं?

उत्तर

कुमार गंधर्व के अनुसार शास्त्रीय एवं चित्रपट दोनों तरह के संगीतों के महत्त्व का आधार रंजकता होना चाहिए| शास्त्रीय संगीत हो या चित्रपट संगीत, अंत में रसिक को आनंद देने की सामर्थ्य किस गाने में कितना है, इस पर उसका महत्त्व निर्भर करता है| गाने की सारी मिठास, सारी ताकत उसकी रंजकता पर मुख्यतः अवलंबित रहती हैं| शास्त्रीय संगीत भी रंजक न हो, तो बिलकुल ही नीरस होगा| इस प्रकार मैं भी लेखक की इस बात से सहमत हूँ कि एक अच्छे संगीत में कोमलता, मधुरता तथा गानपन का होना अत्यंत आवश्यक है|

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Chapter 20 निर्मला पुतुल | class11th | Ncert solution For Hindi Aroh

आओ मिलकर बचाएँ ,निर्मला पुतुल Class 11 Hindi Aroh Poem NCERT Books Solutions

आओ मिलकर बचाएँ (अभ्यास प्रश्न)

प्रश्न 1. ‘माटी का रंग’ प्रयोग करते हुए किस बात की ओर संकेत किया गया है?

‘माटी का रंग’ प्रयोग करते हुए संथाली लोगों को विस्थापित होने से बचाने और उनको रोकने का प्रयास किया है। ‘माटी का रंग’ प्रयोग करते हुए कवयित्री कहती हैं कि जिस स्थान पर हम बड़े हो रहे हैं। उसी स्थान की मिट्टी से हमें प्यार होना भी होना चाहिए। उस मिट्टी में मिले हमारे भाव को हमें संजोकर रखना है। उस मिट्टी की हमें इज्जत करनी चाहिए। उसकी गरिमा को भी बचाना होगा।

प्रश्न 2. भाषा में झारखंडीपन से क्या तात्पर्य है?

कवयित्री संथाल परगना की बात करती है। जिसमें झारखंडी बोली बोली जाती है। वहाँ के लोग इसी भाषा को समझते हैं और कहते हैं। अतः कवयित्री झारखंडी भाषा को बचाने का प्रयास करती है। अन्यथा लोग दूसरी भाषा को बोलना और समझना शुरू कर देंगे जिससे झारखंडी भाषा समाप्त हो जाएगी। अतः कवयित्री झारखंडी भाषा को बचाने का प्रयास करती है।

प्रश्न 3. दिल के भोलेपन के साथ साथ अक्खड़पन और जुझारूपन को भी बचाने की आवश्यकता पर क्यों बल दिया गया है?

झारखंड के लोग भोलेभाले स्वभाव के हैं। वे छल-कपट से हमेशा दूर रहते हैं। इसलिए कवयित्री कहती है कि यदि दिल से भोले भाले बने रहे तो न तो हम सुरक्षित रह पाएँगे और न समाज। दिल के भोले होने के साथ-साथ हमें अपनी सही बात पर अड़ना और विवेकपूर्ण उत्तर देना भी आना चाहिए। दिल का भोलापन तो ठीक है परंतु सही बात पर अक्खड़पन होना, कार्य करने के लिए उत्साह होना और मेहनत करना भी अनिवार्य है।

प्रश्न 4. प्रस्तुत कविता आदिवासी समाज के किन बुराइयों की ओर संकेत करता है?

कवयित्री ने शहरीकरण के नाम पर झारखंड क्षेत्र के विस्थापित संथाल समाज के आदिवासियों की बुरी हालात पर चिंता व्यक्त की है। यद्यपि सामाजिक बुराइयों के कारण उस क्षेत्र की प्रकृति विनाश के कगार पर है। समाज भी कुरीतियों के कारण बुराई की ओर बढ़ रहा है। उनके पास अपनी संस्कृति-सभ्यता को बचाने के लिए बहुत सी चीजें हैं जिन्हें उनकी धरोहर कहा जा सकता है।

प्रश्न 5. इस दौर में भी बचाने को बहुत कुछ बचा है- से क्या आशय है?

इस दौर में बजाने को बहुत कुछ बचा है। उन वस्तुओं को बचाना है जो हमारे सामाजिक व प्राकृतिक परिवेश को स्वच्छ बनाती है। उदाहरण के तौर पर जीवन सादगी, कठोर-परिश्रम प्राकृतिक प्रेम आदि के द्वारा हम संथाल परगना के लोगों के जीवन को सुखी बना सकते हैं। इसलिए कवयित्री ने कहा है कि अभी बचाने को बहुत कुछ बचा है।

प्रश्न 6. निम्नलिखित पंक्तियों के काव्य-सौंदर्य को उदघाटित कीजिए-

(क) ठंडी होती दिनचर्या में

जीवन की गर्माहट

(ख) थोड़ा-सा विश्वास

थोडी-सी उम्मीद

थोड़े-से सपने

आओ, मिलकर बचाएँ।

उत्तर –

(क) इस पंक्ति में कवयित्री ने आदिवासी क्षेत्रों से विस्थापन की पीड़ा को व्यक्त किया है। विस्थापन से वहाँ के लोगों की दिनचर्या ठंडी पड़ गई है। हम अपने प्रयासों से उनके जीवन में उत्साह जगा सकते हैं। यह काव्य पंक्ति लाक्षणिक है इसका अर्थ है-उत्साहहीन जीवन। ‘गर्माहट’ उमंग, उत्साह और क्रियाशीलता का प्रतीक है। इन प्रतीकों से अर्थ गांभीर्य आया है। शांत रस विद्यमान है। अतुकांत अभिव्यक्ति है।

(ख) इस अंश में कवयित्री अपने प्रयासों से लोगों की उम्मीदें, विश्वास व सपनों को जीवित रखना चाहती है। समाज में बढ़ते अविश्वास के कारण व्यक्ति का विकास रुक-सा गया है। वह सभी लोगों से मिलकर प्रयास करने का आहवान करती है। उसका स्वर आशावादी है। ‘थोड़ा-सा’ ; ‘थोड़ी-सी’ व ‘थोड़े-से’ तीनों प्रयोग एक ही अर्थ के वाहक हैं। अत: अनुप्रास अलंकार है। उर्दू (उम्मीद), संस्कृत (विश्वास) तथा तद्भव (सपने) शब्दों का मिला-जुला प्रयोग किया गया है। तुक, छद और संगीत विहीन होते हुए कथ्य में आकर्षण है। खड़ी बोली का प्रयोग दर्शनीय है।

प्रश्न 7. बस्तियों को शहर की किस आबो-हवा से बचाने की आवश्यकता है?

हमें अपने नगर और बस्ती के बढ़ते प्रदूषण और प्राकृतिक संपदा का विनाश होने से बचाना चाहिए। पर्यावरण मानव जाति के लिए सुरक्षा कवच के समान है। यदि प्रदूषण के कारण पर्यावरण को हानि होगी तो बस्ती में दुख-रोग आदि बढ़ने लगेंगे। हम कोशिश करेंगे कि हमारी बस्ती और नगर की वायु शुद्ध हो और इसके आसपास वृक्षारोपण किया जाए।

आओ मिलकर बचाएँ (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)

प्रश्न 1:

आओ, मिलकर बचाएँ-कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।

उत्तर –

इस कविता में दोनों पक्षों का यथार्थ चित्रण हुआ है। बृहतर संदर्भ में यह कविता समाज में उन चीजों को बचाने की बात करती है जिनका होना स्वस्थ सामाजिक परिवेश के लिए जरूरी है। प्रकृति के विनाश और विस्थापन के कारण आज आदिवासी समाज संकट में है, जो कविता का मूल स्वरूप है। कवयित्री को लगता है कि हम अपनी पारंपरिक भाषा, भावुकता, भोलेपन, ग्रामीण संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। प्राकृतिक नदियाँ, पहाड़, मैदान, मिट्टी, फसल, हवाएँ ये सब आधुनिकता का शिकार हो रहे हैं। आज के परिवेश में विकार बढ़ रहे हैं, जिन्हें हमें मिटाना है। हमें प्राचीन संस्कारों और प्राकृतिक उपादानों को बचाना है। वह कहती है कि निराश होने की बात नहीं है, क्योंकि अभी भी बचाने के लिए बहुत कुछ बचा है।

प्रश्न 2:

लेखिका के प्रकृतिक परिवेश में कौन-से सुखद अनुभव हैं?

उत्तर –

लेखिका ने संथाल परगने के प्राकृतिक परिवेश में निम्नलिखित सुखद अनुभव बताए हैं-

1. जगल की ताजा हवा

2. नदियों का निर्मल जल

3 पहाड़ी की शांति

4 गीतों की मधुर धुनें

5 मिट्टी की स्वाभाविक सुगंध

6 लहलहाती फसलें कीजिए।

प्रश्न 3:

बस्ती को बचाएँ डूबने से-आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर =

बस्ती के डूबने का अर्थ हैं पारंपरिक रीति रिवाजों का लोप हो जाना और मौलिकता खोकर विस्थापन की ओर बढ़ना। यह चिंता का विषय है। आदिवासियों की संस्कृति का लुप्त होना बस्ती के डूबने के समान है।

आओ मिलकर बचाएँ (पठित पद्यांश)

1. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

अपनी बस्तियों की

न होने से

शहर की आबो हवा से बचाएँ उसे

अपने चहरे पर

सथिल परगान की माटी का रंग

बचाएँ डूबने से

पूरी की पूरी बस्ती को

हड़िया में

भाषा में झारखंडीयन

प्रश्न

1. कवयित्री वक्या बचाने का आहवान करती है?

2 संथाल परगना की क्या समस्या है?

3 झारखंडीपन से क्या आशय है?

4. काव्यांश में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।

उत्तर –

1. कवयित्री आदिवासी संभाल बस्ती को शहरी अपसंस्कृति से बचाने का आह्वान करती है।

2 संथाल परगना की समस्या है कि यहाँ कि भौतिक संपदा का बेदर्दी से शोषण किया गया है, बदले में यहाँ लोगों को कुछ नहीं मिलता। बाहरी जीवन के प्रभाव से संथाल की अपनी संस्कृति नष्ट होती जा रही है।

3. इसका अर्थ है कि झारखंड के जीवन के भोलेपन, सरलता, सरसता, अक्खड़पन, जुझारूपन गर्मजोशी के गुणों को बचाना।

4. काव्यांश में निहित संदेश यह है कि हम अपनी प्राकृतिक धरोहर नदी, पर्वत, पेड़, पौधे, मैदान, हवाएँ आदि को प्रदूषित होने से बचाएँ। हमें इन्हें समृद्ध करने का प्रयास करना चाहिए।

2. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

ठड़ी होती दिनचय में

जीवन की गर्माहट

मन का हरापन

भोलापन दिल का

अक्खड़पन जुझारूपन भी

प्रश्न

1. आम व्यक्ति की दिनचर्या पर क्या प्रभाव पड़ा है।

2. जीवन की गर्माहट से क्या आशय है।

3. कवयित्री आदिवासियों की किस प्रवृत्ति को बचाना चाहती है।

4. मन का हरापन से क्या तात्पर्य है?

उत्तर =

1, शहरी प्रभाव से आम व्यक्ति की दिनचर्या ठहर-सी गई है। उनमें उदासीनता बढ़ती जा रही है।

2. जीवन की गरमाहट का भाशय है-कार्य करने के प्रति उत्साह, गतिशीलता।

3, कवयित्री आदिवासियों के भोलेपन, अक्खड़पन व संघर्ष करने की प्रवृत्ति को बचाना चाहती है।

4. मन का हरापन से तात्पर्य है-मन की मधुरता, सरसता व उमंग।

3. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

भीतर की आग

धनुष की डोरी

तीर का नुकीलापन

कुन्हा की धार

जगंल की ताज हवा

नदियों की निर्मलता

पहाड़ों का मौन

गीतों की धुन

मिट्टी का सोंधार

फलों की ललहाहट

प्रश्न

1. आदिवासी जीवन के विषय में बताइए।

2. भादिवासियों की दिनचर्या का अंग कौन-सी चीजें हैं?

3, कवयित्री किस किस चीज को बचाने का आहवान करती है।

4. भीतर की आग से क्या तात्पर्य है।

उत्तर –

1. आदिवासी जीवन में तीर, धनुष, कुल्हाड़ी का प्रयोग किया जाता है। आदिवासी जंगल, नदी, पर्वत जैसे प्राकृतिक चीजों से सीधे तौर पर जुड़े हैं। उनके गीत विशिष्टता लिए हुए हैं।

2. भादिवासियों की दिनचर्या का अंग धनुष तीर, व कुल्हाड़ियाँ होती हैं।

३, कवयित्री जंगलों की ताजा हवा, नदियों की पवित्रता, पहाड़ों के मौन, मिट्टी की खुशबू, स्थानीय गीतों द फसलों की लहलहाहट को बचाना चाहती है।

4. इसका तात्पर्य है आतरिक जोश व संघर्ष करने की क्षमता।

4. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

नाचने के लिए खुला आँगन

गाने के लिए गीत

हँसने के लिए थोड़ी-सी खिलखिलाहट

रोने के लिए मुट्ठी भर एकात

बच्चों के लिए मैदान

पशुओं के लिए हरी हरी घास

बूढ़ों के लिए पहाड़ों की शांति

प्रश्न

1. हँसने और गाने के बारे में कवयित्री क्या कहना चाहती है?

2. कवयित्री एकांत की इच्छा क्यों रखती है।

3. बच्चों, पशुओं व बूढों को किनकी आवश्यकता है?

4. कवयित्री शहरी प्रभाव पर क्या व्यंग्य करती है?

उत्तर –

1. कवयित्री कहती है कि झारखंड के क्षेत्र में स्वाभाविक हँसी व गाने अभी भी बचे हुए हैं। यहाँ संवेदना अभी पूर्णतः मृत नहीं हुई है। लोगों में जीवन के प्रति प्रेम है।

2. कवयित्री एकांत की इच्छा इसलिए करती है ताकि एकांत में रोकर मन की पीड़ा, वेदना को कम कर सके।

3. बच्चों को खेलने के लिए मैदान, पशुओं के लिए हरी हरी घास तथा बूढ़ों को पहाड़ों का शांत वातावरण चाहिए।

4. कवयित्री व्यंग्य करती है कि शहरीकरण के कारण अब नाचने-गाने के लिए स्थान नहीं है, लोगों की हँसी गायब होती जा रही है, जीवन की स्वाभाविकता समाप्त हो रही है। यहाँ तक कि रोने के लिए भी एकांत नहीं बचा है।

5. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

और इस अविश्वास भरे दौर में

थोड़ा-सा विश्वास

थोड़ी-सी उम्मीद

थोडे-से सपने

आओ मिलकर बचाएँ

कि इस दौर में भी बचाने को

बहुत कुछ बचा हैं।

अब भी हमारे पास

प्रश्न

1. कवयित्री ने आज के युग को कैसा बताया है।

2. कवयित्री क्या-क्या बचाना चाहती है?

3. कवयित्री ने ऐसा क्यों कहा कि बहुत कुछ बचा है, अब भी हमारे पास

4. कवयित्री का स्वर आशावादी है या निराशावादी?

उत्तर =

1. कवयित्री ने आज के युग को अविश्वास से युक्त बताया है। आज कोई एक-दूसरे पर भरोसा नहीं करता।

2. कवयित्री थोड़ा सा विश्वास, उम्मीद व सपने बचाना चाहती है।

3. कवयित्री कहती हैं कि हमारे देश की संस्कृति व सभ्यता के सभी तत्वों का पूर्णतः विनाश नहीं हुआ है। अभी भी हमारे पास अनेक तत्व मौजूद हैं जो हमारी पहचान के परिचायक हैं।

4. कवयित्री का स्वर आशावादी है। वह जानती है कि आज घोर अविश्वास का युग है, फिर भी वह आस्था व सपनों के जीवित रखने की कआशा रखे हुए है।

आओ मिलकर बचाएँ

काव्य सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्न

पूरी कविता से काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य के कुछ कॉमन पॉइंट्स:

● मुक्तक छंद का प्रयोग किया गया है।

● कविता मूल रूप से संथाली भाषा में लिखी गई है, जिसका हिंदी रूपांतरण किया गया है।

● कवयित्री ने संथाली समाज के प्रति अपनी चिंता प्रकट की है।

● सहज, सरल तथा स्वाभाविक हिंदी भाषा का प्रयोग हुआ है।

● देशज शब्दों का प्रयोग किया गया है।

● प्रसाद गुण तथा शांत रस का परिपाक है।

1

अपनी बस्तियों को

नंगी होने से

शहर को आबो हवा से बचाएँ उसे

बचाएँ डूबने से

पूरी की पूरी बस्ती की

हड़िया में

अपने चहरे पर

संथाल परगना की माटी का रंग

भाषा में झारखंडीपन

प्रश्न

क) भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।

ख) शिल्प सौंदर्य स्पष्ट करें।

उत्तर –

क) इस काव्यांश में कवयित्री स्थानीय परिवेश को बाहय प्रभाव से बचाना चाहती है। बाहरी लोगों ने इस क्षेत्र के प्राकृतिक व मानवीय संसाधनों को बुरी तरह से दोहन किया है। वह अपने संथाली लोक-स्वभाव पर गर्व करती है।

ख) प्रस्तुत काव्यांश में प्रतीकात्मकता है।

० ‘माटी का रंग लाक्षणिक प्रयोग है। यह सांस्कृतिक विशेषता का परिचायक है।

० नंगी होना’ के कई अर्थ है-

० मर्यादा छोड़ना।

० कपड़े कम पहनना।

० वनस्पतिहीन भूमि।

० उर्दू व लोक प्रचलित शब्दों का प्रयोग है।

० छदमुक्त कविता है।

० खड़ी बोली में सहज अभिव्यक्ति है।

2

ठंडी होती दिनचर्या में

जीवन की गर्माहट

मन का हरापन

भोलापन दिल का

अक्खड़पन जुझारूपन भी

प्रश्न

क) भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।

ख) शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट करें।

उत्तर =

क) इस काव्यांश में कवयित्री ने झारखंड प्रदेश की पहचान व प्राकृतिक परिवेश के विषय में बताया है। वह लोकजीवन की सहजता को बनाए रखना चाहती है। वह पर्यावरण की स्वच्छता व निदषता को बचाने के लिए प्रयासरत है।

ख) ‘भीतर की आग” मन की इच्छा व उत्साह का परिचायक है।

० भाषा सहज व सरल है।

० छोटे-छोटे वाक्यांश पूरे बिंब को समेटे हुए हैं।

० खड़ी बोली है।

० अतुकांत शैली है।

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Chapter 19 पाश | class11th | Ncert solution For Hindi Aroh

NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 19 –  सबसे खतरनाक आरोह भाग-1 हिंदी (Sabse Khatrnak)पाश

पृष्ठ संख्या: 177

कविता के साथ

1. कवि ने किस आशय से मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी लोभ को सबसे खतरनाक नहीं माना?

उत्तर

कवि मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी लोभ को सबसे खतरनाक नहीं मानता क्योंकि इनके विरूद्ध आवाज उठाया जा सकता है| इनके विरोध में संघर्ष करके इसे दूर किया जा सकता है| ऐसी कई बातें हैं जो इनसे भी खतरनाक होती हैं, जैसे- हताशा में जीवन व्यतीत करना, निष्क्रिय होकर रहना| इनका प्रभाव कम नहीं किया जा साकता है|

2. सबसे खतरनाक शब्द के बार-बार दोहराए जाने से कविता में क्या असर पैदा हुआ?

उत्तर

‘सबसे खतरनाक’ शब्द के बार-बार दोहराए जाने से कविता अधिक असरदार बन गई है| पाठकों को खतरनाक और सबसे खतरनाक के बीच का अंतर अच्छी तरह समझ में आया है| इससे यह निश्चय करना कि सबसे अधिक बुरी परिस्थिति क्या है, आसान हो गया है|

3. कवि ने कविता में कई बातों को बुरा है न कहकर बुरा तो है कहा है| ‘तो’ प्रयोग से कथन की भंगिमा में क्या बदलाव आया है, स्पष्ट कीजिए|

उत्तर

समाज में प्रचलित अनेक बुराइयों के लिए कवि ने ‘तो’ का प्रयोग किया है| यहाँ कवि बताना चाहते हैं कि इससे भी अधिक बुराई समाज में मौजूद है, जिसका कोई अंत नहीं है| इस प्रकार ‘तो’ शब्द का प्रयोग कवि ने वाक्य पर बल देने के लिए किया है|

4. मुर्दा शांति से भर जाना और हमारे सपनों का मर जाना- इनको सबसे खतरनाक माना गया है| आपकी दृष्टि में इन बातों में क्या संगति है और ये क्यों सबसे खतरनाक हैं?

उत्तर

मुर्दा शांति से भर जाने का आशय है निष्क्रिय हो जाना| ऐसी स्थिति में व्यक्ति किसी भी बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं करता है| हमारे सपनों का मर जाने का अर्थ है कि हमारे जीवन की सभी आकाक्षाओं का समाप्त हो जाना| कवि के अनुसार दोनों ही स्थिति खतरनाक होती है क्योंकि दोनों ही स्थितियाँ व्यक्ति को निकम्मा और बेकार बनाती हैं| दोनों ही परिस्थितियों में व्यक्ति संघर्ष और प्रगति से दूर हट जाता है|

5. सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है/ आपकी कलाई पर चलती हुई घड़ी भी जो/ आपकी निगाह में रुकी हुई होती है/ इन पंक्तियों में घड़ी शब्द की व्यंजना से अवगत कराएँ|

उत्तर

यहाँ ‘घड़ी’ का प्रयोग जीवन के लिए किया गया है| जिस प्रकार घड़ी बिना रूके निरंतर चलती रहती है उसी प्रकार जीवन में भी गति होती है| यह समय के अनुसार निरंतर गतिशील होता है| यहाँ ‘घड़ी’ शब्द से यह संकेत किया गया है कि वह स्थिति सबसे अधिक खतरनाक होती है जब जीवन में स्थिरता आ जाती है| कवि ने घड़ी के माध्यम से उन लोगों की तरफ इशारा किया है जो प्रगतिशील संसार में भी स्वयं को जड़ या निरर्थक बनाए रखते हैं|

6. वह चाँद सबसे खतरनाक क्यों होता है, जो हर हत्याकांड के पश्चात् आपकी आँखों में मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है?

उत्तर

यहाँ ‘चाँद’ का प्रयोग उन व्यक्तियों के लिए किया गया है जो आस्था और विश्वास के नाम पर अत्याचार और अन्याय को चुपचाप सहने का उपदेश देते हैं| वे लोग भगवान की भक्ति के नाम पर पीड़ित लोगों से मनमोहक बातें करते हैं और उन्हें अन्याय के विरूद्ध कोई आवाज न उठाने की प्रेरणा देते हैं| कवि ऐसी आस्था को खतरनाक मानता है जिससे मानवीय समस्याओं का हल नहीं निकलता|

कविता के आस-पास

1. कवि ने ‘मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती’ से कविता का आरंभ करके फिर इसी से अंत क्यों किया होगा|

उत्तर

मेहनत की लूट का अर्थ है मेहनत के बदले उचित मूल्य न मिलना| कवि बताना चाहते हैं कि मेहनत की लूट से भी खतरनाक इस समाज में और भी बुराइयाँ व्याप्त हैं| इसलिए उन्होंने कविता का आरंभ इसी वाक्य से करके फिर इसी से अंत किया होगा|

2. कवि द्वारा उल्लिखित बातों के अतिरिक्त समाज में अन्य किन बातों को आप खतरनाक मानते हैं?

उत्तर

कवि द्वारा उल्लिखित बातों के अतिरिक्त समाज में भ्रूण हत्या, बाल विवाह, अपहरण, चोरी, भ्रष्टाचार, दहेज़ प्रथा, बाल मजदूरी, आतंकवाद आदि अन्य कई बुराइयाँ व्याप्त हैं|

3. समाज में मौजूद खतरनाक बातों को समाप्त करने के लिए आपके क्या सुझाव हैं?

उत्तर

समाज में मौजूद खतरनाक बातों को समाप्त करने के लिए हम निम्नलिखित सुझाव दे सकते हैं:

• लोगों को समाज में फैली बुराइयों से अवगत कराकर उन्हें दूर करने के उपाय बता सकते हैं|

• लोगों में इन बुराइयों से लड़ने का साहस पैदा कर सकते हैं|

• पुलिस प्रशासन ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाकर लोगों का भरपूर सहयोग कर सकते हैं|

• अन्याय के विरूद्ध आवाज बुलंद करने वालों को पुरस्कृत किया जा सकता है|

• गतिशील बनकर समाज में जागरूकता फैला सकते हैं|

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Chapter 18 अक्कमहादेवी | class11th | Ncert solution For Hindi Aroh

NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 18 –  अक्क महादेवी भाग-1 हिंदी (Akk Mahadevi)

पृष्ठ संख्या: 172

कविता के साथ

1. लक्ष्य प्राप्ति में इंद्रियाँ बाधक होती हैं- इसके संदर्भ में अपने तर्क दीजिए|

उत्तर

इंद्रियाँ मनुष्य को लक्ष्य की ओर जाने नहीं देतीं, वे मनुष्य को एकाग्रचित्त नहीं होने देतीं| जब भी मनुष्य अपने लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग में आगे बढ़ना चाहता है, इंद्रियाँ उसे स्वाद-सुख में भटका देती है| मनुष्य की इंद्रियाँ उसे सांसारिक मोह-माया में उलझा कर रखती हैं और उन्हें लक्ष्य-प्राप्ति के मार्ग में अग्रसर नहीं होने देतीं|

2. ओ चराचर ! मत चूक अवसर- इस पंक्ति का आशय स्पष्ट करें|

उत्तर

चराचर का आशय है संसार| कवयित्री संसार से कहती हैं कि वह ईश्वर प्राप्ति के अवसर को हाथ से न जाने दें| अपनी इंद्रियों को नियंत्रण में करके भगवद्प्राप्ति के अवसर का लाभ उठाएँ| कवियित्री भगवान शिव के चरणों में अपना जीवन समर्पित करना चाहती हैं और दूसरों से भी ऐसा करने को कहती हैं|

3. ईश्वर के लिए किस दृष्टांत का प्रयोग किया गया है? ईश्वर और उसके साम्य का आधार बताइए|

उत्तर

कविता में ईश्वर के लिए जूही के फूल के दृष्टांत का प्रयोग किया गया है| जिस प्रकार जूही का फूल पवित्र, सुगंधित और आनंदमय होता है उसी प्रकार ईश्वर भी पवित्र और सर्वव्यापक हैं तथा अपनी उपस्थिति से सबको आनंदित करते हैं| वे दयालु और आनंददाता हैं|

4. ‘अपना घर’ से क्या तात्पर्य है? इसे भूलने की बात क्यों की गई है?

उत्तर

‘अपना घर’ से कवयित्री ने अपने स्वार्थमय संसार की तरफ इशारा किया है जिसे वह भूलना चाहती हैं| कवियित्री ने इसे भूलने की बात की है क्योंकि वह प्रभु-भक्ति में अपना जीवन समर्पित करना चाहती हैं| वह चाहती हैं कि मनुष्य स्वार्थ के सभी बन्धनों को तोड़ दें ताकि वह ईश्वर की ओर प्रवृत्त हो सकें| इनका त्याग करके ही मनुष्य ईश्वर के घर जा सकता है|

5. दूसरे वचन में ईश्वर से क्या कामना की गई है और क्यों?

उत्तर

दूसरे वचन में कवयित्री ने ईश्वर से सांसारिक सुख के नष्ट होने की कामना की है| ऐसी स्थितियाँ उत्पन्न हो जाए कि कवियित्री को अपना पेट भरने के लिए भीख माँगना पड़े और ऐसा भी हो कि उन्हें भीख से भी वंचित रहना पड़े| ऐसी स्थिति में ही उनका अहंकार नष्ट होगा| वह ईश्वर से सांसारिक सुखों को नष्ट करने की विनती करती हैं ताकि वह प्रभु की भक्ति में समर्पित हो सके|

कविता के आस-पास

1. क्या अक्क महादेवी को कन्नड़ की मीरा कहा जा सकता है?

उत्तर

मीरा कृष्ण की उपासक थीं| उन्होंने कृष्ण-भक्ति में अपना जीवन समर्पित कर दिया था| संसार के सुखों का त्याग करके उन्होंने प्रभु-भक्ति का मार्ग अपनाया था| अक्क महादेवी भी उन्हीं की तरह भगवान शिव की उपासक हैं| मीरा की तरह इन्होने भी पारिवारिक सुखों का त्याग कर दिया और भगवद्भक्ति में अपना जीवन अर्पित कर दिया| दोनों ने ही सांसारिक मोह-माया से स्वयं को दूर रखा| इस प्रकार अक्क महादेवी को कन्नड़ की मीरा कहा जा सकता है|

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Chapter 17 दुष्यंत कुमार | class11th | Ncert solution For Hindi Aroh

NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 17 – गज़ल आरोह भाग-1 हिंदी (Gazal) दुष्यंत कुमार

अभ्यास


पृष्ठ संख्या: 167

गज़ल के साथ

1. आखिरी शेर में गुलमोहर की चर्चा हुई है| क्या उसका आशय एक खास तरह के फूलदार वृक्ष से है या उसमें कोई सांकेतिक अर्थ निहित है? समझाकर लिखें|

उत्तर

गुलमोहर एक ख़ास तरह का फूलदार वृक्ष है| इसके नीचे बैठकर लोगों को ख़ुशी का अनुभव होता है| कवि ने इसका सांकेतिक प्रयोग ऐसे भारत के लिए किया गया है जिसका सपना उन्होंने देखा है| वे ऐसे भारत की कल्पना करते हैं जहाँ शांति और सुख की छाया हो| इसके लिए उन्हें कुछ भी त्याग और संघर्ष करना पड़े|

2. पहले शेर में ‘चिराग’ शब्द एक बार बहुवचन में आया है और दूसरी बार एकवचन में| अर्थ एवं काव्य-सौंदर्य की दृष्टि से इसका क्या महत्व है?

उत्तर

पहली बार ‘चिराग’ शब्द का बहुवचन में प्रयोग किया गया है| इसका अर्थ हर घर के खुशियों के लिए प्रयुक्त हुआ है| कवि ने वर्तमान समाज व्यवस्था पर व्यंग्य किया है जिसका उद्देश्य प्रत्येक के लिए सुख-सुविधाओं के साधन उपलब्ध कराना था|

दूसरी बार यह एकवचन में प्रयोग किया गया है जिसका अर्थ यह है कि पूरे शहर या समाज के लिए एक भी सुख-सुविधा उपलब्ध नहीं है| जिस व्यवस्था में सभी के लिए खुशियों की आशा की गई थी, वहाँ पूरा समाज एक छोटे-से सुख के लिए तरस रहा है|

3. ग़ज़ल के तीसरे शेर को गौर से पढ़ें| यहाँ दुष्यंत का इशारा किस तरह के लोगों की ओर है?

उत्तर

ग़ज़ल के तीसरे शेर में कवि ने उन लोगों की तरफ इशारा किया है जो परिस्थिति के अनुसार स्वयं को ढाल लेते हैं| ऐसे लोग जो भाग्य पर निर्भर रहते हैं और जितना मिले उसी में संतुष्ट हो जाते हैं| इन लोगों की जीवन की आवश्यकताएँ सीमित हैं तथा कठिनाइयों को चुपचाप सह लेते हैं|

4. आशय स्पष्ट करें:

तेरा निज़ाम है सिल दे ज़ुबान शायर की,
वे एहतियात जरूरी है इस बहर के लिए

उत्तर

प्रस्तुत पंक्तियों में कवि यह कहना चाहते हैं कि कोई भी शासक शायर को अपने विरूद्ध आवाज बुलंद करने नहीं देता क्योंकि ऐसा होने से उस शासन व्यवस्था के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है| यह किसी भी शासन-व्यवस्था के स्थायित्व के लिए आवशयक भी है| लेकिन जमाने में बदलाव के लिए शायरों को अपनी आवाज इस प्रकार से बुलंद करनी होगी जिससे कि उनकी आवाज जनता तक पहुँच सके|

गज़ल के आस-पास

1. दुष्यंत की इस ग़ज़ल का मिज़ाज बदलाव के पक्ष में है| इस कथन पर विचार करें|

उत्तर

इस ग़ज़ल के माध्यम से कवि दुष्यंत राजनीतिक एवं सामाजिक व्यवस्था में परिवर्तन लाना चाहते हैं| कवि कहते हैं कि जिस उद्देश्य से इस व्यवस्था का निर्माण किया गया था वह पूरा नहीं हुआ| समाज के लोगों के लिए सुख-सुविधा तो उपलब्ध कराना दूर, किसी एक के लिए भी सुधार नहीं किया जा सका| कवि ऐसी ही शासन-व्यवस्था के विरूद्ध अपनी आवाज बुलंद करना चाहते हैं| वह शोषित वर्ग के लोगों के मन में क्रांति की ज्वाला सुलगाना चाहते हैं जिससे वे अपने अधिकारों तथा स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर सकें|

2. हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन
दिल के खुश रखने को गालिब ये ख्याल अच्छा है

दुष्यंत की ग़ज़ल का चौथा शेर पढ़ें और बताएँ कि गालिब के उपर्युक्त शेर से वह किस तरह जुड़ता है|

उत्तर

कवि दुष्यंत के ग़ज़ल के चौथे शेर में कवि दुष्यंत ने ईश्वर के अस्तित्व के कल्पना मात्र से व्यक्ति के आनंदपूर्वक जीवन व्यतीत करने की बात कही है| ईश्वर के होने का सुंदर सपना ही लोगों की आँखों को सुकून देता है| इस प्रकार शेर में कवि ने उन लोगों पर व्यंग्य किया है जो वास्तविकता से दूर कल्पना मात्र से ही दिल को खुश कर लेते हैं|

गालिब के शेर में भी स्वर्ग की वास्तविकता से सभी परिचित हैं लेकिन दिल को खुश करने के लिए उसकी सुंदर कल्पना करते हैं| इस प्रकार दोनों शेरों में वास्तविकता को परे रखकर काल्पनिक दुनिया के बारे में वर्णन किया गया है|

3. यहाँ दरख्तों के साये में धुप लगती है’ यह वाक्य मुहावरे की तरह अलग-अलग परिस्थितियों में अर्थ दे सकता है मसलन, यह ऐसी अदालतों पर लागू होता है, जहाँ इंसाफ नहीं मिल पाता| कुछ ऐसी परिस्थितियों की कल्पना करते हुए निम्नांकित अधूरे वाक्यों को पूरा करें|

(क) यह ऐसे नाते-रिश्तों पर लागू होता है,. ……………………..

(ख) यह ऐसे विद्यालयों पर लागू होता है, ……………………

(ग) यह ऐसे अस्पतालों पर लागू होता है, ……………………..

(घ) यह ऐसी पुलिस व्यवस्था पर लागू होता है, ……………………

उत्तर

(क) यह ऐसे नाते-रिश्तों पर लागू होता है, जहाँ एक-दूसरे पर विश्वास और उसके प्रति प्रेम का भाव नहीं रहता|

(ख) यह ऐसे विद्यालयों पर लागू होता है, जहाँ छात्रों को पढ़ाया नहीं जाता|

(ग) यह ऐसे अस्पतालों पर लागू होता है, जहाँ रोगियों का ठीक से इलाज नहीं होता|

(घ) यह ऐसी पुलिस व्यवस्था पर लागू होता है, जहाँ जनता की सुनवाई नहीं होती तथा लोगों को सुरक्षा नहीं मिलती|

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Chapter 16 त्रिलोचन | class11th | Ncert solution For Hindi Aroh

NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 16 – चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती आरोह भाग-1 हिंदी (Champa kaale kaale achchar nhin chinhati)त्रिलोचन

अभ्यास


पृष्ठ संख्या: 162

कविता के साथ

1. चंपा ने ऐसा क्यों कहा कि कलकत्ता पर बजर गिरे?

उत्तर

बजर यानी बिजली गिरने का आशय है नष्ट होना| चंपा गुस्से में कहती है कि कलकत्ता पर बजर गिरे क्योंकि वहाँ जो भी पैसे कमाने जाता है वहाँ की चकाचौंध में खो जाता है और वापस लौटकर नहीं आता| उसके गाँव में भी कई औरतों को इस वियोग का दुःख सहना पड़ रहा है| इसलिए वह कहती है कि कलकत्ता का सत्यानाश हो|

2. चंपा को इसपर क्यों विश्वास नहीं होता कि गांधी बाबा ने पढ़ने-लिखने की बात कही होगी?

उत्तर

चंपा पढ़ाई-लिखाई के विरोध में है जबकि कवि उसे बताते हैं कि गाँधी जी पढ़ाई के समर्थक हैं| गाँव में पढ़ने-लिखने को अच्छा नहीं समझा जाता था जबकि चंपा के अनुसार गाँधी जी तो अच्छे आदमी थे| इसलिए चंपा को विश्वास नहीं होता कि गांधी बाबा ने पढ़ने-लिखने की बात कही होगी|

3. कवि ने चंपा की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?

उत्तर

कविता में कवि ने चंपा की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है :

• चंपा शरारती तथा नटखट स्वभाव की लड़की है|

• वह एक मुंहफट लड़की है जो बिना सोचे-समझे कुछ भी बोल देती है|

• वह गाँव में रहने वाली एक भोली और अबोध लड़की है|

• गाँधी जी प्रति उसके मन में बहुत सम्मान है|

• वह एक मेहनती लड़की है जो चरवाहे का काम करती है|

4. आपके विचार से चंपा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मैं तो नहीं पढूंगी?

उत्तर

चंपा जिस गाँव में रहती है वहाँ लड़कियों का पढ़ना-लिखना अच्छा नहीं समझा जाता| यही बात उसके मन में घर कर गई होगी कि पढ़े-लिखे लोग अछे नहीं होते| इसलिए उसने ऐसा कहा होगा की वह नहीं पढ़ेगी|

कविता के आस-पास

1. यदि चंपा पढ़ी-लिखी होती तो कवि से कैसे बातें करती?

उत्तर

यदि चंपा पढ़ी-लिखी होती तो वह कवि से ऐसे प्रश्न नहीं पूछती कि किताबों में लिखे अक्षरों को कैसे पढ़ा जाता है| कवि के पढ़ते समय बदमाशी नहीं करती और उनके लिखने-पढ़ने की सामग्री को नहीं चुराती| वह कवि के साथ ज्ञान भरी बातें करती और समझदारी के साथ उनके बातों को सुनती|

2. इस कविता में पूर्वी प्रदेशों की स्त्रियों की किस विडंबनात्मक स्थिति का वर्णन हुआ है?

उत्तर

इस कविता में कवि ने पूर्वी प्रदेशों की स्त्रियों के अबोधता, निष्कपट तथा सरल व्यवहार का वर्णन किया है| उन्हें पढ़ाई-लिखाई का महत्व समझ में नहीं आता| वे गाँव की परंपराओं को पूरे निष्ठा के साथ निभाती हैं, भले ही इसके लिए उन्हें अपने पति से दूर ही क्यों न रहना पड़े| वे चहारदीवारी में रहकर ही अपना जीवन व्यतीत करती हैं और बाहरी दुनिया से कोई मतलब नहीं रखतीं| कवि ने पूर्वी प्रदेशों की स्त्रियों की इन्हीं विडंबनात्मक स्थितियों का वर्णन किया है|

3. संदेश ग्रहण करने और भेजने में असमर्थ होने पर एक अनपढ़ लड़की को किस वेदना और विपत्ति को भोगना पड़ता है? अपनी कल्पना से लिखिए|

उत्तर

संदेश ग्रहण करने और भेजने में असमर्थ होने पर एक अनपढ़ लड़की को कई परेशानियों को झेलना पड़ता है| यदि उसे कोई संदेश अपने परिजनों तक पहुँचानी हो तो उसे किसी अन्य का सहारा लेना पड़ता है| किसी परिजन के द्वारा भेजे गए संदेश को वह स्वयं नहीं पढ़ सकती| इसके लिए भी उसे ऐसे व्यक्ति की जरूरत होती है जो इस काम में उसकी सहायता करे|

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Chapter 15 भवानी प्रसाद मिश्र | class11th | Ncert solution For Hindi Aroh

NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 15 – घर की याद आरोह भाग-1 हिंदी (Ghar ki Yaad)भवानी प्रसाद मिश्र

अभ्यास


पृष्ठ संख्या: 156

कविता के साथ

1. पानी के रात भर गिरने और प्राण-मन के घिरने में परस्पर क्या संबंध है?

उत्तर

पानी का गिरना अर्थात् बारिश का होना मन को प्रफुल्लित कर देता है| साथ ही बारिश के कारण किसी अपने से मिलने की तीव्र इच्छा होती है| प्राण-मन के घिरने का आशय है मन से उदास होना| कवि जेल में अपनों को याद करके उदास हो जाता है तथा बारिश होने से उसके घर से अलग होने का दुःख बढ़ जाता है|

2. मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को ‘परिताप का घर’ क्यों कहा है?

उत्तर

विवाह के बाद जब लड़कियाँ मायके आती हैं तो अपने परिवार से मिलकर बहुत खुश होती हैं| लेकिन कवि की बहन इस बार जब मायके आई तो कवि को घर में न पाकर बहुत दुखी हुई| कवि जेल में बंद थे जिसके कारण घर में शोक का माहौल था| इसलिए कवि ने मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को ‘परिताप का घर’ अर्थात् कष्ट या दुःख का घर कहा है|

3. पिता के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं को उकेरा गया है?

उत्तर

कवि ने पिता के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं को उकेरा है:

• वृद्धावस्था आने के बाद भी उनके ह्रदय में युवकों जैसा उत्साह और साहस भरा था|

• शरीर से वे इतने स्वस्थ हैं कि अब भी लंबी दौड़ लगा लेते थे|

• उनके चेहरे पर हर समय मुस्कराहट रहती थी|

• उनकी वाणी में बादल जैसी गर्जन थी|

• वे मौत से भी नहीं डरते|

• वे एक सच्चे देशभक्त और बहादुर व्यक्ति थे|

• वे भावुक व्यक्ति भी थे|

4. निम्नलिखित पंक्तियों में ‘बस’ शब्द के प्रयोग की विशेषता बताइए|

मैं मजे में हूँ सही है
घर नहीं हूँ बस यही है
किंतु यह बस, बड़ा बस है,
इसी बस से सब विरस है

उत्तर

प्रस्तुत पंक्तियों में ‘बस’ का प्रयोग चार बार किया गया है|

घर नहीं हूँ बस यही है- यहाँ ‘बस’ का अर्थ है, ‘केवल’ अर्थात् ‘इतनी-सी बात’| घर में नहीं हूँ जेल में हूँ इतनी-सी बात है|

किंतु यह बस, बड़ा बस है- यहाँ पहली बार ‘बस’ का प्रयोग मजबूरी के लिए किया गया है| दूसरी बार इसका प्रयोग ‘कारण’ के लिए किया गया है|

इसी बस से सब विरस है- यहाँ ‘बस’ का प्रयोग नीरसता का भाव के लिए किया गया है| सब कुछ होने के बाद भी ‘बस’ अपनों का साथ नहीं है|

इस प्रकार कवि ने अलग-अलग भावों को व्यक्त करने के लिए ‘बस’ का प्रयोग किया है|

5. कविता की अंतिम 12 पंक्तियों को पढ़कर कल्पना कीजिए कि कवि अपनी किस स्थिति व मनःस्थिति को अपने प्रियजनों से छिपाना चाहता है?

उत्तर

कविता की अंतिम 12 पंक्तियाँ जेल में बंद कवि की मनोव्यथा व्यक्त करती हैं| कवि अपने परिवार से दूर होने के दुख में व्याकुल हैं| उन्हें नींद नहीं आती और उन्हें अकेले रहना पसंद है| अपने प्रियजनों की याद में खोए-खोए से रहते हैं| वे अपने पिता को भी अपनी वास्तविक स्थिति बताकर दुखी नहीं करना चाहते| वे ऐसी कोई बात नहीं करना चाहते जिससे उनके परिवारवालों को इस सच्चाई का पता चल जाए|

कविता के आस-पास

1. ऐसी पाँच रचनाओं का संकलन कीजिए, जिसमें प्रकृति के उपादानों की कल्पना सन्देशवाहक के रूप में की गई है|

उत्तर

बादल राग, मेघ आए बन ठन के, मेघदूत, आः धरती कितनी देती है, जूही की कला, पवन|

2. घर से अलग होकर आप घर को किस तरह से याद करते हैं? लिखें|

उत्तर

घर से अलग होकर हमें घरवालों की बहुत याद आती है| माँ के हाथों का बना खाना, पिता की प्यार-भरी डाँट, दादी का दुलार, भाई-बहनों का प्यार ये सब याद आता है| घर में प्रियजनों के साथ बिताए गए हर क्षण याद आते हैं और हम उनका हाल-चाल जानने के लिए बेसब्र रहते हैं|

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