Chapter 15 महादेवी वर्मा | class 11th | Chapterwise Important Question for Hindi Antra

जाग तुझको दूर जाना Class 11 Antra Chapter 15 Important Question Answer

प्रश्न-अभ्यास

जाग तुझको दूर जाना

Question 1: ‘जाग तुझको दूर जाना’ कविता में कवियत्री मानव को किन विपरीत स्थितियों में आगे बढ़ने के लिए उत्साहित कर रही है?

Answer:‘जाग तुझको दूर जाना’ कविता में कवयित्री मानव को निम्नलिखित विपरीत स्थितियों में आगे बढ़ने के लिए उत्साहित कर रही है-
(क) वे कह रही हैं कि हिमालय के हृदय में कंपन हो रहा है। इससे भूकंप की स्थिति बन सकती है लेकिन तुझे बढ़ना है। इस कंपन से तुझे डरना नहीं है।
(ख) प्रलय की स्थिति बन गई है। ऐसी स्थिति में मनुष्य घबरा जाता है, तुझे निरंतर बढ़ना है।
(ग) चारों तरफ घना अंधेरा छाया हुआ है। तुझे इस स्थिति में कुछ दिखाई न दे फिर भी तुझे बढ़ना है।

Question 2: कवयित्री किस मोहपूर्ण बंधन से मुक्त होकर मानव को जागृति का संदेश दे रही है?

Answer:कवयित्री व्यक्ति को अपने परिजनों के मोहपूर्ण बंधन से मुक्त होने का संदेश देती है। उनके अनुसार मनुष्य के मार्ग में ये बंधन सबसे बड़ी बाधा होते हैं। ये बंधन मनुष्य को आगे नहीं बढ़ने देते हैं। इसमें उसकी प्रेमिका के बाँहों का बंधन भी है, जो उसे रोके रखता है। कवयित्री इन बंधन को तोड़कर मानव को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

Question 3: ‘जाग तुझको दूर जाना’ स्वाधीनता आंदोतलन की प्रेरणा से रचित एक जागरण गीत है। इस कथन के आधार पर कविता की मूल संवेदना को लिखिए।

Answer:इस गीत की रचना तब की गई थी, जब भारत में स्वतंत्रता की लहर उठनी आरंभ हो रही थी। देशवासी आज़ादी तो चाहते थे परन्तु उस लड़ाई में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेने में डर रहे थे। इसके पीछे बहुत से कारण विद्यमान थे। वे स्वार्थवश और आलस्यवश चुप थे। उनके अंदर देशभक्ति की भावना जागृत करने के लिए जागरण गीतों की रचना हुई। महादेवी ने भी ऐसे ही गीत की रचना की। यह गीत सोए हुए भारतीयों को जगाता है। महादेवी भारतवासियों को जागकर चलने के लिए प्रेरित करती है। वह यह भी बताती है कि इस पर चलते हुए उसे बहुत प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। उसे इनसे डरना नहीं है। सभी तरह के बंधनों से मुक्त होकर बस बढ़ते चलना है। इसकी मूल संवेदना आज़ादी प्राप्त करना है। आज़ादी के पथ पर चलते हुए उसे निडरतापूर्वक बढ़ना है।

Question 4: निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) विश्व का क्रंदन ………………. अपने लिए कारा बनाना!
(ख) कह न ठंडी साँस ………………… सजेगा आज पानी।
(ग) है तुझे अंगार-शय्या ……………….. कलियाँ बिछाना!

Answer:
(क) कवयित्री कहती है कि भंवरें की मधुर गुनगुन क्या उसे विश्व का क्रंदन भुलाने देगी। फूल में विद्यमान ओस की बूँदे किसी व्यक्ति को डूबा सकते हैं। तुझे अपनी छाँव रूपी कैद से बाहर निकलना है। इसका काव्य सौंदर्य बहुत अद्भुत है। प्रेमिका के मधुर वचनों को भंवरें की गुनगुन के समान बताया गया है। मनुष्य को दृढ़ता से चलने के लिए कहा गया है। ‘मधुप की मधुर’ में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है। ओज गुण का समावेश है तथा ‘कारा’ शब्द लाक्षणिकता को दर्शाता है।

(ख) जो जीवन में पीड़ा, वेदना व करुणा को ही सबकुछ मानते हैं कवयित्री ऐसे लोगों को झकझोरते हुए कहती है कि अब इन बातों को जलती हुई कहानी के समान छोड़ दे। इसमें कवयित्री लोगों को अपनी असफलताओं को भूल जाने के लिए कहती है। वे मनुष्य को अपने हृदय में आग भरने के लिए प्रेरित करती है। उस में आग लक्षणा शक्ति का द्योतक है। श्लेष अलंकार ‘पानी’ शब्द में दिखाई देता है।

(ग) कवयित्री क्रांतिकारी को अपनी कोमल भावनाओं का बलिदान देने के लिए कहती है। ‘अंगार शय्या’ में रूपक अलंकार का प्रयोग है। ‘अंगार शय्या पर मधुर कलियाँ बिछाना’ में विरोध का आभास होता है। अतः यहाँ विरोधाभास अलंकार है।

Question 5: कवयित्री ने स्वाधीनता के मार्ग में आनेवाली कठिनाइयों को इंगित कर मनुष्य के भीतर किन गुणों का विस्तार करना चाहा है? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

Answer:कवयित्री ने स्वाधीनता के मार्ग में आनेवाली कठिनाइयों को इंगित कर मनुष्य के भीतर निम्नलिखित गुणों का विस्तार करना चाहा है-
(क) वह मनुष्य को दृढ़-निश्चय होकर चलने के लिए प्रेरित करती है। इस तरह मनुष्य दृढ़ निश्चयी बनता है।
(ख) वह उसमें आलस्य हटाकर परिश्रम हटाने के लिए प्रेरित करती है। अतः वह उसमें परिश्रम के गुण का विकास करती है।
(ग) वह उसे विषम परिस्थितियों में निडर होकर बढ़ने के लिए कहती है। इस तरह वह उसमें निडरता के गुण का समावेश करती है।
(घ) वह उसे मोह त्यागने के लिए कहती है। इस तरह वह उसमें भावुकता के स्थान पर देशप्रेम का बीज बोती है।
(ङ) वह उसे जागरूता के गुण का समावेश करती है। उसके अनुसार इस लड़ाई में उसे जागरूक होकर चलना पड़ेगा।
(च) वह उसके हृदय से मृत्यु का भय निकालकर जीवन का सही उद्देश्य बताना चाहती है। इस तरह वह उसके अंदर लक्ष्य को पहचानकर उसे पूरा करने के गुण का विस्तार करती है।

सब आँखों के आँसू उजले

Question 6: महादेवी वर्मा ने ‘आँसू’ के लिए ‘उजले’ विशेषण का प्रयोग किस संदर्भ में किया है और क्यों?

Answer:‘आँसू’ पवित्रता का प्रतीक हैं। इनमें छल-कपट नहीं होता है। यह तो पवित्र तथा निर्मल भावना का प्रतीक हैं। सभी की कल्पनाओं में चूंकि सत्य पलता है। अतः ये निराधार नहीं होते हैं।

Question 7: सपनों को सत्य रूप में ढालने के लिए कवयित्री ने किस यथार्थपूर्ण स्थितियों का सामना करने को कहा है?

Answer:सपनों को सत्य करने के लिए कवयित्री ने इन यथार्थपूर्ण स्थितियों का सामना करने के लिए कहा है-
(क) दीपक के समान जलने को कहा है।
(ख) फूल के समान खिलने को कहा है।
(ग) कठोर स्वभाव के अंदर भी करुणा की भावना को रखना।
(घ) जीवन में सत्य की झलक को दिखाकर।
(ङ) हर व्यक्ति के अंदर व्याप्त सच्चाई को जानकर।

Question 8: निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-

(क) आलोक लुटाता वह ……… कब फूल जला?

(ख) नभ तारक-सा …………. हीरक पिघला?

Answer:
(क) भाव यह है कि दीपक स्वयं जलकर संसार में प्रकाश को फैलाता है तथा फूल खिलकर अपनी सुगंध फैलाता है। अपने कार्य से दोनों पक्के साथी हैं। ध्यान दिया जाए, तो दोनों में इस समानता के बाद भी अंतर है। दीपक खिल नहीं पाता है और फूल जल नहीं सकता है। अतः स्वभावगत विशेषता के कारण दोनों अलग-अलग हैं। यही इनका सत्य है। भाव यह है कि इस संसार में बहुत से मनुष्य रहते हैं। उनमें कुछ समानताएँ हो सकती हैं पर वे अलग-अलग व्यक्तित्व के स्वामी है, जो उन्हें अलग कर देती है।
(ख) एक व्यक्ति आकाश के तारों के जैसा है। जो टूटे-फूटे होते हुए भी प्रसन्नता से सुरधरा को चूमता है। दूसरा अंगारों के समान मधु रस का पान करते हुए केशर रूपी किरणों के जैसे झूम रहा है। ये दोनों अपने तरीके से जीवन के ढंग को अपना रहे हैं। बहुमूल्य बनी रहने की इच्छा में स्वर्ण को कभी टूटते देखा है या हीरे को कभी पिघलते पाया है। दोनों स्वयं के अस्तित्व के लिए जी रहे हैं। भाव यह है कि मनुष्य को अपना मूल्य समझाने के लिए गलत मार्ग में चलने की आवश्यकता नहीं है। वह निरंतर परिश्रम और प्रयास से अपने को संसार में आदर्श के रूप में स्थापित कर सकता है।

Question 9: काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।संसृति के प्रति पग में मेरी …………. एकाकी प्राण चला!

Answer:प्रस्तुत पंक्ति में ‘प्रति पग’ में अनुप्रास अलंकार की छटा है। इन पंक्तियों में रहस्यवाद के दर्शन मिलते हैं। यही कारण है कि भाषा में रहस्यात्मकता का प्रभाव दिखाई देता है।

योग्यता-विस्तार

Question 2: महादेवी वर्मा और सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताओं को पढ़िए और महादेवी वर्मा की पुस्तक ‘पथ के साथी’ से सुभद्रा कुमारी चौहान का संस्मरण पढ़िए तथा उनके मैत्री-संबंधों पर निबंध लिखिए।

Answer:महादेवी वर्मा की मुलाकात सर्वप्रथम सुभद्रा कुमारी चौहान से क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में हुई थी। वे महादेवी से सीनियर थीं। मगर दोनों में बहनों जैसा प्यार और गया था। उस समय सुभद्रा जी कविता लिखना आरंभ कर चुकी थी और महादेवी तुक मिलाती थीं। सुभद्रा कुमारी को खड़ी बोली में लिखता देखकर महादेवी को उस भाषा में लिखने की प्रेरणा मिली। वरना इससे पहले महादेवी अपनी माताजी के प्रभाव के कारण ब्रज में लिखती थीं। सुभद्रा जी के साथ महादेवी ने तुक मिलाएँ और जो कविता बनती उन्हें ‘स्त्री दर्पण’ में भेजना आरंभ कर दिया। अतः स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि सुभद्रा कुमारी जी महादेवी के कवि जीवन की सबसे पहली साथिन थीं। इन्होंने ही महादेवी को मार्ग दिखाया। दोनों सखियाँ आजीवन एक दूसरे के साथ रहीं। यह दो ऐसी औरतों की मित्रता थीं, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपनी कविताओं के माध्यम से सरकार को हिला दिया।

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Chapter 14 सुमित्रानंदन पंत | class 11th | Chapterwise Important Question for Hindi Antra

हिन्दी संध्या के बाद Class 11 Antra Chapter 14 Question Answer

प्रश्न-अभ्यास

Question 1: संध्या के समय प्रकृति में क्या-क्या परिवर्तन होते हैं, कविता के आधार पर लिखिए।

Answer:संध्या के समय सूर्य का प्रकाश लाल आभा लिए हो जाता है। पीपल के पत्ते ताम्र वर्ण के हो जाते हैं। वे पेड़ से गिरते ऐसे लगते हैं मानो सुनहरी आभा लिए झरने विभिन्न धारा में बह रहे हैं। सूर्य रूपी खंभा धरती में जाता हुआ लगता है। क्षितिज में सूरज गायब हो जाता है। गंगा का जल चितकबरा लगने लगता है।

Question 2: पंत जी ने नदी के तट का जो वर्णन किया है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।

Answer:नदी के तट पर ध्यान में मगन वृद्ध औरतें ऐसे प्रतीत हो रही हैं, मानो शिकार करने के लिए नदी किनारे खड़े बगुलें हों। पंत जी ने कविता में वृद्ध औरतों की बहुत सुंदर उपमा दी है। उनके दुख को भी बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है। नदी की मंथर धारा को वृद्ध औरतों के मन में बहने वाले दुख के समान बताया गया है। इस तरह से वृद्ध औरतें और बगुले दोनों ही नदी किनारे में मिलते हैं। उनके सफेद रंग के कारण कवि ने बहुत सुंदर उपमा देकर दोनों को एक कर दिया है।

Question 3: बस्ती के छोटे से गाँव के अवसाद को किन-किन उपकरणों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है?

Answer:बस्ती में विद्यमान छोटे से गाँव के अवसाद को इनके माध्यम से अभिव्यक्त किया गया है-
• गाँव में घरों के अंदर प्रकाश करने के लिए तेल की ढिबरी का प्रयोग किया जाता है। यह प्रकाश बहुत कम देती है मगर इससे धुआँ अधिक होता है।
• लोगों के मन का अवसाद उनकी आँखों में जालों के रूप में विद्यमान रहता है।
• उनके दिल का क्रंदन तथा मूक निराशा दीए की लौ के साथ कांपती है।
• गाँव का बनिया ग्राहकों का इंतज़ार करके ऊँघ जाता है।

Question 4: लाला के मन में उठनेवाली दुविधा को अपने शब्दों में लिखिए।

Answer:लाला यह सोचता है कि उसे ही दुख, गरीबी और उत्पीड़न क्यों झेलना पड़ रहा है? उसे सुख क्यों नहीं प्राप्त है? वह अपने नाते-रिश्तेदारों को साफ़-सुथरा घर क्यों नहीं दे पाता? वह शहर में रहने वाले बनियों के समान उठ क्यों नहीं पाता? वह उनके जैसा ही महाजन क्यों नहीं बन पाता? उसकी तरक्की के साधन किसके द्वारा रोके गए हैं? वह सोचता है कि कुछ ऐसा नहीं हो सकता है, जिससे उसे भी उन्नति करने के अवसर प्राप्त हों। ये दुविधाएँ उसके मन में उठ रही हैं।

Question 5: सामाजिक समानता की छवि की कल्पना किस तरह अभिव्यक्त हुई है?

Answer:सामाजिक समानता की छवि की कल्पना इस प्रकार अभिव्यक्त हुई है-
• कर्म तथा गुण के समान ही सकल आय-व्यय का वितरण होना चाहिए।
• सामूहिक जीवन का निर्माण किया जाए।
• सब मिलकर नए संसार का निर्माण करें।
• सब मिलकर सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं का भोग करें।
• समाज को धन का उत्तराधिकारी बनाया जाए।
• सभी व्याप्त वस्त्र, भोजन तथा आवास के अधिकारी हों।
• श्रम सबमें समान रूप से बँटें।

Question 6: ‘कर्म और गुण के समान …….. हो वितरण’ पंक्ति के माध्यम से कवि कैसे समाज की ओर संकेत कर रहा है?

Answer:इस पंक्ति में कवि ऐसे समाज की कल्पना कर रहा है, जहाँ का वितरण मनुष्य के कर्म और गुणों के आधार पर होना चाहिए। ऐसे में प्रत्येक मनुष्य को उसके गुणों और कार्य करने की क्षमता के आधार पर कार्य मिलेगा, इससे आय का सही प्रकार से बँटवारा हो सकेगा। ये समाजवाद के गुण हैं, जिसमें किसी एक वर्ग का आय-व्यय पर अधिकार नहीं होता है। सबको समान अधिकार प्राप्त होते हैं।

Question 7: निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) तट पर बगुलों-सी वृद्धाएँ
विधवाएँ जप ध्यान में मगन,
मंथर धारा में बहता
जिनका अदृश्य, गति अंतर-रोदन!

Answer:प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने बहुत ही सुंदर और मार्मिक रूप में प्रकृति का चित्रण किया है। कवि कहता है जिस तरह तट पर बगुले शिकार प्राप्त करने के उद्देश्य से मंथर धारा में खड़े रहते हैं, ऐसे ही गाँव की वृद्ध औरतें ध्यान करने हेतु नदी के किनारे पर खड़ी हैं। उनके हृदय में दुख की मंथन धारा बह रही है। इस काव्यांश की प्रत्येक पंक्ति में काव्य सौंदर्य अद्भुत जान पड़ता है। पहली पंक्ति में ‘बगुलों-सी वृद्धाएँ’ में उपमा अलंकार है। कवि ने तत्सम शब्दों का प्रयोग करके अपनी बात को बहुत सुंदर रूप में चित्रित किया है।

Question 8: आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) ताम्रपर्ण, पीपल से, शतमुख/झरते चंचल स्वर्णिम निर्झर!
(ख) दीप शिखा-सा ज्वलित कलश/नभ में उठकर करता नीराजन!
(ग) सोन खगों की पाँति/आर्द्र ध्वनि से नीरव नभ करती मुखरित!
(घ) मन से कढ़ अवसाद श्रांति/आँखों के आगे बुनती जाला!
(ङ) क्षीण ज्योति ने चुपके ज्यों/गोपन मन को दे दी हो भाषा!
(च) बिना आय की क्लांति बन रही/सके जीवन की परिभाषा!
(छ) व्यक्ति नहीं, जग की परिपाटी/दोषी जन के दुःख क्लेश की।

Answer:
(क) पीपल के सूखे पत्ते ऐसे लग रहे हैं मानो ताँबे धातु से बने हों। वह पेड़ से गिरते हुए ऐसे लग रहे हैं मानो सैंकड़ों मुँह वाले झरनों से सुनहरे रंग की धाराएँ गिर रही हों।
(ख) मंदिर के शिखर पर लगा कलश सूर्य की रोशनी के प्रभाव से दीपक की जलती लौ के समान लग रहा है। ऐसा लग रहा है मानो संध्या आरती में वह भी लोगों के समान आरती कर रहा है।
(ग) आकाश में व्याप्त खग नामक पक्षी पंक्ति में उड़ रहे हैं। उनकी गुंजार शांत आकाश को गुंजार से भर देती है।
(घ) मनुष्य के मन में व्याप्त दुख तथा कष्ट उसकी आँखों में यादों के रूप में उभर आते हैं।
(ङ) घरों में विद्यमान दीपक जल उठे हैं। इस अंधकार में उसकी रोशनी अवश्य कमज़ोर है। उस कमज़ोर ज्योति ने लगता है गोपों के मन को एक आशा दे दी है।
(च) गाँव में लोगों के पास आय का साधन विद्यमान नहीं है। अतः उसके जीवन में बहुत दुख विद्यमान हैं। ऐसा लगता है कि मानो यह अभाव उसकी कहानी बनकर रह जाएँगे।
(छ) दोष से युक्त सामाजिक व्यवस्था ही मनुष्य के दुख का कारण है। धन के असमान बँटवारे के कारण ही समाज में अंतर व्याप्त है।

योग्यता-विस्तार

Question 2: कविता में निम्नलिखित उपमान किसके लिए आए हैं, लिखिए-

(क) ज्योति स्तंभ-सा – …………

(ख) केंचुल-सा – …………

(ग) दीपशिखा-सा – ………..

(घ) बगुलों-सी – ………..

(ङ) स्वर्ण चूर्ण-सी – ………..

(च) सनन् तीर-सा – …………

Answer:
(क) ज्योति स्तंभ-सा – सूरज
(ख) केंचुल-सा – गंगा का जल
(ग) दीपशिखा-सा – कलश
(घ) बगुलों-सी – वृद्ध औरतें
(ङ) स्वर्ण चूर्ण-सी – गायों के पाँव से उड़ने वाली गोधूलि
(च) सनन् तीर-सा – कंठों का स्वर

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Chapter 13 पद्माकर | class 11th | Chapterwise Important Question for Hindi Antra

Class 11 Antra Chapter 13 Important Question Answer

प्रश्न-अभ्यास

Question 1: पहले पद में कवि ने किस ऋतु का वर्णन किया है?

Answer:पहले पद में कवि ने वसंत ऋतु का वर्णन किया है।

Question 2: इस ऋतु में प्रकृति में क्या परिवर्तन होते हैं?

Answer:इस ऋतु में प्रकृति में ये परिवर्तन होते हैं-
(क) बगीचे में भँवरों का समूह बढ़ जाता है।
(ख) बगीचों में विभिन्न रंगों के फूल खिलने लगते हैं।
(ग) आम के वृक्षों पर बौर लग जाती हैं।
(घ) नवयुवक भी इसके रंग में रंग गए हैं।
(ड़) पक्षी के समूह शोर मचाने लगते हैं।
(च) बसंत के आगमन से राग, रस, रीति, रंग इत्यादि में बदलाव आ जाता है।

Question 3: ‘औरै’ की बार-बार आवृत्ति से अर्थ में क्या विशिष्टता उत्पन्न हुई है?

Answer:पद्माकर ने अपने कवित्त में ‘औरे’ शब्द की आवृत्ति की है। इसकी बार-बार आवृत्ति ने उनके कवित्त में विशिष्टता के गुण का समावेश किया है। इसके अर्थ से वसंत ऋतु के सौंदर्य को और अधिक प्रभावी रूप से व्यक्त किया जा सका है। प्रकृति तथा लोगों में वसंत ऋतु के आने पर मन में जो चमत्कारी बदलाव हुआ है, इस शब्द के माध्यम से उसे दिखाने में कवि सफल हो पाए हैं। इस शब्द से पता चलता है कि अभी जो प्राकृतिक सुंदरता थी उसमें और भी वृद्धि हुई है। भवरों के समूह का बाग में बढ़ जाना और उनके द्वारा निकाली गई ध्वनि में व्याप्त नयापन आना वसंत के आने का संदेश देता है। यह शब्द हर बार पद के सौंदर्य को बढ़ाता है।

Question 4: ‘पद्माकर’ के काव्य में अनुप्रास की योजना अनूठी बन पड़ी है।’ उक्त कथन को प्रथम पद के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

Answer:यह बात सही है। पाठ में दिए गए पद्माकर के उदाहरण देखकर पता चलता है कि वे अलंकार के प्रयोग में दक्ष थे। उन्होंने स्थान-स्थान पर अनुप्रास का ऐसा प्रयोग किया है कि उनकी योजना अनूठी बन गई है। इसके उदाहरण इस प्रकार हैं-
(क) भीर भौंर
(ख) छलिया छबीले छैल और छबि छ्वै गए।
(ग) गोकुल के कुल के गली के गोप गाउन के
(घ) कछू-को-कछू भाखत भनै
(ङ) चलित चतुर
(च) चुराई चित चोराचोरी
(छ) मंजुल मलारन
(ज) छवि छावनोऊपर दिए गए उदाहरण पद्माकर की अनूठी अनुप्रास अलंकार योजना पर मुहर लगाते हैं। कवि ने इस प्रकार के प्रयोग करके रचना में चार चाँद लगा दिए हैं।

Question 5: होली के अवसर पर सारा गोकुल गाँव किस प्रकार रंगों के सागर में डूब जाता है? पद के आधार पर लिखिए।

Answer:पद्माकर द्वारा होली का बहुत ही सुंदर तथा प्रभावी वर्णन देखने को मिलता है। गोपों द्वारा घरों के आगे-पीछे दौड़कर होली खेली जा रही है। होली का हुड़दंग मचा हुआ है। एक गोपी कृष्ण के प्रेम के स्याम रंग में भीगी हुई है। वह इसे हटाना नहीं चाहती है, बस इसी में डूबना चाहती है। किसी को किसी का लिहाज़ नहीं है। कोई भी कुछ भी सुनना नहीं चाहता है। उनके विषय में कुछ भी कहना संभव नहीं है।

Question 7: पद्माकर ने किस तरह भाषा शिल्प से भाव-सौंदर्य को और अधिक बढ़ाया है? सोदाहरण लिखिए।

Answer:पद्माकर भाषा शिल्प में माहिर थे। उन्होंने सुव्यवस्थित भाषा का प्रयोग करके भाषा के प्रवाह को बनाए रखा है। उनकी भाषा सरस तथा सरल है। जो पाठकों के ह्दय में सरलता से जगह बना लेती है। इससे पता चलता है कि उनका भाषा पर अधिकार है। ब्रजभाषा का मधुर रूप इनमें देखने को मिलता है। सूक्ष्म अनुभूतियों को दिखाने के लिए लाक्षणिक शब्द का इस्तेमाल किया गया है। उदाहरण के लिए यह उदाहरण देखें-औरै भाँति कुंजन में गुंजरत भीर भौंर,औरे डौर झौरन पैं बौरन के ह्वै गए।’औरै’ शब्द की पुनरुक्ति चमत्कार उत्पन्न देती है। अनुप्रास अलंकार के प्रयोग के जो ध्वनिचित्र बने हैं, वे अद्भुत हैं। उदाहरण के लिए देखिए-1. छलिया छबीले छैल औरे छबि छ्वै गए2. गोकुल के कुल के गली के गोप गाउन के ऊपर दी पंक्तियों में ‘छ’, ‘क’ तथा ‘ग’ वर्ण के प्रयोग ने रचना को प्रभावशाली बना दिया है। यही कारण है कि उनकी रचना में चित्रात्मकता का समावेश सहज ही हो जाता है। इस प्रकार से भाषा शिल्प के कारण उनका भाव-सौंदर्य सजीव हो गया है। ऐसा लगता है कि भाव रचना से निकलकर जीवित हो गए हैं।

Question 8: तीसरे पद में कवि ने सावन ऋतु की किन-किन विशेषताओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है?

Answer:इसकी विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
(क) बगीचे में भँवरों का स्वर फैल गया है। उनका गुंजार मल्हार राग के समान प्रतीत होता है।
(ख) इस ऋतु के प्रभाव से ही अपना प्रिय प्राण से अधिक प्यारा लगता है।
(ग) मोर की ध्वनि हिंडोलों की छवि-सी लगती है।
(घ) यह प्रेम की ऋतु है।
(ङ) झूले झूलने के लिए यह सर्वोत्तम ऋतु है।

Question 10: संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
(क) औरै भाँति कुंजन …………….. छबि छ्वै गए।
(ख) तौ लौं चलित ……… बनै नहीं।
(ग) कहैं पद्माकर ………….. लगत है।

Answer:
(क)प्रसंग-प्रस्तुत पंक्ति प्रसिद्ध कवि पद्माकर द्वारा रचित है। इसमें कवि वसंत ऋतु में बाग-बगीचों में होने वाले परिवर्तन को दर्शा रहे हैं।
व्याख्या-प्रस्तुत पंक्तियों में वसंत ऋतु के आने पर वातावरण की विशेषता बताई गई है। पद्माकर कहते हैं कि बाग में भवरों के समूहों की भीड़ बढ़ गई है। बागों में आम के पेड़ों पर बौरें लग गई हैं। इससे पता चलता है कि फल अब लगने ही वाले हैं। भाव यह है कि वसंत ऋतु में बाग में फूल खिलने लगते हैं, जिसके कारण भवरों की संख्या में वृद्धि हो गई है। ऐसे ही आम के वृक्षों पर बौरें लग गई हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि फल लगने वाले हैं।

(ख)प्रसंग-प्रस्तुत पंक्ति प्रसिद्ध कवि पद्माकर द्वारा रचित है। इसमें एक गोपी की दशा का वर्णन किया गया है। उस पर श्याम रंग चढ़ गया है और वह उसे उतारना नहीं चाहती है।
व्याख्या-पद्माकर कहते हैं कि होली खेलते समय एक गोपी पर श्याम (काला) रंग चढ़ गया है। दूसरी सखी उसे इस रंग को निचोड़कर उतारने के लिए कहती है। वह गोपी इस रंग को उतारना नहीं चाहती है। यह रंग कृष्ण के प्रेम का रंग है। वह कहती है कि यदि वह इस रंग को निचोड़ देगी, तो यह रंग निकल जाएगा। वह इस रंग में डूब जाना चाहती है। अतः वह दूसरी गोपी को मना कर देती है। भाव यह है कि जो कृष्ण से प्रेम करता है, वह उसके रंग को अपना लेता है। गोपी भी कृष्ण को प्रेम करती है। अतः कृष्ण से प्रेम करने के कारण कृष्ण का काला रंग भी उसे अच्छा लगता है।

(ग)प्रसंग-प्रस्तुत पंक्ति प्रसिद्ध कवि पद्माकर द्वारा रचित है। प्रस्तुत पंक्ति में पद्माकर वर्षा ऋतु की विशेषता बता रहे हैं। उनके अनुसार यह प्रेम की ऋतु है और इसमें रूठना-मनाना अच्छा लगता है।
व्याख्या-पद्माकर कहते हैं कि वर्षा ऋतु में प्रेमिका को अपना प्रियमत अच्छा लगता है। इसमें रूठे प्रेमी को मनाने में भी आनंद आता है। भाव यह है कि प्रायः जब प्रियतम रूठ जाता है, तो मनुष्य अहंकार वश मनाता नहीं है। वर्षा ऋतु में यदि प्रेमी नाराज़ हो जाए, तो उसे मनाना अच्छा लगता है। यह ऋतु का ही प्रभाव है कि नाराज़ प्रेमी को मनाकर आनंद प्राप्त किया जाता है।

योग्यता-विस्तार

Question 1: वसंत एवं सावन संबंधी अन्य कवियों की कविताओं का संकलन कीजिए।

Answer:पर्वत प्रदेश में पावसपावस ऋतु थी, पर्वत प्रदेश,पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेशमेखलाकार पर्वत अपारअपने सहस्र दृग-सुमन फाड़,अवलोक रहा है बार-बारनीचे जल में निज महाकार,जिसके चरणों में पला तालदर्पण-सा फैला है विशाल!गिरि का गौरव गाकर झर-झरमद में नस-नस उत्तेजित करमोती की लड़ियों-से सुंदरझरते हैं झाग भरे निर्झर!गिरिवर के उर से उठ-उठ करउच्चाकांक्षाओं से तरुवरहैं झाँक रहे नीरव नभ परअनिमेष, अटल, कुछ चिंतापर।उड़ गया, अचानक लो, भूधरफड़का अपार पारद के पर!रव-शेष रह गए हैं निर्झर!है टूट पड़ा भू पर अंबर!धँस गया धरा में सभय शाल!उठ रहा धुआँ, जल गया ताल!यों जलद-यान में विचर-विचरथा इंद्र खेलता इंद्रजाल।(सुमित्रानंदन पंत)

कवित्त
डार, द्रुम पलना बिछौना नव पल्लव के,सुमन झिंगूला सोहै तन छबि भारी दै।पवन झूलावै, केकी-कीर बतरावैं ‘देव’,कोकिल हलावै-हुलसावै कर तारी दै।।पूरति पराग सों उतारो करै राई नोन,कंकली नायिका लतान सिर सारी दै।मदन महीप जू को बालक बसंत ताहि,प्रातहि जगावत गुलाब चटाकारी दै।।(देव)

सावन
झम झम झम झम मेघ बरसते हैं सावन केछम छम छम गिरतीं बूँदें तरुओं से छन के।चम चम बिजली चमक रही रे उर में घन के,थम थम दिन के तम में सपने जगते मन के।ऐसे पागल बादल बरसे नहीं धरा पर,जल फुहार बौछारें धारें गिरतीं झर झर।आँधी हर हर करती, दल मर्मर तरु चर् चर्दिन रजनी औ पाख बिना तारे शशि दिनकर।पंखों से रे, फैले फैले ताड़ों के दल,लंबी लंबी अंगुलियाँ हैं चौड़े करतल।तड़ तड़ पड़ती धार वारि की उन पर चंचलटप टप झरतीं कर मुख से जल बूँदें झलमल।नाच रहे पागल हो ताली दे दे चल दल,झूम झूम सिर नीम हिलातीं सुख से विह्वल।हरसिंगार झरते, बेला कलि बढ़ती पल पलहँसमुख हरियाली में खग कुल गाते मंगल?दादुर टर टर करते, झिल्ली बजती झन झनम्याँउ म्याँउ रे मोर, पीउ पिउ चातक के गण!उड़ते सोन बलाक आर्द्र सुख से कर क्रंदन,घुमड़ घुमड़ घिर मेघ गगन में करते गर्जन।वर्षा के प्रिय स्वर उर में बुनते सम्मोहनप्रणयातुर शत कीट विहग करते सुख गायन।मेघों का कोमल तम श्यामल तरुओं से छन।मन में भू की अलस लालसा भरता गोपन।रिमझिम रिमझिम क्या कुछ कहते बूँदों के स्वर,रोम सिहर उठते छूते वे भीतर अंतर!धाराओं पर धाराएँ झरतीं धरती पर,रज के कण कण में तृण तृण की पुलकावलि भर।पकड़ वारि की धार झूलता है मेरा मन,आओ रे सब मुझे घेर कर गाओ सावन!इन्द्रधनुष के झूले में झूलें मिल सब जन,फिर फिर आए जीवन में सावन मन भावन!(सुमित्रानंदन पंत)

Question 2: पद्माकर के भाषा-सौंदर्य को प्रकट करने वाले अन्य पद भी संकलित कीजिए।

Answer:
1. गोकुल के, कुल के, गली के, गोप गाँवन के,जौ लगि कछू को कछू भाखत भनै नहीं।कहै पद्माकर परोस पिछ्वारन के,द्वारन के दौरे गुन औगुन गनै नहीं।तौं लौं चलि चातुर सहेली! याही कोद कहूँ,नीके कै निहारै ताहि,भरत मनै नहीं।हौं तौ श्याम रंग में चोराई चित चोराचोरी,बोरत तौ बोरयो,पै निचोरत बनै नहीं।
2. गुलगुली गिल मैं गलीचा है गुनीजन हैं,चाँदनी हैं, चिक हैं, चिरागन की माला है।कह ‘पदमाकर’ त्यों गजक गिजा हैं सजी,सेज हैं, सुराही हैं, सुरा हैं, और प्याला हैं।सिसिर के पला को न व्यापत कसाला तिन्हैं,जिनके अधीन एते उदित मसाला हैं।तान तुक ताला हैं, बिनोद के रसाला हैं,सुबाला हैं, दुसाला हैं, बिसाला चित्रसाला हैं।
3. चालो सुनि चन्द्रमुखी चित्त में सुचैन करि,तित बन बागन घनेरे अलि घूमि रहे।कहै पद्माकर मयूर मंजू नाचत हैं,चाय सों चकोरनी चकोर चूमि चूमि रहे।कदम, अनार, आम, अगर, असोक, योक,लतनि समेत लोने लोने लगि भूमि रहे।फूलि रहे, फलि रहे,फबि रहे फैलि रहे,झपि रहे, झलि रहे, झुकि रहे, झूमि रहे।

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Chapter 12 देव | class 11th | Chapterwise Important Question for Hindi Antra

हिन्दी हँसी की चोट सपना दरबार Class 11 Antra Chapter 12 Question Answer

प्रश्न-अभ्यास

Question 1: ‘हँसी की चोट’ सवैये में कवि ने किन पंच तत्त्वों का वर्णन किया है तथा वियोग में वे किस प्रकार विदा होते हैं?

Answer:‘हँसी की चोट’ में इन पाँच तत्वों आकाश, अग्नि, वायु, भूमि तथा जल का वर्णन किया गया है। गोपी द्वारा तेज़-तेज़ साँस लेने-छोड़ने से वायु तत्व चला गया है। अत्यधिक रोने से जल तत्व आँसुओं के रूप में विदा हो गया है। तन में व्याप्त गर्मी के जाने से अग्नि तत्व समाप्त हो गया है। वियोग में कमज़ोर होने के कारण भूमि तत्व चला गया है।

Question 2: नायिका सपने में क्यों प्रसन्न थी और वह सपना कैसे टूट गया?

Answer:नायिका ने सपने में देखा कि कृष्ण उसके पास आते हैं और उसे झूला-झूलने का निमंत्रण देते हैं। यह उसके लिए बहुत प्रसन्नता की बात थी। उसे सपने में ही सही कृष्ण का साथ मिला था। वह जैसे ही प्रसन्नतापूर्वक कृष्ण के साथ चलने के लिए उठती है, इस बीच उसकी नींद उचट जाती है। नींद उचटने से उसका सपना टूट जाता है और कृष्ण का साथ भी छूट जाता है।

Question 3: ‘सपना’ कवित्त का भाव-सौंदर्य लिखिए।

Answer:‘सपना’ कवित्त के भाव-सौंदर्य में संयोगावस्था का वियोग में बदल जाना है। अर्थात मिलन का वियोग में बदलना इसके सौंदर्य को निखार देता है। ऐसा अनूठा संगम कम देखने को मिलता है। सपने में नायिका कृष्ण का साथ पाती है। वह जैसे ही इस साथ को और आगे तक ले जाना चाहती है नींद खुलने के कारण छूट जाता है। सपना टूटने से कृष्ण का साथ छूट जाता है और वह दुखी हो जाती है।अनुप्रास तथा पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार के प्रयोग को देखकर ‘सपना’ कवित्त में कवि के शिल्प सौंदर्य की अद्भुत क्षमता का पता चलता है। इसने कवित्त के भाव सौंदर्य को निखारने में सोने पर सुहागा जैसा काम किया है।

Question 4: ‘दरबार’ सवैये में किस प्रकार के वातावरण का वर्णन किया गया है?

Answer:‘दरबार’ सवैये को पढ़कर ही पता चलता है कि इसमें दरबार के विषय में कहा गया है। उस समय दरबार में कला की कमी थी। भोग तथा विलास दरबार की पहचान बनती जा रही थी। कर्म का अभाव दरबारियों में था।

Question 5: दरबार में गुणग्राहकता और कला की परख को किस प्रकार अनदेखा किया जाता है?

Answer:दरबार में गुणग्राहकता और कला की परख को चाटुकारों की बातें सुनकर अनदेखा किया गया है। यही कारण है कि वहाँ पर कला को अनदेखा किया जाता है। कला की परख करना, तो उन्हें आता ही नहीं है। चाटुकारों द्वारा की गई चापलूसी से भरी कविताओं को मान मिलता है। राजा तथा दरबारी भोग-विलास के कारण अंधे बन गए हैं। ऐसे वातावरण में कला का कोई महत्व नहीं होता है।

Question 6: आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) हेरि हियो चु लियो हरि जू हरि।
(ख) सोए गए भाग मेरे जानि वा जगन में।
(ग) वेई छाई बूँदैं मेरे आँसु ह्वै दृगन में।
(घ) साहिब अंध, मसाहिब मूक, सभा बाहिरी।

Answer:
(क) कृष्ण ने मुस्कुराहट भरी दृष्टि से गोपी का हृदय हर लिया है और जब उन्होंने गोपी से दृष्टि फेर ली तो वह दुखी हो गई।
(ख) गोपी कृष्ण से मिलन का सपना देख रही थी। कृष्ण ने उसे अपने साथ झूला झूलने का निमंत्रण दिया था, वह इससे प्रसन्न थी। कृष्ण के साथ जाने के लिए वह उठने ही वाली थी कि उसकी नींद टूट गई। इस विषय पर वह कहती है कि उसका जागना उसके भाग्य को सुला गया। अर्थात उसके नींद से जागने के कारण कृष्ण का साथ छूट गया। यह जागना उसके लिए दुर्भाग्य के समान है।
(ग) प्रस्तुत पंक्ति में बादल द्वारा बरसाई बूँदें आँखों से आँसू रूप में गिर रही हैं। भाव यह है कि आकाश में बादल छाए हैं और रिमझिम बूँदें पड़ रही हैं।
(घ) प्रस्तुत पंक्ति में देव दरबारी वातावरण का वर्णन कर रहे हैं। वह कहते हैं कि दरबार का राजा अँधा हो गया है। दरबारी गूँगे तथा बहरे हो गए हैं। वे भोग-विलास में इतना लिप्त हैं कि उन्हें कुछ भी सुनाई दिखाई नहीं देता है। अतः वे बोलने में भी असमर्थ हैं।

Question 7: देव ने दरबारी चाटुकारिता और दंभपूर्ण वातावरण पर किस प्रकार व्यंग्य किया है?

Answer:देव दरबार के दंभपूर्ण वातावरण का वर्णन करते हुए बताते हैं कि दरबार में राजा तथा लोग भोग विलास में लिप्त रहते हैं। दरबारियों के साथ-साथ राजा भी अंधा है, जो कुछ देख नहीं पा रहा है। यही कारण है कि कला तथा सौंदर्य का उन्हें ज्ञान नहीं रह गया है। अहंकार उन पर इतना हावी है कि कोई किसी की बात सुनने या मानने को राज़ी नहीं है।

Question 8: निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करिए-



(क) साँसनि ही ………… तनुता करि।



(ख) झहरि ……………. गगन में।



(ग) साहिब अंध ………….. बाच्यो।

Answer:
(क)प्रसंग-प्रस्तुत पंक्ति देव द्वारा रचित रचना ‘हँसी की चोट’ से ली गई है। इसमें एक गोपी के विरह का वर्णन है। कृष्ण की उपेक्षा पूर्ण व्यवहार उसे दुखी कर गया है।
व्याख्या-गोपी कहती है कि कृष्ण की उपेक्षित द़ृष्टि के कारण उसकी दशा बहुत खराब है। वह विरह की अग्नि में जल रही है। विरह में तेज़-तेज़ साँसें छोड़ने से वायु तत्व चला गया है। अत्यधिक रोने से जल तत्व आँसुओं के रूप में विदा हो गया है। तन में व्याप्त गर्मी के जाने से अग्नि तत्व समाप्त हो गया है और वियोग में कमज़ोर होने के कारण भूमि तत्व भी चला गया है।

(ख)प्रसंग-प्रस्तुत पंक्ति देव द्वारा रचित रचना ‘सपना’ से ली गई है। इसमें वर्षा ऋतु का वर्णन है। आकाश में बादल छाए हैं और बूँदे बरस रही हैं।
व्याख्या-कवि कहता है कि वर्षा ऋतु के समय बारिश की बूँदे झर रही हैं। आकाश में काली घटाएँ छा गई हैं।

(ग)प्रसंग-प्रस्तुत पंक्ति देव द्वारा रचित रचना ‘दरबार’ से ली गई है। इसमें कवि राज दरबार में स्थित राजा और सभासदों के व्यवहार का वर्णन करता है।व्याख्या-देव दरबार के दंभपूर्ण वातावरण का वर्णन करते हुए बताते हैं कि दरबार में राजा तथा लोग भोग-विलास में लिप्त रहते हैं। दरबारियों के साथ-साथ राजा भी अंधा है, जो कुछ देख नहीं पा रहा है। यही कारण है कि कला तथा सौंदर्य का उन्हें ज्ञान नहीं रह गया है। दरबारियों पर अहंकार इतना हावी है कि कोई किसी की बात सुनने या मानने को राज़ी नहीं है। भोग-विलास ने सबको अकर्मण्य बना दिया है।

Question 9: देव के अलंकार प्रयोग और भाषा प्रयोग के कुछ उदाहरण पठित पदों से लिखिए।

Answer:देव के अलंकार प्रयोग और भाषा प्रयोग के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-
(क) पहली रचना में वियोग से व्याकुल गोपी की दशा को दर्शाने के लिए अतिशयोक्ति अलंकार का प्रयोग किया है।
(ख) हरि शब्द की दो अलग रूपों में पुनः आवृत्ति के कारण यहाँ पर यमक अलंकार है।
(ग) झहरि-झहरि, घहरि-घहरि आदि में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(घ) घहरि-घहरि घटा घेरी में अनुप्रास अलंकार का सुंदर प्रयोग है।
(ङ) ‘सोए गए भाग मेरे जानि व जगन में’ विरोधाभास अलंकार का सुंदर उदाहरण है।(च) मुसाहिब मूक, रंग रीझ, काहू कर्म, निबरे नट इत्यादि में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।

योग्यता-विस्तार

Question 1: ‘दरबार’ सवैये को भारतेंदु हरिश्चंद्र के नाटक ‘अंधेर नगरी’ के समकक्ष रखकर विवेचना कीजिए।

Answer:देव की रचना ‘दरबार’ में तथा भारतेंदु हरिश्चंद्र के नाटक ‘अंधेर नगरी’ में दरबारी व्यवस्था का वर्णन कुछ हद तक एक जैसा है। दरबार का राजा तथा सभापद भोग विलास में लिप्त होकर अकर्मण्य बन गए हैं और ‘अंधेर नगरी’ के मूर्ख राजा की मूर्खता के कारण दरबारी अकर्मण्य बने हुए हैं। दोनों कवियों में दरबारी बस राजा की चाटुकारिता में लगे हुए हैं। वे राजा को प्रसन्न रखना ही अपना कर्तव्य समझते हैं। उनके लिए प्रजा और राज्य के प्रति कर्तव्य की भावना विद्यामान ही नहीं है। उनका यह व्यवहार ही है, जिसने भारत को गुलाम और पिछड़ा बनाया हुआ है।

Question 2: देव के समान भाषा प्रयोग करने वाले किसी अन्य कवि के पदों का संकलन कीजिए।

Answer:पदमाकर की रचनाएँ-
1. घूंघट की धूम के सुझूम के जवाहिर केझिलमिल झालर की भूमि लौं झुलत जातकहैं पदमाकर सुधाकर मुखी के हीर।हारन मे तारन के तोम से तुलत जातमंद मंद मैकल मतँग लौं चलेई भलेभुजन समेत भुज भूसन डुलत जातघांघरे झकोरन चहूंधा खोर खोरन मेखूब खसबोई के खजाने से खुलत जात।
2. दाहन ते दूनी, तेज तिगुनी त्रिसूल हूं ते,चिल्लिन ते चौगुनी, चालाक चक्रवाती मैं।कहैं पद्माकर महीप, रघुनाथ राव,ऐसी समसेर सेर शत्रुन पै छाली तैं।पांच गुनी पब्ज तैं, पचीस गुनी पावक तैं,प्रकट पचास गुनी, प्रलय प्रनाली तैं।सत गुनी सेस तैं, सहसगुनी स्रापन तैं,लाख गुनी लूक तैं, करोरगुनी काली तैं॥

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Chapter 11 सूरदास | class 11th | Chapterwise Important Question for Hindi Antra

खेलन में को काको गुसैयाँ मुरली तऊ गुपालहिं Class 11 Chapter 11 Question Answer सूरदास

प्रश्न-अभ्यास

Question 1: ‘खेलन में को काको गुसैयाँ’ पद में कृष्ण और सुदामा के बीच किस बात पर तकरार हुई?

Answer:पद में कृष्ण और सुदामा के मध्यम हार-जीत को लेकर तकरार हुई है। सुदामा खेल में जीत गए हैं और कृष्ण हार गए हैं। अपनी हार पर कृष्ण नाराज़ होकर बैठ जाते हैं। उनकी इस बात से सुदामा और अन्य साथी भी नाराज़ हो जाते हैं।

Question 2: खेल में रूठनेवाले साथी के साथ सब क्यों नहीं खेलना चाहते?

Answer:खेल में रूठनेवाले साथी से सभी परेशान हो जाते हैं। खेल में सभी बराबर होते हैं। अतः जो हारता है, उसे दूसरों को बारी देनी होती है। जो अपनी बारी नहीं देता है और रूठा रहता है, उसे कोई पसंद नहीं करता है। सभी खेलना चाहते हैं। अतः ऐसे साथी से सभी दूर रहते हैं।

Question 3: खेल में कृष्ण के रूठने पर उनके साथियों ने उन्हें डाँटते हुए क्या-क्या तर्क दिए?

Answer:खेल में कृष्ण के रूठने पर उनके साथियों ने डाँटते हुए ये तर्क दिए-
(क) तुम्हारी हार हुई है और तुम नाराज़ हो रहे हो। यह गलत है।
(ख) तुम्हारी और हमारी जाति सबकी समान है। खेल में सभी समान होते हैं।
(ग) तुम हमारे पालक नहीं हो। अतः तुम्हें हमें यह अकड़ नहीं दिखानी चाहिए।
(घ) तुम यदि खेलते समय बेईमानी करोगे, तो कोई तुम्हारे साथ नहीं खेलेगा।

Question 4: कृष्ण ने नंद बाबा की दुहाई देकर दाँव क्यों दिया?

Answer:कृष्ण ने नंद बाबी की दुहाई देकर यह निश्चित किया कि वह अपनी बारी देंगे और सबको हारकर ही रहेंगे। नंद उनके पिता है। अतः पिता का नाम लेकर वह झूठ नहीं बोलेंगे और सब उनकी बात मान जाएँगे। इसलिए उन्होंने नंद बाबा की दुहाई दी।

Question 5: इस पद से बाल-मनोविज्ञान पर क्या प्रकाश पड़ता है?

Answer:इस पद से बाल-मनोविज्ञान पर प्रकाश पड़ता है कि बच्चे बहुत समझदार होते हैं। वे हर बात का सूक्ष्म अध्ययन करते हैं। सही और गलत की उन्हें पहचान होती है। वह ऊँच-नीच, बड़ा-छोटा, अच्छा-बुरा सब समझते है। उदाहरण के लिए नाराज़ कृष्ण को समझाने के लिए वे बताते हैं कि कृष्ण अपनी जाति, धन, पिता के नाम का अनुचित लाभ नहीं उठा सकते हैं। वे भी इस मामले में कृष्ण के समान हैं। इसके अतिरिक्त वे जानते हैं कि कौन उनके साथ खेलने योग्य है और कौन नहीं। वे कृष्ण की हरकतों के लिए उन्हें चेतावनी देते हैं कि यदि वह अपना स्वभाव नहीं बदलेंगे, तो वे उनके साथ नहीं खेलेंगे। इस तरह पता चलता है कि बच्चे हर बात का बारीकी से अध्ययन करते हैं। नाराज़ होते हैं तो फिर एक हो जाते हैं।

Question 6: ‘गिरिधर नार नवावति? से सखी का क्या आशय है?

Answer:प्रस्तुत पंक्ति में गोपियाँ कृष्ण पर व्यंग्य कसती हैं। वे कहती हैं कि कृष्ण प्रेम के वशीभूत होकर एक साधारण बाँसुरी को बजाते समय अपनी गर्दन झुका देते हैं। भाव यह है कि कृष्ण बाँसुरी बजाते समय गर्दन को हल्का झुका लेते हैं। गोपियाँ चूंकि बाँसुरी से सौत के समान डाह रखती हैं। अतः वे बाँसुरी को औरत के रूप में देखते हुए उन पर व्यंग्य कसती हैं। वे नहीं चाहती कि कृष्ण बाँसुरी को इस प्रकार अपने होटों से लगाए। बाँसुरी को कृष्ण का सामिप्य मिल रहा है, गोपियों को यह भाता नहीं है।

Question 7: कृष्ण के अधरों की तुलना सेज से क्यों की गई है?

Answer:कृष्ण के अधरों की तुलना निम्नलिखित कारणों से की गई हैं।-
(क) कृष्ण के अधर सेज के समान कोमल हैं।
(ख) जिस प्रकार सेज सोने के काम आती है, वैसे ही कृष्ण बाँसुरी को बजाने के लिए अपने अधर रूपी सेज में रखते हैं। ऐसा लगता है मानो बाँसुरी सो रही है।इन दोनों से कारणों से अधरों की तुलना सेज से करना उचित जान पड़ा है।

Question 8: पठित पदों के आधार पर सूरदास के काव्य की विशेषताएँ बताइए।

Answer:सूरदास के काव्यों की विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
(क) वात्सल्य रस में सर्वश्रेष्ठ हैं। बाल-लीलाओं का सुंदर चित्रण है।
(ख) बाल मनोविज्ञान में बेज़ोड़ हैं। बालकों के स्वभाव का सजीव चित्रण है।
(ग) स्त्रियों की मनोदशा को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं।
(घ) श्रृंगार रस का वर्णन अद्भुत है।
(ङ) पदों में उत्प्रेक्षा, उपमा तथा अनुप्रास अलंकार का सुंदर चित्रण है।
(च) ब्रजभाषा का साहित्य रूप बहुत सुंदर बन पड़ा है।
(छ) पदों में गेयता का गुण विद्यमान है।

Question 9: निम्नलिखित पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
(क) जाति-पाँति …………………. तुम्हारै गैयाँ।
(ख) सुनि री …………… नवावति।

Answer:(क)प्रसंग-प्रस्तुत पंक्ति सूरदास द्वारा लिखित ग्रंथ सूरसागर से ली गई हैं। इस पंक्ति में कृष्ण द्वारा बारी न दिए जाने पर ग्वाले कृष्ण को नाना प्रकार से समझाते हुए अपनी बारी देने के लिए विवश करते हैं।
व्याख्या-‘कृष्ण’ गोपियों से हारने पर नाराज़ होकर बैठ जाते हैं। उनके मित्र उन्हें उदाहरण देकर समझाते हैं। वे कहते हैं कि तुम जाति-पाति में हमसे बड़े नहीं हो, तुम हमारा पालन-पोषण भी नहीं करते हो। अर्थात तुम हमारे समान ही हो। इसके अतिरिक्त यदि तुम्हारे पास हमसे अधिक गाएँ हैं और तुम इस अधिकार से हम पर अपनी चला रहे हो, तो यह उचित नहीं कहा जाएगा। अर्थात खेल में सभी समान होते हैं। जाति, धन आदि के कारण किसी को खेल में विशेष अधिकार नहीं मिलता है। खेलभावना को इन सब बातों से अलग रखकर खेलना चाहिए।

(ख)प्रसंग-प्रस्तुत पंक्ति सूरदास द्वारा लिखित ग्रंथ सूरसागर से ली गई हैं। इस पंक्ति में गोपियों की जलन का पता चलता है। वह कृष्ण द्वारा बजाई जाने वाली बाँसुरी से सौत की सी डाह रखती हैं।
व्याख्या-एक गोपी अन्य गोपी से कहती है कि हे सखी! सुन यह बाँसुरी कृष्ण को विभिन्न प्रकार से परेशान करती है। कृष्ण को एक पैर पर खड़ा करके अपना अधिकार व्यक्त करती है। कृष्ण तो बहुत ही कोमल हैं। वह उन्हें इस प्रकार अपनी आज्ञा का पालन करवाती है कि कृष्ण की कमर भी टेढ़ी हो जाती है। यह बाँसुरी ऐसे कृष्ण को अपना कृतज्ञ बना देती है, जो स्वयं चतुर हैं। इसने गोर्वधन पर्वत उठाने वाले कृष्ण तक को अपने सम्मुख झुक जाने पर विवश कर दिया है। भाव यह है कि गोपियाँ कृष्ण की बाँसुरी से जलती हैं।
अतःबाँसुरी बजाते वक्त कृष्ण की प्रत्येक शारीरिक मुद्रा पर गोपियाँ कटाक्ष करती हैं। बाँसुरी बचाते समय कृष्ण एक पैर पर खड़े होते हैं। जब बाँसुरी बजाते हैं, तो थोड़े टेढ़े खड़े होते हैं, जिससे उनकी कमर भी टेढ़ी हो जाती है। उसे बजाते समय वे आगे की ओर थोड़े से झुक जाते हैं। ये सारी मुद्राओं को देखकर गोपियों को ऐसा लगता है कि कृष्ण हमारी कुछ नहीं सुनते हैं। जब बाँसुरी बजाने की बारी आती है, तो कृष्ण इसके कारण हमें भूल जाते हैं।

योग्यता-विस्तार

Question 1: खेल में हारकर भी हार न माननेवाले साथी के साथ आप क्या करेंगे? अपने अनुभव कक्षा में सुनाइए।

Answer:खेल में हारकर भी हार न मानने वाले साथी को हम झूठा और चालाक कहेंगे।
मेरा एक मित्र था। हम सब साथी मिलकर खेलते थे। वह तब तक आराम से खेलता था, जब तक उसकी खेलने की बारी होती थी। जैसे ही हमारी खेलने की बारी आती थी या वह हारने लगता था, वह बहाना बनाकर भाग जाता था। ऐसे उसने कई बार किया। हम हर बार यही सोचकर उसे फिर अपने साथ खेलने को कहते कि अब वह इस प्रकार से नहीं करेगा। वह नहीं सुधरा। आखिरकार हम सबने तय किया कि उसे सबक सिखाना पड़ेगा। अतः हम लोग सभी ऐसा करते। जब तक हमारी बारी आती हम खेलते रहते, जैसे ही उसकी बारी आती हम खेलने से मना कर देते। आखिर उसे समझ में आया कि वह जो करता था गलत करता था। फिर वह सुधर गया।

Question 2: पुस्तक में संकलित ‘मुरली तऊ गुपालहिं भावति’ पद में गोपियों का मुरली के प्रति ईर्ष्या-भाव व्यक्त हुआ है। गोपियाँ और किस-किस के प्रति ईर्ष्या-भाव रखती थीं, कुछ नाम गिनाइए।

Answer:गोपियाँ राधा के प्रति ईर्ष्या भाव रखती थीं, कृष्ण की पत्नियों के प्रति ईर्ष्या भाव रखती थीं तथा कुब्जा के प्रति भी ईर्ष्या भाव रखती थीं।

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Chapter 10 कबीर | class 11th | Chapterwise Important Question for Hindi Antra

अरे इन दोहुन राह न पाई बालम आवो हमारे गेह रे Class 11 Chapter 10 Question Answer कबीर

प्रश्न-अभ्यास

Question 1: ‘अरे इन दोहुन राह न पाई’ से कबीर का क्या आशय है और वे किस राह की बात कर रहे हैं?

Answer :कबीर जी इस पंक्ति में हिन्दुओं और मुस्लमानों के लिए बोल रहे हैं। उनका अर्थ है कि ये दोनों धर्म आंडबरों में उलझे हुए हैं। इन्हें सच्ची भक्ति का अर्थ नहीं मालूम है। धार्मिक आंडबरों को धर्म मानकर चलते हैं। कबीर के अनुसार ये दोनों भटके हुए हैं।

Question 2: इस देश में अनेक धर्म, जाति, मज़हब और संप्रदाय के लोग रहते थे किंतु कबीर हिंदू और मुसलमान की ही बात क्यों करते हैं?

Answer:जिस समय की बात कबीर करते हैं, उस समय भारत में हिंदू और मुस्लिम दो धर्म विद्यमान थे। जैन, बौद्ध आदि धर्म हिन्दू धर्म की ही शाखाएँ हैं। अतः उन्हें उस समय कबीर ने अलग-अलग करके नहीं देखा है। वैसे भी इनमें मतभेद नहीं होता था। हिन्दू तथा मुस्लिम दो धर्मों के ही मध्य आपस में लड़ाई हुआ करती थी। अतः कबीर ने इन दोनों की ही बात की है।

Question 3: ‘हिंदुन की हिंदुवाई देखी तुरकन की तुरकाई’ के माध्यम से कबीर क्या कहना चाहते हैं? वे उनकी किन विशेषताओं की बात करते हैं?

Answer:कबीर देखते हैं कि दोनों ही धर्मों में विभिन्न प्रकार के आडंबर विद्यमान है। दोनों स्वयं को श्रेष्ठ बताते हैं और आपस में लड़ते हैं। देखा जाए, तो दोनों ही व्यर्थ में समय गँवा रहे हैं। कबीर कहते हैं कि हिन्दू किसी को अपने बर्तनों को हाथ नहीं लगाने देते। यही लोग वैश्यों के चरणों के दास बने रहते हैं। अतः इनकी शुद्धता और श्रेष्ठा बेकार है। मुस्लमानों के बारे में कहते हैं कि वे जीव हत्या करते हैं। उसे मिल-जुलकर खाते हैं। यह कहाँ की भक्ति है। अतः इन दोनों की इन विशेषताओं का वर्णन करके वे उन पर व्यंग्य करते हैं।

Question 4: ‘कौन राह ह्वै जाई’ का प्रश्न कबीर के सामने भी था। क्या इस तरह का प्रश्न आज समाज में मौजूद है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

Answer:यह प्रश्न बड़ा जटिल है। प्राचीनकाल से लेकर अभी तक मनुष्य इसी दुविधा में फँसा हुआ है कि वह किस राह को अपनाए। आज के समाज में भी यह प्रश्न विद्यमान है। भारत जैसे देश में तो हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन इत्यादि धर्म विद्यमान हो गए हैं। सब स्वयं को अच्छा और श्रेष्ठ बताते हैं। सबकी अपनी मान्यताएँ हैं। मनुष्य इनके मध्य उलझकर रह गया है। उसे समझ ही नहीं आता है कि वह किसे अपनाए, जिससे उसे जीवन की सही राह मिले।

Question 5: ‘बालम आवो हमारे गेह रे’ में कवि किसका आह्वान कर रहा है और क्यों?

Answer:प्रस्तुत पंक्ति में कबीर भगवान का आह्वान कर रहे हैं। वे अपने भगवान के दर्शन के प्यासे हैं। अपने भगवान के दर्शन पाने के लिए उन्हें अपने पास बुला रहे हैं।

Question 6: ‘अन्न न भावै नींद न आवै’ का क्या कारण है? ऐसी स्थिति क्यों हो गई है?

Answer:कबीर भक्ति में लीन हो चुके हैं। उनके लिए उनके भगवान ही सबकुछ हैं। वे अपने भगवान को पति तथा स्वयं को उनकी पत्नी रूप में मानते हैं। अपने प्रियतम से विरह की स्थिति में उन्हें कुछ नहीं भाता है। प्रभु मिलन को प्यासे कबीर को इस स्थिति में भोजन अच्छा नहीं लगता और न नींद आती है।

Question 7: ‘कामिन को है बालम प्यारा, ज्यों प्यासे को नीर रे’ से कवि का क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।

Answer:कबीर कहते हैं कि कामिनी औरत को प्रियतम (बालम) बहुत प्रिय होता है। प्यास से व्याकुल व्यक्ति को पानी बहुत प्रिय होता है। ऐसे ही भक्त को अपने भगवान प्रिय होते हैं। कबीर को भी अपने भगवान प्रिय हैं और वे उनके लिए व्याकुल हो रहे हैं।

Question 8: कबीर निर्गुण संत परंपरा के कवि हैं और यह पद (बालम आवो हमारे गेह रे) साकार प्रेम की ओर संकेत करता है। इस संबंध में अपने विचार लिखिए।

Answer:कबीर निर्गुण संत परंपरा के कवि हैं। वे ईश्वर के मूर्ति रूप को नहीं मानते हैं परन्तु सांसारिक संबंधों को अवश्य मानते हैं। प्रेम में उनका अटूट विश्वास है। प्रेम कभी साकार या निराकार नहीं होता। वह बस प्रेम है। एक भावना है, जो मनुष्य को असीम आनंद की प्राप्ति देता है। अतः वह बालम आवो हमारे गेह रे में वह अपने ईश्वर को प्रेमी या पति के रूप में लेते हैं। अतः वह प्रतीत तो साकार प्रेम की तरह होता है लेकिन सत्य यह है कि वह निर्गुण रूप ही है।

Question 9: उदाहरण देते हुए दोनों पदों का काव्य-सौंदर्य और शिल्प-सौंदर्य लिखिए।

Answer:प्रथम पद में कवि ने व्यंग्य शैली को अपनाया है। हिन्दुओं तथा मुस्लमानों के धार्मिक आंडबरों पर करारा व्यंग्य किया है। ऐसे कटाक्ष किए हैं कि लोग निरुत्तर हो जाएँ। वे दोनों के प्रति निष्पक्ष हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने धार्मिक झगड़े की ओर संकेत किया है। इस तरह वह दोनों धर्मों में व्याप्त आडंबरों को समाप्त कर अपने सामाजिक दायित्व को भी निभाते दिख जाते हैं। इसकी भाषा बहुत ही सरल तथा सुबोध है। अलंकारों का सहज आना उनके पद के सौंदर्य को बड़ा देता है। इसके अतिरिक्त उदाहरण देकर उदाहरण शैली का प्रयोग किया है।यह पद रहस्यवाद की छवि प्रस्तुत करता है। यहाँ पर ईश्वर को प्रियतम के रूप में संबोधित किया गया है। यहाँ पर साधक की परमात्मा से मिलने की तड़प का सुंदर वर्णन है। साधक का प्रयास रहता है कि वह अपने परमात्मा को पाने का निरंतर प्रयास करता रहे। उसकी स्थिति प्रेमिका जैसी हो जाती है। विरह उसकी साधना में बाधक के स्थान पर मार्ग बनाने का कार्य करती है। अतः साधन इस रास्ते पर चलते हुए स्वयं को धन्य महसूस करता है। यहाँ पर प्रियतम और प्रिया के साकार प्रेम को माध्यम बनाया गया है। जो प्रेम के महत्व को दर्शाता है। इस पद की भाषा भी सरल है। इसमें कवि ने अपनी सधुक्कड़ी भाषा का प्रयोग किया है। इसके अतिरिक्त इसमें परमात्मा को प्रियतम और स्वयं को प्रिया दिखाने के कारण प्रतीकात्मकता का सुंदर प्रयोग हुआ है। इसमें भी अनुप्रास अलंकार का प्रयोग देखने को मिलता है।

योग्यता-विस्तार

Question 1: कबीर तथा अन्य निर्गुण संतों के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।

Answer: कबीरदास
‘संत कबीरदास’ जी भक्तिकाल के ज्ञानमार्गी शाखा के मुख्य कवियों में से एक माने जाते हैं। इनका जन्म काशी में 1398 ई. में हुआ था। इनके जन्म के विषय में यह धारणा है कि इनकी माता एक ब्राह्मण परिवार से थीं व विधवा थीं। एक बार एक साधु के द्वारा दिए गए संतान के वरदान के प्रभाव से उनका गर्भधारण हो गया। लोक-लाज की निंदा के भय से ब्राह्मण स्त्री ने जन्मे बच्चे को ‘लहरतारा’ नामक तालाब के किनारे छोड़ दिया। उसी समय वहाँ से एक मुस्लिम दंपत्ति ‘नीमा’ व ‘नीरू’ गुज़र रहे थे। वे निसंतान थे। इस दंपत्ति ने बच्चे को अल्लाह का आशीर्वाद मान अपना लिया। दोनों ने बच्चे का बड़े जतन से लालन-पालन किया। बड़े होकर ये ‘कबीर’ के नाम से विख्यात हुए। कबीरदास ने आगे चलकर पिता के व्यवसाय को अपनाया। कबीर का विवाह ‘लोई’ नामक स्त्री से हुआ और उनसे उनके दो संतानें हुई। पुत्र का नाम ‘कमाल’ तथा पुत्री का नाम ‘कमाली’ रखा गया। कबीरदास ने सारी उम्र ‘राम’ नाम का भजन किया। कबीरदास के राम नाम को अपनाने के पीछे एक रोचक घटना है। कहा जाता है, एक बार कबीर पंचगंगा घाट पर सीढ़ियों पर से गिर पड़े। उसी समय वहाँ से स्वामी रामानंद गंगा स्नान के लिए सीढ़ियों पर से जा रहे थे। अंधेरे में अचानक किसी के पैरों के नीचे आ जाने से उनके मुँह से राम-राम शब्द निकल गया। कबीर जी ने इसी मंत्र को गुरु का दीक्षा-मंत्र मानकर उसे अंगीकार कर लिया और स्वामी जी को अपना गुरु मान लिया। वह सारी उम्र राम नाम को ही भजते रहे। परन्तु कबीर के यह राम, राजा राम से अलग थे। कबीर के अनुसार उनके राम मनुष्य रूप में न होकर धरती के हर कण-कण में विद्यमान हैं। वह निर्गुण-निराकार है।

कबीरदास सारी उम्र भगवान का भजन करते रहे। उन्होंने धार्मिक आडंबरों; जैसे- व्रत, रोजे, पूजा, हवन, नमाज आदि का भरसक विरोध किया। उनके अनुसार ईश्वर इन पांखडों से प्राप्त नहीं होता। वह तो सच्ची भक्ति तथा मन की पवित्रता से प्राप्त होता है। उनके अनुसार ईश्वर को प्राप्त करना हो, तो मंदिर व मस्जिद में न ढूँढकर अपने ह्दय में ढूँढना चाहिए। उनके अनुसार गुरु ईश्वर प्राप्ति का रास्ता होता है। उसके माध्यम से ही ईश्वर को पाया जा सकता है। उन्होंने सदैव हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल दिया व आपसी बैर को भुलाकर प्रेम से रहने का उपदेश दिया। उन्होंने जाति-पाति के नाम पर होने वाले भेदभाव का भी कड़ा विरोध किया। कबीदास जी अनपढ़ थे परन्तु उनके शिष्यों ने उनके उपदेशों व नीतिपूर्ण बातों को लेखन का जामा पहनाया।

कबीरदास की भाषा साधारण जन की भाषा थी। उनकी भाषा को ‘सधुक्कड़ी’ व ‘पंचमेल खिचड़ी’ कहा जाता है। उनकी भाषा में ब्रज, पूर्वी हिन्दी, पंजाबी, अवधी व राजस्थानी भाषाओं का मिश्रण देखने को मिलता है। कबीर ने अपनी बात ‘सबद’ व ‘साखी’ शैली में कही है। कबीर की एकमात्र रचना ‘बीजक’ के रूप में मिलती है। इसके तीन अंग है- साखी, सबद व रमैनी।कबीरदास जी की मृत्यु 1518 ई. के करीब मगहर में मानी जाती है। हिन्दू धर्म में मान्यता थी कि मगहर में जिसकी मृत्यु होती है, वह नरक में जाता है। अत: कबीरदास जी ने अंत समय में वहीं जाकर रहने का निर्णय किया और वहीं अपने प्राण त्याग दिए। कबीरदास उन व्यक्तियों में से एक थे, जिन्होंने मात्र उपदेश नहीं दिया अपितु उसे जीवन में उतार कर समाज के समाने मिसाल कायम की।

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Chapter 9 भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है? | class 11th | Chapterwise Important Question for Hindi Antra

भारतवर्ष की उन्नति ऐसे हो सकती है Class 11 Antra Chapter 9 Question Answer

प्रश्न-अभ्यास

Question 1: पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि ‘इस अभागे आलसी देश में जो कुछ हो जाए वहीं बहुत कुछ है क्यों कहा गया है?

Answer:पाठ में भारतेंदु जी ने बताया है कि भारतीय लोगों में आलस समा गया है। इस कारण वे काम करने से बचते हैं। देश में बेरोज़गारी बढ़ गई है। यह देखते हुए उन्होंने कहा है कि अभागे आलसी देश में जो कुछ हो जाए वही बहुत कुछ है। वह कहते हैं कि इसके लिए हमें सबसे पहले अपने अंदर व्याप्त आलस को हटाना होगा। भारतीयों ने निकम्मेपन का जो रोग पाल रखा है, उससे निजात पाना होगा। आलस मनुष्य को परिश्रम करने से रोकता है। इस तरह मनुष्य का और देश का विकास रुक जाता है।

Question 2: ‘जहाँ रॉबर्ट साहब बहादुर जैसे कलेक्टर हों, वहाँ क्यों न ऐसा समाज हो’ वाक्य में लेखक ने किस प्रकार के समाज की कल्पना की है?

Answer:इस वाक्य को लेखकर ने ऐसे समाज की कल्पना की जहाँ का राजा सजग हो। जहाँ का राजा सजग होगा, वहाँ के लोगों को सजग होना पड़ेगा। उनके अंदर आलस नहीं होगा। अपने तथा राज्य के विकास के लिए समाज को काम करना पड़ेगा। समाज की सजगता के कारण चारों ओर उन्नति तथा विकास होगा।

Question 3: जिस प्रकार ट्रेन बिना इंजिन के नहीं चल सकती ठीक उसी प्रकार ‘हिंदुस्तानी लोगों को कोई चलानेवाला हो’ से लेखक ने अपने देश की खराबियों के मूल कारण खोजने के लिए क्यों कहा है?

Answer:लेखक मानते हैं कि हिदुस्तानी लोग आलस के कारण बेकार हो गए हैं। उनकी जो योग्यताएँ और क्षमताएँ हैं, वे आलसपने के कारण समाप्त हो गई हैं। अब उनमें नेतृत्व का गुण नहीं रहा है। उन्हें ट्रेन के इंजन की भांति कोई-न-कोई नेतृत्व करने वाला चाहिए। पूरे भारत में अलग-अलग जाति, संप्रदाय आदि के लोग रहते हैं। इनमें स्वयं चलने की क्षमता है ही नहीं। इन्हें सदियों से एक बाहरी व्यक्ति ही अपने इशारे पर नचा रहा है। यह सही नहीं है। अतः लेखक कहता है कि हमें इसका कारण खोजना पड़ेगा। हम जब तक कारण की जड़ नहीं खोज पाएँगे, तब तक हम समस्या को नहीं पहचान पाएँगे। हमें चाहिए कि समस्या को ढूँढे और उसका हल निकालें। हम भारतीयों में यही कमी है कि हम समस्या को तो पहचान लेते हैं लेकिन कारण की जड़ नहीं ढूँढते। जिस दिन हमने यह पहचान लिया, उस दिन हमारे दिन फिर जाएँगे।

Question 4: देश की सब प्रकार की उन्नति हो, इसके लिए लेखक ने जो उपाय बताए उनमें से किन्हीं चार का उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।

Answer:पाठ में लेखक ने देश की उन्नति के चार उपाय बताएँ हैं। वे इस प्रकार हैं-(क) लेखक कहता है कि आलस्य हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है। उसी ने हमें निकम्मा बनाया हुआ है। अतः हमें इस आलस्य को त्यागना होगा और अपने समय का सही सदुपयोग करना होगा। इस तरह हम समय का सही उपयोग करके उन्नति के मार्ग में चल सकते हैं।(ख) हमें अपने स्वार्थों तथा हितों का त्याग करना होगा। लेखक के अनुसार हमें अपने देश, जाति, समाज इत्यादि के लिए अपने स्वार्थों तथा हितों का त्याग करना होगा।(ग) शिक्षा के महत्व को समझना होगा। हमें शिक्षा के महत्व को समझकर उसे भारत के घर-घर पहुँचाना होगा। इस तरह शिक्षित भारत की उन्नति निश्चित है।(घ) हमें भारत से बाहर जाकर भी अन्य स्थानों को समझना होगा। इस तरह हम कुएँ का मेंढक नहीं रहेंगे और हमारी तरक्की अवश्य होगी।

Question 5: लेखक जनता के मत-मतांतर छोड़कर आपसी प्रेम बढ़ाने का आग्रह क्यों करता है?

Answer:लेखक जानता है कि भारतीय जनता के पिछड़ेपन के पीछे सबसे बड़ा कारण यहाँ व्याप्त जाति तथा धार्मिक भेदभाव है। इसी ने भारत की नींव को खोखला किया हुआ है। इसी के कारण भारत की एकता तथा अखण्डता खंडित हो रही है। लोग धर्म तथा जाति के नाम पर दिलों में दूरियाँ बनाए हुए हैं। इसका फायदा दूसरे ले रहे हैं। अंग्रेज़ों ने ही ‘फूट डालो शासन करो की नीति’ से यहाँ पर राज़ किया है। जिस दिन भारतीय मत-मतांतर को छोड़कर आपसी प्रेम बढ़ाने लगेंगे, हमारा देश एकता के सूत्र में बंध जाएगा। कोई ऐसी शासन-व्यवस्था नहीं होगी, जो हमें गुलाम बनाकर रख सके। अतः वह मत-मतांतर छोड़कर आपसी प्रेम बढ़ाने का आग्रह करता है।

Question 6: आज देश की आर्थिक स्थिति के संदर्भ में निम्नलिखित वाक्य को एक अनुच्छेद में स्पष्ट कीजिए-‘जैसे हज़ार धारा होकर गंगा समुद्र में मिली हैं, वैसी ही तुम्हारी लक्ष्मी हज़ार तरह से इंग्लैड, फरांसीस, जर्मनी, अमेरिका को जाती हैं।’

Answer:लेखक कहता है कि भारत का पैसा आज हज़ार रुपों में होता हुआ इंग्लैंड, फरांसीस, जर्मनी तथा अमेरिका में जा रहा है। आज की स्थिति पूरी तरह ऐसी नहीं है फिर भी हमारा पैसा इन देशों में जा रहा है। आज भी भारतीय विदेशी ब्राँड के कपड़े, जूते, घड़ियाँ, इत्र इत्यादि पहनते हैं और पैसे बाहर जाता है। हम भी व्यापारिक लेन-देन के कारण विदेशी मुद्रा भारत लाते हैं। इस तरह स्थिति बराबर की बनी हुई है।

Question 7: आपके विचार से देश की उन्नति किस प्रकार संभव है? कोई चार उदाहरण तर्क सहित दीजिए।

Answer:हमारे विचार से देश की उन्नति के लिए ये चार उपाय कारगर हैं।-
(क) हमें आलस्य नहीं करना चाहिए। हमेशा कार्य करते रहना चाहिए। इस तरह हम समय के मूल्य को पहचानकर उसका सही सदुपयोग कर पाएँगे।
(ख) हमें अपने साथ-साथ देशों के विकास और उन्नति के लिए भी कार्य करना चाहिए। वैसे ही सर्व विदित है कि हम विकास और उन्नति की तरफ अग्रसर होते हैं, तो देश की उन्नति और विकास भी होता चला जाता है। देश से हम जुड़े हुए हैं। अतः हम उन्नति करते हैं, तो देश भी करेगा।
(ग) देश में शिक्षा का प्रसार करना आवश्यक है। जहाँ शिक्षा है, वहाँ विकास के मार्ग खुल जाते हैं। अतः प्रयास करना चाहिए कि देश में कोई अशिक्षित न रहें।
(घ) हमें जनसंख्या पर नियंत्रण रखना होगा। हमारे देश के साधन आबादी के कारण जल्दी समाप्त हो जाएँगे और हमें दूसरे देशों में निर्भर होना पड़ेगा। अतः हमें जनसंख्या को बढ़ने से रोकना होगा।

Question 8: भाषण की किन्हीं चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। उदाहरण देकर सिद्ध कीजिए कि पाठ ‘भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?’ एक भाषण है।

Answer:भाषण की चार विशेषताएँ इस प्रकार हैं।-
(क) भाषण संबोधन शैली पर आधारित होते हैं। इसे आरंभ ही संबोधन से किया जाता है।
(ख) भाषण के समय ऐसे उदाहरण जनता के सम्मुख रखे जाते हैं, जो उन्हें विषय से जोड़े रखें और बात को प्रभावी बनाएँ।
(ग) श्रोताओं को किसी विषय पर अवगत कराने के लिए यह सबसे उत्तम साधन है। इसके माध्यम से श्रोताओं का विश्वास हासिल किया जाता है। यह श्रोता से संबंध स्थापित करने का सबसे प्रभावी तरीका है।
(घ) ऐसे प्रसंगों का उल्लेख करना आवश्यक है, जो श्रोता के लिए नई और ज्ञानवर्धक हो।भारतेन्दु जी का यह भाषण सुविख्यात है। इसके माध्यम से इन्होंने बलिया के लोगों को संबंधित किया। इसमें उन्होंने भारत के लोगों की कमियाँ बताई, ब्रिटिश शासन पर व्यंग्य किया तथा उनके कार्यों के लिए उनकी सराहना भी की है। इसमें उन्होंने कई विषयों पर बात की। लोगों को चेताने और सजग करने के उद्देश्य यह भाषण दिया। इस भाषण में हर उस विषय को रखा गया, जो भारत को किसी न किसी रूप से कमज़ोर बना रहा था।

Question 10: निम्नलिखित गद्यांशों की व्याख्या कीजिए-
(क) सास के अनुमोदन से …………….. फिर परदेस चला जाएगा।
(ख) दरिद्र कुटुंबी इस तरह …………… वही दशा हिंदुस्तान की है।
(ग) वास्तविक धर्म तो ……………….. शोधे और बदले जा सकते हैं।

Answer:

(क) लेखक भारवासियों के आलस्य प्रवृत्ति पर उदाहरण के माध्यम से कटाक्ष करते हैं। वह बताते हैं कि एक बहू अपनी सास से पति से मिलने की आज्ञा लेकर पति के पास गई। वहाँ उसका मिलन नहीं हो पाया। कारण वह लज्जा के कारण कुछ बोल ही नहीं पायी। सारी परिस्थितियाँ उसके अनुकूल थीं। मगर लज्जा उसके मार्ग की सबसे बड़ी बाधा बन गई। उसे इस कारण पति का मुख देखना भी नसीब नहीं हुआ। अब इसे उसका दुर्भाग्य ही कहें कि अगले दिन उसका पति वापिस जाने वाला था। अतः उसने आया अवसर गँवा दिया। इसके माध्यम से लेखक बताना चाहते हैं कि भारवासियों को सभी प्रकार के अवसर मिले हुए हैं। भारतवासियों में आलस्य इस प्रकार छाया हुआ है कि वह इस अवसर का सही उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। इसके बाद यह अवसर चला गया, तो हमारे पास दुख और पछतावे के अतिरिक्त कुछ नहीं बचेगा।

(ख) इसका आशय है कि एक गरीब परिवार समाज में अपनी इज्जत बचाने में असमर्थ हो जाता है। लेखक एक उदाहरण के माध्यम से अपनी बात स्पष्ट करते हैं। वे कहते हैं कि गरीब तथा कुलीन वधू अपने फटे हुए वस्त्रों में अपने अंगों को छिपाकर अपनी इज्जत बचाने का हर संभव प्रयास करती है। भाव यह है कि उसके पास साधन बहुत ही सीमित हैं और वह उसमें ही कोशिश करती है। ऐसे ही भारतावासियों के हाल है। चारों ओर गरीबी विद्यमान है। सभी गरीबी से त्रस्त हैं। इसके कारण लोग अपनी इज्जत बचा पाने में असमर्थ हो रहे हैं। यह गद्यांश भारत की गरीबी का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत करता है।

(ग) यह गद्यांश उस स्वरूप को दर्शाता है, जो भारत में विद्यमान धर्मों का है। धर्म मनुष्य को भगवान के चरण कमलों की भक्ति करने के लिए कहता है। हमें इसे समझना होगा। जो अन्य बातें धर्म के साथ जोड़ी गई हैं, वे समाज-धर्म कहलाती हैं। समय और देश के अनुसार इनमें परिवर्तन किया जाना चाहिए। धर्म का मूल स्वरूप हमेशा एक सा रहता है। बस हमें उसके व्यावहारिक पक्ष को बदलने का प्रयास करना चाहिए।

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Chapter 8 उसकी माँ | class 11th | Chapterwise Important Question for Hindi Antra

उसकी माँ Class 11 Antra Chapter 8 Question Answer

प्रश्न-अभ्यास

Question 1: क्या लाल का व्यवहार सरकार के विरुद्ध षड्यंत्रकारी था?

Answer :वह एक क्रांतिकारी था। अपने देश को आज़ाद कराने के लिए प्रत्यनशील था। इस कारण से उसे अंग्रेज़ी सरकार राजद्रोही कह सकती है। उसने कभी सरकार के विरुद्ध षड्यंत्र नहीं किया था। क्रांतिकारी होने के कारण सरकार उस पर संदेह करती थी। उसके बढ़ते कदमों को रोकने के लिए अंग्रेज़ी सरकार ने उसे षड्यंत्र करके फंसा दिया था। अतः हम उसे षड्यंत्रकारी नहीं कह सकते हैं।

Question 2: पूरी कहानी में जानकी न तो शासन-तंत्र के समर्थन में है न विरोध में, किंतु लेखक ने उसे केंद्र में नहीं रखा बल्कि कहानी का शीर्षक बना दिया। क्यों?

Answer :जानकी किसी भी तंत्र का हिस्सा नहीं है। वह सिर्फ माँ है। माँ का संबंध शासन तंत्र और उसकी व्यवस्था से नहीं होता है। उसके लिए उसकी संतान महत्वपूर्ण होती है। वह राजनीति, शासन, आज़ादी बातों से अनजान होती है। उसमें वात्सल्य है, संतान के प्रति प्रेम है, संतान की शुभकामना है, संतान की सुरक्षा का भाव है। ऐसे ही जानकी है। लेखक भी यहाँ पर शासन-तंत्र को नहीं दर्शाता, वह क्रांतिकारी को नहीं दिखाना चाहता है, वह दिखाना चाहता है एक माँ के निस्वार्थ प्रेम को जो उसे सबसे अलग बना देता है। यह ऐसी भावना है, जो बिना किसी तर्क-वितर्क के मनुष्य को वरदान स्वरूप प्राप्त है। अतः यह कहानी लाल से आरंभ तो अवश्य होती है लेकिन घूमती उसकी माँ के चारों ओर है। यही कारण है कि लेखक ने उसे कहानी का शीर्षक बना दिया।

Question 3: चाचा जानकी तथा लाल के प्रति सहानुभूति तो रखता है किंतु वह डरता है। यह डर किस प्रकार का है और क्यों है?

Answer :चाचा एक आम आदमी है। उन्हें देश तथा सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। उनके अनुसार देश गुलाम हो या आज़ाद उससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। उनकी ज़िंदगी आराम से कट रही है। लाल तथा जानकी के प्रति उनकी जो सहानुभूति है, वह पड़ोसी संबंध होने के कारण है। वह यह भी जानते है कि लाल को पुलिस ने बिना कारण के पकड़ा है। उन्हें डर है यदि वह लाल तथा उसकी माँ की प्रत्यक्ष रूप से मदद करेंगे, तो सरकार उन्हें भी पकड़ लेगी। वह स्वयं को सरकार के प्रकोप से बचाना चाहते है। लाल तथा उसकी माँ की जो स्थिति है, उससे वह डरते हैं। अतः दोनों के प्रति सहानुभूति होने के बाद भी वह स्वयं को दोनों से अलग रखते है। वह स्वयं को तथा अपने परिवार को सरकार के कोप से बचाना चाहते है।

Question 4: इस कहानी में दो तरह की मानसिकताओं का संघर्ष है, एक का प्रतिनिधित्व लाल करता है और दूसरे का उसका चाचा। आपकी नज़र में कौन सही है? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।

Answer :हमारी नज़र में लाल सही है। इसके पीछे बहुत से कारण हैं। लाल देश के उस युवावर्ग का प्रतिनिधित्व करता है, जो अपने देश से प्रेम करता है। अपनी सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी का पालन करता है। प्रश्न यह उठता है कि लाल अपनी माँ के प्रति ज़िम्मेदार नहीं था। गहराई में जाएँ, तो समझ में आता है कि देश के लिए आज़ादी ऐसे नहीं मिली है। यदि सभी चाचा जैसे हो जाते, तो देश अब तक गुलाम रहता। ऐसे हज़ारों लाल की कुर्बानी से ही हम आज़ाद देश में रह रहे हैं। अतः लाल की मानसिकता सबसे श्रेष्ठ है। वह अपने देश की आज़ादी के लिए किसी बात की परवाह नहीं करता। अपने प्राण तक देश की शुभ इच्छा में न्योछावर कर देता है।

Question 5: उन लड़कों ने कैसे सिद्ध किया कि जानकी सिर्फ़ माँ नहीं भारतमाता है? कहानी के आधार पर उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।

Answer :वे लड़के जानकी के शारीरिक रूप तथा स्वभाव के आधार पर उसे भारतमाता कहते हैं। जानकी वृद्धा है। उसके बाल सफ़ेद है। लड़के उसके सफ़ेद बालों को हिमालय की संज्ञा देते हैं। जानकी के माथे पर पड़ते बल में उन्हें नदियों का भान होता है। ठोढ़ी के आकार को कन्याकुमारी और लहराते बालों को बर्मा कहते हैं। पाठ के आधार पर देखा जाए, तो जानकी का चरित्र-चित्रण इस प्रकार है-
(क) जानकी सीधी-साधी स्त्री है। उसे किसी बात से कोई सरोकार नहीं है। बस उसे अपने बच्चों की चिंता है और वही उसके लिए सबकुछ हैं।
(ख) जानकी वात्सल्य से युक्त है। उसका प्रेम मात्र अपने बेटे लाल के लिए नहीं है। उसके मित्रों को भी वह अपने बच्चों के समान वात्सल्य लुटाती है। बच्चों की मृत्य़ु का सामाचार पाकर स्वयं भी प्राण त्याग देती है।
(ग) जानकी त्यागमयी है। वह अपने बेटे तथा उसके मित्रों के भोजन-पानी की व्यवस्था के लिए अपनी सभी पूंजी प्रसन्नतापूर्वक खर्च देती है।
(घ) जानकी स्वाभिमानी स्त्री है। वह किसी से भी सहायता नहीं माँगती है। अपने बच्चों के लिए वह स्वयं प्रयास करती है। किसी से भी दया की अपेक्षा नहीं रखती है। वह सबकुछ बेच देती है लेकिन उफ नहीं करती है।

Question 6: विद्रोही की माँ से संबंध रखकर कौन अपनी गरदन मुसीबत में डालता? इस कथन के आधार पर उस शासन-तंत्र और समाज-व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।

Answer :उस समय का शासन-तंत्र बहुत ही क्रूर तथा तानाशाही था। लोगों में उसका भय विद्यमान था। समाज भी उसके भय से आक्रांत था। सब डरते थे। शासन के डर से क्रांतिकारियों की सहायता करने को मुसीबत को न्योता देने के समान माना जाता था। शासन तंत्र को जिस पर संदेह होता था, वह उसी को धर दबोचता था। उसका मानना था कि अपने विरुद्ध उठती आवाज़ को बंद करने में ही शासन की बेहतरी है। समाज भी ऐसा ही था, जो अपने लिए सोचता था। उसकी सोच बस स्वार्थ में विद्यमान थी। समाज में एकता नहीं थी। सबको अपने से मतलब था। अतः लाल और उसकी माँ की कौन सहायता करता। इससे पता चलता है कि उस समय की शासन-तंत्र तथा समाज-व्यवस्था बेकार थी।

Question 7: चाचा ने लाल का पेंसिल-खचित नाम पुस्तक की छाती पर से क्यों मिटा डालना चाहा?

Answer :अपनी पुस्तक में लाल का नाम देखकर चाचा उस नाम को मिटाने के लिए परेशान हो उठे। उसके पीछे एक नहीं कई कारण थे। पुस्तक पर लाल नाम देखकर उन्हें अपनी लाचारी तथा डर का अहसास होता था। यह नाम उन्हें पीड़ा देता था। लाल ने देश के लिए स्वयं को अर्पित कर दिया था। उसकी बूढ़ी माँ बेसहारा थी। लेखक उसकी माँ की मदद करने में सक्षम नहीं थे। शासन से दुश्मनी का भय उन्हें रोक देता था। सुपरिंटेंडेंट की तस्वीर उनकी आँखों में घूमने लगती थी। उसका आँखें उन्हें डराती थी। वह स्वयं को लाचार महसूस करते थे। लाल का नाम देखकर उन्हें अधिक लाचारी का अहसास होता था। वह उन्हें अहसास दिलाता था कि वे कितने दुर्बल मनुष्य है। एक देशभक्त की माँ की सहायता नहीं कर सकते है।

Question 10: निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) पुलिसवाले केवल …………… धीरे-धीरे घुलाना-मिटाना है।
(ख) चाचा जी, नष्ट हो जाना ………………. सहस्र भुजाओं की सखियाँ हैं।

Answer :
(क) जानकी लड़कों की बातचीत सुनती है। वह इस बातचीत की जानकारी चाचा को देती है। वह बताती है कि लड़के पुलिसवालों के बारे में बात कर रहे थे। वे कह रहे थे कि पुलिस मात्र शक होने पर सीधे-साधे लोगों के बच्चों को तकलीफ दे रही है। वे उन्हें पकड़ लेती है। उन्हें मारती है तथा विभिन्न प्रकार से सताती है। पुलिस का काम अपराधियों को पकड़ना होता है। भले लोगों के बच्चों को मात्र शक होने के कारण पकड़ना नहीं। वे बिना अपराध उनको न मार सकते हैं और न तंग कर सकते हैं। यह पुलिस अत्याचारी है। अपने कर्तव्यभाव से विमुख होकर यह नीचता पर उतर आई है। हमें चाहिए कि ऐसी शासन-प्रणाली को स्वीकार न करें। इस शासन-प्रणाली के अत्याचार देखते हुए भी जो चुप रहते हैं, वे अपने धर्म को, कर्म को, आत्मा को तथा परमात्मा को भी भुला देते हैं। इस तरह वे धीरे-धीरे घुलते हैं तथा आखिर में मिट जाते हैं। भाव यह है कि गुलामी ऐसे लोगों का सबकुछ हथिया लेती है और दासता उनका भाग्य बन जाता है।
(ख) लाल अपने चाचा को कहता है कि जो प्रत्येक प्राणी, वस्तु इस संसार हैं, उन्हें एक दिन समाप्त हो जाना है। यह प्रकृति का नियम है। इसे हम मिटा नहीं सकते हैं। जिसे आज हमने बनाया है, वह कल बिगड़ जाएगा। उसे बिगड़ने से कोई रोक नहीं सकता है। हमें अपनी दुर्बलता के डर से कार्य को नहीं रोकना चाहिए। अर्थात हम किसी कार्य को करने का बिड़ा उठाते हैं, तो यह नहीं सोचना चाहिए कि वह पूरा होगा या नहीं, हमें उसमें हानि तो नहीं होगी या फिर उसे करते हुए हम मर तो नहीं जाएँगे। ये सारी बातें मनुष्य की दुर्बलता की निशानी हैं। हमें इन दुर्बलताओं पर विजय पानी चाहिए और बिना डर के कार्य करना चाहिए। कार्य करते समय हमें मज़बूत होकर कार्य को करना चाहिए। जब हम मज़बूत होकर कार्य करते हैं, तो हमारी भुजाएँ भगावन की असंख्या भुजाओं की मित्र के समान बन जाती है। अर्थात ईश्वर भी हमारे साथ हो जाता है।

योग्यता-विस्तार

Question 1: पुलिस के साथ दोस्ती की जानी चाहिए या नहीं? अपनी राय लिखिए।

Answer :प्रश्न यदि मनुष्य से दोस्ती करने का है, तो फिर वह कोई भी हो हमें फर्क नहीं पड़ना चाहिए। दोस्ती मनुष्य से की जाती है, उसके पद या धन से नहीं। यदि वह मनुष्य आपके दोस्त बनने का हकदार है, तो हमें दोस्ती अवश्य करनी चाहिए। अब प्रश्न उठता है कि हम पुलिसवाले से दोस्ती करना चाहिए या नहीं। इसका प्रश्न का उत्तर यह है कि हमें पुलिसवाले से दोस्ती नहीं करना चाहिए। इसका अर्थ यह नहीं है कि व्यक्ति पुलिसवाला है सिर्फ इसलिए दोस्ती नहीं करनी चाहिए। इसका अर्थ यह है कि यदि हम किसी पुलिसवाले से मित्रता करते हैं, तो कहीं-न-कहीं उसके पद का लाभ उठाने का प्रयास करते हैं। परिणाम हम उस मित्र की वर्दी का फायदा उठाकर अनुचित कार्य करने के लिए स्वतंत्र हो जाते हैं। यह सही नहीं है। हमें चाहिए कि हम मित्रता मनुष्य से करें उसके पद से न करें। इसी में मित्रता की सच्ची पहचान है।

Question 2: लाल और उसके साथियों से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?

Answer :लाल और उसके साथियों से हमें प्रेरणा मिलती है कि हमें निरकुंश शासन का विरोध करना चाहिए। जो राष्ट्र अपने नागरिकों के हितों के स्थान पर उनका अहित करने लगे हमें उसका विरोध निडरता से करना चाहिए। इसके अतिरिक्त हमें अपने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान भी देना पड़े, तो हिचकना नहीं चाहिए। लाल और उसके साथी अपने देश के लिए बलिदान देने से हिचकते नहीं है। वे हमें सीखा जाते हैं कि अत्याचार का विरोध करना चाहिए और गुलामी के जीवन से मुक्ति के लिए प्रयास करना चाहिए।

Question 3: ‘उसकी माँ’ के आधार पर अपनी माँ के बारे में एक कहानी लिखिए।

Answer :मेरी माँ दुनिया की सबसे प्यारी व अच्छी माँ है। बचपन से आज तक मैं सदैव माँ के साथ रही हूँ। माँ के द्वारा हमेशा मेरी जरूरतों का ध्यान रखा गया। जब मैं छोटी थी, तो माँ ही मुझे नहलाती व तैयार करती थी। वह मेरे साथ खेलती थी और मुझे पढ़ाती भी थी। मेरे मुँह से निकला पहला शब्द माँ ही था। मेरे द्वारा सीखा गया पहला पाठ माँ ने ही सिखाया था। मेरे गिर जाने पर मुझसे ज्यादा वह रोती थी। वह मुझे मेरी गलती में डांटती भी थी परन्तु थोड़ी देर में मुझे प्यार भी करती थी। वह सदैव मेरे साथ मेरी छाया के समान रहती थी और आज भी है। पिताजी भी मेरा बड़ा ध्यान रखते हैं परन्तु माँ की बात ही अलग है। मैं अपनी माँ से स्वयं को अधिक करीब पाती हूँ। ऐसा कभी नहीं हुआ कि मुझे माँ की जरूरत हो और उन्होंने मेरा साथ न दिया हो। उन दिनों की बात है जब मेरे स्कूल में गरमी की छुट्टियाँ पड़ी हुई थीं। मैं सारा-सारा दिन धूप में खेलती और जब मौका मिलता माँ की आँख बचाकर बाहर खेलने चली जाती। माँ मना किया करती थी कि बाहर बहुत गरमी है। इतनी गरमी में नहीं खेलना चाहिए। लेकिन मैंने माँ की एक बात नहीं मानी। एक दिन माँ के सो जाने पर मैं घर से बाहर निकल गई व अपनी सहेलियों के साथ दिनभर खेलती रही। उस दिन अधिक गरमी हो रही थी। अचानक में बेहोश हो गई। मेरी सहेलियों ने माँ को बुलाया। मेरे कारण माँ बहुत परेशान रही। डाक्टर ने बताया की मुझे गरमी से ऐसा हुआ है। मुझे बुखार आ गया। मैं बहुत दिनों तक बीमार पड़ी रही। माँ उन दिनों मेरी दिन-रात सेवा करती रही। वह मेरे लिए नाना प्रकार के खेल-खिलौने लाई। वह मेरे साथ खेलती ताकि मैं बाहर न जाऊँ। इस घटना ने मुझे इस बात का एहसास कराया की माँ मुझे कितना स्नेह करती है। मैं और मेरी माँ हम दोनों का रिश्ता सखियों जैसा है। वह कभी मेरे साथ माँ जैसा व्यवहार नहीं करती। मेरी वो सबसे अच्छी दोस्त है। उनके साथ जो खुशी मुझे मिलती है, वह अन्य किसी के साथ नहीं मिलती। माँ के बिना मैं अपनी कल्पना भी नहीं कर सकती। माँ भी मेरे बिना एक पल नहीं रह पाती। मेरे कारण वह बाहर ज्यादा आती-जाती भी नहीं है। मेरे परीक्षा के दिनों में तो वह मेरे साथ ही पूरी-पूरी रात जागती रहती है ताकि मुझे किसी चीज़ की जरूरत न पड़ जाए। मेरी माँ और मैं एक दूसरे बहुत प्यार करते हैं। मैं उनकी सबसे प्यारी बेटी हूँ, वो मेरी सबसे प्यारी माँ।

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Chapter 7 नए की जन्म कुंडली: एक | class 11th | Chapterwise Important Question for Hindi Antra

नए की जन्म कुंडली Class 11 Antra Chapter 7 Question Answer

प्रश्न-अभ्यास

Question 1: लेखक ने कविता को हमारी भारतीय परंपरा का विचित्र परिणाम क्यों कहा है?

Answer:लेखक के अनुसार एक कवि अपने मन में उठने वाले विचारों को गंभीरता से लेता है। धूप तथा हवा ऐसे स्वाभाविक तत्व हैं, जो कवि के लिए महत्वपूर्ण है। कविता लिखते समय एक कवि अपने इंद्रियों के माध्यम से आंतरिक यात्रा करता है। वह कविता के माध्यम से स्वयं को प्रकट कर पाता है। यही कारण है कि लेखक ने कविता को हमारी भारतीय परंपरा का विचित्र परिणाम कहा है।

Question 2:’सौंदर्य में रहस्य न हो तो वह एक खूबसूरत चौखटा है।’ व्यक्ति के व्यक्तित्व के माध्यम से स्पष्ट कीजिए।

Answer:यह बात सही है कि सौंदर्य में रहस्य न हो, तो वह एक खूबसूरत चौखटा है। उसमें वह आकर्षण नहीं रहता है। उसके अंदर रहस्य का भाव हो, तो उसके सौंदर्य के प्रति आकर्षण हमेशा विद्यमान रहता है। अपनी बात को लेखक कागज़ के माध्यम से स्पष्ट करते हैं। वह कहते हैं कि कोरा कागज़ देखने में अच्छा लगता है। उसमें मर्मवचन लिखा ही न हो, तो उसके सौंदर्य में रहस्य नहीं रहता है। रहस्य सौंदर्य को प्रभावशाली बनाता है। उसमें लोगों की रुचि बनती है। लोग उस रहस्य को सुलझाने में लग जाते हैं।

Question 3:सामान्य-असामान्य तथा साधारण-असाधारण के अंतर को व्यक्ति और लेखक के माध्यम से स्पष्ट कीजिए।

Answer:लेखक व्यक्ति को असामान्य तथा असाधारण मानता था। उसके पीछे कारण था। उसके अनुसार जो व्यक्ति अपने एक विचार या कार्य के लिए स्वयं को और अपनों को त्याग सकता है, वह असामान्य तथा असाधारण व्यक्ति है। वह अपने मन से निकलने वाले उग्र आदेशों को निभाने का मनोबल रखता है। ऐसा प्रायः साधारण लोग कर नहीं पाते हैं। वह सांसारिक समझौते करते हैं और एक ही परिपाटी में जीवन बीता देते हैं। ऐसा व्यक्ति ही असामान्य तथा असाधारण होता है।

दूसरे लेखक स्वयं को सामान्य तथा साधारण व्यक्ति मानता है। वह अपने मित्र की भांति कुछ न कर सका। उसने कभी अपने मन में विद्यमान उग्र आदेशों को निभा नहीं पाया। सदैव चुप रहा। लेखक यह पाठ में स्पष्ट भी करता है। वह कहता है कि आज समाज में नामी-गिरामी व्यक्ति है। लेकिन अपने मित्र की भांति वह व्यवहार नहीं कर पाया।

Question 4: ‘उसकी पूरी जिंदगी भूल का एक नक्शा है।’ इस कथन द्वारा लेखक व्यक्ति के बारे में क्या कहना चाहता है?

Answer:इस कथन से लेखक व्यक्ति के बारे में बताना चाहता है। व्यक्ति ने अपने जीवन में बहुत प्रयास करे लेकिन हर बार वह असफल रहा। लेखक कहता है कि यह उस व्यक्ति की राय है। व्यक्ति अपने जीवन में छोटी-छोटी सफलता चाहता था लेकिन उसे मिली नहीं। ये बातें व्यक्ति में विषाद भर गई। लेखक को लगता है कि यह सही नहीं है। उसने बहुत प्रयास किए हैं। उसकी भूल उसके प्रयासों की कहानी है। यद्यपि वह सफल नहीं हुआ, तो उसके संर्घषों को अनेदखा नहीं किया जा सकता है। प्रयास करना अधिक महत्वपूर्ण है। प्रायः लोग गिरने के डर से प्रयास नहीं करते हैं। व्यक्ति ने तो एक बार नहीं अनेकों बार प्रयास किए हैं। ये प्रयास बताते हैं कि वह डरा नहीं, उसने साहस नहीं छोड़ा बस प्रयास करता रहा। प्रायः ऐसा लोग नहीं करते हैं। व्यक्ति अपने में पूर्ण है।

Question 5: पिछले बीस वर्षों की सबसे महान घटना संयुक्त परिवार का ह्रास है- क्यों और कैसे?

Answer:पिछले बीस वर्षों में भारत जैसे देश में संयुक्त परिवार का ह्रास हुआ है। यह स्वयं में बहुत बड़ी बात है। संयुक्त परिवार आज के समय में मनुष्य के लिए बहुत आवश्यक हैं। उसकी सर्वप्रथम शिक्षा, संस्कार, विकास, चरित्र का विकास इत्यादि परिवार के मध्य रहकर ही होता है। आज ऐसा नहीं है। इसके परिणाम हमें अपने आसपास दिखाई दे रहे हैं। इससे मनुष्य को सामाजिक तौर पर ही नहीं अन्य तौर भी पर नुकसान झेलना पड़ रहा है। लेखक कहता है कि साहित्य और राजनीति ऐसा कोई साधन विकसित नहीं कर पाया है, जिससे संयुक्त परिवार के विघटन को रोक पाए। परिणाम आज वे समाप्त होते जा रहे हैं। इससे समाज को ही नहीं देश को भी नुकसान होगा। यही कारण है लेखक ने इसे पिछले बीस वर्षों में सबसे महान घटना के रूप कहा है।

Question 6: इन वर्षों में सबसे बड़ी भूल है, ‘राजनीति के पास समाज-सुधार का कोई कार्यक्रम न होना’ – इस संदर्भ में आप आपने विचार लिखिए।

Answer:इस संदर्भ में हम लेखक की बात से सहमत है। राजनीति के पास समाज-सुधार का कोई कार्यक्रम नहीं है। राजनीति अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए मनुष्य द्वारा की जाती है। यही कारण है कि राजनीति के पास समाज-सुधार का कोई कार्यक्रम नहीं है। राजनीति ने समाज को विकास के स्थान पर मतभेद और अशांति इत्यादि ही दी है। आज जातिभेद, आरक्षण आदि बातें राजनीति की देन हैं। यदि राजनीति देश के विकास का कार्य करती, तो भारत की स्थिति ही अलग होती।

Question 7: ‘अन्यायपूर्ण व्यवस्था को चुनौती घर में नहीं, घर के बाहर दी गई।’ – इससे लेखक का क्या अभिप्राय है?

Answer:इससे लेखक का तात्पर्य है कि अन्याय दोनों जगह हो सकता है। वह घर के बाहर भी हो सकता है और घर के अंदर भी हो सकता है। जब अन्याय को चुनौती देने की बात आती है, तो मनुष्य घर के अंदर के अन्याय को चुपचाप सह जाता है। कारण परिवारजन उसके अपने होते हैं। अपनों को चुनौती देने का प्रश्न ही नहीं उठता। उनको चुनौती देने का मतलब है अपने को चुनौती देना। अतः लोग चुप्पी साध लेते हैं। घर के बाहर अन्यायपूर्ण व्यवस्था को चुनौती देना सरल होता है। पूंजीपतियों के विरुद्ध विद्रोह, शासन के विरुद्ध विद्रोह आदि विद्रोह सरलता से खड़े हो जाते हैं।

Question 8: जो पुराना है, अब वह लौटकर आ नहीं सकता। लेकिन नए ने पुराने का स्थान नहीं लिया। इस नए और पुराने के अंतर्द्वंद्व को स्पष्ट कीजिए।

Answer:इस संसार का नियम है कि जो पुराना हो चुका है, वह वापिस नहीं आता। अर्थात जो बातें, विचार, परंपराएँ इत्यादि हैं, वे आज भी हमारे परिवार में दिखाई दे जाती हैं। आज ये सब मात्र अवशेष के रूप में ही शेष रह गई हैं। समय बदल रहा है और नए विचार, बातें तथा परंपराएँ जन्म ले रही हैं। ये जो भी नया आ रहा है, इसने पुराने का स्थान नहीं लिया है। ये अलग से अपनी जगह बना रहे हैं। परिणाम जो पुराना है, वह अपने अस्तित्व के लिए तड़प रहा है और नए का विरोध करता है। इस कारण दोनों में अंतर्द्वंद्व की स्थिति बन गई है। उदाहरण के लिए धर्म हमारी संस्कृति का आधार है। हम लोगों की इस पर बड़ी आस्था है। आज की पीढ़ी वैज्ञानिक दृष्टिकोण लिए हुए है। उसने धर्म को नकार दिया है। चूंकि धर्म हमारी संस्कृति का आधार है। अतः इसे पूर्णरूप से निकालना संभव नहीं है। हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हर बात को परखते हैं लेकिन कई चीज़ें हमारी समझ से परे होती हैं। अतः ये दोनों बातें एक दूसरे से टकरा जाती हैं। हमें उत्तर में कुछ नहीं मिलता है।

Question 9: निम्नलिखित गद्यांशों की व्याख्या कीजिए-
(क) इस भीषण संघर्ष की हृदय भेदक …………. इसलिए वह असामान्य था।
(ख) लड़के बाहर राजनीति या साहित्य के मैदान में …………. धर के बाहर दी गई।
(ग) इसलिए पुराने सामंती अवशेष बड़े मज़े ……… शिक्षित परिवारों की बात कर रहा हूँ।
(घ) मान-मूल्य, नया इंसान ………… वे धर्म और दर्शन का स्थान न ले सके।

Answer:

(क) लेखक इसमें व्यक्ति के बारे में कहता है। वह कहता है कि व्यक्ति ने बहुत संघर्ष किया है। उस संघर्ष ने उसके व्यक्तित्व को बहुत अजीब-सा बना दिया है। इस संघर्ष से गुजरते वक्त जो भी घटित हुआ, उससे संघर्ष करना व्यक्ति के लिए कठिन था। लेखक कहता है कि इतने संघर्षों से गुजरने के बाद प्रायः लोग संभल नहीं पाते हैं। वे स्वयं को खो देते हैं। लेखक को इस बात से हैरानी होती है कि उस व्यक्ति ने स्वयं को नहीं खोया है। उसने स्वयं के स्वाभिमान को बचाए रखा है। उसने समझौता नहीं किया है। वह लड़ा है और इस लड़ाई में स्वयं को बचाए रखना उसके असामान्य होने का प्रमाण है।

(ख) लेखक के अनुसार आज की युवापीढ़ी के स्वभाव में अंतर हैं। वे घर से बाहर साहित्य और राजनीति की अनेकों बातें करते हैं। उसके बारे में सोचते हैं और करते भी हैं। जब यह बात घर की आती है, तो उनका व्यवहार बदल जाता है। अन्याय दोनों जगह हो सकता है। वह घर के बाहर भी हो सकता है और घर के अंदर भी हो सकता है। जब अन्याय को चुनौती देने की बात आती है, तो मनुष्य घर के अंदर के अन्याय को चुपचाप सह जाता है। कारण घर के लोग उसके अपने होते हैं। अपनों को चुनौती देने का प्रश्न ही नहीं उठता। उनको चुनौती देने का मतलब है अपने को चुनौती देना। अतः लोग चुप्पी साध लेते हैं। घर के बाहर अन्यायपूर्ण व्यवस्था को चुनौती देना सरल होता है। पूंजीपतियों के विरुद्ध विद्रोह, शासन के विरुद्ध विद्रोह आदि विद्रोह सरलता से खड़े हो जाते हैं। जब समाज की बात आती है, तो उनके मुँह में ताले लग जाते हैं।

(ग) लेखक कहना चाहता है कि इस संसार का नियम है कि जो पुराना हो चुका है, वह वापिस नहीं आता। अर्थात जो बातें, विचार, परंपराएँ इत्यादि हैं, वे आज भी हमारे परिवार में दिखाई दे जाती हैं। वे मात्र उनके अवशेष के रूप में विद्यमान हैं। समय बदल रहा है और नए विचार, बातें तथा परंपराएँ जन्म ले रही हैं। ये जो भी नया आ रहा है, इसने पुराने का स्थान नहीं लिया है। ये अलग से अपनी जगह बना रहे हैं। परिणाम जो पुराना है, वह अपने अस्तित्व के लिए तड़प रहा है और नए का विरोध करता है। इस कारण दोनों में अंतर्द्वंद्व की स्थिति बन गई है। उदाहरण के लिए धर्म हमारी संस्कृति का आधार है। हम लोगों की इस पर बड़ी आस्था है। आज की पीढ़ी वैज्ञानिक दृष्टिकोण लिए हुए है। उसने धर्म को नकार दिया है। चूंकि धर्म हमारी संस्कृति का आधार है। अतः इसे पूर्णरूप से निकालना संभव नहीं है। हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हर बात को परखते हैं लेकिन कई चीज़ें हमारी समझ से परे होती हैं, तो हम उसे धर्म के क्षेत्र में लाकर खड़ा कर देते हैं। हमने धार्मिक भावना को तो छोड़ दिया है लेकिन वैज्ञानिक बुद्धि का सही से प्रयोग करना नहीं सीखा है। हम इसके लिए न प्रयास करते हैं और न हमें ज़रूरत महसूस होती है। ये दोनों बातें एक दूसरे से टकरा जाती हैं। हमें उत्तर में कुछ नहीं मिलता है। प्रायः यह स्थिति शिक्षित परिवारों में देखने को मिलती हैं।

(घ) लेखक के अनुसार नए की पुकार हम लगाते हैं लेकिन नया है क्या इस विषय में हमारी जानकारी शून्य के बराबर है। हमने सोचा ही नहीं है कि यह नया मान-मूल्य हो, एक नया मनुष्य हो या क्या हो? जब हम यह नहीं जान पाए, तो जो स्वरूप उभरा था, वह भी शून्यता के कारण मिट गया। उनको दृढ़ तथा नए जीवन, नए मानसिक सत्ता का रूप धारण करना था पर वे प्रश्नों के उत्तर न होने के कारण समाप्त हो गए। वे हमारे धर्म और दर्शन का स्थान नहीं ले सके। वे इनका स्थान तभी ले पाते जब हम इन विषयों पर अधिक सोचते।

Question 10: निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) सांसारिक समझौते से ज़्यादा विनाशक कोई चीज़ नहीं।
(ख) बुलबुल भी यह चाहती है कि वह उल्लू क्यों न हुई!
(ग) मैं परिवर्तन के परिणामों को देखने का आदी था, परिवर्तन की प्रक्रिया को नहीं।
(घ) जो पुराना है, अब वह लौटकर आ नहीं सकता।

Answer:
(क) लेखक के अनुसार मनुष्य जीवन में समझौते करता है। ये समझौते करना उचित नहीं है। एक या दो समझौते हों, तो किया जा सकता है पर हर बार समझौते करना भयानक स्थिति को पैदा कर देता है। समझौतावादी दृष्टिकोण पलायन की स्थिति है। हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। हमें लड़ना चाहिए तभी हम अपने अस्तित्व को एक ठोस धरातल दे पाएँगे।

(ख) इसका अभिप्राय है कि हमें अपने से अधिक दूसरे अच्छे लगते हैं। हम दूसरे से प्रभावित होकर वैसा बनना चाहते हैं। हम स्वयं को नहीं देखते हैं। अपने गुणों पर हमारा ध्यान ही नहीं जाता है।

(ग) लेखक कहता है कि मेरे सामने बहुत बदलाव हुए। मैंने उन बदलावों से हुए परिणाम देखें। अर्थात यह देखा कि बदलाव हुआ, तो उसका लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा। इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया कि जब बदलाव हो रहे तो वह क्यों और कैसे हो रहे थे? इस प्रक्रिया पर मेरा कभी ध्यान ही नहीं गया।

(घ) जो समय बीत गया है, उसे हम लौटाकर नहीं ला सकते हैं। जो चला गया, वह चला गया।

योग्यता-विस्तार

Question 1:’विकास की ओर बढ़ते चरण और बिखरते मानव-मूल्य’ विषय पर कक्षा में परिचर्चा कीजिए।

Answer:पहले हमें यह समझना होगा कि मानव मूल्य होते क्या हैं? उत्तर है; सत्य, ईमानदारी, आत्मनिर्भरता, निडरता, मानवता, प्रेम, भाईचारा, दृढ़ता इत्यादि मानव मूल्य हैं। ये ऐसे मूल्य हैं, जो हमें जीवन में सही प्रकार से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। आज समय बदल रहा है। आज मनुष्य में इनकी कमी मिल रही है। हमारा कार्य है कि बच्चों में इन गुणों का विकास करना ताकि वे स्वयं को व मानवता को सही रास्ते में ले जा सके। विडंबना है कि ये हमारे जीवन से धुंधले हो रहे हैं। विकास के बढ़ते चरणों के कारण इनका क्षरण हो रहा है। अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए हम किसी भी हद तक गिर रहे हैं। ये इस बात का संकेत है कि समाज की स्थिति कितनी हद तक गिर चुकी है। चोरी, डकैती, हत्याएँ, धोखा-धड़ी, जालसाज़ी, बेईमानी, झूठ, बड़ों का अनादर, गंदी आदतें इत्यादि मूल्यों में आई कमी का परिणाम हैं। हमें चाहिए की मूल्य को पहचाने और इसे अपने जीवन में विशेष स्थान दें। जिस तरह मनुष्य को जीने के लिए हवा, पानी और भोजन की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार मनुष्य को इन मूल्यों की भी आवश्यकता है। इनके बिना मनुष्य जानवर के समान है।

Question 3:’सौंदर्य में रहस्य न हो तो वह एक खूबसूरत चौखटा है।’ लेखक के इस वाक्य को केंद्र में रखते हुए ‘सौंदर्य क्या है’ इस पर चर्चा करें।

Answer:जो वस्तु, चेहरा या दृश्य हमारे ह्दय और मन को आनंदित करता है, उसे हम सौंदर्य कहते हैं। एक चेहरे में व्यक्ति की आँखें, नाक, होंठ, मुस्कान इत्यादि उसके सौंदर्य का प्रतीक हैं। प्रकृति में नदी, बादल, पर्वत, हरियाली, पेड़, फूल-पत्ते इत्यादि उसके सौंदर्य का प्रतीक हैं। काव्य में अलंकार, छंद, रस, वाक्य विन्यास उसके सौंदर्य का प्रतीक हैं। एक वस्त्र में बारीक काम, कड़ाई, रंगाई उसके सौंदर्य का प्रतीक है। ऐसे ही चित्र में आकार, प्रकार, रंग, कल्पना चित्र के सौंदर्य का प्रतीक है। इन सबसे सौंदर्य जन्म लेता है। यह निर्भर करता है कि मनुष्य को कौन-सी बात आनंदित करती है। वह बस सौंदर्यशाली बन जाता है। उदाहरण के लिए रंग से काले व्यक्ति का व्यक्तित्व किसी के लिए उसका सौंदर्य है। अतः सौंदर्य की परिभाषा विशाल है। आप जितना इसमें गोते लगाएँगे, उतना उलझते जाएँगे।

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Chapter 6 खानाबदोश | class 11th | Chapterwise Important Question for Hindi Antra

 खानाबदोश Class 11 Antra Chapter 6 Question Answer

प्रश्न-अभ्यास

Question 1: जसदेव की पिटाई के बाद मज़दूरों का समूचा दिन कैसा बीता?

Answer:जसदेव की पिटाई के बाद मज़दूरों का समूचा दिन दहशत तथा अदृश्य डर में बीता था। सभी इस डर में जी रहे थे कि न जाने कब सूबेसिंह आएगा और फिर मार-पिटाई का दौर चल पड़ेगा।

Question 2: मानो अभी तक भट्ठे की ज़िंदगी से तालमेल क्यों नहीं बैठा पाई थी?

Answer:मानो एक किसान परिवार से थी। वह पहले अपने मालिक स्वयं थे। अपने लिए कमाते थे। किसी के पास मज़दूरी नहीं करते थे। बदहवाली के कारण उसे गाँव छोड़कर भट्ठे पर काम करने के लिए आना पड़ा था। अपने पति सुकिया के कारण उसे भट्ठे में काम करना पड़ रहा था। भट्ठे का माहौल उसे पसंद नहीं था। शाम ढलते ही वहाँ का वातावरण काट खाने को आ रहा हो, ऐसा लगता था। वह इस माहौल में घबराने लगती थी। यही कारण था कि यहाँ के जीवन से संबंध स्थापित नहीं कर पा रही थी।

Question 3: असगर ठेकेदार के साथ जसदेव को आता देखकर सूबे सिंह क्यों बिफर पड़ा और जसदेव को मारने का क्या कारण था?

Answer:सूबे सिंह की मानो पर बुरी नज़र थी। अतः उसने असगर ठेकेदार को मानो को बुलाने के लिए कहा। जब असगर ठेकेदार ने यह बात मानो तथा सुकिया को कही, तो सुकिया क्रोधित हो उठा। स्थिति भाँपकर जसदेव ने फैसला किया कि वह मानो के स्थान पर सूबे सिंह के पास जाएगा। जब सूबे सिंह ने देखा कि मानो नहीं आई है और उसके स्थान पर जसदेव आया है, तो वह बिफर पड़ा। मानो का सारा गुस्सा उसने जसदेव पर निकाल दिया। उसने जसदेव को बहुत बुरी तरह मारा।

Question 7: ‘चल! ये लोग म्हारा घर ना बणने देंगे।’ – सुकिया के इस कथन के आधार पर कहानी की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।

Answer:इस कथन से सुकिया तथा मानो जैसे लोगों की शोषण भरी जिंदगी का पता चलता है। उन लोगों को पूँजीपतियों के हाथों शोषण का शिकार होना पड़ता है। पूँजीपति वर्ग उन्हें पैसे के ज़ोर पर अपने हाथों की कठपुतलियाँ बनाकर रखना चाहता है। सूबेसिंह जैसे लोग सुकिया तथा मानो जैसे लोगों को चैन से जीने नहीं देते हैं। एक मज़दूर के पास यह अधिकार नहीं होता है कि वह अपने अनुसार जीवन जी सके। वे इनके हाथों सदैव से प्रताड़ित होते आ रहे हैं। इन्हें या तो पूँजीपतियों की नाज़ायज़ माँगों के आगे घूटने टेकने पड़ते हैं या फिर खानाबदोश के समान एक स्थान से दूसरे स्थानों तक भटकना पड़ता है। सुकिया का कथन मज़दूरों की इसी संवेदना को प्रकट करता है।

Question 8: ‘खानाबदोश’ कहानी में आज के समाज की किन-किन समस्याओं को रेखांकित किया गया है? इन समस्याओं के प्रति कहानीकार के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।

Answer:‘खानाबदोश’ कहानी में आज के समाज की निम्नलिखित समस्याओं को रेखांकित किया गया है-
(क) किसानों का जीविका चलाने के लिए गाँवों से पलायन।
(ख) मज़दूरों का शोषण तथा नरकीय जीवन।
(ग) जातिवाद तथा भेदभाव भरा जीवन।
(घ) स्त्रियों का शोषण।
लेखक ने प्रस्तुत कहानी में सुकिया और मानो के माध्यम से निम्नलिखित समस्याओं को हमारे समक्ष रखा है। ये ऐसे दो पात्रों की कहानी है, जो भेड़चाल में जीवन नहीं बिताना चाहते हैं। वे समझौता नहीं करते हैं। अपनी मेहनत पर विश्वास करते हैं और समाज के ठेकेदारों को मुँहतोड़ जवाब देते हैं। वे अपनी शर्तों पर जीने के लिए कष्टों तक को गले लगाने से चूकते नहीं हैं।

Question 11: निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) अपने देस की सूखी रोटी भी परदेस के पकवानों से अच्छी होती है।
(ख) इत्ते ढेर से नोट लगे हैं घर बणाने में। गाँठ में नहीं है पैसा, चले हाथी खरीदने।
(ग) उसे एक घर चाहिए था- पक्की ईंटों का, जहाँ वह अपनी गृहस्थी और परिवार के सपने देखती थी।

Answer:

(क) मनुष्य जहाँ पैदा हुआ होता है, वही उसका देश है। वहाँ पर यदि उसे पकवान के स्थान पर साधारण खाना भी मिले, तो वह अच्छा होता है। अभिप्राय है कि जहाँ मनुष्य बचपन से रहता आया है, वहाँ पर जीने के लिए उसे दूसरों की शर्तों पर नहीं चलना पड़ता। वहाँ पर वह मान-सम्मान से जीता है। दूसरे स्थान पर उसे दूसरे मनुष्य की बनाई शर्तों पर जीना पड़ता है। ऐसे भी उसका मान-सम्मान जाता रहता है।

(ख) सुकिया, मानो को कहता है कि घर बनाना आसान काम नहीं है। इसके लिए बहुत सारे नोटों की आवश्यकता होती है। इस समय हमारे पास इतने पैसे नहीं है। हमारी ऐसी ही स्थिति है कि हाथ में पैसा नहीं है और हाथी खरीदने की इच्छा रखते हैं।

(ग) मानो तथा सुकिया मज़दूर थे। वे ठेकेदार द्वारा दी गई झुगियों में रहती थे। मानो के मन में अपना घर बनाने का सपना जन्म लेने लगा था। वह अपने लिए एक पक्का घर चाहती थी। अपने घर में वह अपनी गृहस्थी को आगे बढ़ाना चाहती थी तथा अपने बच्चों के लिए छत चाहती थी।

योग्यता-विस्तार

Question 1: अपने आसपास के क्षेत्र में जाकर ईंटों के भट्ठे को देखिए तथा ईंटें बनाने एवं उन्हें पकाने की प्रकिया का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

Answer:सबसे पहले गीली मिट्टी की सहायता से ईटें बनाई तथा सुखाई जाती हैं। जब यह सुख जाती हैं, तो इन्हें ताप में पकाने के लिए हर थोड़ी दूरी पर कच्ची ईंट के समूह को पंक्ति में लगाया जाता है। एक आयताकार स्थान पर फर्श एक या दो फुट गहरा खोदा जाता है। उसके ऊपर जमीन को पाट दिया जाता है। उसके नीचे लकड़ी, कोयले, फूस तथा ज्वलनशील पदार्थ से आग लगा दी जाती है। इसके ऊपर ही सुखाई गई ईटों को छह-सात पंक्तियों में रख दिया जाता है। इसके बाद इन्हें इस प्रकार जोड़ा जाता है कि वह चारों तरफ से दीवार के समान हो जाती हैं। उनके ऊपर गीली मिट्टी का लेप लगा दिया जाता है। इस प्रकार ऊष्मा के बाहर जाने का रास्ता बंद कर दिया जाता है। आखिर में ज्वलनशील पदार्थ में आग लगा दी जाती है। इन ईंटों के पकने में कम से कम छह सप्ताह का समय लगता है। इसके बाद इन्हें ठंडा किया जाता है। ठंडा करने का समय भी ईंटों के पकने के समय के बराबर ही होता है।

Question 2: भट्ठा-मज़दूरों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार कीजिए।

Answer:प्राप्त सूत्रों के अनुसार भट्ठा-मज़दूरों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति बहुत कमज़ोर होती है। वे ठेकेदार द्वारा दी गई झुग्गियों में रहते हैं। उन्हें प्रतिदिन की दिहाड़ी पर रखा जाता है। औसतन यह दिहानी 350 से लेकर 400 रुपए प्रतिमाह होती है। उनका शोषण किया जाता है और उन्हें 12 घंटे काम करने के बाद भी 12 रुपए प्रतिदिन से लेकर 100 रुपए तक ही मिल पाता है। कह सकते हैं कि उन्हें काम के अनुसार दिहाड़ी नहीं दी जाती है। तमिलनाडू में 30 मई 2016 में छपे समाचार के बाद पता चला कि कई मज़दूरों को तो बंधूआ मज़दूर बनाकर रखा गया था। उन्हें अलग-अलग शहरों से वादे करके लाया गया और बाद में भट्ठा मालिक अपने वादे से हट गया। स्वयंसेवी संस्था तथा सरकार के प्रयास से इन्हें छुड़वाया गया इसमें अधिकतर 15 साल से कम उम्र के बच्चे थे। इससे पता चलता है कि भट्ठे में काम करने वालों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति बहुत बुरी होती सकती है।

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