Revision Notes for Class 6 Geography

The Geography Class 6 Notes are the most crucial and reliable source of study material for students willing to have an in-depth knowledge of the subject. These notes act as a guide for the students and help them in securing better grades. The Class 6 Geography Notes are prepared as per the Class 6 CBSE syllabus and cover all the chapters included in the subject. These notes give a complete insight into all the chapters and explain everything in detail to the students. The notes have all the questions with answers for the students and being prepared by the most experienced teachers, ensures them to be error-free and of better quality.

Chapter 1 The Earth in the Solar System Class 6 Notes

Chapter 2 Globe: Latitudes and Longitudes Class 6 Notes

Chapter 3 Motions of the Earth Class 6 Notes

Chapter 4 Maps Class 6 Notes

Chapter 5 Major Domains of the Earth Class 6 Notes

Chapter 6 Major Landforms of the Earth Class 6 Notes

Chapter 7 Our Country – India Class 6 Notes

Chapter 8 India: Climate, Vegetation and Wildlife Class 6 Notes

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Revision Notes for Class 6 Civics

Class 6 is the year that sets the foundation for future higher classes. Hence, it is crucial for students to understand the subject thoroughly. One of the best ways to comprehend all the concepts of the entire chapters of the subject is to refer to the chapter-wise CBSE Class 6 Civics Notes. Civics is also the main sub-subject of Social Science. Hence, scoring well in this will ensure that the marks for Social Science are good.

Chapter 1 Understanding Diversity Class 6 Notes

Chapter 2 Diversity and Discrimination Class 6 Notes

Chapter 3 What is Government Class 6 Notes

Chapter 4 Key Elements of a Democratic Government Class 6 Notes

Chapter 5 Panchayati Raj Class 6 Notes

Chapter 6 Rural Administration Class 6 Notes

Chapter 7 Urban Administration Class 6 Notes

Chapter 8 Rural Livelihoods Class 6 Notes

Chapter 9 Urban Livelihoods Class 6 Notes

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Revision Notes for Class 6 History

You might think history is something which might look too difficult for young minds who are in class 6th? But no, history at the class 6th is amazing. You will read about so many different historical aspects that you will feel you are not even learning history. From finding how people in the stone age were able to hunt for food and cook it to history about small villages to thriving towns, these 11 chapters have everything that a student needs to light up their interest in history.

Each chapter is unique and will showcase the different perspectives of history and human civilization. Given below, we have provided a brief introduction to each chapter to see which ones interest you the most. The class 6 history notes are present on our website and the other important chapters, which we have mentioned below. 

Chapter 1 What Where, How and When Class 6 Notes

Chapter 2 From Hunting-Gathering to Growing Food Class 6 Notes

Chapter 3 In the Earliest Cities Class 6 Notes

Chapter 4 What Books and Burials Tell Us Class 6 Notes

Chapter 5 Kingdoms, Kings and an Early Republic Class 6 Notes

Chapter 6 New Questions and Ideas Class 6 Notes

Chapter 7 Ashoka, The Emperor who Gave up War Class 6 Notes

Chapter 8 Vital Villages, Thriving Towns Class 6 Notes

Chapter 9 Traders, Kings and Pilgrims Class 6 Notes

Chapter 10 New Empires and Kingdoms Class 6 Notes

Chapter 11 Buildings, Paintings and Books Class 6 Notes

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Chapter 12 राम का राज्याभिषेक Class 6 Summary Notes for Class 6 Hindi Bal Ramkatha

राम का राज्याभिषेक सार NCERT Class 6th Hindi

पाठ का सार

लंका विजय के बाद विभीषण चाहते थे कि राम कुछ दिन लंका में ही रुक जाएं क्योंकि राम ने लंका देखी नहीं थी। परंतु राम वहां जरा सा भी समय नष्ट नहीं करना चाहते थे क्योंकि उनके वनवास की अवधि पूरी हो चुकी थी और भरत ने प्रतिज्ञा की थी कि अगर राम विलंब से लौटे तो वह अपने प्राण त्याग देंगे। इसके बाद सभी विभीषण द्वारा दिए गए पुष्पक विमान में बैठकर लंका के लिए उत्तर दिशा की ओर निकल पड़े। विमान के उड़ जाने के बाद वानर सेना भी किष्किंधा की ओर चल पड़ी । विमान में राम सीता के साथ बैठे थे और मार्ग में आने वाले प्रमुख स्थानों का विवरण कर रहे थे। पहले रणभूमि और उसके बाद नल नील द्वारा बनाया गया सेतुबंध, उसके बाद किष्किंधा भी रास्ते में ही था। विमान किष्किंधा उतरा, सुग्रीव की रानियों तारा और रूपा को लेने।

उसके बाद ऋषि मुख पर्वत और उसके बाद पंपा सरोवर को पार करने के बाद उनकी बनाई गई पर्णकुटी जो पंचवटी में पडती थी जो गोदावरी नदी के किनारे पर थी। उसके बाद गंगा यमुना के संगम पर ऋषि भारद्वाज का आश्रम था वहां विमान उतारा गया और रात वंही व्यतीत की गई। वहां से उन्होंने हनुमान को संदेश देकर भरत के पास भेजा। भरत राम के आगमन की सूचना सुनकर बहुत प्रसन्न हुए। सारे नगर को सजाया गया और राम के आगमन की भव्य तैयारियां शुरू कर दी गई। उसके बाद अगली सुबह जब राम ने वहां से प्रस्थान किया तो उनका विमान नंदीग्राम उतरा जहां पर भरत उनका इंतजार कर रहा था। उसके बाद राम ने पुष्पक विमान को वापस कुबेर के पास भेज दिया जिसको रावण ने बलपूर्वक छीन लिया था। उसके बाद सभी राज महल पहुंचे जहां पर मुनि वशिष्ट ने अगले दिन राम का राज्याभिषेक किया। राम के द्वारा सभी को उपहार दिए गए उसके बाद विभीषण और सुग्रीव अपने-अपने राज्य को लौट गए परंतु हनुमान राम के साथ अयोध्या में ही रुक गए। राम ने लंबे समय तक अयोध्या पर राज किया। उनके राज में सब सुखी थे और किसी में कोई भेदभाव नहीं था।

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Chapter 11 लंका विजय Summary Notes for Class 6 Hindi Bal Ramkatha

लंका विजय सार NCERT Class 6th Hindi

लंका पर आक्रमण करने के लिए वानरसेना किष्किंधा से दहाड़ती, गरजती किलकारियाँ भरती रवाना हुई। समुद्र के किनारे महेंद्र पर्वत पर आकर सेना ने डेरा डाला। सेना का नेतृत्त्व नल कर रहे थे। सुग्रीव के सेनापति जामवंत व हनुमान सबसे पीछे थे। राम की शक्तियों को लेकर राक्षसों के मन में डर बैठ गया था। राक्षसों को हताशा देखकर विभीषण ने रावण को जाकर समझाया कि वह राम को सीता लौटा दे क्योंकि हताश सेना युद्ध नहीं कर सकती। रावण को इस बात पर क्रोध आ गया और उसने विभीषण को अपना शत्रु बताकर लंका से निकल जाने के लिए कहा।

लंका विजय सार NCERT Class 6th Hindi

विभीषण उसी रात लंका से निकल गए। वे अपने चार सेवकों के साथ समुद्र पार कर राम के शिविर में पहुंच गए और सुग्रीव से कहा कि वे लंका के राजा रावण के छोटे भाई विभीषण हैं और श्री राम की शरण में आए हैं। सुग्रीव विभीषण को राम के पास ले गए। राम ने उनका स्वागत-सत्कार किया। विभीषण ने राम को रावण, लंका और उसकी सेना की जानकारी दी। राम ने उन्हें लंका की राजगद्दी देने का आश्वासन दिया|

राम की सेना के सामने एक बड़ी चुनौती समुद्र थी। समुद्र के कहने पर नल ने समुद्र पर पाँच दिन में पुल बना दिया जिसके द्वारा सारी वानर-सेना समुद्र पार कर लंका के किनारे पहुँच गई। यह खबर सुनकर रावण ने भी अपने सैनिकों को तैयार रहने के आदेश दे दिए|

राम ने अपनी सेना को चार भागों में बाँट कर लंका को घेरने का आदेश दिया| राम ने अंगद को भेजकर सुलह करने का अंतिम प्रयास करने की कोशिश की परन्तु रावण ने इसे ठुकरा दिया|

भयानक युद्ध हुआ। दोनों ओर से अनेक वीर योद्धा मारे गए। मेघनाद ने रावण की ओर से मोर्चा संभाला| उसके बाण से राम और लक्ष्मण मूर्च्छित होकर गिर गए| मेघनाद ने उन्हें मृत समझा और रावण को सूचना देने महल की ओर दौड़ गया। विभीषण के उपचार से राम-लक्ष्मण की मूर्च्छा दूर हो गई।

रावण की सेना के अनेक महाबली मारे गए| ये सुनकर रावण ने कमान संभाल ली| राम के बाणों ने उसका मुकुट धरती पर गिरा दिया| उसने लौटकर कुम्भकर्ण को जगाया| उसे देखकर वानर सेना में खलबली मच गयी| उसने हनुमान और अंगद को घायल कर दिया| राम और लक्ष्मण ने बाणों की वर्षा से कुम्भकर्ण को मार दिया| रावण निराश हो गया|

मेघनाद ने रावण को संभाला| मेघनाद और लक्ष्मण के बीच भीषण युद्ध हुआ| अंत में लक्ष्मण ने महल में मेघनाद को मार गिराया| अकेला बचा रावण युद्ध के लिए निकला विभीषण को राम की सेना में देख रावण उबल पड़ा। उसने विभीषण पर निशाना लगाया। लक्ष्मण ने बाण बीच में ही काट दिया। दूसरा चलाया तो लक्ष्मण बीच में आ गए जिससे वे अचेत हो गए। वैद्य सुषेण को बुलाया गया। हनुमान संजीवनी बूटी लाए। सुग्रीव ने लक्ष्मण के स्वस्थ होने की सूचना राम तक पहुँचाई।

राम-रावण युद्ध भयानक था। रावण का एक बाण राम को लगा उनके रथ की ध्वजा कटकर गिर पड़ी। राम ने प्रहार किया। बाण रावण के मस्तक में लगा। रक्त की धारा बह निकली। रावण के हाथ से धनुष छूट गया। वह पृथ्वी पर गिर पड़ा। मारा गया। बची हई राक्षस सेना जान बचाकर भागी। रणक्षेत्र में केवल विभीषण दु:खी था।राम ने विभीषण को समझाया| विभीषण को लंका का राजा बनाया गया|  सीता को अशोक वाटिका से लाया गया। सीता आई तो सबको अपनी कल्पनाओं से ऊपर सुन्दर सौम्य लगी।

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Chapter 10 लंका में हनुमान Summary Notes for Class 6 Hindi Bal Ramkatha

जैसा कि हम सब जानते हैं कि रामायण में सीता जी को जल करके रावण अपने लंका में ले गया था जहां पर ने स्थान में सीता जी दुष्ट, अहंकारी रावण से सिर्फ नफ़रत करती थी और थोड़ा सहम भी जाती थी। वहीं रावण ने सीता जी को आश्वासन दिया था कि उनकी मर्जी के बिना वह सीता जी को स्पर्श भी नहीं करेगा। रावण सीता जी को अपनी रानी बनाना चाहता था मगर सीता जी केवल दशरथ पुत्र राम को ही अपना सर्वस्व मानती थी।

सीता जी ने रावण को फटकार लगाया और उसे डांटकर कहा कि अगर तुम मुझे मेरे राम के पास छोड़कर उनसे माफी मांग लोगे तो वह तुमको माफ़ कर देंगे और तुम ऐसा नहीं करोगे तो तुम ही पछताओगे। रावण क्रोधित होकर वहां से चला जाता है।

रावण के लंका कि राक्षसनी सब मिलकर सीता को प्रतारित करती है और उनको रावण का प्रस्ताव स्वीकार करने को कहती हैं। मगर सब नाकामयाब होती है। तभी वहां हनुमानजी प्रवेश करते हैं एक वानर के रूप में। कहीं सीता जी उनको रावण का कोई अनुचर न समझे इसलिए सीता जी के सामने हनुमान जी एक वानर बनकर पहले पेड़ पर राम जी का गुणगान करते हैं ताकि सीता जी डरे नहीं और ऐसा ही हुआ वानर को राम के अनुचर समझकर राम के संदेश को स्वीकार करती है।

हनुमान जी सीता माता को अपने कांधे पर बिठाकर राम जी के पास ले जाना चाहते थे मगर सीता माता ने कहा दिया कि यह ग़लत है वह नहीं चाहती थी कि कोई गड़बड़ी हो और संदेश का आदान-प्रदान बंद हो इसलिए वह साथ चलने से इंकार करती है।

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Chapter 9 राम और सुग्रीव Summary Notes for Class 6 Hindi Bal Ramkatha

दोनों राजकुमार ऋष्यमूक पर्वत पहुंचे। सुग्रीव किष्किंधा वनराज के छोटे पुत्र थे। पिता की मृत्यु के बाद बड़े भाई बाली राजा बने। राजकाज की कोई बात पर लड़ाई होने से बाली सुग्रीव की हत्या पर आ गए। सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर निवास कर रहे थे ,एक दिन उन्हें दो युवक आते दिखे, लगा ये बाली के गुप्तचर हैं। उनके मुख्य साथी हनुमान इससे असहमत होकर, भेष बदल कर वहाँ पहुंचे और उसने उनका परिचय पूछा। लक्ष्मण ने आने का कारण बताया। हनुमान समझ गए कि वे एक दूसरे के मित्र हो सकते हैं इसलिए उन्हें अपने कंधे पर बैठा कर शिखर पर ले गए। अग्नि को साक्षी मानकर राम-लक्ष्मण सुग्रीव के मित्र बने। राम ने उन्हें सीता के हरण के बारे में बताया। उन्होंने वानरों द्वारा लाई गहनों की पोटली राम को दी। वे सीता के गहने पहचान गए। सुग्रीव ने अपनी व्यथा सुनाई। राम ने उन्हें चिंता न करने को कहा। सुग्रीव को राम के आश्वासन पर भरोसा नहीं था। उन्होंने बताया कि बाली एक बार में सात शाल के पेड़ गिरा देता है।

राम चुप रहे और एक ही बाण से सात विशाल शाल के वृक्ष काट दिए। राम ने सुग्रीव को बाली को युद्ध के लिए ललकारने को कहा और बताया की उसकी मृत्यु उनके बाण से ही होगी। राम पेड़ के पीछे खड़े रहकर भी बाण नहीं चला पाए। सुग्रीव वहाँ से भागकर आये और राम पर क्रोधित होकर राम से सहायता न करने का कारण पुछा। राम ने समझाया की दोनों भाई एक जैसे लग रहे थे इसलिए वो बाण नहीं चला पाए। उन्होंने सुग्रीव को दोबारा युद्ध पर भेजा और इस बार बाली को बाण से मार दिया। सुग्रीव का राज्याभिषेक किया गया। सुग्रीव की सेना को चार भाग में बाँटा। दक्षिण दिशा में जाने वाले दल के नेता अंगद थे। हनुमान को राम ने अपनी अंगूठी देकर कहा कि सीता के मिलने पर उन्हें वो ये दिखा दे। दक्षिण जा कर पता चला आगे भूमि नहीं जल है। तभी जटायु के भाई संपाति ने बताया की सीता लंका में हैं और वहाँ जाने का एकमात्र रास्ता यही है। जामवंत ने पवनपुत्र हनुमान को कहा कि ये कार्य वही कर सकते हैं।

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Chapter 8 सीता की खोज summary Notes for Class 6 Hindi Bal Ramkatha

सीता की खोज सार NCERT Class 6th Hindi

मायाजाल से सोने का हिरण बने मारीच को मारने के बाद राम संदेह से भरे कुटिया की ओर भागे चले जा रहे थे कि कहीं लक्ष्मण सीता को कुटिया में अकेला छोड़कर न आ जाए। उन्हें पगडंडी से लक्ष्मण आते दिखे| वे लक्ष्मण से गुस्सा थे। लक्ष्मण ने उन्हें कहा कि मुझे पता था कि आप सकुशल होंगे परंतु देवी सीता के कटु वचन और उलाहना सुनकर मुझे कुटिया छोड़कर आना पड़ा है। राम को लक्ष्मण का उनकी आज्ञा का उल्लंघन करना उचित नहीं लगा|

दोनों जल्दी कुटिया की ओर चल पड़े| जब कुटिया दिखाई पड़ने लगी तो राम ने सीता को पुकारा कि वह कहाँ है? आवाज़ नहीं आई| सीता कुटिया में नहीं थीं| राम ने सीता को हर सम्भव स्थान पर ढूंढा और पूछताछ की| लक्ष्मण राम के निकट गए और बोले कि आप आदर्श पुरुष हैं। आप को धैर्य रखना चाहिए। तब राम शांत हुए। ;इसी बीच हिरणों का झुंड राम-लक्ष्मण के निकट आ गया। राम ने हिरणों से सीता के बारे में पूछा। हिरणों ने सिर उठाकर आसमान की ओर देखा और दक्षिण की ओर भाग गये। राम ने इसे संकेत मान सीता की खोज में दक्षिण की ओर बढ़े|

दक्षिण दिशा में आगे बढ़ने पर उन्हें गिद्धराज जटायु घायल हालत में मिले और अपनी अंतिम साँसें ले रहे थे| उन्होंने राम को बताया कि रावण सीता को उठा कर दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर ले गया है। उन्होंने संघर्ष करके उसे रोकना चाहा परंतु रोक न सके। इतना कहकर जटायु ने अपने प्राण त्याग दिए। राम जटायु का अन्तिम संस्कार कर आगे बढ़े तब उन्हें कबंध राक्षस मिला। उसके द्वारा आक्रमण करने पर राम-लक्ष्मण ने तलवार का वार करके उसके हाथ काट दिए। तब उसने राम-लक्ष्मण के बारे में जानकर अपनी इच्छा प्रकट की कि राम उसका अन्तिम संस्कार करें। कबंध ने उन्हें बताया कि ऋष्यमूक पर्वत पर वानरराज सुग्रीव रहता है। वह वहाँ निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहा है। उसने यह भी बताया कि सुग्रीव के पास वानरों की सेना है। वे अवश्य सीता को खोज निकालेंगे। उसने उन्हें वहाँ जाने से पहले मतंग ऋषि के आश्रम में रहने वाली शबरी से मिलने के लिए भी कहा। उसने प्राण त्याग दिया और राम ने वचनुसार उसका अंतिम संस्कार खुद किया| वहाँ से वे दोनों शबरी से जाकर मिले। शबरी ने भी उन्हें सुग्रीव की सहायता से सीता की खोज करने के लिए कहा। शबरी से मिलकर वे ऋष्यमूक पर्वत की ओर चल पड़े।

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Chapter 7 सोने का हिरन Notes for Class 6 Hindi Bal Ramkatha

सोने का हिरण सार NCERT Class 6th Hindi

सोने का हिरण राम को कुटिया से बहुत दूर ले आया। राम ने उसे जीवित पकड़ने का विचार छोड़कर उसे बाण से मार दिया। राम ने उसका पीछा करते हुए उस पर निशाना साधा। बाण लगते ही वह अपने असली रूप में आ गया और चिल्लाकर बोला—”हा सीते! हा लक्ष्मण!” और वह थोड़ी देर में मर गया। राम को समझते देर न लगी कि क्यों हिरण उन्हें जानबूझ कर कुटिया से दूर ले आया था। वे तेज कदमों से कुटिया की ओर चल दिए।

रावण अपनी चाल की सफलता पर प्रसन्न था कि वह अब सीता का हरण कर सकेगा और सीता हरण के साथ ही राम निशक्त हो जाएँगे। सीता और लक्ष्मण ने मायावी हिरण की पुकार सुन ली थी। लक्ष्मण समझ गए कि यह कोई चाल है परंतु सीता घबरा गई और उसने लक्ष्मण को भाई की सहायता के लिए जाने के लिए कहा। लक्ष्मण ने सीता को समझाना चाहा कि यह राक्षसों की चाल है| परन्तु सीता लक्ष्मण को बुरा-भला कहने लगीं। लक्ष्मण सीता की इन बातों को सिर झुका कर सुनते रहें। सीता का क्रोध और बढ़ गया तथा वह अपने प्राण देने के लिए तैयार हो गई। तव लक्ष्मण राम की आज्ञा का उल्लंघन कर सीता को प्रणाम कर राम की खोज में चल पड़े। 

लक्ष्मण के जाते ही रावण साधु का वेश रखकर आ पहुँचा। उसने छल-कपट से सीता का हरण कर लिया। सीता स्वयं को असहाय पाकर विलाप करने लगी। रावण का रथ लंका की ओर बढ़ चला। मार्ग में वे पशुओं, पक्षियों, पर्वतों को कहती जा रही थीं कि कोई राम को बता दे कि रावण ने उनका हरण कर लिया है । जटायु ने सीता का विलाप सुनकर रथ को क्षत-विक्षत कर दिया व रावण को घायल भी कर दिया। क्रोध में रावण ने जटायु के पंख काट दिए। सीता ने अपने आभूषण उतारकर फेंकना प्रारम्भ कर दिया ताकि उनके मार्ग का पता चल सके| 

रावण सीता को सीधे अपने महल में ले गया। सीता को राक्षसियों की निगरानी में छोड़कर उसने कहा कि मैं तुम्हें एक वर्ष का समय देता हूँ। निर्णय कर लो कि मेरी रानी बनोगी या सारा जीवन रोती रहोगी। सीता राम का गुणगान करती रही। राम की प्रशंसा सुनकर तथा खर-दूषण की मृत्यु को स्मरण कर रावण को लगा कि राम अवश्य ही शक्तिशाली होगा। राम की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उसने अपने आठ बलिष्ठ राक्षसों को पंचवटी भेज दिया। रावण ने सीता को अशोकवाटिका में बंदी बना लिया। सीता बार-बार राम का नाम लेकर डरी-सहमी रो-रो कर दिन काट रही थीं।

शब्दार्थ –

• छकाया – तंग करना 

• प्राण-पखेरू उड़ना – मर जाना 

• निशक्त – कमज़ोर

• चौकसी – होशियारी 

• कलुषित – अपवित्र 

• हृदय छलनी होना – बहुत दुखी होना

• सुमुखी – सुंदर मुख वाली 

• लंकाधिपति – लंका का राजा रावण 

• सर्वनाश – सब कुछ नष्ट होना 

• क्षत-विक्षत – घावों से भरा

• अंतःपुर – महल में स्त्रियों के रहने का स्थान 

• अर्थहीन – बेकार 

• बलिष्ठ – बलवान

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Chapter 6 दंडक वन में दस वर्ष Notes for Class 6 Hindi Bal Ramkatha

भरत के अयोध्या लौट जाने के बाद चित्रकूट में शांति लौट आई थी। अयोध्या के पास होने से लोगों का आना–जाना बना रहता था। तीनों वनवासी दंडक वन की और चल पड़े। यहाँ अनेक आश्रम थे परंतु दानव मुनियों को परेशान करते थे। राम, लक्ष्मण और सीता दंडकारण्य में स्थान और आश्रम बदल कर दस वर्ष रहे। एक बार उन्हें क्षरभंग के आश्रम में हड्डियों का ढेर दिखा। सुतीक्षण मुनि ने राम को दानवों के अत्याचार के बारे में बताया और उन्हें अगस्त्य ऋषि से मिलने की सलाह दी। गोदावरी नदी के तट पर पंचवटी जाते हुए उन्हें मार्ग में जटायु मिले। पंचवटी में सुंदर कुटिया बना कर वे रह रहे थे और वन में दानवों का वध भी कर रहे थे। एक दिन जब तीनों कुटी के बाहर बैठे थे तब लंका के राजा रावण की बहन शूर्पणखा सुंदर स्त्री के रूप आ कर राम और लक्ष्मण से विवाह का आग्रह करने लगी। कुछ समय बाद जब दोनों भाइयों ने विवाह के प्रस्ताव को ठुकरा दिया तो सीता को इसका कारण बताकर वो क्रोध में आकर सीता पर झपट गई।

लक्ष्मण ने क्रोध में शूर्पणखा के नाक–कान काट दिए। खून से लथपथ शूर्पणखा अपने भाई खर और दूषण के पास गई। उन्होंने क्रोध में आकर 14 राक्षस भेजे, उनके मारे जाने पर स्वयं सेना लेकर गए और मारे गए। अकंपन नामक राक्षस ने यह घटना रावण को बता कर सीता का अपहरण करने की सलाह दी। रावण को अपहरण करते जाने वक्त मारीच मिला ,वह उसे वापिस महल ले आया। शूर्पणखा ने रावण को उकसाकर फिर पंचवटी भेजा। मारीच एक मायावी हिरण का रूप धारण कर कुटिया के पास घूमने लगा। रावण तपस्वी के भेष में पेड़ के पीछे छुप गया। हिरण पर मुग्ध होकर सीता ने राम को उसे लाने को कहा। राम और लक्ष्मण को सोने के हिरण पर संदेह था परंतु सीता के आग्रह को वे मना न कर सके और लक्ष्मण को सीता की रक्षा करने का आदेश देकर राम हिरण लाने के लिए चले गए।

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