Chapter 17 बाज और साँप ncert solution hindi | class8th

NCERT Solutions for Class 8th: पाठ 17 – बाज और साँप हिंदी वसंत- III

पृष्ठ संख्या: 114

प्रश्न अभ्यास

कहानी से

1. घायल होने के बाद भी बाज ने यह क्यों कहा, “मुझे कोई शिकायत नहीं है?” विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर 

घायल होने के बाद भी बाज ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उसने अपनी ज़िंदगी को भरपूर भोगा। वह असीम आकाश में जी भरकर उड़ान भर चुका था। जब तक उसके शरीर में ताकत रही तब तक ऐसा कोई सुख नहीं बचा जिसे उसने न भोगा हो। वह अपने जीवन से पूर्णतः संतुष्ट था।

2. बाज ज़िंदगी भर आकाश में ही उड़ता रहा, फिर घायल होने के बाद भी वह उड़ना क्यों चाहता था ?

उत्तर

बाज ज़िंदगी भर आकाश में उड़ता रहा, उसने आकाश की असीम ऊँचाइयों को अपने पंखों से नापा। बाज साहसी था। अतः कायर की मौत नहीं मरना चाहता था। वह अंतिम क्षण तक संघर्ष करना चाहता था। वह मरने से पहले अंतिम बार आकाश में उड़ लेना चाहता था। अतः उसने इसके लिए एक अंतिम प्रयास किया भले ही वह असफल हो गया। एक और कारण यह भी है कि साँप के गुफा से भयानक दुर्गंध आ रहा था जिससे उसका दम घुट रहा था।

3. साँप उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता था। फिर भी उसने उड़ने की कोशिश क्यों की ?

उत्तर

साँप उड़ने कि इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता था। उसके लिए उड़ान और रेंगने में कोई अंतर न था। पर जब उसने बाज के मन में आकाश में उड़ने के लिए तड़प देखी तब साँप को भी लगा कि इस आकाश के रहस्य का पता लगाना ही चाहिए। तब उसने भी आकाश में एक बार उड़ने की कोशिश करने का निश्चय किया।

4. बाज के लिए लहरों ने गीत क्यों गाया था ?

उत्तर

बाज के साहसी, वीरता, एवं स्वतंत्रता-प्रिय रूप को सम्मान देने के लिए लहरों ने गीत गाया था। वह साहसी और बहादूर था। उसने अपने प्राण गँवा दिए परन्तु ज़िंदगी के खतरे का सामना करने से पीछे नहीं हटा।

5. घायल बाज को देखकर साँप खुश क्यों हुआ होगा ?

उत्तर

साँप का शत्रु बाज है चूँकि वो उसका आहार होता है इसलिए घायल बाज को देखकर साँप के लिए खुश होना स्वाभाविक था।

कहानी से आगे

4. मानव ने भी हमेशा पक्षियों की तरह उड़ने की इच्छा मन में रखी है। मनुष्य की इस इच्छा का परिणाम क्या हुआ ? आज मनुष्य उड़ने की इच्छा किन साधनों से पूरी करता है ?

उत्तर

मानव ने भी पक्षियों की तरह उड़ने की इच्छा अपने मन में सँजो कर रखी है। जिसका परिणाम यह हुआ कि मनुष्य हवाई जहाज का आविष्कार कर दिखाया। आज मनुष्य अपने उड़ने की इच्छा की पूर्ति हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर, गैस-बैलून आदि से करता है।

पृष्ठ संख्या: 115

भाषा की बात

1. कहानी में से अपनी पसंद के पाँच मुहावरे चुनकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

उत्तर

(1) भाँप लेना –दादाजी की गिरती साँसें देखकर माता जी ने स्थिति भाँप ली व तुरन्त डाक्टर को बुलवा लिया।
(2) हिम्मत बाँधना –पुलिस के आने पर ही घर के लोगों की हिम्मत बँधी।
(3) अंतिम साँस गिनना –रोगी अस्पताल के बिस्तर पर अंतिम साँसें गिन रहा है।
(4) मन में आशा जागना-किशन की वीरतापूर्ण बातों ने मेरे मन में आशा जगा दी।
(5) प्राण हथेली में रखना-गौरव ने प्रथा की जान बचाने के लिए अपने प्राणों को हथेली में रख दिया।

2. ‘आरामदेह ‘ शब्द में ‘देह’ प्रत्यय है। ‘देह’ ‘देनेवाला’ के अर्थ में प्रयुक्त होता है। देने वाला के अर्थ में ‘द’, ‘पद’, ‘दाता’, ‘दाई’, आदि का प्रयोग भी होता है, जैसे- सुखद, सुखदाता, सुखदाई, सुखप्रद। उपर्युक्त समानार्थी प्रत्ययों को लेकर दो-दो शब्द बनाइए।

उत्तर

प्रत्ययशब्द
द-सुखद, दुखद
दाता-परामर्शदाता, सुखदाता
दाई-सुखदाई, दुखदाई
देह-विश्रामदेह, लाभदेह, आरामदेह
प्रद-लाभप्रद, हानिप्रद, शिक्षाप्रद
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Chapter 16 पानी की कहानी ncert solution hindi | class 8th

NCERT Solutions for Class 8th: पाठ 16 – पानी की कहानी हिंदी वसंत भाग-III

पृष्ठ संख्या: 103

प्रश्न अभ्यास

पाठ से

1. लेखक को ओस की बूँद कहाँ मिली ?

उत्तर

लेखक को बेर की झाड़ी पर ओस की बूँद मिली। जब लेखक झाड़ी के नीचे से गुजर रहा था तो ओस की बूँद उसके कलाई पर गिरी और सरककर हथेली पर आ गई।

2. ओस की बूँद क्रोध और घृणा से क्यों काँप उठी?

उत्तर

पेड़ों द्वारा जल की बूँदों को बलपूर्वक धरती के भूगर्भ से खींच लाना व उनको खा जाना, अर्थात् पौधें ज़मीन से जल प्राप्त कर स्वंय के लिए पानी का प्रबंध करते हैं व कुछ को पृथ्वी के भूगर्भ से बाहर निकाल कर पृथ्वी पर ओस के रूप में ले आते हैं। जिसे याद करते ही बूँद क्रोध व घृणा से काँपने उठी।

3. हाईड्रोजन और ऑक्सीजन को पानी ने अपना पूर्वज/पुरखा क्यों कहा?

उत्तर

जब ब्रह्मांड में पृथ्वी व उसके साथी ग्रहों का उद्भव भी नहीं हुआ था तब ब्रह्मांड में हाईड्रोजन व ऑक्सीजन दो गैसें सूर्यमंडल में लपटों के रूप में विद्यमान थीं। किसी उल्कापिंड के सूर्य से टकराने से सूर्य के टूकड़े हो गए उन्हीं टूकड़ों में से एक टुकड़ा पृथ्वी रूप में उत्पन्न हुआ और इसी ग्रह में ऑक्सीजन व हाइड्रोजन के बीच रासायनिक क्रिया हुई। इन्होंने आपस में मिलकर अपना प्रत्यक्ष अस्तित्व गँवा कर पानी को जन्म दिया। इसिलए बूँद ने इन दोनों को अपना पूर्वज कहा है।

4. “पानी की कहानी” के आधार पर पानी के जन्म और जीवन-यात्रा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर

पानी का जन्म हाइड्रोजन व ऑक्सीजन के बीच रासायनिक प्रक्रिया द्वारा होता है। ये दोनों आपस में मिलकर अपना आस्तित्व समाप्त कर जल के रूप में विद्यमान हो जाते हैं। सर्वप्रथम बूंद भाप के रूप में पृथ्वी के वातावरण में ईद-गिर्द घूमती रहती है, तद् पश्चात् ठोस बर्फ के रूप में विद्यमान हो जाती है। समुद्र से होती हुई वह गर्म-धारा से मिलकर ठोस रूप को त्यागकर जल का रूप धारण कर लेती है।

5. कहानी के अंत और आरंभ के हिस्से को स्वंय पढ़कर देखिए और बताइए कि ओस की बूँद लेखक को आपबीती सुनाते हुए किसकी प्रतीक्षा कर रही थी?

उत्तर

ओस की बूँद सूर्य उदय की प्रतीक्षा कर रही थी।

पृष्ठ संख्या: 104

भाषा की बात

1. किसी भी क्रिया को संपन्न अथवा पूरा करने में जो भी संज्ञा आदि शब्द संलग्न होते हैं, वे अपनी अलग-अलग भूमिकाओं के अनुसार अलग-अलग कारकों में वाक्य में दिखाई पड़ते हैं; जैसे-“ वह हाथों से शिकार को जकड़ लेती थी।” जकड़ना क्रिया तभी संपन्न हो पाएगी जब कोई व्यक्ति (वह) जकड़नेवाला हो, कोई वस्तु (शिकार) हो जिसे जकड़ा जाए। इन भूमिकाओं की प्रकृति अलग-अलग है। व्याकरण में ये भूमिकाएँ कारकों के अलग-अलग भेदों;
जैसे- कर्ता, कर्म, करण आदि से स्पष्ट होती हैं।
अपनी पाठ्यपुस्तक से इस प्रकार के पाँच और उदाहरण खोजकर लिखिए और उन्हें भलीभाँति परिभाषित कीजिए।

उत्तर

(1) मैं प्रति क्षण उसमें से निकल भागने की चेष्टा में लगी रहती थी।
(2) आगे एक और बूँद मेरा हाथ पकड़कर ऊपर खींच रही थी।
(3) हम बड़ी तेजी से बाहर फेंक दिए गए।
(4) वह चाकू से फल काटकर खाता है।
(5) बदलू लाख से चूड़ियाँ बनाता है।
(1)मैं – कर्त्ता
(2) पकड़कर – सबंध कारक
(3) तेज़ी से – अपादान कारक
(4) चाकू से – करण कारक
(5) लाख से – करण कारक

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Chapter 15 सूर के पद ncert solution hindi | class 8th

NCERT Solutions for Class 8th: पाठ 15 – सूरदास के पद हिंदी वसंत भाग- III

पृष्ठ संख्या: 93

प्रश्न अभ्यास

पदों से

1. बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए?

उत्तर

बालक श्रीकृष्ण अपनी चोटी बलराम जी की चोटी की तरह मोटी और बड़ी करना चाहते थे इस लोभ के कारण वे दूध पीने के लिए तैयार हुए चूँकि उनकी माता यशोदा बताया की दूध पीने से उनकी चोटी बलराम भैया की तरह हो जाएगी।

2. श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में क्या-क्या सोच रहे थे?

उत्तर

श्रीकृष्ण बलराम भैया की तरह लम्बी, मोटी चोटी चाहते हैं। उनके अनुसार नहाते वक्त जैसे बलराम भैया की चोटी नागिन जैसी लहराती है वह भी उसी प्रकार की चोटी चाहते हैं और इसी विषय में सोचा करते हैं।

3. दूध की तुलना में श्रीकृष्ण कौन-से खाद्य पदार्थ को अधिक पसंद करते हैं?

उत्तर

दूध की तुलना में श्रीकृष्ण को माखन-रोटी अधिक प्रिय है।

4. ‘तैं ही पूत अनोखौ जायौ’- पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं?

उत्तर

https://90a01cf5df571b967e1fec155db2d2c0.safeframe.usercontent.goog/safeframe/1-0-39/html/container.html

यहाँ पर ग्वालन के हृदय में यशोदा के लिए ईर्ष्या की भावना व क्रोध के भाव मुखरित हो रहे हैं। जहाँ वे एक तरफ कृष्ण का यशोदा पुत्र होने की वजह से ईर्ष्या से ग्रसित हैं वहीं दूसरी और उसके द्वारा चोरी व सारा माखन खाने से क्रोधित हैं। इसलिए वह यशोदा माता को उलाहना दे रही हैं।

5. मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा क्यों देते हैं?

उत्तर

श्रीकृष्ण माखन चुराते समय आधा माखन खुद खाते हैं व आधा अपने सखाओं को खिलाते हैं। जिसके कारण माखन जगह-जगह ज़मीन पर गिर जाता है।

6. दोनों पदों में से आपको कौन-सा पद अधिक अच्छा लगा और क्यों?

उत्तर

दोनों पदों में प्रथम पद सबसे अच्छा लगता है। क्योंकि यहाँ श्रीकृष्ण अपने बालपन के कारण माता से अनुनय-विनय करते हैं कि तुम्हारे कहने पर मैंने दूध पिया पर फिर भी मेरी चोटी नहीं बढ़ रही। उनकी माता से उनकी नाराज़गी व्यक्त करना, दूध न पीने का हट करना, बलराम भैया की तरह चोटी पाने का हट करना हृदय को बड़ा ही आनन्द देता है। ये पद श्रीकृष्ण की बाल-लीला के कारण मनोहारी जान पड़ता है जिसे सूरदास जी ने बड़े ही उत्तम ढ़ंग से प्रस्तुत किया है।

भाषा की बात

1. श्रीकृष्ण गोपियों का माखन चुरा-चुराकर खाते थे इसलिए उन्हें माखन चुरानेवाला भी कहा गया है। इसके लिए एक शब्द दीजिए।

उत्तर

माखनचोर

2.  श्रीकृष्ण के लिए पाँच पर्यायवाची शब्द लिखिए।

उत्तर

गोविन्द, रणछोड़, वासुदेव, मुरलीधर, नन्दलाल।

पृष्ठ संख्या: 94

3. कुछ शब्द परस्पर मिलते-जुलते अर्थवाले होते हैं, उन्हें पर्यायवाची कहते हैं। और कुछ विपरीत अर्थवाले भी। समानार्थी शब्द पर्यायवाची कहे जाते हैं और विपरीतार्थक शब्द विलोम, जैसे- पर्यायवाची-  चंद्रमा-शशि, इंदु, राका
               मधुकर-भ्रमर, भौंरा, मधुप
               सूर्य-रवि, भानु, दिनकर
विपरीतार्थक- दिन-रात
               श्वेत-श्याम
              शीत-उष्ण
पाठों से दोनों प्रकार के शब्दों को खोजकर लिखिए।

उत्तर

पर्यायवाची शब्द
बेनी – चोटी
काढ़त – गुहत
बलराम – दाऊ, हलधर
मैया – जननी, माँ, माता
दूध – दुग्ध, पय, गोरस
ढोटा – सुत, पुत्र, बेटा

विपरीतार्थक शब्द
लम्बी – छोटी
स्याम – श्वेत
रात – दिन
प्रकट – ओझल
संग्रह – विग्रह
विज्ञ – अज्ञ

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Chapter 14 अकबरी लोटा ncert solution hindi | class 8th

NCERT Solutions for Class 8th: पाठ 14 – अकबरी लोटा हिंदी वसंत भाग- III

पृष्ठ संख्या: 89

प्रश्न अभ्यास

कहानी की बात

1. “लाला ने लोटा ले लिया, बोले कुछ नहीं, अपनी पत्नी का अदब मानते थे।” लाला झाऊलाल कोबेढंगा लोटा बिलकुल पसंद नहीं था। फिरभी उन्हों ने चुपचाप लोटा ले लिया। आपके विचार से वे चुप क्योंरहे? अपने विचार लिखिए।

उत्तर

लाला झाऊलाल को बेढंगा लोटा बिलकुल पसंद नहीं था। फिरभी उन्हों ने चुपचाप लोटा ले लिया क्योंकि वे अपनी पत्नी का अदब मानते थे। इसके अतिरिक्त उन्हों ने सोचा कि अभी तो लोटे में पानी मिला है यदि चूँ कर दू तो कहीं बाल्टी में भोजन ना करना पड़े। यही सोच कर उन्हों ने चुप रहना ही बेहतर समझा।

2. “लाला झाऊलाल ने फ़ौरन दो और दो जोड़कर स्थिति को समझ लिया।” आपके विचार से लाला झाऊलाल ने कौन-कौन सी बातें समझ ली होंगी?

उत्तर

लोटा गिरने पर गली में मचे शोर को सुनकर भारी भीड़ लाला झाऊलाल आँगन में घुस आई। एक अंग्रेज को भीगे हुए तथा पैर सहलाते हुए देखकर वे समझ गए कि स्थिति गंभीर है और इस समय उनका चुप रहना ही ठीक है।

3. अंग्रेज के सामने बिलवासीजी ने झाऊलाल को पहचान ने तक से क्यों इनकार कर दिया था? आपके विचार से बिलवासीजी ऐसा अजीब व्यवहार क्यों कर रहे थे? स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर

अंग्रेज के सामने बिलवासीजी ने झाऊलाल को पहचानने से इनकार कर दिया क्यों कि वह अपनी योजना पूरी करना चाहते थे जिससे पैसे कि व्यवस्था हो सकें। यदि वे लालाजी को पहचानते तो योजना विफल हो जाती। पंडित बिलवासी मिश्र ऐसा अजीब व्यवहार इसलिए भी कर रहे थे कि अंग्रेज को ज़रा भी संदेह न हो कि वह लाला झाऊलाल का आदमी है।

4. बिलवासीजी ने रुपयों का प्रबंध कहाँ से किया था? लिखिए।

उत्तर

बिलवासीजी ने रुपयों का प्रबंध अपने ही घर से अपनी पत्नी के संदूक से चोरी कर किया था। बाद में उन्हों ने रुपये चुप-चाप वहीं रख दिए।

5. आपके विचार से अंग्रेज ने वह पुराना लोटा क्यों खरीद लिया? आपस में चर्चा करके वास्तविक कारण की खोज कीजिये और लिखिए।

उत्तर

अंग्रेज़ को पुरानी ऐतिहासिक चीज़ें इकट्ठा करने का शौक था। उसके एक मित्र ने 300 रूपए देकर एक जहाँगीरी अंडा खरीदा था। उसे हीन दिखाने के लिए अंग्रेज़ ने यह लोटा, अकबरी लोटा समझकर 500 रूपए में खरीदा।

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अनुमान और कल्पना

1. ”इस भेद को मेरे सिवाए मेरा ईश्वर ही जानता है। आप उसी से पूछ लीजिए। मैं नहीं बताँऊंगा।” बिलवासी जी ने यह बात किससे और क्यों कही? लिखिए।

उत्तर

‘बिलवासी’ जी ने यह बात ‘लाला झाऊलाल’ से कही क्योंकि उसने ये पैसे अपनी पत्नी के संदूक से चुराए थे। इस रहस्य को वह ‘झाऊलाल’ के सामने खोलना नहीं चाहते थे।

2. “उस दिन रात्रि में बिलवासीजी को देर तक नींद नहीं आई।” समस्या झाऊलाल कि थी और नींद बिलवासीजी कि उड़ी तो क्यों? लिखिए।

उत्तर

बिलवासीजी अपनी पत्नी के सो जाने कि प्रतीक्षा कर रहे थे ताकि वे सोई पत्नी के गले सोने कि वह सिगड़ी निकाल सकें, जिसमें एक ताली बँधी हुई थी। वे ताला खोल कर पत्नी के रुपयों को उसके संदूक में वैसे ही चुप-चाप रख देना चाहते थे जैसे वे निकाले थे। यह समस्या झाऊलाल कि नहीं बिलवासीजी कि थी।

3. ”लेकिन मुझे इसी जिंदगी में चाहिए।” ”अजी इसी सप्ताह में ले लेना।”

”सप्ताह से आपका तात्पर्य सात दिन से है या सात वर्षसे?”

झाऊलाल और उनकी पत्नी के बीच की इस बातचीत से क्या पता चलता है? लिखिए।

उत्तर

यहाँ झाऊलाल तथा उनकी पत्नी की बातचीत से ऐसा लगता है कि पत्नी को अपने पति झाऊलाल के वादे पर भरोसा नहीं था। इस तरह की बातचीत का कारण यह भी हो सकता है कि उनकी पत्नी उन्हें उकसाकर उनसे रुपए लेना चाहती थी। उनकी पत्नि ने पहले भी कुछ माँगा होगा परन्तु उन्होंने हाँ करने के बाद भी लाकर नहीं दिया होगा।

क्या होता यदि

1. अंग्रेज़ लोटा न खरीदता?

उत्तर

यदि अंग्रेज़ लोटा नहीं खरीदता तो बिलवासी जी को अपनी पत्नी से चुराए हुए रूपए लाला झाऊलाल को देना पड़ता। अन्यथा झाऊलाल अपनी पत्नीपत्नि को पैसे नहीं दे पाते।

2. यदि अंग्रेज़ पुलिस को बुला लेता?

उत्तर

यदि अंग्रेज़ पुलिस को बुला लेता तो सम्भवत: लाला झाऊलाल को गिरफ्तार कर लिया जाता या उन्हें जुर्माना देना पड़ता। दोनों ही परिस्थितियों में लाला झाऊलाल अपनी पत्नी को दिया हुआ वचन निभाने में असमर्थ होते।

3. जब बिलवासी अपनी पत्नी के गले से चाबी निकाल रहे थे, तभी उनकी पत्नी जाग जाती?

उत्तर

गले से चाबी निकालते समय यदि बिलवासी जी की पत्नी जग जाती तो अपनी पत्नी के समक्ष उन्हें शर्मिंदा होना पड़ता। चोरी का इल्ज़ाम भी बिलवासी जी को सहना पड़ता।

भाषा की बात

1. इस कहानी में लेखक ने जगह-जगह पर सीधी-सी बात कहने के बजाय रोचक मुहावरों, उदाहरणों आदि के द्वारा कहकर अपनी बात को और अधिक मजेदार/रोचक बना दिया है। कहानी से वे वाक्य चुनकर लिखिए जो आपको सबसे अधिक मजेदार लगे।
उत्तर

(i) अब तक बिलवासी जी को वे अपनी आँखो से खा चुके होते।
(ii) कुछ ऐसी गढ़न उस लोटे की थी कि उसका बाप डमरू, माँ चिलम रही हो।

(iii) ढ़ाई सौ रूपए तो एक साथ आँख सेंकने के लिए भी न मिलते हैं।

2. इस कहानी में लेखक ने अनेक मुहावरों का प्रयोग किया है। कहानी में से पाँच मुहावरे चुनकर उनका प्रयोग करते हुए वाक्य लिखिए।

उत्तर

(i) आँख सेंकने के लिए भी न मिलना – (दुर्लभ होना) पुरानी चीज़ें तो आजकल आँख सेंकने के लिए भी नहीं मिलते हैं।
(ii) आँखों से खा जाना – (क्रोधित होना) काँच का ग्लास टूट जाने से उसने बच्चे को ऐसे देखा मानो आँखों से ही खा जाएगा।
(iii) बाप डमरू, माँ चिलम – (बेढ़ंग सा आकार) सौरभ के डब्बे का आकार देखकर ऐसा लगता जैसे उसका बाप डमरू तथा माँ चिलम रही होगी।
(iv) डींगे सुनना – (झूठ-मूठ की तारीफ सुनना) अपनी बहादुरी की इतनी डींगें मत सुनाओ।
(v) चैन की नींद सोना – (निश्चिंत सोना) परीक्षा के बाद मैं चैन की नींद सोया हूँ।

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Chapter 13 जहाँ पहिया है  ncert solution hindi | class 8th

NCERT Solutions for Class 8th: पाठ 13 – जहाँ पहिया है हिंदी वसंत भाग- III

प्रश्न अभ्यास

जंजीरें

1. ”…उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते हैं…”

आपके विचार से लेखक ‘जंजीरों’ द्वारा किन समस्याओं की ओर इशारा कर रहा है?

उत्तर

‘जंजीरों’ द्वारा लेखक रूढ़िवादी प्रथाओं की ओर इशारा कर रहा है जैसे: स्त्री निरक्षरता और उनके प्रति भेदभाव।

पृष्ठ संख्या: 77

2. क्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।

उत्तर

लेखक के इस कथन से हम सहमत हैं। समाज द्वारा बनाई गई रूढ़ियाँ अपनी सीमाओं को लाँघने लगे तो समाज में इसके विरूद्ध एक क्रांति अवश्य जन्म लेती है। जो इन रूढ़ियों के बंधनों को तोड़ डालती है। समय के साथ-साथ विचारधाराओं में भी परिवर्तन होता रहता है और ये परिवर्तन आवश्यक भी है। अन्यथा हम कभी प्रगति नहीं कर पाएँगे और हम और हमारा समाज दिशाहीन हो जाएगा। जब ये परिवर्तन होने प्रारम्भ होते हैं तो समाज में एक जबरदस्त बदलाव आता है जो उसकी सोचने-समझने की धारा को ही बदल देता है और यही बदलाव एक नए समाज को जन्म देता है। जब भी पुरानी विचारधारा में बदलाव हुआ है समाज के लिए यह असहनीय रहा है परन्तु धीरे-धीरे नया बदलाव स्वीकार कर लिया जाता है और समाज पुरानी जंजीरों को तोड़कर एक नए रूप में विद्यमान हो जाता है। जैसे तमिलनाडु के पुडुकोट्टई गाँव में हुआ है महिलाओं ने अपनी स्वाधीनता व आज़ादी के लिए साइकिल चलाना आरम्भ किया और समाज में एक नई मिसाल रखी।

पहिया

1. ‘साइकिल आंदोलन’ से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में कौन-कौन से बदलाव आए हैं?

उत्तर

(i) ‘साइकिल आंदोलन’ से महिलाएँ अपनी स्वाधीनता व आज़ादी के प्रति जागृत हुई हैं।
(ii) ‘साइकिल आंदोलन’ ने उन्हें नवसाक्षर किया है, आर्थिक स्थिति सुधरी है।
(iii) ‘साइकिल आंदोलन’ ने उन्हें अधिकारों के प्रति जागृत किया है।

(iv) ‘साइकिल आंदोलन’ ने उन्हें समाज में स्वयं के लिए बराबरी का दर्जा देने के लिए प्रेरित किया है, समय और श्रम की बचत हुई है।
(v) ‘साइकिल आंदोलन’ ने उन्हें आत्मनिर्भर व स्वयं के लिए आत्मसम्मान की भावना पैदा की है, पुरुष वर्ग पर निर्भरता में कमी आई।

2. शुरूआत में पुरुषों ने इस आंदोलन का विरोध किया परंतु आर. साइकिल्स के मालिक ने इसका समर्थन किया, क्यों?

उत्तर

आर. साइकिल्स के मालिक ने आंदोलन का समर्थन स्वार्थवश किया। वे गाँव के एकमात्र लेड़ीज साइकिल डीलर थे महिलाओं ने जब आज़ादी का सम्मान करते हुए साइकिल आंदोलन को अपना हथियार बनाया तो, आर. साइकिल्स के मालिक की आय में वृद्धि होना स्वभाविक था।

3. प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन सी बाधा आई?

उत्तर

फातिमा ने जब इस आंदोलन की शुरूआत की तो उसको बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वो इस प्रकार है – (i) सर्वप्रथम, फातिमा मुस्लिम परिवार से थी। जो बहुत ही रूढ़िवादी थे। उन्होंने उसके उत्साह को तोड़ने का प्रयास किया।
(ii) फातिमा के साइकिल चलाने पर उसे फ़ब्तियाँ (गंदी टिप्पणियाँ) सुननी पड़ी।

(iii) उनके पास साइकिल शिक्षक का अभाव था जिसके लिए उन्होंने स्वयं कमर कस ली और स्वयं साइकिल सिखाना आरम्भ किया।

शीर्षक की बात

1. आपके विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है’ क्यों रखा होगा?

उत्तर

लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है’ तमिलनाडु के पुडुकोट्टई गाँव के ‘साइकिल आंदोलन’ के कारण ही रखा होगा। यह नाम इस आंदोलन को अपना समर्थन देने हेतु ही रखा गया है। बेशक साइकिल चलाना कोई बड़ी बात नहीं है पर एक रूढ़िवादी पृष्ठभूमि वाले गाँव में परुषों के विरूद्ध खड़े होकर ‘साइकिल’ को अपनी जागृति के लिए चुनना बहुत बड़ा कदम था इसलिए यह नाम औरतों के इस साइकिल नवजागरण के प्रति रखा गया होगा।

2. अपने मन से इस पाठ का कोई दूसरा शीर्षक सुझाइए। अपने दिए हुए शीर्षक के पक्ष में तर्क दीजिए।

उत्तर

‘महिला विकास की साईकल’ की भी इस पाठ के लिए उपयुक्त नाम हो सकता था चूँकि यहाँ महिलाओं ने अपने विकास को प्रदर्शित करने के लिए साईकल का उपयोग किया।

साईकल

1. फातिमा ने कहा,”…मैं किराए पर साइकिल लेती हूँ ताकि मैं आज़ादी और खुशहाली का अनुभव कर सकूँ।” साइकिल चलाने से फातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाओं को ‘आज़ादी’ का अनुभव क्यों होता होगा?

उत्तर

इसका सबसे बड़ा कारण फातिमा के गाँव की पुरानी रूढ़िवादी परम्पराएँ हैं जहाँ औरतों का साइकिल चलाना उचित नहीं माना जाता था। उनके विरोध में खड़े होकर अपने को पुरुषों की बराबरी का दर्जा देकर स्वयं को आत्मनिर्भर बनाकर फातिमा ने जो कदम उठाया उससे उसने स्वयं को, अपने जैसी अन्य महिलाओं को सम्मान दिया है। उससे आज़ादी का अनुभव करना लाज़मी है। वे कहीं आने-जाने के लिए किसी पर निर्भर नहीं रही।

भाषा की बात

1. उपसर्गों और प्रत्ययों के बारे में आप जान चुके हैं। इस पाठ में आए उपसर्गयुक्त शब्दों को छाँटिए। उनके मूल शब्द भी लिखिए। आपकी सहायता के लिए इस पाठ में प्रयुक्त कुछ ‘उपसर्ग’ और ‘प्रत्यय’ इस प्रकार हैं-अभि, प्र, अनु, परि, वि(उपसर्ग), इक, वाला, ता, ना।
उत्तर

उपसर्ग
अभि – अभिमान
प्र – प्रयत्न
अनु  – अनुसरण
परि  – परिपक्व
वि  – विशेष
प्रत्यय
इक – धार्मिक (धर्म + इक)
वाला – किस्मतवाला (किस्मत + वाला)
ता – सजीवता (सजीव + ता)
ना – चढ़ना (चढ़ + ना)

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Chapter 12 सुदामा चरित ncert solution hindi | class 8th

NCERT Solutions for Class 8th: पाठ 12 – सुदामा चरित हिंदी वसंत भाग- III

– नरोत्तमदास

पृष्ठ संख्या: 68

प्रश्न अभ्यास

कविता से

1. सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

सुदामा की दीनदशा को देखकर श्रीकृष्ण को अत्यन्त दुख हुआ। दुख के कारण श्री कृष्ण की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। उन्होंने सुदामा के पैरों को धोने के लिए पानी मँगवाया। परन्तु उनकी आँखों से इतने आँसू निकले की उन्ही आँसुओं से सुदामा के पैर धुल गए।

2.”पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।” पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर

प्रस्तुत दोहे में यह कहा गया है कि श्रीकृष्ण ने अपने बालसखा सुदामा के आगमन पर उनके पैरों को धोने के लिए परात में पानी मंगवाया परन्तु सुदामा की दुर्दशा देखकर उनको इतना कष्ट हुआ कि आँसुओं से ही सुदामा के पैर धुल गए। अर्थात् परात में लाया गया जल व्यर्थ हो गया।

3. ”चोरी की बान में हौ जू प्रवीने।”

(क) उपर्युक्त पंक्ति कौन, किससे कह रहा है?
(ख) इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए।
(ग) इस उपालंभ (शिकायत) के पीछे कौन-सी पौराणिक कथा है?

उत्तर

(क) यहाँ श्रीकृष्ण अपने बालसखा सुदामा से कह रहे हैं।

(ख) सुदामा की पत्नी ने श्रीकृष्ण के लिए भेंट स्वरूप कुछ चावल भिजवाए थे। संकोचवश सुदामा श्रीकृष्ण को यह भेंट नहीं दे पा रहे हैं। परन्तु श्रीकृष्ण सुदामा पर दोषारोपण करते हुए इसे चोरी कहते हैं और कहते हैं कि चोरी में तो तुम पहले से ही निपुण हो।

(ग) इस उपालंभ के पीछे एक पौरोणिक कथा है। जब श्रीकृष्ण और सुदामा आश्रम में अपनी-अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। उस समय एक दिन वे जंगल में लकड़ियाँ एकत्र करने जाते हैं। गुरूमाता ने उन्हें रास्ते में खाने के लिए चने दिए थे। सुदामा श्रीकृष्ण को बिना बताए चोरी से चने खा लेते हैं। उसी चोरी की तुलना करते हुए श्रीकृष्ण सुदामा को दोष देते हैं।

पृष्ठ संख्या: 69

4. द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा मार्ग में क्या-क्या सोचते जा रहे थे? वह कृष्ण के व्यवहार से क्यों खीझ रहे थे? सुदामा के मन की दुविधा को अपने शब्दों में प्रकट कीजिए।

उत्तर

द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा का मन बहुत दुखी था। वे कृष्ण द्वारा अपने प्रति किए गए व्यवहार के बारे में सोच रहे थे कि जब वे कृष्ण के पास पहुँचे तो कृष्ण ने आनन्द पूर्वक उनका आतिथ्य सत्कार किया था। क्या वह सब दिखावटी था? वे कृष्ण के व्यवहार से खीझ रहे थे क्योंकि केवल आदर सत्कार करके ही श्रीकृष्ण ने सुदामा को खाली हाथ भेज दिया था। वे तो कृष्ण के पास जाना ही नहीं चाहते थे। परन्तु उनकी पत्नी ने उन्हें भेज दिया। उन्हें इस बात का पछतावा भी हो रहा था कि माँगे हुए चावल भी हाथ से निकल गए और कृष्ण ने कुछ दिया भी नहीं।

5. अपने गाँव लौटकर जब सुदामा अपनी झोंपड़ी नहीं खोज पाए तब उनके मन में क्या-क्या विचार आए? कविता के आधर पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

द्वारका से लौटकर सुदामा जब अपने गाँव वापस आएँ तो अपनी झोपड़ी के स्थान पर बड़े-बड़े भव्य महलों को देखकर सबसे पहले तो उनका मन भ्रमित हो गया कि कहीं मैं घूम फिर कर वापस द्वारका ही तो नहीं चला आया। फिर सबसे पूछते फिरते हैं तथा अपनी झोपड़ी को ढूँढ़ने लगते हैं।

6. निर्धनता के बाद मिलनेवाली संपन्नता का चित्रण कविता की अंतिम पंक्तियों में वर्णित है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

निर्धनता के बाद श्रीकृष्ण की कृपा से सुदामा को धन-सम्पदा मिलती है। जहाँ सुदामा की टूटी-फूटी सी झोपड़ी रहा करती थी, वहाँ अब स्वर्ण भवन शोभित है। कहाँ पहले पैरों में पहनने के लिए चप्पल तक नहीं थी और अब पैरों से चलने की आवश्यकता ही नहीं है। क्योंकि अब घूमने के लिए हाथी घोड़े हैं, पहले सोने के लिए केवल यह कठोर भूमि थी और आज कोमल सेज पर नींद नहीं आती है, कहाँ पहले खाने के लिए चावल भी नहीं मिलते थे और आज प्रभु की कृपा से खाने को दाख किशमिश-मुनक्का भी उप्लब्ध हैं। परन्तु वे अच्छे नहीं लगते।

अनुमान और कल्पना

2. कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति। विपति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत।।
इस दोहे में रहीम ने सच्चे मित्र की पहचान बताई है। इस दोहे से सुदामा चरित की समानता किस प्रकार दिखती है? लिखिए।

उत्तर

प्रस्तुत दोहे में रहीम दास जी ने सच्चे मित्र की पहचान बताते हुए कहा है कि जो हमारे विपत्ति की घड़ी में हमारा साथ दे वही हमारा सच्चा मित्र है। सुदामा चरित्र को पढ़ते हुए हम यह कह सकते हैं कि श्रीकृष्ण ने भी सच्ची मित्रता का परिचय देते हुए विपत्ति के समय अपने मित्र सुदामा की आर्थिक सहायता की। अत: हम यह कह सकते हैं कि रहीम द्वारा दिए गए सच्चे मित्र की परिभाषा तथा श्रीकृष्ण के अपने मित्र की सहायता करने में काफी समानता है।

भाषा की बात

1. ”पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सो पग धोए” ऊपर लिखी गई पंक्ति को ध्यान से पढ़िए। इसमें बात को बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर चित्रित किया गया है। जब किसी बात को इतना बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है तो वहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होता है। आप भी कविता में से एक अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण छाँटिए।

उत्तर

”कै वह टूटी-सी छानी हती, कहँ कंचन के अब धाम सुहावत।”
यहाँ अतिश्योक्ति अलंकार है। टूटी सी झोपड़ी के स्थान पर अचानक कंचन के महल का होना अतिश्योक्ति है।

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Chapter 11 जब सिनेमा ने बोलना सीखा ncert solution hindi | class 8th

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 11 जब सिनेमा ने बोलना सीखा

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 11 जब सिनेमा ने बोलना सीखा

प्रश्न-अभ्यास

Question 1:
जब पहली बोलती फिल्म प्रदर्शित हुई तो उसके पोस्टरों पर कौन-से वाक्य छापे गए? उस फिल्म में कितने चेहरे थे? स्पष्ट कीजिए।

Solution:
देश की पहली बोलती फिल्म के विज्ञापन के लिए छापे गए वाक्य इस प्रकार थे –
”वे सभी सजीव हैं, साँस ले रहे हैं, शत-प्रतिशत बोल रहे हैं, अठहत्तर मुर्दा इनसान जिंदा हो गए, उनको बोलते, बातें करते देखो।”
पाठ के आधार पर ‘आलम आरा’ में कुल मिलाकर 78 चेहरे थे अर्थात् काम कर रहे थे।

Question 2:
पहला बोलता सिनेमा बनाने के लिए फिल्मकार अर्देशिर एम. ईरानी को प्रेरणा कहाँ से मिली? उन्होंने आलम आरा फिल्म के लिए आधार कहाँ से लिया? विचार व्यक्त कीजिए।

Solution:
फिल्मकार अर्देशिर एम. ईरानी ने 1929 में हॉलीवुड की एक बोलती फिल्म ‘शो बोट’ देखी और तभी उनके मन में बोलती फिल्म बनाने की इच्छा जगी। इस फ़िल्म का आधार उन्होंने पारसी रंगमंच के एक लोकप्रिय नाटक से लिया।

Question 3:
विट्ठल का चयन आलम आरा फिल्म के नायक के रूप हुआ लेकिन उन्हें हटाया क्यों गया? विट्ठल ने पुन: नायक होने के लिए क्या किया? विचार प्रकट कीजि
ए।
Solution:
विट्ठल को फ़िल्म से इसलिए हटाया गया कि उन्हें उर्दू बोलने में परेशानी होती थी। पुन: अपना हक पाने के लिए उन्होंने मुकदमा कर दिया। विट्ठल मुकदमा जीत गए और भारत की पहली बोलती फिल्म के नायक बनें।

Question 4:
पहली सवाक् फिल्म के निर्माता-निदेशक अर्देशिर को जब सम्मानित किया गया तब सम्मानकर्ताओ ने उनके लिए क्या कहा था? अर्देशिर ने क्या कहा? और इस प्रसंग में लेखक ने क्या टिप्पणी की है? लिखिए।

Solution:
पहली सवाक्‌ फिल्म के निर्माता-निर्देशक अर्देशिर को प्रदर्शन के पच्चीस वर्ष पूरे होने पर सम्मानित किया गया और उन्हें ”भारतीय सवाक्‌ फिल्मों का पिता” कहा गया तो उन्होंने उस मौके पर कहा था, – ”मुझे इतना बड़ा खिताब देने की जरूरत नहीं है। मैंने तो देश के लिए अपने हिस्से का जरूरी योगदान दिया है।” इस प्रसंग की चर्चा करते हुए लेखक ने अर्देशिर को विनम्र कहा है।

Question 5:
मूक सिनेमा में संवाद नहीं होते, उसमें दैहिक अभिनय की प्रधानता होती है। पर, जब सिनेमा बोलने लगा, उसमें अनेक परिवर्तन हुए। उन परिवर्तनों को अभिनेता, दर्शक और कुछ तकनीकी दृष्टि से पाठ का आधार लेकर खोजें, साथ ही अपनी कल्पना का भी सहयोग लें।
Solution:

मूक सिनेमा ने बोलना सीखा तो बहुत सारे परिवर्तन हुए। बोलती फिल्म बनने के कारण अभिनेताओं पढ़ा-लिखा होना ज़रूरी हो गया, क्योंकि अब उन्हें संवाद भी बोलने पड़ते थे। दर्शकों पर भी अभिनेताओं का प्रभाव पड़ने लगा। नायक-नायिका के लोकप्रिय होने से औरतें अभिनेत्रियों की केश सज्जा तथा उनके कपड़ों की नकल करने लगीं। दृश्य और श्रव्य माध्यम के एक ही फ़िल्म में समिश्रित हो जाने से तकनीकी दृष्टि से भी बहुत सारे परिवर्तन हुए।

Question 6:
डब फिल्में किसे कहते हैं? कभी-कभी डब फ़िल्मों में अभिनेता के मुँह खोलने और आवाज़ में अंतर आ जाता है। इसका कारण क्या हो सकता है?

Solution:
फिल्मों में जब अभिनेताओं को दूसरे की आवाज़ दी जाती है तो उसे डब कहते हैं।
कभी-कभी फिल्मों में आवाज़ तथा अभिनेता के मुँह खोलने में अंतर आ जाता है क्योंकि डब करने वाले और अभिनय करने वाले की बोलने की गति समान नहीं होती या किसी तकनीकी दिक्कत के कारण हो जाता है।

भाषा की बात

Question 1:
सवाक् शब्द​ वाक् के पहले ‘स’ लगाने से बना है। स उपसर्ग से कई शब्द​ बनते हैं। निम्नलिखित शब्दों के साथ ‘स’ का उपसर्ग की भाँति प्रयोग करके शब्द बनाएँ और शब्दार्थ में होनेवाले परिवर्तन को बताएँ।
हित, परिवार, विनय, चित्र, बल, सम्मान।
Solution:
शब्द – उपसर्ग वाले शब्द

(i) हित – सहित
(ii) परिवार – सपरिवार
(iii) विनय – सविनय
(iv) चित्र – सचित्र
(v) बल – सबल
(vi) मान – सम्मान

Question 2:
उपसर्ग और प्रत्यय दोनों ही शब्दांश होते हैं। वाक्य में इनका अकेला प्रयोग नहीं होता। इन दोनों में अंतर केवल इतना होता है कि उपसर्ग किसी भी शब्द में पहले लगता है और प्रत्यय बाद में।
हिंदी के सामान्य उपसर्ग इस प्रकार हैं – अ/अन, नि, दु, क/कु, स/सु, अध, बिन, औ आदि।
पाठ में आए उपसर्ग और प्रत्यय युक्त शब्दों के कुछ उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं

मूल शब्दउपसर्गप्रत्ययशब्द
वाक्सवाक्
लोचनासुसुलोचना
फिल्मकारफिल्मकार
कामयाबकामयाबी

इस प्रकार के 15-15 उदाहरण खोजकर लिखिए और अपने सहपाठियों को दिखाइए।
Solution:

मूल शब्दउपसर्गनया शब्द
पुत्रसुसुपुत्र
घटऔघट
सारअनुअनुसार
मुखआमुख
परिवारसपरिवार
नायकअधिअधिनायक
मरणआमरण
संहारउपउपसंहार
ज्ञानअज्ञान
यशसुसुयश
कोणसमसमकोण
कर्मसत्सत्कर्म
रागअनुअनुराग
बंधनिनिबंध
पकाअधअधपका
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Chapter 10 कामचोर ncert solution hindi | class 8th

NCERT Solutions for Class 8th: पाठ 10 – कामचोर हिंदी वसंत भाग- III

पृष्ठ संख्या: 57

कहानी से

1. कहानी में ‘मोटे-मोटे किस काम के हैं’ ? किन के बारे में और क्यों कहा गया ?

उत्तर

कहानी में ‘मोटे-मोटे किस काम के हैं’ बच्चों के बारे में कहा गया है क्योंकि वे घर के कामकाज में जरा सी भी मदद नही करते थे तथा दिन भर खेलते-कूदते रहते थे।

2. बच्चों के उधम मचाने के कारण घर कि क्या दुर्दशा हुई ?

उत्तर

बच्चों के उधम मचाने से घर कि सारी व्यवस्था ख़राब हो गई। मटके-सुराहियाँ इधर-उधर लुढक गए। घर केसारे वर्तन अस्त-व्यस्त हो गए। पशु-पक्षी इधर-उधर भागने लगे। घर में धुल, मिट्टी और कीचड़ का ढेर लगगया। मटर कि सब्जी बनने से पहले भेड़ें खा गए। मुर्गे-मुर्गियों के कारण कपड़े गंदे हो गए।

3. ‘या तो बच्चा राज कायम कर लो या मुझे ही रख लो।’ अम्मा ये कब कहा और इसका परिणाम क्या हुआ?

उत्तर

अम्मा ने बच्चों द्वारा किए गए घर के हालत को देखकर ऐसा कहा था। जब पिताजी ने बच्चों को घर के काम काज में हाथ बँटाने की नष्ट दी तब उन्होंने किया इसके विपरीत सारे घर को तहस-नहस। चारों तरफ़ समान बिखरा दिया, मुर्गियों और भेड़ों को घर में घुसा दिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि काम करने के बजाए उन्होंने घर का काम कई गुना बढ़ा दिया जिससे अम्मा जी बहुत परेशान हो गई थीं। उन्होंने पिताजी को साफ़-साफ़ कह दिया कि या तो बच्चों से करवा लो या मैं मायके चली जाती हूँ। इसका परिणाम ये हुआ कि पिताजी ने घर की किसी भी चीज़ को बच्चों को हाथ ना लगाने कि हिदायत दे डाली नहीं तो सज़ा के लिए तैयार रहने को कहा।

4. ‘कामचोर’ कहानी क्या संदेश देती है ?

उत्तर

यह एक हास्यप्रधान कहानी है।  यह कहानी संदेश देती है की बच्चों को उनके स्वभाव के अनुसार, उम्र और रूचि ध्यान में रखते हुए काम करना चाहिए। जिससे वेबचपन से ही रचनात्मक कार्यों में लगन तथा रूचि का परिचय दे सकें। उनके ऊपर बड़ों की जिम्मेदारी थोपनाबचपन को कुचलना है। अतः बड़ों को चाहिए की समझदार बच्चा बनकर बच्चों के बीच रहें और उन्हें सही दिशाप्रदान करें।

5. क्या बच्चों ने उचित निर्णय लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाए, हिलकर पानी भी नहीं पिएँगें ?

उत्तर

बच्चों द्वारा लिया गया निर्णय उचित नही था क्योंकि स्वयं हिलकर पानी न पीने का निश्चय उन्हें और भी कामचोर बना देगा। उन्हें काम तो करना चाहिए पर समझदारी के साथ। बच्चों को घर-परिवार के काम धंधों कोआपस में बाँट कर, बड़ों से समझ कर पुरा करना चाहिए। उन्हें अपने खाली समय का सदुपयोग करना चाहिए तथा रचनात्मक कार्यों में मन लगाते हुए परिवार-वालों का सहयोग करना चाहिए।

कहानी से आगे

1. घर के सामान्य काम हों या अपना निजी काम, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुरूप उन्हें करना आवश्यक क्यों है?

उत्तर

अपनी क्षमता के अनुसार काम करना इसलिए जरूरी है क्योंकि कि यदि हम अपने घर का काम या अपना निजी काम, नहीं करेंगे तो हम कामचोर बन जाएँगे और दूसरों पर आश्रित हो जाएँगे और ये निर्भरता हमें निकम्मा बना देगी। इसलिए हमें चाहिए कि अपने काम दूसरों से ना करवाकर स्वंय करें अपने काम के लिए आत्मनिर्भर बनें। हमें चाहिए कि हम अपने काम के साथ-साथ दूसरों के काम में भी मदद करें। अपना काम अपने अनुसार और समय पर किया जा सकता है।

2. भरा-पूरा परिवार कैसे सुखद बन सकता है और कैसे दुखद? कामचोर कहानी के आधर पर निर्णय कीजिए।

उत्तर

अगर घर के लोग क्षमता के अनुरूप कार्यों को बाँट ले तो भरा-पूरा परिवार सुखद बन सकता है। इससे किसी दूसरे को काम करने के लिए कहने की जरुरत होगी और तनाव भी उत्पन्न नही होगा। इसके विपरीत अगर कार्यों को बांटा नही गया तो सदा तनाव की स्थिति बनी रहेगी। अगर किसी को काम करने को कहा जायेगा तो वह या तो काम नही करेगा या दूसरों का काम समझ कर उसे अधूरे मन से करेगा। कामों के क्षमतानुसार विभाजित करने से कहानी जैसी दुखद स्थिति से बचा जा सकता है।

3. बड़े होते बच्चे किस प्रकार माता-पिता के सहयोगी हो सकते हैं और किस प्रकार भार? कामचोर कहानी के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर

अगर बच्चों को बचपन से अपना कार्य स्वयं करने की सीख दी जाए तो बड़े होकर बच्चे माता-पिता के बहुत बड़े सहयोगी हो सकते हैं। वह अगर अपने आप स्कूल के लिए तैयार हो जाएँ, अपने खाने के बर्तन यथा सम्भव स्थान पर रख आएँ, अपने कमरे को सहज कर रखें तो माता-पिता का बहुत सहयोग कर सकते हैं। यदि इससे उलटा हम बच्चों को उनका कार्य करने की सीख नहीं देते तो वह सहयोग के स्थान पर माता-पिता के लिए भार ही साबित होंगे। उनके बड़ा होने पर उनसे कोई कार्य कराया जाएगा तो वह उस कार्य को भली-भांति करने के स्थान पर तहस-नहस ही कर देंगे, जैसे की कामचोर लेख पर बच्चों ने सारे घर का हाल कर दिया था।

4. ‘कामचोर’ कहानी एकल परिवार की कहानी है या संयुक्त परिवार की? इन दोनों तरह के परिवारों में क्या-क्या अंतर होते हैं?

उत्तर

कामचोर कहानी सयुंक्त परिवार की कहानी है इन दोनों में अन्तर इस प्रकार है –

एकल परिवारसंयुक्त परिवार
(i) एकल परिवार में सदस्यों की संख्या तीन से चार होती है- माँ, पिता व बच्चे होते है।(i) सयुंक्त परिवार में सदस्यों की संख्या एकल की तुलना में ज़्यादा होती है क्योंकि इसमें चाचा-चाची ताऊजी-ताईजी, माँ-पिताजी, बच्चे सभी सम्मिलित होते हैं।
(ii) एकल परिवार में कम सदस्यों के कारण सहयोग नहीं हो पाता।(ii) संयुक्त परिवार में सहयोग की भावना होती है सारा परिवार मिलजुलकर सारा कार्य कर लेता है।

पृष्ठ संख्या: 58

भाषा की बात

”धुली-बेधुली बालटी लेकर आठ हाथ चार थनों पर पिल पड़े।” धुली शब्द से पहले ‘बे’ लगाकर बेधुली बना है। जिसका अर्थ है ‘बिना धुली’ ‘बे’ एक उपसर्ग है। ‘बे’ उपसर्ग से बननेवाले कुछ और शब्द हैं-
बेतुका, बेईमान, बेघर, बेचैन, बेहोश आदि। आप भी नीचे लिखे उपसर्गों से बननेवाले शब्द खोजिए-
1. प्र ………….
2. आ ………….
3. भर ………….
4. बद ………….

उत्तर

1. प्र-प्रभाव, प्रयोग, प्रचलन, प्रदीप, प्रवचन
2. आ-आभार, आजन्म, आगत, आगम, आमरण
3. भर- भरमार, भरसक, भरपेट, भरपूर
4. बद- बदमिज़ाज, बदनाम, बदरंग, बदतर, बदसूरत

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Chapter 9 कबीर की साखियॉं ncert solution hindi | class 8th

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 9 कबीर की साखियाँ

प्रश्न-अभ्यास

Question 1:
‘तलवार का महत्त्व होता है, म्यान का नहीं’ – उक्त उदाहरण से कबीर क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए।

Solution:
‘तलवार का महत्व होता है, म्यान का नहीं’ से कबीर यह कहना चाहता है कि असली चीज़ की कद्र की जानी चाहिए। दिखावटी वस्तु का कोई महत्त्व नहीं होता। इसी प्रकार किसी व्यक्ति की पहचान अथवा उसका मोल उसकी काबलियत के अनुसार तय होता है न कि कुल, जाति, धर्म आदि से। उसी प्रकार ईश्वर का भी वास्तविक ज्ञान जरुरी है। ढोंग-आडंबर तो म्यान के समान निरर्थक है। असली बह्रम को पहचानो और उसी को स्वीकारो।

Question 2:
पाठ की तीसरी साखी-जिसकी एक पंक्ति हैं ‘मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नाहिं’ के द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं?

Solution:
कबीरदास जी इस पंक्ति के द्वारा यह कहना चाहते हैं कि भगवान का स्मरण एकाग्रचित होकर करना चाहिए। इस साखी के द्वारा कबीर केवल माला फेरकर ईश्वर की उपासना करने को ढोंग बताते हैं।

Question 3:
कबीर घास की निंदा करने से क्यों मना करते हैं। पढ़े हुए दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

Solution:
घास का अर्थ है पैरों में रहने वाली तुच्छ वस्तु। कबीर अपने दोहे में उस घास तक की निंदा करने से मना करते हैं जो हमारे पैरों के तले होती है। कबीर के दोहे में ‘घास’ का विशेष अर्थ है। यहाँ घास दबे-कुचले व्यक्तियों की प्रतीक है। कबीर के दोहे का संदेश यही है कि व्यक्ति या प्राणी चाहे वह जितना भी छोटा हो उसे तुच्छ समझकर उसकी निंदा नहीं करनी चाहिए। हमें सबका सम्मान करना चाहिए।

Question 4:
मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेनेवाले दोष होते हैं। यह भावार्थ किस दोहे से व्यक्त होता है?

Solution:
”जग में बैरी कोइ नहीं, जो मन सीतल होय।
या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।।

Question 5:
“या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।”
“ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय।”
इन दोनों पंक्तियों में ‘आपा’ को छोड़ देने या खो देने की बात की गई है। ‘आपा’ किस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है? क्या ‘आपा’ स्वार्थ के निकट का अर्थ देता है या घमंड का?

Solution:
“या आपा को . . . . . . . . . आपा खोय।” इन दो पंक्तियों में ‘आपा’ को छोड़ देने की बात की गई है। यहाँ ‘आपा’ अंहकार के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। ‘आपा’ घमंड का अर्थ देता है।

Question 6:
आपके विचार में आपा और आत्मविश्वास में तथा आपा और उत्साह में क्या कोई अंतर हो सकता है? स्पष्ट करें।

Solution:
आपा और आत्मविश्वास में तथा आपा और उत्साह में अंतर हो सकता है –

1. आपा और आत्मविश्वास – आपा का अर्थ है अहंकार जबकि आत्मविश्वास का अर्थ है अपने ऊपर विश्वास।
2. आपा और उत्साह – आपा का अर्थ है अहंकार जबकि उत्साह का अर्थ है किसी काम को करने का जोश।

Question 7:
सभी मनुष्य एक ही प्रकार से देखते-सुनते हैं पर एकसमान विचार नहीं रखते। सभी अपनी-अपनी मनोवृत्तियों के अनुसार कार्य करते हैं। पाठ में आई कबीर की किस साखी से उपर्युक्त पंक्तियों के भाव मिलते हैं, एकसमान होने के लिए आवश्यक क्या है? लिखिए।

Solution:
”आवत गारी एक है, उलटत होइ अनेक।
कह कबीर नहिं उलटिए, वही एक की एक।।”
मनुष्य के एक समान होने के लिए सबकी सोच का एक समान होना आवश्यक है।

Question 8:
कबीर के दोहों को साखी क्यों कहा जाता है?

Solution:
कबीर के दोहों को साखी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनमें श्रोता को गवाह बनाकर साक्षात् ज्ञान दिया गया है। कबीर समाज में फैली कुरीतियों, जातीय भावनाओं, और बाह्य आडंबरों को इस ज्ञान द्वारा समाप्त करना चाहते थे।

भाषा की बात

Question 1:
बोलचाल की क्षेत्रीय विशेषताओं के कारण शब्दों के उच्चारण में परिवर्तन होता है जैसे वाणी शब्द बानी बन जाता है। मन से मनवा, मनुवा आदि हो जाता है। उच्चारण के परिवर्तन से वर्तनी भी बदल जाती है। नीचे कुछ शब्द दिए जा रहे हैं उनका वह रूप लिखिए जिससे आपका परिचय हो।
ग्यान, जीभि, पाऊँ, तलि, आंखि, बरी।
Solution:
ग्यान – ज्ञान
जीभि – जीभ
पाऊँ – पाँव
तलि – तले
आँखि – आँख
बरी – बड़ी

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Chapter 8 यह सबसे कठिन समय नहीं ncert solution hindi | class 8th

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8 – यह सबसे कठिन समय नहीं

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8 यह सबसे कठिन समय नहीं are provided here with simple step-by-step explanations. These solutions for यह सबसे कठिन समय नहीं are extremely popular among Class 8 students for Hindi यह सबसे कठिन समय नहीं Solutions come handy for quickly completing your homework and preparing for exams.

Page No 46:

Question 1:

”यह कठिन समय नहीं है?” यह बताने के लिए कविता में कौन-कौन से तर्क प्रस्तुत किए गए हैं? स्पष्ट कीजिए।

ANSWER:

यह बताने के लिए कवि ने निम्नलिखित तर्क दिए हैं-

(i) अभी भी चिड़िया की चोंच में तिनका दबा है।

(ii) एक हाथ झड़ती हुई पत्ती को थामने के लिए बैठा है।

(iii) अभी भी एक रेलगाड़ी गंतव्य तक जाती है।

(iv) कथा का अखिरी हिस्सा बूढ़ी नानी सुना रही है जिसमें अभी भी एक बस अंतरिक्ष के पार की दुनिया से बचे हुए लोगों की खबर लाएगी।

(v) अभी भी कोई किसी को कहता है कि जल्दी आ जाओ, सूरज डूबने का समय हो चला है।

Page No 46:

Question 2:

चिड़िया चोंच में तिनका दबाकर उड़ने की तैयारी में क्यों है? वह तिनकों का क्या करती होगी? लिखिए।

ANSWER:

सूरज डूबने ही वाला है और सूरज डूबने से पहले चिड़िया अपने लिए घोंसला बनाना चाहती है। इसलिए चिड़िया अपनी चोंच में तिनका दबाकर उड़ने की तैयारी में है।

Page No 46:

Question 3:

कविता में कई बार ‘अभी भी’ का प्रयोग करके बातें रखी गई हैं, अभी भी का प्रयोग करते हुए तीन वाक्य बनाइए और देखिए उनमें लगातार, निरंतर, बिना रुके चलनेवाले किसी कार्य का भाव निकल रहा है या नहीं?

ANSWER:

(i) अभी भी सूरज डूबने में समय है।

(ii) कक्षा खत्म होने में अभी भी बहुत समय बाकी है।

(iii) अभी भी मेरा काम खत्म नहीं हुआ है।

ऊपर दिए गए तीनों वाक्यों में कार्य के निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया का भाव है।

Page No 47:

Question 4:

”नहीं” और ”अभी भी” को एक साथ प्रयोग करके तीन वाक्य लिखिए और देखिए ‘नहीं’ ‘अभी भी’ के पीछे कौन-कौन से भाव छिपे हो सकते हैं?

ANSWER:

(i) नहींअभी भी तुम्हारा काम अधूरा है।

(ii) नहीं, अभी भी स्कूल की छुट्ठियाँ खत्म नहीं हुई है?

(iii) नहीं, अभी भी तुमने खाना नहीं खाया है।

(iv) इस साल समय पर वर्षा नहीं हुई है, किसान अभी भी बादलों को देख रहा है।

अभी भी, निरंतर चलने वाली प्रक्रिया का बोध कराता है तथा नहीं से कार्य के न होने का पता चलता है।

Page No 47:

Question 1:

घर के बड़े-बूढ़ों द्वारा बच्चों को सुनाई जानेवाली किसी ऐसी कथा की जानकारी प्राप्त कीजिए जिसके आखिरी हिस्से में कठिन परिस्थितियों से जीतने का संदेश हो।

ANSWER:

छात्र स्वयं जानकारी प्राप्त करें।

Page No 47:

Question 2:

आप जब भी घर से स्कूल जाते हैं कोई आपकी प्रतीक्षा कर रहा होता है। सूरज डूबने का समय भी आपको खेल के मैदान से घर लौट चलने की सूचना देता है कि घर में कोई आपकी प्रतीक्षा कर रहा है-प्रतीक्षा करने वाले व्यक्ति के विषय में आप क्या सोचते हैं? अपने विचार लिखिए।

ANSWER:

जब हम घर से स्कूल या शाम को खेलने जाते हैं तो घर पर माँ हमारी प्रतीक्षा करती है। देर हो जाने पर वो परेशान हो जाती है। वह हमें हर प्रकार के कष्टों से बचाना चाहती है।

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Question 1:

अंतरिक्ष के पार की दुनिया से क्या सचमुच कोई बस आती है जिससे खतरों के बाद भी बचे हुए लोगों की खबर मिलती है? आपकी राय में यह झूठ है या सच? यदि झूठ है तो कविता में ऐसा क्यों लिखा गया? अनुमान लगाइए यदि सच लगता है तो किसी अंतरिक्ष संबंधी विज्ञान कथा के आधार पर कल्पना कीजिए वह बस कैसी होगी, वे बचे हुए लोग खतरों से क्यों घिर गए होंगे? इस संदर्भ को लेकर कोई कथा बना सकें तो बनाइए।

ANSWER:

प्रस्तुत कविता में कवि ने अपना आशय स्पष्ट करने के लिए कल्पना का सहारा लिया है। अंतरिक्ष के पार की दुनिया की सभी बातें काल्पनिक है। इस प्रकार की कल्पना को फैंटेसी कहते हैं। कविता में फैंटेसी बनाए रखने के उद्देश्य से कवि ने ऐसा लिखा है। दूसरी दुनिया के अस्तित्व को लेकर वैज्ञानिकों के पास भी कोई प्रमाण नहीं है।

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