Chapter 7 साथी हाथ बढ़ाना Notes for Class 6 Hindi Vasant

सार

‘साथी हाथ बढ़ाना’ गीत साहिर लुधियानवी द्वारा लिखा गया है। यह गीत ‘नया दौर’ फिल्म के लिए लिखा गया था। यह गीत आजादी के कुछ समय बाद लिखा गया था जब देश का निर्माण हो रहा था। यह गीत हमें मिल-जुलकर कर काम करने को प्रेरित करता है। कवि ने इस गीत में बताया है कि जब-जब मनुष्य ने मिलकर काम किया है, तब-तब उसने हर मुश्किल को आसानी से पार किया है। कवि के अनुसार सुख-दुःख का चक्र जीवन में हमेशा आता रहता है। हमें हर परिस्थिति में हमेशा अपनी मंजिल की ओर बढ़ते रहना चाहिए। दुनिया में हर बड़ा चीज़ छोटे-छोटे चीजों से मिलकर ही बना है।

साथी हाथ बढ़ाना … आज अपनी खातिर करना।

व्याख्या – इन पंक्तियों में कवि ने लोगों को साथ मिलकर काम करने को प्रेरित किया है। एक अकेला काम करते-करते थक जाएगा इसलिए भारत के निर्माण में सभी को हिस्सेदार बनने के लिए कहा है। भारतीयों का हौसला अफजाई करने के लिए कवि ने बताया है कि जब भी लोगों ने एकता के साथ काम किया तब समुद्र ने अपना रास्ता छोड़ मदद की है तथा पर्वत ने भी उनके सामने अपना सिर झुकाकर उन्हें जगह दी है। कवि के अनुसार हमारी बाहें और सीना फौलाद से बना है जिससे हम  मुश्किल काम कर सकने की क्षमता रखते हैं। कवि ने याद दिलाते हुए कहा कि हमने पहले भी गैरों (ब्रिटिश) के लिए काम किया है और आज हमें खुद आजाद भारत का निर्माण करना है।

अपना दुःख भी एक है साथी … साथी हाथ बढ़ाना।

व्याख्या: इन पंक्तियों में कवि ने सुख-दुःख को लोगों का साथी बताया है चूँकि इनका क्रम जीवन में हमेशा चलता रहता है। हमें दुःख में घबराना नहीं चाहिए वहीं सुख में ज्यादा उत्साहित भी नहीं होना चाहिए और अपनी मंजिल को ओर सदा कदम बढ़ाते रहना चाहिए।

कवि ने एकता की ताकत को स्पष्ट करते हुए बताया है कि एक-एक बूँद के मिलने से ही दरिया बनता है। छोटे-छोटे अंशों को मिलाकर सेहरे का निर्माण होता है। छोटे राई के दानों से पर्वत बन जाता है उसी प्रकार अगर हर व्यक्ति एक-दूसरे से मिलकर काम करे तो किस्मत को भी पलट कर उसे सुनहरा रूप दिया जा सकता है। इसीलिए हमें मिल-जुलकर काम करना चाहिए।

कठिन शब्दों के अर्थ

• फौलादी – मजबूत

• राहे – रास्ते

• लेख की रेखा – भाग्य में लिखा होना

• गैर – पराए

• कतरा – बूँद

• ज़र्रा  – कण

• इंसाँ – मनुष्य  

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Chapter 6 पार नज़र के Notes for Class 6 Hindi Vasant

पार नज़र के पाठ का सारांश

पार नज़र के कहानी जयंत विष्णु नार्लीकर जी द्वारा लिखा गया है ,जिसमें आपने रोमांचकारी ढंग से मंगल गृह के जीवन के बारे में बताया है। कथा की शुरुवात में बताया गया है कि छोटू नाम के लड़के ने अपने पापा के सिकुरित्य्य पास को ले लिया और सुरंग के रास्ते जाने लगा ,लेकिन वह पकड़ा गया और वापस फिर घर भेज दिया गया। छोटू के पापा इन्ही सुरंगनुमा जगहों जगहों पर काम करते थे। छोटू सुरंगनुमा जगह पर इसीलिए पकड़ा गया क्योंकि निरीक्षक यंत्र में संदेहास्पद स्थिति दर्ज हो गयी है। छोटू के पापा न होते ,तो छोटू का बचना मुश्किल था। घर पहुँच कर छोटू के ऊपर बहुत डांट पड़ी। पापा ने माँ के गुस्से से बचा लिया। पापा ने छोटू को समझाया कि सुरंगनुमा जगह को पार कर धरती के ऊपर जाया जाता है। उसके लिए ख़ास तरह के स्पेस शूट की जरुरत होती है। पापा कहने लगे कि एक समय था जब मंगल ग्रह पर सभी लोग जमीन पर ही रहते थे। लेकिन वातावरण में परिवर्तन आने से कई तरह के जीवन जो धरती पर रहा करते थे ,मरने लगे। सूरज में परिवर्तन होते ही वहां का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने लगा। ऐसी पारिस्थितियों का सामना करने के लिए पशु पक्षी ,पेड़ पौधे आदि सभी अक्षम साबित हुए। केवल तकनीकी ज्ञान के आधार पर वे जमीन के नीचे बना पाए। अतः यंत्रों के सहारे जीवन चलता है। उन्ही यंत्रों की मरम्मत करने के लिए मुझे जाना पड़ता है। यह सुनकर छोटू भी चहक उठा और कहने लगा कि बड़ा होकर मैं आपकी तरह बनूँगा। यह सुनकर माँ ने कहा कि इसके लिए तुम्हे पढना पड़ेगा। दूसरे दिन जब छोटू के पापा काम पर गए तो उन्हें पता चला कि मंगल ग्रह की तरफ दो यान बढ़ते चले आ रहे है। ऐसी आपदा की स्थिति में कॉलोनी की प्रबंध समिति की सभा बुलाई गयी। अध्यक्ष ने बताया कि किसी अन्य ग्रह से अन्तरिक्ष यान चले आ रहे है। सभी लोगों ने सलाह मशविरा कर बताया कि कुछ ऐसा प्रबंध किया जाए ,जिससे इन यानों में लगे यंत्रों को इस धरती की कोई चीज़ महत्वपूर्ण  हाथ न लगे। सभा चल ही रही थी कि अन्तरिक्ष यान धरती पर उतर चुका है। अन्तरिक्ष यान से एक यांत्रिक हाथ बाहर निकला ,जिसकी लम्बाई हर पल बढती जा रही थी। तभी छोटू ने कंसोल का लाल बटन दबा दिया ,जिससे यान के यांत्रिक हाथ का हिस्सा बिगड़ गया। इससे छोटू के पापा गुस्सा हो गए। सभी लोगों की नज़र लाल बटन पर गयी जिसे पुनः स्थिति में लाया गया। तब तक अन्तरिक्ष यान के यांत्रिक हाथ की स्थिति बिगड़ गयी थी। यंत्र बेकार हो गया था। 

कुछ दिनों बाद पृथ्वी के प्रमुख अखबारों में यह खबर छपी कि मंगल की धरती पर उतरा हमारा यान वाइकिंग अपना निर्धारित कार्य कर रहा है। लेकिन  किसी अज्ञात कारणवश उसमें खराबी आ गयी है ,जिसे दुरुस्त कर लिया जाएगा। आज भी पृथ्वी पर रहस्य बना हुआ है कि क्या मंगल ग्रह पर भी पृथ्वी की ही तरह जीवन है या नहीं। 

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Chapter 5 अक्षरों का महत्व  Notes for Class 6 Hindi Vasant

सार

दुनिया में सभी तरह की पुस्तकें अक्षरों से बनी  हैं। हर दिन हजारों पुस्तकें छपती हैं। अक्षर हमारे विचारों को आदान-प्रदान करने का साधन हैं। अक्षरों के बिना हम इस दुनिया की कल्पना नहीं कर सकते हैं। पुराने ज़माने के लोग सोचते थे, अक्षरों की खोज ईश्वर ने किया है। पर आज हम यह जानते की अक्षरों की खोज मनुष्य ने की है।

धरती लगभग पाँच अरब साल पुरानी है। करोड़ों साल तक धरती पर केवल जानवरों और वनस्पतियों का धरती पर राज्य रहा। पाँच लाख साल पहले आदमी ने धरती पर जन्म लिया। धीरे-धीरे मनुष्य का विकास हुआ। दस हजार साल पहले आदमी ने गाँवों को बसाना शुरू किया वह खेती करने लगे। पत्थरों के औजारों का इस्तेमाल करने लगा। ताँबे और काँसे के भी औजार बनाए। चित्रों के माध्यम से प्रागैतिहासिक मानव ने अपने भाव को व्यक्त करना शुरू किया।

काफी समय बाद आदमी ने अक्षरों की खोज की। अक्षरों की खोज छह हजार साल पहले हुई। इसके खोज के साथ एक नए युग की शुरुआत हुई। मनुष्य अपने विचारों और हिसाब-किताब को लिखने लगा और वह ‘सभ्य’ कहा जाने लगा। जबसे मनुष्य ने लिखना शुरू किया तब ‘इतिहास’ आरम्भ हुआ। उसके पहले के काल को ‘प्रागैतिहासिक काल’ कहा जाता है।

अगर आदमी अक्षरों की खोज नहीं कर पाता तो हम इतिहास को नहीं जान पाते। अक्षर की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी खोज है। अक्षर की खोज के बाद मानव जाति के विकास में तेजी आई।

कठिन शब्दों के अर्थ

• तादाद – संख्या

• मूल – जड़

• अनादि – जिसका आरम्भ ना हो

• वनस्पतियाँ – पेड़ – पौधे

• प्रागैतिहासिक – इतिहास से पहले का काल

• काँसा – पीतल और ताँबे के मिश्रण से बनी धातु

• अस्तित्व – विधमानता

• घोतक – प्रकट करने वाले

• भाव – संकेत – भाव को  प्रकट करने वाले चि  

• कौम – जाति

• पीढ़ी – किसी  जाति , कुल या व्यक्ति की वंश परंपरा की कोई कड़ी

• सभ्य – शिष्ट

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Chapter 4 चाँद से थोड़ी सी गप्पें Notes for Class 6 Hindi Vasant

सार

‘चाँद से थोड़ी-सी गप्पें’ कविता ‘शमशेर बहादुर सिंह’ द्वारा लिखित है। इस कविता को कवि ने एक दस-ग्यारह साल एक लड़की के मन का वर्णन किया है। वह जिज्ञासु प्रवत्ति की होने का कारण चाँद से कई सवाल पूछना चाहती है और उनके बारे में अधिक जानना चाहती है। वह चाँद से पूछती है कि क्यों वे तिरछे नजर आते हैं। वह सारे आकाश को चाँद का वस्त्र समझती है जिसपर कई सितारे जड़े हैं। चाँद का घटना-बढ़ना को वह एक बिमारी समझती है।

गोल हैं खूब मगर … गोल-मटोल,

व्याख्या: इस काव्यांश में बच्ची चाँद को देखकर कहती है कि वह बहुत गोल हैं पर तिरछे नजर आते हैं। वह आकाश को उनके वस्त्र बताती है साथ ही आकाश में छाये तारों को उनके वस्त्र के सितारे जो चमक रहे हैं। चाँद का सारा शरीर वस्त्र से ढँका है। केवल चाँद का गोरा-चिट्टा गोल मुँह ही दिखाई देता है।

अपनी पोशाक को फैलाए हुए चारों सिम्त। …. आता है।

व्याख्या: लड़की चाँद से कहती है कि उनकी पोशाक चारों दिशाओं में फैली हुई है। लड़की कहती है वे उसे कमअक्ल नहीं समझे, उसे पता है कि चाँद को बिमारी है। जब वे घटते हैं तो वे लगातार घटते चले जाते हैं और बढ़ते हैं तो बढ़कर पूरे गोल-मटोल हो जाते हैं। चाँद की यह बिमारी उनसे ठीक नहीं हो रही है।

कठिन शब्दों के अर्थ

• सिम्त – दिशाएँ

• नीरा – पूरा

• दम – साँस

• मरज – बीमारी

• बिलकुल गोल – पूरी तरह गोलाकार

• सुलभ – आसानी से प्राप्त किया जाने वाला

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Chapter 3 नादान दोस्त Notes for Class 6 Hindi Vasant

प्रस्तुत कहानी लेखक प्रेमचंद द्वारा लिखी गई है। कहानी दो भाई-बहन पर आधारित कहानी है। इस कहानी में लेखक ने केशव और श्यामा नामक भाई-बहन की नादानी का जिक्र किया है।
कहानी का सार कुछ इस प्रकार है-
केशव और श्यामा दो भाई-बहन हैं। उनके घर के कार्निस के ऊपर चिड़िया ने अंडे दिए थे। दोनों भाई-बहन हर रोज चिड़िया को आते जाते देखते। दोनों भाई उनको देखने में इतने मगन हो जाते कि अपना खाना-पीना भी भूल जाते थे। चिड़िया के अंडों को देखकर उनके मन में कई सवाल उठते थे जैसे बच्चे कब बड़े होंगे, किस रंग के होंगे, बच्चे किस तरह से निकलेंगे। बच्चों के इन प्रश्नों का उत्तर देने वाला कोई नहीं था क्योंकि उनके पिता पढ़ने-लिखने में तो माँ घर के कामों में व्यस्त रहती थीं। इसलिए दोनों आपस में ही सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली दे दिया करते थे।
इस तरह तीन चार दिन गुजर जाते हैं। दोनों चिड़िया के बच्चों के लिए परेशान होने लगते हैं। उन्हें लगता है कि कहीं चिड़िया के बच्चे भूख-प्यास से न मर जाय।
वे चिड़िया के अंडों की सुरक्षा हेतु विभिन्न उपाय करते हैं जैसे खाने के लिए चावल और पीने के लिए पानी, छाया के लिए कूड़े की बाल्टी और अंडों के नीचे कपड़े की मुलायम गद्दी को बनाकर रखना। यह सारा कार्य उन्होंने पिता के दफ़्तर जाने और दोपहर में माँ के सो जाने के बाद किया।
परन्तु उनके उपाय निरर्थक हो जाते हैं। चिड़िया अपने अंडे स्वयं ही तोड़ देती है। बच्चों की माँ को जब यह बात पता चलती है तो वे उन्हें बताती है कि चिड़िया के अंडों को छेड़ने से वह दोबारा उन्हें सेती नहीं बल्कि उन्हें तोड़ देती है। यह सुनकर दोनों को बहुत पछतावा होता है। परन्तु बहुत देर हो चुकी होती है। वे दोनों अंडों की सुरक्षा के लिए अच्छे कार्य ही करते हैं। परन्तु ज्ञान और अनुभव की कमी के कारण वे उनकी बर्बादी का कारण बन बैठते हैं। उसके बाद उन्हें वह चिड़िया कभी दिखाई नहीं देती है।
प्रेमचंद ने इसीलिए उन दोनों को नादान दोस्त कहा है। यह कहानी हमें सीख देती है कि किसी भी कार्य को करने से पहले पूरी तरह से सुनिश्चित कर लें कि जो आप कर रहे हैं, वह सही है या नहीं। केशव और श्यामा ने चिड़िया के बच्चों के लिए जो भी किया था यदि वे अपने माता-पिता से एक बार पूछ लेते, तो शायद वे उन चिड़िया के बच्चों को अपने सामने देख पाते।

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Chapter 2 बचपन Class 6 Notes for Class 6 Hindi Vasant

सार

लेखिका ने इस पाठ में अपने बचपन के बारे में बताया है। लेखिका का जन्म पिछली शताब्दी में हुआ था। अभी लेखिका की उम्र दादी या नानी जितनी होगी। बचपन से लेकर अब तक उनके पहनावे में बहुत परिवर्तन आए। बचपन मे वह रंग बिरंगे कपड़े पहनती थीं जैसे नीला ,जामुनी, ग्रे, काला, चॉकलेटी परन्तु अब वह सफ़ेद रंग के कपड़े पहनती हैं। पहले वे फ्रॉक, निकर-वॉकर, स्कर्ट, लहँगे, गरारे पहनती थीं लेकिन अब चूड़ीदार और घेर दार कुर्ते पहनती हैं। बचपन के कुछ फ्रॉक अभी भी उन्हें याद हैं।

उन्हें अपने मोज़े और स्टॉकिंग भी याद हैं। उन्हें अपने मौजे खुद धोने पड़ते थे। हर रविवार को अपने जूतों पर पॉलिश करनी होती थी। उन्हे नए जूतें से ज़्यादा पुराने जूतें पहनना पसंद था क्योंकि नए जूतें पहने से पैरों में छाले हो जाते थे। आज भी उन्हन बूट पॉलिश करना पसन्द है। हर शानिवार को उन्हें सेहत ठीक रखने के लिए ऑलिव ऑयल या कैस्टर ऑयल पीना पड़ता था।

उन दिनों रेडियो और टेलीविज़न नहीं था। केवल कुछ घरों मे ग्रामोफ़ोन थे। लेखिका के अनुसार पहले और अब के खाने में भी अंतर आया है। पहले की कुलफ़ी आइसक्रीम हो गयी है। कचौड़ी-समोसा पैटीज़ में बदल गया है। शरबत कोक-पेप्सी बन गया है। लेखिका के घर से मॉल नजदीक था। उन्हें हफ्ते मे एक बार ही चॉकलेट खरीदने की छूट थी और सबसे ज़्यादा चॉकलेट उन्हीं के पास रहता था। उन्हें चने ज़ोर गरम और अनारदाने का चूर्ण बहुत पसंद था। लेखिका को पहले के चने ज़ोर गरम और अब वाले में अंतर नहीं लगता। उसका स्वाद वैसा ही है।

लेखिका ने अपने बचपन शिमला रिज पर बहुत मजे किए हैं। घोड़ों की सवारी भी उन्होंने की है। सूर्यास्त के समय दूर-दूर तक फैले पहाड़ मनोरम दृश्य प्रस्तुत करते। चर्च की बजती घंटियाँ को संगीत सुनकर लगता प्रभु ईश कुछ कह रहे हों। स्कैंडल पॉइंट के सामने के शोरूम में शिमला-कालका ट्रेन का मॉडल बना था। पिछली सदी हवाई जहाज़ कभी – कभी देखने को मिल जाते थे। हवाई जहाज़ देख कर ऐसा लगता था जैसे कोई भारी भरकम पक्षी पंख फैलाकर तेज़ गति से उड़ा रहा हो। गाड़ी के मॉडल वाली दुकान के साथ एक और दुकान थी, जहाँ से लेखिका ने अपना पहला चश्मा बनवाया था। वहाँ के डॉक्टर अंग्रेज़ थे।

शुरू शुरू मे चश्मा लगाना उन्हें अटपटा लगता था। डॉक्टर ने आश्वासन दिया था कुछ दिनों में उनका चश्मा उतर जाएगा परन्तु आज तक वह नहीं उतरा। इसकी जिम्मेदार लेखिका खुद हैं। वह दिन की रोशनी में नहीं पढ़कर रात में टेबल लैंप के सामने पढ़तीं। जब पहली बार उन्होंने चश्मा लगाया था तब उनके भाई उन्हें चिढाते थे कि उनकी सूरत लंगूर जैसी लग रही है। धीरे-धीरे चश्मा लेखिका से घुल-मिल गया।

कठिन शब्दों के अर्थ

• सयाना – होशियार

• शताब्दी – एक सौ साल का समय

• फ्रील – झालर

• चलन – प्रचलन में

• केस्टर ऑयल – अरंडी का तेल

• ऑलिव ऑयल – जैतून का तेल

• खुराक – निश्चित  मात्रा

• मितली – उल्टियाँ

• मुँह में पानी भर आना – लालच आना

• निरा – केवल

• कमतर – कम अच्छा

• खीजना – क्रुद्ध होना

• सुभीते – सुविधाजनक

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ch-1 वह चिड़िया जो Notes for Class 6 Hindi Vasant

प्रस्तुत कविता ‘वह चिड़िया जो है’ कवि केदारनाथ अग्रवाल द्वारा रचित है। प्रस्तुत कविता में कवि ने अपने मन के भीतर कल्पित चिड़िया के माध्यम से मनुष्य के महत्त्वपूर्ण गुणों को उजागर किया है।
इस कविता में लेखक ने नीले पंखों वाली एक छोटी सी संतोषी चिड़िया के बारे में बता रहे हैं। उस नन्हीं सी चिड़िया को प्रकृति की हर वस्तु से अत्यंत लगाव है। कवि कहते हैं कि नीले रंग की छोटी चिड़िया को अन्न से बहुत प्यार है। वह बहुत ही रुचि और संतोष के साथ दूध भरे ज्वार के दाने खाती है। उसे अपने वन से भी बहुत प्यार है। वह बूढ़े वन में घूम-घूम कर अपने मीठे स्वर में वृक्षों के लिए प्यारे गीत गाती है। उसे एकांत और नदी से बहुत प्यार है। वह अत्यंत साहस के साथ उफनती नदी में से अपनी चोंच में पानी की बूँदें भर लाती है।

भावार्थ
1. वह चिड़िया जो-
चोंच मार कर
दूध-भरे जुंडी के दाने
रुचि से, रस से खा लेती है
वह छोटी संतोषी चिड़िया
नीले पंखोंवाली मैं हूँ
मुझे अन्न से बहुत प्यार है।
नए शब्द/कठिन शब्द
जुंडी- ज्वार की बाली
रूचि से- चाव से
भावार्थ- प्रस्तुत पक्तियों में कवि एक नीले पंखों वाली छोटी चिड़िया का उल्लेख करते हुए बता रहे हैं कि यह चिड़िया बहुत ही संतोषी है तथा उसे अन्न से बहुत प्यार है। वह दूध से भरे ज्वार के दानों को बहुत ही रुचि से और रस लेकर खाती है, अर्थात कवि इस पद के माध्यम से स्वयं के संतोषी होने तथा अन्न के महत्त्व के बारे में बता रहे हैं।


2. वह चिड़िया जो-
कंठ खोलकर
बूढ़े वन-बाबा की ख़ातिर
रस उड़ेल कर गा लेती है
वह छोटी मुँह बोली चिड़िया
नीले पंखोंवाली मैं हूँ
मुझे विजन से बहुत प्यार है।
नए शब्द/कठिन शब्द
कंठ- गला
बूढ़े वन-बाबा- पुराना घना वन
विजन-एकांत
भावार्थ- प्रस्तुत पक्तियों में कवि नन्हीं चिड़िया के बारे में बता रहे हैं कि इस नन्ही चिड़िया को उस वन से भी बहुत प्यार है जिसमें वह रहती है तथा अपने बूढ़े वन बाबा और उसके वृक्षों के लिए वह अपने मीठे कंठ से मधुर और सुरीला गीत गाती है। उसे एकांत में रहना पसंद है तथा वह प्रकृति के साथ इस गीत का अकेले में आनंद लेना चाहती है। यहाँ पर कवि प्रकृति से प्यार और एकांत से भी उमंग में रहने के बारे में बता रहे हैं।


3. वह चिड़िया जो-
चोंच मार कर
चढ़ी नदी का दिल टटोल कर
जल का मोती ले जाती है
वह छोटी ग़रबीली चिड़िया
नीले पंखोंवाली मैं हूँ
मुझे नदी से बहुत प्यार है।
नए शब्द/कठिन शब्द
चढ़ी नदी- जल से भरी
दिल टटोलकर- बीच से
जल का मोती- पानी की बूँदें
गरबीली- गर्व करने वाली
भावार्थ- अंतिम पद में कवि कहना चाहते हैं कि यह नीले पंखों वाली छोटी सी चिड़िया अत्यंत साहसी और गर्व से भरी हुई है क्योंकि यह चिड़िया छोटी होने के बाद भी उफनती हुई नदी के ऊपर से जल रूपी मोती ले आती है अर्थात जल से अपनी प्यास बुझा लेती है और नदी से और उसके जल से भी बहुत प्यार करती है।
यहाँ पर कवि मनुष्य के साहस के गुणों के बारे में बता रहे हैं।

प्रस्तुत कविता ‘वह चिड़िया जो है’ कवि केदारनाथ अग्रवाल द्वारा रचित है। प्रस्तुत कविता में कवि ने अपने मन के भीतर कल्पित चिड़िया के माध्यम से मनुष्य के महत्त्वपूर्ण गुणों को उजागर किया है।
इस कविता में लेखक ने नीले पंखों वाली एक छोटी सी संतोषी चिड़िया के बारे में बता रहे हैं। उस नन्हीं सी चिड़िया को प्रकृति की हर वस्तु से अत्यंत लगाव है। कवि कहते हैं कि नीले रंग की छोटी चिड़िया को अन्न से बहुत प्यार है। वह बहुत ही रुचि और संतोष के साथ दूध भरे ज्वार के दाने खाती है। उसे अपने वन से भी बहुत प्यार है। वह बूढ़े वन में घूम-घूम कर अपने मीठे स्वर में वृक्षों के लिए प्यारे गीत गाती है। उसे एकांत और नदी से बहुत प्यार है। वह अत्यंत साहस के साथ उफनती नदी में से अपनी चोंच में पानी की बूँदें भर लाती है।

भावार्थ
1. वह चिड़िया जो-
चोंच मार कर
दूध-भरे जुंडी के दाने
रुचि से, रस से खा लेती है
वह छोटी संतोषी चिड़िया
नीले पंखोंवाली मैं हूँ
मुझे अन्न से बहुत प्यार है।
नए शब्द/कठिन शब्द
जुंडी- ज्वार की बाली
रूचि से- चाव से
भावार्थ- प्रस्तुत पक्तियों में कवि एक नीले पंखों वाली छोटी चिड़िया का उल्लेख करते हुए बता रहे हैं कि यह चिड़िया बहुत ही संतोषी है तथा उसे अन्न से बहुत प्यार है। वह दूध से भरे ज्वार के दानों को बहुत ही रुचि से और रस लेकर खाती है, अर्थात कवि इस पद के माध्यम से स्वयं के संतोषी होने तथा अन्न के महत्त्व के बारे में बता रहे हैं।


2. वह चिड़िया जो-
कंठ खोलकर
बूढ़े वन-बाबा की ख़ातिर
रस उड़ेल कर गा लेती है
वह छोटी मुँह बोली चिड़िया
नीले पंखोंवाली मैं हूँ
मुझे विजन से बहुत प्यार है।
नए शब्द/कठिन शब्द
कंठ- गला
बूढ़े वन-बाबा- पुराना घना वन
विजन-एकांत
भावार्थ- प्रस्तुत पक्तियों में कवि नन्हीं चिड़िया के बारे में बता रहे हैं कि इस नन्ही चिड़िया को उस वन से भी बहुत प्यार है जिसमें वह रहती है तथा अपने बूढ़े वन बाबा और उसके वृक्षों के लिए वह अपने मीठे कंठ से मधुर और सुरीला गीत गाती है। उसे एकांत में रहना पसंद है तथा वह प्रकृति के साथ इस गीत का अकेले में आनंद लेना चाहती है। यहाँ पर कवि प्रकृति से प्यार और एकांत से भी उमंग में रहने के बारे में बता रहे हैं।


3. वह चिड़िया जो-
चोंच मार कर
चढ़ी नदी का दिल टटोल कर
जल का मोती ले जाती है
वह छोटी ग़रबीली चिड़िया
नीले पंखोंवाली मैं हूँ
मुझे नदी से बहुत प्यार है।
नए शब्द/कठिन शब्द
चढ़ी नदी- जल से भरी
दिल टटोलकर- बीच से
जल का मोती- पानी की बूँदें
गरबीली- गर्व करने वाली
भावार्थ- अंतिम पद में कवि कहना चाहते हैं कि यह नीले पंखों वाली छोटी सी चिड़िया अत्यंत साहसी और गर्व से भरी हुई है क्योंकि यह चिड़िया छोटी होने के बाद भी उफनती हुई नदी के ऊपर से जल रूपी मोती ले आती है अर्थात जल से अपनी प्यास बुझा लेती है और नदी से और उसके जल से भी बहुत प्यार करती है।
यहाँ पर कवि मनुष्य के साहस के गुणों के बारे में बता रहे हैं।

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Class 6 Hindi Bal Ramkatha

Chapter 1 अवधपुरी में राम Class 6 Summary

Chapter 2 जंगल और जनकपुर Class 6 Summary

Chapter 3 दो वरदान Class 6 Summary

Chapter 4 राम का वन गमन Class 6 Summary

Chapter 5 चित्रकूट में भरत Class 6 Summary

Chapter 6 दंडक वन में दस वर्ष Class 6 Summary

Chapter 7 सोने का हिरन Class 6 Summary

Chapter 8 सीता की खोज Class 6 Summary

Chapter 9 राम और सुग्रीव Class 6 Summary

Chapter 10 लंका में हनुमान Class 6 Summary

Chapter 11 लंका विजय Class 6 Summary

Chapter 12 राम का राज्याभिषेक Class 6 Summary

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Revision Notes for Class 6 Hindi vasant

Chapter 1 वह चिड़िया जो Class 6 Summary

Chapter 2 बचपन Class 6 Summary

Chapter 3 नादान दोस्त Class 6 Summary

Chapter 4 चाँद से थोड़ी सी गप्पें Class 6 Summary

Chapter 5 अक्षरों का महत्व Class 6 Summary

Chapter 6 पार नज़र के Class 6 Summary

Chapter 7 साथी हाथ बढ़ाना Class 6 Summary

Chapter 8 ऐसे ऐसे Class 6 Summary

Chapter 9 टिकट अलबम Class 6 Summary

Chapter 10 झाँसी की रानी Class 6 Summary

Chapter 11 जो देखकर भी नहीं देखते Class 6 Summary

Chapter 12 संसार पुस्तक है Class 6 Summary

Chapter 13 मैं सबसे छोटी होऊँ Class 6 Summary

Chapter 14 लोकगीत Class 6 Summary

Chapter 15 नौकर Class 6 Summary

Chapter 16 वन के मार्ग में Class 6 Summary

Chapter 17 साँस साँस में बांस Class 6 Summary

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Chapter 10 A Strange Wrestling Match notes | class 6th English A Pact with the Sun

A Strange Wrestling Match Summary

Vijay Singh was a famous wrestler. But boasting was Vijay Singh’s weakness.
One day he was sitting in the market drinking milk. There were several youngmen surrounding him. Suddenly he boasted, “Why are people afraid of ghosts? I am not. I wish I met a stout ghost.

Thus, he declared his wish to meet a stout ghost. A person told him that ghosts roamed freely in the Haunted Desert. They looted and killed the travellers Vijay Singh felt scared. He felt that his boasting had pushed him into an awkward situation. Outwardly, he showed his disbelief in such fairy (false) tales.

Vijay Singh was told that the Haunted Desert was beyond an ugly black rock on the road to Jaisalmer. Vijay Singh made up his mind to find a ghost in the Haunted Desert. The entire village bade him farewell. An old woman handed him a small packet. Vijay Singh knew that the woman was very wise and not eccentric. Her gift, later on, helped him much to scare the ghost. Vijay Singh started walking. He reached the desert at sunset. It was a moonlit night. The ugly black rock was still a few miles ahead.

The night had advanced. Vijay Singh opened the old woman’s packet. It contained a lump of salt and an egg. Vijay Singh stepped into the Haunted Desert. He heard a voice calling him by his name. The voice named itself as his friend, Natwar. It told him that he would get lost in the Desert. Vijay Singh asked Natwar to come near him and show him the way. In fact-Vijay Singh wanted to size up his enemy. Every good wrestler does so before starting the fight.

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