NCERT Solutions for Class 8th: पाठ 10 – कामचोर हिंदी वसंत भाग- III
पृष्ठ संख्या: 57
कहानी से
1. कहानी में ‘मोटे-मोटे किस काम के हैं’ ? किन के बारे में और क्यों कहा गया ?
उत्तर
कहानी में ‘मोटे-मोटे किस काम के हैं’ बच्चों के बारे में कहा गया है क्योंकि वे घर के कामकाज में जरा सी भी मदद नही करते थे तथा दिन भर खेलते-कूदते रहते थे।
2. बच्चों के उधम मचाने के कारण घर कि क्या दुर्दशा हुई ?
उत्तर
बच्चों के उधम मचाने से घर कि सारी व्यवस्था ख़राब हो गई। मटके-सुराहियाँ इधर-उधर लुढक गए। घर केसारे वर्तन अस्त-व्यस्त हो गए। पशु-पक्षी इधर-उधर भागने लगे। घर में धुल, मिट्टी और कीचड़ का ढेर लगगया। मटर कि सब्जी बनने से पहले भेड़ें खा गए। मुर्गे-मुर्गियों के कारण कपड़े गंदे हो गए।
3. ‘या तो बच्चा राज कायम कर लो या मुझे ही रख लो।’ अम्मा ये कब कहा और इसका परिणाम क्या हुआ?
उत्तर
अम्मा ने बच्चों द्वारा किए गए घर के हालत को देखकर ऐसा कहा था। जब पिताजी ने बच्चों को घर के काम काज में हाथ बँटाने की नष्ट दी तब उन्होंने किया इसके विपरीत सारे घर को तहस-नहस। चारों तरफ़ समान बिखरा दिया, मुर्गियों और भेड़ों को घर में घुसा दिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि काम करने के बजाए उन्होंने घर का काम कई गुना बढ़ा दिया जिससे अम्मा जी बहुत परेशान हो गई थीं। उन्होंने पिताजी को साफ़-साफ़ कह दिया कि या तो बच्चों से करवा लो या मैं मायके चली जाती हूँ। इसका परिणाम ये हुआ कि पिताजी ने घर की किसी भी चीज़ को बच्चों को हाथ ना लगाने कि हिदायत दे डाली नहीं तो सज़ा के लिए तैयार रहने को कहा।
4. ‘कामचोर’ कहानी क्या संदेश देती है ?
उत्तर
यह एक हास्यप्रधान कहानी है। यह कहानी संदेश देती है की बच्चों को उनके स्वभाव के अनुसार, उम्र और रूचि ध्यान में रखते हुए काम करना चाहिए। जिससे वेबचपन से ही रचनात्मक कार्यों में लगन तथा रूचि का परिचय दे सकें। उनके ऊपर बड़ों की जिम्मेदारी थोपनाबचपन को कुचलना है। अतः बड़ों को चाहिए की समझदार बच्चा बनकर बच्चों के बीच रहें और उन्हें सही दिशाप्रदान करें।
5. क्या बच्चों ने उचित निर्णय लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाए, हिलकर पानी भी नहीं पिएँगें ?
उत्तर
बच्चों द्वारा लिया गया निर्णय उचित नही था क्योंकि स्वयं हिलकर पानी न पीने का निश्चय उन्हें और भी कामचोर बना देगा। उन्हें काम तो करना चाहिए पर समझदारी के साथ। बच्चों को घर-परिवार के काम धंधों कोआपस में बाँट कर, बड़ों से समझ कर पुरा करना चाहिए। उन्हें अपने खाली समय का सदुपयोग करना चाहिए तथा रचनात्मक कार्यों में मन लगाते हुए परिवार-वालों का सहयोग करना चाहिए।
कहानी से आगे
1. घर के सामान्य काम हों या अपना निजी काम, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुरूप उन्हें करना आवश्यक क्यों है?
उत्तर
अपनी क्षमता के अनुसार काम करना इसलिए जरूरी है क्योंकि कि यदि हम अपने घर का काम या अपना निजी काम, नहीं करेंगे तो हम कामचोर बन जाएँगे और दूसरों पर आश्रित हो जाएँगे और ये निर्भरता हमें निकम्मा बना देगी। इसलिए हमें चाहिए कि अपने काम दूसरों से ना करवाकर स्वंय करें अपने काम के लिए आत्मनिर्भर बनें। हमें चाहिए कि हम अपने काम के साथ-साथ दूसरों के काम में भी मदद करें। अपना काम अपने अनुसार और समय पर किया जा सकता है।
2. भरा-पूरा परिवार कैसे सुखद बन सकता है और कैसे दुखद? कामचोर कहानी के आधर पर निर्णय कीजिए।
उत्तर
अगर घर के लोग क्षमता के अनुरूप कार्यों को बाँट ले तो भरा-पूरा परिवार सुखद बन सकता है। इससे किसी दूसरे को काम करने के लिए कहने की जरुरत होगी और तनाव भी उत्पन्न नही होगा। इसके विपरीत अगर कार्यों को बांटा नही गया तो सदा तनाव की स्थिति बनी रहेगी। अगर किसी को काम करने को कहा जायेगा तो वह या तो काम नही करेगा या दूसरों का काम समझ कर उसे अधूरे मन से करेगा। कामों के क्षमतानुसार विभाजित करने से कहानी जैसी दुखद स्थिति से बचा जा सकता है।
3. बड़े होते बच्चे किस प्रकार माता-पिता के सहयोगी हो सकते हैं और किस प्रकार भार? कामचोर कहानी के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर
अगर बच्चों को बचपन से अपना कार्य स्वयं करने की सीख दी जाए तो बड़े होकर बच्चे माता-पिता के बहुत बड़े सहयोगी हो सकते हैं। वह अगर अपने आप स्कूल के लिए तैयार हो जाएँ, अपने खाने के बर्तन यथा सम्भव स्थान पर रख आएँ, अपने कमरे को सहज कर रखें तो माता-पिता का बहुत सहयोग कर सकते हैं। यदि इससे उलटा हम बच्चों को उनका कार्य करने की सीख नहीं देते तो वह सहयोग के स्थान पर माता-पिता के लिए भार ही साबित होंगे। उनके बड़ा होने पर उनसे कोई कार्य कराया जाएगा तो वह उस कार्य को भली-भांति करने के स्थान पर तहस-नहस ही कर देंगे, जैसे की कामचोर लेख पर बच्चों ने सारे घर का हाल कर दिया था।
4. ‘कामचोर’ कहानी एकल परिवार की कहानी है या संयुक्त परिवार की? इन दोनों तरह के परिवारों में क्या-क्या अंतर होते हैं?
उत्तर
कामचोर कहानी सयुंक्त परिवार की कहानी है इन दोनों में अन्तर इस प्रकार है –
एकल परिवार | संयुक्त परिवार |
(i) एकल परिवार में सदस्यों की संख्या तीन से चार होती है- माँ, पिता व बच्चे होते है। | (i) सयुंक्त परिवार में सदस्यों की संख्या एकल की तुलना में ज़्यादा होती है क्योंकि इसमें चाचा-चाची ताऊजी-ताईजी, माँ-पिताजी, बच्चे सभी सम्मिलित होते हैं। |
(ii) एकल परिवार में कम सदस्यों के कारण सहयोग नहीं हो पाता। | (ii) संयुक्त परिवार में सहयोग की भावना होती है सारा परिवार मिलजुलकर सारा कार्य कर लेता है। |
पृष्ठ संख्या: 58
भाषा की बात
”धुली-बेधुली बालटी लेकर आठ हाथ चार थनों पर पिल पड़े।” धुली शब्द से पहले ‘बे’ लगाकर बेधुली बना है। जिसका अर्थ है ‘बिना धुली’ ‘बे’ एक उपसर्ग है। ‘बे’ उपसर्ग से बननेवाले कुछ और शब्द हैं-
बेतुका, बेईमान, बेघर, बेचैन, बेहोश आदि। आप भी नीचे लिखे उपसर्गों से बननेवाले शब्द खोजिए-
1. प्र ………….
2. आ ………….
3. भर ………….
4. बद ………….
उत्तर
1. प्र-प्रभाव, प्रयोग, प्रचलन, प्रदीप, प्रवचन
2. आ-आभार, आजन्म, आगत, आगम, आमरण
3. भर- भरमार, भरसक, भरपेट, भरपूर
4. बद- बदमिज़ाज, बदनाम, बदरंग, बदतर, बदसूरत
Discover more from EduGrown School
Subscribe to get the latest posts sent to your email.