कवि परिचय
बिहारी
इनका जन्म 1595 में ग्वालियर में हुआ था। सात-आठ वर्ष की उम्र में ही इनके पिता ओरछा चले गए जहाँ इन्होंने आचार्य केशवदास से काव्य शिक्षा पायी। यहीं बिहारी रहीम के संपर्क में आये। बिहारी ने अपने जीवन के कुछ वर्ष जयपुर में भी बिताये। ये रसिक जीव थे पर इनकी रसिकता नागरिक जीवन की रसिकता थी। इनका स्वभाव विनोदी और व्यंग्यप्रिय था। इनकी एक रचना ‘सतसई’ उपलब्ध है जिसमे करीब 700 दोहे संगृहीत हैं। 1663 में इनका देहावसान हुआ
बिहारी सतसई के दोहे की व्याख्या | Bihari ke dohe summary
(1) सोहत ओढ़ैं पीतु पटु स्याम, सलौनैं गात |
मनौ नीलमनि-सैल पर आतपु पर्यौ प्रभात ||
भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि बिहारी के दोहे से उद्धृत हैं |इन पंक्तियों के माध्यम से कवि बिहारी श्रीकृष्ण के सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहते हैं कि पीले वस्त्र में सुसज्जित साँवले-सलोने श्रीकृष्ण ऐसे सुशोभित हो रहे हैं, मानो नीलमणि पर्वत पर सुबह-सुबह सूर्य की किरणें पड़ रही हों |
(2)- कहलाने एकत बसत अहि मयूर, मृग बाघ |
जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ-दाघ निदाघ ||
भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि बिहारी के दोहे से उद्धृत हैं |इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि ग्रीष्म ऋतू की अत्यधिक ताप ने संसार को तपोवन बना दिया है | परिणामस्वरूप, इस भयंकर गर्मी अर्थात् विपत्ति से बचने के लिए शत्रु भी अपनी शत्रुता भुलाकर एक-दूसरे के साथ रहने लगे हैं | जैसे साँप, मोर और बाघ साथ-साथ रहने लगे हैं | अत: जानवर भी अपने-अपने द्वेषों को भुलाकर तपस्वी जैसा व्यवहार करने लगे हैं |
(3)- बतरस-लालच लाल की मुरली धरी लुकाइ |
सौंह करैं भौंहनु हँसै, दैन कहैं नटि जाइ ||
भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि बिहारी के दोहे से उद्धृत हैं |इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि गोपियों के मन में श्रीकृष्ण से बात करने की इच्छा है, जिसके कारण उन्होंने कृष्ण की बाँसुरी या मुरली छुपा दी हैं | गोपियाँ कृष्ण से मुरली ना चुराने की बात कहती हैं और उनकी मुरली देने से इनकार करती हैं |
(4)- कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत,खिलत, लजियात |भरे भौन मैं करत हैं नैननु हीं सब बात ||
भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि बिहारी के दोहे से उद्धृत हैं |इन पंक्तियों के माध्यम से कवि बिहारी जी ने लोगों के मध्य में भी दो प्रेमी किस तरह अपने प्रेम का इजहार करते हैं, उसे बताने का प्रयास किया है | नायक यानी कृष्ण अपनी नायिका से नैनों के इशारे से ही बात करते हुए मिलने को कहते हैं, जिसे नायिका मना कर देती है | तत्पश्चात्, इशारों में ही दोनों के बीच रूठने-मनाने का एहसास आरम्भ होता है | बाद में दोनों मिलते हैं और उनके चेहरे खिल जाते हैं तथा नायिका लज्जा से भर जाती है |
(5)- बैठि रही अति सघन बन, पैठि सदन-तन माँह |देखि दुपहरी जेठ की छाँहौं चाहति छाँह ||
भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि बिहारी के दोहे से उद्धृत हैं |इन पंक्तियों में कवि बिहारी जी ने जेठ यानी गर्मी के महीने की दोपहर के समय का चित्रण किया है | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि इस समय धूप इतनी तेज होती है कि आराम के लिए कहीं छाया भी नसीब नहीं होती | ऐसा प्रतीत होता है, जैसे गर्मी से बचकर विश्राम हेतु वह भी कहीं चली गई हो |
(6)- कागद पर लिखत न बनत, कहत सँदेसु लजात |कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात ||
भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि बिहारी के दोहे से उद्धृत हैं |इन पंक्तियों के माध्यम से कवि बिहारी जी उस नायिका के मनोदशा को दिखाने की चेष्टा कर रहे हैं, जिसका प्रियतम उससे दूर है | नायिका कहती है कि उसे कागज़ पे अपना सन्देश लिखा नहीं जा रहा है | संदेश लिखते समय उसे लज्जा आ रही है | तत्पश्चात्, नायिका यह भी कहती है कि किसी संदेशवाहक से भी सन्देश नहीं भिजवा सकती, क्योंकि उससे दिल की बात कहने में लज्जा आती है | इसलिए नायिका, नायक को संबोधित करते हुए कहती है कि अब तुम्हीं मेरे हृदय की बात महसूस करो की मैं क्या चाहती हूँ |
(7)- प्रगट भए द्विजराज-कुल, सुबस बसे ब्रज आइ |मेरे हरौ कलेस सब, केसव केसवराइ ||
भावार्थ –प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि बिहारी के दोहे से उद्धृत हैं |इन पंक्तियों में कवि बिहारी जी श्रीकृष्ण से विनती करते हुए कह रहे हैं कि आप द्विजराज-कुल में पैदा हुए हैं तथा अपनी इच्छा से ब्रज आए | आप मेरे सारे कष्टों को हर लें |
(8)- जपमाला , छापैं , तिलक सरै न एकौ कामु |
मन-काँचै नाचै बृथा, साँचै राँचै रामु ||
भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि बिहारी के दोहे से उद्धृत हैं |इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि सिर्फ माला थाम कर जपने और तिलक लगा कर आडम्बर करने से कुछ नहीं होता | मन तो काँच की तरह होता है, जो व्यर्थ में नाचता रहता है | कवि अपनी बातों पर जोर देते हुए कहते हैं कि दिखावा को छोड़ अगर सच्चे मन से ईश्वर की आराधना की जाए तो काम अवश्य बनता है |
Important Link
NCERT Solution – बिहारी के दोहे
For Free Video Lectures Click here
Tags
Discover more from EduGrown School
Subscribe to get the latest posts sent to your email.