NCERT imporant questions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 14 चंद्र गहना से लौटती बेर
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
(क)
प्रश्न 1
‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता में किसने किस उद्देश्य से हाथ पीले कर लिए हैं?
उत्तर-
चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता में सरसों सबसे सयानी हो चुकी है। सयानी होने से वह विवाह की वय प्राप्त कर चुकी है। उसने विवाह करने के लिए अपने हाथों में हल्दी लगाकर हाथ पीले कर लिए हैं।
प्रश्न 2
पत्थर कहाँ पड़े हुए हैं? वे क्या कर रहे हैं? ‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता के आधार पर लिखिए?
उत्तर-
पत्थर तालाब के किनारे पड़े हैं जिन्हें पानी स्पर्श कर रहा है। ऐसा लगता है कि पत्थर अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी पी रहे हैं। वे पता नहीं कब से पानी पी रहे हैं फिर भी उनकी प्यास नहीं बुझ रही है।
प्रश्न 3
‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता में किस चिड़िया का वर्णन है? यह चिड़िया किसका प्रतीक हो सकती है?
उत्तर-
‘चंद्र गहना से लौटी बेर’ कविता में काले माथ वाली उस चिड़िया का वर्णन है जिसकी चोंच पीली और पंख सफ़ेद है। वह जल की सतह से काफ़ी ऊँचाई पर उड़ती है और मछली देखते ही झपट्टा मारती है। उसे चोंच में दबाकर आकाश में उड़ जाती है। यह चिड़िया किसी शोषण करने वाले व्यक्ति का प्रतीक है।
प्रश्न 4
‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता में वर्णित अलसी को किस रूप में प्रस्तुत किया गया है और क्यों?
उत्तर-
‘चंद्र गहना से लौटती बेर’ कविता में वर्णित अलसी को प्रेमातुर नायिकी के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसका कारण यह है कि अलसी जिद पूर्वक चने के पास उग आई है। उसकी कमर लचीली औश्र देह पतली है। वह अपने शीश पर नीले फूल रखकर कहती है कि जो उसे छुएगा, उसको वह अपने हृदय का दान दे देगी।
(ख)
प्रश्न 1.
‘इस विजन में .अधिक है’- पंक्तियों में नगरीय संस्कृति के प्रति कवि का क्या आक्रोश है और क्यों?
उत्तर-
उपर्युक्त पंक्तियों में कवि ने नगरीय संस्कृति की व्यावसायिकता पर आक्रोश प्रकट किया है। उनके अनुसार, नगर के लोग व्यापार को महत्त्व देते हैं। वे प्रेम और सौंदर्य से बहुत दूर हैं। वे प्रकृति से भी कर चुके हैं। कवि इसे नगर संस्कृति का दुर्भाग्य मानता है।
प्रश्न 2.
सरसों को ‘सयानी’ कहकर कवि क्या कहना चाहता होगा?
उत्तर-
सरसों को सयानी कहकर कवि यह कहना चाहता है कि अब वह बड़ी हो गई है। उस पर आए फूलों के कारण उसका रूप-सौंदर्य निखर आया है।
प्रश्न 3.
अलसी के मनोभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
अलसी अल्हड़ नायिका है। उसकी कमर लचीली है, देह पतली है और स्वभाव से हठीली है। उसने अपने शीश पर नीले फूल धारण किए हुए हैं। वह मानो सबको प्रेम का खुला निमंत्रण देकर कह रही है-जो भी मुझे छुए, मैं उसे अपना दिल दे देंगी।
प्रश्न 4.
अलसी के लिए ‘हठीली’ विशेषण का प्रयोग क्यों किया गया है?
उत्तर-
अलसी के लिए ‘हठीली’ विशेषण का प्रयोग इसलिए किया गया है क्योंकि-
- वह चने से सटकर उग आई है।
- वह हवा से लहराकर बार-बार झुककर जमीन को छू जाती है और अगले ही पल तुरंत खड़ी हो जाती है।
प्रश्न 5.
‘चाँदी का बड़ा-सा गोल खंभा’ में कवि की किस सूक्ष्प कल्पना का आभास मिलता है?
उत्तर-
सरोवर के जल में सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं तो यों लगता है जैसे पानी के नीचे चाँदी का बड़ा गोल खंभा हो। रंग, चमक और रूप की समानता के कारण यह कल्पना मनोरम बन पड़ी है।
प्रश्न 6.
कविता के आधार पर हरे चने’ का सौंदर्य अपने शब्दों में चित्रित कीजिए।
उत्तर-
‘ग्राम श्री’ कविता में वर्णित हरा चना आकार में एक बीते के बराबर है। उस पर आए फूल देखकर लगता है कि उसने गुलाबी पगड़ी बाँध रखी है। वह विवाह जैसे किसी मांगलिक कार्यक्रम में जाने के लिए तैयार दिखाई दे रहा है।
प्रश्न 7.
कवि ने प्रकृति का मानवीकरण कहाँ-कहाँ किया है?
उत्तर-
कवि ने निम्न स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण किया है
- यह हरा ठिगना चना,
बाँधे मुरैठा शीश पर
छोटे गुलाबी फूल का,
सज कर खड़ा है। - पास ही मिल कर उगी है
बीच में अलसी हठीली
देह की पतली, कमर की है लचीली,
नील फूले फूल को सिर पर चढ़ा कर
कह रही है, जो छुए यह
दें हृदय का दान उसको। - और सरसों की न पूछो
हो गई सबसे सयानी,
हाथ पीले कर लिए हैं।
ब्याह-मंडप में पधारी। - फाग गाता मास फागुन
- हैं कई पत्थर किनारे
पी रहे चुपचाप पानी,
प्यास जाने कब बुझेगी!
प्रश्न 8.
कविता में से उन पंक्तियों को ढूंढ़िए जिनमें निम्नलिखित भाव व्यंजित हो रहा है और चारों तरफ़ सूखी और उजाड़ जमीन है लेकिन वहाँ भी तोते का मधुर स्वर मन को स्पंदित कर रहा है।
उत्तर-
उपर्युक्त भाव को व्यंजित करने वाली पंक्तियाँ हैं-
बाँझ भूमि पर
मीठा-मीठा रस टपकाता
इधर-उधर रीवा के पेड़
सुग्गे का स्वर
काँटेदार कुरूप खड़े हैं।
टें हें टें टें।
सुन पड़ता है।
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